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Romance श्रृष्टि की गजब रित
#6
भाग - 2

चमचमाती सूट बूट में खड़ा एक बांका जवान अपने गोरे गाल को सहला रहा था। गाल पर छापी उंगली की छापा और लाल रंगत दर्शा रहा था। बड़े ही नजाकत से गाल की छिकाई किया गया था। आस पास अजबही करतें हुए लोग अचभित सा, जहां का तहां जम गए और गाल सहलाते हुए सूट बूट में खडे युवक को देखने में लगे हुए थे।


युवक के सामने गुस्से में तमतमाई, नथुने फूलती हुई श्रृष्टि खड़ी गहरी गहरी सांस ले और छोड़ रहीं थीं। इस उम्मीद में कि आसमान छूती अपार गुस्से को काबू कर सके मगर सामने खड़ा युवक जिसके चेहरे पर शर्मिंदगी का रत्ती भर भी अंश नहीं आया बल्कि ढीठ सा, स्वास के साथ ऊपर नीचे होती श्रृष्टि के वक्ष स्थल पर नजरे गड़ाए खड़ा रहा।


सहसा श्रृष्टि को आभास हुआ, उसके सामने खड़ा, युवक की दृष्टि कहा गड़ा हुआ हैं। बस एक पल से भी कम वक्त में श्रृष्टि का गुस्सा उड़ान छू हों गया और गुस्से की जगह लाज ने ले लिया। लजा का गहना ओढ़े, दोनों हाथों को एक दुसरे से क्रोस करते हुए अपने सीने पर रख लिया और पलटकर खड़ी हो गई।


श्रृष्टि को ऐसा करते हुए देखकर समीक्षा को समझने में एक पल से भी कम का वक्त नहीं लगा कि अभी अभी क्या हुआ होगा। समझ आते ही, गुस्से में लाल हुई, तेज आवाज़ में समीक्षा बोलीं…दिखने में पढ़े लिखें और अच्छे घर के लगते हों, फ़िर भी हरकते छिछोरे जैसी करते हों। तुम्हें देखकर लग रहा हैं शर्म लिहाज सब कोडीयो के भाव बेच खाए हों तभी तो इतनी भीड़ में थप्पड़ खाने के वावजूद ढीठ की तरह खडे हों।


समीक्षा के स्वर में गुंजन इतना अधिक था कि वहां बर्फ समान जमे लोगों को बर्फ से आजाद कर दिया और सभी चाहल कदमी करते हुए पास आने लग गए।


भिड़ इक्कठा होते हुए देख, युवक वहां से निकलना ही बेहतर समझा। रहस्यमई मुस्कान लबो पर सजाएं युवक वहां से चला गया। वहां मौजुद किसी ने भी उसे रोकना या पूछना जरूरी नहीं समझा, खैर कुछ वक्त में सब सामान्य हो गया और दोनों सहेली अपने अपने बिलों का भुगतान करके घर को चल दिया।


भाग 2 क्रमश .....
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RE: श्रृष्टि की गजब रित - by maitripatel - 07-08-2024, 02:33 PM



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