17-08-2024, 05:58 PM
भाग - 17
अपने सामने रखा लेटर पर सरसरी निगाह फेरकर राघव बोला... ये क्या है साक्षी, एक तो इतने दिनों बाद लौटी हों और आते ही लेटर थमा रहीं हों। कहीं ये लव लेटर तो नहीं, ऐसा हैं तो इसे अपने पास रख लो ये मेरे किसी काम का नहीं।
साक्षी... ये आपके काम का ही हैं। ये लव लेटर नहीं मेरा इस्तीफा हैं।
"क्या" चौकते हुए राघव बोला और लेटर उठकर पढ़ने लग गया। लेटर का कुछ हिस्सा पढ़कर राघव बोला...साक्षी ये क्या पागलपंती हैं। मैं तो तुमसे इस्तीफा नहीं मांगा फ़िर इस्तीफा क्यों दे रहीं हों।
साक्षी... जो भी मैंने किया और जो भी यहाँ हुआ। मैं समझती हूं उसके बाद मेरा यहां काम कर पाना संभवतः मुश्किल हैं। सिर्फ़ इसी कारण से मैं इस्तीफा दे रही हूं।
"जो भी क्या (सरसरी निगाह साक्षी पर फेरा फिर राघव आगे बोला) जो भी तुमने किया वो तो समझ में आया मगर जो भी हुआ उससे तुम्हारा क्या मतलब हैं? कहीं तुम्हें श्रृष्टि को प्रोजेक्ट हेड बना देना बूरा तो नहीं लग गया।
राघव के सवाल का कोई जबाव साक्षी नहीं दिया बस चुप्पी साधे खड़ी रहीं। साक्षी का यूं चुप्पी साध लेना इशारा कर रहा था कि राघव का तीर सही ठिकाने पर लगा हैं। इसलिए राघव बोला...साक्षी तुम काबिलियत के मामले में भले ही श्रृष्टि से कम नहीं हों मगर एक मामले में तुम उसके आस पास भी नहीं भटकती हों वो है उसकी सोच, उसकी सोच अव्वल दर्जे की हैं। बीते दो दिन हुए वो मेरे पास आई थीं और कह रही थीं कि मैं तुम्हें प्रोजेक्ट हेड बना दूं।
साक्षी...सर क्यों झूठ बोल रहें हों। इतने कम वक्त में कोई प्रोजेक्ट हेड बन जाएं और खुद ही आकर किसी ओर को, जिसे पछाड़कर प्रोजेक्ट हेड बनी हों। दुबारा उसे प्रोजेक्ट हेड बनाने को कहें ये मैं मान ही नहीं सकती। क्या आप मान सकते हो अगर आप मेरी जगह पर हो तो ???
राघव...साक्षी तुम और तुम्हारी सोच तुम मानो या न मानों यहीं सच हैं। हों सकता है तुम्हें बूरा लगे मगर यहीं सच हैं कि तुम सिर्फ़ अपने भले की ही सोचती हो जबकि तुम कई वर्षों से हमारी कम्पनी में काम कर रहीं हों और श्रृष्टि उसको आए अभी एक ही महीना हुआ हैं लेकिन वो खुद से ज्यादा हमारी कम्पनी के भले की सोच रहीं हैं। उसका कहना हैं कि तुम उससे ज्यादा काबिल हों इसलिए मैं तुम्हें उसके जगह प्रोजेक्ट हेड बाना दू। उसका यह भी कहना हैं इससे प्रोजेक्ट को फायदा होगा। अब तुम ही सोचो प्रोजेक्ट को फायदा मतलब सीधा सीधा कम्पनी को फायदा होगा। इस पर तुम्हारा क्या कहना हैं?
साक्षी अभी कुछ भी कह पाती उसे पहले ही "सर मै भीतर आ सकती हूं।" आवाज आई। आवाज सुनते ही राघव समझ गया। आवाज देने वाली कौन है? इसलिए साक्षी को चुप रहने का इशारा करके बोला... श्रृष्टि कोई जरूरी काम था?
"हां सर" श्रृष्टि बोलीं
राघव... ठीक हैं आ जाओ
श्रृष्टि भीतर आते ही कुछ औपचारिक बाते किया फिर असल मुद्दे पर आते हुए बोलीं... सर अब जब साक्षी मैम आ ही गई हैं तो आप उन्हें मेरे जगह प्रोजेक्ट हेड बना दिजिए (फ़िर साक्षी से सामने होकर बोलीं) साक्षी मैम मैं इतना तो समझ ही गई हूं कि मुझे प्रोजेक्ट हेड बना देना आपको बूरा लगा हैं। चाहे आप बताये या ना बताये पर आप काबिल हो और काफी वक्त से हमारी कम्पनी से जुड़ी हों सहसा नई नई आई किसी लडकी को प्रोजेक्ट हेड बना दिया जाए तो बूरा लगना स्वाभाविक हैं। आप की जगह मै होती तो मुझे भी बुरा लगता और मै ही क्या कोई भी होता तो उसको बुरा लगता |
अपने सामने रखा लेटर पर सरसरी निगाह फेरकर राघव बोला... ये क्या है साक्षी, एक तो इतने दिनों बाद लौटी हों और आते ही लेटर थमा रहीं हों। कहीं ये लव लेटर तो नहीं, ऐसा हैं तो इसे अपने पास रख लो ये मेरे किसी काम का नहीं।
साक्षी... ये आपके काम का ही हैं। ये लव लेटर नहीं मेरा इस्तीफा हैं।
"क्या" चौकते हुए राघव बोला और लेटर उठकर पढ़ने लग गया। लेटर का कुछ हिस्सा पढ़कर राघव बोला...साक्षी ये क्या पागलपंती हैं। मैं तो तुमसे इस्तीफा नहीं मांगा फ़िर इस्तीफा क्यों दे रहीं हों।
साक्षी... जो भी मैंने किया और जो भी यहाँ हुआ। मैं समझती हूं उसके बाद मेरा यहां काम कर पाना संभवतः मुश्किल हैं। सिर्फ़ इसी कारण से मैं इस्तीफा दे रही हूं।
"जो भी क्या (सरसरी निगाह साक्षी पर फेरा फिर राघव आगे बोला) जो भी तुमने किया वो तो समझ में आया मगर जो भी हुआ उससे तुम्हारा क्या मतलब हैं? कहीं तुम्हें श्रृष्टि को प्रोजेक्ट हेड बना देना बूरा तो नहीं लग गया।
राघव के सवाल का कोई जबाव साक्षी नहीं दिया बस चुप्पी साधे खड़ी रहीं। साक्षी का यूं चुप्पी साध लेना इशारा कर रहा था कि राघव का तीर सही ठिकाने पर लगा हैं। इसलिए राघव बोला...साक्षी तुम काबिलियत के मामले में भले ही श्रृष्टि से कम नहीं हों मगर एक मामले में तुम उसके आस पास भी नहीं भटकती हों वो है उसकी सोच, उसकी सोच अव्वल दर्जे की हैं। बीते दो दिन हुए वो मेरे पास आई थीं और कह रही थीं कि मैं तुम्हें प्रोजेक्ट हेड बना दूं।
साक्षी...सर क्यों झूठ बोल रहें हों। इतने कम वक्त में कोई प्रोजेक्ट हेड बन जाएं और खुद ही आकर किसी ओर को, जिसे पछाड़कर प्रोजेक्ट हेड बनी हों। दुबारा उसे प्रोजेक्ट हेड बनाने को कहें ये मैं मान ही नहीं सकती। क्या आप मान सकते हो अगर आप मेरी जगह पर हो तो ???
राघव...साक्षी तुम और तुम्हारी सोच तुम मानो या न मानों यहीं सच हैं। हों सकता है तुम्हें बूरा लगे मगर यहीं सच हैं कि तुम सिर्फ़ अपने भले की ही सोचती हो जबकि तुम कई वर्षों से हमारी कम्पनी में काम कर रहीं हों और श्रृष्टि उसको आए अभी एक ही महीना हुआ हैं लेकिन वो खुद से ज्यादा हमारी कम्पनी के भले की सोच रहीं हैं। उसका कहना हैं कि तुम उससे ज्यादा काबिल हों इसलिए मैं तुम्हें उसके जगह प्रोजेक्ट हेड बाना दू। उसका यह भी कहना हैं इससे प्रोजेक्ट को फायदा होगा। अब तुम ही सोचो प्रोजेक्ट को फायदा मतलब सीधा सीधा कम्पनी को फायदा होगा। इस पर तुम्हारा क्या कहना हैं?
साक्षी अभी कुछ भी कह पाती उसे पहले ही "सर मै भीतर आ सकती हूं।" आवाज आई। आवाज सुनते ही राघव समझ गया। आवाज देने वाली कौन है? इसलिए साक्षी को चुप रहने का इशारा करके बोला... श्रृष्टि कोई जरूरी काम था?
"हां सर" श्रृष्टि बोलीं
राघव... ठीक हैं आ जाओ
श्रृष्टि भीतर आते ही कुछ औपचारिक बाते किया फिर असल मुद्दे पर आते हुए बोलीं... सर अब जब साक्षी मैम आ ही गई हैं तो आप उन्हें मेरे जगह प्रोजेक्ट हेड बना दिजिए (फ़िर साक्षी से सामने होकर बोलीं) साक्षी मैम मैं इतना तो समझ ही गई हूं कि मुझे प्रोजेक्ट हेड बना देना आपको बूरा लगा हैं। चाहे आप बताये या ना बताये पर आप काबिल हो और काफी वक्त से हमारी कम्पनी से जुड़ी हों सहसा नई नई आई किसी लडकी को प्रोजेक्ट हेड बना दिया जाए तो बूरा लगना स्वाभाविक हैं। आप की जगह मै होती तो मुझे भी बुरा लगता और मै ही क्या कोई भी होता तो उसको बुरा लगता |