10-09-2025, 07:46 AM
Shipra का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने होंठ दबाए, चेहरा लाल हो गया।
उसकी साँसें और गहरी हो चुकी थीं।
Shipra (धीरे से, गालियाँ बकते हुए):
“अबे हरामी… सच कहूँ तो तेरी ये गंदी ज़ुबान सुनकर मेरी गांड में भी आग लग रही है।”
Neeraj ने मुस्कुराकर उसके हाथ पकड़ लिए, धीरे-धीरे अपनी तरफ खींचते हुए बोला—
Neeraj:
“वाह रंडी… यही सुनना चाहता हूँ मैं। तेरी चूत, तेरी गांड, तेरे दूध सब मेरे लिए बने हैं। आज ये सोफ़ा तेरे कराहों से गूंजेगा।”
---
? अब हॉल में सन्नाटा है, दोनों बस इंच भर की दूरी पर हैं।
Neeraj के हाथ साड़ी के पल्लू तक पहुँच चुके हैं… और Shipra की साँसें गालियों में छिपी हुई कराहों से काँप रही हैं।
हॉल का सन्नाटा अब भारी होने लगा था। घड़ी की टिक-टिक के बीच सोफ़े पर बैठे Shipra और Neeraj की साँसें ही एक-दूसरे की आवाज़ बन चुकी थीं।
Shipra बैंगनी फूलों वाली साड़ी में थी। पल्लू उसके सीने पर कसकर दबा था, लेकिन नीचे से ब्लाउज़ की tight पकड़ में उसका सीना तेज़ साँसों से उठ-गिर रहा था। पसीने की हल्की नमी उसकी गर्दन पर चमक रही थी।
Neeraj धीरे-धीरे उसके और करीब आया। उसने उसकी आँखों में देखा और फुसफुसाया—
Neeraj:
“साली… तेरी ये साड़ी तो बहाना है, तेरी गरमी सब बता रही है। दिल कर रहा है यहीं तुझे दबा के चूम लूँ।”
Shipra ने होंठ भींच लिए। उसका चेहरा गुस्से और चाहत के बीच फँसा हुआ था।
Shipra (धीरे से, काँपती आवाज़ में):
“पागल है तू… अगर कोई देख लेगा तो?”
Neeraj ने उसका पल्लू पकड़कर सरकाया, बस इतना कि ब्लाउज़ की लाइन से नीचे क्रीम रंग की लेस झलक उठी। उसकी आँखें वहीं अटक गईं।
Neeraj (हुस्की आवाज़ में):
“क्रीम ब्रा… तेरी साड़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही है।”
Shipra का चेहरा लाल पड़ गया। उसने पल्लू फिर से सँभालने की कोशिश की, मगर Neeraj ने उसकी कलाई पकड़ ली।
फिर वो उसके और पास झुका, इतना कि उसकी गर्म साँसें Shipra के होंठों को छूने लगीं।
Shipra का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
उसने हल्की-सी झिझक के साथ आँखें बंद कर लीं।
Neeraj ने उसके होंठों पर लंबा, गहरा किस रख दिया।
शुरू में Shipra सख़्त रही, लेकिन कुछ ही पल में उसकी साँसें पिघल गईं।
उसने भी होंठों को Neeraj के साथ मिला दिया।
अब किस लंबा होता जा रहा था—
पहले हल्के, फिर और दबाव से, फिर जीभ तक पहुँचते हुए।
Shipra की उँगलियाँ अनजाने में Neeraj की शर्ट पकड़ चुकी थीं।
Neeraj ने किस तोड़ते हुए उसके कान में फुसफुसाया—
Neeraj:
“तेरी साँसें ही बता रही हैं कि तेरी चूत भीग चुकी है, Shipra ji… मान ले।”
Shipra ने उसकी आँखों में देखा—गुस्सा नहीं था, बस वही जलती हुई चाहत।
उसकी साँस काँपी और उसने धीरे से कहा—
Shipra:
“हरामी… तुझे गालियाँ देती हूँ, फिर भी तेरे होंठों से हट नहीं पा रही।”
Neeraj हँसा और फिर उसके होंठ पकड़कर दुबारा लंबा किस करने लगा।
इस बार Shipra ने भी पूरा साथ दिया—लंबा, गहरा, और पूरी body से उससे लिपटकर।
Neeraj के होंठों से अलग होते ही Shipra हाँफ रही थी। उसकी साँसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि ब्लाउज़ की पकड़ जैसे टूटने को थी।
Neeraj ने धीरे-धीरे उसके पल्लू को और सरकाया। अब ब्लाउज़ साफ़ दिख रहा था—क्रीम रंग का ब्लाउज़, अंदर से झाँकती वही matching लेस वाली क्रीम ब्रा।
Shipra ने उसका हाथ रोकना चाहा।
Shipra (काँपती आवाज़ में):
“नहीं… बस अब रुक जा… कहीं कोई आ गया तो…”
Neeraj ने उसकी ठोड़ी पकड़कर होंठों पर हल्का सा काटा और बोला—
Neeraj (गरम साँसें उसके कान पर छोड़ते हुए):
“साली… जब चूत तर हो चुकी है, तो रोक क्या लेगी? कोई आ भी गया तो देख ले… कि Shipra कैसी रंडी है।”
Shipra ने गुस्से और चाहत में आँखें बंद कर लीं।
Neeraj ने उसके ब्लाउज़ के हुक पकड़कर खोलने शुरू किए।
“टक…टक…” दो हुक खुलते ही क्रीम ब्रा उभर आई।
Neeraj ने एक झटके में ब्रा का कप पकड़कर नीचे सरका दिया।
Shipra के बड़े, गोल, सफ़ेद boobs बाहर निकल आए।
Shipra कराह उठी—
Shipra:
“आह्ह… हरामी… धीरे…”
Neeraj ने दोनों हथेलियों से उन्हें पकड़कर कसकर दबाया।
फिर निप्पल को मुँह में भर लिया।
“चप-चप-चप…” उसकी जीभ और दाँत Shipra के निप्पलों पर खेल रहे थे।
Shipra होंठ दबाकर कराहों को रोक रही थी, लेकिन आवाज़ बाहर आ ही गई—
Shipra (कराहते हुए):
“आह्ह्ह… मादरचोद… चूस मेरी जान निकाल देगा तू।”
Neeraj ने उसकी कमर पकड़कर और पास खींचा।
अब उसकी साड़ी की प्लीट्स हटाकर नीचे तक पहुँच गया।
साड़ी के नीचे से दिख रही थी—गुलाबी सिल्क की panty।
Neeraj ने उसे पकड़कर धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू किया।
Shipra ने उसकी कलाई थाम ली।
Shipra (साँस टूटी-टूटी):
“पागल… मत… मेरी panty… उतर जाएगी तो मैं बिल्कुल नंगी हो जाऊँगी।”
Neeraj ने हँसते हुए उसका कान चाटा और बोला—
Neeraj:
“यही तो देखना चाहता हूँ, तेरी नंगी चूत। अब तो मेरी जीभ और लंड दोनों तेरे बिना चैन नहीं लेंगे।”
उसने झटके में गुलाबी panty नीचे तक खींच दी।
Shipra अब सोफ़े पर आधी नंगी थी—साड़ी ऊपर सरकी हुई, bra नीचे खिसकी हुई, boobs खुले और panty पैरों से उतर चुकी थी।
Neeraj ने उसकी टाँगें फैलाकर बीच में चेहरा डाल दिया।
उसकी जीभ अब Shipra की भीगी हुई chut पर नाच रही थी।
“चप-चप-चप-चप…” की आवाज़ हॉल के सन्नाटे में गूंजने लगी।
Shipra ने होंठ दबाए, मगर कराह निकल ही गई—
Shipra:
“आह्ह्ह… हरामी… पागल हो गया है… मेरी जान ले लेगा तू…”
Neeraj ने रुककर उसकी आँखों में देखा और बोला—
Neeraj:
“अबे रंडी… पहले मेरा लंड चूस। तेरे मुँह में डालूँगा तो असली मज़ा आएगा।”
उसने पैंट की चेन खोली और गरम, तना हुआ लंड Shipra के होंठों पर रख दिया।
Shipra काँप गई। उसने पल भर झिझका, फिर होंठ खोल दिए।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर ज़ोर से धक्का दिया।
“चपाक-चपाक-चपाक…” उसकी चूसने की आवाज़ पूरे हॉल में गूँजने लगी।
Shipra का गला भर आया, पर वो रुक नहीं सकी।
उसके होंठ लंड पर कसते गए, जीभ उसके सिर को चाटती रही।
Neeraj ने आँखें बंद कर लीं और गरजते हुए बोला—
Neeraj:
“वाह रंडी… तेरे जैसे मुँह के लिए ही मेरा लंड बना है।”
Neeraj ने उसके बाल और कसकर पकड़ लिए और लंड को और गहराई तक Shipra के मुँह में घुसा दिया।
“ठप-ठप-ठप…” उसकी thrusts इतनी तेज़ थीं कि Shipra का गला भर आया, आँखों से पानी बहने लगा।
Neeraj (गंदी हँसी में):
“वाह रंडी… पूरा गला चोद डाला तेरा। अबे ऐसी चुसाई तो तेरे मादरचोद पति ने भी न करवाई होगी।”
Shipra ने कराहते हुए, गला सँभालते हुए फिर से लंड मुँह में लिया।
Shipra (मुँह भरे स्वर में):
“म्म्म्फ्फ्फ… आह्ह्ह…”
उसकी जीभ बार-बार लंड के सिर को चाट रही थी, होंठ कसकर दबाए थे।
“चपाक-चपाक-चपाक…” की आवाज़ और भी तेज़ हो गई।
Neeraj ने अचानक उसका मुँह छोड़ा और Shipra को sofa पर पलट दिया।
उसकी साड़ी आधी कमर तक चढ़ चुकी थी, boobs बाहर थे, निप्पल अभी भी भीगे हुए।
Shipra का बदन पसीने से चमक रहा था।
Neeraj (उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए):
“अब दिखा तेरी चूत का नशा। फैल जा रंडी।”
उसने Shipra की टाँगें wide करके sofa पर टिकाईं।
भीगी हुई गुलाबी chut साफ़ चमक रही थी।
Neeraj ने अपना गरम लंड पकड़कर सीधे उसके छेद पर रखा और जोर से धक्का दिया—
“ठपाक्क्क्क!”
Shipra चीख उठी—
Shipra:
“आह्ह्ह… स्साले… धीरे… फाड़ डालेगा क्या?”
उसकी साँसें और गहरी हो चुकी थीं।
Shipra (धीरे से, गालियाँ बकते हुए):
“अबे हरामी… सच कहूँ तो तेरी ये गंदी ज़ुबान सुनकर मेरी गांड में भी आग लग रही है।”
Neeraj ने मुस्कुराकर उसके हाथ पकड़ लिए, धीरे-धीरे अपनी तरफ खींचते हुए बोला—
Neeraj:
“वाह रंडी… यही सुनना चाहता हूँ मैं। तेरी चूत, तेरी गांड, तेरे दूध सब मेरे लिए बने हैं। आज ये सोफ़ा तेरे कराहों से गूंजेगा।”
---
? अब हॉल में सन्नाटा है, दोनों बस इंच भर की दूरी पर हैं।
Neeraj के हाथ साड़ी के पल्लू तक पहुँच चुके हैं… और Shipra की साँसें गालियों में छिपी हुई कराहों से काँप रही हैं।
हॉल का सन्नाटा अब भारी होने लगा था। घड़ी की टिक-टिक के बीच सोफ़े पर बैठे Shipra और Neeraj की साँसें ही एक-दूसरे की आवाज़ बन चुकी थीं।
Shipra बैंगनी फूलों वाली साड़ी में थी। पल्लू उसके सीने पर कसकर दबा था, लेकिन नीचे से ब्लाउज़ की tight पकड़ में उसका सीना तेज़ साँसों से उठ-गिर रहा था। पसीने की हल्की नमी उसकी गर्दन पर चमक रही थी।
Neeraj धीरे-धीरे उसके और करीब आया। उसने उसकी आँखों में देखा और फुसफुसाया—
Neeraj:
“साली… तेरी ये साड़ी तो बहाना है, तेरी गरमी सब बता रही है। दिल कर रहा है यहीं तुझे दबा के चूम लूँ।”
Shipra ने होंठ भींच लिए। उसका चेहरा गुस्से और चाहत के बीच फँसा हुआ था।
Shipra (धीरे से, काँपती आवाज़ में):
“पागल है तू… अगर कोई देख लेगा तो?”
Neeraj ने उसका पल्लू पकड़कर सरकाया, बस इतना कि ब्लाउज़ की लाइन से नीचे क्रीम रंग की लेस झलक उठी। उसकी आँखें वहीं अटक गईं।
Neeraj (हुस्की आवाज़ में):
“क्रीम ब्रा… तेरी साड़ी से भी ज़्यादा गरम लग रही है।”
Shipra का चेहरा लाल पड़ गया। उसने पल्लू फिर से सँभालने की कोशिश की, मगर Neeraj ने उसकी कलाई पकड़ ली।
फिर वो उसके और पास झुका, इतना कि उसकी गर्म साँसें Shipra के होंठों को छूने लगीं।
Shipra का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
उसने हल्की-सी झिझक के साथ आँखें बंद कर लीं।
Neeraj ने उसके होंठों पर लंबा, गहरा किस रख दिया।
शुरू में Shipra सख़्त रही, लेकिन कुछ ही पल में उसकी साँसें पिघल गईं।
उसने भी होंठों को Neeraj के साथ मिला दिया।
अब किस लंबा होता जा रहा था—
पहले हल्के, फिर और दबाव से, फिर जीभ तक पहुँचते हुए।
Shipra की उँगलियाँ अनजाने में Neeraj की शर्ट पकड़ चुकी थीं।
Neeraj ने किस तोड़ते हुए उसके कान में फुसफुसाया—
Neeraj:
“तेरी साँसें ही बता रही हैं कि तेरी चूत भीग चुकी है, Shipra ji… मान ले।”
Shipra ने उसकी आँखों में देखा—गुस्सा नहीं था, बस वही जलती हुई चाहत।
उसकी साँस काँपी और उसने धीरे से कहा—
Shipra:
“हरामी… तुझे गालियाँ देती हूँ, फिर भी तेरे होंठों से हट नहीं पा रही।”
Neeraj हँसा और फिर उसके होंठ पकड़कर दुबारा लंबा किस करने लगा।
इस बार Shipra ने भी पूरा साथ दिया—लंबा, गहरा, और पूरी body से उससे लिपटकर।
Neeraj के होंठों से अलग होते ही Shipra हाँफ रही थी। उसकी साँसें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि ब्लाउज़ की पकड़ जैसे टूटने को थी।
Neeraj ने धीरे-धीरे उसके पल्लू को और सरकाया। अब ब्लाउज़ साफ़ दिख रहा था—क्रीम रंग का ब्लाउज़, अंदर से झाँकती वही matching लेस वाली क्रीम ब्रा।
Shipra ने उसका हाथ रोकना चाहा।
Shipra (काँपती आवाज़ में):
“नहीं… बस अब रुक जा… कहीं कोई आ गया तो…”
Neeraj ने उसकी ठोड़ी पकड़कर होंठों पर हल्का सा काटा और बोला—
Neeraj (गरम साँसें उसके कान पर छोड़ते हुए):
“साली… जब चूत तर हो चुकी है, तो रोक क्या लेगी? कोई आ भी गया तो देख ले… कि Shipra कैसी रंडी है।”
Shipra ने गुस्से और चाहत में आँखें बंद कर लीं।
Neeraj ने उसके ब्लाउज़ के हुक पकड़कर खोलने शुरू किए।
“टक…टक…” दो हुक खुलते ही क्रीम ब्रा उभर आई।
Neeraj ने एक झटके में ब्रा का कप पकड़कर नीचे सरका दिया।
Shipra के बड़े, गोल, सफ़ेद boobs बाहर निकल आए।
Shipra कराह उठी—
Shipra:
“आह्ह… हरामी… धीरे…”
Neeraj ने दोनों हथेलियों से उन्हें पकड़कर कसकर दबाया।
फिर निप्पल को मुँह में भर लिया।
“चप-चप-चप…” उसकी जीभ और दाँत Shipra के निप्पलों पर खेल रहे थे।
Shipra होंठ दबाकर कराहों को रोक रही थी, लेकिन आवाज़ बाहर आ ही गई—
Shipra (कराहते हुए):
“आह्ह्ह… मादरचोद… चूस मेरी जान निकाल देगा तू।”
Neeraj ने उसकी कमर पकड़कर और पास खींचा।
अब उसकी साड़ी की प्लीट्स हटाकर नीचे तक पहुँच गया।
साड़ी के नीचे से दिख रही थी—गुलाबी सिल्क की panty।
Neeraj ने उसे पकड़कर धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू किया।
Shipra ने उसकी कलाई थाम ली।
Shipra (साँस टूटी-टूटी):
“पागल… मत… मेरी panty… उतर जाएगी तो मैं बिल्कुल नंगी हो जाऊँगी।”
Neeraj ने हँसते हुए उसका कान चाटा और बोला—
Neeraj:
“यही तो देखना चाहता हूँ, तेरी नंगी चूत। अब तो मेरी जीभ और लंड दोनों तेरे बिना चैन नहीं लेंगे।”
उसने झटके में गुलाबी panty नीचे तक खींच दी।
Shipra अब सोफ़े पर आधी नंगी थी—साड़ी ऊपर सरकी हुई, bra नीचे खिसकी हुई, boobs खुले और panty पैरों से उतर चुकी थी।
Neeraj ने उसकी टाँगें फैलाकर बीच में चेहरा डाल दिया।
उसकी जीभ अब Shipra की भीगी हुई chut पर नाच रही थी।
“चप-चप-चप-चप…” की आवाज़ हॉल के सन्नाटे में गूंजने लगी।
Shipra ने होंठ दबाए, मगर कराह निकल ही गई—
Shipra:
“आह्ह्ह… हरामी… पागल हो गया है… मेरी जान ले लेगा तू…”
Neeraj ने रुककर उसकी आँखों में देखा और बोला—
Neeraj:
“अबे रंडी… पहले मेरा लंड चूस। तेरे मुँह में डालूँगा तो असली मज़ा आएगा।”
उसने पैंट की चेन खोली और गरम, तना हुआ लंड Shipra के होंठों पर रख दिया।
Shipra काँप गई। उसने पल भर झिझका, फिर होंठ खोल दिए।
Neeraj ने उसके बाल पकड़कर ज़ोर से धक्का दिया।
“चपाक-चपाक-चपाक…” उसकी चूसने की आवाज़ पूरे हॉल में गूँजने लगी।
Shipra का गला भर आया, पर वो रुक नहीं सकी।
उसके होंठ लंड पर कसते गए, जीभ उसके सिर को चाटती रही।
Neeraj ने आँखें बंद कर लीं और गरजते हुए बोला—
Neeraj:
“वाह रंडी… तेरे जैसे मुँह के लिए ही मेरा लंड बना है।”
Neeraj ने उसके बाल और कसकर पकड़ लिए और लंड को और गहराई तक Shipra के मुँह में घुसा दिया।
“ठप-ठप-ठप…” उसकी thrusts इतनी तेज़ थीं कि Shipra का गला भर आया, आँखों से पानी बहने लगा।
Neeraj (गंदी हँसी में):
“वाह रंडी… पूरा गला चोद डाला तेरा। अबे ऐसी चुसाई तो तेरे मादरचोद पति ने भी न करवाई होगी।”
Shipra ने कराहते हुए, गला सँभालते हुए फिर से लंड मुँह में लिया।
Shipra (मुँह भरे स्वर में):
“म्म्म्फ्फ्फ… आह्ह्ह…”
उसकी जीभ बार-बार लंड के सिर को चाट रही थी, होंठ कसकर दबाए थे।
“चपाक-चपाक-चपाक…” की आवाज़ और भी तेज़ हो गई।
Neeraj ने अचानक उसका मुँह छोड़ा और Shipra को sofa पर पलट दिया।
उसकी साड़ी आधी कमर तक चढ़ चुकी थी, boobs बाहर थे, निप्पल अभी भी भीगे हुए।
Shipra का बदन पसीने से चमक रहा था।
Neeraj (उसकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए):
“अब दिखा तेरी चूत का नशा। फैल जा रंडी।”
उसने Shipra की टाँगें wide करके sofa पर टिकाईं।
भीगी हुई गुलाबी chut साफ़ चमक रही थी।
Neeraj ने अपना गरम लंड पकड़कर सीधे उसके छेद पर रखा और जोर से धक्का दिया—
“ठपाक्क्क्क!”
Shipra चीख उठी—
Shipra:
“आह्ह्ह… स्साले… धीरे… फाड़ डालेगा क्या?”