24-11-2025, 11:06 PM
Shipra बिस्तर पर आधी टूटी, आधी पिघली,
लेकिन उसके होंठों पर वही पागल कर देने वाली मुस्कान चिपकी थी—
क्योंकि ये सब उसी की माँगी हुई roleplay थी।
Neeraj उसके बाल पकड़कर पीछे खींचते हुए गुर्राया—
Neeraj (जानबूझकर गंदी आवाज़ में):
“रांडी… ज़रा ज़ोर से बोल… वरना मज़ा नहीं आएगा!”
Shipra काँपते हुए भी उसी fantasy में डूबी हुई—
Shipra (सांस टूटती हुई, लेकिन चाह में):
“मथुरा की सबसे बड़ी रांड… मैं ही हूँ Neeraj… बस मत रोक…”
Neeraj उसके कान को दाँतों से दबोचता है, झटके और तेज़—
“यही चाहिए था मुझे… पिघलो और…”
कमरे में बिस्तर की थाप, कराहें, और उनकी साँसों का जानवर जैसा मिश्रण गूँज रहा था।
---
? उधर दूसरी तरफ… Tara और Rohit
Tara उसी समय Rohit के ऊपर बैठी थी,
उसके खुले गले पर चुंबन छोड़ते हुए—
Tara (हवा में फुसफुसाकर):
“आज mrs. Shipra ghar pe nahi hai na… koi disturb nahi karega…”
Rohit हँसते हुए उसके कमर को पकड़ने ही वाला था कि—
“धड-धड— आह्ह… आआह्ह…”
ये आवाज़ें उनके कमरे तक साफ़ आ गईं।
Tara रुक गई।
Rohit का हाथ हवा में ही ठहर गया।
दोनों ने एक-दूसरे को देखा।
Tara (भौंहें चढ़ाकर):
“Yeh… kiski awaaz hai? Koi fight ho rahi hai kya?”
लेकिन Rohit का चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था।
आवाज़… उसकी माँ जैसी लग रही थी।
Rohit (धीमी आवाज़ में, डरा नहीं— हैरान):
“…yeh… maa ki awaaz lag rhi hai…”
Tara ने उसकी छाती पर हाथ रखा।
Tara:
“Pagal? Tumhari maa toh—
Arey…”
और तभी एक तेज़ कराह,
जैसे कोई रगड़कर दीवार से टकरा जाए—
“Aaahhh… Neeraj… aur… aur…”
Rohit के दिल की धड़कन रुक गई।
वो नाम— Neeraj।
उसी उसके सामने रोज़ आने वाला लड़का।
और उसकी माँ की ऐसी आवाज़?
Tara का चेहरा हैरानी से खुल गया।
उसके होंठ हिल नहीं रहे थे।
Rohit तुरंत उठ खड़ा हुआ।
Rohit (गुस्से और सदमे में):
“Tara… yeh meri maa ki awaaz hai.
Main dekhne jaa raha hoon…”
Tara घबराकर उसका हाथ पकड़ लेती है—
Tara (फुसफुसाते, डर में भी थोड़ा उत्तेजित):
“Rohit… ruk… aise mat jao…
Waha… jo bhi ho raha hai… tum dekhna chahte ho?”
Rohit की साँसें तेज़।
कमरा शांत।
बाहर सिर्फ़ Shipra की भारी, आधी टूटी, आधी सुख में डूबी कराहें।
धीरे-धीरे
Rohit दरवाज़े की ओर चलता है…
Tara उसके पीछे…
उसकी उंगलियाँ Rohit के कंधे पर कांपती हुई।
और कमरे में Shipra–Neeraj की आवाज़ें अब और साफ़ हो गई थीं—
“Haan randi… bas aise hi… mera naam bol…”
“Neeraj… aur do… pighla de…”Rohit दरवाज़े के बिल्कुल पास पहुँचा।
Tara उसके पीछे, उसकी उंगलियाँ अभी भी उसके कंधे में धँसी हुई।
दरवाज़ा पूरा बंद था…
लेकिन बीच का पतला-सा gap एक ऐसी नरक की खिड़की बन चुका था
जिससे सिर्फ़ आवाज़ें और हिलती हुई परछाइयाँ दिख रही थीं।
अंदर से Shipra की टूटी हुई, मिट्टी की तरह पिघली आवाज़ निकली—
“Neeraj… हाँ… बस… ऐसे ही… फाड़ दे…”
Rohit का सीना सख्त हो गया।
उसकी आँखे gap पर टिक गईं।
और तभी—
एक लम्बी, झटकों में हिलती हुई परछाई दीवार पर उभरी।
Tara का मुँह अपने आप खुल गया।
Tara (फुसफुसाहट में, दबी हुई सिसकारी): “…yeh… silhouette… dekh…”
Rohit के कानों में अब हर आवाज़ बिजली की तरह चुभ रही थी—
THAP… THAP… THAP…
Shipra की भारी, डूबी हुई कराहें—
“Aaahh… Neeraj… aur… aur… rukna mat…
Randi bana de aaj…”
Neeraj की गुर्राहट—
“Bol… meri kya lagti tu…?”
Silhouette और उभरा—
Shipra का शरीर झुकता हुआ,
Neeraj की पकड़ में खिंचता हुआ,
हवा में उनका तेज़, जंगली rhythm साफ़ दिखता।
Rohit का गला सूख गया।
उसके हाथ काँप रहे थे।
Tara उसके बिल्कुल कान के पास आ गई,
उसकी साँस Rohit की गर्दन को छूती—
Tara (धीमी, almost trembling): “Rohit… tumhari maa… is tarah roleplay…
Neeraj ke saath…?”
अंदर से अचानक एक और ज़ोरदार आवाज़—
“Aaahhh— haaaan Neeraj… mat chhod… pighla de mujhe…!”
Gap के उस पार Shipra की silhouette दीवार से टकराती दिखी…
तेज़… लगातार…
थापें इतनी तीखी कि Tara की जांघें तक कांप गईं।
Tara ने Rohit के हाथ को पकड़ा— लेकिन इस बार डर में नहीं…
उसकी उंगलियाँ गरम थीं।
हल्की काँपती… पर रुकती नहीं।
Tara (साँस दबाकर): “Ye… dekh pa rahe ho?
Tum sun rahe ho?
Tumhari maa… Neeraj ko… iss tarah…?”
Rohit की नज़रें silhouettes में जमी थीं—
आंदोलन और तेज़ हो चुका था।
Neeraj की करारी आवाज़—
“Bol kaun tu!? … kya hai tu!?”
Shipra की टूटती चीख—
“Randi… Neeraj ki randi…!”
Rohit की साँसें उखड़ गईं।
Tara उसके बिल्कुल चिपककर खड़ी थी।
दोनों आग की तरह गरम हो चुके थे—
लेकिन shock की वजह से हिल तक नहीं पा रहे थे।
अंदर silhouettes अब एक जंगली, रुक-न-रुकता dance बन गई थीं—
जैसे दीवार खुद हिल रही हो…
और तभी—
Shipra की सबसे भारी, सबसे टूटी,
सबसे गहरी कराह कमरे को चीरती हुई बाहर आई—
“NEERAJ… AUR… DO…!”
Shipra की वो आख़िरी फटी हुई कराह
पूरा घर चीरती हुई निकलती है—
“NEERAJ… AUR… DO…!”
दीवारें हिल गईं।
Gap के उस पार silhouettes ऐसे हिल रहे थे
जैसे कोई तूफ़ान सीधे कमरे में उतर आया हो।
Rohit के कान सुन्न।
चेहरा लाल—गुस्सा, सदमा, और कुछ ऐसा…
जिसे वो खुद नाम नहीं दे पा रहा था।
Tara ने एक झटके में उसका हाथ पकड़ा
और उससे पहले कि Rohit कमरे में घुसने को धक्का मारता—
उसने उसे अपनी ओर खींच लिया।
Tara (काँपती पर ज़िद वाली फुसफुसाहट):
“Rohit… andar गए तो तुम टूट जाओगे…
आओ… मेरे साथ…”
उसने Rohit को almost घसीटकर hallway से दूर ले आई—
Shipra की भारी, टूटती हुई आवाजें
फिर भी हर सेकंड उनके पीछे दौड़ती रहीं—
“Neeraj… haaaan… rukna मत… bas… bas…!”
कमरा अभी भी थापों में डूबा हुआ था।
जैसे हर झटका दीवार को धक्का मारकर बाहर आ रहा हो।
Tara ने दरवाज़ा धड़ाम से बंद किया।
कमरे की पीली रोशनी में Rohit की साँस
सीधे उसकी collarbone पर टकरा रही थी।
लेकिन Tara का शरीर भी काँप रहा था—
डर से नहीं…
उस आवाज़ों की गर्मी से।
बाहर से फिर तेज़ rhythm—
THAP… THAP… THAP…
Shipra की साँसें टूटी हुई—
हर आवाज़ में पिघलती, surrender करती हुई—
“Aahhh… Neeraj… aur… aur…!”
Tara ने धीरे-धीरे Rohit के चेहरों को पकड़ लिया।
उसकी उँगलियाँ गर्म थीं…
बहुत गर्म।
Tara (धीमे, almost breathless):
“Rohit… तुम्हारी माँ इस वक़्त… पूरी तरह… किसी और के नीचे…
और तुम… बस सुन रहे हो…”
Rohit की साँस अटक गई।
वो दीवार की तरफ देखा—
जैसे आवाज़ ही उसे खींच रही हो।
Tara उसके बिल्कुल पास आ गई—
इतनी पास कि उसकी साँस Rohit की ठुड्डी के नीचे जलती हुई लग रही थी।
Tara (थोड़ी दबी हुई, गहरी, almost trembling):
“Waha… जो भी चल रहा है…
तुम्हारी माँ… पूरी तरह खो चुकी है…
और Neeraj… रुका नहीं है…”
बाहर फिर एक wild आवाज़—
कुछ ऐसा जैसे दो bodies तेज़ी से टकरा कर फिर गिरें—
“AAAHHH— Neeraj… mat ruk… mat…”
Tara एक सेकंड के लिए breathe लेना भूल गई।
उसकी उँगलियाँ Rohit की कलाई पर और कस गईं।
Rohit की आँखें बंद।
उसके चेहरे पर गुस्से, shock और जलती हुई बेचैनी का अजीब मिश्रण।
Tara उसकी छाती पर हाथ रखती है—
धीरे, गर्म, फिसलते हुए।
Tara (बहुत धीमी, आँखे आधी बंद):
“Rohit…
tumhari maa… iss waqt… bas pighal rahi hai…
aakhri hadd tak…”
बाहर से वही तूफानी आवाज़ें—
rhythm और तेज़, और भारी—
Shipra की डूबी हुई कराहें
कमरे तक काँपकर गिरती रहीं।
Rohit ने होंठ भींच लिए…
साँस तेज़, भारी, टूटती हुई।
Tara उसके बिल्कुल पास फुसफुसाई—
Tara:
“Rohit…
जो tum abhi mehsoos कर रहे हो…
use roko mat…”
कमरा गर्म था।
बाहर का शोर जंगली।
अंदर tension धुआँ बनकर हवा में तैर रही थी।
? कमरे में हवा भारी हो चुकी थी।
Shipra का शरीर बिस्तर पर झुका हुआ,
कमर काँपती हुई…
और Neeraj उसके पीछे से जानवरों की तरह दबाए हुए।
हर धक्का इतना तेज़ था
कि बिस्तर जमीन से टकराकर ठक-ठक की कच्ची आवाज़ देता था।
Shipra की आधी चीख, आधी कराह—
Neeraj की भारी, गंदी, कड़क साँसें—
दोनों मिलकर कमरे को जला रही थीं।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर उसे और पीछे खींचा—
“Rokna mat aaj…
aaj main pura tod dunga tumhe…”
Shipra ने काँपते हुए सिसकारी भरी—
“Neeraj… please… main—”
Neeraj की आवाज़ और गंदी, और तेज़, और uncontrollable—
“Aunty… tum samajhti nahi ho…
aaj main tumhe andar tak bhar dene wala hoon…”
वो झटकों की गति और बढ़ा देता है—
इतनी rough कि Shipra की उंगलियाँ चादर फाड़ने लगीं।
बाहर—
Rohit के कानों में सिर्फ़ उसकी माँ की टूटी हुई कराहें
और Neeraj की हर बार की कड़क आवाज़ें गूँज रही थीं।
उसकी साँसे अटक रहीं थीं, पैर जमे हुए।
अंदर—
Shipra लगभग गिरने लगी तो Neeraj ने
उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़कर
उसे अपनी तरफ खींच लिया—
पूरी ताकत से।
पूरी पागलपन से।
पूरी domination से।
Shipra की आँखें बंद हो गईं—
उसकी तेज़, टूटी हुई आवाज़ कमरे में फट पड़ी—
“Neeraj… main… main ruk nahi paa rahi…!”
Neeraj गुर्राया—
“Ruko mat!
Aunty…
aaj hum dono ek saath tootne वाले हैं….”
और अगले ही पल—
Neeraj ने आखिरी कुछ धक्के
इतनी तीव्रता से मारे
कि Shipra का पूरा शरीर आगे फिसल गया।
उसकी कराह चीख के करीब पहुँच गई।
Neeraj की साँसे फटने जैसी भारी—
दोनों एक ही पल में फट पड़े।
कमरा एक सेकंड के लिए थम गया—
साँसे रुक गईं—
और फिर दोनों हाँफते हुए
बिस्तर पर ढह गए।
बाहर—
Rohit ने सब सुना।
हर आवाज़।
हर कराह।
हर थरथराहट।
अंदर—
Shipra और Neeraj
एक-दूसरे पर गिरे पड़े,
पूरी तरह टूटे हुए,
पूरी तरह ख़त्म,
पूरी तरह खाली।
सीन वहीं खत्म।
---? दरवाज़ा बस थोड़ा-सा चरमराया…
और उसी छोटे से gap से तूफ़ान बाहर निकला।? कमरे में हवा भारी हो चुकी थी।
Shipra का शरीर बिस्तर पर झुका हुआ,
कमर काँपती हुई…
और Neeraj उसके पीछे से जानवरों की तरह दबाए हुए।
हर धक्का इतना तेज़ था
कि बिस्तर जमीन से टकराकर ठक-ठक की कच्ची आवाज़ देता था।
Shipra की आधी चीख, आधी कराह—
Neeraj की भारी, गंदी, कड़क साँसें—
दोनों मिलकर कमरे को जला रही थीं।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर उसे और पीछे खींचा—
“Rokna mat aaj…
aaj main pura tod dunga tumhe…”
Shipra ने काँपते हुए सिसकारी भरी—
“Neeraj… please… main—”
Neeraj की आवाज़ और गंदी, और तेज़, और uncontrollable—
“Aunty… tum samajhti nahi ho…
aaj main tumhe andar tak bhar dene wala hoon…”
वो झटकों की गति और बढ़ा देता है—
इतनी rough कि Shipra की उंगलियाँ चादर फाड़ने लगीं।
बाहर—
Rohit के कानों में सिर्फ़ उसकी माँ की टूटी हुई कराहें
और Neeraj की हर बार की कड़क आवाज़ें गूँज रही थीं।
उसकी साँसे अटक रहीं थीं, पैर जमे हुए।
अंदर—
Shipra लगभग गिरने लगी तो Neeraj ने
उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़कर
उसे अपनी तरफ खींच लिया—
पूरी ताकत से।
पूरी पागलपन से।
पूरी domination से।
Shipra की आँखें बंद हो गईं—
उसकी तेज़, टूटी हुई आवाज़ कमरे में फट पड़ी—
“Neeraj… main… main ruk nahi paa rahi…!”
Neeraj गुर्राया—
“Ruko mat!
Aunty…
aaj hum dono ek saath tootne वाले हैं….”
और अगले ही पल—
Neeraj ने आखिरी कुछ धक्के
इतनी तीव्रता से मारे
कि Shipra का पूरा शरीर आगे फिसल गया।
उसकी कराह चीख के करीब पहुँच गई।
Neeraj की साँसे फटने जैसी भारी—
दोनों एक ही पल में फट पड़े।
कमरा एक सेकंड के लिए थम गया—
साँसे रुक गईं—
और फिर दोनों हाँफते हुए
बिस्तर पर ढह गए।
बाहर—
Rohit ने सब सुना।
हर आवाज़।
हर कराह।
हर थरथराहट।
अंदर—
Shipra और Neeraj
एक-दूसरे पर गिरे पड़े,
पूरी तरह टूटे हुए,
पूरी तरह ख़त्म,
पूरी तरह खाली।
सीन वहीं खत्म।
---
Neeraj।
सिर्फ काली चड्डी में।
बाल ऐसे बिखरे जैसे किसी ने मुट्ठी भरकर खींचे हों।
चेहरा पसीने से चमकता, जबड़ा कसा हुआ।
छाती तेज़, भारी साँसों से ऊपर-नीचे।
उसके गले पर Shipra के नाखूनों के पाँच गहरे, लाल, जलते हुए निशान—
ऐसे जैसे किसी ने जान लेकर छोड़ा हो।
वो बाहर आया,
और जाते-जाते Tara पर एक लंबी, चुभती हुई नज़र डाली—
आधी मुस्कान…
थकी हुई, मगर जीत वाली—
“Dekha? Bas itna hi.”
जैसे नज़रों से ही कह गया हो।
Rohit पर भी एक पल नज़र जमाई—
बिल्कुल बिना शर्म, बिना झिझक…
फिर वही हल्की शैतानी मुस्कान
और वो गलियारे में गायब।
कमरा चुप।
बस Rohit की दिल-धड़कन बची।
---
? Rohit धीरे-धीरे अंदर आया।
कमरे की हालत देखकर उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
बिस्तर की सफेद चादर पूरी तरह
मरोड़ी हुई,
दबी हुई,
हर तरफ़ गहरी सिलवटें—
जैसे किसी ने बार-बार उठाकर पटक दी हो।
बीच में Shipra—
चादर में लिपटी,
बिल्कुल टूटी,
पसीने से भीगी,
होठों पर आधी मरी हुई सिसकी।
उसके चेहरे पर वो थकान थी
जो सिर्फ़ एक औरत के शरीर से
पूरा ज़ोर छुड़ाकर निकलती है।
Rohit का गला सूख गया।
---
? फर्श पर —
लाल रंग की पैंटी।
पूरी उधड़ी, फटी हुई।
कमरबंद तक चिरा हुआ—
जैसे किसी ने दोनों हाथों से पकड़कर
एक ही झटके में फाड़ दी हो।
Rohit की साँसे वहीं अटक गईं।
---
? सोफ़े पर —
Shipra की ब्रा।
एक स्ट्रैप उलझा हुआ,
दूसरा आधा खिंचा हुआ,
जैसे उसे भी किसी ने जकड़कर उछाल दिया हो।
Rohit की आँखें फैल गईं।
वो कुछ कह ही नहीं पाया।
---
? तभी Tara अंदर आई।
धीमे कदमों से,
जैसे वो भी इस कमरे की गर्म हवा महसूस कर रही हो।
उसने लाल फटी हुई पैंटी उठाई।
दोनों हाथों से फैलाकर देखी—
और होंठों पर शरारती, भारी मुस्कान आ गई।
Tara (धीमी, rough आवाज़ में): “Rohit…
agar panty ka haal itna hai…
toh soch… andar kya तूफ़ान चला होगा।”
वो कमरबंद के फटे हिस्से को उँगलियों से खींचती है—
gap और चौड़ा करती हुई।
Tara (नज़रें उठाकर, ज़रा टेढ़ी मुस्कान): “Yeh kapda haath se नहीं…
ज़ोर से— बहुत ज़ोर से—
फाड़ा गया है।”
Rohit की साँसे लड़खड़ा गईं।
---
? Tara उसके इतना पास आई
कि उसकी गरम साँस Rohit की गर्दन को छू गई।
उसने Rohit की कलाई पकड़कर
हल्का-सा झुकाया—
Tara (कच्ची, भारी, सीधी आवाज़ में): “Tumhari maa…
aaj sirf थकी नहीं…
पूरी तरह gal ke gir gayi.”
Rohit के कान बजने लगे।
उधर बिस्तर पर Shipra हल्की करवट लेती है—
चादर फिसलकर उसका कंधा खुल जाता है।
शरीर थोड़ा काँपता है,
और होंठों से एक टूटी हुई,
बहुत हल्की कराह निकलती है।
Rohit की साँस वहीं अटक गई।
---
? Tara ने पैंटी उछालकर
Rohit के पैरों के पास गिरा दी।
वो झुककर उसके कान के बिल्कुल पास आई—
आवाज़ धीमी, मगर चुभती हुई—
“Panty dekh ली…
ab agar himmat है…”
Tara की नज़र Shipra के टूटे हुए शरीर पर गई—
आँखों में एक कच्ची, गर्म चमक।
“…तो पूरा कमरा देख ले.”
---
---
लेकिन उसके होंठों पर वही पागल कर देने वाली मुस्कान चिपकी थी—
क्योंकि ये सब उसी की माँगी हुई roleplay थी।
Neeraj उसके बाल पकड़कर पीछे खींचते हुए गुर्राया—
Neeraj (जानबूझकर गंदी आवाज़ में):
“रांडी… ज़रा ज़ोर से बोल… वरना मज़ा नहीं आएगा!”
Shipra काँपते हुए भी उसी fantasy में डूबी हुई—
Shipra (सांस टूटती हुई, लेकिन चाह में):
“मथुरा की सबसे बड़ी रांड… मैं ही हूँ Neeraj… बस मत रोक…”
Neeraj उसके कान को दाँतों से दबोचता है, झटके और तेज़—
“यही चाहिए था मुझे… पिघलो और…”
कमरे में बिस्तर की थाप, कराहें, और उनकी साँसों का जानवर जैसा मिश्रण गूँज रहा था।
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? उधर दूसरी तरफ… Tara और Rohit
Tara उसी समय Rohit के ऊपर बैठी थी,
उसके खुले गले पर चुंबन छोड़ते हुए—
Tara (हवा में फुसफुसाकर):
“आज mrs. Shipra ghar pe nahi hai na… koi disturb nahi karega…”
Rohit हँसते हुए उसके कमर को पकड़ने ही वाला था कि—
“धड-धड— आह्ह… आआह्ह…”
ये आवाज़ें उनके कमरे तक साफ़ आ गईं।
Tara रुक गई।
Rohit का हाथ हवा में ही ठहर गया।
दोनों ने एक-दूसरे को देखा।
Tara (भौंहें चढ़ाकर):
“Yeh… kiski awaaz hai? Koi fight ho rahi hai kya?”
लेकिन Rohit का चेहरा सफ़ेद पड़ चुका था।
आवाज़… उसकी माँ जैसी लग रही थी।
Rohit (धीमी आवाज़ में, डरा नहीं— हैरान):
“…yeh… maa ki awaaz lag rhi hai…”
Tara ने उसकी छाती पर हाथ रखा।
Tara:
“Pagal? Tumhari maa toh—
Arey…”
और तभी एक तेज़ कराह,
जैसे कोई रगड़कर दीवार से टकरा जाए—
“Aaahhh… Neeraj… aur… aur…”
Rohit के दिल की धड़कन रुक गई।
वो नाम— Neeraj।
उसी उसके सामने रोज़ आने वाला लड़का।
और उसकी माँ की ऐसी आवाज़?
Tara का चेहरा हैरानी से खुल गया।
उसके होंठ हिल नहीं रहे थे।
Rohit तुरंत उठ खड़ा हुआ।
Rohit (गुस्से और सदमे में):
“Tara… yeh meri maa ki awaaz hai.
Main dekhne jaa raha hoon…”
Tara घबराकर उसका हाथ पकड़ लेती है—
Tara (फुसफुसाते, डर में भी थोड़ा उत्तेजित):
“Rohit… ruk… aise mat jao…
Waha… jo bhi ho raha hai… tum dekhna chahte ho?”
Rohit की साँसें तेज़।
कमरा शांत।
बाहर सिर्फ़ Shipra की भारी, आधी टूटी, आधी सुख में डूबी कराहें।
धीरे-धीरे
Rohit दरवाज़े की ओर चलता है…
Tara उसके पीछे…
उसकी उंगलियाँ Rohit के कंधे पर कांपती हुई।
और कमरे में Shipra–Neeraj की आवाज़ें अब और साफ़ हो गई थीं—
“Haan randi… bas aise hi… mera naam bol…”
“Neeraj… aur do… pighla de…”Rohit दरवाज़े के बिल्कुल पास पहुँचा।
Tara उसके पीछे, उसकी उंगलियाँ अभी भी उसके कंधे में धँसी हुई।
दरवाज़ा पूरा बंद था…
लेकिन बीच का पतला-सा gap एक ऐसी नरक की खिड़की बन चुका था
जिससे सिर्फ़ आवाज़ें और हिलती हुई परछाइयाँ दिख रही थीं।
अंदर से Shipra की टूटी हुई, मिट्टी की तरह पिघली आवाज़ निकली—
“Neeraj… हाँ… बस… ऐसे ही… फाड़ दे…”
Rohit का सीना सख्त हो गया।
उसकी आँखे gap पर टिक गईं।
और तभी—
एक लम्बी, झटकों में हिलती हुई परछाई दीवार पर उभरी।
Tara का मुँह अपने आप खुल गया।
Tara (फुसफुसाहट में, दबी हुई सिसकारी): “…yeh… silhouette… dekh…”
Rohit के कानों में अब हर आवाज़ बिजली की तरह चुभ रही थी—
THAP… THAP… THAP…
Shipra की भारी, डूबी हुई कराहें—
“Aaahh… Neeraj… aur… aur… rukna mat…
Randi bana de aaj…”
Neeraj की गुर्राहट—
“Bol… meri kya lagti tu…?”
Silhouette और उभरा—
Shipra का शरीर झुकता हुआ,
Neeraj की पकड़ में खिंचता हुआ,
हवा में उनका तेज़, जंगली rhythm साफ़ दिखता।
Rohit का गला सूख गया।
उसके हाथ काँप रहे थे।
Tara उसके बिल्कुल कान के पास आ गई,
उसकी साँस Rohit की गर्दन को छूती—
Tara (धीमी, almost trembling): “Rohit… tumhari maa… is tarah roleplay…
Neeraj ke saath…?”
अंदर से अचानक एक और ज़ोरदार आवाज़—
“Aaahhh— haaaan Neeraj… mat chhod… pighla de mujhe…!”
Gap के उस पार Shipra की silhouette दीवार से टकराती दिखी…
तेज़… लगातार…
थापें इतनी तीखी कि Tara की जांघें तक कांप गईं।
Tara ने Rohit के हाथ को पकड़ा— लेकिन इस बार डर में नहीं…
उसकी उंगलियाँ गरम थीं।
हल्की काँपती… पर रुकती नहीं।
Tara (साँस दबाकर): “Ye… dekh pa rahe ho?
Tum sun rahe ho?
Tumhari maa… Neeraj ko… iss tarah…?”
Rohit की नज़रें silhouettes में जमी थीं—
आंदोलन और तेज़ हो चुका था।
Neeraj की करारी आवाज़—
“Bol kaun tu!? … kya hai tu!?”
Shipra की टूटती चीख—
“Randi… Neeraj ki randi…!”
Rohit की साँसें उखड़ गईं।
Tara उसके बिल्कुल चिपककर खड़ी थी।
दोनों आग की तरह गरम हो चुके थे—
लेकिन shock की वजह से हिल तक नहीं पा रहे थे।
अंदर silhouettes अब एक जंगली, रुक-न-रुकता dance बन गई थीं—
जैसे दीवार खुद हिल रही हो…
और तभी—
Shipra की सबसे भारी, सबसे टूटी,
सबसे गहरी कराह कमरे को चीरती हुई बाहर आई—
“NEERAJ… AUR… DO…!”
Shipra की वो आख़िरी फटी हुई कराह
पूरा घर चीरती हुई निकलती है—
“NEERAJ… AUR… DO…!”
दीवारें हिल गईं।
Gap के उस पार silhouettes ऐसे हिल रहे थे
जैसे कोई तूफ़ान सीधे कमरे में उतर आया हो।
Rohit के कान सुन्न।
चेहरा लाल—गुस्सा, सदमा, और कुछ ऐसा…
जिसे वो खुद नाम नहीं दे पा रहा था।
Tara ने एक झटके में उसका हाथ पकड़ा
और उससे पहले कि Rohit कमरे में घुसने को धक्का मारता—
उसने उसे अपनी ओर खींच लिया।
Tara (काँपती पर ज़िद वाली फुसफुसाहट):
“Rohit… andar गए तो तुम टूट जाओगे…
आओ… मेरे साथ…”
उसने Rohit को almost घसीटकर hallway से दूर ले आई—
Shipra की भारी, टूटती हुई आवाजें
फिर भी हर सेकंड उनके पीछे दौड़ती रहीं—
“Neeraj… haaaan… rukna मत… bas… bas…!”
कमरा अभी भी थापों में डूबा हुआ था।
जैसे हर झटका दीवार को धक्का मारकर बाहर आ रहा हो।
Tara ने दरवाज़ा धड़ाम से बंद किया।
कमरे की पीली रोशनी में Rohit की साँस
सीधे उसकी collarbone पर टकरा रही थी।
लेकिन Tara का शरीर भी काँप रहा था—
डर से नहीं…
उस आवाज़ों की गर्मी से।
बाहर से फिर तेज़ rhythm—
THAP… THAP… THAP…
Shipra की साँसें टूटी हुई—
हर आवाज़ में पिघलती, surrender करती हुई—
“Aahhh… Neeraj… aur… aur…!”
Tara ने धीरे-धीरे Rohit के चेहरों को पकड़ लिया।
उसकी उँगलियाँ गर्म थीं…
बहुत गर्म।
Tara (धीमे, almost breathless):
“Rohit… तुम्हारी माँ इस वक़्त… पूरी तरह… किसी और के नीचे…
और तुम… बस सुन रहे हो…”
Rohit की साँस अटक गई।
वो दीवार की तरफ देखा—
जैसे आवाज़ ही उसे खींच रही हो।
Tara उसके बिल्कुल पास आ गई—
इतनी पास कि उसकी साँस Rohit की ठुड्डी के नीचे जलती हुई लग रही थी।
Tara (थोड़ी दबी हुई, गहरी, almost trembling):
“Waha… जो भी चल रहा है…
तुम्हारी माँ… पूरी तरह खो चुकी है…
और Neeraj… रुका नहीं है…”
बाहर फिर एक wild आवाज़—
कुछ ऐसा जैसे दो bodies तेज़ी से टकरा कर फिर गिरें—
“AAAHHH— Neeraj… mat ruk… mat…”
Tara एक सेकंड के लिए breathe लेना भूल गई।
उसकी उँगलियाँ Rohit की कलाई पर और कस गईं।
Rohit की आँखें बंद।
उसके चेहरे पर गुस्से, shock और जलती हुई बेचैनी का अजीब मिश्रण।
Tara उसकी छाती पर हाथ रखती है—
धीरे, गर्म, फिसलते हुए।
Tara (बहुत धीमी, आँखे आधी बंद):
“Rohit…
tumhari maa… iss waqt… bas pighal rahi hai…
aakhri hadd tak…”
बाहर से वही तूफानी आवाज़ें—
rhythm और तेज़, और भारी—
Shipra की डूबी हुई कराहें
कमरे तक काँपकर गिरती रहीं।
Rohit ने होंठ भींच लिए…
साँस तेज़, भारी, टूटती हुई।
Tara उसके बिल्कुल पास फुसफुसाई—
Tara:
“Rohit…
जो tum abhi mehsoos कर रहे हो…
use roko mat…”
कमरा गर्म था।
बाहर का शोर जंगली।
अंदर tension धुआँ बनकर हवा में तैर रही थी।
? कमरे में हवा भारी हो चुकी थी।
Shipra का शरीर बिस्तर पर झुका हुआ,
कमर काँपती हुई…
और Neeraj उसके पीछे से जानवरों की तरह दबाए हुए।
हर धक्का इतना तेज़ था
कि बिस्तर जमीन से टकराकर ठक-ठक की कच्ची आवाज़ देता था।
Shipra की आधी चीख, आधी कराह—
Neeraj की भारी, गंदी, कड़क साँसें—
दोनों मिलकर कमरे को जला रही थीं।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर उसे और पीछे खींचा—
“Rokna mat aaj…
aaj main pura tod dunga tumhe…”
Shipra ने काँपते हुए सिसकारी भरी—
“Neeraj… please… main—”
Neeraj की आवाज़ और गंदी, और तेज़, और uncontrollable—
“Aunty… tum samajhti nahi ho…
aaj main tumhe andar tak bhar dene wala hoon…”
वो झटकों की गति और बढ़ा देता है—
इतनी rough कि Shipra की उंगलियाँ चादर फाड़ने लगीं।
बाहर—
Rohit के कानों में सिर्फ़ उसकी माँ की टूटी हुई कराहें
और Neeraj की हर बार की कड़क आवाज़ें गूँज रही थीं।
उसकी साँसे अटक रहीं थीं, पैर जमे हुए।
अंदर—
Shipra लगभग गिरने लगी तो Neeraj ने
उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़कर
उसे अपनी तरफ खींच लिया—
पूरी ताकत से।
पूरी पागलपन से।
पूरी domination से।
Shipra की आँखें बंद हो गईं—
उसकी तेज़, टूटी हुई आवाज़ कमरे में फट पड़ी—
“Neeraj… main… main ruk nahi paa rahi…!”
Neeraj गुर्राया—
“Ruko mat!
Aunty…
aaj hum dono ek saath tootne वाले हैं….”
और अगले ही पल—
Neeraj ने आखिरी कुछ धक्के
इतनी तीव्रता से मारे
कि Shipra का पूरा शरीर आगे फिसल गया।
उसकी कराह चीख के करीब पहुँच गई।
Neeraj की साँसे फटने जैसी भारी—
दोनों एक ही पल में फट पड़े।
कमरा एक सेकंड के लिए थम गया—
साँसे रुक गईं—
और फिर दोनों हाँफते हुए
बिस्तर पर ढह गए।
बाहर—
Rohit ने सब सुना।
हर आवाज़।
हर कराह।
हर थरथराहट।
अंदर—
Shipra और Neeraj
एक-दूसरे पर गिरे पड़े,
पूरी तरह टूटे हुए,
पूरी तरह ख़त्म,
पूरी तरह खाली।
सीन वहीं खत्म।
---? दरवाज़ा बस थोड़ा-सा चरमराया…
और उसी छोटे से gap से तूफ़ान बाहर निकला।? कमरे में हवा भारी हो चुकी थी।
Shipra का शरीर बिस्तर पर झुका हुआ,
कमर काँपती हुई…
और Neeraj उसके पीछे से जानवरों की तरह दबाए हुए।
हर धक्का इतना तेज़ था
कि बिस्तर जमीन से टकराकर ठक-ठक की कच्ची आवाज़ देता था।
Shipra की आधी चीख, आधी कराह—
Neeraj की भारी, गंदी, कड़क साँसें—
दोनों मिलकर कमरे को जला रही थीं।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर उसे और पीछे खींचा—
“Rokna mat aaj…
aaj main pura tod dunga tumhe…”
Shipra ने काँपते हुए सिसकारी भरी—
“Neeraj… please… main—”
Neeraj की आवाज़ और गंदी, और तेज़, और uncontrollable—
“Aunty… tum samajhti nahi ho…
aaj main tumhe andar tak bhar dene wala hoon…”
वो झटकों की गति और बढ़ा देता है—
इतनी rough कि Shipra की उंगलियाँ चादर फाड़ने लगीं।
बाहर—
Rohit के कानों में सिर्फ़ उसकी माँ की टूटी हुई कराहें
और Neeraj की हर बार की कड़क आवाज़ें गूँज रही थीं।
उसकी साँसे अटक रहीं थीं, पैर जमे हुए।
अंदर—
Shipra लगभग गिरने लगी तो Neeraj ने
उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़कर
उसे अपनी तरफ खींच लिया—
पूरी ताकत से।
पूरी पागलपन से।
पूरी domination से।
Shipra की आँखें बंद हो गईं—
उसकी तेज़, टूटी हुई आवाज़ कमरे में फट पड़ी—
“Neeraj… main… main ruk nahi paa rahi…!”
Neeraj गुर्राया—
“Ruko mat!
Aunty…
aaj hum dono ek saath tootne वाले हैं….”
और अगले ही पल—
Neeraj ने आखिरी कुछ धक्के
इतनी तीव्रता से मारे
कि Shipra का पूरा शरीर आगे फिसल गया।
उसकी कराह चीख के करीब पहुँच गई।
Neeraj की साँसे फटने जैसी भारी—
दोनों एक ही पल में फट पड़े।
कमरा एक सेकंड के लिए थम गया—
साँसे रुक गईं—
और फिर दोनों हाँफते हुए
बिस्तर पर ढह गए।
बाहर—
Rohit ने सब सुना।
हर आवाज़।
हर कराह।
हर थरथराहट।
अंदर—
Shipra और Neeraj
एक-दूसरे पर गिरे पड़े,
पूरी तरह टूटे हुए,
पूरी तरह ख़त्म,
पूरी तरह खाली।
सीन वहीं खत्म।
---
Neeraj।
सिर्फ काली चड्डी में।
बाल ऐसे बिखरे जैसे किसी ने मुट्ठी भरकर खींचे हों।
चेहरा पसीने से चमकता, जबड़ा कसा हुआ।
छाती तेज़, भारी साँसों से ऊपर-नीचे।
उसके गले पर Shipra के नाखूनों के पाँच गहरे, लाल, जलते हुए निशान—
ऐसे जैसे किसी ने जान लेकर छोड़ा हो।
वो बाहर आया,
और जाते-जाते Tara पर एक लंबी, चुभती हुई नज़र डाली—
आधी मुस्कान…
थकी हुई, मगर जीत वाली—
“Dekha? Bas itna hi.”
जैसे नज़रों से ही कह गया हो।
Rohit पर भी एक पल नज़र जमाई—
बिल्कुल बिना शर्म, बिना झिझक…
फिर वही हल्की शैतानी मुस्कान
और वो गलियारे में गायब।
कमरा चुप।
बस Rohit की दिल-धड़कन बची।
---
? Rohit धीरे-धीरे अंदर आया।
कमरे की हालत देखकर उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
बिस्तर की सफेद चादर पूरी तरह
मरोड़ी हुई,
दबी हुई,
हर तरफ़ गहरी सिलवटें—
जैसे किसी ने बार-बार उठाकर पटक दी हो।
बीच में Shipra—
चादर में लिपटी,
बिल्कुल टूटी,
पसीने से भीगी,
होठों पर आधी मरी हुई सिसकी।
उसके चेहरे पर वो थकान थी
जो सिर्फ़ एक औरत के शरीर से
पूरा ज़ोर छुड़ाकर निकलती है।
Rohit का गला सूख गया।
---
? फर्श पर —
लाल रंग की पैंटी।
पूरी उधड़ी, फटी हुई।
कमरबंद तक चिरा हुआ—
जैसे किसी ने दोनों हाथों से पकड़कर
एक ही झटके में फाड़ दी हो।
Rohit की साँसे वहीं अटक गईं।
---
? सोफ़े पर —
Shipra की ब्रा।
एक स्ट्रैप उलझा हुआ,
दूसरा आधा खिंचा हुआ,
जैसे उसे भी किसी ने जकड़कर उछाल दिया हो।
Rohit की आँखें फैल गईं।
वो कुछ कह ही नहीं पाया।
---
? तभी Tara अंदर आई।
धीमे कदमों से,
जैसे वो भी इस कमरे की गर्म हवा महसूस कर रही हो।
उसने लाल फटी हुई पैंटी उठाई।
दोनों हाथों से फैलाकर देखी—
और होंठों पर शरारती, भारी मुस्कान आ गई।
Tara (धीमी, rough आवाज़ में): “Rohit…
agar panty ka haal itna hai…
toh soch… andar kya तूफ़ान चला होगा।”
वो कमरबंद के फटे हिस्से को उँगलियों से खींचती है—
gap और चौड़ा करती हुई।
Tara (नज़रें उठाकर, ज़रा टेढ़ी मुस्कान): “Yeh kapda haath se नहीं…
ज़ोर से— बहुत ज़ोर से—
फाड़ा गया है।”
Rohit की साँसे लड़खड़ा गईं।
---
? Tara उसके इतना पास आई
कि उसकी गरम साँस Rohit की गर्दन को छू गई।
उसने Rohit की कलाई पकड़कर
हल्का-सा झुकाया—
Tara (कच्ची, भारी, सीधी आवाज़ में): “Tumhari maa…
aaj sirf थकी नहीं…
पूरी तरह gal ke gir gayi.”
Rohit के कान बजने लगे।
उधर बिस्तर पर Shipra हल्की करवट लेती है—
चादर फिसलकर उसका कंधा खुल जाता है।
शरीर थोड़ा काँपता है,
और होंठों से एक टूटी हुई,
बहुत हल्की कराह निकलती है।
Rohit की साँस वहीं अटक गई।
---
? Tara ने पैंटी उछालकर
Rohit के पैरों के पास गिरा दी।
वो झुककर उसके कान के बिल्कुल पास आई—
आवाज़ धीमी, मगर चुभती हुई—
“Panty dekh ली…
ab agar himmat है…”
Tara की नज़र Shipra के टूटे हुए शरीर पर गई—
आँखों में एक कच्ची, गर्म चमक।
“…तो पूरा कमरा देख ले.”
---
---


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