07-09-2024, 03:54 PM
साक्षी मा मुझे एक कप चाय मिलेगा अगर आप को तकलीफ ना हो
मा “ अरे इसमें तकलीफ कैसी पर तू खुद भी बना सकती है
नहीं मा मै तब तक कुछ बाते सर से करना चाहती हु
अच्छा !!!! देख कुछ गर्बाद मत करना तिवारी जी इस से जरा संभाल के तब तक मै इस नटखट की चाय बना लेती हु
माताजी चाय तो रसोई में बना रही थी पर उनके कान तिवारी और साक्षी की बातो की ऑर थे पर खास कुछ सुने नहीं दिया फिर सोचा खेर जो होगा वो देखा जाएगा
जब तक मा चाय बना के लायी तब तक शायद साक्षी और तिवारी जी ने बाते कर लि थि
श्रृष्टि चुप चाप जाकर माताश्री के पास बैठ गई और राघव को आते देखकर ठेंगा दिखा दिया फ़िर मुस्कुराने लग गईं।
राघव श्रृष्टि की शरारतें देखकर मुस्करा दिया और खुद से बोलीं... दिखाने में जितनी भोली और मासूम है उतनी ही शरारती है। चलो इसी बहाने पता तो चल गया श्रृष्टि शरारते भी करना जानती हैं।
राघव भी जाकर तिवारी के पास बैठ गया। तब तिवारी बोला... दोनों में बाते हों गईं हो तो बता दो मूहर्त कब का निकले।
"हां श्रृष्टि बेटा बताओं।" माताश्री भी तिवारी का साथ देते हुए पुछा चाय का कप साक्षी को थमाते हुए बोली
"मां मुझे अभी शादी नहीं करनी है चार पांच साल रूकके शादी करनी हैं।" राघव की और शरारती निगाहों से देखकर श्रृष्टि बोली
"पापा नहीं दो तीन दिन बाद का कोई मूहर्त निकलवाइए पता चला चार पांच साल में श्रृष्टि का मन फ़िर से बदल गया तो मैं आधार में लटक जाऊंगा।" उतावलापन में राघव बोला
राघव की बाते सुनकर सभी हंस दिए और श्रृष्टि सभी के सामने ही राघव को ठेंगा दिखाते हुए बोला... आप चार पांच साल रूक सकते हों तो ठीक वरना मैं अपने लिए किसी और को देख लूंगी हां।
श्रृष्टि की बाते और उसकी हरकते देखकर राघव सहित सभी समझ गए कि श्रृष्टि शरारत कर रहीं हैं। इसलिए तिवारी भी श्रृष्टि का साथ देते हुए बोला... ठीक हैं श्रृष्टि बेटा तुम जब चाहोगी शादी तब ही होगी।
राघव…ठीक हैं पापा (फिर श्रृष्टि की ओर देखकर बोला) श्रृष्टि थोड़ा एडजेस्ट करके देखो न शायद शादी के दिन नजदीक आ जाएं।
राघव की बाते सुनकर एक बार फिर से सभी हंस दिए फ़िर माताश्री और तिवारी ने फैसला किया की जब दोनों चाहेंगे तब कोई अच्छा सा मूहर्त देखकर दोनों को एक कर देगें फ़िर विदा लेकर जाते वक्त राघव उठ ही नहीं रहा था तो तिवारी जी उसका बाजू थामे उसे उठाते हुए बोला... अरे चल न अब क्या शादी करके ही जायेगा क्या ?
मा “ अरे इसमें तकलीफ कैसी पर तू खुद भी बना सकती है
नहीं मा मै तब तक कुछ बाते सर से करना चाहती हु
अच्छा !!!! देख कुछ गर्बाद मत करना तिवारी जी इस से जरा संभाल के तब तक मै इस नटखट की चाय बना लेती हु
माताजी चाय तो रसोई में बना रही थी पर उनके कान तिवारी और साक्षी की बातो की ऑर थे पर खास कुछ सुने नहीं दिया फिर सोचा खेर जो होगा वो देखा जाएगा
जब तक मा चाय बना के लायी तब तक शायद साक्षी और तिवारी जी ने बाते कर लि थि
श्रृष्टि चुप चाप जाकर माताश्री के पास बैठ गई और राघव को आते देखकर ठेंगा दिखा दिया फ़िर मुस्कुराने लग गईं।
राघव श्रृष्टि की शरारतें देखकर मुस्करा दिया और खुद से बोलीं... दिखाने में जितनी भोली और मासूम है उतनी ही शरारती है। चलो इसी बहाने पता तो चल गया श्रृष्टि शरारते भी करना जानती हैं।
राघव भी जाकर तिवारी के पास बैठ गया। तब तिवारी बोला... दोनों में बाते हों गईं हो तो बता दो मूहर्त कब का निकले।
"हां श्रृष्टि बेटा बताओं।" माताश्री भी तिवारी का साथ देते हुए पुछा चाय का कप साक्षी को थमाते हुए बोली
"मां मुझे अभी शादी नहीं करनी है चार पांच साल रूकके शादी करनी हैं।" राघव की और शरारती निगाहों से देखकर श्रृष्टि बोली
"पापा नहीं दो तीन दिन बाद का कोई मूहर्त निकलवाइए पता चला चार पांच साल में श्रृष्टि का मन फ़िर से बदल गया तो मैं आधार में लटक जाऊंगा।" उतावलापन में राघव बोला
राघव की बाते सुनकर सभी हंस दिए और श्रृष्टि सभी के सामने ही राघव को ठेंगा दिखाते हुए बोला... आप चार पांच साल रूक सकते हों तो ठीक वरना मैं अपने लिए किसी और को देख लूंगी हां।
श्रृष्टि की बाते और उसकी हरकते देखकर राघव सहित सभी समझ गए कि श्रृष्टि शरारत कर रहीं हैं। इसलिए तिवारी भी श्रृष्टि का साथ देते हुए बोला... ठीक हैं श्रृष्टि बेटा तुम जब चाहोगी शादी तब ही होगी।
राघव…ठीक हैं पापा (फिर श्रृष्टि की ओर देखकर बोला) श्रृष्टि थोड़ा एडजेस्ट करके देखो न शायद शादी के दिन नजदीक आ जाएं।
राघव की बाते सुनकर एक बार फिर से सभी हंस दिए फ़िर माताश्री और तिवारी ने फैसला किया की जब दोनों चाहेंगे तब कोई अच्छा सा मूहर्त देखकर दोनों को एक कर देगें फ़िर विदा लेकर जाते वक्त राघव उठ ही नहीं रहा था तो तिवारी जी उसका बाजू थामे उसे उठाते हुए बोला... अरे चल न अब क्या शादी करके ही जायेगा क्या ?