06-02-2024, 02:05 PM
मेरी कंपकंपाहट के कारण शायद भाभी को मेरी स्थिति का अहसास हो गया था, इसलिए भाभी ने पहल की। वो खिसक कर मेरे बिल्कुल पास आ गईं, भाभी का चेहरा अब मेरे बिल्कुल पास आ गया था और हम दोनों की गर्म साँसें एक-दूसरे के चेहरे पर पड़ने लगीं।
भाभी ने अपने नाजुक होंठों को मेरे होंठों से छुआ दिया। मुझसे अब रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने होंठों को खोलकर धीरे से भाभी का एक होंठ अपने होंठों के बीच थोड़ा सा दबा लिया और अपने होंठों से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा।
मुझे अब भी थोड़ा डर लग रहा था, मगर फिर तभी भाभी ने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मुझमें भी अब कुछ हिम्मत आ गई थी। इसलिए मैं भी भाभी के होंठों को चूसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ भाभी के नितम्बों पर रख कर पेटीकोट के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनके भरे हुए माँसल नितम्बों व जाँघों को सहलाने लगा।
भाभी की मखमली जाँघों व नितम्बों पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे कि मक्खन पर मेरा हाथ घूम रहा हो।
भाभी ने अपने नाजुक होंठों को मेरे होंठों से छुआ दिया। मुझसे अब रहा नहीं गया इसलिए मैंने अपने होंठों को खोलकर धीरे से भाभी का एक होंठ अपने होंठों के बीच थोड़ा सा दबा लिया और अपने होंठों से ही उसे हल्का-हल्का सहलाने लगा।
मुझे अब भी थोड़ा डर लग रहा था, मगर फिर तभी भाभी ने एक हाथ से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मुझमें भी अब कुछ हिम्मत आ गई थी। इसलिए मैं भी भाभी के होंठों को चूसने लगा और साथ ही अपना एक हाथ भाभी के नितम्बों पर रख कर पेटीकोट के ऊपर से ही धीरे-धीरे उनके भरे हुए माँसल नितम्बों व जाँघों को सहलाने लगा।
भाभी की मखमली जाँघों व नितम्बों पर मेरा हाथ ऐसे फिसल रहा था जैसे कि मक्खन पर मेरा हाथ घूम रहा हो।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
