20-08-2024, 02:50 PM
ठीक उसी समय जब श्रुष्टि उस ओटो वाले को ढूंढने गई थी तब घर पर माताश्री........
मा सोच रही थी पिछले कुछ दिनों से श्रुष्टि में काफी बदलाव आ गया है
पहेले सिर्फ समीक्षा से रमत करती थी खेर वो तो आजकल इस जमाने ने सब चलता है और दो सहेलियों की बात है मुझे उस तरफ नहीं सोचना चाहिए और उसमे मुझे कोई आपत्ति भी नहीं है
लेकिन आजकल देख रही हु की वो बाथरूम में कुछ ज्यादा समय ले रही है
अपने शरीर के रखरखाव पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रही है
पेहले वो कभी बिंदी नहीं लगाती थी और जब मै कहती थी की बेटा बिंदी स्त्री का एक सौन्दर्यवर्धक साधन है तब कहती थी मा ये सब एक दिखावा है ऐसा कुछ नही ये सब आप लोगो के जमाने के तौरतरीके है और आजकल वो बिंदी लगा के ऑफिस जाती है
पहले वो अपने कपडे पे कुछ ध्यान ही नहीं देती थी आजकल वो मेचिंग कपडे पहेनके जाती है कपडे के चुनाव और पहेर्वेश में काफी फर्क आ गया है
पहेले दुपट्टा अपने स्तनों को ढके हुए से रखती थी आजकल वो सिर्फ एक साइड में रख के जाती है
जब देखो अपने शरीर को देखे हुए रहती है
कभी कभी अपने विचारो में खोई हुई लगती है जैसे दुनिया में वो है ही नहीं
कभी कभी बिना कारण मुस्कुराती रहती है ..........
क्या मै वोही सोच रही हु ????
क्या उसे कोई भा गया है ?????
क्या वो राघव ही तो नहीं ????
अगर ऐसा है तो मुझे क्या करना चाहिए ???
कैसे समजाऊ इस लड़की को ??? क्या वो भी मेरी तरह .............
नहीं नहीं नहीं कभी नहीं मेरी लड़की मेरी श्रुष्टि ऐसा कुछ नहीं कर सकती और वो ऐसा सह भी नहीं सकती, भोली बच्छी है मेरी
हे भगवान मुझे ऐसे विचार क्यों आ रहे है ?????
अरे ऐसा कुछनही हर पुरुष ऐसा होता तो दुनिया कैसे चलती ????
पता है मुझे पर हर पुरुष को चख भी तो नहीं सकते ????
सभी अच्छे है और होते है पर नशीब खराब हो तो ...........
साली तेरे मन में बस ऐसा ही आएगा तू कभी अच्छा सोच ही नहीं सकती
क्यों की मै मा हु
तो क्या दुनिया में कोई मा है ही नहीं ????? मा है तो आजन्म उसकी साथ रहेगी ????
अच्छा भी तो सोच लिया कर
कि लड़का देखने में सुन्दर हो मेरी बेटी के मुकाबले में भले ही थोडा श्याम हो पुरुष तो होते ही ऐसे है काले पर दिल का अच्छा हो मेरी बेटी को पलकों पे रखे ऐसा हो उसमे जितना प्रेम भरा हो सब मेरी बेटी पे न्योछावर करता हो प्रेम के पलो में भी और आम जिंदगी में भी ..........
ऐसा सोच तेरी तबियत अच्छी रहेगी वर्ना जल्दी ही मरेगी
अब सब सहो हो रहा है ना भगवान मुझे उसके दुःख दे दो और उसको बस खुशिया देदो बिना बाप की लड़की है ........
ऐसे ही कुछ गंदे और अच्छे की सोच में डूबी हुई थी की डोर बेल बजो और श्रुष्टि अपना काम निपटा के हस्ती हसती अन्दर आ गई .....
मा सोच रही थी पिछले कुछ दिनों से श्रुष्टि में काफी बदलाव आ गया है
पहेले सिर्फ समीक्षा से रमत करती थी खेर वो तो आजकल इस जमाने ने सब चलता है और दो सहेलियों की बात है मुझे उस तरफ नहीं सोचना चाहिए और उसमे मुझे कोई आपत्ति भी नहीं है
लेकिन आजकल देख रही हु की वो बाथरूम में कुछ ज्यादा समय ले रही है
अपने शरीर के रखरखाव पर कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रही है
पेहले वो कभी बिंदी नहीं लगाती थी और जब मै कहती थी की बेटा बिंदी स्त्री का एक सौन्दर्यवर्धक साधन है तब कहती थी मा ये सब एक दिखावा है ऐसा कुछ नही ये सब आप लोगो के जमाने के तौरतरीके है और आजकल वो बिंदी लगा के ऑफिस जाती है
पहले वो अपने कपडे पे कुछ ध्यान ही नहीं देती थी आजकल वो मेचिंग कपडे पहेनके जाती है कपडे के चुनाव और पहेर्वेश में काफी फर्क आ गया है
पहेले दुपट्टा अपने स्तनों को ढके हुए से रखती थी आजकल वो सिर्फ एक साइड में रख के जाती है
जब देखो अपने शरीर को देखे हुए रहती है
कभी कभी अपने विचारो में खोई हुई लगती है जैसे दुनिया में वो है ही नहीं
कभी कभी बिना कारण मुस्कुराती रहती है ..........
क्या मै वोही सोच रही हु ????
क्या उसे कोई भा गया है ?????
क्या वो राघव ही तो नहीं ????
अगर ऐसा है तो मुझे क्या करना चाहिए ???
कैसे समजाऊ इस लड़की को ??? क्या वो भी मेरी तरह .............
नहीं नहीं नहीं कभी नहीं मेरी लड़की मेरी श्रुष्टि ऐसा कुछ नहीं कर सकती और वो ऐसा सह भी नहीं सकती, भोली बच्छी है मेरी
हे भगवान मुझे ऐसे विचार क्यों आ रहे है ?????
अरे ऐसा कुछनही हर पुरुष ऐसा होता तो दुनिया कैसे चलती ????
पता है मुझे पर हर पुरुष को चख भी तो नहीं सकते ????
सभी अच्छे है और होते है पर नशीब खराब हो तो ...........
साली तेरे मन में बस ऐसा ही आएगा तू कभी अच्छा सोच ही नहीं सकती
क्यों की मै मा हु
तो क्या दुनिया में कोई मा है ही नहीं ????? मा है तो आजन्म उसकी साथ रहेगी ????
अच्छा भी तो सोच लिया कर
कि लड़का देखने में सुन्दर हो मेरी बेटी के मुकाबले में भले ही थोडा श्याम हो पुरुष तो होते ही ऐसे है काले पर दिल का अच्छा हो मेरी बेटी को पलकों पे रखे ऐसा हो उसमे जितना प्रेम भरा हो सब मेरी बेटी पे न्योछावर करता हो प्रेम के पलो में भी और आम जिंदगी में भी ..........
ऐसा सोच तेरी तबियत अच्छी रहेगी वर्ना जल्दी ही मरेगी
अब सब सहो हो रहा है ना भगवान मुझे उसके दुःख दे दो और उसको बस खुशिया देदो बिना बाप की लड़की है ........
ऐसे ही कुछ गंदे और अच्छे की सोच में डूबी हुई थी की डोर बेल बजो और श्रुष्टि अपना काम निपटा के हस्ती हसती अन्दर आ गई .....