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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#56
राघव... हां

श्रृष्टि... क्या, जिस कारण मैं DN कंस्ट्रक्शन ग्रुप छोड़ा था आज वहीं कारण मेरा पीछा करते करते मुझ तक पहुंच ही गई। छी मेरी किस्मत भी कितनी बुरी हैं। मां ने बार बार कहा था मैं आगे नौकरी न करू मगर मैं उनकी एक भी नहीं माना जिसका नतीजा आज मेरे सामने वहीं लोग आ गए जिनसे पीछा छुड़ाना चाहती थीं।

"श्रृष्टि तुम गलत समझ रहीं हों राघव सर दिनेश नैनवाल जी के बेटे जैसा नहीं हैं। ये मूझसे बेहतर कोई नहीं जानता हैं। श्रृष्टि मेरी बात ध्यान से सुनो (श्रृष्टि का बाजू पकड़े खुद की ओर मोड़ा फ़िर आगे बोलीं)सर को जब पाता चला वहां दिनेश नैनवाल जी के बेटे ने तुम्हारे साथ गलत सलूक किया था। जिस कारण तुमने नौकरी छोड़ दी थीं। तब इन्होंने उनसे पॉर्टनरशिप तोड़ लिया सिर्फ़ ये सोचकर की उनके वजह से उन पर और हमारे कम्पनी पर कोई उंगली न उठाए। ये तुम भी जानती हो बीच कंस्ट्रक्शन पॉर्टनरशिप तोड़ने पर कितना हर्जाना भरना पड़ता हैं। अब भी तुम्हें लगे की सर उन जैसा हैं तो तुम गलत ख्याल अपने जेहन में पाल रखी हो।" एक सांस में साक्षी ने अपनी बात कह दी।

जिसे सुनकर श्रृष्टि अचंभित सा राघव को देखने लग गई तो राघव बोला...श्रृष्टि तुम्हें डरने की जरूरत नहीं हैं मै उन जैसा नहीं हूं और न ही उन जैसा बर्ताब करने वाले किसी भी बंदे को काम पर रखा हूं।

इतना सुनते ही सहसा श्रृष्टि की आंखे छलक आई और हाथ जोड़कर बोलीं...सर मुझे माफ़ कर देना मैं सच्चाई जानें बिना न जानें आपको क्या क्या बोल दिया और न जानें क्या क्या सोच बैठी। प्लीज़ सर मुझे माफ़ कर देना।

राघव बैठे बैठे साक्षी को इशारा किया तो साक्षी श्रृष्टि को सहारा दिया फिर राघव बोला...श्रृष्टि मैं तुम्हारी बातों का बूरा नहीं माना क्योंकि तुमने जो भी कहा अंजाने में कहा इसलिए तुम माफी न मांगो।

इतना सुनने के बाद श्रृष्टि एक बार फिर राघव को देखा तो राघव मुस्कुरा दिया देखा देखी श्रृष्टि भी मुस्कुरा दिया। कुछ देर की चुप्पी छाई रहीं फिर चुप्पी तोड़ते हुए राघव बोला... श्रृष्टि अब तो तुम इस प्रोजेक्ट के हेड बनी रहना चाहोगी और जैसे कार्य कुशलता का परिचय DN कंस्ट्रक्शन ग्रुप में दिया था वैसे ही कार्य कुशलता का परिचय हमारी कम्पनी और इस प्रॉजेक्ट के लिए भी देना।

श्रृष्टि... सर आपने और खास कर साक्षी मेडम ने मुझ पर भरोसा किया हैं तो मैं आपका भरोसा टूटने नहीं दूंगी। (फिर कुछ सोचकर आगे बोलीं) सर क्या ऐसा नहीं हों सकता कि एक ही प्रोजेक्ट में दो हेड हों।

राघव... मतलब तुम साक्षी को भी अपने साथ साथ इस प्रोजेक्ट का हेड बनना चाहती हों (फिर साक्षी से मुखताबी होकर बोला) साक्षी मैंने तुमसे कहा था न श्रृष्टि की सोच अव्वल दर्जे की है देखो प्रमाण तुम्हारे सामने है।

इतना सुनकर साक्षी ने श्रृष्टि को गले से लगा लिया फ़िर बोलीं... श्रृष्टि जिस मां ने तुम्हें जन्म दिया वो मां बहुत भाग्य शाली है। मैं एक बार उस मां से मिलना चाहती हूं और पूछना चाहती हूं कि क्या खाकर तुम्हें जन्म दिया जो खुद के बारे मे सोचने से पहले दूसरे के बारे मे सोचती हैं।
वैसे मा क्या होती है मुझे नहीं पता धीरे से बोली
एक बार फ़िर से चुप्पी छा गई। कुछ देर बाद चुप्पी तोड़ते हुए श्रृष्टि बोलीं...किसी दिन समय निकालकर घर आना मिलवा दूंगी फ़िर पूछ लेना जो पूछना हों।

राघव... अच्छा सिर्फ़ साक्षी को अपनी मां से मिलवाओगी मुझे नहीं,? भाई मैने क्या गुनाह कर दिया जो मूझसे बैर कर रही हों।

"आपको तो बिल्कुल भी नहीं मिलवाना है। क्योंकि अपने मूझसे बाते छुपाया जब आप मुझे पहचान गए थे तो पहले ही बता क्यों नही दिया।" रूठने का दिखावा करते हुए श्रृष्टि बोलीं।

"हा श्रृष्टि बिलकुल भी मत बुलाना।" साथ देते हुए साक्षी बोलीं।

कुछ देर ओर बाते हुआ फिर दोनों राघव से विदा लेकर चले गए। दोनों के जाते ही राघव ने तुरंत ही फोन करके एक कॉफी का ऑर्डर दे दिया और शांत चित्त मन से कुर्सी के पुस्त से सिर टिका लिया। सहसा उसके आंखो के पोर से आंसु के कुछ बंदे बह निकला जिसे पोंछकर राघव बोला...श्रृष्टि तुम कितना भाग्य शाली हों जो कोई भी तुम्हारी मां से मिलना चाहें तो तुम खुशी खुशी उन्हें अपनी मां से मिलवा सकती हों और मैं कितना अभागा हूं कि मेरे पास ऐसा कोई शख्स नहीं हैं जिसे मां बोलकर मिलवा सकूं। एक सौतेली मां हैं जिसकी आंखों में मैं हमेशा खटकता रहता हूं उन जैसी महिला से मैं कभी किसी को मिलवा ही नहीं सकता। हे प्रभु मुझे किस जन्म के गुनाह की सजा दे रहा हैं। बस एक विनती है अगले जन्म में मुझे ऐसे मां के कोख से जन्म देना जो जीवन भर मेरे साथ रहें, अपने आंचल के छाव तले मेरे जीवन के एक एक पल को संवारे।

इतने में किसी ने भीतर आने की अनुमति माँगा। झट से राघव ने आंखो को पोछा चहरे के भाव को बदला फ़िर आए हुए शख्स को भीतर आने की अनुमति दी। भीतर आए शख्स से राघव को कॉफी दिया फ़िर चला गया।


जारी रहेगा
….



अब ये कहानी ने इमोशन पकड़ लिया

अब क्या बताऊ और क्या लिखू कुछ समज में नहीं आ रहा

साक्षी ऐसी निकलेगी पता ही नहीं था ये केरेक्टरने मुझे परेशान कर रखा है



हिरोइन श्रुष्टि है या साक्षी ????
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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 20-08-2024, 01:45 PM



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