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Romance Pehi Nazar:Jab Neeraj Mila Shipra se
#33
Neeraj अब और पास झुका।
उसकी जीभ सीधी Shipra के छोटे गुलाबी क्लिट पर घूमने लगी।
धीरे-धीरे गोल-गोल घुमाता, कभी हल्का काटता, कभी कसकर चूसता।

Shipra (तेज़ सिसकी छोड़ते हुए):
“आआह्ह्ह्ह… बस कर… नहीं तो निकल जाएगी…”

Neeraj (गंदी हँसी में):
“यही तो चाहिए रंडी… तेरी चीख, तेरे झटके… आज सब निकाल दूँगा।”

उसने अपनी दो उँगलियाँ भी धीरे-धीरे चूत में घुसा दीं।
अब एक साथ उसकी जीभ ऊपर चूस रही थी और उँगलियाँ अंदर रगड़ रही थीं।
Shipra की कमर अनचाहे ही आगे को धकेल रही थी, जैसे खुद और माँग रही हो।


---

Shipra अब दीवार से टिक चुकी थी।
उसकी आँखें बंद, होंठ खुले हुए, और साँसें हाँफती हुई।
उसका पूरा जिस्म पसीने से भीग चुका था।

उसने रोते-से स्वर में फुसफुसाया—

Shipra (सिसकते हुए, दबी आवाज़ में):
“ने… Neeraj… मैं नहीं रोक पाऊँगी…”

Neeraj ने और गहराई से चूस लिया।
अब आवाज़ें और गंदी हो गईं—
“चुप्प्प… चुप्प्प… च्र्र्र्र्र्र्र्र्रक… च्र्र्र्र्र्र्र्र्रक…”

Shipra का शरीर एकदम से झटके खाने लगा।
उसकी जाँघें Neeraj के सिर को कसकर दबा चुकी थीं।
आँखों से आँसू बह रहे थे और होंठों से टूटी-फूटी कराहें निकल रही थीं।

Shipra की जाँघें अब Neeraj के सिर को ऐसे जकड़ चुकी थीं कि मानो उसे छोड़ने ही न दें।
उसका पूरा बदन पसीने से तर-बतर था, कमर बेकाबू होकर ऊपर-नीचे हिल रही थी।

Neeraj (हाथों से उसकी गांड पकड़कर और कसते हुए):
“हाँ… ऐसे ही दबा… साली… निकाल दे सब… मेरे मुँह में…”

उसकी जीभ अब Shipra के क्लिट को तेजी से चूस रही थी, और दो उंगलियाँ लगातार अंदर-बाहर।
आवाज़ें गूंज रही थीं —
“च्र्र्र्र्र्रक… चुप्प्प… च्र्र्र्र्र्र्र्र्रक…”


---

Shipra का पूरा जिस्म कांपने लगा।
उसकी साँसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि लग रहा था अभी फट जाए।
उसने खिड़की को कसकर पकड़ लिया, सिर पीछे फेंककर चीख निकाली—

Shipra (चीखते हुए):
“आआआआआआह्ह्ह्ह्ह… म्म्म्म्म्म… साले… मैं… निकल… रही… हूँssssss…!!!”

और अगले ही पल उसके बदन से तेज़ झटका निकला।
उसकी चूत से गरम गीलापन Neeraj के चेहरे पर फूट पड़ा।
Neeraj हँसते हुए और गहराई से उसका रस पीने लगा।

Shipra अब काँपती हुई, दीवार से चिपकी हुई, आधी रोती-सी, आधी हाँफती हुई खड़ी थी।
उसका पूरा शरीर ढीला पड़ चुका था, जैसे पहली बार किसी ने उसकी आत्मा तक चूस ली हो।


---

Neeraj (उसकी जाँघों को थामते हुए, गंदी हँसी में):
“देखा रंडी… कितनी मना कर रही थी… अब देख, खुद अपनी चूत मेरे मुँह में फोड़ दी।”

Shipra (साँस टूटती हुई, आँखों से आँसू बहते हुए):
“ने… Neeraj… तू हरामी है… तूने मुझे मजबूर कर दिया…”

Neeraj ने उसका चेहरा पकड़कर होंठों पर गंदा, गहरा किस जड़ दिया।
Shipra पहले मुँह मोड़ना चाहती थी, लेकिन उसकी अपनी जीभ Neeraj के मुँह में फिसल गई।
वो कराहते हुए फिर से उसके होंठ चूसने लगी।


---

अब Neeraj धीरे-धीरे नीचे से उसकी गांड पकड़कर और कस रहा था।
उसके गरम हाथ Shipra की गांड की दरार में दब रहे थे।
Neeraj (उसके कान में गरम साँस छोड़ते हुए):
“अभी तो बस चखाया है… असली मज़ा तो जब तेरी गांड चीरूँगा तब आएगा।”

Shipra काँप गई, उसके होंठ से टूटी-फूटी कराह निकली—
“नहीं… वहाँ मत करना… पहली बार है…”
Shipra अभी भी दीवार से लगी हाँफ रही थी।
उसकी नाइटी आधी ऊपर सरकी हुई थी और पसीने से उसका बदन चमक रहा था।
Neeraj झुककर उसकी गांड पर जोर से “चटाक्क” मारा।

Shipra (दर्द से चीखकर):
“आआह्ह… साले…!”

Neeraj (गंदी हँसी में):
“यहीं से तो आज मज़ा शुरू होगा रंडी… तेरी गांड अब मेरी है।”


---

वो घुटनों पर झुक गया और Shipra की दोनों गांडों को पकड़कर अलग किया।
उसके बीच का गुलाबी-संकरा छेद अब साफ़ दिख रहा था।
Neeraj ने जीभ बाहर निकाली और धीरे-धीरे उसकी गांड की दरार पर लप-लप चाटना शुरू किया।

Shipra (काँपकर, कराहते हुए):
“आआआह्ह्ह… मत कर उधर… गंदा है…”

लेकिन उसके होठों से दबा हुआ सिसकार निकल ही गया।
Neeraj की जीभ ऊपर से नीचे तक बार-बार उसकी गांड को गीला कर रही थी।
कभी वो कसकर चाटता, कभी अचानक छेद पर जीभ घुसेड़ देता।

Shipra की कमर झटके मारने लगी।
उसने दीवार को कसकर पकड़ लिया, होंठ काट लिए लेकिन मुँह से सिसकियाँ निकलती ही रहीं।

Neeraj (चाटते हुए गरजकर):
“हम्म्म… तेरी गांड तो शहद जैसी लग रही है… अब इसमें अपना लंड गाड़ दूँगा।”


---

फिर उसने एक उंगली धीरे से उसके छेद पर रखी और दबाने लगा।
Shipra की आँखें चौड़ी हो गईं, मुँह से चीख निकली—

Shipra (सिसकते हुए):
“नहीं… Neeraj… वहाँ नहीं… मेरी गांड कभी किसी ने…”

उसकी बात पूरी होती उससे पहले Neeraj ने जीभ के साथ उंगली भी अंदर घुसा दी।

Shipra (चीखकर, काँपते हुए):
“आआआआआह्ह्ह्ह… मादरचोद… जल रहा है… फाड़ देगा…”

उसकी आँखों से आँसू बह निकले।
वो दीवार से सिर टकराकर कराहने लगी।


---

Neeraj अब उसकी गांड पर और तेज़ी से जीभ चला रहा था।
कभी गहराई तक छेद चाटता, कभी उसकी गांड की गोलाई पर काट लेता।
Shipra का पूरा शरीर थरथरा रहा था।

Shipra (रोते-कराहते हुए, अंदर से बुदबुदाकर):
“Rohit… बेटा… कोई बचा ले मुझे… तेरा बाप नहीं… ये हरामी मेरी गांड मारने वाला है…”

उसके दिल में डर और शर्म एक साथ उमड़ रहे थे।
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RE: Pehi Nazar:Jab Neeraj Mila Shipra se - by Shipra Bhardwaj - 29-09-2025, 02:21 PM



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