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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#14
दृश्य में बदलाव

राघव इस वक्त अपने दफ्तर रूम में बैठा साक्षी की क्लास लगा रहा था। वजह वहीं जिसके लिए राघव लगभग प्रत्येक दिन डांटा करता था। राघव डांटते हुए बोला... साक्षी तुम्हें एक बात बार बार क्यों कहना पड़ता हैं? एक बार में तुम सुन क्यों नही लेती? मैं दूसरो जैसा नहीं हूं जो लड़कियों को नुमाइश की वस्तु समझें मगर तुम हों की नुमाइश करने से बाज नहीं आती। आज तुम्हें आखरी भर चेतावनी दे रहा हूं। अगली बार तुम्हारे शर्ट का बटन, मुझे खुला हुआ दिखा तो वो दिन इस दफ्तर में तुम्हारा आखरी दिन होगा। अब तुम जाओ और अपना काम करो।

साक्षी को झिड़ककर राघव एक फाइल देखने लग गया और साक्षी सनसनीखेज नजरों से राघव को देखा फिर पलट कर जाते हुए मन में बोला... क्या आदमी है कितना भी डोरे डालो फंसता ही नहीं, इनके जगह कोई ओर होता तो अब तक ना जाने कितनी बार इस नदिया में गोते लगा चुका होता और ये है की मेरे स्तनों की गहराई नाप ने के बजाय उसे बंद करने को कह रहा है । खैर कोई बात नहीं इन्हें फंसाने का कोई न कोई पैंतरा ढूंढ ही लूंगी। आज तक ऐसा कोई मर्द नहीं बना जो नारी के जलवे से हारा ना हो! कोई समय ज्यादा लेता है तो कोई तुरंत गोटा लगा देता है| खेर जहा मेहनत नहीं वहा संतुष्टि नहीं|

मन ही मन खुद से बातें करते हुए साक्षी द्वार तक पहुंच गई जैसे ही द्वार खोला सामने श्रृष्टि को खड़ी देखकर सवाल दाग दिया... तुम कौन हों और यहां किस काम से आई हों?

श्रृष्टि... मैम मैं श्रृष्टि हूं और यहां साक्षात्कार देने आई हूं।

साक्षी... तो यहां क्या कर रहीं हो? साक्षात्कार तो दुसरी ओर हो रहा है। उधर जाओ।

श्रृष्टि... पर मुझे तो राघव सर ने यहीं बुलाया था।

श्रृष्टि का इतना बोलना था की साक्षी को सोचने पर मजबूर कर दिया और साक्षी मन ही मन बोलीं...क्यों, आखिर क्यो राघव सर ने इस लड़की को साक्षात्कार देने अपने पास बुलाया? जबकि राघव सर किसी का साक्षात्कार लेते ही नहीं, तो फ़िर क्यों इस लड़की का साक्षात्कार खुद लेना चाहते हैं? इस लड़की के साथ राघव सर का क्या रिश्ता हैं? सोच साक्षी सोच कुछ तो गड़बड़ है। मामला क्या है पाता लगाना पड़ेगा?सुने श्रुष्टि को ऊपर से निचे तक देखा और मन ही मन सोचने लगी की साली भरी हुई है सब जगह से शायद उसने श्रुष्टि को अपने आप से ज्यादा सुन्दर पाया, पर खेर अभी उसके पास कोई अवसर नहीं था जिसे वो श्रुष्टि को वापस भेज सके या उसे कुछ कह सके

यहां साक्षी ख़ुद की सोच में गुम थी और वहां जब राघव की नज़र द्वार पर पडी तो साक्षी को खडा देखकर बोला... साक्षी तुम अभी तक गई नहीं, वहा खड़ी खड़ी क्या कर रहीं हों?

साक्षी अपने सोच से मुक्त होकर जवाब देते हुए बोली... सर कोई श्रृष्टि नाम की लड़की आई है और...।

साक्षी की बात बीच में कटकर राघव बोला... ओ श्रृष्टि! साक्षी तुम जाओ अपना काम करो और उन्हें अंदर भेजो।

"उन्हे! वाहा जी वाहा" मन ही मन इतना बोलकर साक्षी द्वार से हटकर आगे को चली गई और श्रृष्टि द्वार से ही बोलीं… सर मैं भीतर आ सकती हूं।?

राघव... हां बिल्कुल आइए, आपको भीतर आने के लिए ही बुलाया गया था।



अब क्या राघव कोई रिश्तेदार है ?

क्या श्रुष्टि का खेल बनेगा ?

क्या श्रुष्टि अपना इंटरव्यू पास कर पाएगी ?

जानिऐ मेरे साथ अप्गले भाग में ............. तब तक आप अपने मंतव्य देते रहे ..........
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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 07-08-2024, 02:45 PM



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