Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 1 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest ठंड में भाई का लन्ड
#1
ठंड में भाई का लन्ड

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
[Image: Ladki-Ki-Chudai-Ki-Photos-XXX-Nangi-Imag...hoto-2.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#3
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही कोई भी नादानी हो ही जाती है और कुछ वैसी ही एक नादानी बचपन में अपने चचेरे भाई के साथ चुदाई होने से हो गई थी..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#4
सभी के ज़िन्दगी में कुछ ऐसे पल आते हैं जहाँ रिश्तों की मर्यादा टूट जाती है, मेरे साथ भी यही हुआ। मैंने रिश्तों की मर्यादा को तार तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, करती भी क्या, कुछ रास्ता भी नहीं था।


जवानी की दहलीज़ पे बड़ी सी बड़ी गलतियां आसानी से हो जाती है। मैं राजस्थान के सीकर जिले में रहती थी। मेरी उम्र उस समय 24 साल की थी, मैं अपने दादी के साथ रहती थी, क्योंकी मेरे पापा, माँ और भाई बहन सारे जयपुर में रहते थे।

मेरे अंकल का लड़का अजय भी यही सीकर में ही रहता था। अब क्यों की उसकी उम्र मेरे से
काफी छोटी थी, वो रोज मेरे घर आया करता है मेरे घर के बगल में उसका घर था। मैं खाना बनाती थी वो मेरे चूल्हे के पास ही बैठा रहता था।

मैं मोबाइल में गाना सुनती और वो गाने का विश्लेषण करता, वो मेरे से काफी हिला मिला
रहता था, मैं भी उसके साथ अपनी मन की बात को शेयर किया करती थी। मैं भरपूर जवानी की दहलीज़ पे थी, मेरी चूचियाँ भी काफी बड़ी बड़ी ब्रा से बांध के रखती, पर कमबख्त जवानी छलक ही जाती थी।

जब मैं चूल्हे को फूँक रही होती उस समय मेरी आधी चूचियाँ बाहर आ जाती और अजय मेरी चूचियों को देखकर मज़ा लेता, जब मैं मटक के आँगन में चलती तो वो मेरी चूतड़ को निहारते रहता, मुझे भी अच्छा लगता।

मेरी दादी शाम के करीब ७ बजे तक खाना खा के सो जाती थी, मैं फ़ोन पे गाने सुनकर करीब ९ बजे तक सोती, एक बार अजय रात को करीब ८ बजे आया और बैठ के अपनी एग्जाम के बारे में बातचीत करने लगा।

दादी घर के बाहर बंगले पे एक कमरा था वही सोती थी, गाँव में बिजली बड़ी मुस्किल से आती थी, सार काम लालटेन से ही होता था, हम दोनों बैठ के बात कर रहे थे, तभी जोर से आंधी चलने लगी, आँगन में पड़े सामान को मैं कमरे में रखने लगी, वो भी मेरी मदद कर रहा था।

और कुछ देर में बारिश होने लगी, मैं भीग गयी थी, मेरा कपड़ा मेरे बदन पे चिपक गया था। उस दिन मैं ढीला ढाला सूट पहन रखा था, ब्रा भी नहीं पहनी थी, भीगने की वजह से मेरे कपडे बदन में चिपक गए था, मेरी दोनों चूचियों साफ़ साफ़ दिखाई दे रही थी, मेरे गांड भी वैसे ही दिखाई दे रहे थे।

जब मैं लालटेन की रौशनी में आती मेरा भाई अजय भूखी निगाहों से मुझे देख रहा था, मैंने देखा की उसका लंड खड़ा हो रहा था उसने ट्रैक सूट पहन रखा था, मेरा भी मन डोल रहा था. पर रिश्तों की मर्यादा का भी ख्याल था, क्यों की वो मेरा चचेरा भाई था।

अचानक से अजय ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, उसके दोनों हाथ मेरे चुचों पे थे, वो कह रहा था, माफ़ करना दीदी अब बर्दाश्त के बाहर है, अगर मैं अपनी चुदास की भूख नहीं मिटाऊंगा तो मैं पागल हो जाऊंगा।
मैंने उसके दोनों हाथ को पकड़ के हटाने की कोशिश की पर वो जोर से पकड़ रखा था, मैंने कहा अजय ये गलत बात है मैं तुम्हारी दीदी हूँ तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते हमारा रिश्ता भाई बहन का है।

उस पर अजय बोला, मैं आपका भाई हूँ और रहूँगा भी हमेशा लेकिन ये किसी को भी पता नहीं चलेगा, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ, उसकी मजबूत बाहों ने मुझे भी पिघला दिया।

मुझे भी वो जकड़न अच्छा लगने लगा फिर मैं बड़े ही शांत स्वर में अजय से कहा, अजय पता है ये बात किसी को पता चल गया तो क्या हाल होगा।
अजय ने कहा माँ कसम दीदी मैं कभी भी किसी को नहीं बताऊंगा, मैंने कहा ठीक है, पर बस एक बार ही दूंगी, पहले प्रोमिस करो, अजय ने प्रोमिस किया की एक ही बार वो मुझे चोदेगा।

मैंने उसके तरफ घूम गयी, वो अब चूचियों को छोड़ कर मेरे बड़े बड़े चूतड़ को दोनों हाथ से दबा के अपने लंड के पास मेरे चूत से सटा लिया और धक्का मारने लगा, मैंने उसके होठ को
अपने होठ से चूमना शुरू कर दी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#5
आंधी तेज चल रही थी ठंड के मौसम में लंड का एहसास ,,आअह्ह्ह्ह्ह, मेरा शरीर गरम हो चुका था, मैं अजय का लंड मेरे भोसड़े में लेने के लिए काफी व्याकुल थी।

मैं चुदना चाह रही थी, तभी अजय ने मेरे ऊपर के गीले कपडो को उतार दिया, ओर मेरे बड़े बड़े चूचे उसके सामने जैसे ही आजाद हुए वो बच्चो की तरह पिने लगा।

मैंने पूछा अजय क्या मिल रहा है इसमें, इसमें से तो कुछ भी नहीं निकलेगा, अजय ने कहा दीदी जब लड़की की चूची को पियों को अमृत दूध से नहीं बूर से निकलने लगती है देखो हाथ लगा के अपनी चूत पे अमृत निकल रहा होगा।

मैंने अपने सलवार का नाड़ा ढीला किया और चूत पे हाथ लगा के देखा तो चूत गरम हो चुकी थी और लस लसीला पदार्थ निकल रहा था, मैंने कहा हाँ अजय सही कर रहे हो चूत से तो अमृत निकल रहा है पर तुम ऊपर क्या कर रहे हो पीना है तो अमृत पियो।

वो चूची को छोड़कर निचे बैठ गया और मैंने दोनों पैर फैला दिए बीच में आके मेरी चूत को चाटने लगा, मैं बैचेन होने लगी, मैं उसके बाल को पकड़ के उसका मुँह भोसड़े में सटाये जा रही थी, मैंने कहा बस अजय अब चोद दो मुझे।

पूरी कर लो अपनी हसरत, मैं तुम्हारी हूँ आज रात के लिए, जो मर्ज़ी कर लो मेरे साथ मैं तुम्हारी हूँ, डिअर, आई लव यू माय ब्रदर, उसने मुझे गोद में उठा लिया।

और पलंग पे लिटा दिया, मेरे भोसड़े में खुजली हो रही थी, लग रहा था, जल्दी से लोड़ा, भोसड़े में ले लू, तभी अजय मेरे पैर के पास बैठ गया मेरे दोनों पैर को फैला दिया और अपना लौड़ा, भोसड़े के ऊपर से गांड के छेद तक रगड़ा।

ऐसा उसने चार पांच बार किया मैं तो उसकी लंड की रगड़न से काफी परेशान हो रही थी, मुझे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था और अज्जु मजा लेने में लगा हूँआ था। अचानक उसने पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया।आआआआआःह्ह्ह्ह्ह्ह्हह्ह्ह।

बाहर निकाल इसको भोसडी के तेरी माँ को चोदु मादरचोद आआआअह्हह्हह्ह….मैं दर्द से कराह रही थी, उसका लंड मेरी चूत में सेट हो चुका था, मेरी आँख में आंसू आ गए थे क्यों
की ये मेरी पहली चुदाई थी।

उसने लण्ड को धीरे धीरे निकाला और फिर से एक झटका दिया, मैं तो पहले समझ रही थी उसका लंड पूरा चला गया पर मैं गलत थी उसका लंड आधा ही अंदर गया था, अब दो इंच और गया तीसरे झटके में पूरा लंड मेरी चूत से होते हूँए पेट तक जा रहा था।

दर्द का एहसास हो रहा था पर ये एहसास अच्छा था, फिर वो मुझे जोर जोर से चोदने लगा, मैंने भी गांड उठा उठा के चुदवा रही थी, कमरे में सिर्फ ऊऊऊऊआआःह्ह्ह्ह्ह्ह्..ठोक भेनचोद अपनी बहन को ले रंडी आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाके छोडूंगा.. तेज कर बहन के लोडे, जैसी आवाजे आ रही थी।

और कुछ अंतिम झटके मेरी चमचम चूत में उसका पानी निकलने के साथ लगे। फिर कई तरह से मुझे पूरी रात उछाल उछाल कर चोदा। मैंने पूछा तुम्हें इतने सारे पोज कैसे आते हैं, तो वो बोला हमलोग एडल्ट मूवी देखते है इसलिए मुझे पता है चुदाई का पोजीशन क्या होना चाहिए।

रात भर चोदने के बाद मेरा भोसड़ा सूज गया था दर्द के मारे चला नहीं जा रहा था सुबह के करीब चार बजे अजय वापस अपने बंगले में सोने चला गया और मैं भी सो गयी, उस रात का
चुदाई का एहसास गजब का था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#6
[Image: %25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258B%25E0%25A4...4%25BE.jpg]

भैया के लंड से तीन बार चुदी




जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#7
(26-05-2022, 05:30 PM)neerathemall Wrote:
[Image: %25E0%25A4%25A6%25E0%25A5%258B%25E0%25A4...4%25BE.jpg]

भैया के लंड से तीन बार चुदी




मनीष मुझसे बड़ा है और जॉब करता है. ये बात तब शुरू हुई थी जब मेरे भाई ने 4 साल पहले मेरे साथ ऐसी हरकत करना शुरू की थी जिसके बाद हम दोनों के बीच में सेक्स संबंध बन गये.

एक रात की बात है कि जब मैं सोकर उठी तो मेरे कपड़ों पर मुझे सुबह कुछ दाग जैसा दिखा.
वो कुछ सूखा पदार्थ लगा हुआ था. मुझे समझ नहीं आया.
मैंने सोचा कि शायद किचन से कुछ लग गया होगा.
फिर उसके दो दिन के बाद भी ऐसा ही हुआ. अब मैंने इस बात पर खास ध्यान देना शुरू कर दिया कि मेरे कपड़ों पर ये दाग कहां से आते हैं भला?
उस रात को मैं साफ कपड़े पहन कर सोई. मैंने किचन का काम भी निपटा लिया और उसके बाद मैं धुले हुए सफेद रंग के नाइट ड्रेस में सोई.
अगली सुबह जब उठी तो मेरी चूचियों पर वही दाग मिले.
अब मैंने सोच लिया कि मुझे पता करना पड़ेगा कि ऐसा कैसे हो रहा है.
फिर मैं रोज रात को जागने लगी. बस सोने का नाटक करती रहती.
दो-तीन रात ऐसे ही गुजार दी मैंने. उस दौरान मैं दिन में सोती और रात में जागती.
फिर एक रात की बात है कि करीब 1 बजे के आसपास मेरे रूम का दरवाजा खुला.
मैंने धीरे से आंख खोलकर देखा तो मनीष चुपके से मेरे रूम का दरवाजा बंद कर रहा था.
मेरी ओर उसकी पीठ थी तो मैंने तुरंत फिर से आंखें बंद कर लीं.
वैसे तो मुझे हल्की घबराहट हो रही थी क्योंकि मनीष कभी रात को मेरे पास नहीं आता था.
पर मैं चुपचाप लेटी रही.
थोड़ी देर के बाद मुझे आवाजें और सिसकारियां सुनाई देने लगीं.
फिर उसका एक हाथ मेरे बदन पर आ गया. वो मेरी चूचियों को हल्के से छूने लगा. मुझे करंट सा लग रहा था.
इससे पहले किसी लड़के ने मेरे बूब्स को टच भी नहीं किया था.
मेरी चूचियों को हल्की दबाने के बाद उसने मेरी जांघों पर हाथ फिराया और फिर मेरी चूत को भी छूने लगा.
वो मेरी चूत के होंठों पर उंगली फिरा रहा था और मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ रहा था.
सच बताऊं तो मेरा मन कर गया कि भाई मेरी चूत को पैंटी के अंदर हाथ देकर सहलाये.
पर वो ऊपर से ही चूत को सहलाता रहा और मुट्ठ मारता रहा.
उसके हाथ के आगे पीछे होने की हलचल का मुझे साफ पता लग रहा था.
फिर उसने हाथ हटा लिया और उसकी सिसकारियां थोड़ी तेज हो गयीं. फिर अचानक मेरी चूचियों पर कुछ गर्म गर्म सा लिक्विड आकर लगा.
मैं जान गयी कि भाई ने अपने लंड का पानी गिराया है.
अब मुझे सारी बात समझ में आ गयी कि रात को मेरे कपड़ों पर वो दाग कैसे आते थे.
इस बारे में मैंने किसी को कुछ नहीं बताया.
अब मैं भैया पर ध्यान देने लगी थी. मुझे उसको देखना अच्छा लगता था. वो भी जवान था और मैं भी.
मैं उसकी ओर आकर्षित हो रही थी. मगर मैं सीधे उसको नहीं बोल सकती थी.
दो दिन के बाद फिर से वही हुआ. मनीष मेरे रूम में आया और मेरी चूचियों को छेड़ने लगा.
फिर उस दिन उसने मेरी लोअर में हाथ डाला और मेरी पैंटी के ऊपर से चूत को छेड़ने लगा.
मैं भी गर्म होने लगी. भाई की उंगलियां मेरी चूत पर चल रही थीं.
मेरी सांसें भारी होने लगी. मगर मैं खुद को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही थी.
मनीष मेरी चूत को सहलाये जा रहा था और मुझे मजा आने लगा था.
फिर उसने अपना लंड निकाल लिया और उसको मेरे होंठों व चेहरे पर रगड़ने लगा.
उसके लंड की गंध मुझे साफ पता चल रही थी.
आज तक मैंने किसी लड़के का लंड ऐसे नहीं देखा था. देख तो उस दिन भी नहीं पा रही थी लेकिन चेहरे पर महसूस कर रही थी.
काफी देर तक वो मेरे चेहरे पर लंड को रगड़ता रहा. उसका लंड बहुत गर्म था और मुझे अपने गालों पर उसका लंड रगड़वाने में मजा आ रहा था.
फिर वो मुठ मारने लगा और उसने मेरे चेहरे पर माल गिरा दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#8
फिर वो चला गया. उसके जाने के बाद मैंने आंखें खोलीं और फिर खुद को आईने में देखा. मेरे गालों पर उसके लंड का माल लगा हुआ था. मैंने उसको हाथ से छुआ और फिर उंगलियों में मसल कर देखा.

मुझे बहुत अच्छा लगा. मेरी चूत में भी पानी आने लगा.
अब मेरा मन करने लगा कि काश ये लंड का माल मेरी चूत पर लगा होता और मैं उसको अपनी उंगली से अंदर करते हुए चूत को रगड़ती.
उसके बाद मैं चूत में उंगली करके सो गयी. मैं अब मनीष को चाहने लगी थी. मैं उसके साथ अब खुलकर मजा लेना चाहती थी.
अब कई बार मैं उसके सामने अपनी चूचियों को उभार कर रखती थी.
अपनी गांड को उसके सामने ज्यादा मटकाती थी.
वो भी मेरी ओर देखता था लेकिन चोरी चोरी देखा करता था. वो खुलकर शायद कुछ बोलना नहीं चाहता था.
अगले दिन मैं बाथरूम में नहाने गयी.
जब मैं नहाने के बाद अपनी पैंटी पहनने लगी तो मैंने उस पैंटी पर भी वैसे ही दाग देखे.
ये देखकर मैं गर्म हो गयी. ठीक चूत वाली जगह पर मनीष ने अपना माल छोड़ा हुआ था.
अब मैं जान गयी कि भैया भी मेरी चूत चोदना चाहता है. इसलिए मैं भी अब उससे खुलकर बात करने के मूड में आ गयी.
फिर मैंने शाम को उसे अपने रूम में बुलाया. मैंने कहा- आपसे एक जरूरी बात करनी है.
वो बोला- हां कहो?
मैंने कहा- आप मुझे पसंद करते हो क्या?
वो बोला- हां, तुम बहन हो मेरी, ये भी कोई पूछने की बात है क्या?
उससे मैं सीधे तौर पर पूछना चाहती थी.
मैंने बोला- मैं भाई-बहन वाले प्यार की बात नहीं कर रही.
मनीष- तो और कैसा प्यार होता है भाई-बहन के बीच?
मैंने कहा- भैया, आप बनो मत, मैं जानती हूं आप मेरे कपड़ों के साथ क्या करते हो. रात को भी मैं सब देख चुकी हूं.
ये सुनकर उसके चेहरे का रंग उड़ गया.
वो बहाने बनाने लगा और बोला- ये क्या कह रही है छोटी, कैसी बातें कर रही है तू?
उसको आईना दिखाने के लिए मैं अपनी पैंटी को निकाल लाई.
ये वहीं पैंटी थी जिस पर उसके लंड का माल लगा हुआ था.
पैंटी दिखाते हुए मैं बोली- ये देखो, मैं सब जानती हूं. आप रात को सोते हुए मेरे साथ यही करते हो.
वो बोला- देख छोटी, मैं तुझे पसंद करता हूं. मगर ये बात तू किसी को कहना मत. मुझसे गलती हो गयी. सॉरी.
मैं बोली- भैया, मैं भी आपको लाइक करने लगी हूं. आप सॉरी मत बोलो.
ये सुनकर उसने मुझे सीने से लगा लिया और मुझे किस करने लगा.
मैंने कहा- अभी नहीं, रात को आना. अभी तो पकड़े जायेंगे.
वो बोला- ठीक है, लेकिन मां को क्या कहोगी?
मैं- उनको मैं कुछ भी बहाना बना दूंगी. आप रात के लिए तैयार रहना.
फिर वो मुझे गाल पर किस करके चला गया.
मुझे बहुत अच्छा लगा.
आज रात को मैं भैया का लंड देखने वाली थी और उससे चुदने वाली थी.
रात का खाना होने के बाद सब लोग सोने लगे.
मैंने मां से कहा- मुझे रात में बहुत डरावने सपने आते हैं मां. फिर नींद खुलती है तो डर लगता है. भैया को बोलो न कि मेरे रूम में सो जाये?
वो बोली- तू ही पूछ ले. मैं क्या अलग से कहूंगी?
भैया और मेरे बीच में तो पहले से ही सब सेट हो चुका था. भैया ने तुरंत हां कर दी.
हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कराने लगे.
मां और पापा अपने रूम में जा चुके थे.
फिर मैं अपने रूम में चली गयी.
अंदर जाकर मैंने अपने कपड़े उतार दिये और केवल ब्रा और पैंटी में बैठ गयी. कुछ देर के बाद मनीष भी रूम में आ गया.
आते ही मनीष ने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया.
वो मुझे देखता ही रह गया और फिर मुझे गोद में उठा लिया. हम दोनों एक दूसरे को होंठों पर किस करने लगे.
उसके बाद उसने मुझे बेड पर लिटा दिया और अपने कपड़े़ खोलने लगा.
वो केवल अंडरवियर में आ गया और मेरे ऊपर आकर किस करने लगा.
मैं भी उसके होंठों को चूमने और चूसने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#9
फिर हम दोनों 10-15 मिनट तक किस ही करते रहे. उसके बाद उसने मेरी ब्रा को उतार फेंका और वो मेरी चूचियों को मुंह में लेकर पीने लगा.

मुझे बहुत मजा आने लगा. पहली बार मैंने किसी लड़के के मुंह का स्पर्श अपनी चूचियों पर करवाया था.
वो काफी देर तक मेरी चूचियों को पीता रहा.
फिर वो नीचे की ओर गया और उसने मेरी पैंटी खींचकर निकाल दी.
मेरी चूत पर हल्के बाल थे और वो गीली हो चुकी थी.
फिर मनीष मेरी चूत को चाटने लगा.
मैं मदहोश होने लगी. जल्दी ही मेरी चूत से बहुत सारा पानी निकल गया.
उसके बाद मैं ढीली पड़ गयी.
अब मनीष ने मुझे अपने ऊपर लिटाया और फिर से मेरे होंठों को चूमने लगा.
मैं अब कुछ देर उसके होंठों को चूमने के बाद उसके बदन को किस करने लगी.
किस करते हुए मैंने नीचे आ गयी. मैंने उसके लंड के पास किस किया तो मुझे लंड से अजीब सी गंध आई.
वो मुझे लंड चूसने के लिए कहने लगा लेकिन मेरा मन नहीं किया.
फिर मैं उसके लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.
उसकी जांघों पर मैंने अपनी गांड रख ली और लंड को चूत पर रगड़ने लगी.
वो सिसकारियां लेने लगा तो मैंने कहा- आवाज मत करो!
मगर उससे रहा नहीं जा रहा था.
उसने मुझे उठाया और फिर से नीचे लिटा लिया.
अब वो मेरी टांगों को खोलकर मेरे बीच में आ गया और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा.
मैं सिसकारियां लेने लगी.
फिर उसने लंड को चूत पर सेट कर दिया. उसने धक्का लगाया तो मेरी चीख निकली लेकिन उसने एकदम से मुंह पर हाथ रख दिया.
वो इशारे से बोला- श्श्श्श … घरवाले उठ जायेंगे.
इधर मेरी जान निकली जा रही थी.
वो फिर मेरे ऊपर ही लेट गया. मेरे होंठों को किस करने लगा.
मेरी चूत में दर्द हो रहा था. मैं छटपटाती रही.
वो लंड को चूत में डाले हुए लेटा रहा.
कुछ देर के बाद उसने लंड को थोड़ा धकेला तो मुझे फिर से दर्द हुआ.
मनीष मेरी चूचियों को सहलाता रहा. मुझे ऊपर तो मजा आ रहा था लेकिन नीचे चूत में ऐसा लग रहा था जैसे कोई छील रहा है.
उसने देखा तो मेरी चूत से खून निकल रहा था.
वो बोला- तेरी चूत की सील टूट गयी है.
मैं बोली- तो अब?
उसने कहा- अब क्या? ये पहली बार सेक्स करने में टूटती है. अब तू कुंवारी नहीं रही. तेरे भाई ने तेरी चूत का उद्घाटन कर दिया है.
ये सुनकर मैंने उसको गले से लगा लिया और फिर वो भी मुझे किस करने लगा.
कई मिनट तक हम किस करते रहे और फिर मेरी चूत का दर्द भी कम हो गया.
अब मेरा भाई मेरी चूत में धक्के देते हुए मुझे चोदने लगा. मेरी चूत में भैया का लंड पूरा फंसा हुआ लग रहा था.
मुझे अब मजा आने लगा था.
फिर वो स्पीड में चोदने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#10
थोड़ी देर में दोनों एक दूसरे की ओर धक्के लगाने लगे और सिसकारते हुए चुदाई का मजा लेने लगे.

मुझे मनीष के लंड से चुदते हुए अब बहुत मजा आ रहा था और मैं उसके लंड से चुदते हुए मदहोश होती जा रही थी.
फिर मेरी चूत का पानी निकल गया.
वो अब भी नहीं रुका और चोदता रहा.
अब रूम में पच-पच होने लगी.
मेरी चिकनी चूत बहुत आवाज कर रही थी. वो भी लगातार चोदे जा रहा था.
15 मिनट तक मनीष ने मेरी चूत को बहुत चोदा और फिर वो मेरी चूत में ही झड़ गया.
मैंने उसको गले से लगा लिया और मेरा भाई मेरी चूत में लंड को डाले हुए मेरे ऊपर ही लेट गया.
जब उसने चूत से लंड को बाहर निकाला तो मेरी चूत में से खून और वीर्य का द्रव बनकर निकल रहा था.
उसने मेरी चूत को साफ किया और उसके अंदर तक देखा.
चूत एकदम से लाल हो गयी थी. मैं पहली बार चुदी थी. मेरी चूत में बहुत जलन हो रही थी लेकिन भाई के लंड से चुदकर मुझे मजा भी बहुत मिला.
फिर हम बाथरूम में गये और उसने मेरी चूत को धोकर उसे साफ किया.
फिर हम लेट गये. मगर थोड़ी देर के बाद भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया और एक बार फिर से उसने मेरी चूत में लंड दे दिया.
इस बार उसने 20 मिनट तक चुदाई की और मेरी चूत का बाजा बजा दिया.
दूसरी बार भाई सेक्स के बाद मेरी चूत पूरी सूज गयी. वो एकदम फूल गयी.
उसके बाद मैं थककर सो गयी.
मगर सुबह होने से पहले मनीष ने एक बार फिर से मेरी चूत चोद डाली.
इस तरह से पहली चुदाई में मैं भैया के लंड से तीन बार चुदी. मुझे बहुत मजा आया लेकिन दर्द भी बहुत ज्यादा हुआ.
उस दिन के बाद से भैया और मेरी बीच चुदाई का ये सिलसिला अभी भी चला आ रहा है.
हम दोनों किसी तरह चुदाई का मौका निकाल लेते हैं. मैं भैया की रंडी बन चुकी हूं और उससे खूब चुदवाती हूं. उसके लंड को लेकर मुझे बहुत सुकून मिलता है.
भैया ने चोद चोद कर मेरी चूत को लंडखोर बना दिया है. मैं अब भैया के लंड से चुदे बिना नहीं रह पाती हूं. भैया भी मेरी चूत के लिए प्यासे रहते हैं.
कुछ दिन पहले ही मेरी शादी की बात फिक्स हो गयी है. मगर मैं अभी भी अपने भाई सेक्स का मजा लेती हूँ.
मैं अपने ससुराल जाने से पहले पूरा मजा लेना चाहती हूं. मैं भैया के बच्चे की मां बनना चाहती हूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#11
भी भी मैं रात को किसी तरह भैया के लंड को ले ही लेती हूं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#12
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)