06-02-2024, 01:03 PM
भाभी सामान्य होने पर अपने कपड़े ठीक करके बाहर चली गईं.. मगर मैं ऐसे ही पड़ा रहा।
कुछ देर बाद भाभी चाय का कप लेकर मेरे पास आईं और मुझे देख कर हँसने लगीं क्योंकि मैं अब भी नँगा ही पड़ा हुआ था।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी.. शायद मम्मी-पापा आ गए थे। मैं उठ कर जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगा और भाभी चाय का कप मेरे पास रख कर दरवाजा खोलने चली गईं।
मम्मी-पापा आ गए थे इसलिए भाभी उनके पास चली गईं.. और मैं चाय पीने लगा।
कुछ देर बाद भाभी चाय का कप लेकर मेरे पास आईं और मुझे देख कर हँसने लगीं क्योंकि मैं अब भी नँगा ही पड़ा हुआ था।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी.. शायद मम्मी-पापा आ गए थे। मैं उठ कर जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगा और भाभी चाय का कप मेरे पास रख कर दरवाजा खोलने चली गईं।
मम्मी-पापा आ गए थे इसलिए भाभी उनके पास चली गईं.. और मैं चाय पीने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
