09-03-2022, 02:22 PM
मैंने कहा- यार विलास, मैं जब तक यहां हूँ, ये लंड तेरा ही है. जब चाहे चूसते रहना.
विलास बोला- हां हर्षद मैं छोड़ूँगा नहीं … इसे चूस चूस कर और मोटा और लंबा बना दूँगा.
उसने मेरा लंड फिर से मुँह में भर लिया और गपागप चूसने लगा.
वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में गहराई तक ले रहा था.
अब विलास लंड चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से मेरी जांघों को सहलाने लगा तो मैंने दोनों टांगें दोनों बाजू फैला दीं.
मैं बहुत कामुक होता जा रहा था.
वो अपने हाथों से मेरी गांड भी सहला रहा था और मुँह से लंड चूसने का काम भी जारी था.
अब तो वो अपनी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर भी फिराने लगा था, तो मैं कामुकता से सीत्कार उठता था.
मैंने विलास से बोला- अब तुम ऐसे करोगे, तो मैं झड़ जाऊंगा.
विलास बोला- इतना जल्दी मत झड़ना यार … मुझे अभी और मजा लेने दो. आज मुझे तुम्हारे लंड का ढेर सारा अमृत पीना है.
इतना कहकर उसने लंड मुँह से निकाल दिया और सुपारे पर गोल गोल अपनी जीभ घुमाकर नीचे नीचे आने लगा.
फिर एक हाथ से उसने मेरा लंड पकड़ा और हिलाने लगा; मेरा एक अंडकोश मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो बारी बारी से एक गोटी लेकर चूसता और उसे होंठों के बीच दबा कर खींच देता था.
मुझे पहली बार ये सब अनुभव का आनन्द मिल रहा था.
फिर विलास ने अपना मुँह और नीचे लाकर मेरी गांड के छेद को अपने होंठों से किस किया तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी.
विलास अपनी जीभ मेरी गांड के छेद के आजू बाजू गोल गोल घुमाने लगा तो मैं सह नहीं पा रहा था.
मैं पूरी तरह से कामुक होकर अपनी गांड नीचे से उठा रहा था और विलास का सर अपने हाथों से अपनी गांड पर दबा रहा था.
मैंने विलास से कहा- यार बस कर अब … नहीं तो मैं झड़ जाऊंगा.
मगर वो तो मानो पागल हो गया था. उसने मेरा लंड फिर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा मेरा लंड उसके गले की गहराई में जाकर वापस आ रहा था.
दस मिनट धुँआधार लंड चुसाई के बाद आखिर वो पल नजदीक आ गया था.
मैं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था.
मैंने विलास से कहा- आंह विलास, अब मैं झड़ने वाला हूँ आंह अअअह … इह और चूस जोर से आह आंह!
बस मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मारी जो विलास के गले की गहराई तक गयी.
विलास भी जोश में आकर मेरा लंड जोर जोर से चूस रहा था, वो पूरा रस पीता जा रहा था. बल्कि अब तो वो मेरा पूरा लंड अन्दर बाहर करके चूस रहा था.
इस तरह से उसने मेरा पूरा लंड चूसकर निचोड़ लिया था. एक एक बूंद उसने चाटकर, मेरे लंड को पूरा साफ कर दिया था.
हम दोनों ही बहुत खुश हो गए थे. हम दोनों थक गए थे.
मैंने अपने अपने हाथ पांव तानकर लंबे कर दिए और आंखें बंद कर दीं.
मैं ऐसे ही नंगा ही पड़ा रहा और विलास अपना मुँह मेरी जांघों पर रखकर सो गया.
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं नीचे से नंगा था.
विलास बनियान और लुँगी पहने हुए था.
थकावट के कारण मेरी आंखें बंद हो रही थीं … पर नींद नहीं आ रही थी क्योंकि विलास की गर्म गर्म सांसें मेरे लंड को छूकर गर्म कर रही थीं.
अचानक विलास के सर की हलचल हुई और अब विलास का मुँह मेरे लंड के सुपारे के पास आ गया था.
विलास सोया था, लेकिन उसकी गर्म सांसें मेरे लंड को उकसा रही थीं, गर्म कर रही थीं.
इसी वजह से मेरा सोया हुआ लंड फिर से जागने लगा था.
विलास थककर सोया था तो मैं उसे उठा नहीं सकता था और अपने लंड को काबू में ही नहीं रख सकता था.
इसका अंजाम यही हुआ कि मेरे लंड का सुपारा फूलकर विलास के होंठों को फिर से छूने लगा था.
मेरी कामुकता बढ़ रही थी. लंड और जोश में आने लगा था, तो और तन गया.
लंड विलास के होंठों को रगड़ने लगा तो विलास ने अपने होंठों से मेरा सुपारा पकड़ लिया.
मैं अपनी आंखें बंद करके लेटा रहा.
विलास ने अपने होंठों में मेरे लंड को सुपारे को पकड़ा हुआ था, तो मेरा लंड पूरे तनाव में आने लगा था.
इतने में दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी.
आवाज सुनकर तो मुझे पसीने छूटने लगे थे.
विलास बोला- हां हर्षद मैं छोड़ूँगा नहीं … इसे चूस चूस कर और मोटा और लंबा बना दूँगा.
उसने मेरा लंड फिर से मुँह में भर लिया और गपागप चूसने लगा.
वो मेरा पूरा लंड अपने मुँह में गहराई तक ले रहा था.
अब विलास लंड चूसते चूसते अपने दोनों हाथों से मेरी जांघों को सहलाने लगा तो मैंने दोनों टांगें दोनों बाजू फैला दीं.
मैं बहुत कामुक होता जा रहा था.
वो अपने हाथों से मेरी गांड भी सहला रहा था और मुँह से लंड चूसने का काम भी जारी था.
अब तो वो अपनी उंगलियां मेरी गांड के छेद पर भी फिराने लगा था, तो मैं कामुकता से सीत्कार उठता था.
मैंने विलास से बोला- अब तुम ऐसे करोगे, तो मैं झड़ जाऊंगा.
विलास बोला- इतना जल्दी मत झड़ना यार … मुझे अभी और मजा लेने दो. आज मुझे तुम्हारे लंड का ढेर सारा अमृत पीना है.
इतना कहकर उसने लंड मुँह से निकाल दिया और सुपारे पर गोल गोल अपनी जीभ घुमाकर नीचे नीचे आने लगा.
फिर एक हाथ से उसने मेरा लंड पकड़ा और हिलाने लगा; मेरा एक अंडकोश मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो बारी बारी से एक गोटी लेकर चूसता और उसे होंठों के बीच दबा कर खींच देता था.
मुझे पहली बार ये सब अनुभव का आनन्द मिल रहा था.
फिर विलास ने अपना मुँह और नीचे लाकर मेरी गांड के छेद को अपने होंठों से किस किया तो मेरे बदन में बिजली सी दौड़ने लगी थी.
विलास अपनी जीभ मेरी गांड के छेद के आजू बाजू गोल गोल घुमाने लगा तो मैं सह नहीं पा रहा था.
मैं पूरी तरह से कामुक होकर अपनी गांड नीचे से उठा रहा था और विलास का सर अपने हाथों से अपनी गांड पर दबा रहा था.
मैंने विलास से कहा- यार बस कर अब … नहीं तो मैं झड़ जाऊंगा.
मगर वो तो मानो पागल हो गया था. उसने मेरा लंड फिर अपने मुँह में लेकर चूसने लगा मेरा लंड उसके गले की गहराई में जाकर वापस आ रहा था.
दस मिनट धुँआधार लंड चुसाई के बाद आखिर वो पल नजदीक आ गया था.
मैं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया था.
मैंने विलास से कहा- आंह विलास, अब मैं झड़ने वाला हूँ आंह अअअह … इह और चूस जोर से आह आंह!
बस मेरे लंड ने जोर से पिचकारी मारी जो विलास के गले की गहराई तक गयी.
विलास भी जोश में आकर मेरा लंड जोर जोर से चूस रहा था, वो पूरा रस पीता जा रहा था. बल्कि अब तो वो मेरा पूरा लंड अन्दर बाहर करके चूस रहा था.
इस तरह से उसने मेरा पूरा लंड चूसकर निचोड़ लिया था. एक एक बूंद उसने चाटकर, मेरे लंड को पूरा साफ कर दिया था.
हम दोनों ही बहुत खुश हो गए थे. हम दोनों थक गए थे.
मैंने अपने अपने हाथ पांव तानकर लंबे कर दिए और आंखें बंद कर दीं.
मैं ऐसे ही नंगा ही पड़ा रहा और विलास अपना मुँह मेरी जांघों पर रखकर सो गया.
लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मैं नीचे से नंगा था.
विलास बनियान और लुँगी पहने हुए था.
थकावट के कारण मेरी आंखें बंद हो रही थीं … पर नींद नहीं आ रही थी क्योंकि विलास की गर्म गर्म सांसें मेरे लंड को छूकर गर्म कर रही थीं.
अचानक विलास के सर की हलचल हुई और अब विलास का मुँह मेरे लंड के सुपारे के पास आ गया था.
विलास सोया था, लेकिन उसकी गर्म सांसें मेरे लंड को उकसा रही थीं, गर्म कर रही थीं.
इसी वजह से मेरा सोया हुआ लंड फिर से जागने लगा था.
विलास थककर सोया था तो मैं उसे उठा नहीं सकता था और अपने लंड को काबू में ही नहीं रख सकता था.
इसका अंजाम यही हुआ कि मेरे लंड का सुपारा फूलकर विलास के होंठों को फिर से छूने लगा था.
मेरी कामुकता बढ़ रही थी. लंड और जोश में आने लगा था, तो और तन गया.
लंड विलास के होंठों को रगड़ने लगा तो विलास ने अपने होंठों से मेरा सुपारा पकड़ लिया.
मैं अपनी आंखें बंद करके लेटा रहा.
विलास ने अपने होंठों में मेरे लंड को सुपारे को पकड़ा हुआ था, तो मेरा लंड पूरे तनाव में आने लगा था.
इतने में दरवाजा खटखटाने की आवाज आने लगी.
आवाज सुनकर तो मुझे पसीने छूटने लगे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
