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लेत लेत तोहर लंडवा बूर हो जाई भोंसरवा
#4
सारा रात चोदौनी बुर भाई से,
मन ना भरल एतना चुदाई से,
बुर से चुवतआ लांड के पनिया,
का कही बो देलेबा गाँड़ में धनिया,

लांड ह ओकर जइसे कोनो बंदूक,
लूट लेवेले जौवन से भरल संदूक,
देखके देहिया में समा जाला छिनार,
पनिया जाला, गिराके मान के मिनार,

बा हमनी से छोटा, हवे बड़ा आवारा,
बियाह हमार ना ह, ओकरा गवारा,
चाहेला हमके जइसे मेहरारू, ना बहिनिया,
लिटाके बिछौना पर, लूटे हमार जवनिया,

केतना बार पेलले बा, बन्द करके घरवा,
लांड भी घुसावे अईसे, अंदर तक जरवा,
केतना चिचयात बानि, ना करे रहमवा,
थप थप मारे जुल्मी, करे बर सितमवा,

अलगे आनंद बा, जब बुर में घुसे लांड,
होई भाई के ते, और मजेदार होई कांड,
जब चोदेले घर में, बनके बिगड़ल सांड,
बुर सूज जाला, फटअता फूलल गांड,

देखे हमके हरदम, अइसन गंदा नज़र से,
की कबहु खुल जाई खुद कपड़वा, डर से,
चाटेला बुर, औ चुसावे अपन कड़ा लांड,
पकड़के झोंटा हमार, चटावे झुलल आंड,

चुदैय्या होई जब दिन-रतिया अइसन रेट से,
होई ना कनियो अचरज, हो जाई हम पेट से,
बानि अभी कुंवारे, कइसे समझाइब ई जग के,
पली पेट में भाई के बच्चा, सुतनि जे लग के,

जब चढ़े उ गोर बदन पर, कके हमके नंगा,
चाभे दुनु चुचिया कसके, बहे बुरिया से गंगा,
चूसे ओठ ललिया, जइसे रहे मीठा पान के बीड़ा,
देहिया में आग लागे, बुले लागतआ बुर में कीड़ा,

दबोचके दुनु हथिया, सूंघे दुनु पसिनायल कखियाँ,
चाट लेवेले जोश में, मताई जाता ओकर अंखिया,
हमार कामुक सिसकारी, हवे जइसे घी में अगिया,
सहलावे हाथ से चिक्कन जांघ, कारि बुर के बगिया,

बुर से चूअता पनिया, जइसे सावन में कोनो झरना,
झंठिया से भरल बुर चाटे, ओकरा होखे तनियो डरना,
जिभवा से चलावे तलवार, गुलाबी बुरिया के बीच में,
मदहोशी में खींच ले तानि केस, एहि खीचम खींच में,

सिसिया सिसियके चुसावतनि बुरिया, कभू निकल जाले चीख हो,
जब मता जा तानि, अंखियन से लांड के माँगत बानि भीख हो,
जब मचले- तरसे बुरिया त, बुझावे ना का गलत का सही हो,
लांड खोजे चुदाई खातिर, जब तलिक संतुष्ट होके ना बही हो,

अइसन में जब घुसावतआ, दहकत बुर में अपन लांड,
अजब सुख मिलतआ, जब गाँड़ से टकरावे झूलत आंड,
आह निकल जाता मुंह से, जब मारे ऊपर से धक्का,
भीतरि तक घुसावेले लांड, जइसे करीहे हमर दु फक्का,

सुपारा जब छुवता बच्चेदानी के, मस्ती चढ़अता खास,
बऔरा जातानि, लागे लांड के रख ली भितरी अपने पास,
जब रगड़ात रहे लौड़ा, बुर के भितरकी गुलाबी दिवार से,
रहनी, मुंह दबाके ताकि अवजिया ना जाई बाहर किवार से,

बुर में भाई के लांड, मुंह से उठत रहुवे सीत्कार,
लांड के थाप जब परत रहुवे, गूँजत रहुवे चित्कार,
जब होत रहुवे अइसन घर में खुला व्यभिचार,
आँखिया बंद हो गइल, देखके अपन हालत लाचार,

“ काहे शरमात बारे, आँखिया खोलके देखअ लांड के,
बुर तोर कइसे फुदकत बारे, लेके अंदर हमार लांड के,
भुलाके सब लाज शरम, खुलके मज़ा ले चुदैय्या के ,
आजु चोदत बानि घरे, काल होई निचवा मरैय्या के,

ऐ दीदी, जब तक ना होई तोहर लगनवा,
हम लांड से बुझाइब तोहर बुर के अगनवा,
चुसि चुसि बड़ हो जाई तहार दुनु चुचिया,
लगहिये अईसे, जइसे हवे तोर दुगो बुचिया,

“ऐ मोर बेशरम भैया, अईसे जे भेजवा हमरा ससुरारि,
देखके शक़ करिहै लोक, जब हिली चुच्ची गाँड़ि बरियारी,
जब रतिया में सैयां हमके चोदे खातिर करीहे कुले नंगा,
देखके साइज हमार, पुछिन्हे केकरा संगे कइले बानि पंगा,

कइसे कहम की, जोवन के सब रस चख लिहले भाई,
दूध त उबल गईल राजा, बाकी खा गईल उ कुल मलाई,
कइसे बताइब, की बुर चोदत रहिले दिन रात मोर भाई,
कभू चोदबैनी बनके कुत्ती, कभू केसिया खींच मोरके कलाई,

“देखल जाई, ई सब हवे कुल बाद के बतिया,
अभी त चोदब जब मिली मौका दिन- रतिया,”
फेनु चालू क दिहिले, उ घमासान पेलम पेलाई
मज़ा लेत रहनी हम, करत रहनी गे माई माई,

पियत रहुवे दूध हमार, लेके मुंह में चुचिया,
बुर के पेलाई चालू रहले, भाई ना ह टुचिया,
अइसन चढ़ल मस्ती, उछले लगुवे मोर कमरिया,
मन होवता अईसे पेलवाई भाई से सारा उमरिया,

चोद चोद के भाई निकाल देले बुर से झरना,
मलाई गिरा दिहले भितरी, बुझाले कोनो डर ना,
हाय दैय्या का कहीं, कइसन बुझात रही ओ घड़ी,
स्वर्ग बुझावेले, जब भाई बहिन एके संगे झड़ी,

भाई के चुमि, कन्हा पर रखनी हम अपन माथा,
सहलात रहनी छाती, याद कइके अभी के गाथा,
सहलात रहले उ हमार चूतड़ मस्त गोल गोल,
चुमत रहले कभू ठोर, गाल, देवत रहे प्रीत अनमोल,

देखके भाई के हिम्मत, हम हो गइनी कायल,
चोदे अपन बड़ बहिनिया, केतना बा पियासल,
हमहू त छिनार बानि, रोकनी ना कभू ई खेला,
बुर चियारनि लांड खातिर, रोज़ होई पेलम पेला,

घरके लईकियन के ईहे बाटे बर मजबूरी,
केकरा संगे भिराई टांका, करि जोरा जोड़ी,
जब घरके मरद से मिल जाई चुदाई के सुख,
भाई पेले माँ-बहिन, बाप चोदके बेटी के हरिहे दुख,

हमार त छोट भाई बन गईल यार,
खुलके दुनु अकेले में करिले प्यार,
रोज़ राते खोलत बानि केवार ओकरा खातिर,
मज़ा आवे होखे नंगे, बुर में लांड घुसाबे खातिर,

- व्यभिचारी
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RE: लेत लेत तोहर लंडवा बूर हो जाई भोंसरवा - by lordkevin89 - 06-03-2023, 08:44 AM



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