06-02-2024, 11:33 AM
मगर रात को भी भाभी ने कपड़े नहीं बदले बस अपनी साड़ी को ही उतारा, भाभी ने साड़ी को उतार कर मेज पर रख दिया और मुझे पढ़ाने के लिए मेरे पास मुझसे बिल्कुल सट कर बैठ गईं।
नीचे उन्होंने काले रंग का पेटीकोट और ऊपर भी काले रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था.. जिनके बीच से भाभी का गोरा पेट दिखाई दे रहा था।
गोरा पेट देख कर मेरा लिंग उत्तेजित हो गया।
मुझे डर लगने लगा.. कहीं भाभी को मेरा उत्तेजित लिंग दिखाई ना दे जाए.. इसलिए मैंने भाभी को मना कर दिया और कहा- मुझे कुछ पूछना होगा तो मैं आपको बता दूँगा.. आप सो जाओ।
भाभी ने कहा- ठीक है।
वे बिस्तर पर एक तरफ जाकर सो गईं मगर सोते समय भाभी का पेटीकोट उनके घुटनों तक पहुँच गया और भाभी की दूधिया सफेद पिण्डलियाँ दिखने लगीं।
मैं पढ़ाई करने लगा.. मगर मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी ध्यान नहीं था, मैं चोर निगाहों से बार-बार भाभी को ही देख रहा था। मैं चाह रहा था कि भाभी का पेटीकोट थोड़ा सा और ऊपर खिसक जाए..
मगर तभी बिजली चली गई.. जिससे कमरे में अंधेरा हो गया और मेरा सारा मजा खराब हो गया।
अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.. इसलिए मैं बिस्तर पर जाकर सो गया।
मगर मेरा लिंग अब भी उत्तेजित था.. जो कि मुझे सोने नहीं दे रहा था, मैं बार-बार करवट बदल रहा था.. मगर नींद नहीं आ रही थी.. तभी भाभी ने करवट बदली और वो मेरे बिल्कुल पास आ गईं।
अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गई.. मैं सोने का नाटक करते हुए करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजों पर रख दिया व दूसरे हाथ से अपने लिंग को सहलाने लगा।
भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैंने अपना हाथ मक्खन पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं और मेरा दिल डर के मारे जोरों धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी के उरोज को सहलाने लगा।
मैं पहली बार किसी के उरोज को छू रहा था। भाभी के नर्म मुलायम उरोजों के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपड़ों में ही रस स्खलित हो गया.. जिससे मेरा हाथ और कपड़े गीले हो गए।
नीचे उन्होंने काले रंग का पेटीकोट और ऊपर भी काले रंग का ही ब्लाउज पहन रखा था.. जिनके बीच से भाभी का गोरा पेट दिखाई दे रहा था।
गोरा पेट देख कर मेरा लिंग उत्तेजित हो गया।
मुझे डर लगने लगा.. कहीं भाभी को मेरा उत्तेजित लिंग दिखाई ना दे जाए.. इसलिए मैंने भाभी को मना कर दिया और कहा- मुझे कुछ पूछना होगा तो मैं आपको बता दूँगा.. आप सो जाओ।
भाभी ने कहा- ठीक है।
वे बिस्तर पर एक तरफ जाकर सो गईं मगर सोते समय भाभी का पेटीकोट उनके घुटनों तक पहुँच गया और भाभी की दूधिया सफेद पिण्डलियाँ दिखने लगीं।
मैं पढ़ाई करने लगा.. मगर मेरा पढ़ाई में बिल्कुल भी ध्यान नहीं था, मैं चोर निगाहों से बार-बार भाभी को ही देख रहा था। मैं चाह रहा था कि भाभी का पेटीकोट थोड़ा सा और ऊपर खिसक जाए..
मगर तभी बिजली चली गई.. जिससे कमरे में अंधेरा हो गया और मेरा सारा मजा खराब हो गया।
अब मैं कुछ नहीं कर सकता था.. इसलिए मैं बिस्तर पर जाकर सो गया।
मगर मेरा लिंग अब भी उत्तेजित था.. जो कि मुझे सोने नहीं दे रहा था, मैं बार-बार करवट बदल रहा था.. मगर नींद नहीं आ रही थी.. तभी भाभी ने करवट बदली और वो मेरे बिल्कुल पास आ गईं।
अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गई.. मैं सोने का नाटक करते हुए करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजों पर रख दिया व दूसरे हाथ से अपने लिंग को सहलाने लगा।
भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैंने अपना हाथ मक्खन पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं और मेरा दिल डर के मारे जोरों धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी के उरोज को सहलाने लगा।
मैं पहली बार किसी के उरोज को छू रहा था। भाभी के नर्म मुलायम उरोजों के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपड़ों में ही रस स्खलित हो गया.. जिससे मेरा हाथ और कपड़े गीले हो गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
