Thread Rating:
  • 7 Vote(s) - 2.71 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Romance Pehi Nazar:Jab Neeraj Mila Shipra se
#34
Neeraj अब खड़ा हुआ, उसका लंड हाथ में पकड़े हुए।
वो Shipra की गांड पर रगड़ते हुए बोला—

Neeraj (जानवर की तरह गरजकर):
“आज पहली बार इस छेद में घुसेगा… और सीधे जड़ तक जाएगा।”

Shipra (सिर हिलाकर, रोते हुए):
“नहीं… मेरी जान निकल जाएगी… मत कर…”

Neeraj ने उसके बाल पकड़कर चेहरा दीवार से टिका दिया।
फिर धीरे-धीरे अपने लंड का सिरा उसकी गीली गांड पर रखा।
Shipra का पूरा शरीर सख़्त हो गया।

Neeraj (गरम साँस छोड़ते हुए):
“बस… अब तू रोएगी… और मुझे मज़ा आएगा।”

Neeraj ने उसका बाल पकड़कर मुँह दीवार से चिपका दिया था।
उसकी नाइटी अब कमर तक ऊपर थी और नीचे पूरा पिछवाड़ा नंगा।

उसने अपना मोटा, लंबा लौंड पकड़कर Shipra की गांड के बीच फँसा दिया।
सिरा उसके छेद पर रगड़ा…

Shipra (काँपते हुए, कराहकर):
“आआआह्ह… Neeraj… मत कर… मेरी चूत तो तेरे लंड से वैसे ही फट चुकी है… दो दिन से खून आ रहा है… अब अगर गांड में घुसा दिया तो मैं खड़ी भी नहीं हो पाऊँगी…”

उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
उसका पूरा शरीर डर से कांप रहा था, कमर सख़्त हो गई थी।

Neeraj (गंदी हँसी में, गरम साँस छोड़ते हुए):
“साली… इसी डर का तो मज़ा है। तेरी गांड आज पहली बार खुलेगी… और खोलने वाला मैं रहूँगा। इतना भरूँगा कि तू बैठ भी नहीं पाएगी।”

उसने लंड का सिरा कसकर छेद पर धँसाना शुरू किया।

Shipra (चीखते हुए, सिर दीवार पर मारते हुए):
“आआआआआह्ह्ह्ह्ह… मादरचोद… मत कर… मर जाऊँगी मैं… आआआह्ह्ह…”

उसका चेहरा पसीने से भीग चुका था, होंठ काँप रहे थे।
वो बार-बार दीवार को थपथपा रही थी जैसे खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही हो।


---

Neeraj अब और ज़ोर लगाने लगा।
उसका मोटा लौंड धीरे-धीरे छेद को फैलाने लगा।

Shipra (रोते हुए, सिसकते हुए):
“आआह्ह… नहीं… नहीं… फाड़ देगा… Rohit… बेटा… बचा ले मुझे… ये तेरी माँ की गांड मार रहा है…”

उसकी सिसकियाँ अब कमरे में गूँज रही थीं।
गांड़ का छेद जलने जैसा महसूस कर रहा था।

Neeraj (दाँत पीसकर, दबे स्वर में):
“बस… आधा घुस चुका है… अब तू चाहे रो, चाहे गालियाँ दे… पूरा लंड तेरी गांड में जाएगा।”

उसने एक जोर लगाया —
लौंड का आधा हिस्सा धँस गया।

Shipra (कराहकर, चीखते हुए):
“आआआआआआआआह्ह्ह्ह… ओ माँ… फट गई मेरी गांड… आआह्ह्ह…”

उसकी आँखों से आँसू धारा बनकर बहने लगे।
उसके पैर काँप रहे थे, कमर हिल नहीं पा रही थी।

दीवार से दबाई हुई Shipra काँप रही थी। उसकी गुलाबी नाइटी ऊपर सरकी हुई थी और नंगी गांड Neeraj के हाथों में थी।
उसका चेहरा डर और गुस्से से लाल था।

Shipra (रोती आवाज़ में):
“हरामी… मत करना… मेरी चूत तो तूने दो दिन से फाड़ ही दी… अब गांड मत छेड़… मर जाऊँगी मैं…”

Neeraj (गंदी हँसी में, लंड उसकी गांड पर रगड़ते हुए):
“आज तो यही होगा रंडी… तेरी गांड मेरी होगी… देखना, पूरा लंड कैसे ग़ायब करूँगा।”


---

पहली स्लिप
Neeraj ने धीरे-धीरे लंड का टॉप उसकी टाइट गांड में धँसाया।
Shipra की आँखें फट गईं, उसका पूरा शरीर झटका खा गया।

Shipra (चीखकर):
“आआआह्ह्ह… माँऽऽ… फट गई… निकाल हरामी… मेरी गांड जल रही है…”

उसकी आँखों से आँसू टपकने लगे।
उसने खिड़की को कसकर पकड़ लिया, नाखून लकड़ी में धँस गए।


---

दूसरा इंच
Neeraj ने धक्का मारा और थोड़ा और अंदर घुस गया।
Shipra की कमर थरथराने लगी, उसकी टांगें काँप गईं।

Shipra (सिसकते हुए, जोर से चिल्लाकर):
“भगवान… बचा लो मुझे… सच में मर जाऊँगी… मेरी गांड फट रही है… ओ बेटा Rohit… देख ले… तेरी माँ की गांड मार रहा है ये हरामी…”

Neeraj उसकी चीखें सुनकर और ज़ोर से हँसा।

Neeraj (जानवर की तरह):
“चुप रंडी… जितनी ज़ोर से चिल्लाएगी, उतना गहरा घुसाऊँगा।”


---

तीसरा इंच
अब Neeraj ने उसकी गांड कसकर पकड़कर धक्का मारा।
लंड का तीसरा हिस्सा भी अंदर चला गया।
Shipra दीवार से सिर टकराने लगी, दर्द से कराह रही थी।

Shipra (रोते हुए, काँपती आवाज़ में):
“ओह्ह माँऽऽ… अब नहीं सहा जाता… साला खून निकल रहा है… रोक ले कोई… निकाल ले इसको… मेरा पिछवाड़ा फट गया है…”

सच में उसकी गांड से हल्का-हल्का खून बहना शुरू हो चुका था।


---

पूरा लंड
Neeraj ने गरजते हुए एक जोर का धक्का मारा और पूरा लंड उसकी गांड में ग़ायब कर दिया।
Shipra की आँखें पलट गईं, उसकी चीख पूरे कमरे में गूँज उठी।

Shipra (ज़ोर से चीखते हुए):
“आआआआह्ह्ह… माँऽऽऽऽ… फट गई मेरी गांड… सच में फट गई… ओ बेटा… बचा ले मुझे… तेरा दोस्त तेरी माँ की गांड चीर रहा है…”

उसके आँसू उसके गालों पर बह रहे थे, उसका शरीर दर्द से काँप रहा था।

Neeraj ने उसकी कमर कसकर पकड़ ली और गरम साँस छोड़ते हुए बोला:

Neeraj (क्रूर हँसी में):
“अब तेरी गांड मेरी है रंडी… चाहे तू भगवान को पुकार या अपने छोरे को… आज तेरे इस टाइट छेद को मैं अपनी मर्दानगी से खोल दूँगा।”


---Shipra दीवार से चिपकी काँप रही थी, उसकी साँस टूट रही थी।
गांड से खून बह रहा था और Neeraj का पूरा लंड उसके अंदर कसकर अटका हुआ था।

Neeraj (गरजते हुए):
“अब शुरु होगा असली खेल… तेरी गांड की चीख सुननी है मुझे रंडी।”

उसने पहली जोरदार थप्प-थप्प की आवाज़ के साथ झटका मारा।
Shipra दर्द से दीवार पर सिर पटकने लगी।

Shipra (चीखते हुए):
“आआआह्ह्ह… माँऽऽऽ… मत मार… फट गई मेरी गांड… ओ भगवान… बचा लो… कोई तो रोक लो इस दरिंदे को…”


---

Neeraj ने उसकी कमर पकड़कर लगातार झटके मारने शुरू कर दिए।
उसका लंड खून और गीलेपन में बार-बार घुसता-निकलता रहा।

Shipra (रोते हुए, काँपती आवाज़ में):
“ओ बेटा Rohit… देख ले… तेरी माँ की गांड चीर रहा है ये हरामी… बचा ले मुझे…”

उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं, आँसू लगातार गिर रहे थे।

Neeraj (गंदी हँसी में):
“जितना चिल्ला सके उतना चिल्ला… अब तेरी गांड मेरी है… और आज मैं इसे इतना फाड़ूँगा कि याद रखेगी जिंदगी भर।”


---

हर धक्के पर Shipra की चीख कमरे में गूंज रही थी।
उसके नाखून दीवार में धँस गए थे, खून नीचे टपक रहा था।

Shipra (सिसकते हुए, टूटी आवाज़ में):
“आआआह्ह्ह… भगवान… ओ माँ… कोई निकालो इसे… सच में मेरी गांड फट गई… ओ बेटा… तेरा दोस्त दरिंदा है… बचा ले मुझे…”

Neeraj का पसीना Shipra की पीठ पर टपक रहा था।
वो और पागलपन से धक्के मार रहा था।

Neeraj (गरजते हुए):
“तेरी गांड की चीख ही मेरा मज़ा है रंडी… और जोर से रो, और जोर से पुकार… आज तुझे भगवान भी नहीं बचाएगा।”


---

Shipra अब पूरी तरह टूट चुकी थी।
उसकी टांगें काँप रही थीं, कमर हर झटके पर दर्द से चीख उठती थी।
उसकी सिसकियाँ और कराह पूरे कमरे को भर रही थीं।

Neeraj ने झटके से Shipra को पीछे से खींचा और धड़ाम से बिस्तर पर फेंक दिया।
Shipra का चेहरा तकिये में दब गया, बाल बिखर गए, आँसू गालों पर चिपक गए थे।
उसकी गुलाबी नाइटी आधी कमर तक ऊपर चढ़ चुकी थी, नीचे उसकी गांड से खून की पतली धार चादर पर लग चुकी थी।

Shipra (हांफते हुए, डर और गुस्से से):
“आह्ह्ह… हरामी… छोड़ मुझे… अब नहीं सहा जाता… मेरी गांड फट गई…”

लेकिन Neeraj ने उसकी दोनों टाँगें पकड़कर फैलाकर पीछे से कसकर पकड़ लिया।
उसका मोटा लंड अभी भी Shipra की गांड में आधा फँसा हुआ था।

Neeraj (गरजते हुए, गंदी हँसी के साथ):
“बिस्तर पर और भी मज़ा आएगा… यहाँ तेरी चीखें लंबी निकलेंगी रंडी।”


---

वो झुककर Shipra की गर्दन चाटने लगा, उसकी गरम साँसें Shipra की रूह तक काँपाने लगीं।
फिर धीरे-धीरे अपनी पूरी ताक़त लगाकर झटका मारा —
Shipra का पूरा शरीर बिस्तर पर उछल गया।

Shipra (तेज़ चीख के साथ):
“आआआह्ह्ह्ह… माँऽऽऽ… फाड़ डाला हरामी ने… ओ भगवान… कोई निकालो इसे… बेटा रोहित, बचा ले माँ को…”

उसकी आँखों से आँसू धार बनकर गालों से बह रहे थे।
Shipra ने तकिये को पकड़कर दाँतों से दबा लिया, लेकिन हर धक्का उसकी कराह को बाहर निकाल ही देता।


---

Neeraj अब उसकी कमर पकड़कर और भी पागलपन से झटके मारने लगा।
थप्प-थप्प-थप्प की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।
Shipra की गांड से खून और गीलापन चादर पर फैल रहा था।

Neeraj (जानवर की तरह गरजते हुए):
“तेरी गांड तो सच में कमाल है… जितना फट रही है उतना मज़ा दे रही है… आज मैं इसे पूरी तरह खोल दूँगा।”

Shipra (रोते-रोते, टूटी आवाज़ में):
“आह्ह्ह… मत कर… अब नहीं… सच में मर जाऊँगी… ओ बेटा… तेरा ये हरामी बाप मुझे जान से मार देगा…”
Like Reply


Messages In This Thread
RE: Pehi Nazar:Jab Neeraj Mila Shipra se - by Shipra Bhardwaj - 29-09-2025, 02:22 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)