03-02-2022, 10:20 AM
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Adultery मैली
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03-02-2022, 10:20 AM
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*Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
03-02-2022, 10:34 AM
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अध्याय १
“मैली, अरी ओ मैली” घर में कदम रखते हैं रखते हैं मेरी सासू माँ आलता देवी ने मुझे आवाज लगाई| वैसे तो मेरा नाम चमेली है लेकिन बचपन में मैं अपना नाम ठीक से नहीं बोल पाती थी, इसलिए मेरे मुंह से सिर्फ मेली ही निकलता था| उसी वजह से तब से लोग मुझे शायद प्यार से “मैली” कह कर ही घर में लगे| “यह तो रही मैं, सासु मैया, लो मैं आ गई” “अरी ओ मैली, आज तूने फिर से इतनी देर काहे लगा दी? देखकर का कितना काम पड़ा हुआ है, सुबह से लेकर अब तक मैं सिर्फ भात (चावल) ही बना पाई हूं... बाकी की रसोई कौन देखेगा?” “अब मैं क्या बताऊं सासू मैया| आज भी लाल बाबा के घर मांस पकाना पड़ा... उसके बाद उनका घर द्वार ठीक करके उसके बेटे को नहला दो लाकर उसके बालों में कंघी- चोटी करके बिस्तर लगा कर आते आते देर हो गई अब मैं क्या करूं?” “ठीक है, ठीक है वह सब मैं समझ सकती हूं| लेकिन थोड़ी बहुत कोशिश करके अगर तू थोड़ा जल्दी घर आ जाती तो अच्छा होता” (आलता देवी)
मैं मन ही मन सोचने लगी, मैं जल्दबाजी करूं तो कैसे करूं? लाल बाबा और उसका बेटा- लाडला दोनों ही मर्द है और मैं ठहरी एक अकेली जवान औरत... घर के सारे काम चूल्हा चौका वगैरा-वगैरा करने के बाद पारी पारी से मुझे उनके बिस्तरों में बदन पसारना पड़ता है तो क्या देर नहीं होगी? सच कहूं तो मैं कभी कबार सोचने लगती हूं, मेरी जिंदगी का यह पढ़ाओ न जाने कहां से शुरू हुई और न जाने कहां जाकर खत्म होगी| मुझे याद है कि मेरे माँ बाप ने बहुत ही कम उम्र में मेरी शादी करवा दी थी| इसकी सबसे बड़ी वजह थी हमारे अड़ौसी पड़ोसी; जितने मुंह उतनी बातें लेकिन सब का यही कहना था कि उम्र के हिसाब से मेरे शरीर का विकास और सुंदरता में निखार कुछ ज्यादा ही तेजी से हो रहा था... मेरे लंबे लंबे बाल घुंघराले काले बाल, बड़े-बड़े सुडौल स्तन और मांसल कूल्हों पर मर्द तो दूर औरतों की भी नजर पड़ती थी और उन सब के हिसाब सेवक्त से पहले ही मैं जवान लगने लगी थी| शायद इसीलिए मेरे माँ बाप ने जल्द ही मेरी शादी करवा दी है| बहुत कम उम्र में मेरी शादी तो हो गई, लेकिन उस हिसाब से ज्यादा दिनों तक मुझे अपने पति का साथ नहीं मिला| मेरे पति शहर में एक जूट मिल में काम किया करते थे| वहां न जाने किस बात को लेकर झंझट शुरू हुआ, बात तोड़फोड़ और मारपीट तक आ पहुंची... उसके बाद थाना सिक्युरिटी - कोर्ट कचहरी का झमेला कुछ महीनों तक चलता रहा... और बदकिस्मती से मेरे पति को दस साल से ज्यादा की सजा हो गई| शादी के बाद लड़की का घर आंगन उसका ससुराल ही होता है इसलिए मुझे मजबूरी में ही सही अपनी विधवा सासु माँ के गांव के घर में ही पनाह लेनी पड़ी| इस गांव का नाम था “खाली गांव”| पर इस गांव में खासियत थी, यहां कई सारे पुराने मंदिर, मस्जिद और मकबरे थे जिसकी वजह से यहां सैलानियों और भक्तों का आना जाना लगा रहता था| और अगर देखा जाए तो मेरे पति है तो जेल में थे इसलिए उनके लिए तो खाने-पीने और रहने की कोई परेशानी नहीं थी लेकिन गांव के इस घर में मेरी और मेरी सासू माँ के लिए आमदनी का जरिया सिर्फ उनकी फूलों फूलों की दुकान थी| लेकिन दुकान से जो आमदनी होती थी घटती बढ़ती रहती थी और धंधे में तो कभी कबार नफा नुकसान होता ही रहता है... इसलिए घर में ज्यादातर तंगी ही बनी रहती थी| गांव के बाजार में जहां हमारी दुकान थी उससे कुछ ही दूर है एक कब्रिस्तान था| उसके उसके पास में ही लाल बाबा का घर था| लाल बाबा जादू टोना, जंतर मंतर, टोना टोटका ताबीज करके लोगों की बरकत किया करते थे और उनका आना-जाना हमारी दुकान में लगा ही रहता था| (लाल बाबा)
सासू माँ के साथ-साथ में भी उनकी दुकान में बैठा करती थी, इसलिए लाल बाबा ने मुझे तो देख ही लिया था| मेरी आने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने मेरी सासू माँ से कहा कि उनका घर संभालने, चूल्हा चौका, झाड़ू पोछा वगैरा-वगैरा करने और उनकी बेटी की देखभाल करने के लिए उन्हें एक औरत की जरूरत है जिसके बदले वह महीने के महीने अच्छी तनख्वाह देने के लिए भी राजी थे| यह हमारे लिए बहुत अच्छा था मौका था इसलिए हम लोग एकदम राजी हो गए| लाल बाबा के घर सिर्फ वह और उनका इक्कीस - बाईस साल का बेटा रहता था... उनके बेटे का नाम था लाडला| इसका कारण भी मुझे बहुत जल्दी ही समझ में आ गया| वैसे तो वह लड़का- लाडला; इक्कीस - बाईस साल का था लेकिन उम्र के हिसाब से उसकी बढ़ोतरी नहीं हुई थी और वह दिखने में एकदम दुबला पतला और छोटे कद का था| बचपन में ही उसकी माँ- यानी कि लाल बाबा की बीवी- गुजर गई थी और तब से उसकी आदत ही कुछ अजीब सी हो गई थी| उसने बचपन से अपने बाल नहीं कटवाए थे, फिलहाल उसके बाद उसके कमर तक लंबे हो गए थे और उसके अंदर एक अजीब सा बचपना और उसकी आदतें और बर्ताव बिल्कुल लड़कियों जैसी थी| (लाडला)
“अच्छा अब वह खड़ी खड़ी सोच के आ रही है, मैली?” सासू मा आलता देवी की आवाज सुनकर मेरे ख्यालों में खोई हुई थी उससे बाहर आई और फिर मैंने उनको सब कुछ खुलकर कर बता दिया, “ अब मैं क्या बोलूं सासु मैया; उनके घर में उनकी करीबी एक मैं ही तो हूं अकेली औरत और उसके ऊपर वह लोग जात और धर्म में परे मलेछ (दूसरे धर्म के) हैं... और उसके बाद लाल बाबा के कहने पर जब आपने भी इजाजत दे दी तब से तो मैं नंगी होकर के उनके बिस्तर पर अपना पतन पसार के टांगे फैलाने लगी... वह तो अपनी है मनमर्जी के हिसाब से मेरी जवानी से अपने हवस की प्यास को बुझाते रहते हैं और आपको तो पता है कि उनकी देखा देखी उनका बेटा लाडला भी यह सब सी क्या है और आजकल वह भी मुझे अपने बिस्तर पर लेटा करके मेरे बदन पर चढ़ जाता है... अब आप ही बताइए मेरे पास तो एक ही फुद्दी (योनि) है... और वहां उनके दो- दो खंभे (लिंग) इसलिए देर हो गई... और आपको तो पता ही होगा- वह लोग दोनों के दोनों मलेछ (गैर मजहबी) है, इसलिए वह दोनों के दोनों काफी देर तक ठुकाई (मैथुन) करने के काबिल है” मेरी यह बातें सुनकर सासू माँ आलता देवी भी यादों में खो गई, उन्होंने मुझसे अपनी निगाहें हटाकर बाहर के खालीपन को देखते हुए भूलने लगी, “मुझे आज भी वह दिन अच्छी तरह याद है, पौ फटते ही तू नहा धोकर पेड़ के नीचे बैठकर लाल जवा फूलों की मला गूंथ रही थी... तेरा बदन अध गीला था तेरे लंबे लंबे काले घुंघराले बाल तभी भी गीले थे और तूने सिर्फ एक साड़ी पहन रखी थी वह भी भीगी हुई थी... साड़ी पहनने के बावजूद तेरा बदन ढके रहने के मुकाबले ज्यादा खुला खुला सा लग रहा था और क्योंकि साड़ी तेरे को तन से बिल्कुल चिपकी हुई थी तेरे बदन हर घुमाओ और उभार साफ झलक रहा था… ऐसी अध नंगी हालत में तू बहुत खूबसूरत लग रही थी और यह संयोग की बात है के लाल बाबा उसी वक्त हमारे घर आ गए| उन्हें उस दिन ताजे फूल और फलों की जरूरत नहीं| हालांकि वो मुझसे सौदा कर रहे थे लेकिन मैं तभी यह भांप गई थी कि उनकी नजरें तुझ पर ही गढ़ी हुई हैं| क्योंकि वह तुझे बार-बार देखकर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को सहला रहे थे... और फिर उन्होंने कहा कि घर के कामकाज करने के लिए उन्हें एक औरत की जरूरत है जो कि उनकी बेटी की भी देखभाल कर सके| मैं एक बार में ही राजी हो गई| जिस दिन से तुझे उनके घर काम शुरू करना था, उससे पहले दो तीन बार लाल बाबा हमारे घर आए थे| मैं जानती थी कि वह सौदा करने नहीं सिर्फ तुझे देखने के लिए आते थे और मैं जानती थी कि उनकी नजर तुझ पर पड़ चुकी है और यह गौर करने वाली बात है कि बचपन से ही उन लोगों के अंगों के सिरों की चमड़ी का टांका छिला हुआ रहता है... इसलिए उनके बदन में शायद हवस की गर्मी कुछ ज्यादा ही पैदा होती है... इसलिए वह जब भी हमारे घर आते मैंने तुझे हिदायत दे रखी थी कि जब भी तो उनके सामने जाएगी इस बात का ध्यान रखना कि तेरे बाल बिल्कुल खुली होनी चाहिए हाथ में चूड़ियां नहीं होनी चाहिए और मांग में सिंदूर भी नहीं यहां तक की मैंने तुझे ब्लाउज पहनने के लिए भी मना कर रखा था... क्योंकि मैं जानती थी कि ऐसी वेशभूषा में तू बिल्कुल एक कुंवारी कच्छी कली जैसी लगेगी और इसके साथ ही है उनको और ज्यादा लुभाएगी... और वैसे भी सोचने वाली बात यह है कि तू अगर किसी पराए मर्द के घर जाकर उसके बिस्तर पर अपना बदन पसारे की तो परिवार में दो-चार पैसों की आमदनी ज्यादा होगी और वैसे भी है तो अभी जवान है सुंदर है अकेले-अकेले इस तरह से पड़े रहना तेरे लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है... तू जैसे जवान और कब से लड़की अगर थोड़ा बहुत लेचारी कर भी लोगी तो क्या फर्क पड़ता है?” लेचारी- हमारे गांव में ज्यादा से ज्यादा परिवार में शादीशुदा मर्द काम के सिलसिले में बाहर ही रहते हैं, इसकी बदौलत अच्छे-अच्छे घरों की लड़कियां, बहुएं या फिर औरतें अक्सर दूसरे मर्दो के साथ संबंध बना लेती हैं... भले ही यह व्यभिचार हो लेकिन इस प्रथा को चुपके चुपके हमारे समाज में स्वीकृति भी दी गई है... और मेरे पति तो वैसे भी जेल में है| फिर सासू माँ आलता देवी ने मुझसे पूछा, “अच्छा एक बात बता मैली, लाल बाबा का बेटा लाडला कब से तेरे बदन पर चढ़ने लगा? मुझे शक तो बहुत पहले से ही हो गया था मैं काफी दिनों से सोच रही थी कि मैं तुझ से पूछूंगी उसके बारे में लेकिन मुझे मौका ही नहीं मिला आज जरा खुल कर बताइए कि मुझे?” क्रमशः New Hindi Story : मैली *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
03-02-2022, 10:58 AM
अध्याय २
अब मैं क्या छुपायुं आपसे सासु मैया? आप तो सब कुछ जानती हो| जिस दिन लाल बाबा ने मुझे पहली बार देखा था तो मुझे भी इस बात का एहसास हो गया था कि उनकी नजर मुझ पर पड़ चुकी है और उस दिन वो जब हमारे घर सुबह-सुबह आए थे, मेरे बदन पर उनकी पढ़ती नजरों को शायद मैं महसूस कर रही थी... इसलिए मैंने जल्दी-जल्दी जब अपनी साड़ी को ठीक करने के बाद अपने बालों को समेटकर जुड़े में बात नहीं गई; तो आपने कहा- 'मैली... मैली... मैली... अपने बालों को खुला ही छोड़ दे गीले बालों को बांधना नहीं चाहिए' हालांकि मैं समझ गई थी कि आप चाहती हैं कि लाल बाबा मुझे इस अध- नंगी हालत में और खुले बालों में देखें...” “ हाँ, हाँ, हाँ; मुझे सब कुछ अच्छी तरह याद है मैंने तो जानबूझकर ही तुझे अपने बालों को खुला रखने के लिए कहा था और उसके बाद मैंने तुझे हिदायत दी थी कि जब भी लाल बाबा हमारे घर आएंगे तू अपने हाथों की चूड़ियां उतार देना बालों को खोल देना मांग की सिंदूर मिटा देना ताकि तू बिल्कुल एक कुंवारी कच्ची कली जैसी दिखने में लगे और उनको और ज्यादा लुभाने के लिए उनके सामने मैंने तुझे ब्लाउज भी पहन ने के लिए मना कर रखा था” “जी हाँ सासु मैया, उसके बाद जब मैं उनके घर काम पर लग गई तो मुझे पता चल गया बाप बेटा दोनों की नजर मुझ पर पड़ चुकी है और सच कहूं तो मेरा उनकी नजर में आना लाज़मी था- क्योंकि जब मैं घर से निकलती हूँ , तब तुम्हें पेटिकोट, ब्लाउज, जांगिया और साड़ी पहनकर अपने बालों को अच्छी तरह से कंघी करके जुड़े में बाँध कर जाती हूँ, क्योंकि रास्ते में आते जाते वक्त मुझे शर्मो हया का लिहाज करना पड़ता है, और सोचने वाली बात यह है क्या घर में रास्ते में आते जाते वक्त ब्लाउज और पेटीकोट ना पहनूं तो अंदर का सब कुछ वैसे भी हल्का-हल्का दिखने लगेगा खासकर मेरे हर कदम और हर हरकत से मेरे बड़े बड़े मम्मे (स्तन) काफी थिरकतें हैं| लेकिन उनके ठिकाने पर पहुंचते ही, मैं उनके गुसल खाने में जाकर के अपने सारे कपड़े उतार देती हूं और आपकी दी हुई वह काले रंग की पतली सी साड़ी अपने वतन पर लपेट लेती हूं| उनके घर मेरे दिन की शुरुआत कुछ इस तरह से होती है- सबसे पहले तो मैं उनका गुसलखाना धो डालती हूं... क्योंकि वहां से हमेशा पेशाब की बदबू आती रहती है| उसके बाद उनकी कमरों में झाड़ू लगाना, रसोई के लिए अनाज काटना उसके बाद खाना बनाना... और फिर कुएं में से जाती है पानी भर के लाना, वगैरा-वगैरा... यह सब करते करते ही लाल बाबा के बेटे लाडला के नहाने का वक्त हो जाता है| और जैसा कि आप जानती हैं उसके कमर तक लंबे लंबे बाल है, इसलिए मैं पहले उसके बालों के तेल लगाती हूं फिर उसे गुसल खाने में ले जाकर उसके बदन पर साबुन लगा लगाकर नहलाती हूँ... और उसके बाद एक गमछे से उसका बदन पोंछ कर, उसके बालों को सुखाकर कंघी कर के चोटी बना देती हूँ... उसे उसकी लूंगी और बनियान पहना देती हूं| तब तक उन दोनों के लिए खाना लगाने का वक्त हो जाता है, मैं उन दोनों को खाना खिला के लाल बाबा के बेटे लाडला को उसके कमरे में छोड़ आती हूं... और फिर मौका देख कर लाल बाबा मुझे अपने कमरे में ले जाते हैं| उनके कमरे में जाकर मैं बिल्कुल नंगी होकर उनके बिस्तर पर लेट जाती हूं और अपनी दोनों टांगे फैला देती हूं... लाल बाबा भी अपने कपड़े उतार कर मेरे ऊपर लेट जाते हैं और फिर मेरे बदन को प्यार से चलाते चलाते हैं अपना खंबा (लिंग) मेरी फुद्दी (योनि) में डाल कर मजे में ठुकाई (मैथुन) करने में मस्त हो जाते हैं... जब तक कि उनका माल (वीर्य ) नहीं गिर जाता मेरे अंदर... दोपहर का भक्त ऐसे ही निकल जाता है... और उसके बाद लाल बाबा के भक्तों के आने का वक्त हो जाता है... इसलिए मैं सिर्फ उनके बेटे लाडला की कमरे में चली जाती हूं और उसके साथ थोड़ा वक्त बिताती हूं और वैसे भी लाल बाबा ने मुझसे कह रखा है कि उसके बेटे के अंदर की लड़कियों वाली आदतों को दूर करने में उन्हें शायद मेरे मदद की जरूरत पड़ेगी... पर यकीन मानो सासु मैया, लाल बाबा के बेटे लाडला के साथ बैठकर बातें करना उसके साथ वक्त बिताना... मुझे तो ऐसा लगता है कि मैं किसी लड़की के साथ ही बैठी हुई हूं... और मुझे आपसे और बात भी कहनी थी| इतने में लाल बाबा के कुछ भक्तों ने मुझे देख लिया था, और उन्होंने पूछा कि मैं कौन हूं? तो लाल बाबा ने उन्हें सब कुछ सच सच ही बता दिया- उन्होने कहा कि मैं एक * लड़की हूं, जैसा कि हर कोई कहता है कि वक़्त से पहले ही मेरे बदन में जवानी चढ़ गई है और मेरे पति जेल में हैं इस लिए वह मुझे अपनी रखैल बना कर पाल रहें हैं चूंकि मैं उनकी रखैल हूँ वैसे तो मुझे उसके घर में कोई कपड़े पहनने का अधिकार नहीं है; लेकिन उन्होंने मेरी काम उम्र का लिहाज़ करके उन्होंने मुझे अपने बाल बांधने और मेरे बदन को एक साड़ी से ढकने की इज़ाज़त दे राखी है ... मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है क्योंकि अब यह ही मेरी ज़िन्दगी का सच है कि मैंने इसे स्वीकार कर लिया है।” “यह सब बातें तो तुम मेरे को बता चुकी है और मैंने तुझे लाल बाबा के घर तो भी जब इसीलिए था ताकि वह तुझे जी भर के भोग सके... लेकिन यह तो बता कि उनका बेटा लाडला, कब से तेरे बदन पर चढ़ने लगा?” सासु मैया, आपने जिस दिन से मुझे लाल बाबा के घर काम पर लगाया था उसके पंद्रह दिन बाद से ही यह सब शुरू हो गया... मुझे अच्छी तरह याद है आम दिनों की तरह उस दिन भी मैं घर के सारे काम निपटा कर रोज की तरह सबसे पहले लाल बाबा के बेटे लाडला के कमरे में जाकर मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसके बाद उसके बालों में बनी दोनों चोटियों को खोला और अपने दोनों हाथों में तेल मल कर उसके बालों में लगाने लगी| लाल बाबा का बेटा लाडला बिल्कुल लड़कियों की तरह के सामने आईना लेकर बैठा हुआ था| और मेरा क्या है हर रोज की तरह उस दिन भी थोड़ी ही देर पहले मैं लाल बाबा के बिस्तर पर लेटी हुई थी और उस दिन मुझे भी बड़ा मजा आया था पर मैंने यह गौर किया कि उस दिन लाल बाबा का बेटा लाडला मुझे आईने में देख देख कर थोड़ा थोड़ा मुस्कुरा रहा है| आखिरकार मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पूछ ही लिया, “क्या बात है जानेमन आज तो तेरा मिजाज बहुत खुश लग रहा है; क्या मैं जान सकती हूं की बात क्या है?” लाल बाबा के बेटे लाडला को अगर मैं जानेमनकहकर बुलाती हूं तो उसे अच्छा लगता है और उस दिन मेरा सवाल सुनकर उसकी तो मानो बातें खिल गई| उसने मुझसे कहा, “जानती हो मैली दिद्दी (दीदी) आज ना, हमने तुमको देखा...” “अच्छा? तू तो रोज ही मुझे देखता है, पर इसमें आज इतना खुश होने की क्या बात है?” “हाँ, वह बात तो सही है- पर आज बात कुछ और ही है आज हमने तुमको देखा... वह भी उस वक्त जब तुम बिल्कुल नंगी थी... तब से हमारे पेट के निचले हिस्से में न जाने क्यों एक अजीब सी गुदगुदी जैसी हो रही है” उसकी आवाज सुनकर मेरा दिल एक बार जोर से धड़क उठा| मैंने आपको थोड़ा संभाल के उससे पूछा, “अच्छा? लेकिन जानेमन; तूने मुझे नंगी हालत में किस वक्त देखा?” “अरे उसी वक्त; जब तुम रसोई का काम खत्म करने के बाद अब्बू के कमरे में चली गई... अब्बू तो वहां पहले से ही मौजूद थे और उन्होंने कमरे की साड़ी लड़कियां भी बंद कर रखी थी लेकिन आज एक खिड़की जरा सी खुद ही हुई थी उसी में से मैंने देखा कि तुम कमरे के अंदर आई और उसके बाद तुम धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारने लग गई... बाप रे बाप तुम्हारे दुद्दू (स्तन) असलियत में कितने बड़े बड़े हैं” “अच्छा, ऐसी बात है क्या?” “अरे हाँ री, मैली दिद्दी (दीदी)... उसके बाद लाडला देखा कि अब्बू ने भी अपनी लुंगी और बनियान उतार दी और वह भी बिल्कुल नंगे हो गए... अब्बू का नुन्नू (लिंग) कितना लंबा मोटा और बड़ा है लेकिन हमने तुम्हारे दो टांगों के बीच में ना तो कोई खंभा देखा और ना ही अंडे (अंडकोष) देख कर तो ऐसा लग रहा था कि तुम्हारा नन्नू एकदम चपटा और तुम्हारे दो टांगों के बीच के हिस्से से बिल्कुल चिपका हुआ है और उसके बीच में एक बड़ी सी दरार है... उसके बाद मैंने देखा कि तुमने अपने बालों को खोल दिया और फिर बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टांगों को फैला दिए और उसके बाद अब्बू तुम्हारे ऊपर लेट गए और तुम्हें खूब प्यार से सहलाने लगे... और उसके थोड़ी देर बाद तुम बड़े अजीब तरह से गहरी गहरी सांसें लेने लगी... फिर मैंने देखा कि अब्बू ने बड़े अजीब तरीके से अपनी कमर ऊपर उठाई और उसके बाद धीरे धीरे मानो तो मैं दबा कर तुम्हारे ऊपर फिर से लेट गए... उस वक्त तुम्हारा चेहरा देख कर मुझे ऐसा लगा था कि शायद तुम्हें किसी तरह का दर्द हुआ होगा तुमने अपना सर तकिया में मनो एकदम करने की कोशिश की और अपने चेहरे को ऊपर उठाने की लेकिन मैंने देखा कि अब्बू ने मानो जबरदस्ती तुमको बिस्तर पर ही दबाकर लिटा रखा और उसके बाद वह फिर से तुम्हें प्यार करने लग गए... और उसके बाद वह अपनी कमर को ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... करने लगे और तुम भी बड़े अजीब तरीके से सांस ले रही थी... न जाने कैसे-कैसे आहें भर रही थी... हम यह सब कुछ देर तक देखते रहे और उसके बाद हमने गौर किया कि अब्बू अब जल्दी-जल्दी अपनी कमर को ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे करने लगे थे... तुमने तो अब्बू को एकदम कसकर जकड़ रखा था... उसके बाद मुझे ऐसा लगा कि अब्बू थक गए हैं और वह कुछ देर तक ऐसे ही तुम्हारे ऊपर लेटे रहे... और फिर तुम से अलग होकर वह तुम्हारे बगल में लेट गए... लेकिन थोड़ी देर बाद ही मैंने देखा कि अब्बू तुम्हारे ऊपर फिर से चढ़ गए और तुमने दोबारा अपनी टांगों को फैला दिया अब्बू ने अपनी कमर तुम्हारे कमर से दोबारा लगाई और फिर से वह तुम्हारे ऊपर लेट कर तुम्हें प्यार करने लग गए और दोबारा अपनी कमर को ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... ऊपर- नीचे... करने लगे... और तुम दोनों फिर से एक दूसरे को बहुत प्यार कर रहे थे...” मैं एकदम भौंचक्की हो कर उसकी बातें सुन रही थी कि इतने में उसने कहा, “अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी) तुम जैसे मेरे अब्बू को प्यार करती हो ठीक वैसे ही हमें क्यों नहीं प्यार करती? तुम तो इतने दिनों से हमारे घर आ रही हो तुम एक बार भी हमारे सामने नंगी नहीं हुई बल्कि हर रोज तुम हमें नंगा करके नहलाती हो... यहां तक कि आज तक तुमने मुझे अपना दुद्दू (स्तन) भी पीने नहीं दिया... आज अपना यह आंचल हटा दो ना... मुझे तुम्हारे दुद्दूयों (स्तनों) को देखना है” इतनी देर तक मेरी सासू माँ आलता देवी बड़े गौर से मेरी बातें सुन रही थी फिर उन्होंने पूछा, “अच्छा? फिर क्या हुआ?” लाल बाबा के बेटे लाडला की यह सब बातें सुनकर मेरे तो हाथ पैर ही ठंडे पड़ गए थे| शुरू शुरू में जब मैं लाल बाबा के बिस्तर पर अपना बदन पसारने लगी थी तभी मैंने उनसे बार पूछा था कि आप मुझे इस तरह से हर रोज कमरे में ले जाकर के मेरे साथ मौज मस्ती करते हैं लेकिन अगर आपके साहबजादे ने यह सब देख लिया तो क्या होगा? लाल बाबा उस बात को टालने की कोशिश कर रहे थे लेकिन फिर भी उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मेरा बेटा लाडला यह सब देख लेता है तो हो सकता है उसके दिमाग में जो लड़कियों वाली आदतें भरी हुई है वह शायद धीरे-धीरे दूर हो जाएँगी वह तो लगभग 21- 22 साल का हो गया है लेकिन उम्र के हिसाब से उसकी सेहत नहीं बनी दिखने में वह सिर्फ तेरा 13- 14 साल का लड़का लगता है... इसके बाद जैसे ऊपर वाले की मर्जी” “अच्छा, उसके बाद क्या हुआ?” सासु मैया आलता देवी की उत्सुकता काफी बढ़ गई थी| लाल बाबा के बेटे लाडला की बातें सुनकर और उसकी कोतुहल की आवाज में मेरे हाथ पैर ठंडे हो ही चुके थे और चेहरा भी एकदम गर्मी से लाल हो उठा था| लेकिन रोजमर्रा की तरह मैंने दीवार पर लगे खूंटे से सूती से बना बड़ा वाला गमछा अपने कंधे पर लटकाया और चुपचाप बाबा के बेटे लाडला का हाथ पकड़कर उसे गुसलखाने में ली गई| गुसलखाने में पहले से ही मैंने बाल्टीयों में में पानी भर कर रखा था| उनमें से एक बाल्टी मैंने अपने पास खींची और फिर मक्के में पानी भरकर लाल बाबा के बेटे लाडला के बदन पर डालने लगी| रोज की तरह लाल बाबा का बेटा लाडला अपने गीले बदन को रगड़ने लगा लेकिन मैंने गौर किया कि वह बार-बार थोड़ा थोड़ा मुस्कुरा कर मुझे ताड़ रहा है और मानो बड़ी अजीब सी निगाहों से वह मुझे सर से पांव तक नाप रहा है| इससे पहले भी मैंने उससे बिल्कुल नंगा करके हर रोज नहीं लाया है लेकिन उस दिन पता नहीं क्यों वह मुझे जिस तरह से देख रहा था उससे मुझे थोड़ी परेशानी सी होने लगी थी| मैंने अपना ध्यान बढ़ाने के लिए रोज की तरह मैं उसके बदन पर साबुन मलने लग गई लेकिन उस दिन जब मैं उसके दो टांगों के बीच के हिस्से में साबुन लगा रही थी तब मेरे अंदर भी न जाने एक अजीब सी है गर्मी से जाने लगी और मैंने गौर किया कि धीरे धीरे उसका एकदम शिथिल सपना हुआ लिंग शायद नाप में पहले के मुकाबले थोड़ा बड़ा दिख रहा है... और फिर धीरे-धीरे उसका वह अंग खड़ा होने लगा| यह देखकर मैं भी थोड़ा बहक गई और अनजाने में ही मैंने उससे पूछ लिया, “अरे जानेमन, यह तुझे क्या हो रहा है?” लेकिन लाल बाबा के बेटे लाडला को मानो किसी बात की कोई सुध ही नहीं थी उल्टा उसने मुझ से कहा, “मैली दिद्दी (दीदी), तुम अपनी साड़ी का आंचल हटा दो ना... हम तुम्हारी दुद्दूयों (स्तनों) को देखना चाहतें हैं...” मैं थोड़ा सा शर्मा गई और फिर मैंने पूछा, “क्यों रे जानेमन, तू मेरी दुद्दूयों (स्तनों) को देखकर क्या करेगा?” उसने उससे कहा, “तुम तो इतने दिनों से हमारे घर आती-जाती रहती हो लेकिन आज तक एक बार भी तुमने अपनी जानेमन के सामने नंगी नहीं हुई... लेकिन अब्बू के कमरे में जाकर तुम बिल्कुल नंगी हो जाती हो और आज ना जाने क्यों तुम्हें नंगी देखने का मेरा बड़ा मन कर रहा है” उसकी यह सब बातें सुनकर मैं बिल्कुल घबरा सी गई थी और अनजाने में ही मेरे मुंह से निकल गया, “हट पगले ऐसी उल्टी-सीधी बातें नहीं किया करते” 'पगला' शब्द सुनकर ही अचानक मानो लाल बाबा की बेटे को थोड़ा गुस्सा सा आ गया, “मैं पागल नहीं हूं मैली दिद्दी (दीदी) अम्मी के गुजर जाने के बाद से ही हमें बस यूं ही लड़कियों की तरह सज कर रहने में अच्छा लगता है और तुम भी तो यह कहती हो कि हमारा बर्ताव बिल्कुल लड़कियों जैसा ही है यह सुनकर हमें बहुत अच्छा लगता है... और आज जब मैं तुम से बोल रहें हैं कि अपना आंचल हटाकर जरा मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को देखने दो तो इसमें तुम्हें परेशानी क्या है?” उसको गुस्से में देख कर मैं थोड़ा घबरा गई और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती उसने अचानक ही जबरदस्ती मेरी साड़ी का पल्लू खींच कर हटा दिया| बस फिर क्या था एक ही पल में मेरे बदन का ऊपर का हिस्सा और एक ही झटके में जनाना खजाना एक बढ़ती उम्र के लड़के के सामने बिल्कुल खुले नंगे हो गए| उसकी इस हरकत से मैं एकदम चौंक उठी और मेरे बालों का जुड़ा भी खुल गया... मैं सब कुछ छोड़ कर हड़बड़ी में अपना आंचल ठीक करने जा रही थी लेकिन लाल बाबा के बेटे लाडला ने मुझे मना किया| उसने कहा, “रहने दो... रहने दो... रहने दो... मैली दिद्दी (दीदी) तुम अपने दुद्दूयों (स्तनों) ऐसे ही खुला रहने दो... आज मुझे इन्हें देखना है” मैं उससे और नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए गुसलखाने की गीली जमीन पर गिरे हुए अपने भीगे आंचल को मैंने उठाया कर अपनी कमर में लपेट लिया और फिर मुस्कुरा कर मैंने उससे कहा, “ठीक है जानेमन आज अगर तूने यह ठान ही ली है कि तुझे मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को देखना ही है, तो ठीक है- यह ले देख लेकिन फिलहाल अब जल्दी से अच्छी तरह से मुझे तुझको नहला लेने दे” यह कहकर मैं फिर से बाल्टी में भरे हुए पानी मैं मगर डूबो कर लाल बाबा के बेटे लाडला को नहलाने लगी| मुझे इस तरह बदन की हालत में देखकर उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई थी लेकिन मैंने उसको नजरअंदाज किया और फिर गमछे से उसके बदन को पोंछ कर उसकी गर्दन के पास उसके गीले बालों का एक जुड़ा बनाकर उसके सर सर में बालों को रखते हुए एक छोटा गमछा बांध दिया और उसके बाकी हिस्से को उसके जुड़े के ऊपर लपेट दिया | फिर मैंने बड़ा वाला गमछा लेकर उसके बदन पर लपेट दिया कुछ इस तरह से कि जैसे उसकी छाती से लेकर उसकी जांघ तक गमछे से ढका रहे... बिल्कुल वैसे ही जैसे अगर वह लड़की होती तो शायद अपने बदन पर ऐसे ही यह गमछा लपेटति... “अच्छा जानेमन, अब तो तूने मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को देख ही लिया है... क्या अब मैं अपने सीने पर अपना आंचल चढ़ा लूँ? नहीं तो अगर तेरे अब्बू ने मुझे इस हालत में तेरे साथ देख लिया तो शायद वह नाराज हो जाएंगे” किस्मत की बात है कि लाल बाबा का बेटा लाडला मान गया| उसके बाद हमेशा की तरह मैं उसको उसके कमरे में देखी गई और उसके बालों को सुखाकर कंघी करने के बाद मैंने उसके बालों में हर रोज की तरह दो चोटियां गूंथने गई तो उसने मुझे रोका और कहा, “नहीं, मैली दिद्दी (दीदी) आज मेरे बालों में चोटियां मत बनाओ, आज हम भी तुम्हारी तरह अपने बालों को जुड़े में बाँध कर रखेंगे और जब अब्बू यह पास लोग बाग आने लगेंगे; तुम ना- मेरे कमरे की भी सारे खिड़की दरवाजे बंद कर देना और बिल्कुल नंगी हो जाना हम भी उन की तरह तुम्हारे ऊपर लेट कर तुम्हें चूमेंगे, चाटेंगे... प्यार करेंगे और फिर अब्बू की तरह तुम्हारे ऊपर लेट कर मैं भी अपनी कमर ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... करके हिलाएंगे” उसके बाद वह फिर कुछ सोचने लग गया और फिर उसने मुझसे पूछा, “ अच्छा, मैली दिद्दी (दीदी) एक बात बताओ यह तो मुझे पता है और मैंने देखा भी है की लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे गोल गोल बड़े-बड़े से होते हैं लेकिन लड़कियों के दो टांगों के बीच का हिस्साका हिस्सा और लड़कों के दो टांगों के बीच का हिस्सा ऐसा अलग क्यों होता है? और अब्बू जब तुम्हारे ऊपर लेट कर तुम्हें प्यार करते हैं तो अपनी कमर को वह ऐसे ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे क्यों हिलाते हैं? क्या तुम हमें यह सब समझाओगी?” क्रमशः *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
03-02-2022, 01:42 PM
WAh ach chh start he.
05-02-2022, 11:23 AM
(03-02-2022, 01:42 PM)Bhikhumumbai Wrote: WAh ach chh start he. मेरी कहानी पढ़कर आपको अच्छी लगी यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद| कृपया इस कहानी के साथ बनी रही है और अपने महत्वपूर्ण सुझाव और टिप्पणियों से प्रोत्साहन बढ़ाते रहिए| *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
05-02-2022, 11:26 AM
अध्याय ३
“तो फिर क्या तूने लाल बाबा को सब कुछ बता दिया?” सासू माँ आलता देवी ने मुझसे पूछा| “मुझे आगे बढ़कर कुछ बोलने की जरूरत नहीं पड़ी, सासु मैया वह खुद ही समझ गया| जब लाडला ने मेरा आंचल हटा दिया था तब वह गुसलखाने की गीली जमीन पर गिरकर पूरी तरह से भीग गया था... लाडला को कमरे में ले जाकर उसे बनियान और लुंगी पहनाने के बाद मैंने उसे समझाया कि अब मुझे जाकर उसके अब्बू को खाना परोसा है इसलिए मुझे अपना सीना ढकना पड़ेगा और मैंने अपनी साड़ी के के लिए आंचल से ही अपना सीना ढक लिया| लेकिन मेरा आंचल गिला था और साड़ी का कपड़ा भी काफी पतला था इसलिए मेरे मम्मे (स्तन), उसकी चूचियां और उनकी आसपास की गहरे रंग की गोलाइयाँ पल्लू के नीचे से साफ नजर आ रही थी| मैं जब लाडला के कमरे से बाहर निकली तो लाल बाबा ने मुझे एक झलक देखते ही समझ लिया कि गुसलखाने में कुछ हुआ होगा| उन्होंने मेरी छाती की तरफ देखते हुए पूछा, “अरी क्या हुआ, मैली?” मैं किसी तरह से अपनी छाती के पास अपने हाथ वादे अपनी शर्मो हया को बरकरार रखते हुए सर झुका कर उनसे कहा, “जी मालिक, आज आपके साहबजादे मेरा नंगा सीना देखने की जिद कर रहे थे... और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती उन्होंने जबरदस्ती मेरे बदन से मेरा आंचल हटा दिया और वह गुसलखाने की गीली जमीन पर गिर कर भीग गया...” लाल बाबा ने जोर देकर मुझसे पूछा, “तो क्या तूने मेरे बेटे को अपने मम्मे (स्तन) दिखा दिए?” मैंने सर झुका कर डरते डरते जवाब दिया, “ जी मालिक, जैसा मैंने आपसे कहा- आपके साहबजादे ने ही जबरदस्ती से मेरा चल हटा दिया था और मेरे बाल भी खुल गए थे... ना तो उन्होंने मुझे अपने बालों को बांधने दिया और ना ही मुझे अपना सीना ढकने दिया...” “क्या और कुछ कहा मेरे साहबजादे ने तुझसे?” लाल बाबा ने मुझसे सवाल किया| इतना कहकर मैं थोड़ी देर के लिए चुप हो गई... लेकिन सासू माँ आलता देवी इतनी देर तक चुपचाप मेरी बातें सुन रही थी, उन्होंने भी मुझसे पूछा, “फिर तूने लाल बाबा से क्या कहा?” मेरे लाल बाबा से कहा, “जी मालिक. आपके साहबजादे ने हम दोनों को एक साथ कमरे में देख लिया था... जब मैं नंगी होकर आपके बिस्तर में लेट कर अपनी दोनों टांगों को फैला रखी थी वह भी उसने देख लिया... उसके बाद आपने भी अपने कपड़े उतार दिए और फिर उसके बाद आप मुझसे लिपटकर मेरे करीब आ गए और फिर आप मुझे चोदने लगे... यह सब उसने देख लिया” यह सुनकर लाल बाबा थोड़ा सोच में पड़ गए और ना जाने क्यों मुझे लग रहा था कि वह मन ही मन खुश हो रहे हैं| उन्होंने मुझसे सवाल किया, “ क्या हमारे साहब शादी की जा चुकी हैं कि चुदाई क्या होती है?” अब मुझे थोड़ा थोड़ा डर लगने लगा था| मैं सोच रही थी कि लाल बाबा गुस्से में आकर मुझे डांटने फटकार ने ना लग जाए लेकिन मैंने देखा कि आप कुछ छुपाने से कोई फायदा नहीं है इसलिए मैंने सब कुछ सच सच उगल दिया, “जी मालिक, जैसा कि मैंने आपसे कहा आपके साहबजादे ने हम दोनों को ही बिल्कुल नंगी हालत में देख लिया था... वह कह रहे थे कि उसे मालूम है कि औरतों की मम्मे गोल गोल बड़े-बड़े से होते हैं लेकिन वह पूछ रहा था कि आदमियों के नुन्नू (यौनांग) और औरतों के नुन्नू (यौनांग) ऐसे अलग क्यों होते हैं? और वह यह भी पूछ रहा था कि है आप उस तरह से मेरे ऊपर लेट कर अपनी कमर को वैसे ऊपर-नीचे...ऊपर- नीचे क्यों कर रहे थे? और आपके साथ जारी किए चाहते हैं कि मैं उन्हें सब कुछ खुल कर समझाऊं” लाल बाबा अपनी दाढ़ी को खुजलाते हुए जमीन पर नजरें गड़ाए उस देर तक कमरे में चहल कदमी से करते रहे, और उसके बाद जब उन्होंने मेरी तरफ देखा; तो मैं बहुत डर गई लेकिन उन्होंने मुस्कुरा कर मुझसे कहा, “ हमारे साहबजादे कई लड़कियों वाला बर्ताव हम दूर करना चाहते हैं... तू एक काम कर मैली, तू मेरे साहबजादे को सब कुछ समझा दे... और जब तो मेरे कमरे से बाहर निकलेगी और मैं लोगों की बरकत में लग जाऊंगा... तब तू उसके कमरे में चली जाना और उसको प्यार करना तो दुलारना और उसे सब कुछ समझा देना... उसे इस बात का इल्म हो जाना चाहिए एक आदमी और औरत के बीच में ऐसे रिश्ता कायम होता है... एक आदमी एक औरत को कैसे भोगता है... आज से मैं तुझे पूरी इजाजत और खुली छूट देता हूं... आज के बाद तू मेरा साहबज़ादा भी तेरे साथ वह सब कुछ कर सकता है जो मैं तेरे साथ करता हूं... और यह सब काम तुझे आज ही से शुरू करना है मैं चाहता हूं कि तो घर जाने से पहले मेरे साहब शादी से भी चुद कर जा...” सासू माँ आलता देवी ने उससे पूछा, “यह सब कुछ सुन कर तूने उनसे क्या कहा?” “अब मेरे पास बोलने को रही क्या गया था, सासु मैया? आपने जैसा इंतजाम किया था उसके मुताबिक मैं तो लाल बाबा की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... इसलिए मैंने सिर्फ सर झुका कर अपने सीने के पास हाथ बांधे सर झुका कर मैंने उनसे कहा- जी मालिक जैसा आप कहें... लेकिन आपके साथ ज्यादा को कमरे में ले जाने से पहले मैं सीधे गुसलखाने में जाऊंगी और अपनी साड़ी उठाकर के अपनी चुत के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लूंगी... इसके बाद मैंने लाल बाबा से बेझिझक होकर बोली- दरअसल उनके साहबजादे लाडला के लिए एक औरत के साथ करीबी का यह पहला तजुर्बा होगा और हालांकि उसका खतना किया हुआ है लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि उसे किसी तरह की कोई तकलीफ हो... *** जहां तक मुझे पता था चुपके चुपके दूसरों की बातें सुनना ज्यादातर लड़कियों की आदत होती है और वैसे भी उस वक्त है मेरे दिमाग में काफी सारी बातें घूम रही थी| इसलिए शायद मुझे पता नहीं चला कि चुपके चुपके लाडला हमारी सारी बातें सुन रहा है| कुछ भी हो वैसे लाडला तो एक लड़का है लेकिन लड़कियों की तरह चुपके चुपके दूसरों की बातें सुनने की आदत है उसमें भी है| जब मैं दोनों पर बेटों को खाना परोस रही थी तब मैंने गौर किया कि लाडला का मिजाज है बहुत ही खुशनुमा हो रखा है| वह बार-बार हल्का हल्का मुस्कुरा रहा था... शायद उसे इस बात का अंदाजा हो गया था कि आज उसके साथ कुछ बहुत ही जबरदस्त होने वाला है... और वह मुझे बार-बार अजीब सी नजरों से देख रहा था... इसी बात को लेकर बड़ा खुश हो रहा था कि आज पहली बार शायद उसे मुझे पूरी तरह से नंगी देखने का मौका मिल जाएगा... उसकी यह तमन्ना सुबह-सुबह ही थोड़ी बहुत पूरी हो गई थी, क्योंकि उसने मेरे नंगे दुद्दूयों (स्तनों) देख लिया था... और अब वह यह जान गया था... कि मैं उससे सब कुछ समझाने वाली हूं... कि आदमियों के नुन्नू (यौनांग) और औरतों के नुन्नू (यौनांग) ऐसे अलग क्यों होते हैं? और मैं उसे यह भी बताने वाली हूं कि उसके अब्बू उस तरह से मेरे ऊपर लेट कर अपनी कमर को वैसे ऊपर-नीचे...ऊपर- नीचे क्यों कर रहे थे? तब तक मैं हमारे घर में अमीषा सोऊंगा आलता देवी के साथ आराम से पलंग पर बैठ कर थोड़ा सस्ता रही थी और क्योंकि सारा दिन इतनी मेहनत करने के बाद में घर आई थी इसलिए सासू माँ आलता देवी ने मेरे बालों का जुड़ा खोला और फिर मेरे बालों को मेरी पीठ पर फैला कर एक बड़े दांत वाली कंघी से मेरे बालों में कंघी करने लगी| “बाप रे बाप! मैली, बातें सुनकर मुझे तो बड़ा मजा आ रहा है... तू तो एक कुंवारे लड़के को एक नया तजुर्बा करवाने वाली थी... और उसे सब कुछ समझा मुझे आकर सिखाने वाली थी... उसके बाद क्या हुआ?” मैंने दोबारा बोलना शुरू किया- हर रोज की तरह दोपहर के खाने के बाद लाल बाबा बाहर वाले कमरे में चले गए जहां बरकत के लिए उन को मानने वाले कुछ लोग पहले से ही आ पूछे थे... और मैं जानती हूं कि वह फिलहाल दो-तीन घंटे के पहले आने वाली नहीं है... इसलिए मैं सीधे लाडला के कमरे में गई सबसे पहले तो मैंने बिस्तर ठीक किया और उसके बाद सर रखने के लिए दो तकिए यह बिल्कुल पास पास रख दिए| उसके बाद मैंने कमरे की सारी खिड़कियां बंद कर दी... और फिर जब मैं गुसलखाने की तरफ गई... तो मैंने देखा कि वहां लाडला उकड़ूँ होकर बैठ कर पेशाब कर रहा है| उसने मिलूंगी कमर तक उठा रखी थी और वह बाप बेटा तो वैसे भी चड्डी नहीं पहनते और लाल बाबा के मुताबिक मुझे भी सिर्फ साड़ी के अलावा और कुछ पहनने की इजाजत नहीं है... लाडला के मठमैले रंग के कूल्हे और बालों से भरी जांघें साफ नजर आ रही थी... यूं तो मुझे लाडला को हर रोज नंगा देखने का मौका मिल जाता है पर आज न जाने क्यों आज मुझे ऐसा लग रहा था कि उसका लिंग थोड़ा बड़ा और तना तना सा लग रहा है... “हा हा हा हा हा” यह सुनकर सासू माँ आलता देवी हंस पड़ी, “आखिरकार उसका भी खड़ा होने लग गया था... अच्छा फिर क्या हुआ?” मेरी सांसों में आलता देवी जब भी मेरे बालों में कंघी करती है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है... उनके हाथ में मानव जादू है... इसलिए मैं बिल्कुल आराम से बैठकर फिर से अपना किस्सा सुनाना शुरू कर दिया- मुझे गुसलखाने के बाहर खड़ा देखकर लाडला की बांछें खिल गई| मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मूतने के बाद थोड़ा पानी डाल दिया कर... नहीं तो बहुत ही घटिया बदबू आती रहती है” लाडला के दिमाग में तो पहले से ही लड्डू फूट रहे थे उसे लग रहा था कि आज कुछ धमाकेदार होने वाला है लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या होने वाला है... इसलिए मेरे एक बार कहने पर ही उसने गुसलखाने में पानी डाल दिया| फिर मैंने उससे कहा, “अब जानेमन, अपना नन्नू और अंडों को (अंडकोष) अच्छी तरह से साबुन लगा के धो ले... और अपनी झांटों को भी धोना मत भूलना” लेकिन लाडला में इस बार मेरी बात नहीं मानी वह सीधे खड़ा होकर अपने लोगों की उठाकर अपने दो टांगों के बीच के हिस्से को मुझे दिखाते हुए उसने कहा, “मैली दिद्दी (दीदी)... तुम ही आकर मेरे नन्नू और अंडों को (अंडकोष) धुला दो ना? रोज तो तुम मुझे नहीं लाती हो... मेरे पूरे बदन पर साबुन लगाती हो... अभी भी ऐसा ही करो ना... मुझे तुम्हारे नरम नरम हाथों की छुअन बड़ी अच्छी लगती है” मैंने मुस्कुराकर एक गहरी सांस छोड़ी और फिर उसके सामने बैठकर उसके लिंग, अंडकोष और झांटों साबुन लगाकर अच्छी तरह से धो दिया| फिर मैंने उससे कहा, “अब सुन जानेमन लाडला, तू कमरे में जाकर बैठ, मैं बस अभी आती ही हूं” “ऐसा क्यों, मैली दिद्दी (दीदी)? मैं अकेले अकेले कमरे में क्यों जाऊं? तुम मुझे लेकर चलो ना... और वैसे भी आज तो मैं तुम्हें अब्बू की तरह बिल्कुल नंगी करके तुमको प्यार करने वाला हूं...” मैंने जानबूझकर मजाक मजाक में उसको बोली, “तू यह सब क्या बोल रहा है जानेमन लाडला; अगर तेरे अब्बू को यह सब पता चल गया वह मुझे डांटेंगे" “हा हा हा हा हा” लाडला जोर से हंस उठा, “ बिल्कुल नहीं री, मैली दिद्दी (दीदी) मैंने चुपके चुपके तुम दोनों की सारी बातें सुन ली थी... और मैं जानता हूं कि अब्बू ने तुम्हें इस बात की इजाजत दे दी है कि तुम मुझे सब कुछ अच्छी तरह समझा दो और बता दो...” मैंने जैसा सोचा था बिल्कुल वैसा ही हुआ.. लाडला दे हमारी सारी बातें चुपके चुपके सोने दी थी| मैंने हंसकर उससे कहा “ठीक है जानेमन लाडला... फिलहाल तो कमरे में जाओ उसके बाद तू मुझे बिल्कुल नंगी करके मुझसे प्यार करना” “क्यों? तुम मुझे अपने साथ लेकर चलो ना?” “रुक थोड़ी देर, फिलहाल मुझे भी पेशाब करना है... और उसके बाद मुझे अपनी जनानी नन्नू (यौनांग) साबुन लगाकर अच्छी तरह धोना है उसके बाद मैं तेरे कमरे में आती हूं” लेकिन लाडला नहीं माना उल्टे उसने मेरे से कहा, “ नहीं नहीं नहीं, मैं तुमको छोड़कर नहीं जाऊंगा| वैसे भी मैंने तो यह देख ही दिया है कि आदमियों का नुन्नू (यौनांग) और औरतों का नून्नू (यौनांग) कैसे अलग तरीके का होता है... लेकिन आज तक मैंने किसी औरत को मूतते हुए नहीं देखा... आज तुम मेरे सामने मूत के दिखाओ ना... मैं भी तो देखूं कि लड़कियां कैसे मूतती हैं” क्रमशः *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
05-02-2022, 11:29 AM
अध्याय ४
“तो फिर तूने क्या किया? क्या तूने लाडला के सामने बैठकर मूत दिया?” सासू मां आलता देवी ने मुझसे पूछा| मैंने कहा, “ मेरे पास और कोई चारा भी तो नहीं था, सासु मैया| तब तक लाल बाबा के घर काफी लोग आ चुके थे... और उस वक्त अगर मैं हां ना कुछ करती हूं तो शायद लाडला नहीं नौटंकी शुरू कर देता और फिर मुश्किल हो जाती... क्योंकि लाल बाबा के मानने वालों में से कुछ लोग जानते हैं कि मैं उनकी कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... और उनमें से एक औरत ने तो एक बार पूछ लिया था कि लाल बाबा मुझे अपने घर कपड़े पहन कर रहने की इजाजत क्यों देते हैं? इसलिए मैं कोई नया झमेला नहीं चाहती थी... इसलिए मैं लाडला के सामने ही अपनी साड़ी उठाकर अपनी टांगों को जितना फैला सकती थी पहला कर उकडूं होकर बैठ गई और जैसे ही मैं मूतने के लिए बैठने वाली थी उसी वक्त लाडला ने हैरत के साथ उससे पूछा, “अरे यह क्या? तुम्हारी दोनों टांगों के बीच में एकदम बाल क्यों नहीं है... मुझे इतना तो पता है कि लड़कियों की दाढ़ी मूछें नहीं होती तो क्या तुम लड़कियों की झांटें भी नहीं होती है?” उसकी यह बात सुनकर मैं अपनी हंसी नहीं रोक पाई, “नहीं रे जानेमन! लड़कियों की भी झांटे होती है लेकिन चूँकि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ इसलिए मुझे अपने दोनों के बीच के हिस्से को बिल्कुल साफ सुथरा रखना पड़ता है ताकि जब मेरे मालिक यानी कि तेरे अब्बू मुझे नंगी करें तुम मुझे देख कर उन्हें शिकायत का मौका नहीं मिलना चाहिए” मैंने गौर किया कि लाडला फटी फटी आंखों से मुझे देख रहा है| आज जिंदगी में पहली बार उसने किसी औरत का यौनांग बिल्कुल साफ-साफ देखा था... और फिर मैंने कोई देर नहीं की मैंने उससे कहा, “यह देख जानेमन लाडला, लड़कियां कैसे मूतती है” यह कहकर मैं उसके सामने बैठ गई और फिर मैंने उसके सामने मूत दीया| न जाने क्यों मुझे अच्छी तरह से समझ में आ रहा था कि लाडला यह देख रहा है कि लड़कियों के दो टांगों के बीच में लड़कों की तरह कुछ लटक रही रहा कुछ झूल नहीं रहा... लड़कियों को कुछ पकड़ने की जरूरत भी नहीं है वह सिर्फ बैठ जाती है और फिर उनके यौन अंग से सवारी की तरह मूत की धारा निकलती है| ओ मेरे हल्के पीले रंग के बहते हुए मूत को देखता रहा... उसके बाद मैंने साबुन से अच्छी तरह से अपने यौनांग को धोया और फिर उठकर अपनी साड़ी ठीक करने से पहले अपनी दो उंगलियों में नारियल का तेल लगा कर अच्छी तरह से अपने यौनांग के आसपास और अंदर नारियल का तेल लगा लिया| लाडला में फिर हैरत से पूछा, “यह तुम क्या कर रही हो मैली दिद्दी (दीदी)” मेरे प्यार से उसके गालों पर हाथ फिर कर कहा, “अब थोड़ा सब्र रख जानेमन लाडला थोड़ी ही देर के बाद तुझे सब कुछ समझ में आ जाएगा” इसके बाद में उसके कंधे पर हाथ रखकर मैं उसको उसके कमरे में ले गई और उसको पलंग पर बैठा कर दरवाजा बंद करके उसमें कुंडी लगा दी| पूरा कमरा थोड़ा सा अंधेरा हो गया और साथ ही में मुझे ऐसा लगने लगा कि कमरे के माहौल में थोड़ी कामुकता छा गई है| इतने में लाडला बोल उठा, “मैली दिद्दी (दीदी), मेरा दिल न जाने क्यों जोर जोर से धड़क रहा है... और जैसा कि मैंने देखा कमरे का दरवाजा बंद करके तुम तो भूखे सामने बिल्कुल नंगी हो जाती हो” “हां मेरी जानेमन लाडला तूने बिल्कुल ठीक कहा... और मैंने तुझे बताया था ना कि मैं तेरे अब्बू की एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ; इसलिए मेरे मालिक जब मुझे कमरे में ले जाकर ऐसे दरवाजा बंद कर देते हैं तो यह मेरी जिम्मेदारी बन जाती है कि मैं अपने सारे कपड़े उतार कर उनके सामने बिल्कुल नंगी हो जाऊं” “तो तुमने अब तक की साड़ी क्यों पहन रखी है? फिलहाल तो तुम एक बंद कमरे में मेरे साथ अकेली हो तुम अपनी यह साड़ी उतार कर बिल्कुल नंगी क्यों नहीं हो जाती?” मैंने अपने बालों को खोलते हुए मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा और फिर मैंने उससे कहा, “जानेमन लाडला, मेरे को बिल्कुल नंगी देखना तो तेरी ख्वाहिश है ना? तो तू खुद पास आकर मेरे साड़ी क्यों नहीं उतार देता?” मेरी न्योते से लाडला बड़ा खुश हुआ| जल्दी से उठ कर आया और सबसे पहले तो उसने मेरे सीने से मेरा आंचल हटा दिया और उसके बाद बड़े ध्यान से वह मेरे स्तनों को देखने लगा... मेरे अंदर भी हल्की-हल्की गर्मी सी आने लगी शायद इसीलिए मेरी चूचियां उभर आई थी| लाडला से मानव रहा नहीं गया वो हल्के हल्के अपने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को दुलार ने लगा और फिर वह बोला, “तुम्हारे यह दुद्दू (स्तन) कैसे तंग तंग लेकिन बिल्कुल नरेंद्र हमसे है, मैली दिद्दी (दीदी) “मैंने मुस्कुराकर जवाब दिया, “हम लड़कियों के दुद्दू (स्तन) ऐसे ही होते हैं मेरी जानेमन लाडला” “अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी), क्या तुम मुझे अपने दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर खेलने दोगी?” “क्यों नहीं? इसके अलावा आज तो मुझे तेरे को बहुत कुछ सिखाना और समझाना भी है लेकिन उसके लिए पहले मुझे तेरे सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा... जानेमन लाडला, क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) की साड़ी को खोल कर उसे बिल्कुल नंगी नहीं करेगा?” “हां हां हां, क्यों नहीं आज तो मैं तुम्हें बिल्कुल खुली और मैं भी देखना चाहता हूं... काश मेरे बाल भी तुम्हारे जैसे रेशमी घूंगराले घने और लंबे होते” “अरे कोई बात नहीं... वैसे भी तेरे बाल औरों के मुकाबले बिल्कुल कमर तक लंबे और बहुत सुंदर है... अब देर मत कर, मेरी साड़ी उतार कर तू मुझे नंगी कर दे और उसके बाद मैं भी तेरी लुंगी और बनियान उतार दूंगी... और उसके बाद हम दोनों नंगा नंगी एक साथ बिस्तर पर लेट जाएंगे... उसके बाद हम लोग एक खेल खेलेंगे... जैसे तेरे हो मुझे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी करके लिटा कर मेरे साथ खेलते हैं वैसे तू भी सिर्फ मेरे दुद्दूयों (स्तनों) को लेकर ही क्यों मेरे पूरे बदन के साथ खेलना” लाडला नहीं होगा और कोई देर नहीं की उसने जल्दी-जल्दी है मेरी साड़ी उतार दी और उसने मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया... मैंने भी सबसे पहले उसकी लूंगी की गांठ खोलकर उसे ढीला किया लेकिन लूंगी मेरे हाथ से फिसल गई और झप से नीचे गिर गई... मैंने देखा कि पहले के मुकाबले उसका लिंग थोड़ा और बड़ा और बड़ा बड़ा सा लग रहा था... लेकिन उस अब मैंने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया मैंने उसकी बनियान उतार दी और उसको भी पूरा नंगा कर दिया... वैसे तो मैं रोज ही उसे नंगा करके रह जाती हूं लेकिन आज मैंने तुम्हारा उसको सर से पांव तक देखा... लंबाई में वह मेरे से करीब 3 या 4 इंच छोटा होगा और उसका बदन बिल्कुल दुबला पतला एकदम लल्लू पंजू की तरह था| कितने में लाडला का ध्यान उसकी दो टांगों के बीच के हिस्से में गया और वह हैरत से बोला, “अरी मैली दिद्दी (दीदी), यह क्या हो रहा है? इससे पहले तो कभी मेरा नन्नू (लिंग) इतना बड़ा और इतना सख्त कभी नहीं हुआ था” “ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “चिंता मत कर जानेमन लाडला, तेरा नन्नू (लिंग) अभी और भी बड़ा और- और भी सख्त होने वाला है” उस वक्त लाडला के दिमाग में बहुत सारी बातें बिजली की तरह को उधर ही थी उसने अनजाने में ही मेरे यौनांग पर हाथ फेरते- फेरते मुझसे पूछ लिया, “मैली दिद्दी (दीदी) तुम लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता?” “ ही ही ही ही” मुझे दोबारा हंसी आ गई, और मैंने कहा, “ नहीं रे जानेमन लाडला, लड़कियों का नुन्नू (यौनांग) बड़ा और खड़ा नहीं होता... और हां एक और बात...” अब मैंने उंगली उठा कर उसको समझाने के तरीके से बताया, “ लड़कों के नुन्नू (यौनांग) को 'लंड' कहते हैं... और इन अण्डों को 'टट्टे' कहते हैं... और हम लड़कियों की नुन्नू (यौनांग) को ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’के नाम से जाना जाता है… अब बोल मेरी जान... मैंने तुझे क्या सिखाया?” “लड़कों के 'लंड' और 'टट्टे' होते हैं और लड़कियों की ‘चुत’ या फिर ‘फुद्दी’... लड़कों का खड़ा हो जाता है लेकिन लड़कियों का नहीं होता” “अरे वाह मेरी जानेमन लाडला तो सब सीख गया है... चल अब हम दोनों नंगा नंगी बिस्तर पर जाके लेट जाते हैं” “हां हां हां” लाडला बहुत खुश होकर बोला| मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको बिस्तर पर लिटा दिया| इतनी देर से मेरी सासू मा आलता देवी बड़े ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी| फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “ तो क्या बिस्तर पर लेटने के साथ ही तूने उसके साथ चुदाई कर ली?” “जी नहीं, सासु मैया... वैसे तो सोचने वाली बात यह है कि लाडला की उम्र करीब है 21- 22 साल की है... लेकिन उसकी बनावट और बदन यहां तक की दिमाग के हिसाब से भी वह बहुत ही कच्चा है... अब तो उसे देखा है और आपकी समझ गई होंगी कि कोई अगर दूर से उसे खुले बालों में देखें तो पहले पहले शायद वो यही सोचेगा कि यह कोई 13- 14 साल की लड़की है... इसलिए मैंने सोचा कि अगर एकदम शुरू शुरू में मैंने उसका लिंग अपनी यौनांग में घुसा दिया तो शायद उसे दर्द होगा... क्योंकि बचपन में उसके लिंग की चमड़ी को आगे से छीन लिया गया था इसलिए जब वह मेरी चुत में अपना लंड घुसायेगा तू उसकी चमड़ी सिकुड़ कर एकदम पीछे चली जाएगी और शायद पहली बार उसको दर्द भी हो सकता है... इसलिए मैंने सोचा कि पहले मैं उसका लंड अपने हाथों की मुट्ठी में लेकर हिला हिला कर उसे उस खूबसूरत मस्ती का एहसास करा दूं जिसकी उसे बहुत जरूरत है, उसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके अपने मालिक यह दिए हुए हुकुम के मुताबिक मैं उसकी हवस को भड़का कर उसे असली खेल के मजे का एहसास करवाऊंगी...” क्रमशः *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
05-02-2022, 09:43 PM
Very nice sir
06-02-2022, 02:43 AM
(05-02-2022, 09:43 PM)Eswar P Wrote: Very nice sir मैं सर नहीं मैडम हूं... मेरी कहानी पढ़कर आपको पसंद आई इस बात की मुझे बहुत खुशी है और मैं आपकी आभारी हूं| *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
06-02-2022, 09:18 PM
(This post was last modified: 06-02-2022, 09:20 PM by naag.champa. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अध्याय ५
सासु मां आलता देवी सुराही से एक गिलास ठंडा पानी भर के मेरे लिए लेकर आई और फिर पूछा, “उसके बाद क्या हुआ?” मैं काफी देर से बोले जा रही थी इसलिए सचमुच मेरा गला नहीं सूख रहा था| मैं एक ही सांस में पूरा गिलास पानी पी गई; और फिर मैंने बोला जारी रखा- वैसे तो आप जानती हैं सासु मैया, आपने लाल बाबा से मिलकर जो इंतजाम किया और उसके बाद मुझे आपकी इजाजत मिल गई, इसलिए पराए मर्दों की बिस्तर में मदन पसारने का मुझे अच्छा सा तजुर्बा हो गया है| इसलिए जब मैं लाडला को लेकर उसके साथ बिस्तर में लेट गई है तो मुझे कोई परेशानी महसूस नहीं हुई| और उस हालात में मैं उससे लिपट कर उसे प्यार से सेलानी लगी| हम दोनो के नंगे बदन एक दूसरे से छू रहे थे... और लाडला को एक अजीब सा उसकाव महसूस हो रहा था... लेकिन बनावट से लाडला बहुत ही दुख का मतलब था उसके मुकाबले लाल बाबा का बदन बिल्कुल गठीला और हट्टा कट्टा सा था... जिसकी छुअन का एहसास बहुत ही अच्छा लगता था... लेकिन लाडला को जो महसूस हो रहा था वह बिल्कुल अलग था| कोतुहल और उत्साह से भरी एक नई बात ना मानो उसके सारे तन और मन को उत्तेजित कर रहा था... कुछ देर तक मेरे साथ लिपट कर लेटे रहने के बाद खुद ब खुद उठ बैठा और मेरे पूरे बदन पागलों की तरह सहलाता... जैसे कि मानो वह कुछ खोज रहा है और वह से मिल नहीं रहा... उसने इससे पहले किसी भी औरत का यौनांग नहीं देखा था इसलिए मेरे बदन का वह हिस्सा उसका पूरा का पूरा ध्यान खींच रहा था... वह बार-बार मेरे यौनांग कि लोगों को उंगलियों से दबा दबा कर देख रहा था और अनजाने में उसने अपनी उंगलियां अंदर डालने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे रोक लिया... इसी बीच लाडला न जाने कितनी बार उससे बोल चुका था, “मैली दिद्दी (दीदी), तुम्हारे बदन को लेकर ऐसे खेलने में मुझे बड़ा मजा आ रहा है... और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा है... मेरा नुन्नु अंदर ही अंदर अपने आप कहां पर रहा है और पता नहीं मुझे एक अजीब से मीठे-मीठे दर्द का भी एहसास हो रहा है... और देखो मेरा यह नन्नू अपने आप ही कितना बड़ा और सख्त हो गया है...” मुझे अच्छी तरह से समझ में आ गया था कि लाडला के अंदर धीरे-धीरे कामुकता कर रही है और चूँकि दूसरों के बिस्तरों में बदन पसारने में मैं काफी तजुर्बे दार हूं इसलिए मैंने उससे कहा, “अब सुन मेरी बात जानेमन लाडला... तेरी ख्वाहिश के मुताबिक और तेरे अब्बू के हुकुम के हिसाब से मैं तेरे बिस्तर पर बिल्कुल नंगी लेट गई हूँ... और तू मेरे पूरे नंगे बदन से खेल रहा है... “ अब मेरी एक बार तो मानेगा? तुम मेरे दुद्दूयों (स्तनों) की चूचियों को थोड़ा चूस दे... इससे मुझे भी बड़ा मजा आएगा” “हां- हां- हां, क्यों नहीं... क्यों नहीं” लाडला एकदम लालच और हवस की गर्मी में बहक के बड़ा खुश हो कर के मेरी चूचियों को चूसने लगा... मैंने अपनी दूसरी चूची उसके हाथों में पकड़ा दिया और वह इशारा समझ कर उसे अपनी उंगलियों सेदबा दबा कर खेलने लगा... लेकिन कुछ ही देर बाद उसने मेरे से एक अजीब से सवाल किया... “ऐसा कैसा सवाल किया लाडला में तेरे से?”, सासू मां आलता दीदी है बहुत ही ध्यान से मेरी बातें सुन रही थी और ऐसी भड़कती हुई हालत में लाडला के सवाल का जिक्र उन्हें बड़ा ही अजीब लग रहा था... “ही ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी और मैंने कहा, “सासु मैया, अगर आप उसका सवाल सुनोगे तो आप ही हंसने लगोगी... उसने मुझसे पूछा अरे यह क्या मैली दिद्दी (दीदी)?... तुम्हारे दुद्दू (स्तन) इतने सूखे सूखे क्यों है?” मैंने भी हैरत नहीं आकर उससे पूछा, “सूखे सूखे? क्या मतलब?” उसने कहा, “ मैं तुम्हारी दुद्दूयों (स्तनों) को चूस रहा हूं, मैली दिद्दी (दीदी) लेकिन इनमें से तो दूध ही नहीं निकल रहा” अब मैं उसके सवाल का क्या जवाब दूं? अब मैं उसे कैसे समझाऊं कि जिन औरतों के छोटे-छोटे बच्चे हुआ करते हैं उन्हीं के स्तनों में दूध आता है... और मुझे मालूम था कि इस वक्त अगर मैं उसे यह सब समझाने बैठ गई की औरतों को बच्चा कैसे होता है तो हो सकता है उसके दिमाग में कुछ ज्यादा ही दूर पड़ेगा इसलिए मैंने उसके सवाल को टाल दिया और कहा, “हर चीज के लिए एक वक्त होता है, मेरे दुद्दूयों (स्तनों) में जब दूध आएगा, तब मैं तुझे जरूर पिलाऊंगी” लाडला जिस तरह से मदहोश होकर मेरी चूचियों को चूस रहा था वह मुझे बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए मैंने दोबारा उससे कहा, “ अरे तू रुक क्यों गया जानेमन लाडला, मेरी दुद्दूयों (स्तनों) की चुचियों को चूसता रह... क्या तू अपनी मैली दिद्दी (दीदी) को प्यार नहीं करना चाहता?” लाडला मेरी बातों को सुनकर फिर से ललचाया और फिर खुशी खुशी “हां हां हां” बोलकर वह दोबारा मेरी चूचियों को चूसने लगा| लाडला मुझसे बिल्कुल चिपक के और लिपट के लेटा हुआ था उसने अपनी एक टांग भी मेरे ऊपर चढ़ा दी थी... और अब मुझे लगने लगा कि मौका अच्छा है| मैंने धीरे से उसकी टांग को अपने बदन से हटाया और फिर उसके अध खड़े लिख दो अपने हाथ की मुट्ठी में पकड़ लिया और फिर उसे ऊपर-नीचे ऊपर- नीचे हिलाने लगी... जैसे ही मैं ऐसा करने लगी, लाडला की आंखों में एक अजीब सी चमक आ गई है... और मदहोश होकर मेरी चूचियों को चूसने लगा... मुझसे भी रहा नहीं गया मैंने उसके माथे को चूमने लगी... धीरे धीरे मैंने देखा कि लाडला हल्का-हल्का हिलने डुलने और छटपटाने लगाया है... मैं समझ गई कि धीरे धीरे उसके अंदर का ज्वार बढ़ रहा है... इसलिए मैंने सोचा कि अब मेरी बारी... मैंने उसके बदन पर एक डाक चढ़ाकर उसके बदन को पलक से दबा कर रखा और अपने दूसरे हाथ से उसको कस कर पकड़ लिया था कि वह ज्यादा हिलडुल ना सके और उसके बाद मैंने और तेजी से उसके लिंग को हिलाना शुरू किया... इतने में लाडला का लिंग पूरी तरह से खड़ा हो गया था और एकदम लोहे की तरह सख्त हो चुका था... दूर-दूर से सांसे ले रहा था और आगे बढ़ रहा था... और उसके मुंह से दबी हुई आवाज में भी निकलने लगी थी... “ममम... ऊँ... हूँ... ममम... ऊँ... हूँ... ममम... ऊँ... हूँ...” मैंने उसे छोड़ा नहीं, मैंने अपनी पूरी ताकत से उसे बिस्तर पर दबाए रखा और उसका लिंग हिलाती रही... क्योंकि मुझे मालूम था... भले ही मुझे जबरदस्ती करनी पड़े लेकिन आज उसको इस बात का तजुर्बा करवाना बहुत ही जरूरी था... उसके बाद ज्यादा देर नहीं लगी... लाडला का बदन अचानक कांप उठा... और करीब-करीब एक चुल्लू हल्का गरम इला चिपचिपा धात (वीर्य) उसके लिंग से फूट पड़ा और मेरा हाथ और मेरी मुट्ठी उससे गीली हो गई... लेकिन उसका माल (वीर्य) उसके बाप के माल (वीर्य) की तरह गाढ़ा नहीं था... मैंने अपनी नजरों को झुका कर देखा... लाडला अपनी आंखें मूंदे हुए हांफ रहा था... उसका चेहरा एक अनजानी खुशी और चैन की भावना से भरी हुई थी... मैंने उसके चेहरे से उसके उलझे उलझे बालों को हटाया और फिर उसे अपनी पकड़ से अलग करके उसे कुछ देर तक चूमती और चाटती रही और फिर मैंने उससे पूछा, “बोल मेरी जान लाडला, कैसा लगा तुझे?” लाडला हाँफते हुए बोला, “ अरे बाप रे... अरे बाप रे... मुझे तो बहुत मजा आया मैली दिद्दी (दीदी)... जिंदगी में पहली बार मुझे ऐसा एहसास हुआ है... मैं तो यह चाहता हूं तुम हर रोज मेरे साथ ऐसा ही करो” “हां क्यों नहीं? तुझे अगर यह सब अच्छा लगा... तो तुझे खुश करके मुझे भी खुशी मिलेगी” फिर लाडला को यह एहसास हुआ कि उसके लिंग से कुछ अजीब सी चीज फूट पड़ी थी, उसने हैरत से मुझसे पूछा, “ मेरे नुन्नू से वह क्या निकला, मैली दिद्दी (दीदी)?” मैंने बड़े प्यार से स्पीक वालों को से लाया और फिर उसे उसकी सच्चाई से रूबरू करवाया, “मैं बताती हूं ना जानेमन लाडला... तेरे नुन्नू से जो चीज निकली है... उसे कहते हैं- ' सड़का'... या फिर 'माल' या फिर 'धात'... और जिस तरह से मैंने तेरा नुन्नू अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाया... उसे कहते हैं मुठ मारना... लड़की लोग जब मुठ मारते हैं तो उन्हें ऐसी मस्ती का एहसास होता है और वक्त आने पर उनके नन्नू से सड़का फूट पड़ता है…” मेरी बात पूरी होने से पहले ही लाडला ने बीच में ही सवाल किया, “अच्छा, मैली दिद्दी (दीदी) सड़का क्यों निकलता है?... क्या होता है इससे?” मैंने उसे समझाते हुए कहा, “हर मर्द की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह औरतों की चुत में अपना सड़का गिराए... चुत का मतलब याद है ना तुझे, लाडला?” “हां हां हां... वही तो तुम लड़कियों की पेशाब करने वाली जगह...”, यह कहकर लाडला ने प्यार से मेरे यौनांग पर हाथ फेरा... “हां तूने बिल्कुल ठीक कहा... और जैसा कि मैं कह रही थी लड़के लोग जो भी लड़कियों की चुत मैं अपना ही है सड़का गिराते हैं... तुझे सी खुशी और मदहोशी का एहसास तुझे हुआ वैसा ही लड़कियों को भी होता है...” “अच्छा एक बात बताओ मैली दिद्दी (दीदी)... तुमने तो मेरा नुन्नू हाथ की मुट्ठी में पकड़ कर हिला हिला के मुझे तो एकदम बहुत खुश कर दिया... लेकिन तुम लड़कियां ऐसा क्या करती हो?” “हम लोग और कर ही क्या कर सकते हैं, जानेमन लाडला... अगर हम लोगों का दिल करता है तो हम लोग अपनी चुत के अंदर उंगली डालकर हिला लेती है...” “अरे वाह बड़ी अच्छी बात है, तुमने मेरे साथ जैसा किया उससे तो मुझे बड़ा मजा आया अगर तुम चाहो तो मैं अपनी उंगलियां डालकर हिला हिला कर तुमको भी मैं खुश कर दूं?” मैंने कहा, “नहीं-नहीं- नहीं... तुझे मेरी फुद्दी में यानी कि चुत में उंगली डालने की जरूरत नहीं है... मैं तो यह चाहती हूं कि तू अपना लंड यानी कि नन्नू मेरी फुद्दी में डाल कर हिलाये...” “अरे हां हां हां हां... अब मैं समझा अब्बू जब तुम्हारे ऊपर लेटते हैं तो अपना नुन्नू यानी के लंड तुम्हारी फुद्दी में घसेड़ देते हैं और उसके बाद अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे करके तब तक हिलाते हैं जब तक उनके लंड से सड़का नहीं फूट पड़ता... उसके बाद तुम दोनों को बड़ा मजा आता है और फिर अब्बू तुमसे अलग हो जाते हैं... हां हां हां... अब मैं सब कुछ समझ गया” चलो गनीमत है कि इतनी देर में लाल बाबा के बेटे लाडला ने दो और दो जोड़कर 22 का आंकड़ा बना लिया है... “अरे वाह! मेरी जानेमन लाडला तो बहुत समझदार हो गया है उसे सब कुछ एकदम समझ में आ गया है...” “लेकिन मैली दिद्दी (दीदी), देखो ना मेरा नन्नू फिर से कैसे छोटा और एकदम निढाल सा हो गया है... एकदम नरम नरम... मैं इसे तुम्हारी फुद्दी में कैसे घुसाउँगा?” “तू उसकी चिंता क्यों कर रहा है जानेमन लाडला मैं हूं ना तेरी लौंडिया... तेरी मैली दिद्दी (दीदी) मैं दोबारा तेरे नन्नू को खड़ा करके बिल्कुल सख्त सा खम्बे जैसा लंड बना दूंगी और उसके बाद तू अपना लंड मेरी फुद्दी में घुसा देना...” क्रमशः *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
09-02-2022, 08:06 AM
Update sir
09-02-2022, 11:07 AM
अध्याय ६
“तो इसका मतलब यह हुआ कि लाल बाबा के बेटे लाडला का यह जिंदगी का पहला एहसास था... और जिंदगी में पहली बार उसका सड़का (वीर्य) फुटकर निकला था?” मेरी सासू मां आलता देवी ने मुझसे सवाल किया| मैंने कहा “हां” बातों ही बातों में मैं न जाने कब मैं अपनी सासू मा आलता देवी की गोद में सर रखकर अपने वतन को बिल्कुल ठीक ना छोड़ कर लेट गई थी; इस बात का मुझे ध्यान ही नहीं| उन्होंने मेरे खुले बालों में प्यार से उंगलियां चलाते हुए पूछा, “तेरी बातें सुनकर तो ऐसा लगता है कि तू ने जबरदस्ती ही उसको अपनी जिंदगी का सबसे हसीन एहसास दिलाया...” “जी हां आपने बिल्कुल ठीक कहा” “मुझे तो ऐसा लग रहा है कि जैसे पहली बार किसी कुंवारी लड़की के साथ जिंदगी में पहली बार सुहागरात मनाया जाता है... और उसका कुंवारी पना फाड़ दिया जाता है” “ही ही ही ही” मैं हंस पड़ी, “आपका कहना लगभग सही है ,सासु मैया” “लेकिन जहां तक मैं जानती हूं पुराने जमाने की बड़ी बूढ़ी औरतें हैं यह कहा करती है कि जैसे किसी कुंवारी लड़की को पहली बार भोगना किसी आदमी के लिए किस्मत की बात है ठीक वैसे ही किसी लड़की के लिए एक कुंवारे लड़के के साथ सोना उतना ही अहम है... खासकर ऐसे किसी आदमी या फिर लड़के का निकला हुए माल (वीर्य) को कुबूल करना... तो तूने क्या किया? क्या तूने सिर्फ ऐसे ही अपना हाथ पोंछ लिया?” “हां हां हां, मैं पुराने जमाने की बड़ी-बड़ी औरतों की यह सब बातों को अच्छी तरह से जानती हूं, सासु मैया| इसलिए जब लाल बाबा का बेटा लाडला अपनी आंखें मूंद कर हाफ रहा था तब मैंने उसकी नजरें बचाकर अपने हाथ में लगा हुआ उसका सड़का (वीर्य) चाट चाट के चूसा और फिर मैं उसे निगल गई...” “चलो अच्छा हुआ, यह तो तूने बहुत अच्छा किया... लाडला का गिरा हुआ पहला सड़का तू अगर अपनी योनि में ना ले सकी तो तू उसे पी गई... अच्छा हुआ कि तूने उसे यूं ही बर्बाद ना जाने दिया... लेकिन तू यह पुराने जमाने की औरतों वाली बातें कब से जानती है?” “यह तुम्हें ठीक से नहीं कह सकती लेकिन इतना तो मुझे याद है जब तक मेरी नदियां का बांध टूटा (मेरा मासिक शुरू हुआ)... तब मेरी उम्र क्या रही होगी 12 या 13 साल की होंगी मैं... मैं तब तक सब कुछ जान चुकी थी... यहां तक की आदमी और औरत के बीच संबंध के बारे में भी” मेरा जवाब सुनकर मेरी सासू मां आलता देवी फिर से हंस पड़ी और उन्होंने कहा, “ तब तो तेरे कुटुंब और अड़ौसी पड़ोसियों का क कहना बिल्कुल ठीक था कि तुम बहुत कच्ची उम्र में ही शरीर और मन से जल्दी ही पक गई थी यानी कि उम्र के हिसाब से जल्दी ही तेरे अंदर जवानी आ गई थी.. हा हा हा” “ही ही ही ही ही ही ” "अच्छा उसके बाद क्या हुआ" मेरी सासू मा आलता देवी ने लाल बाबा के बेटे लाडला के बारे में पूछा| मैंने फिर से बोलना शुरू किया- लाल बाबा के बेटे लाडला के लिए यह एक बहुत ही हसीन और मदहोश कर देने वाला एहसास था वह काफी देर से ऐसे बिस्तर पर पड़ा रहा मानव हो नशे में हो और शायद उसे ऐसा लग रहा था कि उसने अपनी जिंदगी का एक बहुत ही अहम मुकाम हासिल कर दिया है और अब शायद उसे जिंदगी में कुछ और करने की कोई जरूरत भी नहीं है... लेकिन अपने मालिक लाल बाबा के हुकुम के मुताबिक मेरी यह जिम्मेदारी बनती थी कि मैं उसको पूरी तरह से शारीरिक संपर्क के बारे में तजुर्बे दार बना दूं और यह उसके लिए उसकी जिंदगी की एक नई सीढ़ी बन जाएगी... इसलिए मैंने उसको उसका आने के लिए दोबारा अपनी कोशिश शुरू कर दी... और मैं उसे प्यार से दुलारने और पुचकारने लगी| मैं उसको चूमने लगी... उसके होठों पर, पलकों पर, गर्दन पर छाती में और फिर उसकी नाभि की छेद में अपनी जीभ डाल कर उसे उस गाने की कोशिश करने लगी... कुछ देर बाद मुझे लगने लगा कि वह धीरे-धीरे गरम हो रहा है और उसका लिंग भी धीरे बड़ा हो रहा है| यह देखकर मैंने और देर नहीं की... और मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसके अंडकोष को चाटने लगी... लाडला को यह सब बहुत अच्छा लग रहा था और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लेकिन अनजाने में ही है वह भी मेरे बालों में अपनी उंगली घुसा कर धीरे-धीरे सहलाने लगा... और आप तो अच्छी तरीके से जानती है सासू मैया कि वह लोग जात और धर्म में परे मलेछ (दूसरे धर्म के) है और उनके अंगों के सिरों की चमड़ी का टांका छिला हुआ रहता है... इसलिए जितना तक हो सके मैंने उसके लिंग की चमड़ी को नीचे की तरफ खींच दिया और और उसका गुलाबी गुलाबी कुंवारा लिंग दिखने में न जाने क्यों मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... और मेरा जी ललचाया और मैं उसको चाटने लगी... धीरे धीरे लाडला के अंदर कामना का सैलाब उमड़ने लगा… मैं उस वक्त पूरा जी जान लगाकर उसके लिंग को अपने मुंह के अंदर डाल कर दबा दबा कर चूस रही थी... "हां यह तूने अच्छा किया.." सासू मां आलता देवी ने कहा, " ऐसा करने से अनजाने में ही लाडला की समझ में यह आ जाएगा की लड़कियों की पुद्दी में अपना लंड घुसाने से लड़कों को कैसा एहसास होता है..." " हां, सासु मैया... मेरे ख्याल से लाडला को भी जरूर ऐसा ही लग रहा होगा... " "फिर क्या हुआ?" मैंने गौर किया कि लाडला का लंड अब काफी शक पर खड़ा हो चुका था... मैंने सोचा कि अब वक्त आ गया है इसलिए मैं भी उसके बगल में लेट गई और फिर मैंने उससे कहा, "मेरी जानेमन लाडला, क्या तू अपनी है मैली दिद्दी (दीदी) की फुद्दी (योनि) में अपना खंबा नहीं गढ़ेगा?" गहरी और लंबी सांसों के बीच बड़े ही भोलेपन से लाडला ने पूछा, " खंबा करने का मतलब क्या है, मैली दिद्दी (दीदी)?" "धत तेरी की..." मेरे मुंह से निकलने वाला था, ' धत्त तेरी की पागल कहीं का'... लेकिन मैंने अपने आप को रोक लिया... क्योंकि मैं जाती थी 'पागल' शब्द सुनकर लाडला को बहुत गुस्सा आता है और इस वक्त मैं उससे नाराज नहीं करना चाहती थी| आखिरकार मेरे मालिक लाल बाबा ने मुझे एक हुक्म दिया था और उसकी तामील करना मेरी जिम्मेदारी थी, इसलिए मैंने अपने आपको एंड मौके पर किसी तरह संभाल कर उसे समझाया, "अरे मेरी भोली जानेमन लाडला, देख देख देख तेरा नन्नू ऐसे खड़ा होकर एकदम खंभे जैसा लंड बन गया है... अब तुझे इसे मेरी फुद्दी (योनि) में घुसा कर मेरे ऊपर लेट जाना है... और उसके बाद जैसा कि तूने देखा था कि तेरे अब्बू किस तरह से मेरे ऊपर लेट कर अपनी कमर को ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... कर रहे थे और मजे ले रहे थे तुझे वैसा ही करना है... और तुझे ऐसा तब तक करने देना है जब तक की तेरी लंड से सड़का नहीं फूट पड़ता... तूने देखा था थोड़ी देर पहले ही तुझे एकदम से कितनी खुशी और एक बहुत ही हसीन एहसास हुआ था? वैसा ही तेरे साथ दोबारा होगा... इसी को कहते हैं फुद्दी (योनि) में अपना खंबा गाढ़ना..." यह कहकर लेटे लेटे ही मैंने अपनी दोनों टांगे फैला दी| "अरे हां... अच्छा अच्छा अच्छा" यह बोलकर लाडला झटपट उठ बैठा और उसके बाद मेरे यो नाम को देखते हुए बोला, "लेकिन मैली दिद्दी (दीदी), तुम्हारी फुद्दी (योनि) तो एकदम सपाट बंद है... अपने मुंह की तरह इसे भी खोलो ना? तभी तो मैं अपना नन्नू इसके अंदर डाल पाऊंगा" मैंने मन ही मन सोचा इस बंदे को कुछ भी नहीं आता... इसे तो यह भी नहीं मालूम कि औरतों की फुद्दी (योनि) को मुंह तरह खोला नहीं जाता| लेकिन मैंने वक्त जायर नहीं किया और मैंने कहा, "हां हां जरूर... यह ले.." यह कह कर मैंने अपनीउंगलियों से अपने यूनान के दोनों लबों को थोड़ा फैला दिया, "और हां, देख रहा है ना तेरा नन्नू कैसे खड़ा होकर सख्त होकर एकदम खंभे जैसा लंड बन गया है? इसलिए तू अपने नुन्नू को लंड ही बोलेगा..." " हां... हां... हां... ठीक है... ठीक है... ठीक है..." लाडला बड़े ही जोश में आकर मेरी योनि में धीरे धीरे अपना लिंग घुसाने लगा... "अरे बाप रे... मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा है... मैली दिद्दी (दीदी), थोड़ा थोड़ा दर्द भी हो रहा है" "एकदम रुकना नहीं मेरी जानेमन लाडला... तेरे से जितना हो सके अपने खंभे को उतना ही अंदर डाल... अगर जरूरत पड़े, तो जोर लगाकर ही सही है और उसके बाद तो मेरे ऊपर लेट जा" लाडला ने बिल्कुल एक आज्ञाकारी लड़के की तरह जैसा जैसा मैंने कहा बिल्कुल वैसा ही किया और उसके बाद वह मेरे ऊपर लेट गया| मैंने उसको अपनी आगोश में ले लिया और मैं जानती थी कि अनजाने में ही उसके ज़हन में भी की यौन भावनाएं धड़कने लगी थी... इसलिए बिना कहे ही वह भी मुझसे लिपटकर मुझे प्यार से सहलाने और दुलारने लगा और फिर अपने आप ही अपनी कमर को ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... ऊपर-नीचे... हिला हिला कर... मजे लेने लगा... इतने में मुझे भी सब कुछ अच्छा लगने लगा और मेरी सांसे भी गहरी और लंबी होने लगी थी... और मैंने उसे थोड़ा और उकसाने के लिए उसकी कान में घुस घुस आया, "जानता है रे जानेमन लाडला? लड़की लोग जब इस तरह से अपना लंड लड़कियों की फुद्दी (योनि) मैं डाल कर हिलाते हैं तो उसे क्या कहते हैं?" "क्या कहते हैं, मैली दिद्दी (दीदी)?" लाडला ने कांपती हुई आवाज में मुझसे पूछा| मैंने उसे समझाया, "इसे कहते हैं, ठुकाई करना या फिर ठापना..." तब तक लाडला के मुंह से दबी दबी से आए हैं और आवाजें निकलने लगी थी, "उउउ.... हूँ- हूँ- हूँ- .... उउउ.... हूँ- हूँ- हूँ- .... उउउ.... हूँ- हूँ- हूँ- ...." और उसके बाद मुझे कुछ बोल नहीं है समझाने की जरूरत नहीं पड़ी, उसने खुद ब खुद अपने मैथुन की गति बढ़ा दी... क्योंकि अब तक लाडला को एक अनजाने मजेदार फल के रस का स्वाद मिल गया था और वह उसी में मगन हो उठा था... उसके अंदर हवस की लहरें उमड़ने लगी थी और वह उसी अनजाने बहाव में बहता गया... और पूरे कमरे में सिर्फ हम दोनों की गहरी सांसे... आहें और ठपाने की आवाज गूंजने लगी... थप! थप! थप! थप! थप! थप! लाडला का किसी औरत के साथ यह पहला तजुर्बा था इसलिए ज्यादा देर तक वह अपना जोश बरकरार नहीं रख पाया... इसलिए इससे पहले की मुझे खुशी मिल पाती लाडला अपने आप को रोक नहीं पाया और उसका वीर्य मेरे अंदर फूट पड़ा और फिर वह मेरे ऊपर ही लेटे लेटे सुस्ताने लगा... मेरी बातें सुनकर मेरी सासू मां आलता देवी को भी बड़ा मजा आ रहा था वह भी मस्ती भरे स्वर में मेरे से बोली, "अरे वाह रे वाह! तेरी बातों को सुनकर तो ऐसा लग रहा है कि तूने अपने मालिक के हुकुम की बखूबी तामील की है... और इसके साथ ही तूने उस लड़कियों वाली आदतों वाले लौंडे लाडला को बहुत सारी बातें और शब्द भी सिखा दिए जिसका उसको तक खुद ब खुद पता चल जाना चाहिए था... अच्छा फिर तूने क्या किया?" मेरे ऊपर कुछ देर तक एकदम निढाल होकर बड़े रहने के बाद लाडला मुझे छोड़कर मेरे बगल में लेट गया| पर मुझे ऐसा लग रहा था कि तभी उसको शायद कोई होश नहीं है, इसलिए मैंने खुद ही उसके चेहरे से उसके उलझे उलझे लंबे बालों को हटाया और फिर प्यार से उसके चेहरे को छोड़कर खुद ही अपनी फुद्दी (योनि) में उंगली डालकर हिलाने लगी... उस दिन शायद उसके बाद थोड़ी देर के लिए मैं सो गई थी| जब दरवाजे पर दस्तक हुई है तो मेरी नींद खुली| घर में तो और कोई है ही नहीं इसलिए मैं समझ गई कि और कोई नहीं यह खुद लाल बाबा खुद ही आकर दरवाजा खटखटा रहे हैं| लगता है एक-एक करके लाल बाबा को मानने वाले जा चुके हैं और उनकी अगली वादत का वक्त हो गया है| मैहर बड़ा कर बिस्तर से उठी और जल्दी जल्दी किसी तरह से अपने बदन पर साड़ी लपेटी| जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, लाल बाबा मेरे उलझे उलझे बाल और चेहरे की हालत को देख कर ही समझ गए थे किमैंने उनके हुकुम का बखूबी तामील किया था... लेकिन इस हड़बड़ी में जी बिल्कुल भूल ही गई थी लाडला पलक पर बिल्कुल नंगा सो रहा है| मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करूं, इसलिए सबसे पहले तो मैंने लाल बाबा से माफी मांगी, "माफ कीजिएगा मालिक, आपके लड़के को प्यार करते करते शायद मैं भी सो गई थी..." लाल बाबा ने कहा, "ठीक है... ठीक है... कोई बात नहीं" फिर उन्होंने मुझे सर से पांव तक एक बार अच्छी तरह से देखा और फिर उन्होंने कहा, "अब तू चल मेरे कमरे में..." यह कहकर उन्होंने मेरे खुले बालों को समेट कर अपने बाएं हथेली की मुट्ठी में एक पोनीटेल कितना पकड़ा और बड़े जतन के साथ मुझे अपने कमरे में ले गए... मैं यह बात जानती हूं कि उनका मेरे बालों को इस तरह से पकड़ने का मतलब क्या था| वह यह जताना चाहते थे कि उनका मेरे ऊपर पूरा पूरा अधिकार है और वह जो चाहे मेरे साथ कर सकते हैं क्योंकि मैं उनकी एक कनीज़ -बंधीया-रखैल हूँ... इसलिए हमें चुपचाप सर झुका कर उनके साथ साथ उनके कमरे में चली गई... मुझे कमरे के अंदर ले जाने के साथ ही उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया... और मैं चुपचाप अपनी जैसे तैसे अरे बेटी हुई साड़ी उतारकर बिल्कुल नंगी होकर उनके बिस्तर पर लेट गई और मैंने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया| लालबाबा भी अपनी बनियान और लूंगी उतार कर एकदम नंगे हो गए और धीरे-धीरे मेरे ऊपर लेट गए... मुझे लगता है मेरी वैसी हालत और अपने बेटे को नंगा देखकर शायद उनके मन में भी हवस का जोहार उमर आया था या फिर वह जानते थे की लाडला के लिए गे पहला तजुर्बा है इसलिए शायद मुझे शांत नहीं कर पाया होगा... हो सकता है इसीलिए वह दोबारा मुझे मेरे बालों को पकड़कर अपने कमरे में लेकर गए... लाडला के मुकाबले लाल बाबा शरीर और मन से काफी काबिल है और उनका बदन भी काफी गठीला है और उनके पास तो उम्र का तजुर्बा भी है... लाडला तो खुद शांत होकर सो रहा था, लेकिन मैं प्यासी रह गई थी अच्छा हुआ कि लाल बाबा मुझे अपने कमरे में लेकर आए ताकि मेरी अधूरी प्यास बुझ सके... *** इसलिए उस दिन मुझे काफी देर लग गई थी... फिर भी मैंने लाल बाबा के बिस्तर से उठने के बाद अपनी साड़ी पहनते हुए मुझसे बोली, "मेरे मालिक, अब मैं जाकर आपके बेटे लाडला को नींद से उठा देती हूं... आज तो मुझे उसके बालों में तेल लगाने का मौका ही नहीं मिला और ना ही मैंने उसकी कंघी- चोटी की है... " लाल बाबा का मिजाज मुझे उस दिन दोबारा भोगने के बाद काफी खुश था, वह बोले, "ठीक है... ठीक है... ठीक है... मेरे बेटे को तैयार करके अपने घर की तरफ रवाना दे... घर जाकर तो तुझे घर की रसोई भी सवाल नहीं है ना?" मैं अपने बालों कंघी- चोटी को जुड़े में बांधती हुई बोली , "जी हां मालिक, आपने बिल्कुल सही फरमाया..." लाल बाबा ने कुछ सोचा और फिर उन्होंने मुझसे पूछा, " अच्छा एक बात बता, मैली... तेरी विधवा सास मांस मछली तो खाती होगी?" "हां हां मालिक, आप की मेहरबानियां मिलने से पहले तो हमारे घर में बहुत ही तंगी चल रही थी... इसलिए जल्दी जो मिलता था हम लोग खा लेते थे... कभी कबार जब मुझे इधर उधर शादी वगैरा में बर्तन मांजने का काम मिल जाता था, तो वहां से पैसों के साथ खाना भी मिल जाता था... तब सेखाने में अगर कुछ अच्छा मिल जाता था तो हम दोनों मिल बांट के खा लेते थे..." "बड़ी अच्छी बात है, आज जब तू घर वापस जाने के लिए निकलेगी तब मैं तेरे हाथ में एक पर्ची में लिख कर दे दूंगा... तू सीधे जुम्मन मियां की बिरयानी की दुकान में चली जाना वह तुझे दो लोगों की बिरयानी दे देगा..." इसके बाद में लाडला के बालों में तेल लगा कर चोटियां बना कर उसके चेहरे पर और बदन पर पाउडर लगाकर... जुम्मन मियां की दुकान से खाना लेकर घर लौटी थी..." मेरी सासू मां आलता देवी प्यार से मेरे गालों को सहलाती हुई बोली, "तू जब से मेरे घर आई है, मेरे घर की तंगी है दूर हो गई है... आज तेरी बदौलत हम थोड़ा अच्छा और पेट भर के खाना खा पा रहे हैं... मैंने तुझे लाल बाबा की कनीज़ -बंधीया-रखैल बनाकर जरूर रखा है लेकिन इसके अलावा हमारे पास कोई चारा भी तो नहीं था..." "सासु मैया, इस बात पर मुझे कोई एतराज नहीं है... मैंने आपसे कहा था मैंने हंसी खुशी सब कुछ मान लिया है" इसके बाद हम दोनों कुछ देर तक चुपचाप ऐसे ही बैठे रहे, फिर मैंने कहा, "सासु मैया, आज रसोई में जाकर के और खाना बनाने की जरूरत नहीं है... क्योंकि जैसा कि मैंने आपसे कहा था कि आज लाल बाबा के घर मैंने मांस पकाया है... दोनों ने हमारे लिए भी उसमें से कुछ हिस्सा निकालकर दे दिया है... और उन्होंने जितना दिया है उससे हम दोनों का दो वक्त का खाना आराम से पूरा पड़ जाएगा..." यह बात सुनकर मेरी सांसों में आलता दीदी बहुत ही खुश हुई, और उसके बाद उत्सुकता वश उन्होंने मुझसे पूछा, "अच्छा एक बात बता, तेरी जानेमन लाडला के अंदर क्या अभी भी वह लड़कियों वाली आदतें बरकरार है?" "जी हां सासु मैया" मैंने हंसकर कहा, "अभी तो सिर्फ 10 या 15 दिन ही हुए हैं कि लाडला मेरे ऊपर लेट रहा है... मुझे लगता है उसकी शख्सियत में बदलाव आने में अभी काफी वक्त लगने वाला है... और हां और एक बात आजकल लगभग हर रोज ही मुझे घर आने में देर हो रही है क्योंकि सबसे पहले तो मैं घर का सारा काम करती हूं... खाना बनाती हूं... उसके बाद लाल बाबा के बिस्तर पर अपना बदन पसार देती हूं... फिर लाडला को नहलाना- धुलना उसके बाद उसको अपने ऊपर लिटाना... उसके बाद हम दोनों को खाना परोसना और फिर घर के लिए रवाना होने से पहले आजकल लाल बाबा लगभग हर रोज मेरे बालों को पकड़कर मुझे अपने कमरे में दोबारा लेकर जाते हैं मुझे चोदने के लिए... आज भी वही हुआ" मेरी बातें सुनकर मेरी सासू मा आलता देवी कुछ सोचने लग गई और फिर उन्होंने कहा, फिर तो मुझे ऐसा लगता है कि तू उन लोगों की जितनी खिदमत करती है उसके हिसाब से तेरी भरपाई में भी थोड़ा इजाफा होना चाहिए... मैं लाल बाबा से बात करके देखती हूं... अब उन्हें बताना पड़ेगा कि तेरी तनख्वाह के साथ-साथ अब हम दोनों के लिए दो वक्त के खाने का भी इंतजाम कर दे... क्योंकि तू तो उनके घर के सारे काम करती हैं... झाड़ू पोछा करना चूल्हा चौका करना... कपड़े धोना वगैरा-वगैरा और फिर उन दोनों के बिस्तरों को भी गर्म करना..." मैंने मुस्कुराकर कहा, " तू जैसा आप ठीक समझें को कीजिए, सासु मैया... मैं तो सिर्फ आपका कहा मान कर चल रही हूं" "हां री मेरी बच्ची मैली, मैं तो तेरी तेरी सास... तेरी मां जैसी... लेकिन अगर देखा जाए तो तेरे ऊपर हुकुम चलाना मेरा हक बनता है... और जब तक मेरा लड़का जेल में है तू मेरे हुकुम के मुताबिक दूसरे के घर जाकर दूसरे मर्द होकर बिस्तर में अपना बदन पसार कर थोड़ा बहुत लेचारी की बदौलत थोड़ा बहुत चुदाई करके अगर घर में थोड़े बहुत पैसे लेकर आ रही है तो इसमें बुरा ही क्या है?" अबे धीरे-धीरे उठ कर बैठी और अपना साड़ी उतार कर अपने ब्लाउज के हुक खोलते हुए अपनी सासू मां आलता देवी से कहा, "सासु मैया, अब मैं जाकर नहा लेती हूं उसके बाद मैं आपका खाना परोस दूंगी... वैसे मैं दोबारा यह बात कहना चाहूंगी कि लाडला के अंदर बदलाव आने में अभी काफी वक्त लगेगा..." " हा हा हा हा हा, इसमें हमें तो कोई नुकसान नहीं होने वाला गूगल की अच्छा ही होगा| तू जितने दिन लाल बाबा की और उनके बेटे की जैसे सेवा करती रहेगी तब तक तो हम लोगों के परिवार में तंगी का कोई नामोनिशान ही नहीं रहेगा..." मैं मुस्कुरा कर नहाने चली गई... उस दिन की तरह आज भी बहुत देर हो गई थी| खाना खाने के बाद मुझे थोड़ा आराम करना है और उसके बाद रात को अच्छी तरह सोना भी है क्योंकि अगले दिन समय दोबारा मुझे काम पर निकलना पड़ेगा... और लाल बाबा और उनके बेटे की खिदमत करके उन दोनों को खुश भी रखना होगा... *** समाप्त *** *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
10-02-2022, 10:51 PM
Beautiful sir
13-02-2022, 10:38 AM
Awesome again. Aapne jis tarah kahani likhi hai bahut rasprad hai.
20-02-2022, 10:39 AM
(13-02-2022, 10:38 AM)Curiousbull Wrote: Awesome again. Aapne jis tarah kahani likhi hai bahut rasprad hai. आपका बहुत शुक्रिया! *Stories-Index* New Story: উওমণ্ডলীর লৌন্ডিয়া
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