21-08-2024, 05:16 PM
अगले दिन लंच के वक्त सभी लंच करना शुरू ही किया था कि उसी वक्त राघव भी टिफिन लिए पहुंच गया।
बीते दिन राघव लंच करने नहीं आया था और राघव की झूठी शादी की खबर साक्षी ने पहले श्रृष्टि को बताया बाद में उसे छेड़ने के लिया दूसरे साथी को भी बता दिया।
यहां बात जानने की कातुहाल दूसरे साथियों के मन में खलबली मचाया हुआ था। राघव को देखते ही वो अपना सवाल दागने ही वाले थे की साक्षी बोल पड़ी...सर आप कल क्यों नहीं आए आप जानते तो है आपको देखे बिना कोई है जो बहुत बेचैन हों जाती हैं। खुद की नहीं तो उसकी ही फिक्र कर लेते।
साक्षी कह तो राघव से रही थी। मगर इशारा श्रृष्टि की ओर थीं यह बात श्रृष्टि समझ गई। इसलिए हल्का सा मुस्कुरा दिया फिर सरसरी निगाह राघव और साक्षी पे फेरकर सिर झुका लिया और भोजन करने में मग्न हो गई।
राघव नजदीक आकर एक कुर्सी पर बैठ गया फिर टिफन खोलते हुए बोला... फिक्र है बहुत ज्यादा फिक्र है इसलिए मैं आना भी चाहत था लेकिन कुछ जरुरी काम की वजह से नहीं आ पाया। आज आ गया हूं अब कल की भी भरपाई कर दूंगा।
बोलने के बाद राघव ने सरसरी निगाह श्रृष्टि पर फेर दिया और बगल में बैठा एक सहयोगी बोला…सर कौन है वो जिसकी फिक्र आपको बहुत ज्यादा हैं जरा हमे भी बता दिजिए हम भी तो जानें वो खुश नसीब कौन है जिसकी आपको बहुत ज्यादा फिक्र है।
साक्षी... है कोई अभी सर और उसके बीच छुप्पन छुपाई चल रहा हैं। जब दोनों का खेल खत्म हो जायेगा तब सभी को बता दिया जायेगा। क्यों श्रृष्टि ये बात शायद तुम भी जानती हों?
साक्षी का इतना बोलना था की श्रृष्टि को एक बार फिर धचका लग गई। ये देख राघव श्रृष्टि को पानी का गिलास बढा दिया। श्रृष्टि बिना कुछ कहे पानी ले लिया। थोड़ी ही वक्त में श्रृष्टि संभली तो सहयोगी में से एक बोला...सर कल साक्षी मैम कह रही थी आप शादी करने वाले हों। जिसके लिए लड़की भी देखा जा रहा हैं।
एक बार फ़िर से शादी की बात छिड़ते ही श्रृष्टि दम सादे सिर झुकाए बैठी राघव के जवाब का इंतजार करने लगी।
खुद की शादी की बात जिससे राघव खुद अंजान था। सुनते ही साक्षी की ओर देखा और इशारे से पुछा ऐसा क्यो कहा। तब साक्षी ने श्रृष्टि की ओर इशारा कर दिया और राघव को हां बोलने को कहा।
अब राघव गंभीर परिस्थिति में फंस गया। क्या जवाब दे क्या न दे ये समझ ही नहीं पा रहा था? सहसा उसे क्या सूझा की बोल पडा... हां देख तो रहें हैं। मैं भी कब तक टाला मटोली करूं उम्र निकलता जा रहा हैं अब सोच रहा हूं शादी कर ही लेता हूं।
राघव का हां बोलना और श्रृष्टि जो दम सादे सुन रहीं थीं। उसको सहसा दम घुटने सा लगा। खाने का निवाला जो हाथ में पकड़ी थी वो हाथ से छुट कर प्लेट पे गिर गया। यह सब साक्षी सहित सभी देख रहे थे। देखते ही साक्षी बोलीं... श्रृष्टि क्या हुआ खाना पसंद नहीं आया या फिर किसी की बाते पसंद नहीं आई। बोलों क्या बात हैं?
श्रृष्टि से बोला कुछ नहीं गया। चुप चाप अपने जगह से उठी और चली गई। ये देख राघव विचलित सा हो गया और मन ही मन पछताने लगा कि उसने साक्षी का कहना क्यों माना और साक्षी आवाज देते हुए बोली... श्रृष्टि क्या हुआ तुम कहा जा रहीं हों खाना पसंद नहीं आया तो मेरे में से खा लो।
श्रृष्टि ने कोई जबाव नहीं दिया और चुप चाप रूम से बहार चली गई और राघव विचलित सा साक्षी को देखा तो साक्षी ने इशारे से आश्वासन देते हुए कहा कुछ नहीं हुआ वो सब संभाल लेगी। मगर राघव पे आश्वासन का कोई असर नहीं हुआ।
सभी खाने में लगे रहें मगर राघव से एक भी निबला निगला नहीं गया इसलिए वो भी अधूरा खाना छोड़कर जाते वक्त साक्षी को उसके रूम में आने को कह गया।
पल भर में पूरा शमा ही बदल गया एक झूठी हां ने दोनों को हद से ज्यादा विचलित कर दिया। श्रृष्टि अपना खाना फेंक कर आई और बेमन से कम में लग गई। साक्षी खाना खाने के बाद राघव के रूम में पहुंच गई।
राघव... तुमने देखा ना मेरे झूठी हां से श्रृष्टि कितना परेशान हों गईं। तुम्हें कहना ही था तो कोई ओर बात बता देती। मेरी झूठी शादी की बात कहने की जरूरत ही किया थीं। कह दिया सो कह दिया मुझे भी सच बोलने से रोक दिया। साक्षी तुम्हें ऐसा नहीं करना चहिए था।
साक्षी... सर आज जैसा हुआ कल भी श्रृष्टि का ऐसा ही हाल हुआ था बस आज आपने खुद से हां कहा तो इसका कुछ ज्यादा ही असर हुआ। इस बात से इतना तो आप जान ही गए होंगे कि श्रृष्टि भी आपसे प्यार करती हैं। अब आपको देर नहीं करना चहिए कल ही जैसा मैंने कहा था वैसे ही सभी को साथ में लंच पे ले चले और मौका देखकर प्रपोज कर दे।
राघव... एक तो वो पहले से ही मेरे साथ जानें को राजी नहीं हों रही थी उसके बाद आज जो हुआ अब तो वो बिल्कुल भी राजी नहीं होगी।
साक्षी...सर आप ट्राई तो कीजिए अगर नहीं जाती है तो मैं खुद उससे बात करके सच बता दूंगी और आगर लंच पर चल देती है त`ब आप पहले उसे सच बता देना फिर प्रपोज कर देना।
राघव... तुमने अलग ही टेंशन में डाल दिया अब तुम जाओ ओर श्रृष्टि को संभालो मैं कुछ काम कर लेता हूं फ़िर समय निकल कर एक फेरा आ जाऊंगा।
साक्षी राघव से बात करके वापस आ गई। यहां श्रृष्टि का हाल कल से ज्यादा बेहाल था वो काम पर ध्यान ही नहीं लगा पा रही थी। साक्षी कई बार बात करना चाह मगर श्रृष्टि साक्षी ही नहीं किसी से बात करने को राजी नहीं हुई। मानो उसने चुप्पी सी सद ली हों।
उधर राघव का हाल भी दूजा नही था। वो भी काम में ध्यान ही नहीं लगा पा रहा था। बार बार रह रहकर एक ही ख्याल मन में आ रहा था कि वो साक्षी की बात माना ही क्यों उसे साक्षी की बात मानना ही नहीं चाहिए था।
एक दो बार वहां गया मगर श्रृष्टि ने उस पे ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया और श्रृष्टि को बेचैन सा देखकर इशारे इशारे में साक्षी को डांटकर चला गया।
जारी रहेगा….
आग दोनों तरफ लगी है और साक्षी शायद मजे ले रही है या उसका कोई काम हो रहा है
ये साक्षी को समज ने में शायद मै भी धोखा खा गई हु
मुझे तो ऐसा लगता है की राघव ने साक्षी पे इतना बड़ा विश्वास क्यों किया ????
बीते दिन राघव लंच करने नहीं आया था और राघव की झूठी शादी की खबर साक्षी ने पहले श्रृष्टि को बताया बाद में उसे छेड़ने के लिया दूसरे साथी को भी बता दिया।
यहां बात जानने की कातुहाल दूसरे साथियों के मन में खलबली मचाया हुआ था। राघव को देखते ही वो अपना सवाल दागने ही वाले थे की साक्षी बोल पड़ी...सर आप कल क्यों नहीं आए आप जानते तो है आपको देखे बिना कोई है जो बहुत बेचैन हों जाती हैं। खुद की नहीं तो उसकी ही फिक्र कर लेते।
साक्षी कह तो राघव से रही थी। मगर इशारा श्रृष्टि की ओर थीं यह बात श्रृष्टि समझ गई। इसलिए हल्का सा मुस्कुरा दिया फिर सरसरी निगाह राघव और साक्षी पे फेरकर सिर झुका लिया और भोजन करने में मग्न हो गई।
राघव नजदीक आकर एक कुर्सी पर बैठ गया फिर टिफन खोलते हुए बोला... फिक्र है बहुत ज्यादा फिक्र है इसलिए मैं आना भी चाहत था लेकिन कुछ जरुरी काम की वजह से नहीं आ पाया। आज आ गया हूं अब कल की भी भरपाई कर दूंगा।
बोलने के बाद राघव ने सरसरी निगाह श्रृष्टि पर फेर दिया और बगल में बैठा एक सहयोगी बोला…सर कौन है वो जिसकी फिक्र आपको बहुत ज्यादा हैं जरा हमे भी बता दिजिए हम भी तो जानें वो खुश नसीब कौन है जिसकी आपको बहुत ज्यादा फिक्र है।
साक्षी... है कोई अभी सर और उसके बीच छुप्पन छुपाई चल रहा हैं। जब दोनों का खेल खत्म हो जायेगा तब सभी को बता दिया जायेगा। क्यों श्रृष्टि ये बात शायद तुम भी जानती हों?
साक्षी का इतना बोलना था की श्रृष्टि को एक बार फिर धचका लग गई। ये देख राघव श्रृष्टि को पानी का गिलास बढा दिया। श्रृष्टि बिना कुछ कहे पानी ले लिया। थोड़ी ही वक्त में श्रृष्टि संभली तो सहयोगी में से एक बोला...सर कल साक्षी मैम कह रही थी आप शादी करने वाले हों। जिसके लिए लड़की भी देखा जा रहा हैं।
एक बार फ़िर से शादी की बात छिड़ते ही श्रृष्टि दम सादे सिर झुकाए बैठी राघव के जवाब का इंतजार करने लगी।
खुद की शादी की बात जिससे राघव खुद अंजान था। सुनते ही साक्षी की ओर देखा और इशारे से पुछा ऐसा क्यो कहा। तब साक्षी ने श्रृष्टि की ओर इशारा कर दिया और राघव को हां बोलने को कहा।
अब राघव गंभीर परिस्थिति में फंस गया। क्या जवाब दे क्या न दे ये समझ ही नहीं पा रहा था? सहसा उसे क्या सूझा की बोल पडा... हां देख तो रहें हैं। मैं भी कब तक टाला मटोली करूं उम्र निकलता जा रहा हैं अब सोच रहा हूं शादी कर ही लेता हूं।
राघव का हां बोलना और श्रृष्टि जो दम सादे सुन रहीं थीं। उसको सहसा दम घुटने सा लगा। खाने का निवाला जो हाथ में पकड़ी थी वो हाथ से छुट कर प्लेट पे गिर गया। यह सब साक्षी सहित सभी देख रहे थे। देखते ही साक्षी बोलीं... श्रृष्टि क्या हुआ खाना पसंद नहीं आया या फिर किसी की बाते पसंद नहीं आई। बोलों क्या बात हैं?
श्रृष्टि से बोला कुछ नहीं गया। चुप चाप अपने जगह से उठी और चली गई। ये देख राघव विचलित सा हो गया और मन ही मन पछताने लगा कि उसने साक्षी का कहना क्यों माना और साक्षी आवाज देते हुए बोली... श्रृष्टि क्या हुआ तुम कहा जा रहीं हों खाना पसंद नहीं आया तो मेरे में से खा लो।
श्रृष्टि ने कोई जबाव नहीं दिया और चुप चाप रूम से बहार चली गई और राघव विचलित सा साक्षी को देखा तो साक्षी ने इशारे से आश्वासन देते हुए कहा कुछ नहीं हुआ वो सब संभाल लेगी। मगर राघव पे आश्वासन का कोई असर नहीं हुआ।
सभी खाने में लगे रहें मगर राघव से एक भी निबला निगला नहीं गया इसलिए वो भी अधूरा खाना छोड़कर जाते वक्त साक्षी को उसके रूम में आने को कह गया।
पल भर में पूरा शमा ही बदल गया एक झूठी हां ने दोनों को हद से ज्यादा विचलित कर दिया। श्रृष्टि अपना खाना फेंक कर आई और बेमन से कम में लग गई। साक्षी खाना खाने के बाद राघव के रूम में पहुंच गई।
राघव... तुमने देखा ना मेरे झूठी हां से श्रृष्टि कितना परेशान हों गईं। तुम्हें कहना ही था तो कोई ओर बात बता देती। मेरी झूठी शादी की बात कहने की जरूरत ही किया थीं। कह दिया सो कह दिया मुझे भी सच बोलने से रोक दिया। साक्षी तुम्हें ऐसा नहीं करना चहिए था।
साक्षी... सर आज जैसा हुआ कल भी श्रृष्टि का ऐसा ही हाल हुआ था बस आज आपने खुद से हां कहा तो इसका कुछ ज्यादा ही असर हुआ। इस बात से इतना तो आप जान ही गए होंगे कि श्रृष्टि भी आपसे प्यार करती हैं। अब आपको देर नहीं करना चहिए कल ही जैसा मैंने कहा था वैसे ही सभी को साथ में लंच पे ले चले और मौका देखकर प्रपोज कर दे।
राघव... एक तो वो पहले से ही मेरे साथ जानें को राजी नहीं हों रही थी उसके बाद आज जो हुआ अब तो वो बिल्कुल भी राजी नहीं होगी।
साक्षी...सर आप ट्राई तो कीजिए अगर नहीं जाती है तो मैं खुद उससे बात करके सच बता दूंगी और आगर लंच पर चल देती है त`ब आप पहले उसे सच बता देना फिर प्रपोज कर देना।
राघव... तुमने अलग ही टेंशन में डाल दिया अब तुम जाओ ओर श्रृष्टि को संभालो मैं कुछ काम कर लेता हूं फ़िर समय निकल कर एक फेरा आ जाऊंगा।
साक्षी राघव से बात करके वापस आ गई। यहां श्रृष्टि का हाल कल से ज्यादा बेहाल था वो काम पर ध्यान ही नहीं लगा पा रही थी। साक्षी कई बार बात करना चाह मगर श्रृष्टि साक्षी ही नहीं किसी से बात करने को राजी नहीं हुई। मानो उसने चुप्पी सी सद ली हों।
उधर राघव का हाल भी दूजा नही था। वो भी काम में ध्यान ही नहीं लगा पा रहा था। बार बार रह रहकर एक ही ख्याल मन में आ रहा था कि वो साक्षी की बात माना ही क्यों उसे साक्षी की बात मानना ही नहीं चाहिए था।
एक दो बार वहां गया मगर श्रृष्टि ने उस पे ज्यादा ध्यान ही नहीं दिया और श्रृष्टि को बेचैन सा देखकर इशारे इशारे में साक्षी को डांटकर चला गया।
जारी रहेगा….
आग दोनों तरफ लगी है और साक्षी शायद मजे ले रही है या उसका कोई काम हो रहा है
ये साक्षी को समज ने में शायद मै भी धोखा खा गई हु
मुझे तो ऐसा लगता है की राघव ने साक्षी पे इतना बड़ा विश्वास क्यों किया ????