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Incest लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा
#1
लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा














लॉकडाउन में दीदी को खूब चोदा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी उम्र 25 साल है और दीदी की उम्र 27 साल है. दीदी शादीशुदा हैं, उनकी शादी को दो साल हुए हैं. मैं गांव का देसी लड़का हूं, दीदी शहर में रहती हैं.
ये मेरी दूसरी कजिन सिस्टर है. एक अन्य चचेरी बहन की चुदाई की कहानी मैं पहले भेज चुका हूँ. उसका नाम था: कज़िन सिस्टर सेक्स का मजा

उनका घर दिल्ली में बना हुआ है, जहां सिर्फ दीदी और जीजा जी रहते हैं. जनता कर्फ्यू लगने के एक दिन बाद मैं दिल्ली पहुंचा, जीजाजी ने मुझे काम करने के लिए अपने पास बुलाया था.

दीदी मुझे स्टेशन पर लेने आई थीं. मैंने जब उन्हें देखा, तो वो पहले से काफी ज्यादा खूबसूरत हो गई थीं, उनका बदन भर गया था.

ये मार्च की बात है, हम यानि मैं और दीदी मुंबई जाने वाले थे … क्योंकि जीजा जी का ट्रांसफर वहीं हो गया था और वो एक महीने पहले ही मुंबई जा चुके थे.

लॉकडाउन लग जाने से सारी फ्लाइट्स और ट्रेन्स कैंसल हो गई थीं.

अब दीदी रोने लगीं कि हम लोग जीजा के पास नहीं जा पाएंगे. जीजाजी से फोन पर बात हुई, तो उन्होंने समझाया कि केवल 21 दिन की ही तो बात है, जल्दी मत करो, बाद में आ जाना.

फिर उन्होंने मुझसे बात की, तो बोले कि तुम अपनी दीदी का ख्याल रखना.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
हुत दिन बाद मिलने के बाद दीदी और मैं देर रात तक और दिन भर बातें किया करते थे. हम दोनों बहुत ज्यादा घुल-मिल गए थे. सारे दिन भर घर पर ही रहना होता था.

दीदी तरह तरह के पकवान बनाती थीं. मुझे ये सब बड़ा अच्छा लग रहा था.
एक दिन खाना खाते हुए मजाक में मैंने कह दिया कि दीदी इतनी सेवा तो शायद मेरी बीवी भी नहीं करेगी.
मेरी बात पर दीदी हंस पड़ीं और मैं भी.

गांव में मुझे भांग खाने की आदत पड़ गई थी, तो मैं अपने साथ गांव से भरपूर मात्रा में भांग लाया था. इधर मैं रात में अकेले ही छत पर सोता था क्योंकि रात को मैं खाना खाने से पहले भांग खा लेता था … और खाना खाते ही अपना बोरिया बिस्तर लेकर छत पर भाग जाता था. क्योंकि खाना खाने के बाद भांग का नशा काफी चढ़ जाता है.

छत पर जाकर मैं फोन पर अपनी गर्लफ्रेंड से लग जाता था. एक रात अपनी गर्लफ्रेंड से बात करते करते मेरा गला सूखने लगा. पानी भी खत्म हो गया था, तो मैं नीचे चला गया.

नीचे दीदी जीजा जी से फोन पर बात कर रही थीं. अपनी गर्लफ्रेंड से बात करने के कारण मेरा भी लंड तना हुआ था.

मैंने दीदी को आवाज लगा कर कहा- दीदी मुझे पानी चाहिए.
दीदी बोलीं- अन्दर आकर ले लो.
मैंने कहा- अंधेरा पड़ा है, आप लाइट तो जलाओ.

लाइट जलते ही मैंने दीदी को पहली बार नाइटी में देखा. दीदी क्या गजब लग थीं. बिखरे हुए बाल थे और बिना ब्रा के उनके हिलते हुए मम्मे कहर ढा रहे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मेरी नजरों ने सीधे उनकी चूचियों पर ही निशाना साधा. चूंकि उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी, तो उनकी चूचियों का उभार काफी बड़ा लग रहा था.

उन्होंने भी मुझ पर नजर मारी, मेरा तना हुआ लंड उनकी आंखों ने भर कर देख लिया. उन्होंने मेरी नशीली आंखें भी देखीं.
मैं उन्हें देख कर पानी लेकर ऊपर चला गया.

मेरी चचेरी दीदी की एक बहुत अच्छी आदत थी कि सुबह के काम निपटा कर नहा धोकर ही बाकी सारे काम शुरू करती थीं.

वो नहा कर पहले ऊपर छत पर आतीं, मुझे जगातीं … और धोये हुए कपड़े सूखने के लिए फैलाकर नीचे जाती थीं.

अब एक बार दीदी ने मेरा खड़ा लंड देख लिया था, तो उन्होंने अगले दिन कई बार मेरे लंड पर नजर मारी. मैंने भी उनकी तनी हुई चूचियों पर अपनी कामुक नजर फेरी.

ये छठे दिन की बात है. दीदी काम करते करते सीधे बोलीं- तुम्हारी गर्लफ्रेंड है ना … तभी रात में बात करने के लिए ऊपर छत पर सोते हो!
मैं मुस्कुरा दिया और नहाने चला गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
दीदी शाम को भी नहाती थीं और अपने कपड़े ऊपर छत पर डाल देती थीं. घर में लोअर टी-शर्ट पहनती थीं या रात में नाइटी पहनती थीं.

मेरा वही रूटीन था, भांग खाना … फिर खाना और छत पर चले जाना.

उसी दिन रात को मैं छत पर टहल कर अपनी मैडम से बात कर रहा था. हम दोनों फोन सेक्स कर रहे थे. तभी अचानक ध्यान आया कि दीदी की ब्रा का साइज देखा जाए.

मैंने मोबाइल की टॉर्च जलाकर देखा, तो दीदी की ब्रा पर 36 बी लिखा था. फोन पर बात करते करते मैं दीदी की ब्रा से खेल रहा था, कभी उसे चूस रहा था, कभी लंड पर लगा रहा था.

दोस्तो, किसी किसी ब्रा में दोनों कप के बीच में एक छेद सा होता है. दीदी की ब्रा में भी था. मैं उस छेद में अपना लंड फंसा कर मुठ मारने लगा. मैं अपनी गर्लफ्रेंड की सेक्सी बातों में काफी उत्तेजित हो गया और जोश में होश खो बैठा. बस मेरा लंड एकदम से अकड़ा और मैं दीदी की ब्रा में ही वीर्यपात कर बैठा.

बाद में मैंने पीने वाले पानी से ब्रा को धोकर टांग दिया.

जब दीदी मुझे सुबह जगाने और कपड़े लेने आईं, तो उन्होंने देखा कि सब कपड़े सूख गए हैं … पर ब्रा गीली है. उनका माथा ठनक गया. मैं डर रहा था, पर सोचा कि जो होगा देखा जाएगा.

हम दोनों नीचे आ गए. दीदी नहाने घुस गईं, तो मैंने उनके रूम में जाकर देखा. उधर कम से कम 8 ब्रा थीं. सब अलग अलग डिजाइन की थीं. कोई प्रिंटेड, तो कोई ट्रांसपेरेंट.
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#6
इतनी मस्त ब्रा देख कर मेरा लंड तन्ना गया. उन ब्रा में से मुझे उनकी जाली वाली ट्रांसपेरेंट ब्रा बड़ी मादक लग रही थी. अब मेरा मन यही कर रहा था कि दीदी को इसी ब्रा में चोदूं.

इस बार लंड 90 डिग्री पर खड़ा था. दीदी ने बाथरूम से बाहर आकर मेरे खड़े लंड को देख लिया. जब वो मेरे पास से गुजरीं तो वे मुस्कुरा दीं. दीदी नहाने के बाद एक मादक खुशबू छोड़ते हुए जा रही थीं.

वो जानबूझ कर मेरे करीब से निकलीं और मेरे खड़े लंड पर अपने कूल्हों का भी स्पर्श देते हुए निकल गईं. दीदी की गांड का टच मुझे बहुत रोमांचित कर गया.

उस दिन मैं समझ गया कि औरत चुदने पर आ जाए … तो वो हर हाल में चुद कर ही रहती है. मर्द तो हाथ से भी काम चला लेता है, मगर औरत को बिना लंड के प्यास नहीं बुझती है.

मैं सोचने लगा कि वैसे भी इस समय जीजा जी दूर थे. दीदी का मन चुदाई करने का करता ही होगा.

उस दिन मैं दिन में दीदी को पीछे से देख रहा था, तो उनके शर्ट में पीछे से ब्रा भी झलक रही थी.

मैं सारे दिन में पागल हो गया था कि इतनी मस्त माल साथ है … और मैं कुछ कर भी नहीं पा रहा हूँ. साला बहन भाई का रिश्ता आड़े आ रहा था.
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#7
पर कहते हैं ना, जो आपके नसीब में होता है, वो खुद चलकर पास आ जाता है. वही मेरे साथ भी हुआ.

उस शाम को भी दीदी नहायी और लोवर टी-शर्ट पहन ली. पर अन्दर ब्रा नहीं पहनी.

काम करते वक़्त, आते जाते वक़्त दीदी की चूचियां हिचकोले खा रही थीं. इधर मेरा लंड दीदी और मैं एक दूसरे को भांप भी रहे थे.

खाना खाने के बाद दीदी बोलीं- रुको … आज थोड़ी देर में जाना. आज हम दोनों कोई मूवी देखते हैं.
मैं भांग के नशे में था. मैंने कहा- नहीं … मैं छत पर जा रहा हूं.
फिर दीदी मजाक करते हुए बोलीं- हां हां टाइम हो रहा है … उसका फोन आने वाला होगा.
मैंने हंसते हुए कहा- ऐसा कुछ नहीं है.

काफी ना नुकुर करने के बाद मैंने दीदी से कहा- चलिए, मेरे लिए आप से बढ़कर कोई नहीं … मैं रुक जाता हूं.
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#8
उस दिन सैट मैक्स पर ‘लकी द रेसर ..’ मूवी आ रही थी. तभी मेरी मैडम का फोन आ गया.

मैंने दीदी से कहा- इससे बोल दूं कि मूवी देख रहा हूं.
दीदी ने मुस्कुरा कर हां में सर हिला दिया.

मैंने वहीं दीदी के सामने उससे बात की.

तभी दीदी ने कहा कि लाओ मैं भी उससे बात करती हूं.
मैंने फोन दे दिया.
दीदी ने मेरी गर्लफ्रेंड से थोड़ी देर बात की और बोलीं- चलो, अब फोन रख रही हूं. हम दोनों मूवी देख रहे हैं.

फोन रखते हुए दीदी ने उससे कहा कि मैं तुम्हारा नंबर लेकर तुमसे बाद में बात करूंगी.
फिर मैंने दीदी को उसका नम्बर दे दिया. दीदी ने उसे वॉट्सएप पर मैसेज डाल दिया.

अब हम दोनों एक ही बिस्तर पर बेड पर दीवार का सहारा लेकर अगल बगल में बैठे थे. मुझे भांग का सुरूर भी छा रहा था. मैं पानी भी बहुत पी रहा था.

दीदी ने तब द्विअर्थी भाषा में बात की- बहुत प्यासे लगते हो?
मैंने सुरूर में कहा- क्या करें बिना पानी कोई सहारा ही नहीं है.
दीदी भी समझ गईं कि मुझे भी आग लगी है.
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#9
हम दोनों मूवी देखने लगे. दीदी ने मूवी देखते देखते अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया.
मैंने कहा- सर हटाओ न!
वो बोलीं- क्या है … टेक ले लेने दो न!

मैं कुछ नहीं बोला. कुछ देर बाद दीदी मेरे बदन पर काफी झुक गईं. तब मुझे उनकी चूची का थोड़ा सा स्पर्श भी मिला.

उनकी चूचियों का अहसास होते ही मेरे पूरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा लंड किसी मोटे नाग सा फनफना गया.

मैं रात में सिर्फ निक्कर ही पहनता था … निक्कर के अन्दर चड्डी नहीं पहनता था. इससे मेरा लंड अपनी औकात में आते हुए हल्का सा उठने लगा.

तभी सामने टीवी पर एक सीन आया. वो महान कॉमेडियन ब्रह्मानन्द का सीन था. साला बहुत ज्यादा गर्म बातें कर रहा था.

मैं और दीदी दोनों हंसने लगे. हम दोनों का शरीर हिलने लगा. इससे दीदी की एक चूची मेरी कोहनी में हंसते हंसते सट गई. मेरा लंड अपने पूरे आकार में आ गया. पूरा 6 इंच का तन कर अकड़ गया.

दीदी मेरे कंधे पर सिर रखे रखे खड़े लंड को और मूवी दोनों को देख रही थीं. मैं नशे में हंसे जा रहा था. दीदी गर्म हो गई थीं.
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#10
तभी जीजा का फोन आ गया. अभी दस बज रहे थे. दीदी फोन उठाने गईं, तो मैंने अपने लंड को संभाला और उठ गया. पर निक्कर में लंड का तम्बू अभी तना हुआ साफ़ दिख रहा था.

मैंने कहा- आप बात करो … मैं सोने जा रहा हूँ.
मैं जाने लगा, तो दीदी बोलीं- पानी तो लेते जाओ प्यासे रहोगे क्या!

जब मैं बॉटल लेने मुड़ा, तो उन्होंने खड़े लंड को देखकर फिर से अपनी आंखें सेंक लीं.

तभी जीजा जी ने दीदी से मुझसे बात करवाने को कहा. मैं फोन लेकर जीजा जी से बात करने लगा. मैं बात करते हुए दीदी को ही देख रहा था. लंड देख कर दीदी गर्म हो गई थीं और इस कारण उनके मम्मों के निप्पल तन गए थे. टी-शर्ट में से ही उनके चूचुकों का आकार दिखने लगा था.

उन्होंने मेरी आंखों में देखा, फिर पता नहीं उनको क्या दिखा. नशा, प्यास, प्यार, या वासना का माहौल बन गया था.

मैंने फोन दीदी को दे दिया- लो जीजा जी से बात कर लो.

मुझे जाते देख कर दीदी ने फोन म्यूट करके बोला- राज, तुम्हारी आंखें बहुत नशीली हैं.

मैं हंसता हुआ छत पर चला गया. उधर जाकर अपनी मैडम को फोन लगाया, तो वो सो चुकी थी.

दीदी की चूचियों का स्पर्श पाकर मैं पागल हुए जा रहा था. मैंने देखा कि शाम वाली दीदी की ब्रा और पैंटी छत पर ही सूख रही थी. मैंने दोनों को उठाया और पैंटी सूंघने लगा. उनकी चुत वाले हिस्से को मैंने सूंघा, तो क्या मस्त खुशबू आ रही थी. उस महक के आगे साला इत्र भी फेल लग रहा था.

मैंने एक हाथ से पैंटी को अपने मुँह में भर लिया और दूसरे हाथ से ब्रा को लंड में लटका कर मुठ मारने लगा. लेकिन आज मुझे उनके कपड़ों में वीर्यपात नहीं करना था, सिर्फ मज़ा लेना था.

कुछ देर बाद मैं लेट गया और ब्रा और पैंटी को अपनी निक्कर में डाल कर दीदी को चोदने का सपना देखने लगा.
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#11
मैं दीदी की ब्रा देख ही चुका था, साइज पता ही चल गया था. आज रात उनके कड़क निप्पलों भी देख चुका था. बस अब दीदी को बिना कपड़ों के देखना रह गया था.

तभी अचानक बारिश होने लगी. मैं बोरिया बिस्तर और दीदी के कपड़े समेटकर नीचे भागा.

नीचे आकर मैंने कहा- दीदी दरवाज़ा खोलो.
दीदी ने दरवाज़ा खोला और मेरी तरफ देखा.
तो मैंने बताया कि बारिश हो रही है.

मेरा लंड अभी भी आकार में था. उधर मेरा ध्यान दीदी के ऊपर गया, तो उनकी चूचियां एकदम तनी हुई थीं. निप्पलों और खिल कर दिख रहे थे.

मैं समझ गया कि दीदी फोन सेक्स कर रही थीं. मेरा लंड फिर से तन कर तम्बू हो गया.

अब शमा और परवाना दोनों जल रहे थे, बस देखना ये था कि करीब आने पर आग बुझती है या और बढ़ती है.

मैंने कहा- ये लो अपने कपड़े!
दीदी बोलीं- तुम क्यों लाए!
मैंने कहा- आप भी तो मेरे कपड़े लाती हैं, आप तो मेरी इतनी सेवा करती हैं.
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#12
दीदी हंस दीं और अपने कमरे में चली गईं. मैं टीवी वाले रूम में सो गया.

अगला दिन इतवार था. दीदी आज अपने बालों में प्याज का रस लगाने वाली थीं.
मैंने कहा- लाओ मैं लगा देता हूँ.

वो मान गईं और फर्श पर ही बैठ गईं. मैं बेड पर बैठ गया. मैं उनके सिर में रस लगाने लगा. उनके बाल उठा कर उनकी सुराहीदार गर्दन को भी देखा. मेरा लंड तना हुआ था तो उनकी गर्दन पर कभी कभी स्पर्श हुआ जा रहा था. वो भी मदहोश हुए जा रही थीं.

बालों में प्याज का रस लगाने के बाद मैंने कहा दीदी- जैसे नाई मसाज करते हैं, वैसे कर दूँ.
दीदी ने हां कह दिया.

मैंने भी सोच लिया कि आज इनको देशी हाथ का कमाल दिखाता हूं. आज इनको छूने का मौका मिला है, तो कोई कसर नहीं छोडूंगा.

दोस्तो, मेरी दीदी की मदमस्त जवानी मेरे लंड से चुदने के लिए तड़फ रही थी.
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#13
मैंने पहले उनकी गर्दन और कंधे पर खूब मजबूती से मर्द वाला हाथ लगाया. फिर उनकी पीठ से लेकर कमर तक हाथ चलाया. फिर दोनों हाथों को झटकाया, तो चूचियां डांवाडोल हो गईं.
मैंने कहा- लीजिए हो गया, अब जाइए.
पर खड़ी होती हुई दीदी ने अपनी गांड का स्पर्श मेरे लंड पर दे दिया. मैं समझ गया कि अब बर्फी मिलना पक्का है, बस ये नहीं पता था, कब मिलेगी.
दीदी ने कहा- अपनी दाढ़ी बना लो.
मैंने कहा- मैंने खुद से कभी नहीं बनाई.
उन्होंने कहा- अरे इसमें क्या बात है, लाओ मैं बना देती हूं. जीजाजी का दाढ़ी बनाने का सामान रखा है, मैं उनकी दाढ़ी बनाकर एक्सपर्ट हो गई हूं.
मैं शेव करवाने के लिए रेडी हो गया.
मैं जमीन पर बैठ गया और दीदी पीढ़ा पर बैठ गईं. हमारे घरों में बैठने वाला एक स्टूल नुमा होता है, उसे ही पीढ़ा कहा जाता है.
दीदी के पीढ़ा पर बैठते ही मेरी नजर सीधे उनकी टांगों के बीच में चली गई.
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#14
उफ्फ भगवान … दीदी की चूत का आकार साफ साफ दिख रहा था और उनकी चुत गीली भी दिख रही थी.

दाढ़ी बनाते वक़्त टी-शर्ट में उनकी चूचियां हिल रही थीं, जिससे उनके मम्मों के निप्पलों भी एकदम साफ दिख रहे थे.

मैं मस्ती से उनकी चुत और चूचियों का मजा लेने लगा. दीदी के कोमल हाथ मेरे गालों पर फिरते हुए मुझे बड़ा मदहोश कर रहे था.

दाढ़ी बन जाने के बाद दीदी कमरे में झाड़ू लगाने लगीं. मैं बाथरूम में घुस गया. जब मैं नहाकर आया, तो बस टॉवेल में था.

दीदी मेरा नंगा बदन देखने लगीं. मैं ऐसे ही बैठ कर टीवी देखने लगा.

फिर दीदी बाथरूम में घुस गईं और दस मिनट बाद वो नहाकर आ गईं.

आज तो और भी ज्यादा गजब हो गया था. उन्होंने आज साड़ी पहन ली थी. नाभि के नीचे साड़ी देख कर मेरी रही सही कसर पूरी हो गई थी. अब बस कमर और पीठ और पेट देखने की कसर रह गई थी.

इस समय दीदी के बाल गीले थे. सच में दीदी कहर बरपा रही थीं. मैं उन्हें कामुक नजर से देखने लगा
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#15
दीदी मेरी आंखों में झांकते हुए बोलीं- क्या हुआ?
मैंने कहा- आज आपको साड़ी में पहली बार देख रहा हूं … आप अच्छी लग रही हो.

वो मुस्कुरा कर नाश्ता बनाने लगीं.

नाश्ता करते हुए उन्होंने बोला- तुम्हारी मैडम से मैंने सुबह वॉट्सएप पर बात की थी. तुम उसे डांटते क्यों हो और उससे लड़ते भी हो.
मैंने कहा- अरे प्यार में इतना तो चलता है.
दीदी ने हंस कर मुझे एक धौल जमा दी.

फिर दीदी और मैं दीवार का टेक लेकर टीवी देखने लगे. दीदी फिर से अपने माथे को मेरे कंधे पर रखकर टीवी देख रही थीं. मेरी दाईं कोहनी कभी उनकी चूची को छू जाती, तो कभी उनके पेट को. मुझे मज़ा आने लगा था. कभी कभी मैं उनकी नाभि पर भी नजर मार लेता था.

फिर दिन बीता, रात हुई. फिर भांग के बाद खाना हुआ और मैं छत पर चला गया. मैं दीदी की ब्रा और पैंटी लंड पर लगाए अपनी मैडम से सेक्सी बातें कर रहा था. उसी समय ना जाने मैं कब सो गया … कुछ होश ही नहीं रहा.

सुबह दीदी मुझे जगाने आ रही थीं, तो उनकी पायल की आवाज अचानक से आई. उनकी पैंटी और ब्रा मेरे निक्कर में रह गई थी. मैं डर के मेरे सोने का नाटक करने लगा और दीदी मुझे देखकर चली गईं.

उनके जाने के बाद मैंने उठकर ब्रा और पैंटी अलगनी पर टांग दी और नीचे आ गया.
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#16
मैंने दीदी को देखा, तो उनके चेहरे पर एक अजब सी खुशी थी. मैं समझ तो गया था कि दीदी को छत पर ब्रा पैंटी नहीं मिली होगी, तो वो समझ गई होंगी.

पर मैंने बनते हुए कहा- आज आप जगाने नहीं आईं?
दीदी बोलीं- हां मैं भी सोती रह गई.

मैं समझ गया कि लोहा गर्म हो चुका है, बस हथौड़ा मारना बाकी है.

दीदी नहाने चली गईं, तो मैंने उनका फोन उठाया. फोन में पासवर्ड नहीं लगा था. वॉट्सएप खोला, तो उसमें मैंने देखा दीदी की मीनाक्षी (मेरी मैडम) से बात हुई थी.

उसमें दीदी ने उससे मेरे बारे में सब कुछ पूछा था. हम दोनों की सेक्स लाइफ को लेकर भी काफी सवाल थे. दीदी ने उससे ये भी पूछा था कि तुम दोनों फोन सेक्स रोज करते हो. तो मीनाक्षी ने जवाब में हां लिखा था.
दीदी ने पूछा- वैसे गांव में कहां करते थे?
मीनाक्षी- इतना वक़्त तो नहीं मिलता था, बस रात में ही हम दोनों खेतों में मिल लेते थे.

दोस्तो, गांव वगैरह का हाल आप लोग जानते ही होंगे. गांव में किसी लड़की से मिलने में बहुत परेशानी होती है. मैंने मीनाक्षी को बहुत चोदा है, अधिकतर खड़े खड़े ही चोदा है. उसे लेटा कर बहुत कम चुदाई हो सकी थी. खेतों में कपड़े ना खराब हो जाएं … क्योंकि खेतों में कोई बिस्तर तो होता नहीं था, मिट्टी लग कर चुगली कर देती थी कि चुदाई हुई है.

फिर दीदी नहाकर बाहर आईं. उन्होंने व्हाइट टी-शर्ट और ब्लू लोवर पहना हुआ था. दाईं तरफ के कंधे पर उनके बाल गीले थे. उससे चूची गीली होने के कारण दिखने लगी थीं. निप्पलों भी कड़क थे.
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#17
मैं ये सब देख कर पागल हो रहा था.

मैं उन्हें यूं ही घूरता हुआ नहाने चला गया. मैं बाथरूम में पहले तो मुठ मारने लगा. मुझे मुठ मारने में 15 मिनट लग गए .. फिर नहाना हुआ.

मुझे देर हुई तो दीदी ने आवाज लगा दी- कितनी देर कर रहे हो, नाश्ता बन गया है.

मैं बाहर आ गया. नाश्ता करते हुए दीदी बोलीं- क्या हुआ, दुखी लग रहे हो.
मैंने कहा- ऐसा तो कुछ नहीं है.
दीदी छेड़ते हुए बोलीं- मीनाक्षी की याद आ रही क्या?
मैं हंस पड़ा.

नाश्ता करने के बाद हम दोनों बातें करने लगे.

दीदी बोलीं- गांव में मीनाक्षी से मिलते कैसे थे?
मैं- रात में.

दीदी मेरी तरफ देखने लगी तो मैं बोल पड़ा- सबसे बढ़िया ज़िन्दगी शादीशुदा वालों की होती है, कोई चोरी नहीं.
दीदी- हां ये तो है, तुम भी शादी कर लो.
मैं- पहले पैसे कमा लूं … नहीं तो बीवी आएगी, तो सिर नौंच लेगी.
दीदी- ऐसा कुछ नहीं है, लड़की को प्यार दोगे … तो सब अच्छा होगा.
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#18
हम दोनों को समझ नहीं आ रहा था कि पहल कौन करे.

दीदी ने कहा- चलो आज एक गेम खेलते हैं … ट्रुथ एंड डेअर.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने ट्रुथ बोला.

दीदी- मैं तुमको कैसी लगती हूं?
मैंने- बहुत अच्छी, आप ख्याल रखती हैं.

दीदी ने डेअर लिया.

मैं- नाच कर दिखाइए.

दीदी नाचने लगीं, मैं उनकी चूचियां उछलते हुए देखने लगा, मेरा लंड खड़ा हो गया.

अब मेरी बारी थी, मैंने फिर ट्रुथ लिया.

दीदी- तुम रोज रात को मेरी ब्रा पैंटी के साथ क्या करते हो?

मैं हक्का बक्का रह गया, पसीने छूट पड़े. फिर ख्याल आया कि जब उन्होंने इतनी हिम्मत करके पूछ लिया, तो मैं भी हिम्मत करके बता दूं.
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#19
मैं एक सांस में बोल पड़ा- आप बहुत सुंदर लगती हैं, वाकई हैं भी. मैं रात में मीनाक्षी से भले बात करता हूं, पर दिल दिमाग पर आप ही छाई रहती हैं. पता नहीं कौन सी डोर है, जो आपकी तरफ खींचती चली आई. मुझे माफ़ कर दीजिए, अब ऐसा नहीं होगा.
दीदी ने मेरी आंखों में झांकते हुए कहा- मैं तुम्हारी होना चाहती हूं.

इस बात ने सारा माहौल, सारे जज्बात पलट दिए. दोनों को न जाने क्या हुआ. कोई खबर ही नहीं थी. हम दोनों बेबाक हो गए, जज्बात खुल गए.

मैंने भी तुरंत बोल पड़ा- तो ट्रांसपेरेंट वाली ब्रा पहन कर दिखाओ.

वो हंसते हुए बदतमीज कहकर मेरे ऊपर कूद पड़ीं. मैं नीचे हो गया और वो मेरे ऊपर चढ़ गईं. दीदी ने तुरंत ही अपने होंठों की मधुशाला मेरे नशीले होंठों पर रख दी.

चूसना तो छोड़ो दोस्तो, हम दोनों एक दूसरे के लबों को काटने लगे थे. बेड पर पटका-झटकी शुरू हो गई. मेरे हाथ उनकी कमर में, उनके हाथ मेरे बालों में चलने लगे.

फिर मैं उनके ऊपर आ गया. होंठ चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से दीदी की दोनों चूचियों को मसलने लगा. बड़ी होने के कारण चूचियां हाथ में नहीं आ रही थीं, पर एकदम तन गई थीं.

टी-शर्ट के ऊपर से ही मैं उनकी एक पूरी चूची को काटने लगा. चूचुकों को दांतों से पकड़ कर खींचने लगा. मैं इस उत्तेजना भरे माहौल में कभी दीदी की गर्दन पर किस करता, तो कभी कंधे पर.

उस वक़्त हम दोनों में क्या केमिस्ट्री चल रही थी … हम दोनों को ही किसी बात का अहसास नहीं था.

मैंने अपना हाथ नीचे करके उनके लोअर को नीचे कर दिया और आंखें बन्द करके उनके होंठों की मधुशाला को पीता रहा.
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#20
उन्होंने भी मेरी पीठ से हाथ फेरते हुए मेरा निक्कर नीचे सरका दिया और अपनी टांगें को और चौड़ा लिया.

दीदी मेरा भरपूर साथ दे रही थीं. ना उन्होंने पूरी तरह से, ना मैंने उनके जिस्म का दीदार किया था … बस एक दूसरे में समाने की जल्दी मची थी.

अभी तक उन्होंने मेरा लंड नहीं देखा था, ना ही मैंने उनकी चूत देखी थी. बस सिस्टर Xxx चुदाई का भूत ऐसा सवार था कि कुछ मत पूछिए.

दीदी ने मेरा लंड पकड़ा और चुदाई द्वार पर लगा दिया. मैंने भी जोर लगाया, तो लंड का टोपा अन्दर घुसता चला गया. दीदी की चूत एकदम गीली और गर्म थी.

वो भी एक महीने से नहीं चुदी थीं … इसलिए दीदी की चूत एकदम टाइट थी.

दोनों को मीठा दर्द हुआ और दोनों की आह निकल गई. चुदाई के वक़्त औरत कहती है कि आराम से डालना, दर्द होगा.

पर दीदी बोलीं- दर्द की परवाह मत करना … एक साथ पूरा अन्दर डाल दो.

मैं कुछ नहीं बोला, बस दीदी की चुत में लंड घुसेड़ता चला गया. अब मैं धक्का मारने लगा, तो दीदी ने अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया.

उन्होंने पूरे जोर से मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरा पूरा लंड चूत में समाहित हो गया.

अब मैं उनके कंधों को पकड़ कर जोर से धक्का मारने लगा. दीदी बस मेरे होंठ काट रही थीं. हर धक्के के साथ उह उह आह की आवाज कमरे में गूंजने लगी. मैं आंखें बंद करके दीदी की चुत को पेलने में लगा हुआ था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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