09-03-2022, 02:25 PM
विलास को बाथरूम से बाहर आया देख कर सरिता बोली- देवर जी, जाइए आप भी जल्दी से फ्रेश होकर आइए.
मैं भी लंड को छुपाकर बाथरूम चला गया.
पांच मिनट में मैं फ्रेश होकर आ गया.
फिर सरिता ने हम तीनों के लिए चाय परोस दी और हम तीनों सामान्य होकर बातें करते करते चाय पीने लगे.
चाय पीने के बाद विलास पैंट पहनकर तैयार होकर बोला- हर्षद तू आराम कर, मैं जरा बाहर जाकर आता हूँ … गांव में थोड़ा काम है. मैं एक डेढ़ घंटे में आ जाऊंगा. तुम देवर भाभी बातें करते रहो या आराम करो.
ये बोलकर विलास अपनी बाईक की चाबी लेकर चला गया.
मैंने सरिता से पूछा- तुम्हारा दर्द कैसा है अभी?
सरिता बोली- गोली की वजह से पूरा दर्द गायब हो गया है. तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो हर्षद.
भाभी उठती हुई बोली और बिस्तर देख कर कहने लगी- कितना अस्तव्यस्त किया है बेड … ये बेडशीट, तकिए … क्या कोई जंग लड़ी है यहां?
सरिता बेड के पास गयी और झुककर तकिये उठाने लगी. मेरी नजर सरिता की गांड पर जा पड़ी. गाउन के ऊपर से ही गोलमटोल गांड और बीच वाली दरार साफ दिख रही थी.
बहुत ही सेक्सी नजारा था. उसकी कसी हुई पैंटी भी साफ़ नजर आ रही थी.
मेरा लंड फिर से तनाव में आने लगा.
तभी सरिता ने आवाज दी- हर्षद ये क्या है?
सरिता तकिया बाजू में रखकर मेरी ब्रीफ हाथ में लटकाकर मुझे दिखा रही थी.
वो बोली- ये तो तुम्हारी है ना हर्षद?
मैंने उठकर शर्माते हुए कहा- हां सरिता ये मेरी ही है.
मैं ब्रीफ लेने उसके पास गया तो उसने हाथ ऊपर करके कहा- पहले ये बताओ कि तुम नंगे क्यों सोये थे?
तो मैं उसके हाथ से ब्रीफ छीनने लगा.
इसी छीनाझपटी में सरिता पीछे हट कर सरक गयी तो वो बेड पर गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर.
उसने मुझे पकड़ा था इसलिए मैं उसके ऊपर छा गया. मेरे दोनों हाथ उसके चुचों को पकड़े हुए थे और नीचे लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था.
मैं सरिता की चूचियां जोर से गाउन के ऊपर से ही मसल रहा था.
सरिता कसमसाकर बोली- उठो हर्षद … अभी कुछ मत करना. प्लीज … छोड़ दो मुझे. अब जो भी करना है, रात को करना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया तो सरिता भी उठ कर खड़ी हो गयी.
वो मेरी ब्रीफ मुझे देती हुई बोली- अब बताओ नंगे क्यों सोये थे?
मैंने भी कह दिया- तुम्हारे पति ने ही मुझे नंगा किया था. उसे मेरा लंड चूसना था. तुम दोनों ने मेरी नींद हराम कर दी है.
मैंने हंसते हंसते सरिता से कहा और सरिता ने कामुक भरी नजरों से मेरी ओर देखा.
वो मेरा लंड अपने दोनों हाथों से मसलकर बोली- और मेरी नींद तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड ने चुरायी है. जब से इसे देखा है … और सुबह मुझे रगड़कर चोदा है, तब से बार बार मेरी चूत गीली हो जाती है.
मैंने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो!
ऐसे कहते हुए मैंने सरिता का गाउन झट से ऊपर कर दिया और एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाकर देखा.
सच में सरिता की पैंटी गीली हो गयी थी.
सरिता कामुक भरी आवाज में बोली- मैं क्या झूठ बोल रही हूँ हर्षद?
“अरे नहीं सरिता, मुझे भी तुम्हारी याद आते ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगता है.”
मैंने उसे एक हाथ से अपनी ओर खींच लिया तो सरिता के हाथ में पकड़ा हुआ मेरा लंड सीधे जाकर सरिता की चूत पर रगड़ खाने लगा.
सरिता के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां निकलने लगीं. सरिता की पैंटी गीली होने के कारण मेरे लंड का सुपारा पूरा गीला हो गया था.
अब मुझे भी जोश आने लगा था, मैं और नहीं रुक सकता था.
मैंने सरिता की पैंटी अपने दोनों हाथों से घुटने तक नीचे सरका दी तो मेरे लंड का सुपारा चूत की दरार में रगड़ खाने लगा था.
सरिता पूरी तरह से कामुक होकर सिसकारियां ले रही थी और साथ में लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी.
मैं पीछे से सरिता का गाउन ऊपर करके अपने दोनों हाथों से उसकी गांड मसलने लगा था.
साथ ही मैं अपने लंड पर दबाव बढ़ाता रहा.
सरिता कसमसा रही थी.
इतने में मैंने जोर का धक्का मारा, तो मेरा पूरा सुपारा सरिता की चूत की दीवारों को चीरकर अन्दर घुस गया.
इस अचानक हुए हमले से सरिता जोर से चिल्ला पड़ी और वो लंड छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी गांड सहला रहा था.
सरिता की आहें वासना में डूब गयी थीं और उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया था.
उसकी चूत बहुत गर्म हो चुकी थी.
मैं अपने लंड से झटके देने लगा तो वो एकदम जोर जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगी.
लंड की कुछ ही रगड़ों में उसकी चूत ने गर्म लावा छोड़ दिया और अपने रज से मेरे पूरे लंड को नहला दिया था.
सरिता झड़ने के बाद झट से मुझसे अलग हो गयी- अब बस भी करो हर्षद. बहुत बुरा हाल कर दिया तुमने!
उसने अपनी पैंटी निकालकर मेरा लंड अपनी पैंटी से साफ कर दिया और मेरी ब्रीफ से अपनी चूत और जांघें साफ कर दीं.
मैंने सरिता से कहा- अब तुम्हारा तो हो गया, लेकिन मेरे लंड का क्या करोगी?
सरिता बोली- बहुत बदमाश हो तुम हर्षद. तुम्हारे लंड का इलाज मैं आज पूरी रात भर करूंगी.
मैंने कहा- तुम तो अपने पति के साथ सोओगी ना?
मैं भी लंड को छुपाकर बाथरूम चला गया.
पांच मिनट में मैं फ्रेश होकर आ गया.
फिर सरिता ने हम तीनों के लिए चाय परोस दी और हम तीनों सामान्य होकर बातें करते करते चाय पीने लगे.
चाय पीने के बाद विलास पैंट पहनकर तैयार होकर बोला- हर्षद तू आराम कर, मैं जरा बाहर जाकर आता हूँ … गांव में थोड़ा काम है. मैं एक डेढ़ घंटे में आ जाऊंगा. तुम देवर भाभी बातें करते रहो या आराम करो.
ये बोलकर विलास अपनी बाईक की चाबी लेकर चला गया.
मैंने सरिता से पूछा- तुम्हारा दर्द कैसा है अभी?
सरिता बोली- गोली की वजह से पूरा दर्द गायब हो गया है. तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो हर्षद.
भाभी उठती हुई बोली और बिस्तर देख कर कहने लगी- कितना अस्तव्यस्त किया है बेड … ये बेडशीट, तकिए … क्या कोई जंग लड़ी है यहां?
सरिता बेड के पास गयी और झुककर तकिये उठाने लगी. मेरी नजर सरिता की गांड पर जा पड़ी. गाउन के ऊपर से ही गोलमटोल गांड और बीच वाली दरार साफ दिख रही थी.
बहुत ही सेक्सी नजारा था. उसकी कसी हुई पैंटी भी साफ़ नजर आ रही थी.
मेरा लंड फिर से तनाव में आने लगा.
तभी सरिता ने आवाज दी- हर्षद ये क्या है?
सरिता तकिया बाजू में रखकर मेरी ब्रीफ हाथ में लटकाकर मुझे दिखा रही थी.
वो बोली- ये तो तुम्हारी है ना हर्षद?
मैंने उठकर शर्माते हुए कहा- हां सरिता ये मेरी ही है.
मैं ब्रीफ लेने उसके पास गया तो उसने हाथ ऊपर करके कहा- पहले ये बताओ कि तुम नंगे क्यों सोये थे?
तो मैं उसके हाथ से ब्रीफ छीनने लगा.
इसी छीनाझपटी में सरिता पीछे हट कर सरक गयी तो वो बेड पर गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर.
उसने मुझे पकड़ा था इसलिए मैं उसके ऊपर छा गया. मेरे दोनों हाथ उसके चुचों को पकड़े हुए थे और नीचे लंड उसकी चूत पर रगड़ खा रहा था.
मैं सरिता की चूचियां जोर से गाउन के ऊपर से ही मसल रहा था.
सरिता कसमसाकर बोली- उठो हर्षद … अभी कुछ मत करना. प्लीज … छोड़ दो मुझे. अब जो भी करना है, रात को करना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैं उसके ऊपर से उठकर खड़ा हो गया तो सरिता भी उठ कर खड़ी हो गयी.
वो मेरी ब्रीफ मुझे देती हुई बोली- अब बताओ नंगे क्यों सोये थे?
मैंने भी कह दिया- तुम्हारे पति ने ही मुझे नंगा किया था. उसे मेरा लंड चूसना था. तुम दोनों ने मेरी नींद हराम कर दी है.
मैंने हंसते हंसते सरिता से कहा और सरिता ने कामुक भरी नजरों से मेरी ओर देखा.
वो मेरा लंड अपने दोनों हाथों से मसलकर बोली- और मेरी नींद तुम्हारे इस मूसल जैसे लंड ने चुरायी है. जब से इसे देखा है … और सुबह मुझे रगड़कर चोदा है, तब से बार बार मेरी चूत गीली हो जाती है.
मैंने कहा- अच्छा जरा दिखाओ तो!
ऐसे कहते हुए मैंने सरिता का गाउन झट से ऊपर कर दिया और एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाकर देखा.
सच में सरिता की पैंटी गीली हो गयी थी.
सरिता कामुक भरी आवाज में बोली- मैं क्या झूठ बोल रही हूँ हर्षद?
“अरे नहीं सरिता, मुझे भी तुम्हारी याद आते ही मेरा लंड फड़फड़ाने लगता है.”
मैंने उसे एक हाथ से अपनी ओर खींच लिया तो सरिता के हाथ में पकड़ा हुआ मेरा लंड सीधे जाकर सरिता की चूत पर रगड़ खाने लगा.
सरिता के मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां निकलने लगीं. सरिता की पैंटी गीली होने के कारण मेरे लंड का सुपारा पूरा गीला हो गया था.
अब मुझे भी जोश आने लगा था, मैं और नहीं रुक सकता था.
मैंने सरिता की पैंटी अपने दोनों हाथों से घुटने तक नीचे सरका दी तो मेरे लंड का सुपारा चूत की दरार में रगड़ खाने लगा था.
सरिता पूरी तरह से कामुक होकर सिसकारियां ले रही थी और साथ में लंड को अपनी चूत पर रगड़ रही थी.
मैं पीछे से सरिता का गाउन ऊपर करके अपने दोनों हाथों से उसकी गांड मसलने लगा था.
साथ ही मैं अपने लंड पर दबाव बढ़ाता रहा.
सरिता कसमसा रही थी.
इतने में मैंने जोर का धक्का मारा, तो मेरा पूरा सुपारा सरिता की चूत की दीवारों को चीरकर अन्दर घुस गया.
इस अचानक हुए हमले से सरिता जोर से चिल्ला पड़ी और वो लंड छोड़कर अपने दोनों हाथों से मेरी गांड को सहलाने लगी.
मैं भी उसकी गांड सहला रहा था.
सरिता की आहें वासना में डूब गयी थीं और उसने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया था.
उसकी चूत बहुत गर्म हो चुकी थी.
मैं अपने लंड से झटके देने लगा तो वो एकदम जोर जोर से कामुक सिसकारियां लेने लगी.
लंड की कुछ ही रगड़ों में उसकी चूत ने गर्म लावा छोड़ दिया और अपने रज से मेरे पूरे लंड को नहला दिया था.
सरिता झड़ने के बाद झट से मुझसे अलग हो गयी- अब बस भी करो हर्षद. बहुत बुरा हाल कर दिया तुमने!
उसने अपनी पैंटी निकालकर मेरा लंड अपनी पैंटी से साफ कर दिया और मेरी ब्रीफ से अपनी चूत और जांघें साफ कर दीं.
मैंने सरिता से कहा- अब तुम्हारा तो हो गया, लेकिन मेरे लंड का क्या करोगी?
सरिता बोली- बहुत बदमाश हो तुम हर्षद. तुम्हारे लंड का इलाज मैं आज पूरी रात भर करूंगी.
मैंने कहा- तुम तो अपने पति के साथ सोओगी ना?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.


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