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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#41
भाग - 12

फोन करके राघव ने साक्षी को श्रृष्टि सहित सभी साथियों के साथ दफ्तर के निजी कमरे में बुलाया था। कुछ ही वक्त में द्वार पर आहट हुआ और भीतर आने की अनुमति मांगा गया।

भीतर आने की अनुमति मिलते ही सभी एक एक करके भीतर आ गए। हैलो हाय की औपचारिकता के बाद राघव बोला... कल आधे दिन की छुट्टी का लुफ्त लिया जा रहा था। हंसी ठहाके एक दूसरे की टांग खींचना एक दूसरे की लव लाईफ के बारे में जानना बड़ा मस्ती….

"
उफ्फ ये किया बोला दिया। जो नहीं बोलना था वहीं बोल गया। अब क्या करूं अब तो सभी को शंका हों जायेगा कि मैं उन्हें छुप छुप कर काम करते हुए देखता हूं। दूसरे शायद इस घटना को सामान्यतः ले जो अक्सर होता रहता हैं लेकिन श्रृष्टि, उसे अगर थोडी बहुत शंका हुई भी होगी कि मैं उसे छुप छुप कर देखता हूं जो कि सच हैं। अब तो उसकी शंका यकीन में बादल जायेगा। हे प्रभु ये कैसा अनर्थ मूझसे हों गया कोई रास्ता दिखा"
सहसा राघव को आभास हुआ कि जो नहीं बोलना था। वहीं बोल गया। तो अपने वाक्य को अधूरा छोड़कर मन ही मन ख़ुद से बाते करने लग गया।

ठीक उसी वक्त राघव की अधूरी बाते सुनकर साक्षी, श्रृष्टि सहित बाकी साथियों के अलग अलग प्रतिक्रिया थी। जहां दूसरे साथीगण इस घटना को सामान्यतः ले रहें थे। वहीं साक्षी के मन का चोर द्वार खुल गया और मन ही मन बोलीं... अगर सर छुप छुप कर हम पर नज़र रख रहे थे तो कहीं उन्हे पाता न चल जाएं मेरे ही कारण श्रृष्टि को दिए समय से प्रोजेक्ट पूरा नहीं हों पाया। तब क्या होगा?अब डर न साक्षी को था | और होना भी चाहिए था | वैसे भी चोर को सब से ज्यादा डर लगता है जब रजा चोर को पकड़ने के लिए बोलता है क्यों की चोर को ही उसके परिणाम के बारे में सोचना पड़ता है वही गलती भी करता है| खेर हमें उस से क्या लेना देना है

ठीक उसी वक्त श्रृष्टि का मन कुछ अलग ही कह रहा था। "ऊम्ह तो मेरी शंका सही निकली साला सर मुझे छुप छुप कर देखते हैं। नहीं नहीं मुझे क्यों देखने लगे, हों सकता है सर छुपकर ये देखते हो हम काम कर रहें हैं कि नहीं पर जब भी मैं सर के सामने आती हूं तब टकटकी लगाएं मुझे ही देखते रहते हैं। इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता। तो क्या सर छुप कर मुझे ही देखते हैं। ओ हो मैं ये किस उलझन में फांस गई।" वो देखता भि है तो मै क्या कर सकती हु ??? सब की आँखे है और देखने का अधिकार भी है
पर सब की नजर एक सी भी नहीं होती !!!
उफ्फ्फ मै ये सब क्या सोच रही हु क्या होता है वो भी देखना पड़ेगा न ऐसे ही मेरे मनगाडत विचारो से दुनिया थोड़ी ना चलती है पक्का कर के देखना चाहिए फिर कोई निर्णय लेना चाहिए|

जहां श्रृष्टि, साक्षी और राघव अपने अपने विचारो में उलझे हुए थे। ठीक उसी वक्त दूसरे साथियों में से एक बोला... खाली समय था तो उसका सदुपयोग करते हुए मस्ती मजाक और एक दूसरे की टांग खींच रहें थे। अगर अपने देख ही लिया था तो आप भी कुछ वक्त के लिए हमारे साथ मिल जाते इससे आपका मानसिक तनाव थोडा बहुत कम हों जाता।

इन आवाजों के कानों को छूते ही राघव विचार मुक्त हुआ और बोला...क क क्या बोला।

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सर लगता है आपका ध्यान कहीं ओर था। मैं तो बस इतना ही कह रहा था कि जब आपने देख ही लिया था तो आप भी हमारे साथ थोडा मस्ती मजाक कर लेते ही ही ही...।

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मैंने सोचा तो कई बार फिर ये सोचकर रूक जाता हूं कहीं आप लोग मेरे मस्ती मजाक करने का गलत मतलब न निकाल ले और काम धाम छोड़कर मस्ती में लगे रहें। ऐसा हुआ तो मेरा बहोत बड़ा नुकसान हों जायेगा।" एक निगाह श्रृष्टि पर डाला फ़िर मुस्कुराते हुए राघव ने अपनी बात कह दिया।

"
सर कभी कभी कामगारो के साथ थोड़ी बहुत मस्ती मजाक भी कर लेना चाहिए इससे दफ्तर का माहौल सही बना रहता हैं।" राघव के मुस्कान का जवाब मुस्कान से देते हुए श्रृष्टि बोलीं।

राघव... कह तो सही रही हों खैर छोड़ो इन बातों पर बाद में सोचेंगे अभी (प्रोजेक्टर पर एक वीडियो प्ले करते हुए आगे बोला) अभी इस वीडियो को ध्यान से देखो।

जब तक वीडियो चलता रहा तब तक सभी ध्यान से देखते रहें। वीडियो खत्म होते ही राघव बोला... ये हमारा नया कंस्ट्रक्शन साइड हैं। इस पर एक आलीशान बहुमंजिला इमारत बनाना हैं। जिसके बाहरी आवरण की खूबसूरती मन मोह लेने वाली होना चाहिए उतना ही खूबसूरत और आकर्षक भीतरी भाग होना चाहिए। इसलिए क्लाइंट का कहना हैं पहले मानचित्र बनाकर उसकी रूप रेखा 3D मॉडल के जरिए दिखाया जाएं अगर उन्हें पसंद आया तब ही कंस्ट्रक्शन शुरू किया जा सकता हैं। अब आप सभी अपने अपने हुनर को प्रदर्शित करे और एक बेहतरीन मॉड्यूल तैयार करें और हां एक बात का ध्यान रखना यहां प्रॉजेक्ट हमारी और हमारी कम्पनी की साख का सवाल है इसलिए कोई भी चूक नहीं होना चाहिए। ये बहोत भारी शब्दों में बोला ताकि उसकी गंभीरता बन जाए|

सभी एक साथ एक ही स्वर में "सर हम पूरा ध्यान रखेंगे" बोले फिर राघव आगे बोला... हां तो अब कुछ जरुरी बाते इस प्रॉजेक्ट का प्रॉजेक्ट हेड श्रृष्टि को बनाया जाता है ये खास उपहार मेरे ओर से श्रृष्टि और साक्षी के लिए है। साथ ही दुसरे के लिए भी हैं।

ऐसा खास उपहार साक्षी को मिलेगा ऐसा कभी उसने सोचा नहीं था। जो प्रॉजेक्ट हेड हुआ करती थी सहसा एक नई लड़की जिसको आए हुए अभी महीना भर भी नहीं हुआ। प्रोजेक्ट हेड बना दिया जाता है। यह बात साक्षी को हजम नहीं हुआ और अंदर ही अंदर खीजते हुए बोलीं...साली श्रृष्टि तूने मेरा होद्दा मूझसे छीन लिया। बात चाहें कम्पनी की साख की हो मुझे फर्क नहीं पड़ता अब बात मेरी साख पर आ गई है? अब देख मैं तेरे साथ क्या क्या करती हूं?

यहां साक्षी, श्रृष्टि से खीज गई वहीं श्रृष्टि इस बात से बहुत खुश हुई। होना भी चाहिए जहां लोगों को काम करते करते वर्षों बीत जाते हैं फिर भी प्रॉजेक्ट हेड नहीं बन पाते है वहीं मात्र कुछ ही दिनों में उसे एक ऐसे प्रोजेक्ट का हेड बना दिया गया। जिसका ताल्लुक कम्पनी के साख से हैं। बहरहाल श्रृष्टि खुश, साक्षी खीजी हुई इससे उलट दूसरे साथी श्रृष्टि को बधाई देने लग गए। जिसे श्रृष्टि सहस्र स्वीकार कर रहीं थीं। खैर बधाई देने के बाद एक साथी बोलासर श्रृष्टि मैम के साथ बस कुछ ही दिन काम करके हम सभी इतना तो जान ही गए हैं कि श्रृष्टि मैम हुनर के मामले में बहुत धनी है। इतने बड़े प्रोजेक्ट पर इनके साथ काम करने का हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ। शायद हमारे लिए इससे बड़ा दुसरा कोई उपहार हों नहीं सकता था? सर किसी और का मै नहीं कह सकता मगर अपनी बात दावे से कहता हूं। इस प्रॉजेक्ट पर श्रृष्टि मैम के साथ जी जान से काम करेगें और हमारी कम्पनी के साख पर दाग नहीं लगने देगें। इसी बहाने श्रृष्टि मैम से उनके हुनर के कुछ गुर भी सीख लूंगा। शायद भविष्य में उनसे सीखे गुर मेरे कुछ काम आ जाए और किसी प्रोजेक्ट का मै भी हेड बन जाऊं।

सहयोगी की ये बातें जहां श्रृष्टि के हृदय में हर्ष का भाव उत्पन कर रही थीं। वहीं साक्षी के मन में सिर्फ और सिर्फ़ बैर पैदा कर रहा था, जहा जहा मिर्ची लग सकती थी वहा वहा मिर्ची अपने रंग दिखा रही थी और साक्षी से ये सब बर्दाश्त से बहार होता जा रहा था | और राघव एक नज़र श्रृष्टि की और मुस्कुराते हुए देखा फ़िर साक्षी की ओर देखकर बोला... कह तो तुम ठीक रहें हों। सीखने का जज्बा हमारे अंदर उम्र के आखरी पड़ाव तक जिंदा रहना चाहिए। तुम्हारी सोच मेरी नज़र में तारीफो के काबिल हैं। मगर (एक अल्प विराम लिया फ़िर साक्षी से निगाह हटाकर आगे बोला) मगर कुछ लोग सीखने की इस जज्बा को दावा लेते हैं शायद ऐसा वो अकड़ के चलते है कि मुझे जीतना सीखना था सिख चुका अब ओर सीखकर क्या फायदा खैर छोड़ो बाते बहुत हुआ अब जाओ ओर काम पर लग जाओ। साक्षी तुम कुछ देर रूककर जाना तुमसे कुछ जरुरी बात करना हैं।

राघव की बाते सभी को सामान्य लगा और कुछ ज्ञानवर्धक भी मगर साक्षी को राघव की बाते चुभन का अहसास करा गई और रूकने की बात सुनकर एक अनजाना सा डर मन में घर कर गया जिसका नतीजा साक्षी के हाव भाव बदल गए। इन सभी से अंजान श्रृष्टि बोलीं... सर इतना बड़ा प्रोजेक्ट है ऊपर से कंपनी की साख का सवाल हैं। कोई चूक न रह जाएं इसलिए मैं सोच रहीं थीं। एक बार साइड का दौरा कर आते तो ठीक होता आगर दूर है तो कोई बात नहीं हम मैनेज कर लेंगे।

"
हा सर एक बार साइड का दौरा हो जाता तो अच्छा होता। अच्छा किया जो श्रृष्टि मैम ने याद दिला दिया वरना हम तो भूल ही गए थे।"एक सहयोगी बोला

राघवठीक है फिर कल को चलते हैं। अपने अपने सभी जरूरी यन्त्र जांच लेना अगर किसी में कोई कमी हैं तो ठीक करवा दूंगा।

इसके बाद सभी एक एक कर चलते बने जैसे ही साक्षी अपने जगह खड़ी हुई। राघव तुंरत बोला...साक्षी तुम कहा जा रहीं हों तुम्हें रूकने को कहा था न।

इतना सुनते ही साक्षी वापस बैठ गई और सभी के जानें के बाद राघव द्वार की ओर बड़ गया।
अब साक्षी सोच रही थी अब तक मै संडास के बहाने राघव सर को श्रुष्टि के खिलाफ लगाती थी लेकिन अब तो ये महसूस होता है की सच में उसे संडास जाना पड़ेगा |

अब क्या बात होगी राघव सर और साक्षी के बिच में ???
क्या साक्षी को और एक तक मिलेगी श्रुष्टि के खिलाफ कुछ बोलने की ?? क्यों की अभो वो दोनों अकेले है जो चाहे वो कर सकती है
क्या श्रुष्टि अब अपने पद से गुरुर मी आएगी ??? साक्षी को अब दबा सकती है ??? या फिर वो खुद साक्षी जैसी बन के रहेगी ??? पैसा, गुरुर और पद आदमी को अपने संस्कार को भुला देने के लिए काबिल होते है
देखते है आगे 

जारी रहेगा...
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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 14-08-2024, 04:49 PM



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