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Incest शादीशुदा दुधारू बहन
#1
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शादीशुदा दुधारू बहन

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
सन 2014 की बात है. उस समय मैं स्कूल में पढ़ता था और जौनपुर में भैया और मां के साथ रहता था व उनके साथ वहीं रहकर पढ़ाई करता था.

फिर भैया ने इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया.
उसके बाद मैं और मेरी मां बड़ी मां के यहां पटना चले गए. मेरा पटना के ही एक स्कूल में एडमिशन हो गया था.

बड़ी मां का घर में कुल 3 ही कमरे थे. वहां मैं, मेरी मां, बड़ी मां, उनका बेटा और उनकी छोटी बेटी भी रहती थी. बड़ी मां के साथ में उनकी बड़ी बेटी दामाद भी रहते थे.

मेरी बड़ी दीदी गर्भ से थीं, बाद में उन्होंने को एक बेटी ने जन्म दिया था.

हम कुल मिलाकर उस घर में 9 सदस्य थे. मेरी कोई अपनी बहन नहीं थी … और हां मेरे बड़े पापा भी नहीं थे.

मैं अभी वहां बिल्कुल नया था. इससे पहले मैं बहुत कम उम्र में ही एक बार अपनी ताई जी के घर गया था.
मेरी बड़ी दीदी यानि जिनकी बच्ची थी, वो काफी खूबसूरत थीं और बहुत ही ज्यादा गोरी भी.

दीदी हमारे पूरे परिवार में सबसे ज्यादा गोरी थीं. छोटी दीदी भी बहुत सुंदर और आकर्षक थीं. उस समय उनकी उम्र 20 साल थी.

बड़ी दीदी की उम्र 25 साल थी. बड़ी दीदी के पति काफी सांवले थे, वो वहीं पटना में कोई जॉब करते थे.

मेरी बड़ी दीदी भी नर्स थीं. चूंकि जीजा जी और दीदी, दोनों का जॉब पटना में ही था, इसलिए वो दोनों बड़ी मम्मी के साथ ही रहते थे.
जॉब से पहले दीदी अपने ससुराल में रहती थीं.

मेरे लिए वहां का माहौल बिल्कुल ही नया था और इससे पहले मैं कभी बहनों के साथ नहीं रहा था.

मेरी छोटी दीदी मेरे से काफी फ्रेंडली थीं और बहुत अच्छी थीं. कुछ ही दिन में मैं छोटी दीदी के साथ घुल-मिल गया था.

वो मेरे से शुरूआत से ही बहुत खुली हुई थीं, कभी कभी वो अपना हाथ मेरे सीने पर रख देतीं.
मैं कुछ नहीं बोलता था क्योंकि मुझे लगता था कि वो बस फ़्रेंडली हो रही हैं.
पर मेरा लंड शांत नहीं रहता था और उनके स्पर्श से मेरे शरीर में एकदम से खून दौड़ जाता था.

कुछ ही दिनों मैं भी उनसे काफी अंतरंग हो चुका था. कभी कभी वो मेरे इतने नजदीक आ जाती थीं कि उनका कड़क और बड़ा चुचा मेरे से स्पर्श होने लगता.

हालांकि वो कभी मुझसे खुल कर कुछ नहीं बोलती थीं कि उनको मेरे लंड से चुदना है. पर मुझे लगता था कि उनकी मंशा कुछ ऐसी ही थी और सोचता रहता था कि दीदी न जाने चोदने के लिए कब बोलेंगी.

ऐसा ही चलता रहा और मैंने भी कुछ नहीं किया.

पर कसम से छोटी दीदी बहुत सुंदर थीं और उनका फिगर भी बड़े कमाल का था.
दीदी की शानदार गांड और टाइट बूब्स देख कर मेरा तो हमेशा ही मन करने लगता था उनकी चुदाई करने का, पर कुछ नहीं हो पाया.

मेरी बड़ी दीदी उतनी अच्छी दोस्त नहीं बनी थीं, पर वो छोटी दीदी से भी ज्यादा मस्त थीं.
उनके बूब्स भी काफी बड़े थे और गांड तो सच में जन्नत थी.

मेरी गारंटी है कि कोई भी बड़ी दीदी की गांड को एक बार बस देख भर ले, उसके लंड का माल वहीं गिर जाएगा.

कुछ दिनों बाद बड़ी दीदी भी मुझे बहुत पसंद आने लगी थीं; मैं उनसे बात भी करने लगा था.
धीरे धीरे बड़ी दीदी भी मुझे प्यार करने लगीं और हमारे बीच काफी मजाक होने लगा था.

बड़ी दीदी एकदम भरे हुए बदन की माल औरत थीं. वो ज्यादा मोटी भी नहीं थी, एकदम परफेक्ट शेप्ड बॉडी थी.

शायद वो मुझे पसंद करने लगी थीं, वो मजाक मस्ती के समय कभी कभी मेरा कभी हाथ पकड़ लेतीं और कभी कभी मैं भी अपना हाथ उनकी जांघ पर रखने लगता था.
वो मेरी इस हरकत से शायद काफी उत्तेजित हो जाती थीं और एक दो पल बाद ही मेरा हाथ अपनी जांघ से हटा देती थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
स समय उनकी नजरों में मुझे वासना के डोरे दिखने लगते थे, मगर वो कुछ कहती नहीं थीं.

हम दोनों के बीच काफी बार ऐसी बातें हो जाती थीं, जिससे मुझे लगने लगता था कि बड़ी दीदी के मन में सेक्स को लेकर कुछ चल रहा है.
मगर मैं अपनी तरफ से कुछ भी पहल करने में डरता था.

मैंने देखा था कि जीजा जी से बड़ी दीदी ज्यादा खुश नहीं रहती थीं.

कुछ दिन बाद जब दीदी की बच्ची पैदा हुई थी, तब से मुझे उनको चोदने का और मन करने लगा था. वो अपनी बच्ची को कई बार दूध पिलाते पिलाते अपने मम्मे खोलकर ही सो जाती थीं और उनके बड़े चूचे देखकर मेरे लंड में करंट दौड़ जाता था.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब तो शायद वो जानबूझ कर ही मेरे सामने ही अपने दूध खुला छोड़ देती थीं.

ये सब बातें मुझे कुछ इशारे से महसूस होते थे कि बड़ी दीदी भी मेरे लंड से चुदना चाहती हैं.

एक दो बार तो ऐसा हुआ कि दीदी मेरे पास आकर मेरे कंधे से अपने बूब्स सटाने लगती थीं और मेरी जांघ पर हाथ रख देती थीं.
या उसी समय अपनी बच्ची को दूध पिलाने लगती थीं और बेबी के निप्पल खींचने से मेरी तरफ देख कर आह कर उठती थीं.

वो कराहते हुए बेबी से कहती थीं- अरे खींच मत न … पी ले बस.

ये सब देख सुन कर मैंने एक दिन पूछ लिया- क्या हुआ दी?
तो दीदी फट से बोलीं- ये गुड़िया मेरे निप्पल खींचती है न … तो दर्द सा होने लगता है. ये नहीं कि चुपचाप दूध पी ले.

उनके मुँह से ये सब इतना खुला सुनकर अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.

फिर जब जीजाजी नाईट डयूटी में जाते थे तो मैं दीदी के कमरे में जाने लगा था.
उस समय तक सब सो जाते थे.
तब मैं दीदी के पास जाकर उनको चैक करता था … उनके मम्मे खुले पड़े रहते थे.

चार दिन लगातार जाने के बाद मेरा मन भी हुआ कि दीदी की चूची को छूकर देखूं.

उस रात मैंने धीरे से अपना हाथ दीदी के मम्मे से लगा कर उसे सहलाया तो मुझे बड़ा मजा आया.
दीदी भी बेसुध सो रही थीं.
मैंने उनके मम्मे को दबा कर देखा और बाहर आकर मुठ मार ली.

अगले दिन मैं फिर से दीदी के कमरे में गया तो देखा कि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी और उनका ब्लाउज पूरा खुला हुआ था.
दीदी के दोनों मम्मे खुले हुए थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैं दीदी के करीब गया और उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाया.
तभी मुझे न जाने क्या हुआ कि मैं उनकी चारपाई के नीचे बैठ गया.

मैंने एक पल दीदी के थन देखे और अपने होंठ उनके एक निप्पल से लगा दिए.

उनके जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई तो मैंने दीदी के ब्रेस्ट मिल्क को पीना शुरू कर दिया.

दीदी का ब्रेस्ट मिल्क मेरे मुँह में मजा देने लगा. मैं गर्मा गया तो मैंने दीदी के निप्पल को होंठों से दबा कर खींच दिया.

उसी समय वो जाग गईं और मुझे देखने लगीं.
मैं एकदम से काफी डर गया था.

लेकिन दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझसे लिपट गईं.
मैं हक्का बक्का था. बस अपनी दीदी के नंगे चूचों से चिपका पड़ा था.

कुछ देर तक हम दोनों वैसे ही लिपटे रहे. दोनों की सांसें काफी तेज हो गयी थीं.

दीदी अब गर्म हो रही थी, मेरा आधा शरीर उनके ऊपर था और आधा नीचे पलंग पर था.

फिर मैंने धीरे धीरे उनको चूमना शुरू किया. पहले माथे से शुरू कर, गाल और आंख पर आ गया.
मैं दीदी के कान की लौ को भी पी रहा था, साथ ही मेरा लंड दीदी की जांघ के ऊपर रगड़ रहा था.

अपने लंड को मैं दीदी की जांघ से कुछ जोर से रगड़ने लगा था.
इससे दीदी की सांसें और तेज होती जा रही थीं.

फिर मैंने उनके दोनों हाथ को अपने हाथों से जोर से दबाया और गले को चूसने लगा.

अब दीदी ने भी मुझे और अपनी तरफ खींच लिया और अपने होंठों से मेरे होंठों को खींचने लगीं.

मैं अपने कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था.
हम दोनों ने भरपूर किस किया और एक दूसरे के मुँह में जीभ डालकर एक दूसरे की लार को पिया.

दीदी एकदम कामुक हो गई थीं. शायद जीजा जी ने दीदी को काफी दिनों से चोदा ही नहीं था.

कुछ देर के बाद मैं नीचे को हो गया और ऊपर हाथ करके दीदी के मम्मों को कस कस कर ऐसे दबाने लगा मानो मैं कोई जानवर हूँ.

इस पर दीदी सीत्कार करती हुई बोलीं- आह राकेश … बहुत दर्द हो रहा है … थोड़ा धीरे धीरे दबाओ.
मैंने कहा- ओके.

उसके बाद मैं उनके निप्पल होंठों में दबा कर चूसने लगा और दीदी भी मस्ती से मेरे मुँह में अपना पूरा मम्मा दबा कर मुझे ब्रेस्ट मिल्क चुखाने लगीं.
दीदी का दूध मस्त लग रहा था.

मैंने दीदी की चूची पीते हुए ही अपना एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया और एक चूतड़ मसलते हुए दबाने लगा.

फिर मैं उनके दूसरे दूध को चूसने लगा. कसम से दीदी के चूचे बहुत बड़े और सॉफ्ट थे.

इसके बाद मैंने उनके पूरे कपड़े खोल कर हटा दिए.
मेरी बड़ी दीदी अब सिर्फ पैंटी में रह गई थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
शादीशुदा दुधारू बहन की चुत चुदाई 


ये सेक्स कहानी शत प्रतिशत सच है और मैं ही इसका मूल पात्र हूँ. ब्रेस्ट मिल्क सेक्स कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने अतीत के बारे में कुछ बता देता हूँ.

सन 2014 की बात है. उस समय मैं स्कूल में पढ़ता था और जौनपुर में भैया और मां के साथ रहता था व उनके साथ वहीं रहकर पढ़ाई करता था.

फिर भैया ने इंजीनियरिंग में एडमिशन ले लिया.
उसके बाद मैं और मेरी मां बड़ी मां के यहां पटना चले गए. मेरा पटना के ही एक स्कूल में एडमिशन हो गया था.

बड़ी मां का घर में कुल 3 ही कमरे थे. वहां मैं, मेरी मां, बड़ी मां, उनका बेटा और उनकी छोटी बेटी भी रहती थी. बड़ी मां के साथ में उनकी बड़ी बेटी दामाद भी रहते थे.

मेरी बड़ी दीदी गर्भ से थीं, बाद में उन्होंने को एक बेटी ने जन्म दिया था.

हम कुल मिलाकर उस घर में 9 सदस्य थे. मेरी कोई अपनी बहन नहीं थी … और हां मेरे बड़े पापा भी नहीं थे.

मैं अभी वहां बिल्कुल नया था. इससे पहले मैं बहुत कम उम्र में ही एक बार अपनी ताई जी के घर गया था.
मेरी बड़ी दीदी यानि जिनकी बच्ची थी, वो काफी खूबसूरत थीं और बहुत ही ज्यादा गोरी भी.

दीदी हमारे पूरे परिवार में सबसे ज्यादा गोरी थीं. छोटी दीदी भी बहुत सुंदर और आकर्षक थीं. उस समय उनकी उम्र 20 साल थी.

बड़ी दीदी की उम्र 25 साल थी. बड़ी दीदी के पति काफी सांवले थे, वो वहीं पटना में कोई जॉब करते थे.

मेरी बड़ी दीदी भी नर्स थीं. चूंकि जीजा जी और दीदी, दोनों का जॉब पटना में ही था, इसलिए वो दोनों बड़ी मम्मी के साथ ही रहते थे.
जॉब से पहले दीदी अपने ससुराल में रहती थीं.

मेरे लिए वहां का माहौल बिल्कुल ही नया था और इससे पहले मैं कभी बहनों के साथ नहीं रहा था.

मेरी छोटी दीदी मेरे से काफी फ्रेंडली थीं और बहुत अच्छी थीं. कुछ ही दिन में मैं छोटी दीदी के साथ घुल-मिल गया था.

वो मेरे से शुरूआत से ही बहुत खुली हुई थीं, कभी कभी वो अपना हाथ मेरे सीने पर रख देतीं.
मैं कुछ नहीं बोलता था क्योंकि मुझे लगता था कि वो बस फ़्रेंडली हो रही हैं.
पर मेरा लंड शांत नहीं रहता था और उनके स्पर्श से मेरे शरीर में एकदम से खून दौड़ जाता था.

कुछ ही दिनों मैं भी उनसे काफी अंतरंग हो चुका था. कभी कभी वो मेरे इतने नजदीक आ जाती थीं कि उनका कड़क और बड़ा चुचा मेरे से स्पर्श होने लगता.

हालांकि वो कभी मुझसे खुल कर कुछ नहीं बोलती थीं कि उनको मेरे लंड से चुदना है. पर मुझे लगता था कि उनकी मंशा कुछ ऐसी ही थी और सोचता रहता था कि दीदी न जाने चोदने के लिए कब बोलेंगी.

ऐसा ही चलता रहा और मैंने भी कुछ नहीं किया.

पर कसम से छोटी दीदी बहुत सुंदर थीं और उनका फिगर भी बड़े कमाल का था.
दीदी की शानदार गांड और टाइट बूब्स देख कर मेरा तो हमेशा ही मन करने लगता था उनकी चुदाई करने का, पर कुछ नहीं हो पाया.

मेरी बड़ी दीदी उतनी अच्छी दोस्त नहीं बनी थीं, पर वो छोटी दीदी से भी ज्यादा मस्त थीं.
उनके बूब्स भी काफी बड़े थे और गांड तो सच में जन्नत थी.

मेरी गारंटी है कि कोई भी बड़ी दीदी की गांड को एक बार बस देख भर ले, उसके लंड का माल वहीं गिर जाएगा.

कुछ दिनों बाद बड़ी दीदी भी मुझे बहुत पसंद आने लगी थीं; मैं उनसे बात भी करने लगा था.
धीरे धीरे बड़ी दीदी भी मुझे प्यार करने लगीं और हमारे बीच काफी मजाक होने लगा था.

बड़ी दीदी एकदम भरे हुए बदन की माल औरत थीं. वो ज्यादा मोटी भी नहीं थी, एकदम परफेक्ट शेप्ड बॉडी थी.

शायद वो मुझे पसंद करने लगी थीं, वो मजाक मस्ती के समय कभी कभी मेरा कभी हाथ पकड़ लेतीं और कभी कभी मैं भी अपना हाथ उनकी जांघ पर रखने लगता था.
वो मेरी इस हरकत से शायद काफी उत्तेजित हो जाती थीं और एक दो पल बाद ही मेरा हाथ अपनी जांघ से हटा देती थीं.

उस समय उनकी नजरों में मुझे वासना के डोरे दिखने लगते थे, मगर वो कुछ कहती नहीं थीं.

हम दोनों के बीच काफी बार ऐसी बातें हो जाती थीं, जिससे मुझे लगने लगता था कि बड़ी दीदी के मन में सेक्स को लेकर कुछ चल रहा है.
मगर मैं अपनी तरफ से कुछ भी पहल करने में डरता था.

मैंने देखा था कि जीजा जी से बड़ी दीदी ज्यादा खुश नहीं रहती थीं.

कुछ दिन बाद जब दीदी की बच्ची पैदा हुई थी, तब से मुझे उनको चोदने का और मन करने लगा था. वो अपनी बच्ची को कई बार दूध पिलाते पिलाते अपने मम्मे खोलकर ही सो जाती थीं और उनके बड़े चूचे देखकर मेरे लंड में करंट दौड़ जाता था.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
अब तो शायद वो जानबूझ कर ही मेरे सामने ही अपने दूध खुला छोड़ देती थीं.

ये सब बातें मुझे कुछ इशारे से महसूस होते थे कि बड़ी दीदी भी मेरे लंड से चुदना चाहती हैं.

एक दो बार तो ऐसा हुआ कि दीदी मेरे पास आकर मेरे कंधे से अपने बूब्स सटाने लगती थीं और मेरी जांघ पर हाथ रख देती थीं.
या उसी समय अपनी बच्ची को दूध पिलाने लगती थीं और बेबी के निप्पल खींचने से मेरी तरफ देख कर आह कर उठती थीं.

वो कराहते हुए बेबी से कहती थीं- अरे खींच मत न … पी ले बस.

ये सब देख सुन कर मैंने एक दिन पूछ लिया- क्या हुआ दी?
तो दीदी फट से बोलीं- ये गुड़िया मेरे निप्पल खींचती है न … तो दर्द सा होने लगता है. ये नहीं कि चुपचाप दूध पी ले.

उनके मुँह से ये सब इतना खुला सुनकर अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.

फिर जब जीजाजी नाईट डयूटी में जाते थे तो मैं दीदी के कमरे में जाने लगा था.
उस समय तक सब सो जाते थे.
तब मैं दीदी के पास जाकर उनको चैक करता था … उनके मम्मे खुले पड़े रहते थे.

चार दिन लगातार जाने के बाद मेरा मन भी हुआ कि दीदी की चूची को छूकर देखूं.

उस रात मैंने धीरे से अपना हाथ दीदी के मम्मे से लगा कर उसे सहलाया तो मुझे बड़ा मजा आया.
दीदी भी बेसुध सो रही थीं.
मैंने उनके मम्मे को दबा कर देखा और बाहर आकर मुठ मार ली.

अगले दिन मैं फिर से दीदी के कमरे में गया तो देखा कि दीदी ने आज ब्रा नहीं पहनी थी और उनका ब्लाउज पूरा खुला हुआ था.
दीदी के दोनों मम्मे खुले हुए थे.

मैं दीदी के करीब गया और उनके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाया.
तभी मुझे न जाने क्या हुआ कि मैं उनकी चारपाई के नीचे बैठ गया.

मैंने एक पल दीदी के थन देखे और अपने होंठ उनके एक निप्पल से लगा दिए.

उनके जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई तो मैंने दीदी के ब्रेस्ट मिल्क को पीना शुरू कर दिया.

दीदी का ब्रेस्ट मिल्क मेरे मुँह में मजा देने लगा. मैं गर्मा गया तो मैंने दीदी के निप्पल को होंठों से दबा कर खींच दिया.

उसी समय वो जाग गईं और मुझे देखने लगीं.
मैं एकदम से काफी डर गया था.

लेकिन दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझसे लिपट गईं.
मैं हक्का बक्का था. बस अपनी दीदी के नंगे चूचों से चिपका पड़ा था.

कुछ देर तक हम दोनों वैसे ही लिपटे रहे. दोनों की सांसें काफी तेज हो गयी थीं.

दीदी अब गर्म हो रही थी, मेरा आधा शरीर उनके ऊपर था और आधा नीचे पलंग पर था.

फिर मैंने धीरे धीरे उनको चूमना शुरू किया. पहले माथे से शुरू कर, गाल और आंख पर आ गया.
मैं दीदी के कान की लौ को भी पी रहा था, साथ ही मेरा लंड दीदी की जांघ के ऊपर रगड़ रहा था.

अपने लंड को मैं दीदी की जांघ से कुछ जोर से रगड़ने लगा था.
इससे दीदी की सांसें और तेज होती जा रही थीं.

फिर मैंने उनके दोनों हाथ को अपने हाथों से जोर से दबाया और गले को चूसने लगा.

अब दीदी ने भी मुझे और अपनी तरफ खींच लिया और अपने होंठों से मेरे होंठों को खींचने लगीं.

मैं अपने कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था.
हम दोनों ने भरपूर किस किया और एक दूसरे के मुँह में जीभ डालकर एक दूसरे की लार को पिया.

दीदी एकदम कामुक हो गई थीं. शायद जीजा जी ने दीदी को काफी दिनों से चोदा ही नहीं था.

कुछ देर के बाद मैं नीचे को हो गया और ऊपर हाथ करके दीदी के मम्मों को कस कस कर ऐसे दबाने लगा मानो मैं कोई जानवर हूँ.

इस पर दीदी सीत्कार करती हुई बोलीं- आह राकेश … बहुत दर्द हो रहा है … थोड़ा धीरे धीरे दबाओ.
मैंने कहा- ओके.

उसके बाद मैं उनके निप्पल होंठों में दबा कर चूसने लगा और दीदी भी मस्ती से मेरे मुँह में अपना पूरा मम्मा दबा कर मुझे ब्रेस्ट मिल्क चुखाने लगीं.
दीदी का दूध मस्त लग रहा था.

मैंने दीदी की चूची पीते हुए ही अपना एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया और एक चूतड़ मसलते हुए दबाने लगा.

फिर मैं उनके दूसरे दूध को चूसने लगा. कसम से दीदी के चूचे बहुत बड़े और सॉफ्ट थे.

इसके बाद मैंने उनके पूरे कपड़े खोल कर हटा दिए.
मेरी बड़ी दीदी अब सिर्फ पैंटी में रह गई थीं.

मैंने हाथ नीचे किया और दीदी की चूत को मसलने लगा; साथ ही मैं उनका एक दूध भी चूस रहा था.

दीदी ने भी अपनी टांगें खोल दी थीं और मैं उनकी चुत में उंगली चलाने लगा था.

मैंने कुछ ही देर में धीरे धीरे करके उनके शरीर का हर भाग चूस चूम लिया. जांघ पर जीभ फेरी और काटा भी. दीदी की नाभि में जीभ डालकर उसका रस पिया.

इधर दीदी भी अब मेरे लंड को मसल रही थीं.
वो मेरे कान में बोलीं- मुझे तेरा लंड मुँह में लेना है.
मैंने कहा- हां दीदी, चलो 69 में करते हैं.

दीदी ने हां कहा, तो मैं उनके ऊपर उल्टा लेट गया.
अब मैं दीदी की चुत के पास मुँह करके लेटा था और मेरा लंड दीदी के मुँह के पास था.

मैं दीदी की चूत चाटने लगा और पीने लगा. वो मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं.
उसके बाद मैं दीदी की चुत में उंगली करने के साथ उनकी रसीली चूत में अपनी जीभ भी घुसाने लगा.

उत्तेजना से दीदी का सीना पूरा ऊपर नीचे हो रहा था.

दीदी की चूत एकदम ऐसी साफ थी, जैसे पोर्नस्टार्स के छेद एकदम चिकने होते हैं.
उनकी चुत के ऊपर कुछ बाल एक त्रिभुज के आकार में उगे थे और वो भी छोटे छोटे ट्रिम किए हुए थे.

मैंने दीदी की टांगों में अपना सर घुसाया और उनकी गांड को भी चूसा.

तभी दीदी एकदम से गनगना उठीं और बोलीं- आह राकेश अब अन्दर डाल दो … प्लीज अपना लंड चुत में पेल दी. बहुत आग लग रही है.

मेरा लंड काफी बड़ा था. लगभग सात इंच का रहा होगा. मेरा लंड इस वक्त बहुत ही कड़क था.

मैंने चुदाई की पोजीशन ले ली और अपनी दीदी की चूत के अन्दर लंड को डाल दिया.
दीदी तो लंड लेते ही मानो आपे से बाहर हो गईं, वो दर्द से तड़फ उठीं और बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ने लगीं.

मैं समझ गया कि बेबी पैदा होने के बाद दीदी की चुत को लंड नहीं मिला है.

मैंने दीदी के दर्द की चिंता न करते हुए लंड को काफी तेजी से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं दीदी की चूत में लंड को जड़ तक पेलने लगा था.
उनके मुँह से आवाज़ न निकले … इसलिए मैंने अपने होंठों का ढक्कन दीदी के होंठों पर लगा दिया था.

कुछ ही पलों में दीदी की चुत ढीली हो गई और लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा, अब मेरी बड़ी दीदी भी लंड से चुदने के मजा लेने लगी थीं.

इसी समय मैंने अपने एक हाथ की दो उंगलियां उनकी गांड में डाल दीं.
दीदी अपनी गांड में उंगलियों का मजा लेने लगीं, मैं समझ गया कि दीदी के दोनों छेद चालू हैं.

काफी देर तक मेरे लंड से चुदने के बाद दीदी की चुत से माल गिरने लगा था.
मैं भी चरम पर आ गया था. मेरा माल भी दीदी की चुत के अन्दर ही गिर गया.

इसके कुछ देर बाद दीदी ने डॉगी स्टाइल से चुदवाया, गांड में भी लंड लिया.
उसके बाद दीदी ने मेरा लंड चूसा और काफी देर तक किस किए.

फिर मैं अपने कमरे जाकर सो गया लेकिन पूरी रात सो ही नहीं पाया.

उसके बाद हमने कई बार सेक्स किया और मैंने ब्रेस्ट मिल्क सेक्स का मजा लिया.
वो सब मैं आपको कभी बाद में बताऊंगा.

दीदी की चुदाई करते समय मुझे उनकी सबसे अच्छी बात लगी थी कि उनकी दूध से भरी चुचियां बड़ी मस्ती से दूध छोड़ती थीं और उनके शरीर से मादक महक मुझे जबरदस्त उत्तेजित कर देती थी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
Shy Shy Shy Shy
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#7
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
(04-07-2022, 01:53 PM)neerathemall Wrote:
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शादीशुदा दुधारू बहन


जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#11
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
ok sir please ask someone from this Mobil as it is
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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