06-02-2024, 01:06 PM
मम्मी-पापा के आ जाने के बाद भाभी घर के कामों में व्यस्त हो गईं और मैं ऐसे ही घर में घूमता रहा। घूम तो क्या रहा था.. बस जल्दी से रात होने का इन्तजार कर रहा था।
यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, भाभी के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था।
इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं।
मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो भाभी के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था।
करीब दस बजे भाभी घर के काम निपटा कर कमरे में आईं। भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। भाभी के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
भाभी मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साड़ी निकालने लगीं। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था।
भाभी ने साड़ी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज में बिस्तर पर जाकर लेट गईं।
यह मेरा दिल ही जानता है कि मैं कैसे समय निकाल रहा था, भाभी के साथ दोपहर में जो कुछ हुआ था, मैं बस उसे ही सोच सोच कर अपने आप उत्तेजित हो रहा था।
इस दौरान मेरी और भाभी की कोई बात नहीं हुई मगर जब भी मेरा भाभी से सामना होता.. तो भाभी मुझे देख कर मुस्कुराने लगतीं।
मैं भी भाभी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराकर देता।
खैर.. कैसे भी करके रात हो गई, मैंने जल्दी से खाना खाया और रोजाना की तरह ही भाभी के कमरे में जाकर पढ़ाई करने लगा।
पढ़ाई तो कहाँ हो रही थी, बस मैं तो भाभी के कमरे में आने का इन्तजार कर रहा था।
करीब दस बजे भाभी घर के काम निपटा कर कमरे में आईं। भाभी ने अभी भी दिन वाले ही कपड़े पहने हुए थे। भाभी के आते ही मेरे शरीर का तापमान अचानक से बढ़ गया और दिल जोरों से धड़कने लगा।
भाभी मुझे देखकर थोड़ा सा मुस्कुराईं और फिर कमरे का दरवाजा बन्द करके अपनी साड़ी निकालने लगीं। शर्म के कारण भाभी से बात करने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी, मैं बस चोर निगाहों से भाभी को देख रहा था।
भाभी ने साड़ी निकाल कर सोफे पर डाल दी और मात्र पेटीकोट व ब्लाउज में बिस्तर पर जाकर लेट गईं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
