06-02-2024, 01:13 PM
करीब दस बजे भाभी घर के काम निपटा कर कमरे में आईं। भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। भाभी के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
भाभी मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साड़ी निकालने लगीं। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था।
भाभी ने साड़ी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज में बिस्तर पर जाकर लेट गईं।
भाभी मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साड़ी निकालने लगीं। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था।
भाभी ने साड़ी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज में बिस्तर पर जाकर लेट गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
