03-09-2024, 07:03 PM
राघव को गए लगभग एक हफ्ता हों चुका था। इन एक हफ्ते में अरमान दफ्तर आने के बाद कुछ देर काम करता कभी नहीं करता फिर जा पहुंचता श्रृष्टि लोगों के पास वहां पहुंचते ही शुरू हो जाता।
उसके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ श्रृष्टि ही थी। उसके साथ वाहियात हरकते करता बदजुबानी करता कभी कभी तो श्रृष्टि को यह वहा छूने की कोशिश करता और हर बार श्रृष्टि उसके वाहियात हरकतों के लिए जी भरके सूना देती लेकिन अरमान पे कोई असर ही नहीं होता।
आज भी अरमान वहां पहोचा और चुपके से द्वार खोलकर भीतर गया जहां सभी अपने अपने काम में मग्न थे और श्रृष्टि खड़ी थी। उसका ध्यान प्रोजेक्टर पर था।
अरमान धीरे से श्रृष्टि के पास पहोचा और एक हाथ से उसके नितंब की गोलाई नाप ने की नकार कोशिश की कुछ ही देर में एक झन्नाटेदार थाप्पड़ अरमान को हिला दिया उसके बाद तो एक के बाद एक कई थाप्पड़ अरमान के गालों का मस्त छिकाईं कर दिया फ़िर श्रृष्टि चीखते हुए बोलीं...तुझ जैसा गिरा हुआ इंसान मैंने आज तक नहीं देखा तूझे पैदा करने वाले भी तेरे जैसा कमीना होगा तभी तुझ जैसा जलील पैदा हुआ। जिसे कितनी भी गालियां दे लो फर्क ही नहीं पड़ता।
"तेरी तो..मा की चु.....।" बस इतना ही अरमान ने बोला था की एक और झन्नाटेदार थाप्पड़ उसके गालों को हिला दिया। इस बार थप्पड़ मरने वाली साक्षी थीं।
साक्षी... तू तो जानवर कहलाने के लायक भी नहीं उन्हें एक बार डांटो फटकारों तो कहना मान लेते है मगर तू.. तू तो उनसे भी गया गुजरा हैं जिस पर किसी भी बात का फर्क हैं नहीं पड़ता।
अरमान आगे कुछ बोलता उसे पहले दूसरे सहयोगी में से एक बोला...अरमान आज तूने हद पर कर दिया। अब तू चुप चाप निकल जा वरना हम भूल जायेंगे की तू यहां का मालिक हैं। और एक कुत्ते से बदतर बन कार बाहर जाएगा
शिवम...अरे कहां भेज रहा है पकड़ इसे आज इसे चप्पल की माला पहनाकर दफ्तर में मौजूद सभी लड़कियों के पैर चटवाएंगे।
माहौल बिगड़ता देख अरमान खिसक लेना ही बेहतर समझा और श्रृष्टि धम से वहा बैठ गई और सुबकने लग गई।
साक्षी ने मोर्चा संभाला और श्रृष्टि को दिलासा देने लग गईं। कुछ देर बाद श्रृष्टि खड़ी हुई और बोलीं... मैं आज ही इस्तीफा देखकर यहां का जॉब छोड़ दूंगी मुझे ऐसे जगह काम नहीं करना जहां अरमान जैसे जलील लोग हो उसे उसकी इज्जत की फिक्र नहीं पर मुझे मेरी इज्ज़त सब से प्यारी हैं।
साक्षी... श्रृष्टि मेरी बात सुन इस बारे में राघव सर को कुछ भी पता नहीं पहले उन्हें बताते हैं। अगर उन्होंने अरमान पर कोई एक्शन नहीं लिया तो सिर्फ तू ही नहीं हम सभी इस्तीफा दे देगें।
इसके बाद तो एक एक करके सभी साक्षी की कही बात दोहराया फ़िर श्रृष्टि मान गई तब साक्षी ने राघव को फोन करके वहां क्या क्या पिछले कुछ दिनों में हुआ सभी बता दिया साथ ही इसकी शुरुआत कब से हुआ यह भी बता दिया।
राघव सभी बाते सुनते ही गुस्से में तिलमिला उठा और बोला... साक्षी फोन श्रृष्टि को दो।
साक्षी ने फोन श्रृष्टि के कान में लगा दिया और राघव बोला... श्रृष्टि मैं अभी यहां से निकल रहा हूं। घर पहुंचते ही पहले अरमान का बो हांल करुंगा की जिदंगी भर किसी भी लङकी के साथ बदसलूकी नहीं करेगा। बस तुम मुझे छोड़कर मत जाना।
इतना बोलकर राघव ने फोन काट दिया फिर साक्षी बोलीं... श्रृष्टि सर क्या बोले
श्रृष्टि... सर बोल रहे थे वो अभी वहा से निकल रहें हैं और कह रहें थे मुझे….।
आगे पूरा नहीं बोलीं बस इतने में ही चुप हों गई और साक्षी उसके कहने का मतलब समझकर मुस्कुरा दिया फ़िर कुछ देर में सब सामान्य हो गया।
जारी रहेगा….
उसके निशाने पर सिर्फ और सिर्फ श्रृष्टि ही थी। उसके साथ वाहियात हरकते करता बदजुबानी करता कभी कभी तो श्रृष्टि को यह वहा छूने की कोशिश करता और हर बार श्रृष्टि उसके वाहियात हरकतों के लिए जी भरके सूना देती लेकिन अरमान पे कोई असर ही नहीं होता।
आज भी अरमान वहां पहोचा और चुपके से द्वार खोलकर भीतर गया जहां सभी अपने अपने काम में मग्न थे और श्रृष्टि खड़ी थी। उसका ध्यान प्रोजेक्टर पर था।
अरमान धीरे से श्रृष्टि के पास पहोचा और एक हाथ से उसके नितंब की गोलाई नाप ने की नकार कोशिश की कुछ ही देर में एक झन्नाटेदार थाप्पड़ अरमान को हिला दिया उसके बाद तो एक के बाद एक कई थाप्पड़ अरमान के गालों का मस्त छिकाईं कर दिया फ़िर श्रृष्टि चीखते हुए बोलीं...तुझ जैसा गिरा हुआ इंसान मैंने आज तक नहीं देखा तूझे पैदा करने वाले भी तेरे जैसा कमीना होगा तभी तुझ जैसा जलील पैदा हुआ। जिसे कितनी भी गालियां दे लो फर्क ही नहीं पड़ता।
"तेरी तो..मा की चु.....।" बस इतना ही अरमान ने बोला था की एक और झन्नाटेदार थाप्पड़ उसके गालों को हिला दिया। इस बार थप्पड़ मरने वाली साक्षी थीं।
साक्षी... तू तो जानवर कहलाने के लायक भी नहीं उन्हें एक बार डांटो फटकारों तो कहना मान लेते है मगर तू.. तू तो उनसे भी गया गुजरा हैं जिस पर किसी भी बात का फर्क हैं नहीं पड़ता।
अरमान आगे कुछ बोलता उसे पहले दूसरे सहयोगी में से एक बोला...अरमान आज तूने हद पर कर दिया। अब तू चुप चाप निकल जा वरना हम भूल जायेंगे की तू यहां का मालिक हैं। और एक कुत्ते से बदतर बन कार बाहर जाएगा
शिवम...अरे कहां भेज रहा है पकड़ इसे आज इसे चप्पल की माला पहनाकर दफ्तर में मौजूद सभी लड़कियों के पैर चटवाएंगे।
माहौल बिगड़ता देख अरमान खिसक लेना ही बेहतर समझा और श्रृष्टि धम से वहा बैठ गई और सुबकने लग गई।
साक्षी ने मोर्चा संभाला और श्रृष्टि को दिलासा देने लग गईं। कुछ देर बाद श्रृष्टि खड़ी हुई और बोलीं... मैं आज ही इस्तीफा देखकर यहां का जॉब छोड़ दूंगी मुझे ऐसे जगह काम नहीं करना जहां अरमान जैसे जलील लोग हो उसे उसकी इज्जत की फिक्र नहीं पर मुझे मेरी इज्ज़त सब से प्यारी हैं।
साक्षी... श्रृष्टि मेरी बात सुन इस बारे में राघव सर को कुछ भी पता नहीं पहले उन्हें बताते हैं। अगर उन्होंने अरमान पर कोई एक्शन नहीं लिया तो सिर्फ तू ही नहीं हम सभी इस्तीफा दे देगें।
इसके बाद तो एक एक करके सभी साक्षी की कही बात दोहराया फ़िर श्रृष्टि मान गई तब साक्षी ने राघव को फोन करके वहां क्या क्या पिछले कुछ दिनों में हुआ सभी बता दिया साथ ही इसकी शुरुआत कब से हुआ यह भी बता दिया।
राघव सभी बाते सुनते ही गुस्से में तिलमिला उठा और बोला... साक्षी फोन श्रृष्टि को दो।
साक्षी ने फोन श्रृष्टि के कान में लगा दिया और राघव बोला... श्रृष्टि मैं अभी यहां से निकल रहा हूं। घर पहुंचते ही पहले अरमान का बो हांल करुंगा की जिदंगी भर किसी भी लङकी के साथ बदसलूकी नहीं करेगा। बस तुम मुझे छोड़कर मत जाना।
इतना बोलकर राघव ने फोन काट दिया फिर साक्षी बोलीं... श्रृष्टि सर क्या बोले
श्रृष्टि... सर बोल रहे थे वो अभी वहा से निकल रहें हैं और कह रहें थे मुझे….।
आगे पूरा नहीं बोलीं बस इतने में ही चुप हों गई और साक्षी उसके कहने का मतलब समझकर मुस्कुरा दिया फ़िर कुछ देर में सब सामान्य हो गया।
जारी रहेगा….