29-09-2025, 02:19 PM
Shipra ग़ुस्से से Neeraj से दूर हटने लगी थी।
उसकी गुलाबी नाइटी आधी खुली हुई थी और साँसें अभी भी तेज़ चल रही थीं।
तभी Neeraj ने पीछे से झपटकर उसकी कलाई पकड़ ली और उसे दीवार से जोर से टिका दिया।
Shipra (कराहकर, गुस्से से):
“छोड़ हरामी… रोज़ मेरे कपड़े फाड़ता है, अब क्या करने आया है?”
Neeraj ने उसके कान पर दाँत गड़ा दिए और गंदी हँसी में बोला—
Neeraj:
“आज तेरी चूत नहीं… तेरी गांड मेरी होगी। पहली बार… और सीधा मेरी मुठ्ठी जितना भरेगा।”
Shipra की आँखें डर और हैरानी से फैल गईं।
उसने दोनों हाथों से Neeraj को धक्का देने की कोशिश की लेकिन वो और कसकर उसके ऊपर झुक गया।
Shipra (सिसकते हुए):
“नहीं… मादरचोद… वहाँ मत करना… फाड़ देगा मुझे…”
Neeraj ने उसकी नाइटी ऊपर उठाई, नंगा किया और उसकी गांड पर जोर का चाटा जड़ा।
आवाज़ गूँजी— “चटाक्क्क”।
Shipra दर्द से चीख पड़ी।
Neeraj हँसते हुए उसके बाल पकड़कर बोला—
Neeraj (जानवर की तरह):
“तेरे मुँह से यही चीख सुननी है मुझे… अब चुपचाप झुक जा।
तेरी गांड को आज पहली बार खोलूँगा मैं।”
Shipra ग़ुस्से और बेबसी से काँप रही थी।
उसकी आँखों से आँसू आने लगे, होंठ काँप रहे थे।
लेकिन Neeraj की पकड़ और गर्म साँसें उसकी रगों में एक अलग सनसनी भी दौड़ा रही थीं।
धीरे-धीरे उसने अपना माथा दीवार पर टिका लिया, आँखें बंद कर लीं और दाँत भींचकर बोली—
Shipra (धीमी लेकिन टूटी आवाज़ में):
“हरामी… कर ले आज… लेकिन याद रखना, तेरा ये करज़ा मैं कभी माफ़ नहीं करूँगी।”
Neeraj ने उसके कान में जीभ फेरते हुए गंदी हँसी छोड़ी और हाथ उसकी कमर तक सरका दिए।
Shipra (तेज़ स्वर में, गुस्से से):
“हरामी… रोज़-रोज़ कपड़े क्यों फाड़ता है तू? नंगी घूमूँ मैं घर में?”
Neeraj उसके कान के पास आकर गंदी हँसी हँसा —
Neeraj:
“तू नंगी ही सबसे हसीन लगती है रंडी… अब देख, तेरी नाइटी भी ज़्यादा देर बचने वाली नहीं है।”
Shipra पलटी और धक्का देने लगी।
लेकिन Neeraj ने उसके दोनों हाथ ऊपर की ओर दीवार से चिपका दिए।
उसकी साँसें गरम होकर Shipra की गर्दन पर गिर रही थीं।
Neeraj (धीरे से फुसफुसाते हुए):
“तेरा छोरा जिसको चोद रहा है… तू सोच, उसी के बाप की तरह मैं भी तुझे नंगा करके मज़े लूँ।”
Shipra (झटके से, गुस्से में):
“चुप कर साले… मुझे छोड़!”
लेकिन Neeraj ने उसकी गर्दन पर जोर से काट लिया।
Shipra ने “आह्ह” की हल्की चीख मारी और दीवार को कसकर पकड़ लिया।
धीरे-धीरे Neeraj का हाथ उसकी नाइटी के अंदर सरक गया।
उसकी हथेली ने Shipra के गर्म, नरम boobs पकड़ लिए।
Shipra (हांफते हुए, आधा गुस्सा आधी सिसकी):
“मत छू… कमीने…”
Neeraj (हँसते हुए, कसकर दबाते हुए):
“बस अब यहीं से शुरू होगा मज़ा… तेरे ये दूध जैसे बोसड़े… मेरे हाथों के लिए ही बने हैं।”
उसने दोनों हथेलियों से कसकर Shipra के boobs दबा दिए।
Shipra की कमर अनचाहे ही पीछे खिंच गई।
Neeraj की उंगलियाँ बार-बार उसके निपल्स को पकड़कर मरोड़ने लगीं।
Shipra की साँसें तेज़ हो चुकी थीं, आँखें बंद होने लगीं।
उसका पूरा शरीर गर्म हो रहा था — गुस्सा और झिझक के बीच उसके होंठ खुद-ब-खुद काँप रहे थे।
Neeraj ने उसके होंठों पर अचानक लंबा किस जड़ दिया।
Shipra ने पहले मुँह मोड़ने की कोशिश की, मगर Neeraj ने उसके गाल पकड़कर होंठ कसकर सील दिए।
धीरे-धीरे Shipra की साँस टूटने लगी और उसकी जीभ भी Neeraj की जीभ से उलझ गई।
उसकी गुलाबी नाइटी आधी खुली हुई थी और साँसें अभी भी तेज़ चल रही थीं।
तभी Neeraj ने पीछे से झपटकर उसकी कलाई पकड़ ली और उसे दीवार से जोर से टिका दिया।
Shipra (कराहकर, गुस्से से):
“छोड़ हरामी… रोज़ मेरे कपड़े फाड़ता है, अब क्या करने आया है?”
Neeraj ने उसके कान पर दाँत गड़ा दिए और गंदी हँसी में बोला—
Neeraj:
“आज तेरी चूत नहीं… तेरी गांड मेरी होगी। पहली बार… और सीधा मेरी मुठ्ठी जितना भरेगा।”
Shipra की आँखें डर और हैरानी से फैल गईं।
उसने दोनों हाथों से Neeraj को धक्का देने की कोशिश की लेकिन वो और कसकर उसके ऊपर झुक गया।
Shipra (सिसकते हुए):
“नहीं… मादरचोद… वहाँ मत करना… फाड़ देगा मुझे…”
Neeraj ने उसकी नाइटी ऊपर उठाई, नंगा किया और उसकी गांड पर जोर का चाटा जड़ा।
आवाज़ गूँजी— “चटाक्क्क”।
Shipra दर्द से चीख पड़ी।
Neeraj हँसते हुए उसके बाल पकड़कर बोला—
Neeraj (जानवर की तरह):
“तेरे मुँह से यही चीख सुननी है मुझे… अब चुपचाप झुक जा।
तेरी गांड को आज पहली बार खोलूँगा मैं।”
Shipra ग़ुस्से और बेबसी से काँप रही थी।
उसकी आँखों से आँसू आने लगे, होंठ काँप रहे थे।
लेकिन Neeraj की पकड़ और गर्म साँसें उसकी रगों में एक अलग सनसनी भी दौड़ा रही थीं।
धीरे-धीरे उसने अपना माथा दीवार पर टिका लिया, आँखें बंद कर लीं और दाँत भींचकर बोली—
Shipra (धीमी लेकिन टूटी आवाज़ में):
“हरामी… कर ले आज… लेकिन याद रखना, तेरा ये करज़ा मैं कभी माफ़ नहीं करूँगी।”
Neeraj ने उसके कान में जीभ फेरते हुए गंदी हँसी छोड़ी और हाथ उसकी कमर तक सरका दिए।
Shipra (तेज़ स्वर में, गुस्से से):
“हरामी… रोज़-रोज़ कपड़े क्यों फाड़ता है तू? नंगी घूमूँ मैं घर में?”
Neeraj उसके कान के पास आकर गंदी हँसी हँसा —
Neeraj:
“तू नंगी ही सबसे हसीन लगती है रंडी… अब देख, तेरी नाइटी भी ज़्यादा देर बचने वाली नहीं है।”
Shipra पलटी और धक्का देने लगी।
लेकिन Neeraj ने उसके दोनों हाथ ऊपर की ओर दीवार से चिपका दिए।
उसकी साँसें गरम होकर Shipra की गर्दन पर गिर रही थीं।
Neeraj (धीरे से फुसफुसाते हुए):
“तेरा छोरा जिसको चोद रहा है… तू सोच, उसी के बाप की तरह मैं भी तुझे नंगा करके मज़े लूँ।”
Shipra (झटके से, गुस्से में):
“चुप कर साले… मुझे छोड़!”
लेकिन Neeraj ने उसकी गर्दन पर जोर से काट लिया।
Shipra ने “आह्ह” की हल्की चीख मारी और दीवार को कसकर पकड़ लिया।
धीरे-धीरे Neeraj का हाथ उसकी नाइटी के अंदर सरक गया।
उसकी हथेली ने Shipra के गर्म, नरम boobs पकड़ लिए।
Shipra (हांफते हुए, आधा गुस्सा आधी सिसकी):
“मत छू… कमीने…”
Neeraj (हँसते हुए, कसकर दबाते हुए):
“बस अब यहीं से शुरू होगा मज़ा… तेरे ये दूध जैसे बोसड़े… मेरे हाथों के लिए ही बने हैं।”
उसने दोनों हथेलियों से कसकर Shipra के boobs दबा दिए।
Shipra की कमर अनचाहे ही पीछे खिंच गई।
Neeraj की उंगलियाँ बार-बार उसके निपल्स को पकड़कर मरोड़ने लगीं।
Shipra की साँसें तेज़ हो चुकी थीं, आँखें बंद होने लगीं।
उसका पूरा शरीर गर्म हो रहा था — गुस्सा और झिझक के बीच उसके होंठ खुद-ब-खुद काँप रहे थे।
Neeraj ने उसके होंठों पर अचानक लंबा किस जड़ दिया।
Shipra ने पहले मुँह मोड़ने की कोशिश की, मगर Neeraj ने उसके गाल पकड़कर होंठ कसकर सील दिए।
धीरे-धीरे Shipra की साँस टूटने लगी और उसकी जीभ भी Neeraj की जीभ से उलझ गई।