09-08-2024, 06:12 PM
अब आगे......
अगले दिन से श्रृष्टि की कर्म यात्रा एक बार फिर सुचारू हो गई। श्रृष्टि का एक मात्र लक्ष्य था कैसे भी करके अपूर्ण रह गए काम को चार दिन से पहले खत्म कर लिया जाएं। जिसमें उसके सहयोगी भरपूर साथ दे रहें थे मगर साक्षी के मन में द्वेष का पर्दा पड़ चुका था।
साक्षी किसी भी कीमत पर अपूर्ण रह गए काम को पूर्ण होने से रोकना चाहती थीं। और वो भी कम से कम 5 दिन जो श्रुष्टि ने राघव सर को कामिट किया था! इसलिए कभी वो कमरे की लाइट बंद कर देती थी जो की एक बचकाना हरकत थी फ़िर भी कुछ वक्त का नुकसान हों ही जाता था।
कभी वो चाय नाश्ते के बहाने सहयोगियों को बातो में माजा लेती तो कभी जरुरी फाइल कही छुपा देती। जिस वजह से सिर्फ समय की बर्बादी हों रहा था।
जीतना समय श्रृष्टि के हाथ में बच रहा था उतने समय का सदुपयोग करते हुए ओर ज्यादा लगन और रफ़्तार से ख़ुद भी काम कर रहीं थी और सहयोगियों से काम करवा रहीं थीं।
इतनी लगन और रफ़्तार से काम करने का कोई फायदा नहीं हुआ। अंतः साक्षी अपने मकसद में कामियाब हों ही गई। श्रृष्टि को दिए समय से तीन दिन ऊपर हों चुका था। देर होने का जीतना पछतावा श्रृष्टि को हों रहा था उतना ही साक्षी मन ही मन खुश हों रहीं थीं।
बीते एक हफ्ते से राघव रोजाना शाम के चाय के वक्त वहा आता रहा मगर भीतर न जाकर बहार से ही छुप छुप कर श्रृष्टि को देखकर चला जाया करता था। आज फिर शाम के वक्त आया और श्रृष्टि को छुप कर देख रहा था कि सहसा श्रृष्टि को आभास हुआ। द्वार पर कोई हैं।
"द्वार पर कौन हैं।" बोलकर चाय का कप रखा और द्वार की और चल दिया।
अब यहाँ तो सवाल यही उठता है की क्या श्रुष्टि अपने कमिटमेंट को पूरा कर पाएगी ???
अगर हां तो अच्छी बात है श्रुष्टि के लिए
पर अगर ना तो साक्षी पूरी शक्ति से अपने हाथ खोल सकेगी ????????
ऑफिस में सभी काम करते है पर गेम हर कोई खेलता है, सब को अपने अपने तरीके से आगे की ओर बढ़ना है और सभी यही कोशिश करते है श्रुष्टि भी वही करने की कोशिश में है देखते है आगे श्रुष्टि के नसीब में आगे क्या है ????????
जानिये मेरे साथ अगले भाग में
जारी रहेगा…..
अगले दिन से श्रृष्टि की कर्म यात्रा एक बार फिर सुचारू हो गई। श्रृष्टि का एक मात्र लक्ष्य था कैसे भी करके अपूर्ण रह गए काम को चार दिन से पहले खत्म कर लिया जाएं। जिसमें उसके सहयोगी भरपूर साथ दे रहें थे मगर साक्षी के मन में द्वेष का पर्दा पड़ चुका था।
साक्षी किसी भी कीमत पर अपूर्ण रह गए काम को पूर्ण होने से रोकना चाहती थीं। और वो भी कम से कम 5 दिन जो श्रुष्टि ने राघव सर को कामिट किया था! इसलिए कभी वो कमरे की लाइट बंद कर देती थी जो की एक बचकाना हरकत थी फ़िर भी कुछ वक्त का नुकसान हों ही जाता था।
कभी वो चाय नाश्ते के बहाने सहयोगियों को बातो में माजा लेती तो कभी जरुरी फाइल कही छुपा देती। जिस वजह से सिर्फ समय की बर्बादी हों रहा था।
जीतना समय श्रृष्टि के हाथ में बच रहा था उतने समय का सदुपयोग करते हुए ओर ज्यादा लगन और रफ़्तार से ख़ुद भी काम कर रहीं थी और सहयोगियों से काम करवा रहीं थीं।
इतनी लगन और रफ़्तार से काम करने का कोई फायदा नहीं हुआ। अंतः साक्षी अपने मकसद में कामियाब हों ही गई। श्रृष्टि को दिए समय से तीन दिन ऊपर हों चुका था। देर होने का जीतना पछतावा श्रृष्टि को हों रहा था उतना ही साक्षी मन ही मन खुश हों रहीं थीं।
बीते एक हफ्ते से राघव रोजाना शाम के चाय के वक्त वहा आता रहा मगर भीतर न जाकर बहार से ही छुप छुप कर श्रृष्टि को देखकर चला जाया करता था। आज फिर शाम के वक्त आया और श्रृष्टि को छुप कर देख रहा था कि सहसा श्रृष्टि को आभास हुआ। द्वार पर कोई हैं।
"द्वार पर कौन हैं।" बोलकर चाय का कप रखा और द्वार की और चल दिया।
अब यहाँ तो सवाल यही उठता है की क्या श्रुष्टि अपने कमिटमेंट को पूरा कर पाएगी ???
अगर हां तो अच्छी बात है श्रुष्टि के लिए
पर अगर ना तो साक्षी पूरी शक्ति से अपने हाथ खोल सकेगी ????????
ऑफिस में सभी काम करते है पर गेम हर कोई खेलता है, सब को अपने अपने तरीके से आगे की ओर बढ़ना है और सभी यही कोशिश करते है श्रुष्टि भी वही करने की कोशिश में है देखते है आगे श्रुष्टि के नसीब में आगे क्या है ????????
जानिये मेरे साथ अगले भाग में
जारी रहेगा…..