06-02-2024, 02:55 PM
तभी मेरे दिमाग में भाभी की योनि का ख्याल आया, मैं भाभी के ऊपर लेटा हुआ था और मैं इस स्थिति में तो भाभी की योनि को नहीं छू सकता था.. इसलिए भाभी के उरोजों को चूसते हुए ही मैं थोड़ा सा खिसक कर भाभी के शरीर पर से नीचे उतर गया, मैं अपना एक हाथ भाभी के उरोजों पर से हटाकर उनके नर्म पेट पर से होते हुए उनकी योनि पर ले आया जबकि मेरा दूसरा हाथ अभी भी भाभी के उरोजों को ही सहलाने में व्यस्त था।
पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने भाभी की योनि का मुआयना किया, भाभी ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि भाभी का पेटीकोट भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था।
पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने भाभी की योनि का मुआयना किया, भाभी ने पेंटी पहन रखी थी, उनकी पेंटी योनि रस से भीग कर इतनी गीली हो चुकी थी कि भाभी का पेटीकोट भी योनिरस के कारण हल्का सा नम हो गया था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
