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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#21
भाग 6 चालु.....

दृश्य में बदलाव

श्रृष्टि को साथ लिए साक्षी एक कमरे में पहुंची जिसे देखकर ही बतलाया जा सकता हैं। ये एक आर्किटेक का स्प्रेट कार्यालय है मगर ऐसा नहीं था वह पहले से ही चार पांच लोग मौजूद थे। उन सभी को आवाज़ देते हुए साक्षी बोला... हैलो गायेज इनसे मिलो इनका नाम है श्रृष्टि आज ही ज्वाइन किया हैं और अगले एक हफ्ते तक हमारे साथ काम करेंगे।

"नाईस नेम एंड स्वीट गर्ल।" "सो स्वीट नेम एंड सेक्सी गर्ल।" ऐसे तरह तरह के कॉमेंट सभी ने पास किया। जो श्रृष्टि को पसन्द नहीं आया मगर वो जानती थी इस तरह का कॉमेंट आम बात हैं। जो अमूमन साथ में काम करने वालो से सुनने को मिल जाता हैं। इसलिए ज्यादा बुरा नहीं माना, एक एक कर अपने बारे में बताते जा रहें थे। वो कहा से हैं, पहले कहा काम करता था। यह तक कैसे पंहुचा अब तक कितने प्रोजेक्ट पर काम कर चुके हैं। फलाना डिमाका एक विस्तृत जानकारी देने लग गए। जिस कारण बहुत अधिक समय जाया हों रहा था। इसलिए श्रृष्टि उन्हें रोकते हुए बोलीं...हे गायेज अपने बारे में जानकारी बाद में दे देना अभी काम क्या करना हैं इस पर बात कर लेते हैं।

"अरे श्रृष्टि भले ही एक हफ्ते के लिए हमें साथ में काम करना हैं फ़िर भी एक दूसरे की जानकारी तो होना ही चाहिए हों सकता है आगे भी हमें साथ में काम करना पड़े इसलिए अभी जान पहचाना हों जाएं तो आगे चलकर काम करने में आसानी होगा (सामने खडे साथियों को एक आंख दबाकर समीक्षा आगे बोलीं) चलो गायेज हमारी नई साथी को अपने बारे में जानकारी दो, ओर हा ठीक से देना जिससे कि श्रृष्टि हमारे साथ अच्छे से घुल मिल जाएं।"

श्रृष्टि उन्हें कुछ कहती या रोकती उससे पहले ही सभी अपनी अपनी राम कहानी का पिटारा खोलकर शुरू हों गए। अभी उनकी राम कहानी चल ही रहा था कि "ये क्या हों रहा हैं सभी काम धाम छोड़कर गप्पे हाकने में लगे हों। तुम्हें गप्पे मारने की नहीं काम करने की सैलरी दिया जाता हैं।" ये आवाज़ वहा गूंजा जो की राघव का था।

राघव को आया देखकर सभी तुंरत संभले ओर साक्षी चापलूसी करते हुए बोलीं...सर हम तो काम ही करना चाहते थे मगर श्रृष्टि ही कह रहीं थीं वो नई हैं सभी उसे अपने बारे में विस्तृत जानकारी दे, काम तो बाद में होता रहेगा।

साक्षी के साथ में काम करने वाले दूसरे साथियों ने उसके हां में हां मिलाकर सारा दोष श्रृष्टि पर मढ दिया। ये सुन और देखकर श्रृष्टि मन में बोलीं...सभी के सभी नम्बर वन कमीने हैं। इनसे बचकर रहना होगा नहीं तो गलती ये करेंगे और दोष मेरे सिर थोप देंगे। ये तो बाद की बात है अभी क्या करूं? अभी कुछ नहीं बोला तो बात और बिगड़ जाएगी। हे प्रभु तेरी मूझसे क्या दुश्मनी हैं? गलती न होते हुए भी मुझे पाचेडे में फसवा देता है। क्यों, आखिर क्यो ऐसा करता हैं?

मन ही मन खुद से बातें और ऊपर वाले से सावल करने के बाद श्रृष्टि अपने बचाव में बोलने जा ही रहीं थीं कि राघव बीच में बोला...श्रृष्टि जी मुझे लगता हैं एक गैर ज़िम्मेदार लड़की को नौकरी देखकर मैंने ख़ुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार लिया हैं। मुझे डर हैं कहीं आपकी संगत में रहकर मेरे काबिल और ज़िम्मेदार मुलाजिम कहीं आप की तरह गैर ज़िम्मेदार न बन जाएं।

श्रृष्टि... सर...।

"बाते बहुत हुआ (श्रृष्टि को बीच में रोकर राघव आगे बोला) श्रृष्टि जी आपको एक मौका और दे रहा हूं अबकी मुझे निराश न करना। (फिर साक्षी से मुखातिब होकर बोला) साक्षी न्यू ज्वाइनी से परिचय हों गया हों तो काम पर लग जाओ।" इतना बोलकर राघव चला गया।




क्या अब गेंद साक्षी के पास में है ???
साक्षी कुछ अपना नया रंग दिखायेगी या फिर श्रुष्टि से मिलजुल के काम को आगे बढ़ाएगी ?
राघव के मन में क्या चल रहा है ?
श्रुष्टि की जो पहली छाप उसके दिमांग में है क्या वो कायम रहेगी?
श्रुष्टि को अब क्या एक नयी नौकरी की तलाश कर लेना चाहिए ?
जानिये मेरे साथ अगले भाग में

जारी रहेगा...
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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 07-08-2024, 02:54 PM



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