04-07-2022, 02:02 PM
शादीशुदा दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest शादीशुदा दीदी
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04-07-2022, 02:02 PM
शादीशुदा दीदी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-07-2022, 02:02 PM
वैसे मुझे दीदी की चुदाई को बताने में झिझक हो रही थी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-07-2022, 02:03 PM
मेरी दीदी जो कि बड़े पापा(ताऊ जी) की लड़की थीं। उनका नाम सुनीता है (नाम बदला हुआ है), दीदी सरकारी कॉलेज में टीचर हैं, उनकी उम्र 32 वर्ष है और हाइट 5.2 फीट की ऊँचाई, रंग हल्का सांवला.. और मम्मे बड़े बड़े हैं।
दीदी के दो बच्चे हैं, दस साल की लड़की और सात साल का लड़का! मैं उन्हें चोदने के सपने देख-देख कर कई बार मुठ मार चुका हूँ.. पर मौका नहीं मिला। एक दिन वो अवसर मिल ही गया जिसका मुझे इन्तजार था। उस दिन दीदी का कॉलेज में प्रमोशन हुआ था.. जिसके लिए उन्हें शिक्षाधिकारी कार्यालय में उपस्थित होना था। दीदी और जीजा साथ में जा रहे थे.. तो जाने के दिन मैं घर में अकेला रह जाने वाला था। जीजाजी बोले- चलो यार शशि.. तुम भी हमारे साथ चलो.. वहाँ सब साथ में घूम भी लेंगे और तुम्हारा टाइम पास भी हो जाएगा। मैं बोला- चलो दो दिन से कारखाना बंद है.. तो घूमना भी हो जाएगा। यह कहकर मैं तैयार हो गया। उसके बाद हम बाईक में 3 घंटे में जिला शिक्षा कार्यालय पहुंच गए। वहाँ जाकर कर पता किया तो क्लर्क बोला- शाम को 3 बजे तक काम हो जाएगा। यह सुन कर हम लोग पास के गार्डन में घूमने चले गए। वहाँ जाकर देखा तो बहुत सारे जोड़े थे। मैं चूंकि अकेला था, यदि मैं दीदी जीजा के बीच में रहता तो उनका मजा बिगड़ जाता। मैं बोला- दीदी, आप लोग यहीं बैठ जाइए.. मैं उधर घूम लेता हूँ। जीजा जी बोले- जा यार.. आराम से आना। यह सुन कर दीदी बोलीं- वहाँ क्यों जाओगे.. यहीं रूक जा.. उधर जाकर लड़कियों के पीछे भागेगा.. लाइन मारेगा। मैं- नहीं दीदी.. मैं जरा टहल कर आ रहा हूँ। यह कह कर मैं चला गया। दो घंटे बाद आया तो 2 बज चुके थे, हम तीनों आफिस की तरफ चल दिए। आफिस में जाकर पता किया तो जिला शिक्षाधिकारी अचानक कहीं दौरे पर चले गए थे। बाबू से पूछने पर मालूम हुआ कि दीदी का काम कल हो पाएगा.. आज किसी भी कीमत में नहीं होगा। जीजाजी बोले- ओह्ह.. तो कल फिर आना पड़ेगा.. इससे अच्छा है कि शशि तुम अपने दीदी के साथ यहीं रूक जाओ, कल मुझे जरूरी काम है। दीदी ने भी कहा तो मैं तैयार हो गया, जीजाजी वहाँ से घर चले गए और हम होटल की ओर चल दिए। कुछ ही मिनट में हम लोग एक होटल में पहुँच गए। वहाँ सब रूम बुक थे.. मात्र एक कमरा खाली था.. जो सिंगल बेड था। मैं बोला- दीदी चलो दूसरे होटल में पता करेंगे। दीदी बोलीं- कोई बात नहीं भाई.. उसी कमरे में एडजस्ट हो जाएंगे। मैं भी राजी हो गया, कमरा बुक करके हम दोनों कमरे में चले गए। वहाँ जाकर मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम चला गया और फ्रेश होकर बाहर निकला, तो दीदी बाथरूम चली गईं, वहाँ से दीदी फ्रेश होकर बाहर आईं। उसके कुछ देर बाद पास के मॉल में हम लोग शापिंग करने चले गए। शापिंग करने के बाद खाना खाकर हम दोनों कमरे में आ गए। दीदी बोलीं- आज मैं बहुत थक गई हूँ। यह कह कर वे फर्श पर सोने के लिए चादर बिछाने लगीं। मैं बोला- बिस्तर पर ही सो जाओ दीदी.. आपको थकावट ज्यादा है। दीदी बोलीं- नहीं भाई मैं जमीन पर सो जाती हूँ। यह कह कर वे लेट गईं। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-07-2022, 02:03 PM
दीदी मेरी तरफ पीठ करके सोई थीं। उनकी मस्त गोरी मखमली पीठ.. जिस पर काले रंग की ब्रा और गुलाबी जालीदार ब्लाउज में वे मस्त माल दिख रही थीं।
उनको देख कर मेरा बुरा हाल था कि दीदी की चुत कब चोदने को मिले। लंड सहलाते और दीदी की चुत के बारे में सोचते हुए मैं भी सो गया। रात करीब 12 बजे नींद खुली.. तो देखा कि दीदी मेरे साथ बिस्तर पर आके सो गई थीं। फिर थोड़ी देर बाद दीदी ने अपना हाथ मेरे लोवर पर रख दिया, उन्होंने धीरे-धीरे मेरे लंड को पकड़ लिया। शायद दीदी ने मेरा लंड नींद में जीजाजी का लंड समझ कर पकड़ा था। इससे मेरा बुरा हाल हो गया था, मेरा लंड तन कर खड़ा था। अचानक दीदी की नींद खुल गई और उन्होंने मेरे लंड को छोड़ दिया, फिर दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो गईं। अब मैं हिम्मत करके धीरे-धीरे उनकी पीठ को छूने लगा और पीठ को किस करने लगा। दीदी की कोई प्रतिक्रिया न पाकर अपना हाथ उनके चूचों पर रख दिया। शायद दीदी सोई नहीं थीं.. वो सोने का नाटक कर रही थीं। मैं दीदी के मम्मों को दबाने लगा और उन्हें अपनी तरफ घुमा लिया, मैं दीदी के मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा। दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और हिलाने लगीं। फिर मैं उनके होंठों को किस करने लगा.. दीदी भी मेरा साथ देने लगी थीं। धीरे-धीरे मैंने उनकी साड़ी और ब्लाउज को निकाल कर फेंक दिया। अब मैं दीदी के मम्मों को ब्रा से बाहर निकाल कर चूसने लगा। उसके बाद मैंने दीदी की ब्रा और पेंटी को भी निकाल दिया और उनको एकदम नंगी कर दिया। दीदी की एकदम गोरी और चिकनी चुत.. और मस्तक साइज के चूचे थे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-07-2022, 02:03 PM
मैंने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिए और अपने खड़े लंड को दीदी के मुँह में डाल दिया। उम्म्ह… अहह… हय… याह… दीदी मेरे लंड को हिला-हिला कर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
मैं उनके मम्मों को जोर-जोर से दबा रहा दीदी के 38 इंच के गोल-मटोल मम्मों को दबाने में बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर बाद मेरा लंड रस सुनीता दीदी के मुँह में ही निकल गया, मेरे गर्म वीर्य से दीदी का मुँह पूरा भर गया, दीदी नंगी ही उठ कर बाथरूम में चली गईं। फिर मैं बिस्तर पर लेट गया, थोड़ी देर बाद दीदी बाथरूम से फ्रेश होकर आईं और उन्होंने कहा- तुम कैसे मेरे भाई हो.. यार अभी से सुस्त हो गए। यह कहकर दीदी मुझे किस करने लगीं। मैं उठ कर बाथरूम गया और फ्रेश होकर व अपने लंड को धोकर आ गया। अब मैं अपने लंड को फिर दीदी के मुँह में डाल दिया और मैं उनकी नंगी पीठ को सहलाने लगा। फिर दीदी ने मेरा लंड खड़ा कर दिया और बोलीं- अब मत तड़पाओ मेरे छोटे राजा.. आज अपनी दीदी की चुत को चोदकर मेरी वासना को बुझा दो। यह कहकर दीदी मेरे होंठों को किस करने लगीं। मैंने भी देर न करते हुए लंड का सुपारा दीदी की चुत में लगा दिया और चुत की दरार में रगड़ने लगा। साथ ही मैं दीदी के मम्मों को दबा रहा था। फिर मैंने एक तेज झटका लगा कर दीदी की चुत में धक्का मार दिया तो मेरा आधा लंड दीदी की नंगी चुत में घुस गया। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
04-07-2022, 02:04 PM
दीदी अचानक हुए हमले से जोर से चिल्ला पड़ीं- आह आह.. मर गई रे.. तेरा लंड बहुत बड़ा है.. धीरे कर।
मैंने झट से दीदी के होंठों को अपने होंठों में दबाते हुए एक और तगड़े धक्के के साथ उनकी चुत में लंड पूरा पेल दिया। दीदी की आंखों में आंसू आ गए और दर्द के मारे उनकी घुटी हुई चीख निकल गई। दीदी की चुत चुदी हुई थी और थोड़ी ढीली हो गई थी। मैं दीदी को चोदता हुआ बोला- साली रंडी कुतिया.. बड़ी ढीली चुत है तेरी.. मैं तुमको कब से चोदने के बारे में सोच सोच कर मुठ मार रहा था। मैंने दीदी की चुत में धक्के लगाना जारी रखा। दीदी बोलीं- आह्ह.. तुम्हारे जीजा मुझे रोज चोदते हैं तभी तो मेरी चुत इतनी ढीली है। यह कहकर वो अपने हाथ से मम्मों को दबा रही थीं। कुछ देर चोदने के बाद मैं बोला- दीदी मेरा निकलने वाला है। दीदी बोलीं- चुत में ही गिरा दो। मैंने अपना रस दीदी की चुत में ही छोड़ दिया। मेरा गर्म माल दीदी की चुत में भर कर बाहर बहने लगा। फिर मैं अपना लंड दीदी के मुँह में डाल कर लंड चुसाने लगा, लंड से रह-रह कर वीर्य निकल रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा सारा माल दीदी के मुँह में निकल गया। फिर हम दोनों ने बाथरूम में जाकर लंड और चुत को धोया और बिस्तर में आ गए। कुछ देर बाद मैं फिर से नंगी दीदी के ऊपर चढ़ गया। रात के 2 बज गए थे, दीदी ने कहा- अब बाद में कर लेना। मैं मान गया और हम दोनों की नींद आ गई। सुबह 5 बजे नींद खुली तो मैं दीदी की चुत को उंगली से खुजाने लगा। दीदी अभी नींद में थीं.. मैं दीदी की चुत में उंगली डालकर अन्दर-बाहर कर रहा था। इतने में दीदी जाग गईं। मैं उनके मम्मों को दबा रहा था और चुत चाट रहा था। दीदी की मस्त गुलाबी चुत को चूसने में मजा आ रहा था, मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उनकी चुत पर लंड टिका कर धक्काच मारा, एक ही बार में लंड पूरा चुत की जड़ में अन्दर चला गया। फिर मैं दीदी की जोरदार चुदाई करने लगा। कुछ देर की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैंने लंड का माल दीदी की चुत में भर दिया। हम दोनों कुछ देर बिस्तर पर यूं ही चिपके हुए लेटे रहे। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:12 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:15 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:20 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:22 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:26 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:29 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
05-07-2022, 11:34 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
21-09-2023, 02:51 PM
ok sir please
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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