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Adultery तरक्की का सफ़र
#1
तरक्की का सफ़र


लेखक: राज अग्रवाल

CHAPTER 1

 भाग-1

मैंने बिस्तर पर करवट बदल कर खिड़की के बाहर झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे। मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला ली। रात भर की चुदाई से सिर एक दम भारी हो रहा था। एक कप स्ट्राँग कॉफी पीने की जबरदस्त इच्छा हो रही थी पर खुद बनाने की हिम्मत नहीं थी। ‘राज ऑफिस चल, कोई लड़की बना के पिला देगी’ मैंने खुद से कहा। घड़ी में देखा सुबह के सात बजे थे। काफी जल्दी थी, पर शायद कोई मेरी तरह जल्दी आ गया होगा।

मैं तैयार होकर ऑफिस पहुँचा। कंप्यूटर चालू करके मैं रिपोट्‌र्स पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि इन सात सालों में क्या से क्या हो गया। जब मैं पहली बार यहाँ इंटरव्यू के लिये आया था........

मेरा घर यहाँ से हज़ारों मील दूर नॉर्थ इंडिया में था। मेरे पिताजी श्री राजवीर चौधरी एक सादे से किसान थे। मेरी माताजी एक घरेलू औरत थी। मेरे पिताजी बहुत सख्त थे। मेरे दो बड़े भाई अजय २७, शशी २६, और मेरी दो छोटी बहनें अंजू २३, और मंजू २१, और मैं राज २४ इन चारों में तीसरे नंबर पर था। हम सब साथ-साथ ही रहते थे।

मैं पढ़ाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था पर हाँ मैं कंप्यूटर्स में एक्सपर्ट था। साथ ही मेरी मेमरी बहुत शार्प थी। इसलिये मैंने कंप्यूटर्स और फायनेन्स की परीक्षा दी और अच्छे मार्क्स से पास हो गया।  

मैंने अपनी नौकरी की एपलीकेशन मुंबई की एक इंटरनेशनल कंपनी में की थी और मुझे ईंटरव्यू के लिये बुलाया था। 

दो दिन का सफ़र तय करके मैं मुंबई के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उतरा। एक नये शहर में आकर अजीब सी खुशी लग रही थी। स्टेशन के पास ही एक सस्ते होटल में मुझे एक कमरा किराये पर मिल गया।

२७ की सुबह मैं अपने इकलौते सूट में मिस्टर महेश, जनरल मैनेजर (अकाऊँट्स और फायनेन्स) के सामने पेश हुआ। मिस्टर महेश, ४८ साल के इन्सान है, ५ फीट ११ की हाइट और बदन भी मजबूत था। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक परखने के बाद कहा, “अच्छा हुआ राज तुम टाईम पर आ गये। तुम्हें यहाँ काम करके मज़ा आयेगा। और मन लगा कर करोगे तो तरक्की के चाँस भी ज्यादा है। देखता हूँ एम-डी फ़्री हो तो तुम्हें उनसे मिलवा देता हूँ, नहीं तो दूसरे काम में मसरूफ हो जायेंगे।”

मिस्टर महेश ने फोन नंबर मिलाया, “सर! मैं महेश, अपने नये एकाऊँटेंट मिस्टर राज आ गये हैं, हाँ वही, क्या आप मिलना पसंद करेंगे?” मिस्टर महेश ने आगे कहा, “हाँ सर! हम आ रहे हैं।... चलो राज एम-डी से मिल लेते हैं।“

मिस्टर महेश के केबिन से निकल कर हम एम-डी के केबिन में आ गये। एम-डी का केबिन मेरे होटल के रूम से चार गुना बड़ा था। मिस्टर रजनीश जो कंपनी के एम-डी थे और कंपनी में एम-डी के नाम से पुकारे जाते थे, अपनी कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।

“वेलकम टू ऑर कंपनी राज, मुझे खुशी है कि तुमने ये जोब एक्सेप्ट कर लिया। हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है। मैं जानता हूँ कि हम तुम्हें ज्यादा वेतन नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जायेगी मिस्टर महेश की तरह। तुम्हारा पहला काम है कंपनी के अकाऊँट्स को कंप्यूटराइज़ करना, उसके लिये तुम्हारे पास तीन महीने का टाईम है। क्यों ठीक है ना?”

“सर! मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा”, मैंने जवाब दिया।

मिस्टर महेश बोले, “आओ तुम्हें तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ।”

हम अकाऊँट्स डिपार्टमेंट में आये। वहाँ तीन सुंदर औरतें थीं। मिस्टर महेश ने कहा, “लेडिज़ ये मिस्टर राज हमारे नये अकाऊँट्स हैड हैं। और राज इनसे मिलो... ये मिसेज नीता, मिसेज शबनम और ये मिसेज समीना।“ 

मेरी तीनों असिस्टेंट्स देखने में बहुत ही सुंदर थीं। मिसेज शबनम ४० साल की मैरिड महिला थी। उनके दो बच्चे, एक लड़का १६ और लड़की १५ साल की थी। उनके हसबैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे। 

मिसेज नीता, ३५ साल की शादी शुदा औरत थी। उनके भी दो बच्चे थे। उनके हसबैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समैन थे इसलिये अक्सर टूर पर ही रहते थे। नीता देखने में ज्यादा सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी-भरी थी... एकदम तरबूज़ की तरह।

मिसेज समीना सबसे छोटी और प्यारी थी। उसकी उम्र २७ साल की थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हसबैंड दुबई में सर्विस करते थे। उसकी काली-काली आँखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी।

हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गये थे और एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे थे। तीनों काम में काफी होशियार थी और इसलिये ही मैं अपना काम समय पर पूरा कर पाया। मैं अपनी रिपोर्ट लेकर एम-डी के केबिन में बढ़ा।

“सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है। हमारे सारे अकाऊँट्स कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं और आज तक अपडेट हैं”, मैंने कहा।

“शाबाश राज, तुमने वाकय अच्छा काम किया है। ये लो!” कहकर एम-डी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया।

“देख क्या रहे हो, ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ायी जा रही और प्रमोशन भी हो रही है, खुश हो ना?” एम-डी ने कहा।

“थैंक यू वेरी मच सर!” मैंने जवाब दिया।

“इस तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो”, कहकर एम-डी ने मेरी पीठ थपथपायी।

मैं काम में बिज़ी रहने लगा। होटल में रहते-रहते बोर होने लगा था, इसलिये मैं किराये पर मकान ढूँढ रहा था।

एक दिन नीता मुझसे बोली, “राज! मैंने सुना तुम मकान ढूँढ रहे हो।”

“हाँ ढूँढ तो रहा हूँ, होटल में रहकर बोर हो गया हूँ”, मैंने जवाब दिया।

“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो”, नीता ने कहा।


!!! क्रमशः !!!
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#2
तरक्की का सफ़र


लेखक: राज अग्रवाल

CHAPTER १

 भाग-2

“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो”, नीता ने कहा।

“अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा”, मैंने जवाब दिया।

“तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे”, नीता ने कहा।

“ठीक है”, मैंने जवाब दिया।

दूसरे दिन नीता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट २-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।

“थैंक यू नीता! तुम्हारा जवाब नहीं”, मैंने कहा।

“अरे थैंक यू की कोई बात नहीं... ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है.... एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।

ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। “ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?” मैंने पूछा।

“दो महीने का किराया एडवाँस”, उसने जवाब दिया।

“लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है”, मैंने जवाब दिया।

“कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा”, इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।

“नीता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे”, मैंने कहा।

“कुछ नहीं होगा राज, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ”, इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।

उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।

“अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?” उसने पूछा।

“कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।” मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ

“वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है... चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो”, इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।

मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया। 

“रुक जाओ राज, प्लीज़ रुको”, उसने कहा।

“क्या हुआ?” मैंने पूछा।

उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, “हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।”

मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।

“राज जरा धीरे-धीरे करो”, वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।

उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, “राज तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी... है ना?”

“हाँ!” मैंने कहा।

“कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे”, इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।

मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था।  इस कहानी के लेखक राज अग्रवाल है!

“ओह राज! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।” 

इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया

“राज इस बार धीरे-धीरे चोदो... इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।” उसने प्यार से कहा।

मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..

“ओहहहहह राज! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहहहह जोओओओओर से चोदो... हाँ तेज और तेज ऊऊऊहहहहहह”

“बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।

उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।

वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, “हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहहह चोदो राज और जोर से... आआहहहहहह... मेरा छूटने वाला है”, उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।

मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।

मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।

“ओह राज! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया... इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा... आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है”, वो बोली।

“क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?” मैंने पूछा।

 “चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं”, उसने कहा।

 करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।

“ओह राज तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गयी है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।” इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।

मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी... “ओह मा...आआआ...र डाला। राज जरा धीरे... तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।”

“अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा..., तुम डरो मत।” इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।

“हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहहहहह आआहहहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईईईईईईई”, उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।

वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली, “राज तुम बहुत अच्छे हो... ऑय लव यू।”  

“मुझे भी तुम पसंद हो नीता”, मैंने कहा।

!!! क्रमशः !!!
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#3
तरक्की का सफ़र


लेखक: राज अग्रवाल

CHAPTER १

 भाग-3

“मुझे भी तुम पसंद हो नीता”, मैंने कहा।

नीता ने बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने शुरू किये।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “थोड़ी देर और रुक जाओ ना, तुम्हें एक बार और चोदने का दिल कर रहा है।”

“नहीं राज, लेट हो रहा है। मुझे जाना होगा। घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। वादा करती हूँ डार्लिंग! वापस आऊँगी।” इतना कहकर वो चली गयी।

उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि पिताजी ठीक कहते थे कि मेहनत का फ़ल अच्छा होता है। तीन महीनों में ही मेरी सैलरी बढ़ गयी थी, तरक्की हो गयी, फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिये मिल गयी। मुझे अपनी तकदीर पे नाज़ हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मैं और मेहनत के साथ कम करूँगा।

अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा कि समीना अपनी सीट पर नहीं है।

“समीना कहाँ है?” मैंने शबनम और नीता से पूछा।

“लगता है वो मिस्टर महेश के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है।” शबनम ने हँसते हुए जवाब दिया।

लंच टाईम हो चुका था पर समीना अभी तक नहीं आयी थी। 

“राज चलो खाना शुरू करते हैं। समीना बाद में आकर हम लोगों को जॉयन कर सकती है”, नीता ने कहा।

“राज, तुम्हें वो फ्लैट कैसा लगा जो नीता तुम्हें दिखाने ले गयी थी?” शबनम ने पूछा।

“काफी अच्छा और बड़ा है। मैं तो नीता का शुक्र गुज़ार हूँ कि उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया वर्ना इतना अच्छा और सुंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता”, मैंने जवाब दिया।

पता नहीं क्यों शबनम शक भरी नज़रों से नीता को देख रही थी। मुझे ऐसे लगा कि उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है। शबनम कुछ बोली नहीं। फिर हम सब काम में बिज़ी हो गये।

नीता बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी और हम लोग जम कर चुदाई करने लगे। उसने किचन में खाना बनाने का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सिखाने लगी। वो मेरा बहुत ही खयाल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है।

एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे। वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने कि कोशिश कर रही थी। उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक बोली, “राज आज मेरी तुम गाँड मारो।”

ये सुन कर मैं चौंक कर बोला, “पागल हो तुम। तुम्हें क्या मैं होमो नज़र आता हूँ।”  

“अरे पागल गाँड मारने से कोई आदमी होमो थोड़ी हो जाता है। मानो मेरी बात... तुम्हें मज़ा आयेगा और रोज़ मेरी गाँड मारोगे”, उसने कहा। 

मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही। आखिर मैंने कहा कि “ठीक है! मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा... पर एक शर्त पर... अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा, ठीक है?”

उसने कहा “ठीक है! मुझे मंज़ूर है, तुम्हारे पास वेसलीन है?”

“क्यों वेसलीन का क्या करोगी?” मैंने पूछा।

“वेसलीन अपनी गाँड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी, जिससे मेरी गाँड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारा घोड़े जैसा लंड मेरी गाँड में घुसे तो मुझे दर्द ना हो”, उसने कहा।

मैं बाथरूम से वेसलीन ले आया। वेसलीन लेते ही उसने मुझे वेसलीन अपनी गाँड पर और खुद के लंड पर लगाने को कहा। मैंने अच्छी तरह से वेसलीन मल दी। वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा, “अब देर मत करो, मेरे पीछे आकर अपना मूसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गाँड में डाल दो।”

मैं उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रगड़ने लगा।

“ममममम... अच्छा लग रहा है राज, अब तड़पाओ नहीं... प्लीज़! जल्दी से डाल दो।” इतना कह कर वो आगे से अपनी चूत को मसलने लगी।

मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया। “ओहहहहहह राज! जरा धीरे डालो, दर्द होता है, थोड़ा सा प्यार से घुसेड़ो ना”, वो दर्द से करहाते हुए बोली।

मैं धीरे-धीरे उसकी गाँड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। किसी की गाँड मारने का मेरा पहला अनुभव था पर मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं जोर-जोर से अब उसकी गाँड मार रहा था। वो भी घोड़ी बनी हुई पूरा मज़ा ले रही थी, साथ ही अपनी चूत को अँगुली से चोद रही थी।

थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड की पिचकारी उसकी गाँड में कर दी। उसकी गाँड मेरे पानी से भर सी गयी थी और बूँदें ज़मीन पर चू रही थी।

मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर वो बोली, “कैसा लगा? अब कौन से छेद को चोदना चाहोगे?”

“गाँड को”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।

समय के साथ साथ नीता और मेरा रिश्ता बढ़ता गया। साथ-साथ ही शबनम का शक भी बढ़ रहा था।

एक दिन शाम को जब मैं नीता के कपड़े उतार रहा था तो उसी समय दरवाजे पर घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो शबनम को वहाँ पर खड़े पाया। मैंने उसे अंदर आने से रोकना चाहा पर वो मुझे धक्का देती हुई अंदर घुस गयी। जब उसने नीता को बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे देखा तो बोली, “अब समझी... तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है, तो मेरा शक सही निकला।”

शबनम को वहाँ देख कर नीता नाराज़ हो गयी, “तुम यहाँ पर क्यों आयी हो, हमारा मज़ा खराब करने?”

“अरे नहीं यार मैं मज़ा खराब करने नहीं बल्कि तुम लोगों का साथ देने और मज़ा लेने आयी हूँ।” ये कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।

शबनम का बदन देख कर लगता नहीं था कि वो ४० साल की है। उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी थी। निप्पल भी काले और दाना मोटा था। उसकी चूत पर हल्के से तराशे हुए बाल थे जो उसे और सुंदर बना रहे थे। उसका नंगा जिस्म और लंबी गोरी टाँगें और पैरों में गहरे ब्राऊन रंग के हाई हील के सैंडल देख कर ही मेरा लंड तन गया था।

“राज! आज इसकी चूत और गाँड इतनी जोर-जोर से चोदो कि इसे नानी याद आ जाये कि मोटे और तगड़े लंड से चुदाने से क्या होता है”, नीता ने कहा।

मैंने शबनम को बिस्तर पर लिटाकर उसकी टाँगों को घुटनों के बल मोड़ कर उसकी छाती पर रख दिया, और एक जबरदस्त झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।

“ओहहहहह..... राज.... तुम्हारा लंड कितना मोटा और लंबा है। मेरी चूत को कितना अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से चोदो, फाड़ डालो इसे”, वो मज़े लेते हुए बोल पड़ी।

मैंने अपना लंड बाहर खींचा और जोर के झटके से अंदर डाल दिया।  
 
“याआआआआआ हाँआँआँआँ ऐसे..... एएएएएए.... चोदो....ओओओ, जोर से”, उसके मुँह से सिसकरी भरी आवाज़ें निकल रही थी।

थोड़ी देर में वो भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरे धक्के से धक्का मिलाने लग गयी। उसकी साँसें मारे उन्माद के उखड़ रही थी। 

“ओहहहहहह राज...... जोरररररर...... से जल्दीईईईईईई जल्दीईईईईई डालो.... मेरा अब छूटने वाला है..ऐऐऐऐ। प्लीज़ जोर से चोदो...ओओओओ”, इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल पढ़ गयी।

मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और दो धक्के मार कर उसे कस कर अपने से लिपटा कर अपने पानी की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। लगा जैसे मेरा लंड उसकी बच्चे दानी से टकरा रहा था।

 !!! क्रमशः !!!
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#4
ये कहानी इस फ़ोरम ओर पहले ही पोस्ट हो चुकी है :

https://xossipy.com/thread-25582.html
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#5
ये कहानी इस फ़ोरम ओर पहले ही पोस्ट हो चुकी है :

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