10-09-2025, 07:48 AM
लेकिन Neeraj रुका नहीं।
उसने दोनों हाथों से Shipra की कमर पकड़कर लगातार धक्के मारने शुरू कर दिए।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” पूरा sofa हिल रहा था।
Shipra का सीना ऊपर-नीचे उछल रहा था, boobs लहराते हुए Neeraj के हाथों में आ रहे थे।
Neeraj बार-बार उन्हें दबाकर निप्पल मरोड़ रहा था।
Neeraj (गरजते हुए):
“वाह रंडी… तेरी चूत तो पानी की नदी है। लंड डालते ही डूबा जा रहा है मैं।”
Shipra अब बेसुध होकर कराह रही थी।
Shipra (आँखें बंद कर, जोर से):
“आह्ह्ह… और जोर से… चोद मुझे… बना दे अपनी रंडी… आह्ह्ह…”
Neeraj ने उसे doggy में पलटा।
अब Shipra घुटनों के बल sofa पर थी, साड़ी कमर पर चढ़ी, गांड पूरी तरह खुली।
Neeraj ने पीछे से लंड उसके अंदर धँसा दिया।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” हर thrust से उसकी गांड काँप रही थी।
Neeraj (उसके बाल पकड़कर खींचते हुए):
“अबे रंडी… तेरे बेटे के सामने तेरी गांड चोद रहा हूँ। सोच… अगर जाग गया तो?”
Shipra कराहते हुए हाँफी—
Shipra:
“आह्ह्ह… सोचने दे हरामी… बस चोद… मारते रह… आह्ह्ह…”
Neeraj ने उसकी गांड पर ज़ोर से थूक दिया और अंगूठा अंदर घुसा दिया।
Shipra जोर से चीखी—
Shipra:
“आह्ह्ह मादरचोद… फाड़ डाला तूने…”
लेकिन Neeraj पागलपन में धक्के मारता रहा।
अब sofa कराहों, गालियों और “ठप-ठप” की आवाज़ से गूंज रहा था।
Neeraj ने Shipra को doggy में झुका रखा था, लंड उसके अंदर पूरा गड़ा हुआ। धक्के इतने जोर के थे कि sofa चीं-चीं करने लगा।
Neeraj (गरजते हुए, गंदी गाली में):
“अबे रंडी… रोज़ दो-दो बार तेरी चूत फाड़ रहा हूँ, फिर भी मादरचोद इतनी गीली हो जाती है तू… तेरी चूत तो अब टंगी हुई झोली जैसी हो गई है।”
उसने Shipra की गांड पर थप्पड़ मारा, ज़ोर से ठप्पाक्क्क की आवाज़ आई।
Shipra (कराहते हुए, गालियों में):
“आह्ह्ह हरामी… तू ही तो रोज़ मेरी चूत को नल बना देता है… इतनी सुज गई है कि चलने में भी लंड घुसा लगता है। मादरचोद, मेरी चूत को आलू की बोरिया बना दिया तूने।”
Neeraj ने बाल पकड़कर उसका चेहरा sofa में दबा दिया और पीछे से और तेज़ धक्के मारे।
“ठप-ठप-ठप-ठप…”
Neeraj (हँसते हुए):
“साली… यही तो चाहिए था मुझे। तेरी चूत अब पूरी तरह मेरी है, तेरे पति ने तो सिर्फ़ नाम का इस्तेमाल किया। मैंने रोज़ की चुदाई से तेरी माँ-चुद चूत को लटकता हुआ बना दिया।”
Shipra ने आँखें बंद कर कराहते हुए फिर गाली दी—
Shipra:
“आह्ह्ह… हरामी, स्साले… सही कहता है तू… मेरी सुजी हुई चूत अब तेरी है। लेकिन याद रख, तेरी ये रंडी रोज़ गाली खाए बिना नहीं चुदेगी। मार और जोर से, मादरचोद!”
Neeraj और भड़क गया। उसने लंड को पूरा बाहर निकाला और Shipra की गीली चूत पर जोर से थप्पड़ मारा।
“चपाक्क्क्क!”
फिर लंड पकड़कर एक झटके में फिर से अंदर गाड़ दिया।
Shipra चीख पड़ी—
Shipra:
“आह्ह्ह… तेरी माँ की… फाड़ डाली रे…”
Neeraj ने उसके कान पकड़कर फुसफुसाया—
Neeraj:
“तेरी चूत अब रंडी का मेला है, रोज़ सुबह-शाम खोल देता हूँ। इतनी लटक गई है कि देख कर ही मेरा लंड और कड़ा हो जाता है। बोल अब, किसकी रंडी है तू?”
Shipra पागलों की तरह कराह रही थी, उसके नाखून sofa पर गड़ चुके थे।
Shipra (हांफते हुए गालियों में):
“तेरी हूँ बे मादरचोद… पूरी रंडी बन चुकी हूँ तेरी। रोज़ मेरी गांड-चूत सुजा के छोड़ता है, फिर भी तेरे लंड की लत लगी हुई है। चोद मुझे… और चोद… मेरी रंडी चूत फाड़ डाल।”
Neeraj ने उसे खींचकर अपनी गोदी में बिठा लिया — अब Shipra reverse cowgirl में थी।
उसकी साड़ी कमर पर थी, boobs बाहर उछल रहे थे, और वो ऊपर-नीचे Neeraj के लंड पर कूद रही थी।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” उसकी सुजी हुई चूत बार-बार लंड को निगल रही थी।
Neeraj (कराहते हुए, गंदी गाली में):
“वाह रंडी… तेरी लटकी हुई, गीली चूत तो अब लंड का ताजमहल लगती है। चूस ले पूरा लंड अपनी माँ-चुद चूत में।”
Shipra हँसते-कराहते बोली—
Shipra:
“हरामी… रुकूँगी नहीं, जब तक तेरा लंड मेरा रस पीकर फटेगा नहीं। रोज़ फाड़-फाड़ के चूत सुजा दी तूने… अब इसे और ढीला कर दे।”
Neeraj ने दोनों हाथों से उसके boobs पकड़कर निप्पल मरोड़े और जोर से धक्का मारा।
Shipra पागल होकर चीख उठी—
Shipra:
“आह्ह्ह… फाड़ दे रे मादरचोद… यही चूत है तेरे लंड के लिए… रोज़ फाड़… हर बार फाड़…”
---Neeraj ने Shipra को गोदी से उठाकर फिर से sofa पर दबा दिया।
उसने उसका चेहरा पकड़कर ज़ोर से थप्पड़ मारा — “ठप्पाक्क्क!”
Neeraj (गरजते हुए):
“बोल रंडी… तेरा पति तेरी चूत चोदता भी है या नहीं?
या बस नाम का मर्द बना है वो, जो तुझे सुजाने का दम ही नहीं रखता?”
Shipra ने होंठ काटकर हँसी दबाई, फिर कराह के साथ ठहाका मारा।
उसकी आँखों में पानी था, लेकिन हँसी में गंदगी और दर्द दोनों थे।
Shipra (मुँह बिचकाते हुए):
“हा हा हा… चोदो मत पूछ… मेरा पति तो चूत फाड़ना क्या, लंड भी पूरा नहीं डाल पाता।
उसके छोटे से लंड से तो मेरी चूत हँस देती है,
जैसे कोई बच्चा ऊँगली डाल रहा हो। हा हा हा…”
Neeraj और भड़क गया।
उसने फिर से उसके गाल पर थप्पड़ मारा —
“ठप्पाक्क्क!”
Neeraj (गालियाँ देते हुए):
“साली रंडी… तेरे पति का छोटा लंड देख-देख के ही तुझे भूख लगी रहती थी न?
अब देख, मेरा लंड तुझे कैसे हरामज़ादी बना देता है।”
उसने झटके में अपना मोटा, गरम लंड उसके अंदर और गहरा ठोक दिया।
“ठपाक्क्क! ठपाक्क्क! ठपाक्क्क!”
Shipra की आँखें पलट गईं।
उसके होंठ काँपते हुए बोले—
Shipra (हँसते-कराहते हुए):
“आह्ह्ह… सही कहता है रे… मेरा पति तो नपुंसक है।
तेरे जैसा लंड न उसे कभी मिला, न मिलेगा।
स्साले की औकात ही नहीं थी मेरी चूत भरने की।
अब तो रोज़ तू ही मेरी सुजी हुई चूत में ये मोटा लंड घुसा के फाड़ता है।
तभी तो लटक गई है मेरी चूत तेरे ठोकों से… हा हा हा…”
Neeraj पागल हो चुका था।
उसने Shipra की ठोड़ी पकड़कर फिर से थप्पड़ मारा और उसका मुँह खोलकर अपनी जीभ अंदर ठूंस दी।
दोनों की गंदी, लम्बी किस्स फिर से शुरू हो गई।
Neeraj ने Shipra की टाँगें उठाकर और भी चौड़ी कर दीं और पूरा लंड उसकी सुजी हुई चूत में धँसा दिया।
उसके धक्के अब पागलपन में थे — “ठप-ठप-ठप-ठप…”
उसने उसके गाल पर थप्पड़ मारा और गुर्राया—
Neeraj:
“अबे रंडी… अगर इतना ही मज़ा चाहिए था तो जा… अपने बेटे Rohit से चुदवा ले!
वो तेरा असली वारिस है, तेरे पति से तो ज़्यादा दम होगा उसमें।”
Shipra कराहते हुए हाँफी, और गुस्से में गाली दी—
Shipra:
“आह्ह्ह… चुप बे मादरचोद! चोद रहा है तो चोद, बीच में मेरे बेटे का नाम क्यों घसीटता है?
स्साले, बकवास मत कर वरना तेरी जुबान काट लूँगी!”
Neeraj और भड़क गया।
उसने उसके बाल पकड़कर सिर पीछे झुका दिया और हर thrust पर गुर्राया—
Neeraj:
“बोल रंडी! तेरे पति ने नहीं चोदा तो अब बेटा ही चोड़ेगा तुझे… सोच कैसी लगेगी उसकी माँ को चोदते हुए… हा हा हा…”
Shipra की चीखें और तेज़ हो गईं।
उसकी सुजी हुई चूत में लंड बार-बार गहरा धँस रहा था।
Shipra (कराहते हुए, गालियाँ देती):
“आह्ह्ह… हरामी… गंदी बात मत कर… तू ही है जो मेरी चूत को रोज़ फाड़ता है।
तेरे लंड ने मुझे रंडी बना दिया है,
पर मेरे बेटे का नाम बीच में मत ला… साले गधे!”
Neeraj ने फिर ठप्पाक्क्क से थप्पड़ मारा और हँसते हुए बोला—
Neeraj:
“तेरा बेटा भी तेरी सुजी हुई चूत देखेगा तो पागल हो जाएगा।
रंडी… एक दिन उससे भी चुदेगी तू। बोल!”
Shipra की आँखें पागलपन में पलट गईं, कराहते हुए हँसी फूट पड़ी।
उसने अपने नाखून Neeraj की पीठ में गड़ा दिए और हाँफते हुए बोली—
Shipra (हँसते-कराहते):
“हा हा हा… तू रोज़ मेरे बेटे की माँ चोदता है न?
तो सुन मादरचोद… एक दिन वही बेटा तेरी माँ चोदेगा!
सोच हरामी, कैसा लगेगा तुझे… हा हा हा…”
Neeraj ये सुनकर और पागल हो गया।
उसके धक्के और तेज़ हो गए, पूरा sofa हिलने लगा, और दोनों की हँसी, कराहें और गालियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
Shipra की बात सुनकर Neeraj का दिमाग़ घूम गया।
उसने तुरंत लंड उसकी चूत से धड़ाक्क्क निकाल लिया।
गुस्से में Shipra के बाल पकड़कर उसे घसीटा और जमीन पर घुटनों के बल पटक दिया।
Neeraj (गाली देकर, दाँत पीसते हुए):
“अबे रंडी… मेरी माँ के बारे में ज़ुबान खोली तूने?
साली, अभी तेरी वो गंदी ज़ुबान फाड़ के रख दूँगा… चूस मेरा लंड!”
उसने लंड सीधा Shipra के मुँह पर दे मारा।
Shipra चीखी, पर बालों से दबा कर Neeraj ने उसका मुँह खोल दिया और जोर से लंड ठूँस दिया।
“ठस्स्स-ठस्स्स-ठस्स्स…”
हर धक्का सीधा गले तक जा रहा था।
Shipra का गला घुटने लगा, आँखों से पानी टपकने लगा।
वो बीच-बीच में कराहते हुए गाली भी निकाल रही थी—
Shipra (दम घुटते हुए):
“आह्ह्ह… छो— छोड़ बे मादरचोद… गला फट जाएगा… उग्घ्ह्ह…”
Neeraj और भड़क गया।
उसने सिर और कसकर पकड़ लिया और लगातार गले तक धक्के मारता रहा।
Neeraj (गुस्से में गरजकर):
“साली रंडी… मेरी माँ का नाम लिया तूने?
अबे मादरचोद, आज तेरे इसी मुँह में पूरा लंड घुसाकर तेरी हड्डियाँ तोड़ दूँगा!
ले… गटक, पूरा गटक… रंडी!”
Shipra के होंठों के कोनों से लार बहने लगी, उसकी नाक से आवाज़ फूट रही थी।
पर उसकी आँखों में अब भी ताना था, वो बीच-बीच में हँस पड़ती थी—
Shipra (मुँह में लंड दबा कर हँसते हुए, घुटती आवाज़ में):
“म्म्म्ह्ह्ह… हा हा हा… मार ले जितना मारना है…
तेरा लंड है ही इतना छोटा… गले में खो भी गया तो क्या!”
Neeraj पागल हो चुका था।
उसने और भी तेज़ धक्के मारे—
“ठप-ठप-ठप-ठप…”
अब उसका पूरा लंड Shipra के गले के अंदर धँस चुका था।
Shipra का मुँह लार और उसकी गाली दोनों से भरा था।
Neeraj ने झटके से Shipra के बाल छोड़ दिए और उसे ज़मीन से खींचकर खड़ा कर दिया।
Shipra हाँफ रही थी, गले से खरखराहट निकल रही थी, होंठों से लार टपक रही थी।
Neeraj (गुस्से में गरजकर):
“अबे रंडी… ज़ुबान चलाएगी अभी भी? तेरे सारे कपड़े फाड़कर नंगी कर दूँगा।”
Shipra छाती पकड़कर साँस सँभालती है और हँसते हुए ताना मारती है।
Shipra (गंदी हँसी और गाली में):
“अबे हरामी… कल रात मेरी गुलाबी ब्रा और लाल पैंटी फाड़ी थी तूने…
आज दिन में भी फाड़ेगा क्या? साले… औरत हूँ मैं या तेरी रंडी की अलमारी?”
Neeraj पागल की तरह उसके हरे रेशमी ब्लाउज पर झपटा।
दोनों हाथों से पकड़कर पीछे से हुक तोड़ा और एक झटके में आगे से “च्र्र्र्र्र्राक्क्क्क…”।
ब्लाउज फटकर नीचे गिर गया।
अंदर से उसकी काली लेस वाली ब्रा कसकर बड़े-बड़े boobs थामे थी।
Neeraj ने स्ट्रैप खींचकर नोच दिया और जोर से बीच से “चर्र्र्र्र्राक्क्क्क…” कर दिया।
ब्रा के टुकड़े उड़ गए और Shipra के भारी, उछलते हुए boobs आज़ाद हो गए।
उसने दोनों हाथों से Shipra की कमर पकड़कर लगातार धक्के मारने शुरू कर दिए।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” पूरा sofa हिल रहा था।
Shipra का सीना ऊपर-नीचे उछल रहा था, boobs लहराते हुए Neeraj के हाथों में आ रहे थे।
Neeraj बार-बार उन्हें दबाकर निप्पल मरोड़ रहा था।
Neeraj (गरजते हुए):
“वाह रंडी… तेरी चूत तो पानी की नदी है। लंड डालते ही डूबा जा रहा है मैं।”
Shipra अब बेसुध होकर कराह रही थी।
Shipra (आँखें बंद कर, जोर से):
“आह्ह्ह… और जोर से… चोद मुझे… बना दे अपनी रंडी… आह्ह्ह…”
Neeraj ने उसे doggy में पलटा।
अब Shipra घुटनों के बल sofa पर थी, साड़ी कमर पर चढ़ी, गांड पूरी तरह खुली।
Neeraj ने पीछे से लंड उसके अंदर धँसा दिया।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” हर thrust से उसकी गांड काँप रही थी।
Neeraj (उसके बाल पकड़कर खींचते हुए):
“अबे रंडी… तेरे बेटे के सामने तेरी गांड चोद रहा हूँ। सोच… अगर जाग गया तो?”
Shipra कराहते हुए हाँफी—
Shipra:
“आह्ह्ह… सोचने दे हरामी… बस चोद… मारते रह… आह्ह्ह…”
Neeraj ने उसकी गांड पर ज़ोर से थूक दिया और अंगूठा अंदर घुसा दिया।
Shipra जोर से चीखी—
Shipra:
“आह्ह्ह मादरचोद… फाड़ डाला तूने…”
लेकिन Neeraj पागलपन में धक्के मारता रहा।
अब sofa कराहों, गालियों और “ठप-ठप” की आवाज़ से गूंज रहा था।
Neeraj ने Shipra को doggy में झुका रखा था, लंड उसके अंदर पूरा गड़ा हुआ। धक्के इतने जोर के थे कि sofa चीं-चीं करने लगा।
Neeraj (गरजते हुए, गंदी गाली में):
“अबे रंडी… रोज़ दो-दो बार तेरी चूत फाड़ रहा हूँ, फिर भी मादरचोद इतनी गीली हो जाती है तू… तेरी चूत तो अब टंगी हुई झोली जैसी हो गई है।”
उसने Shipra की गांड पर थप्पड़ मारा, ज़ोर से ठप्पाक्क्क की आवाज़ आई।
Shipra (कराहते हुए, गालियों में):
“आह्ह्ह हरामी… तू ही तो रोज़ मेरी चूत को नल बना देता है… इतनी सुज गई है कि चलने में भी लंड घुसा लगता है। मादरचोद, मेरी चूत को आलू की बोरिया बना दिया तूने।”
Neeraj ने बाल पकड़कर उसका चेहरा sofa में दबा दिया और पीछे से और तेज़ धक्के मारे।
“ठप-ठप-ठप-ठप…”
Neeraj (हँसते हुए):
“साली… यही तो चाहिए था मुझे। तेरी चूत अब पूरी तरह मेरी है, तेरे पति ने तो सिर्फ़ नाम का इस्तेमाल किया। मैंने रोज़ की चुदाई से तेरी माँ-चुद चूत को लटकता हुआ बना दिया।”
Shipra ने आँखें बंद कर कराहते हुए फिर गाली दी—
Shipra:
“आह्ह्ह… हरामी, स्साले… सही कहता है तू… मेरी सुजी हुई चूत अब तेरी है। लेकिन याद रख, तेरी ये रंडी रोज़ गाली खाए बिना नहीं चुदेगी। मार और जोर से, मादरचोद!”
Neeraj और भड़क गया। उसने लंड को पूरा बाहर निकाला और Shipra की गीली चूत पर जोर से थप्पड़ मारा।
“चपाक्क्क्क!”
फिर लंड पकड़कर एक झटके में फिर से अंदर गाड़ दिया।
Shipra चीख पड़ी—
Shipra:
“आह्ह्ह… तेरी माँ की… फाड़ डाली रे…”
Neeraj ने उसके कान पकड़कर फुसफुसाया—
Neeraj:
“तेरी चूत अब रंडी का मेला है, रोज़ सुबह-शाम खोल देता हूँ। इतनी लटक गई है कि देख कर ही मेरा लंड और कड़ा हो जाता है। बोल अब, किसकी रंडी है तू?”
Shipra पागलों की तरह कराह रही थी, उसके नाखून sofa पर गड़ चुके थे।
Shipra (हांफते हुए गालियों में):
“तेरी हूँ बे मादरचोद… पूरी रंडी बन चुकी हूँ तेरी। रोज़ मेरी गांड-चूत सुजा के छोड़ता है, फिर भी तेरे लंड की लत लगी हुई है। चोद मुझे… और चोद… मेरी रंडी चूत फाड़ डाल।”
Neeraj ने उसे खींचकर अपनी गोदी में बिठा लिया — अब Shipra reverse cowgirl में थी।
उसकी साड़ी कमर पर थी, boobs बाहर उछल रहे थे, और वो ऊपर-नीचे Neeraj के लंड पर कूद रही थी।
“ठप-ठप-ठप-ठप…” उसकी सुजी हुई चूत बार-बार लंड को निगल रही थी।
Neeraj (कराहते हुए, गंदी गाली में):
“वाह रंडी… तेरी लटकी हुई, गीली चूत तो अब लंड का ताजमहल लगती है। चूस ले पूरा लंड अपनी माँ-चुद चूत में।”
Shipra हँसते-कराहते बोली—
Shipra:
“हरामी… रुकूँगी नहीं, जब तक तेरा लंड मेरा रस पीकर फटेगा नहीं। रोज़ फाड़-फाड़ के चूत सुजा दी तूने… अब इसे और ढीला कर दे।”
Neeraj ने दोनों हाथों से उसके boobs पकड़कर निप्पल मरोड़े और जोर से धक्का मारा।
Shipra पागल होकर चीख उठी—
Shipra:
“आह्ह्ह… फाड़ दे रे मादरचोद… यही चूत है तेरे लंड के लिए… रोज़ फाड़… हर बार फाड़…”
---Neeraj ने Shipra को गोदी से उठाकर फिर से sofa पर दबा दिया।
उसने उसका चेहरा पकड़कर ज़ोर से थप्पड़ मारा — “ठप्पाक्क्क!”
Neeraj (गरजते हुए):
“बोल रंडी… तेरा पति तेरी चूत चोदता भी है या नहीं?
या बस नाम का मर्द बना है वो, जो तुझे सुजाने का दम ही नहीं रखता?”
Shipra ने होंठ काटकर हँसी दबाई, फिर कराह के साथ ठहाका मारा।
उसकी आँखों में पानी था, लेकिन हँसी में गंदगी और दर्द दोनों थे।
Shipra (मुँह बिचकाते हुए):
“हा हा हा… चोदो मत पूछ… मेरा पति तो चूत फाड़ना क्या, लंड भी पूरा नहीं डाल पाता।
उसके छोटे से लंड से तो मेरी चूत हँस देती है,
जैसे कोई बच्चा ऊँगली डाल रहा हो। हा हा हा…”
Neeraj और भड़क गया।
उसने फिर से उसके गाल पर थप्पड़ मारा —
“ठप्पाक्क्क!”
Neeraj (गालियाँ देते हुए):
“साली रंडी… तेरे पति का छोटा लंड देख-देख के ही तुझे भूख लगी रहती थी न?
अब देख, मेरा लंड तुझे कैसे हरामज़ादी बना देता है।”
उसने झटके में अपना मोटा, गरम लंड उसके अंदर और गहरा ठोक दिया।
“ठपाक्क्क! ठपाक्क्क! ठपाक्क्क!”
Shipra की आँखें पलट गईं।
उसके होंठ काँपते हुए बोले—
Shipra (हँसते-कराहते हुए):
“आह्ह्ह… सही कहता है रे… मेरा पति तो नपुंसक है।
तेरे जैसा लंड न उसे कभी मिला, न मिलेगा।
स्साले की औकात ही नहीं थी मेरी चूत भरने की।
अब तो रोज़ तू ही मेरी सुजी हुई चूत में ये मोटा लंड घुसा के फाड़ता है।
तभी तो लटक गई है मेरी चूत तेरे ठोकों से… हा हा हा…”
Neeraj पागल हो चुका था।
उसने Shipra की ठोड़ी पकड़कर फिर से थप्पड़ मारा और उसका मुँह खोलकर अपनी जीभ अंदर ठूंस दी।
दोनों की गंदी, लम्बी किस्स फिर से शुरू हो गई।
Neeraj ने Shipra की टाँगें उठाकर और भी चौड़ी कर दीं और पूरा लंड उसकी सुजी हुई चूत में धँसा दिया।
उसके धक्के अब पागलपन में थे — “ठप-ठप-ठप-ठप…”
उसने उसके गाल पर थप्पड़ मारा और गुर्राया—
Neeraj:
“अबे रंडी… अगर इतना ही मज़ा चाहिए था तो जा… अपने बेटे Rohit से चुदवा ले!
वो तेरा असली वारिस है, तेरे पति से तो ज़्यादा दम होगा उसमें।”
Shipra कराहते हुए हाँफी, और गुस्से में गाली दी—
Shipra:
“आह्ह्ह… चुप बे मादरचोद! चोद रहा है तो चोद, बीच में मेरे बेटे का नाम क्यों घसीटता है?
स्साले, बकवास मत कर वरना तेरी जुबान काट लूँगी!”
Neeraj और भड़क गया।
उसने उसके बाल पकड़कर सिर पीछे झुका दिया और हर thrust पर गुर्राया—
Neeraj:
“बोल रंडी! तेरे पति ने नहीं चोदा तो अब बेटा ही चोड़ेगा तुझे… सोच कैसी लगेगी उसकी माँ को चोदते हुए… हा हा हा…”
Shipra की चीखें और तेज़ हो गईं।
उसकी सुजी हुई चूत में लंड बार-बार गहरा धँस रहा था।
Shipra (कराहते हुए, गालियाँ देती):
“आह्ह्ह… हरामी… गंदी बात मत कर… तू ही है जो मेरी चूत को रोज़ फाड़ता है।
तेरे लंड ने मुझे रंडी बना दिया है,
पर मेरे बेटे का नाम बीच में मत ला… साले गधे!”
Neeraj ने फिर ठप्पाक्क्क से थप्पड़ मारा और हँसते हुए बोला—
Neeraj:
“तेरा बेटा भी तेरी सुजी हुई चूत देखेगा तो पागल हो जाएगा।
रंडी… एक दिन उससे भी चुदेगी तू। बोल!”
Shipra की आँखें पागलपन में पलट गईं, कराहते हुए हँसी फूट पड़ी।
उसने अपने नाखून Neeraj की पीठ में गड़ा दिए और हाँफते हुए बोली—
Shipra (हँसते-कराहते):
“हा हा हा… तू रोज़ मेरे बेटे की माँ चोदता है न?
तो सुन मादरचोद… एक दिन वही बेटा तेरी माँ चोदेगा!
सोच हरामी, कैसा लगेगा तुझे… हा हा हा…”
Neeraj ये सुनकर और पागल हो गया।
उसके धक्के और तेज़ हो गए, पूरा sofa हिलने लगा, और दोनों की हँसी, कराहें और गालियाँ कमरे में गूंजने लगीं।
Shipra की बात सुनकर Neeraj का दिमाग़ घूम गया।
उसने तुरंत लंड उसकी चूत से धड़ाक्क्क निकाल लिया।
गुस्से में Shipra के बाल पकड़कर उसे घसीटा और जमीन पर घुटनों के बल पटक दिया।
Neeraj (गाली देकर, दाँत पीसते हुए):
“अबे रंडी… मेरी माँ के बारे में ज़ुबान खोली तूने?
साली, अभी तेरी वो गंदी ज़ुबान फाड़ के रख दूँगा… चूस मेरा लंड!”
उसने लंड सीधा Shipra के मुँह पर दे मारा।
Shipra चीखी, पर बालों से दबा कर Neeraj ने उसका मुँह खोल दिया और जोर से लंड ठूँस दिया।
“ठस्स्स-ठस्स्स-ठस्स्स…”
हर धक्का सीधा गले तक जा रहा था।
Shipra का गला घुटने लगा, आँखों से पानी टपकने लगा।
वो बीच-बीच में कराहते हुए गाली भी निकाल रही थी—
Shipra (दम घुटते हुए):
“आह्ह्ह… छो— छोड़ बे मादरचोद… गला फट जाएगा… उग्घ्ह्ह…”
Neeraj और भड़क गया।
उसने सिर और कसकर पकड़ लिया और लगातार गले तक धक्के मारता रहा।
Neeraj (गुस्से में गरजकर):
“साली रंडी… मेरी माँ का नाम लिया तूने?
अबे मादरचोद, आज तेरे इसी मुँह में पूरा लंड घुसाकर तेरी हड्डियाँ तोड़ दूँगा!
ले… गटक, पूरा गटक… रंडी!”
Shipra के होंठों के कोनों से लार बहने लगी, उसकी नाक से आवाज़ फूट रही थी।
पर उसकी आँखों में अब भी ताना था, वो बीच-बीच में हँस पड़ती थी—
Shipra (मुँह में लंड दबा कर हँसते हुए, घुटती आवाज़ में):
“म्म्म्ह्ह्ह… हा हा हा… मार ले जितना मारना है…
तेरा लंड है ही इतना छोटा… गले में खो भी गया तो क्या!”
Neeraj पागल हो चुका था।
उसने और भी तेज़ धक्के मारे—
“ठप-ठप-ठप-ठप…”
अब उसका पूरा लंड Shipra के गले के अंदर धँस चुका था।
Shipra का मुँह लार और उसकी गाली दोनों से भरा था।
Neeraj ने झटके से Shipra के बाल छोड़ दिए और उसे ज़मीन से खींचकर खड़ा कर दिया।
Shipra हाँफ रही थी, गले से खरखराहट निकल रही थी, होंठों से लार टपक रही थी।
Neeraj (गुस्से में गरजकर):
“अबे रंडी… ज़ुबान चलाएगी अभी भी? तेरे सारे कपड़े फाड़कर नंगी कर दूँगा।”
Shipra छाती पकड़कर साँस सँभालती है और हँसते हुए ताना मारती है।
Shipra (गंदी हँसी और गाली में):
“अबे हरामी… कल रात मेरी गुलाबी ब्रा और लाल पैंटी फाड़ी थी तूने…
आज दिन में भी फाड़ेगा क्या? साले… औरत हूँ मैं या तेरी रंडी की अलमारी?”
Neeraj पागल की तरह उसके हरे रेशमी ब्लाउज पर झपटा।
दोनों हाथों से पकड़कर पीछे से हुक तोड़ा और एक झटके में आगे से “च्र्र्र्र्र्राक्क्क्क…”।
ब्लाउज फटकर नीचे गिर गया।
अंदर से उसकी काली लेस वाली ब्रा कसकर बड़े-बड़े boobs थामे थी।
Neeraj ने स्ट्रैप खींचकर नोच दिया और जोर से बीच से “चर्र्र्र्र्राक्क्क्क…” कर दिया।
ब्रा के टुकड़े उड़ गए और Shipra के भारी, उछलते हुए boobs आज़ाद हो गए।