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Incest बड़ी बहन को सेक्स के लिए पटाया
#1
बड़ी बहन को सेक्स के लिए पटाया

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
मेरी बहन मुझसे 2 साल बड़ी है. उसका नाम राइना है और वो दिखने में थोड़ी पतली है. पर बहुत ही खूबसूरत है. पहली नजर में कोई उसे देखे, तो उसे चोदने का मन बना ही लेगा. उसका फिगर मैं आप लोगों को बता देता हूँ, ताकि आप भी उसकी खूबसूरत जवानी की कल्पना करके अपना लंड हिला सकें.

मेरी बहन के चूचे 32 इंच के हैं पतली कमर 28 इंच की है और पिछवाड़े पर खुदा की नेमत है. उसकी गांड बड़ी ही उठी हुई पूरी 36 इंच की है. जब वो अपनी गांड मटका कर चलती है, तो बिजलियां गिराती है.

ये बात तब की है, जब मैं कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई कर रहा था और दीदी फाइनल ईयर में थीं. मेरे दिल में दीदी के लिए अभी तक कोई बुरा विचार नहीं आया था. साथ ही मैंने आज तक किसी भी लड़की के साथ सेक्स भी नहीं किया था. जब भी मेरा मन कामुक होता, तो बस अपने हाथ से ही लंड हिला कर मुठ मार लिया करता था.

एक दिन दीदी अपने कमरे में सो रही थीं और मेरी अम्मी उन्हें आवाज़ दे रही थीं. पर वो कुछ भी जवाब नहीं दे रही थीं.

तो अम्मी ने मुझे उसे बुलाने के लिए बोला. मैं उनके कमरे की तरफ गया. जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला, तो देखा कि उनकी कुर्ती थोड़ी सा ऊपर उठी हुई है, जिसकी वजह से उनकी कमर दिख रही थी. दीदी की एकदम चिकनी कमर मुझे दिखी, तो मेरा लंड खड़ा होना शुरू हो गया. उस समय मैं भूल गया था कि वो मेरी बहन है. मैंने उन्हें आवाज देकर जगाने की बजाए, उनकी कमर को छू लिया. उसे छूने के बाद मुझे बहुत मज़ा आने लगा. मैं अपना हाथ धीरे धीरे उनकी कमर पर घुमाने लगा. मुझे उनकी रेशम सी त्वचा पर हाथ फिराने में बहुत मज़ा आ रहा था.

तभी मुझे अम्मी ने आवाज दी और मैं डर गया. फिर मुझे बहुत बुरा लगा कि यार मैं अपनी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकता हूँ.

मुझे अपने आप पर बहुत ग़ुस्सा रहा था. पर मेरा मन उस रेशमी कमर के स्पर्श को भुला ही नहीं पा रहा था.

मैंने दीदी को हिला कर जगाया और उनसे कहा- अम्मी बुला रही हैं, उठ जाओ.

वो आंखें मीड़ते हुए उठीं और उन्होंने एक अंगड़ाई ली, मैं उनकी अंगड़ाई लेने की वजह से उनके तने हुए मम्मों को देख कर फिर से गरम होने लगा था. मैं फिर भूल गया था कि ये मेरी बहन है.

तभी दीदी की निगाहें मेरी नजरों से मिलीं और वो मुस्कुराते हुए बोलीं- क्या हुआ? ऐसे क्या देख रहा है?
मैं सकपका गया और बोला- क..कुछ नहीं दीदी.

बस इतना कह कर मैं उनके कमरे से बाहर आ गया. मेरी नजरों में दीदी की चिकनी कमर के बाद उनके तने हुए मम्मे ही घूम रहे थे.

इस घटना के बाद मेरे नजरिये में फर्क आने लगा था और अब मैं अपनी बहन की जवानी को छिप छिप कर निहारने की कोशिश करने लगा था. शायद मेरी बहन भी मेरी नजरों को पढ़ने लगी थीं.

कुछ दिन बाद मेरे एग्जाम शुरू होने वाले थे, तो मैंने दीदी को मुझे पढ़ाने के लिए बोला.

वो झट से रेडी हो गईं और मेरे रूम में आकर मुझे पढ़ाने लगीं.

मेरी दीदी मुझे उस दिन बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. मेरा ऐसा मन कर रहा था कि उन्हें अभी किस कर लूं.

मैंने जब से दीदी को छुआ था, तब से ही मैं उनका दीवाना हो गया था, पर मैं हमेशा अपने आपको रोक लेता. मेरे मन में उसी समय ये भी ख्याल आता कि ये तेरी बड़ी बहन है.. इसको लेकर सोचना पाप है.

उस दिन दीदी मुझे पढ़ाते पढ़ाते ही मेरे बेड पर सो गई थीं. मैंने उन्हें आवाज़ दी, पर वो गहरी नींद में सो गई थीं. तो मैंने उन्हें ठीक से मेरे बेड पर लेटा दिया. मैं फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा.
पढ़ाई करते करते मैं चित लेटी हुई अपनी दीदी को घूरने लगा. उनकी चूचियां उठ बैठ रही थीं. उनकी चुचियों का यूं उठना और गिरना मेरे लंड को खड़ा करने लगा. मैं उनके मम्मों के बारे में सोचने लगा.
मेरा मन कर रहा था कि अभी उठ कर जाऊं और दीदी के मम्मों को दबा दूँ. पर मैंने अपने आपको जैसे तैसे रोका.

कुछ देर बाद पता नहीं मुझे क्या हुआ कि मैंने अपनी किताबों को साइड में रख दिया और अपना लंड सहलाने लगा. मेरी वासना से भरी हुई निगाहों को गरम करने के लिए मेरे सामने मेरी बहन की चूचियां अपना जलवा बिखेर रही थीं.

फिर न जाने क्या हुआ कि धीरे धीरे मैं उनके करीब जाने लगा और उनके मम्मों पर अपना एक हाथ रख दिया. उन पर हाथ फेरने लगा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरी बहन के एकदम नर्म नर्म चूचे मुझे मक्खन सी फीलिंग दे रहे थे. मेरा लंड अकड़ा जा रहा था.

पर फिलहाल मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था कि कहीं अम्मी आ गईं, तो सब रायता फ़ैल जाएगा.

मैं झट से उधर से घूमा और अपने कमरे के बाथरूम में जाकर मुठ मारकर बाहर आ गया और बेड के नीचे ही सो गया. रात को किसी वक्त दीदी ने मुझे जगा कर बिस्तर पर सो जाने के लिए कहा और वो अपने कमरे में चली गईं.

अब मुझे दीदी के बारे में गलत ख्याल आने लगे थे. मैं दीदी को हवस की नज़रों से देखने लगा था.

वो जब भी रात को सो जातीं तो मैं उनके रूम में जाकर उनके मम्मों को दबाता और मुठ मार लेता.

कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा.

फिर एक दिन सुबह सुबह दीदी मेरे कमरे में आईं और बोलीं- मुझे बाहर जाना है.. तुम मुझे बाइक से छोड़ दो.
मैंने हामी भर दी और उन्हें चलने के लिए बोला.

तो वो बोलीं- मैं कपड़े बदल कर आती हूँ. फिर चलूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#3
वो अपने रूम में गई, तो मैं उनके पीछे जाकर उनके रूम के लॉक वाले सुराख में से उन्हें देखने लगा.

दीदी अपनी टी-शर्ट निकाल रही थीं. और अगले ही पल वो सिर्फ एक ब्रा में मुझे दिखने लगी थीं. उन्होंने सफेद रंग की ब्रा पहन रखी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#4
उसके बाद जैसे ही उन्होंने अपनी जींस उतारी, मैं एकदम दंग रह गया. जींस के नीचे उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी. उनकी चूत एकदम मेरे सामने थी. दीदी की नंगी चुत को देखते ही मैं पागल हो गया.

एकदम झांट साफ़ की हुई दीदी की मस्त गुलाबी चूत मेरे सामने थी.

जींस उतारने के बाद उन्होंने अपने पैर फैलाए और अपनी चुत में अपनी उंगली हल्के से डाली. फिर मुँह से एक चुदास भरी आंह … आह … की आवाज निकाली.

फिर चूत से उंगली निकाल कर उन्होंने उसे चूसा और अपनी चुत की मलाई का स्वाद लिया. फिर एक दो मिनट शीशे के सामने अपनी चुत को मटका कर देखा और दूसरी जींस पहन ली.

इसके बाद कुछ देर तक दीदी अपने मम्मों को दबाती रहीं और एक नई टी-शर्ट पहन ली. इसके बाद उन्होंने हल्का सा मेकअप किया और कमरे से बाहर आ गईं.

मुझे वो अपने रूम के बाहर देखकर एकदम हैरान हो गईं.
उन्होंने पूछा- तू यहां क्या कर रहा है?
तो मैं हड़बड़ा गया और बोला- मैं आपको देख रहा था.

उन्होंने थोड़ा गुस्से में बोला- क्या?
मैंने बोला- मेरा मतलब कि मैं आपको देखने के लिए आया था कि अब क्या देर है.
मेरी इस बात से वो रिलेक्स हुईं और बोलीं- ओके … चलो अब!

फिर मैंने अपनी बाइक निकाली और उनसे बैठने के लिए बोला.

वो बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठ गईं, जिससे उसके नरम नरम चूचे मेरी पीठ से रगड़ने लगे. मुझे मज़ा आने लगा.

तभी एक गड्डा आया, तो मैंने ब्रेक मारे. इससे मेरी दीदी की चूचियां मेरी पीठ से एकदम से रगड़ खा गईं और मैं आनन्द के सागर में गोते खाने लगा. अब मुझे समझ आ गया था कि दीदी की चूचियों का रगड़ सुख कैसे मिलेगा. अब कभी कभी मैं एकदम जोर से ब्रेक मारने लगा.

दो चार बार ऐसा हुआ तो दीदी बोलीं- कैसे बाइक चला रहा है? झटके लग रहे हैं. ठीक से चला ना!
उनकी बात सुनकर मैं डर गया और आराम से गाड़ी चलाने लगा.

फिर कुछ देर बाद मैंने दीदी को उनकी फ्रेंड के घर ड्राप किया, तो उन्होंने मुझे थैंक्यू कहा और बोला कि शाम को मैं फोन करूंगी तो तुम मुझे लेने आ जाना.

मैं ‘ठीक है’ बोल कर घर आ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
घर आते ही मैं कमरे में गया और पूरे कपड़े उतार कर शीशे के सामने नंगा खड़ा हो गया. अब मैं दीदी की चुत को याद करके और उनके मम्मों के बारे सोच कर एक बार मुठ मार ली.

मैं उन्हें चोदने के आईडिया सोचने लगा कि यार कैसे दीदी को चोदा जाए. चुदासी तो वो भी थीं क्योंकि उन्होंने खुद ही मेरे सामने अपनी चुत में उंगली की थी. हो सकता था कि दीदी मेरे साथ अपनी फ्रेंड के घर अपने किसी ब्वॉयफ्रेंड से मिलने आई हों.

इन सब बातों से मेरे लंड का तनाव बढ़ता ही जा रहा था और मुझे अब हर हाल में दीदी की चुत में अपना लंड पेलना ही था.

वैसे जब मैंने उनकी गुलाबी चुत देखी थी, तब मुझे ऐसा नहीं लगा था कि वो चुद चुकी हों.
खैर … मैं अपनी दीदी के बारे में इतना सब सोच कर एकदम कामुक हो गया था.

फिर मैंने एक प्लान बनाया और एक फेक फेसबुक आईडी बना ली. उसका नाम एक लड़की के नाम पर बना कर दीदी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी.

फिर अगली सुबह मैंने अपना लैपटॉप ओपन किया, तो देखा कि उन्होंने मेरी रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली थी और मैसेंजर पर हाय लिख कर भेजा हुआ था.

मैंने उन्हें लिखा- हैलो कैसी हैं आप … आपकी प्रोफाइल की फोटो बहुत सी हॉट है. क्या आपकी ये असली फोटो है? वगैरह वगैरह. मैंने उन्हें अपना फेक परिचय भी लिख दिया.

अभी मैं दीदी को मैसेज कर ही रहा था कि वो ऑनलाइन आ गईं. उन्होंने भी मुझे जबाव देते हुए अपने बारे में सब बताया.

अब दीदी से मेरी चैट होने लगी थी.

कुछ दिन बीतने के बाद मैंने उनसे पूछा- क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
उन्होंने कहा- नहीं है.
मैं खुश हो गया और पूछा- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
उन्होंने कहा- मेरी किस्मत में ही कहां कोई बॉयफ्रेंड है. जब कोई ब्वॉयफ्रेंड ही नहीं है तो सेक्स कैसे करूंगी. बस उंगली से काम चलाना पड़ता है.

मैं ये सुनकर और भी खुश हो गया.

उन्होंने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
मैंने कहा- हां किया है.. पर तुम्हें बताऊंगी तो पता नहीं तुम्हें कैसा लगेगा.
इस पर दीदी ने पूछा कि बताओ तो सही.
मैंने कहा कि मैं तो अपने भाई के साथ ही सेक्स करती हूं.

ये बात कहते समय मेरी थोड़ी गांड फट रही थी कि पता नहीं दीदी का क्या रिएक्शन होता है. मगर दीदी ने कुछ देर तक कोई जबाव नहीं दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
छ देर बाद दीदी का जबाव आया और उन्होंने कहा- पागल अपने भाई के साथ भला कौन सेक्स करता है? तुम पागल हो क्या?
मैंने बोला- इसमें कुछ गलत नहीं है और घर में ही सेक्स होता है, तो सुरक्षा भी रहती है. घर में ही मजे मिल जाते हैं. भाई भी खुश और मैं भी.

दीदी ने कहा- मुझे तुम्हारी बात सुनकर अजीब सा लग रहा है.
मैंने लिखा- कुछ अजीब नहीं होता यार! चूत और लंड की रिश्तेदारी सिर्फ चुदाई की होती है. तुम भी अपने भाई के साथ कोशिश करके देखो.

इस पर दीदी गुस्से से बोलीं कि हरगिज़ नहीं … ये पाप है.
मैंने कहा- बाहर करना क्या सही है?
वो बोलीं- फिर भी वो भाई है. मेरा उसके साथ सेक्स कैसे हो सकता है.

मैंने कहा- तुम अपने भाई को नोटिस करो कि क्या वो भी तुम्हें भी चुदाई की नज़र से देखता है या उसके मन भी तुम्हें लेकर कुछ नहीं है.

उसके बाद क्या था … दीदी भी सोच मैं पड़ गईं कि मैं उनके बारे में क्या सोचता हूं. शायद उन्हें मेरी निगाहें याद आने लगीं.

उस दिन दीदी ने ‘ओके देखती हूँ.’ कह कर चैट बंद कर दी.

फिर मैंने देखा कि दीदी मुझे देखने लगी थीं. मैं तो कब से उन्हें चोदने के लिए रेडी था.

अब दीदी मुझे देखतीं … और मैं भी उन्हें देखकर स्माइल दे देता. उनकी चूचियां देखता रहता, जिसे वो भी देख लेतीं.

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा. फिर दीदी ने एक दिन मेरी आईडी पर मैसेज किया- हां मेरा भाई मुझे अपनी बहन के जैसे ही देखता है.
मैंने कहा- उसके सामने अपने मम्मों को थोड़ा सा दिखा कर देखो और उसके साथ मस्ती करो.
उन्होंने कहा- कैसी मस्ती?
मैंने कहा- उसे एक निक नाम से बुलाओ. उसके सामने छोटे कपड़े पहन कर जाओ और भी बहुत कुछ इस तरह से करो कि वो गरम हो जाए.
इस पर उन्होंने ‘ओके करती हूँ.’ कह कर चैट बंद कर दी.

वो एक दिन तो नार्मल ही रहीं, पर दूसरे दिन बाद अचानक से वो एक बड़े गले की शर्ट पहन कर मेरे पास आईं और मेरे सामने झुक कर कुछ उठाने लगीं. जैसे ही मैंने उन्हें देखा, तो उनके मम्मों को देखता ही रह गया. उन्होंने अन्दर नारंगी रंग की ब्रा पहनी हुई थी.

मैंने अपनी नज़र तुरंत हटा ली. मगर इतने में ही दीदी ने मुझे नोटिस कर लिया था कि मैं उन्हें देख रहा हूँ.

दीदी के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी. वो मेरे साथ बैठ कर बातें करने लगीं.
बार बार वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर से ही अपनी चुस्त ब्रा को ठीक करने लगतीं, जो मेरे लंड को खड़ा करने पर मजबूर कर रहा था.

कुछ दिन तक ऐसा ही चलता रहा था.

एक दिन वो अपने रूम का दरवाजा खुला रख कर लेटी हुई थीं. तो मैंने सोचा कि शायद दीदी सो रही होंगी.
तो मैं उनके रूम में आ गया और उनके मम्मों पर हाथ रख दिया.
दीदी ने एकदम से दूसरी तरफ करवट ले ली. और मैं डर गया. मैं जल्दी से उनके रूम से बाहर आ गया.

फिर उस दिन मैं उनसे नज़र भी नहीं मिला पा रहा था. वो भी मुझसे ज़्यादा बात नहीं कर रही थीं.

मैं समझ गया कि वो उस समय जाग रही थीं और मेरे हाथों के स्पर्श को उन्होंने महसूस कर लिया था.

फिर मैं सोचने लगा कि यार अगर दीदी को बुरा लगा होता, तो वो मुझे उठकर थप्पड़ मार देतीं. पर उन्होंने ऐसा नहीं किया.

अब ये सोचते ही मैं थोड़ा रिलेक्स हो गया और दीदी से बात करने लगा.
दीदी भी मुझसे पहले के जैसे ही बात करने लगीं.

फिर अगले दिन दीदी शाम को मेरे रूम में झाड़ू लगा रही थीं. मैं जैसे ही अन्दर घुसा, तो अचानक से लाइट चली गई और मैं एकदम से दीदी के ऊपर गिर गया. इसी झटके में मैंने उनके मम्मों को बड़ी ज़ोर से पकड़ लिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#7
दीदी ने भी कुछ नहीं कहा. तो मैंने भी हिम्मत दिखाई और उनके मम्मों को पकड़ कर ही रखा.
मैं उन्हें मसलने भी लगा था. पर कुछ सेकंड में ही वो मुझसे अलग हो गईं.

दीदी ने कुछ नहीं कहा और बोलीं- ये लाइट को भी अभी जाना था.
मैंने कहा- मैं देखता हूं.

उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- कहां जा रहा है तू?
मैंने कहा- दीदी लाइट क्यों गई, देखने जा रहा हूँ.

उन्होंने कहा- मुझे अंधेरे से डर लगता है.
मैंने कहा- ठीक है मैं यहीं आपके पास रुक जाता हूं.

उनका हाथ पकड़ कर जैसे ही मैं बेड की तरफ़ हुआ, तो मैं जानबूझ कर गिर गया और दीदी मेरे ऊपर गिर गईं. दीदी गरम गरम सांसें छोड़ने लगीं, जिसके कारण मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और उन्हें लिप किस कर दिया.

उन्होंने मुझे थप्पड़ मार दिया और उठ गईं, पर वो बोली कुछ नहीं.

मैंने उन्हें सॉरी बोल दिया, पर उन्होंने रिप्लाई ही नहीं दिया. तभी एकदम से लाइट आ गई और वो अपने रूम में चली गईं.

फिर अगले दिन सुबह उनका लैपटॉप ओपन नहीं हो रहा था. शायद वो कल रात अचानक लाइट के जाने से कुछ गड़बड़ हो गया था.

उन्होंने मुझे उसे रिपेयर करने के लिए बोला. तो मैंने कहा- ठीक है दीदी.

मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और सॉरी बोला, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा- किस लिए?
मैंने कहा- कल रात जो हुआ, उसके लिए.

दीदी ने कुछ नहीं कहा और वहां से चली गईं.

तभी अम्मी मेरे पास आई, तो मेरी फट गई कि कहीं दीदी ने अम्मी को तो कुछ नहीं बता दिया है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#8
म्मी बोलीं- मैं आज शाम को आंटी के घर जा रही हूँ तुम घर पर ही रहना.
अम्मी की बात सुनकर मैं रिलेक्स हुआ और पूछा- अम्मी किस लिए?
तो उन्होंने कहा कि मुझे उनसे कुछ काम है. मैं परसों तक आऊंगी.

मैंने कहा- ठीक है. क्या दीदी भी आपके साथ जा रही हैं?
उन्होंने कहा- नहीं मैं अकेले ही जा रही हूँ और तुम घर पर ही रह कर अपनी बहन का ख्याल रखना.
मैंने कहा- ठीक है अम्मी.

वो अपने जाने की तैयारियां करने लगीं. फिर शाम को मैं उन्हें छोड़ने स्टेशन गया और ट्रेन में बैठा आया.

घर आकर मैंने दीदी से कहा- भूख लगी है.
उन्होंने कहा- मैंने खाना बना दिया है तू खा ले.
मैंने पूछा- क्या आपने खा लिया है?
उन्होंने कहा- मुझे अभी भूख नहीं है.

ये कह कर वो अपने रूम में चली गईं.

मैं उनके रूम में खाना लेकर गया और उन्हें खाने के लिए बोला, तो वो मना करने लगीं. पर मैंने उन्हें मना लिया और फिर से एक बार सॉरी बोला.

अब दीदी ने एक सेक्सी सी स्माइल दे दी और पूछा- क्या तेरी कोई जीएफ है?
मैंने नहीं कह दिया, तो वो मुस्कुरा दीं.
मैंने भी पूछ लिया- आपका कोई बीएफ है क्या?
इस पर उन्होंने भी ‘नहीं है.’ कह दिया.

फिर मैं थोड़ा सा दीदी के पास गया और बोला- दीदी आपसे एक बात पूछ सकता हूँ क्या?
उन्होंने बोला- हां पूछ ना!
मैंने कहा- क्या अपने कभी सेक्स किया है?

इस पर वो थोड़ा गुस्से से बोलीं- नहीं.. तू ये सब क्यों पूछ रहा है?
मैंने कहा- ऐसे ही दीदी.
उन्होंने कहा- क्या तूने किया है कभी?
मैंने भी कह दिया- नहीं दीदी मैंने आज तक किसी से सेक्स नहीं किया.

अब दीदी बोलीं- कभी मन नहीं किया क्या?
मैंने कहा- आप तो सब जानती हो ना दीदी कि लड़के बिना सेक्स के नहीं रह सकते.

इस पर वो थोड़ा शर्मा गईं और उन्होंने मेरा हाथ थोड़ा और ज़ोर से पकड़ लिया.
मैंने भी पूछ लिया- दी, आपका दिल नहीं करता क्या सेक्स के लिए?

इस पर उन्होंने सिर नीचे कर लिया और नजर उठा आकर मुझे देखने लगीं.

तभी मैंने उन्हें अपनी तरफ खींच लिया और उनके होंठों पर किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगीं.

बस फिर क्या था … हम दोनों भाई बहन वासना के सातवें आसमान पर पहुंच गए. मैंने दीदी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और वो मेरे लंड को पेन्ट के ऊपर से ही सहलाने लगीं.

फिर मैंने उनके सारे कपड़े निकाल कर फेंक दिए. मेरे सामने मेरी नंगी बहन खड़ी थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
आह … क्या बताऊं यार … दीदी बड़ी मस्त माल लग रही थीं. इसके बाद उन्होंने मेरे सारे कपड़ों को निकाल दिया.

जब मैं नंगा हुआ तो दीदी मेरे लंड को देखकर बोलीं- आह कितना बड़ा है तेरा?
मैं बोला- दीदी आपको ही सोच कर इतना बड़ा कर लिया है. आप चूसो न प्लीज़.

उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और कुल्फी की तरफ चूसने लगीं.
मैं अपनी बहन से अपना लंड चुसवा कर मस्ती से आवाजें निकालने लगा. साथ ही मैं दीदी के चुचों को भी मसलता जा रहा था.

लंड चुसवाते समय मेरे मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आह … हहहह … इस्स … दी चूसो बड़ा मजा आ रहा है.

कोई पांच मिनट तक मेरा लंड चूसने के बाद मैंने अपनी दीदी के मुँह में ही अपना पूरा रस निकाल दिया.

दीदी ने मेरे लंड का सारा माल पी लिया.

मैंने दीदी से पूछा- आप बड़ा मस्त चूसती हो. किधर से सीखा?
दीदी ने आंख मारते हुए कहा- सनी लियोनी को चूसते देखा था. उसी की ब्लू फिल्मों से सीखा है.

मैं हंस दिया और दीदी की चुम्मी ले ली.

इसके के बाद कुछ देर तक मैं दीदी के मम्मों को चूसता रहा. दीदी भी बड़े प्यार से अपने दूध खुद अपने हाथों से पकड़ कर मुझे पिलाती रहीं.

इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
दीदी बोलीं- मेरे राजा, अब तू जल्दी से इसे मेरी चूत में अपना लंड घुसा दे.

मैंने अपना लंड दीदी की चूत पर रखा और थोड़ा सा धक्का दे मारा.
तो दीदी चिल्लाने लगीं- आआह … मर गई … निकालो … दर्द हो रहा है अंशु.

मैंने लंड निकाल लिया और दीदी की चुत में क्रीम लगा दी. कुछ अपने लंड पर भी लगा ली. इसके बाद मैंने फिर से लंड सैट करके दीदी की चूत में घुसा दिया.

दीदी की फिर से चीख निकल गई और थोड़ा खून भी आने लगा. दीदी डर गईं और बोलीं- ये खून क्यों आ रहा है?
मैं बोला- मेरी जान तुम आज तक कुंवारी थीं न. इसलिए आ रहा है.

ये बोलकर मैंने एक जोरदार झटका दे मारा, तो दीदी बहुत बुरी तरह से चिल्ला उठीं और बोलीं- आह दर्द हो रहा है मेरे राजा … थोड़ा धीरे से डालो.

मैं एक दो झटके और मार कर रुक गया. फिर दीदी कमर हिला कर लंड एन्जॉय करने लगीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
pta lo
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
(04-07-2022, 01:33 PM)neerathemall Wrote:
.........................



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#13
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#17
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#18



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#19
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#20
pat gai
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