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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#95
भाग - 36



शाम को करीब चार बजे राघव घर पहुंचा। घर पर तिवारी उस वक्त बैठक में बैठें दिन भर के घटनाओं का विवरण न्यूज चैनल से ले रहे थे। राघव को इतनी जल्दी आया देखकर तिवारी बोला... राघव तेरा काम हों गया।? इतनी जल्दी ?? तुमने तो काफी दिन मांगे थे !!!!!!!!!!

राघव...नहीं पापा बीच में छोड़कर आया हूं।

तिवारी... क्या.. पर क्यों।?

राघव...बता दुंगा पहले आप मेरे सौतेले भाई और सौतेली मां को बाहर बुलाइए।

दांत पीसकर राघव बोला था। जिसे देख तिवारी भी हैरान रह गए क्योंकि राघव कभी इस तरह से बरखा और अरमान के लिए सौतेला नहीं बोला था। तिवारी आगे कुछ बोलता उसे पहले ही अरमान बरखा के कमरे से निकलकर बाहर आया। उसे देखते ही राघव दोनों मुठ्ठी बीचे अरमान की और बढ़ गया और एक खीच के जड़ दिया। बस चटक और अहहा की आवाज निकला और उसके बाद एक और पड़ा। अरमान कुछ बोलने के लिए मुंह खोलता तब एक और पड़ता जितनी बार मुंह खोला उतनी बार झन्नाटेदार थाप्पड पड़ा।

यह देख तिवारी हैरान रह गए कि आज राघव को हो क्या गया। तिवारी उठाकर राघव को रोकने के लिए आगे बढे उधर से बरखा भी कमरे से बाहर निकलकर आई और अरमान को थप्पड पडते देख बोलीं... क्यों मेरे बेटे को मार रहा हैं घर आते ही पगला गया हैं जो इसे मारे जा रहा हैं।

तिवारी... हां क्यों मार रहा हैं।

"क्यों मार रहा हूं ये इससे पूछो... पूछो इससे आज दफ्तर में क्या करके आया।" दांत पीसते हुए राघव बोला

दफ्तर की बात सुनते ही बरखा से छूटकर अरमान भागने को हुआ की राघव ने उसे पकड़कर एक ओर झन्नाटेदार थाप्पड जड़ दिया फिर बोला... तूझे भागना है जरूर भागना और साथ में अपनी मां को लेकर हमेशा के लिए इस घर से भाग जाना लेकिन जाने से पहले अपनी कारस्तनी बता दे ताकि तेरी मां बरखा को पता तो चले उन्हें घर से क्यों निकाला जा रहा हैं।

बरखा... मैं क्यों जाऊंगी न मेरा बेटा कहीं जायेगा जाना हैं तो तू जा।

राघव... कैसे नहीं जाओगे तुम्हारे बाप ने दहेज में दिया था जो डेरा जमाए बैठे हों।?

राघव की बाते सुनते ही बरखा दांत पीसकर रह गई और तिवारी बोख्लाते हुए बोले...राघव पहले बता तो दे क्या हुआ फिर मैं फैंसला करुंगा की इन्हें घर से निकलना है कि किया करना हैं।

राघव... पापा ये कमीना बरखा का बेटा मेरा सौतेला भाई पिछले कुछ दिनों से श्रृष्टि के साथ बदसलूकी कर रहा था आज इसने इतनी नीच हरकत किया कि श्रृष्टि ने इसे थाप्पड मार दिया सिर्फ आज ही नहीं इससे पहले भी एक बार इसे मॉल में भीड़ के बीच थप्पड मारा था और जब श्रृष्टि को दफ्तर में देखा तब से ये नीच उससे बदला लेने की बात कहा कर रोज उसके साथ बदसलूकी करने लगा। आज सभी कर्मचारियों ने उसे मार ने की ठान ली थी अब बताओ मै और आप किस मुह से ऑफिस जा पायेंगे ???

अरमान के कर्म सुनते ही तिवारी बौखला गया और कुछ कदम आगे बढ़कर अरमान को कई थाप्पड मारा फिर चीखते हुए बोला... नीच आज तूने साबित कर दिया तू सच में मेरा सौतेला बेटा हैं। तूझे मेरी इज्जत की जरा भी परवाह नहीं जिन हरकतों की वजह से राघव ने DN कंस्ट्रक्शन ग्रुप से पार्टनरशिप तोडकर करोड़ों का नुकसान उठाया किस लिए सिर्फ इसलिए कि मेरी और कम्पनी की साख पर कोई दाग न लगे और आज तूने वही हरकत हमारे ही दफ्तर में काम करने वाली एक लङकी के साथ करके मेरी बनी बनाई साख को धूमिल कर दिया।

कुछ देर की चुप्पी छाया रहा फ़िर चुप्पी को तोड़ते हुए तिवारी बोला...बरखा आज इसने जो किया ये सब तुम्हारी परवरिश का नतीजा है अच्छा हुआ जो तुम राघव से नफरत करती थी वरना तुम्हारी परवरिश पाकर राघव भी इसके जैसा हों जाता।

बरखा... आप मेरे परवरिश पे दाग न लगाएं मैंने इसे कोई गलत परवरिश नहीं दिया।

तिवारी...चलो माना तुमने इसे गलत परवरिश नहीं दिया फिर इसके अंदर ये गुण आया कहा से जरूर ये इसकी पैदासी गुण होगा और इसके बाप से इसे विरासत में मिला होगा। बरखा अब मैं तुम दोनों मां बेटे को ओर नहीं झेल सकता तुम दोनों ने मेरे और राघव के जीवन में बहुत जहर घोल लिया अब और नहीं तुम दोनों अपना बोरिया बिस्तर समेटो और फौरन निकल जाओ।

बरखा... पर..।

तिवारी... पर वर कुछ नहीं जीतना बोला हैं उतना करो। और हां अब मुज से कुछ भी उम्मीद मत रखना जो दिया है वो भी छीन लूँगा

अरमान... मां चलो इनको तो बाद में देख लेंगे कोर्ट में घसीटकर इनकी नाक न रगड़वाया फ़िर बताना।

इतना बोलते ही राघव ने एक झन्नाटेदार थप्पड जड़ दिया फ़िर बोला... चल जा तूझे जो करना हैं कर लेना। रही बात नाक रगड़वाने की वो तो मैं तेरा रगड़वाऊंगा वो भी बीच सड़क पर अब निकल इस घर से यहां का दाना पानी तेरे लिए बंद हों चुका हैं।

तिवारी... बरखा इससे बोलों चुप रहे और कोर्ट में घसीटने की बात न करें नहीं तो इसे बहुत बुरे दिन देखना पड़ेगा।

बरखा... आप हमारे साथ जो कर रहें हो सही नहीं कर रहे हों इसका भुगतान आपको करना पड़ेगा। चल अरमान अब इन दोनों बाप बेटे को सबक सीखाकर ही रहेंगे।

इतना बोलकर अरमान को साथ लिए बरखा बहार की और चल दिया और तिवारी बोला... बरखा मैं भी देखना चाहुंगा की तुम मुझे क्या सबक सिखाती हो।
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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 04-09-2024, 05:23 PM



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