06-02-2024, 02:41 PM
मैंने भाभी से दूर होकर अपनी जीभ को छुड़ाने का प्रयास भी किया मगर भाभी ने अपना दूसरा हाथ भी मेरी गर्दन के नीचे से लेकर मेरे सिर को पकड़ लिया। भाभी का पहले वाला हाथ जो कि मेरे सिर पर था.. वो अब मेरी कमर पर आ गया और भाभी ने मेरे सिर व कमर को पकड़ कर मुझे जोरों से अपनी तरफ खींच लिया। साथ ही भाभी ने खुद भी मुझसे चिपक कर अपने दोनों उरोजों को मेरी छाती में धंसा दिए।
मेरी जीभ को भाभी इतने जोरों से चूस रही थी कि मुझे अपनी जीभ खींच कर भाभी के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी। दर्द के कारण मैं छटपटाने लगा मगर भाभी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी मैंने भाभी के एक होंठ को दांतों से काट लिया.. जिससे कि भाभी ने छटपटा कर मेरी जीभ को छोड़ दिया और मुझसे अलग होकर मेरे कपड़े खींचने लगीं।
मुझसे भी अब अपने शरीर पर कपड़े बर्दाश्त नहीं हो रहे थे इसलिए मैं जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब की बार मैंने भाभी को पकड़ कर जोरों से भींच लिया.. जिससे उनके दोनों उरोज मेरे सीने से पिस से गए और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिंग से चिपक गई।
तभी भाभी मेरी कमर को जोर से पकड़ कर सीधी हो गईं.. जिससे कि मैं भी उनके साथ-साथ खींचकर भाभी के ऊपर आ गया और भाभी का मखमली नर्म मुलायम शरीर मेरे भार से दब गया।
भाभी के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक भाभी की योनि पर लग गया था, जो कि मेरे लिंग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी।
भाभी अब भी मेरे होंठों को जोरों से चूम चाट रही थीं। मगर मैं भाभी के होंठों को चूसते हुए अब ब्लाउज के ऊपर से ही उनके दोनों उरोजों को भी सहलाने लगा था।
मेरी जीभ को भाभी इतने जोरों से चूस रही थी कि मुझे अपनी जीभ खींच कर भाभी के मुँह जाती सी महसूस हो रही थी। दर्द के कारण मैं छटपटाने लगा मगर भाभी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी मैंने भाभी के एक होंठ को दांतों से काट लिया.. जिससे कि भाभी ने छटपटा कर मेरी जीभ को छोड़ दिया और मुझसे अलग होकर मेरे कपड़े खींचने लगीं।
मुझसे भी अब अपने शरीर पर कपड़े बर्दाश्त नहीं हो रहे थे इसलिए मैं जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब की बार मैंने भाभी को पकड़ कर जोरों से भींच लिया.. जिससे उनके दोनों उरोज मेरे सीने से पिस से गए और उनकी योनि मेरे उत्तेजित लिंग से चिपक गई।
तभी भाभी मेरी कमर को जोर से पकड़ कर सीधी हो गईं.. जिससे कि मैं भी उनके साथ-साथ खींचकर भाभी के ऊपर आ गया और भाभी का मखमली नर्म मुलायम शरीर मेरे भार से दब गया।
भाभी के नर्म मुलायम उरोज अब मेरी छाती से दब रहे थे और मेरा उत्तेजित लिंग ठीक भाभी की योनि पर लग गया था, जो कि मेरे लिंग को अपनी गर्मी का अहसास करवा रही थी।
भाभी अब भी मेरे होंठों को जोरों से चूम चाट रही थीं। मगर मैं भाभी के होंठों को चूसते हुए अब ब्लाउज के ऊपर से ही उनके दोनों उरोजों को भी सहलाने लगा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
