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Fantasy तांत्रिक बहू
#5
अध्याय ४ अगले दिन

प्राची ध्यान लगाने की कोसिस  करती है लेकिन छुड़ाई के कारण अंग अंग में दर्द होता है ऐसा पहली बार हुआ था की प्राची एक रात में ही कई बार झड़ी हो । उसका थकान बहुत  था वो थोड़े देर ध्यान लगाने की कोसिस करते करते सो जाती है ,
नैनी आके प्राची को उठाती है ।उसको पीने के लिए एक मिटी के बर्तन में काढ़ा देती है , प्राची थकान के कारण पूछती भी नहीं की क्या है और चुप चाप काढ़ा पी जाती है । काढ़ा पीने के बाद प्राची को थोड़ा आराम लगा । नैनी उसको ध्यान करना सिखाती है और कहती है कि “अभी एक हफ़्ते तक तुमको ध्यान ही लगाना सीखना होगा, मन को एकाग्र करना सीखो और गोसाई जी जो भी मंत्र देते है उनका पाठ करो बस और क्या । “
“ठीक है “ प्राची ने हामी भरा । प्राची अभी भी नंगी थी और नैनी उसके कसे बदन में कल रात की चुदाई के बाद आए सुजान को देख रही थी । उसके स्तन अब हल्के लग रहे थे और चूत फूल के पाओ रोटी के समान हो चुकी थी । नैनी गोसाईं जी के ताक़त से परिचित थी उसको पता था कि गोसाईं जी किसी नई नवेली लड़की का चोद चोद के जान भी ले सकते है , लेकिन प्राची का हाल देख के नैनी समझ गई की गोसाईं जी ने काफ़ी सम्भाल के चुदाई की है इसकी। प्राची को अब अपने नग्नता का ख्याल नहीं रहा ना ही नैनी से शरम उसे बस चूत की हल्की जलन परेशान कर रही थी । उसने नैनी से पूछा कि जलन की कोई दवा मिलेगी ? नैनी ने  प्राची के चूत पे अपना ठंडा हाथ रखा और बोली की एक हफ़्ते में सब ठीक हो जाएगा मैं ज़रूरत के हिसाब से तुमको काढ़ा देते रहूँगी , अब तुम ध्यान करो और गोसाईं जी दोपहर में आयेंगे ।
दोपहर में गोसाईं जी ने आके पहले प्राची के रस्सी को खोलके अपने पैरों से बाँधा, प्राची उठ के खड़े हो गई , गोसाईं जी प्राची को चटाई में बैठने कहा और धोती खोल के आट में आसन मुद्रा में बैठे , प्राची को ध्यान लगाने की मूल बातें गोसाईं जी बताते रहे प्राची ध्यान से सुनने की कोसिस कर रही थी लेकिन बार बार उसकी नज़र गोसाईं जी के लिंग पर टिक जाती थी । लगभग घंटा भर गोसाईं जी ने प्राची को ध्यान सिखाया फिर उसको बाहर चलने बोला । दोनों वापस सुबह वाली जगह पर आते है प्राची सीधे बैठ के मूत की धार छोड़ देती है और गोसाईं जी खड़े खड़े मूत की मोटी धार लिंग से छोड़ते है , गोसाईं के लिंग किसी मोटरपंप की तरह मूत तेज़ी से बाहर छोड़ रही थी प्राची हैरान थी कि उसे अब क्या क्या नया देखना पड़ेगा और एक गोसाईं जी के ताक़त से पूरी तरह वशीभूत हो गई थी।
गोसाईं जी वापस प्राची को गुफा में छोड़ के चले जाते है । शाम में नैनी कुछ खाने का और काढ़ा  ला के प्राची को देती है । खाना खा के प्राची की स्फूर्ति वापस लौट आती है वो आज फिर से चुदाई के लिए अपने आप को रेडी कर लेती है , प्राची का ध्यान अब शिर्फ गोसाईं जी के आगमन पर होती है वो गोसाईं जी का इंतज़ार लेने लग जाती है जैसे कोई पत्नी अपने पति का ।
रात में गोसाईं जी आते है , अपना धोती खोल के अलग रखते
 
 है और प्राची के रस्सी से अपने को बांध लेते है । प्राची चुदासी हो चुकी है और अब वो जल्दी से कल जैसा चुदाई चाह रही थी।लेकिन गोसाईंजी पहले प्राची को कुछ मंत्रा देते है और उन्हें याद लेने को कहते है , प्राची मंत्र याद करती है गोसाईं जी ध्यान लगा के बैठ जाते है । लगभग आधे घंटे बाद प्राची मंत्र याद करके गोसाईं जी को बताती है । गोसाईं जी अपने ध्यान से उठते है और प्राची को अपनी गोद में बिठा लेते है , प्राची उछल के उनके ऊपर बैठ जाती और प्राची का हाथ गोसाईं जी के लिंग को सहलाने लगता है , गोसाईं जी प्राची से पूछते है कि क्या कभी उसने पीछे से चुदाई की है ?  आशीष ने कोसिस की थी लेकिन दर्द के मारे मैंने माना किया और उसने कभी फिर छुआ नहीं मुझे वहाँ ।
गोसाईं जी की एक उंगली प्राची के चूत जो अब गीली थी उसके अंदर थी , प्राची को गोसाईं जी की उँगलियाँ भी लंड का एहसास देती थी । प्राची अपना मुँह गोसाईं जी से सटाती है , प्राची को किस करने की इच्छा थी लेकिन गोसाईं जी ने प्राची के मुँह को थोड़ा दूर करते हुए उसे अपनी गोद में उठाते है और हवा में ही पलट के प्राची को उल्टा करके69 पोजीशन में आ जाते है । अचानक हुए इस प्रहार से प्राची चकित रहती है लेकिन गोसाईंजी का लिंग मुंह के सामने पाके वो लपक के मुँह में ले लेती है गोसाईं जी प्राची के दोनों टांगो को अपने कंधे पे रख कर उसकी चूत का भोग लगाते है । गोसाईं जी पूरे ताक़त से चूत को खाने लग जाते है प्राची को लगता है की उसकी अंतड़ीयाँ चूत से बाहर आ जायेंगी , मुँह में लिंग को भरे हुए प्राची उसके धक्को को भी सह रही थी । कुछ देर बाद गोसाईं जी प्राची को सीधे करके खड़े कराते है और ख़ुद आट में जाके बैठ जाते है प्राची को अपनी ओर बुला के घुटनों पर बैठा कर अपना दोनों पैर प्राची के कंधों पे रखे देते है , प्राची गोसाईं जी के अंडों को अपने मग में भर के चूसती है , भरे हुए अंडे प्राची ज़ोर ज़ोर से चूसती है , थोड़ी चुसाई के बाद गोस्वामी जी प्राची के कंधे पैर से दबा के उसे नीचे जाने कहती है । प्राची ने आजतक गांड की चटाई नहीं की थी उसे ये पसंद भी नहीं था लेकिन गोसाईं जे के ताक़त के आगे वो बेसहाय थी , प्राची थोड़ा नीचे आती है और गोसाईं जी के गांड की महक उसके नथुने से होकर पूरे फेफड़े में भर जाती है , गंध तीक्ष्ण थी क्योंकि प्राची और गोसाईं जी दोनों ही साथ में सुबह अपनी गांड पत्थर से ही साफ़ किए थे , प्राची को इस बात पे घिन भी आ रही थी लेकिन उसके सामने और कोई चारा भी नहीं था , प्राची ने जीभ निकाल के पहली बार गोसाईं जी का गांड चाटा , खट्टा और कड़वा तीक्ष्ण गंध के साथ प्राची के मुंह पूरा पहली स्वाद से ही गंध से भर गया , प्राची चाटना जारी रखी थोड़ी देर में वो इस गंध की आदि हुई और अपना जीभ गोसाईं जी के गांड़ के सभी हिसो में फिरा फिरा के उनकी गांड साफ़ कर दिया । प्राची की समर्पण और अपने मन को अपने वश में रख के काम करने की लगन देख के गोसाईं जी भी ख़ुश हुए और प्राची को उठा के अपने जगह पर बैठ दिया और ख़ुद प्राची की जगह पर आ गए । गोसाईं जी ने प्राची के गांड में नाक लगा के पहले उसको महक का आनंद लिया फिर किसी भूखे भेड़िए की तरह उसके गांड पर टूट गए उन्होंने भी प्राची की गांड को जीभ से साफ़ किया । साथ साथ प्राची की छूत में उँगली करके उसको चरम सुख में पहुँचा दिया । फिर दोनों चटाई में चिपक के लेट गए । गोसाईं जी ने प्राची को समझाया कि कैसे अपने मन पे कंट्रोल करके किसी ना पसंद काम को भी किया जाए तो इससे हमारी आंतरिक शक्तियां बढ़ती है । प्राची समझ चुकी थी कि इन सब गंदे कामों का एक मात्र लक्ष्य अपने मन में पूरा । गोसाईं जी ने प्राची को कहा कि अगले दस  दिन यही दिन चर्या होगी और उसके बाद मैं तुम्हारे मन में जो भी सवाल होंगे उनके जवाब दूँगा और आगे की क्रिया सीखेंगे ।
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Messages In This Thread
तांत्रिक बहू - by Gomzey - 23-11-2025, 03:30 PM
RE: तांत्रिक बहू - by Pvzro - 24-11-2025, 07:29 PM
RE: तांत्रिक बहू - by Gomzey - Yesterday, 09:14 AM



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