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Adultery ससुराल गेंदा फ़ूल
#10
‘आरती… मेरी बच्ची… मैं हूँ यहाँ… आराम से चुदवा ले…’ कमला ने हम दोनों को ठीक से लेटाया और तौलिए से खून साफ़ किया और मेरी चूत पर क्रीम लगाई… ‘अब ठीक है… चलो शुरु हो जाओ…’ अब साहिल मेरे दोनों पांवो के बीच में आ गया और लण्ड को चूत में उतार दिया… चिकनी चूत में लण्ड मानो फ़िसलता हुआ… आराम से पूरा बैठ गया। मुझे बड़ा सुकून मिला। अब चुदाई बहुत प्यारी लग रही थी।

कमला भी अब मेरे बोबे सहला रही थी। रह रह कर वो साहिल की गाण्ड भी सहला देती थी थी और अपना थूक लगा कर अंगुलि को उसकी गाण्ड में डाल देती थी। इस प्रक्रिया से साहिल बहुत उत्तेजित हो जाता था।

अब कमला ने साहिल की गाण्ड को अंगुली से चोदना चालू कर दिया था। उसके धक्के भी बढ़ गये थे… मेरी चुदाई मन माफ़िक हो रही थी मेरा जिस्म बिजली से भर उठा था… बदन कसावट में आ चुका था, सारी दुनिया मुझे चूत में सिमटती नजर आ रही थी। लगा कि सारी तेजी… सारी बिजलियाँ… सारा खून मेरी चूत के रास्ते बाहर आ जायेगा… और… और…
‘मां री ऽऽऽऽऽ… हाऽऽऽऽय रे… मर गई…’

‘बस… बस… बेटी… हो गया… निकाल दे… झड़ जा…’ कमला प्यार से मेरे उरोजो को सहलाते हुए झड़ने में मदद करने लगी…
‘मम्मी… मैं गई… ईईऽऽऽऽऽऽऽ… आईईईइऽऽऽऽ… मेरे राम जी…’ और मैं जोर से झड़ गई…

‘अरे धीरे चोद ना… देख वो झड़ रही है…’ उसकी चुदाई धीमी हो गई… ऐसे में झड़ना बहुत सुहाना लग रहा था… पर साहिल जोर लगाने की कोशिश कर रहा था।

कमला ने उसकी कमर थाम रखी थी कही वो झटका ना मार दे। मैंने साहिल का लण्ड बाहर निकाल दिया और करवट ले कर लेट गई। कमला ने उसका लण्ड हाथ में भरा और जोर से रगड़ कर मुठ मारा और ‘ओ मां की चुदी… मैं मर गया… हाय निकाल दिया रे भोसड़ी की…’ और पिचकारी छोड़ दी…

‘देख इस मां के लौड़े को… पिचकारी देख…’ मैंने अपना मुख दोनों हाथो से छुपा लिया। वो झड़ता रहा… और एक तरफ़ बैठ गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: ससुराल गेंदा फ़ूल - by neerathemall - 17-06-2022, 03:54 PM



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