30-08-2024, 06:33 PM
भाग - 31
साक्षी की प्रेम कहानी जानने के बाद श्रृष्टि बोलीं... यार मैं खुद उलझी हुई हूं इस मामले में मैं तेरी कोई मदद शायद ही कर पाऊं।
साक्षी...तू फिक्र न कर लडको को परखने की कला मुझे बखुबी आता है। शिवम को कैसे परखना है वो मैं देख लूंगी लेकिन उससे पहले तुझे और राघव सर को कैसे एक करना हैं उस पर सोचना हैं।
श्रृष्टि…तू कुछ ऐसा वैसा न सोच बैठना और जो बाते तुझे बताया है वो अपने तक ही रखना।
साक्षी...मुझ पर भरोसा रख मैं मतलबी हो सकती हूं पर जुबान का बिल्कुल पक्की हूं। चाहे कुछ भी हों जाएं तूने मुझे वास्ता दिया है तो उसे जरूर निभाऊंगी।
अच्छा अब मैं चलती हूं जरा मेरे मजनू का कुछ हाल चाल ले लू।
श्रृष्टि... ठीक है जा।
इसके बाद साक्षी चली गई और श्रृष्टि कुछ वक्त तक किसी विचार में खोए रहीं फ़िर रेस्ट करने चली गईं।
अगले दिन दफ्तर आते ही राघव उताबला हुआ जा रहा था कि कल साक्षी और श्रृष्टि के बीच क्या बाते हुइ। लेकिन उसे मौका ही नहीं मिल रहा था। वो एक के बाद एक मीटिंग करने में व्यस्त था। साथ ही कुछ ज़रूरी काम भी निपटा रहा था। जब उसे वक्त मिला तब उसने साक्षी को बुला लिया। साक्षी के आते ही राघव बोला... साक्षी जल्दी बोलों कल श्रृष्टि से तुम्हारी क्या बाते हुई।
साक्षी... सर बहुत बाते हुई और उसके बेरूखी की वजह भी पाता चल गया है। साथ ही एक खास बात ये पता चला कि वो भी आपसे बहुत प्यार करती है। जितनी भी बार वो आपसे बेरुखी से पेश आई उतनी ही बार उसे आप से ज्यादा तकलीफ हुइ हैं।
राघव...ये तो मैं भाप चुका था। अब तुम वो वजह बताओं जिसके कारण श्रृष्टि मेरे साथ बेरूखी से पेश आ रही हैं।
साक्षी... सॉरी सर वो वजह तो मैं नहीं बता सकती हूं क्योंकि उसने मुझे दोस्ती का वास्ता दिया हैं।
राघव...अब ये कौन सा पेंच फंसा आई सोचा था श्रृष्टि के बेरूखी का कारण पता चलने पर उसकी बेरुखी दूर करने का कोई रस्ता खोज निकलूंगा पर अब कैसे कोई रस्ता निकालूं।
साक्षी... रास्ता मैं बता दूंगी लेकिन उसकी बेरुखी की वजह नहीं बता सकती हूं। मैं मजबुर हूं।
राघव...तो बताओं न अब क्या मूहर्त निकलवा कर ही बताओगी।?
साक्षी... बता तो दूंगी लेकिन आप मुझे एक वादा दो की जब भी आपकी मदद की मुझे जरूरत पड़ेगी अब मेरी मदद करेंगे।
राघव... एक रस्ता बताने के लिए तुम मूझसे मदद करने की वादा ले रहें हों। मतलब कि किसी बड़े काम में तुम मदद मांगने वाली हों।
साक्षी... सर आगे चलके एक मामले में मुझे आपकी मदद की जरूरत पड़ सकती हैं। कहीं आप मुकर न जाओ इसलिए आपसे वादा ले रहीं हूं।
राघव...मैं मुकर जाऊंगा इसका मतलब तुम मूझसे कुछ ऐसा करवाने वाले हों जो शायद मुझे पसंद न हों या फ़िर श्रृष्टि...।
"सर आप डरिए नही मैं जो भी मदद आपसे लूंगी उसकी जानकारी श्रृष्टि को होगी जब वो हां कहेगी तब ही मैं आप से मदद लूंगी मगर उससे पहले कोशिश करूंगी की आपकी मदद लेने की जरूरत ना पड़े।" राघव के शक को दूर करते हुए साक्षी बोलीं।
राघव... ऐसा है तो चलो दिया वादा अब तुम मुझे जल्दी से वो रास्ता बताओ।
साक्षी... सर आप ना किसी क्लाइंट से मिलने जानें की बात कहकर श्रृष्टि को साथ लेकर जाओ और अपनी बाते कह दो चाहो तो अभी हम जिस प्रॉजेक्ट पर काम कर रहें है उसी के क्लाइंट से मिलने जानें की बात कहकर ले जाओ लेकिन उसे पहले से मत बता देना जब जाना हो उसी वक्त बताना। इससे वो मना नहीं कर पाएगी।
राघव...बिल्कुल सही कहा ऐसा ही करना ठीक होगा मैं उसे कल ही बहाने से लेकर जाता हूं क्योंकि कल शाम को किसी काम से मुझे 10-15 दिन के लिए बहार जाना हैं।
साक्षी... मेरी माने तो वहा से आने के वाद ही प्रपोज करे तो अच्छा होगा। 10-15 आपको नहीं देखेगी तो श्रृष्टि तड़प जायेगी और जब आप प्रपोज करेंगे तो वो मना नहीं कर पाएगी।
राघव... बिल्कुल नहीं उससे ज्यादा मैं तड़पुंगा अगर प्रपोज कर दिया तो भले ही वो मेरे सामने न रहें लेकिन फोन पर तो देख पाऊंगा और नहीं किया तो न देखना नसीब होगा न ही वो बात करेंगी।
साक्षी...ओ हो चलो ठीक हैं जैसा आप ठीक समझो। अच्छा अब मैं चलती हूं।
साक्षी की प्रेम कहानी जानने के बाद श्रृष्टि बोलीं... यार मैं खुद उलझी हुई हूं इस मामले में मैं तेरी कोई मदद शायद ही कर पाऊं।
साक्षी...तू फिक्र न कर लडको को परखने की कला मुझे बखुबी आता है। शिवम को कैसे परखना है वो मैं देख लूंगी लेकिन उससे पहले तुझे और राघव सर को कैसे एक करना हैं उस पर सोचना हैं।
श्रृष्टि…तू कुछ ऐसा वैसा न सोच बैठना और जो बाते तुझे बताया है वो अपने तक ही रखना।
साक्षी...मुझ पर भरोसा रख मैं मतलबी हो सकती हूं पर जुबान का बिल्कुल पक्की हूं। चाहे कुछ भी हों जाएं तूने मुझे वास्ता दिया है तो उसे जरूर निभाऊंगी।
अच्छा अब मैं चलती हूं जरा मेरे मजनू का कुछ हाल चाल ले लू।
श्रृष्टि... ठीक है जा।
इसके बाद साक्षी चली गई और श्रृष्टि कुछ वक्त तक किसी विचार में खोए रहीं फ़िर रेस्ट करने चली गईं।
अगले दिन दफ्तर आते ही राघव उताबला हुआ जा रहा था कि कल साक्षी और श्रृष्टि के बीच क्या बाते हुइ। लेकिन उसे मौका ही नहीं मिल रहा था। वो एक के बाद एक मीटिंग करने में व्यस्त था। साथ ही कुछ ज़रूरी काम भी निपटा रहा था। जब उसे वक्त मिला तब उसने साक्षी को बुला लिया। साक्षी के आते ही राघव बोला... साक्षी जल्दी बोलों कल श्रृष्टि से तुम्हारी क्या बाते हुई।
साक्षी... सर बहुत बाते हुई और उसके बेरूखी की वजह भी पाता चल गया है। साथ ही एक खास बात ये पता चला कि वो भी आपसे बहुत प्यार करती है। जितनी भी बार वो आपसे बेरुखी से पेश आई उतनी ही बार उसे आप से ज्यादा तकलीफ हुइ हैं।
राघव...ये तो मैं भाप चुका था। अब तुम वो वजह बताओं जिसके कारण श्रृष्टि मेरे साथ बेरूखी से पेश आ रही हैं।
साक्षी... सॉरी सर वो वजह तो मैं नहीं बता सकती हूं क्योंकि उसने मुझे दोस्ती का वास्ता दिया हैं।
राघव...अब ये कौन सा पेंच फंसा आई सोचा था श्रृष्टि के बेरूखी का कारण पता चलने पर उसकी बेरुखी दूर करने का कोई रस्ता खोज निकलूंगा पर अब कैसे कोई रस्ता निकालूं।
साक्षी... रास्ता मैं बता दूंगी लेकिन उसकी बेरुखी की वजह नहीं बता सकती हूं। मैं मजबुर हूं।
राघव...तो बताओं न अब क्या मूहर्त निकलवा कर ही बताओगी।?
साक्षी... बता तो दूंगी लेकिन आप मुझे एक वादा दो की जब भी आपकी मदद की मुझे जरूरत पड़ेगी अब मेरी मदद करेंगे।
राघव... एक रस्ता बताने के लिए तुम मूझसे मदद करने की वादा ले रहें हों। मतलब कि किसी बड़े काम में तुम मदद मांगने वाली हों।
साक्षी... सर आगे चलके एक मामले में मुझे आपकी मदद की जरूरत पड़ सकती हैं। कहीं आप मुकर न जाओ इसलिए आपसे वादा ले रहीं हूं।
राघव...मैं मुकर जाऊंगा इसका मतलब तुम मूझसे कुछ ऐसा करवाने वाले हों जो शायद मुझे पसंद न हों या फ़िर श्रृष्टि...।
"सर आप डरिए नही मैं जो भी मदद आपसे लूंगी उसकी जानकारी श्रृष्टि को होगी जब वो हां कहेगी तब ही मैं आप से मदद लूंगी मगर उससे पहले कोशिश करूंगी की आपकी मदद लेने की जरूरत ना पड़े।" राघव के शक को दूर करते हुए साक्षी बोलीं।
राघव... ऐसा है तो चलो दिया वादा अब तुम मुझे जल्दी से वो रास्ता बताओ।
साक्षी... सर आप ना किसी क्लाइंट से मिलने जानें की बात कहकर श्रृष्टि को साथ लेकर जाओ और अपनी बाते कह दो चाहो तो अभी हम जिस प्रॉजेक्ट पर काम कर रहें है उसी के क्लाइंट से मिलने जानें की बात कहकर ले जाओ लेकिन उसे पहले से मत बता देना जब जाना हो उसी वक्त बताना। इससे वो मना नहीं कर पाएगी।
राघव...बिल्कुल सही कहा ऐसा ही करना ठीक होगा मैं उसे कल ही बहाने से लेकर जाता हूं क्योंकि कल शाम को किसी काम से मुझे 10-15 दिन के लिए बहार जाना हैं।
साक्षी... मेरी माने तो वहा से आने के वाद ही प्रपोज करे तो अच्छा होगा। 10-15 आपको नहीं देखेगी तो श्रृष्टि तड़प जायेगी और जब आप प्रपोज करेंगे तो वो मना नहीं कर पाएगी।
राघव... बिल्कुल नहीं उससे ज्यादा मैं तड़पुंगा अगर प्रपोज कर दिया तो भले ही वो मेरे सामने न रहें लेकिन फोन पर तो देख पाऊंगा और नहीं किया तो न देखना नसीब होगा न ही वो बात करेंगी।
साक्षी...ओ हो चलो ठीक हैं जैसा आप ठीक समझो। अच्छा अब मैं चलती हूं।