17-06-2022, 03:55 PM
मैंने जल्दी से पेटीकोट उठाया… पर कमला ने छीन लिया…
‘अभी और चुद ले… अपने पिया तो परदेस में है… सैंया से ठुकवा ले… अभी उनके आने में बहुत महीने हैं…’
‘मांऽऽऽ… तुम बहुत… बहुत… बहुत अच्छी हो’… प्यार से मैं मां के गले लग गई।
मन में आया कि पिया भले ही परदेस में हो… हम माँ बेटी तो साहिल के जिस्म से अपनी चूत की आग तो शांत ही कर सकती है ना…
साहिल एक बार और मेरे पर चढ़ गया… मैंने भी अपने पांव चौड़ा दिये… उसका कठोर लण्ड एक बार फिर से मेरी नरम नरम चूत को चोदने लग गया, लगा मेरी महीनों की प्यास बुझा देगा।
‘बेटी मैं तो जवानी से ही ऐसे काम चला रही हूँ… खाड़ी के देश गये हैं… इस खड्डे को तो फिर पड़ोसी ही चोदेंगे ना…’
‘मां अब चुप हो जा… चुदने दे ना…’ मुझे उनका बोलना अच्छा नहीं लग रहा था… रफ़्तार तेज हो उठी थी… सिसकियों से कमरा गूंज उठा…
‘अभी और चुद ले… अपने पिया तो परदेस में है… सैंया से ठुकवा ले… अभी उनके आने में बहुत महीने हैं…’
‘मांऽऽऽ… तुम बहुत… बहुत… बहुत अच्छी हो’… प्यार से मैं मां के गले लग गई।
मन में आया कि पिया भले ही परदेस में हो… हम माँ बेटी तो साहिल के जिस्म से अपनी चूत की आग तो शांत ही कर सकती है ना…
साहिल एक बार और मेरे पर चढ़ गया… मैंने भी अपने पांव चौड़ा दिये… उसका कठोर लण्ड एक बार फिर से मेरी नरम नरम चूत को चोदने लग गया, लगा मेरी महीनों की प्यास बुझा देगा।
‘बेटी मैं तो जवानी से ही ऐसे काम चला रही हूँ… खाड़ी के देश गये हैं… इस खड्डे को तो फिर पड़ोसी ही चोदेंगे ना…’
‘मां अब चुप हो जा… चुदने दे ना…’ मुझे उनका बोलना अच्छा नहीं लग रहा था… रफ़्तार तेज हो उठी थी… सिसकियों से कमरा गूंज उठा…
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
