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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#55
भाग - 18



राघव ने वह सभी बाते बता दिया। जिसके कारण वो श्रृष्टि से और उसकी काबिलियत से परिचित था। सभी बाते सुनने के बाद साक्षी बोलीं... मानना पड़ेगा सर आप इस मामले में बहुत शक्त हों कि कोई आप पर, आपके पिता पर या फ़िर कम्पनी पर उंगली न उठा पाए साथ ही इस बात का भी ध्यान रखते थे किसी के साथ गलत सलूक न हों। और मुज से ज्यादा इस बारे में और कोई नहीं जान सकता |

राघव…हां इसलिए जब तुम नुमाइश करके मेरे साथ गलत सलूक करती थी तब मैं तुम्हें टोकता था मगर तुम थीं कि सुनती ही नहीं थीं। सुनती भी कैसे तुम्हारे दिमाग में फितूर जो भरा हुआ था।

साक्षी... सर आप फ़िर से मुझे जलील करने लग गए।

राघव...इसमें जलील किया करना मैं तो वहीं कह रहा हूं। जो सच हैं। और जलील दूसरो के सामने होते है साक्षी यहाँ सिर्फ मै और तुम है और हमदोनो एक दुसरे को बखूबी जानते है

साक्षी... हां हां कह लो अभी मौका आपके हाथ में हैं जिस दिन मेरे हाथ मौका आया एक एक बात का गिन गिन के बदला लूंगी ही ही ही।

राघव...वो मौका तुम्हें कभी नहीं मिलने वाला हा हा हा।

साक्षी... वो तो वक्त ही बताएगा अब आप "मेरी है" से आपका क्या मतलब है। कहीं आप….।

"हा साक्षी तुम जो कहना चाहती हो वो सच है मैं श्रृष्टि को पसंद करता हूं और शायद प्यार भी करने लगा हूं। मगर वो निर्दय मेरी भावनाओं को समझकर भी अंजान बनी रहती हैं।" साक्षी की बातो को बीच में कांटकर खेद जताते हुए राघव बोला।

साक्षी...चलो अच्छा किया जो मुझे बता दिया अब तो मैं आपकी एक एक बातों का गिन गिन कर बदला लूंगी।

राघव...मतलब तुम फ़िर से...।

"नही नही मैं वैसा कुछ नहीं करने वाली बस आप दोनों के प्रेम कहानी का पने ढंग से कुछ लुफ्त लेने वाली हूं ही ही ही।" राघव की बातों को बीच में कांटकर बोलीं

राघव... क्या ही ही ही... मदद करने के जगह तुम्हें मजे लेने की पड़ी हैं।

साक्षी...ऐसा तो मैं करके रहूंगी आखिरकार लाइन में सबसे पहले मैं लगीं थी मगर मेरा रास्ता श्रृष्टि नाम की बिल्ली ने कांट दिया इसका बदला लेकर रहूंगी।

राघव...साक्षी मैं तुमसे हाथ जोड़कर विनती करता हूं विनंती क्या यार भीख मांगता हु कुछ भी ऐसा न करना जिससे की श्रृष्टि की नजरों में मैं गिर जाऊं देखो तुम्हे बदला लेना है मूझसे लो।

साक्षी...देखे देखो जमाने वाले देखो राघव तिवारी, तिवारी कंस्ट्रक्शन ग्रुप के मालिक कैसे हाथ जोड़े विनती कर रहा हैं। चलो ठीक है आपकी विनती मान लेती हूं ओर कोशिश करूंगी आप दोनों की प्रेम नैया जल्दी से पर लग जाएं।

राघव... चलो अच्छा है जो तुम मदद करने को मान गई।

साक्षी...हा हा ठीक हैं अब ज्यादा मक्खन न लगाओ। अच्छा मैं श्रृष्टि को बुलाकर लाती हूं और आपके सामने उसे कह दूंगी कि वो ही प्रोजेक्ट हेड बनी रहेगी।

इतना बोलकर बिना राघव की सुने साक्षी चली गईं और कुछ ही देर में श्रृष्टि के साथ वापस आ गईं। आते ही श्रृष्टि बोलीं... सर अपने किस लिए बुलाए।

इतना सुनते ही राघव समझ गया साक्षी उसके कंधे का सहरा लेकर बंदूक चलाना चहती है तो राघव मुस्कुराते हुए बोला...श्रृष्टि तुमसे साक्षी कुछ कहना चाहती हैं। इसलिए बुलाया था।

श्रृष्टि... साक्षी मैम आप को कुछ कहना था तो वहीं कह देती यहां बुलाने की जरूरत ही क्या थीं?

साक्षी...श्रृष्टि मैं चाहती हूं तुम इस प्रोजेक्ट का हेड तुम ही बनी रहो।

श्रृष्टि...पर मैम आप मूझसे ज्यादा काबिल हो और बहुत पुरानी भी फिर मैं कैसे।

साक्षी... श्रृष्टि तुम कितनी काबिल हों ये राघव सर बहुत पहले से जानते हैं और आज मैं भी जान गईं।

"बहुत पहले लेकिन कब से, इनसे मिले हुए मात्र एक महीना हों रहा हैं।" अनभिज्ञता जाहिर करते हुए श्रृष्टि बोलीं

साक्षी...DN कंस्ट्रक्शन ग्रुप में जब तुम काम करती थी तब से।

श्रृष्टि... मतलब की आप वोही राघव हो जो DN कंस्ट्रक्शन ग्रुप छोड़ने के बाद मूझसे मिलना चाहते थे।

क्रमश:


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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 20-08-2024, 01:44 PM



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