09-03-2022, 02:23 PM
मैंने विलास को हिलाकर जगाया और कहा- दरवाजा खोलो जाकर.
विलास उठ गया और मैंने भी अपनी लुँगी लपेट ली, लेकिन तना हुआ लंड नहीं छुपा सकता था.
उधर विलास ने दरवाजा खोला तो भाभी ट्रे में चाय का थर्मस और चाय के कप लेकर अन्दर आयी.
विलास उसे ‘मैं फ्रेश होकर आता हूँ …’ बोलकर बाथरूम में घुस गया.
मैं भी बेड से उठकर खड़ा हो गया था.
सरिता ने ट्रे तिपाई पर रखते हुए पूछा- देवर जी, नींद पूरी हुई क्या?
मैंने अँगड़ाई लेकर कहा- नहीं भाभीजी. आपने डिस्टर्ब कर दिया.
सरिता की नजर मेरी लुँगी में बने हुए तम्बू पर थी. वो बोली- अच्छा देवर जी.
उसने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और मेरे पास आकर मुझे बांहों में भर लिया.
मेरा लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा.
उससे रहा नहीं जा रहा था, वो मेरे कान में बोली- अब देखती हूँ, रात भर कैसे सोते हो तुम?
यह कह कर सरिता मेरे होंठों को चूसने लगी.
मुझे भी बहुत जोश आ गया और उसकी गांड को अपने हाथों से पकड़कर लंड पर दबाव बढ़ाने लगा.
सरिता कसमसा रही थी और जोर से मेरे लंड पर गाउन के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थी.
वो बहुत कामुक हो रही थी.
मैं सरिता की गोलमटोल गांड जोर जोर से दबा रहा था तो वो हल्के से सिसकारियां लेने लगी थी.
इतने में बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आयी तो सरिता अलग होकर कुर्सी में जाकर बैठ गयी. मैं बेड पर बैठ गया.
विलास उठ गया और मैंने भी अपनी लुँगी लपेट ली, लेकिन तना हुआ लंड नहीं छुपा सकता था.
उधर विलास ने दरवाजा खोला तो भाभी ट्रे में चाय का थर्मस और चाय के कप लेकर अन्दर आयी.
विलास उसे ‘मैं फ्रेश होकर आता हूँ …’ बोलकर बाथरूम में घुस गया.
मैं भी बेड से उठकर खड़ा हो गया था.
सरिता ने ट्रे तिपाई पर रखते हुए पूछा- देवर जी, नींद पूरी हुई क्या?
मैंने अँगड़ाई लेकर कहा- नहीं भाभीजी. आपने डिस्टर्ब कर दिया.
सरिता की नजर मेरी लुँगी में बने हुए तम्बू पर थी. वो बोली- अच्छा देवर जी.
उसने बाथरूम के दरवाजे की तरफ देखा और मेरे पास आकर मुझे बांहों में भर लिया.
मेरा लंड उसकी चुत पर रगड़ने लगा.
उससे रहा नहीं जा रहा था, वो मेरे कान में बोली- अब देखती हूँ, रात भर कैसे सोते हो तुम?
यह कह कर सरिता मेरे होंठों को चूसने लगी.
मुझे भी बहुत जोश आ गया और उसकी गांड को अपने हाथों से पकड़कर लंड पर दबाव बढ़ाने लगा.
सरिता कसमसा रही थी और जोर से मेरे लंड पर गाउन के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थी.
वो बहुत कामुक हो रही थी.
मैं सरिता की गोलमटोल गांड जोर जोर से दबा रहा था तो वो हल्के से सिसकारियां लेने लगी थी.
इतने में बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आयी तो सरिता अलग होकर कुर्सी में जाकर बैठ गयी. मैं बेड पर बैठ गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
