06-02-2024, 11:27 AM
अब मैं भाभी के अधिक से अधिक पास रहने की कोशिश करता रहता। इसका अहसास शायद भाभी को भी हो गया था.. मगर भाभी कुछ नहीं कहती थीं।
हमारे घर में दो ही कमरे हैं जिसमें से एक कमरे में मम्मी-पापा रहते हैं और दूसरे कमरा भाभी का है। मैंने ड्राईंग रूम में ही अपना बिस्तर लगा रखा है और वहीं पढ़ाई करता हूँ।
एक बार रात को पढ़ते समय गणित का एक प्रश्न मुझसे हल नहीं हो रहा था इसलिए पूछने के लिए मैं भाभी के पास चला गया और भाभी के कमरे का दरवाजा बजा कर उनको बताया।
मगर भाभी ने दरवाजा नहीं खोला और कहा- अभी मैं सो रही हूँ.. कल बता दूँगी।
मैं वापस आ कर फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा.. मगर कुछ देर बाद भाभी ने पता नहीं क्या सोचकर दरवाजा खोल दिया और कमरे से ही आवाज देकर मुझे बुला लिया।
मैं कमरे में गया तो देखा कि भाभी ने काले रंग की पतली सी एक नाईटी पहनी हुई थी.. जिसमें से उनकी नीले रंग की ब्रा और पैन्टी यहाँ तक कि टयूब लाईट की रोशनी में उनका दूधिया गोरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
भाभी का यह उत्तेजक रूप देखकर मेरी हालत पतली होने लगी और मेरे लिंग ने उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पैंट में उभार सा बना लिया। मैं बस भाभी को ही देखे जा रहा था।
शायद भाभी ने भी मेरी हाफ़ पैंट में मेरे लिंग के उभार को देख लिया था।
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- बोलो क्या पूछना है?
मेरी आवाज नहीं निकल रही थी इसलिए मैंने हाथ के इशारे से किताब में वो प्रश्न बता दिया और भाभी मुझे बिस्तर पर बिठा कर समझाने लगीं।
मगर मेरा ध्यान पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था और मेरा लिंग तो मेरी हाफ पैंट को फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था।
कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल हल कर दिया और कहा- समझ आ गया?
मैंने झूठ-मूठ में ही ‘हाँ’ कह दिया जबकि मैंने तो ठीक से किताब की तरफ भी नहीं देखा था.. मैं तो बस भाभी के अंगों को ही देखे जा रहा था।
भाभी ने कहा- तो फिर चलो अब मुझे सोना है।
भाभी के कमरे से आने को मेरा दिल तो नहीं हो रहा था.. मगर फिर भी मैं वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर से दरवाजा बन्द कर लिया।
भाभी के गोरे बदन को देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरे लिंग ने तो पानी छोड़-छोड़ कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला कर दिया था.. मगर अब क्या करें?
तभी मुझे एक तरीका सूझा और मैंने फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया।
भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुए पूछा- अब क्या हुआ?
मैंने कहा- भाभी एक बार फिर से बता दो.. मुझसे नहीं हो रहा है।
भाभी फिर से मुझे वो सवाल समझाने लगीं.. मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही था और वैसे भी मैं पढ़ने भी कहाँ आया था.. मैं तो भाभी की पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके अंगों को देखने आया था।
कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल फिर से हल कर दिया, मुझे फिर से उनके कमरे से आना पड़ा।
कुछ देर बाद मैंने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी का दरवाजा बजा दिया।
इस बार भाभी दरवाजा खोलकर हँसने लगी और हँसते हुए कहा- फिर से..
मैंने कहा- नहीं.. ये दूसरा है।
शायद भाभी समझ गई थीं कि मैं बार-बार क्यों आ रहा हूँ इसलिए वो हँसने लगीं और हँसते हुए कहा- सारी पढ़ाई आज ही करनी है क्या?
मेरे बार-बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर पापा अपने कमरे से बाहर आ गए और पापा के आते ही भाभी दरवाजे के पीछे छुप गईं।
पापा ने मुझे डांटते हुए कहा- क्यों परेशान कर रहा है भाभी को?
मैंने कहा- मैं तो बस पढ़ने आया था।
पापा ने कहा- तो फिर बार-बार दरवाजा क्यों बजा रहा है?
मैंने बताया- वो सवाल पूछने के लिए आना पड़ता है।
हमारे घर में दो ही कमरे हैं जिसमें से एक कमरे में मम्मी-पापा रहते हैं और दूसरे कमरा भाभी का है। मैंने ड्राईंग रूम में ही अपना बिस्तर लगा रखा है और वहीं पढ़ाई करता हूँ।
एक बार रात को पढ़ते समय गणित का एक प्रश्न मुझसे हल नहीं हो रहा था इसलिए पूछने के लिए मैं भाभी के पास चला गया और भाभी के कमरे का दरवाजा बजा कर उनको बताया।
मगर भाभी ने दरवाजा नहीं खोला और कहा- अभी मैं सो रही हूँ.. कल बता दूँगी।
मैं वापस आ कर फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा.. मगर कुछ देर बाद भाभी ने पता नहीं क्या सोचकर दरवाजा खोल दिया और कमरे से ही आवाज देकर मुझे बुला लिया।
मैं कमरे में गया तो देखा कि भाभी ने काले रंग की पतली सी एक नाईटी पहनी हुई थी.. जिसमें से उनकी नीले रंग की ब्रा और पैन्टी यहाँ तक कि टयूब लाईट की रोशनी में उनका दूधिया गोरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
भाभी का यह उत्तेजक रूप देखकर मेरी हालत पतली होने लगी और मेरे लिंग ने उत्तेजित होकर मेरी हाफ़ पैंट में उभार सा बना लिया। मैं बस भाभी को ही देखे जा रहा था।
शायद भाभी ने भी मेरी हाफ़ पैंट में मेरे लिंग के उभार को देख लिया था।
भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा- बोलो क्या पूछना है?
मेरी आवाज नहीं निकल रही थी इसलिए मैंने हाथ के इशारे से किताब में वो प्रश्न बता दिया और भाभी मुझे बिस्तर पर बिठा कर समझाने लगीं।
मगर मेरा ध्यान पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस भाभी को ही देखे जा रहा था और मेरा लिंग तो मेरी हाफ पैंट को फाड़ कर बाहर आने को हो रहा था।
कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल हल कर दिया और कहा- समझ आ गया?
मैंने झूठ-मूठ में ही ‘हाँ’ कह दिया जबकि मैंने तो ठीक से किताब की तरफ भी नहीं देखा था.. मैं तो बस भाभी के अंगों को ही देखे जा रहा था।
भाभी ने कहा- तो फिर चलो अब मुझे सोना है।
भाभी के कमरे से आने को मेरा दिल तो नहीं हो रहा था.. मगर फिर भी मैं वहाँ से आ गया और भाभी ने फिर से दरवाजा बन्द कर लिया।
भाभी के गोरे बदन को देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरे लिंग ने तो पानी छोड़-छोड़ कर मेरे अण्डरवियर को भी गीला कर दिया था.. मगर अब क्या करें?
तभी मुझे एक तरीका सूझा और मैंने फिर से भाभी के कमरे का दरवाजा बजा दिया।
भाभी ने दरवाजा खोल कर मुस्कुराते हुए पूछा- अब क्या हुआ?
मैंने कहा- भाभी एक बार फिर से बता दो.. मुझसे नहीं हो रहा है।
भाभी फिर से मुझे वो सवाल समझाने लगीं.. मगर मेरा ध्यान तो भाभी पर ही था और वैसे भी मैं पढ़ने भी कहाँ आया था.. मैं तो भाभी की पारदर्शी नाईटी से दिखाई देते उनके अंगों को देखने आया था।
कुछ देर में ही भाभी ने वो सवाल फिर से हल कर दिया, मुझे फिर से उनके कमरे से आना पड़ा।
कुछ देर बाद मैंने एक नया सवाल लेकर फिर से भाभी का दरवाजा बजा दिया।
इस बार भाभी दरवाजा खोलकर हँसने लगी और हँसते हुए कहा- फिर से..
मैंने कहा- नहीं.. ये दूसरा है।
शायद भाभी समझ गई थीं कि मैं बार-बार क्यों आ रहा हूँ इसलिए वो हँसने लगीं और हँसते हुए कहा- सारी पढ़ाई आज ही करनी है क्या?
मेरे बार-बार भाभी का दरवाजा बजाने की आवाज सुनकर पापा अपने कमरे से बाहर आ गए और पापा के आते ही भाभी दरवाजे के पीछे छुप गईं।
पापा ने मुझे डांटते हुए कहा- क्यों परेशान कर रहा है भाभी को?
मैंने कहा- मैं तो बस पढ़ने आया था।
पापा ने कहा- तो फिर बार-बार दरवाजा क्यों बजा रहा है?
मैंने बताया- वो सवाल पूछने के लिए आना पड़ता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
