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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#97
"देखिए बात आगे बढ़ाने से पहले कुछ बाते हैं जो आपको जान लेना चहिए क्या है कि मैं एक तलाक सुदा हूं और श्रृष्टि जब लभभग चार साल की थी तब से मैं मेरे पति से अलग रहा रहीं हूं।"


तभी डोरबेल बजी और मनोरमा ने दरवाजा खोला तो सामने साक्षी मुस्कुराए हुए अन्दर चली आई अब उसे अन्दर आने के लिए कोई परमिशन की जरुरत तो थी ही नहीं|

अन्दर अपनी जगह पर बैठते ही बोली “ सोरी आप लोगो की बिच में मै आ गई लेकिन मेरे बगैर कुछ होने नहीं दूंगी” कह के हस दी

तिवारीजी ने भी साक्षी को आवकारते हुए बोले हा बेटा तुम्हारे बगैर कुछ नहीं हो सकता लेकिन कुछ जल्दी ही आ गई

मनोरमाजी “ खेर अब आ ही गई है तो मुझे कोइ आपत्ति नहीं वैसे भी ये सब जानती है और कुछ तो उसके ये पोलिटिकल व्यवहार से ही ये सब और यहाँ तक है “ कह के हस्ते हुए बोली चले अब हम आगे बात करते है


तो ये जान लेना आवश्यक था जो मैंने बता दिया

जारी रहेगा...


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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 04-09-2024, 05:25 PM



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