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Adultery सरिता भाभी
#2
दोपहर के साढ़े बारह बजे थे. मैंने टीवी चालू किया और बेड पर लेटकर आराम से टीवी देखने लगा.
कुछ देर बाद मैंने अपने मोबाइल से विलास को फोन लगा कर पूछा- यार विलास, तुम कब तक आ रहे हो, मुझे बड़ा बोर लग रहा है यार. तुम जल्दी आ जाओ, हम साथ में खाना खाएंगे.
विलास बोला- हां यार, मैं यहां से निकल चुका हूँ. बस आधा घंटा में पहुंच जाऊंगा.
मैंने टीवी बंद किया और दरवाजा बंद करके नीचे चला गया.
सरिता किचन में खाना बना रही थी.
मैंने सरिता को आवाज दी- भाभी जी, विलास आधा घंटा में पहुंच रहा है. उसके आने के बाद हम सब साथ में खाना खाएंगे.
तो सरिता मेरी तरफ देखकर बोली- देवर जी, क्या आपने उनको फोन लगाया था … आप अकेले बोर हो गए क्या?
सरिता ने हंसते हुए मुझे आंख मारकर कहा तो मैंने भी कहा- हां भाभी जी.
मैंने भी सरिता को हंसते हुए आंख मारी और विलास के पिताजी और मां के साथ बातें करने बैठ गया.
इधर उधर की बातें करते समय कैसे बीत गया, कुछ पता ही नहीं चला.
इतने में विलास भी आ गया. उसने थोड़ी देर हम सभी के साथ बातें की.
तभी सरिता आयी और बोली- खाना तैयार हो गया है.
वो विलास से बोली- आप हाथ पांव धोकर आओ, मैं सबको खाना लगाती हूँ.
विलास फ्रेश होकर आ गया.
हम सब साथ में खाना खाने लगे और साथ में बातें भी करने लगे.
तभी विलास के पिताजी ने पूछा- विलास, अपना काम हो गया क्या?
विलास ने कहा- नहीं पिताजी, कुछ पेपर और जोड़ने पड़ेंगे तो कल फिर जाना पड़ेगा.
मैं और सरिता हम दोनों ही अन्दर से खुश होकर एक दूसरे की ओर देख रहे थे.
सरिता कामुक निगाहों से मेरी ओर देख रही थी.
अब हम सबका खाना खत्म हो गया और हम उठकर आंगन में बैठ गए.
विलास बोला- सॉरी हर्षद, तुमको अकेले बहुत बोरियत हुई होगी ना!
“अरे यार ऐसी बात नहीं है. मैंने भी गांव में जरा इधर उधर घूमकर टाइम पास किया है. मैं तेरी मज़बूरी समझता हूँ.”
बात करते करते हमें तीन बज गए.
मैंने विलास से कहा- मैं ऊपर जाकर आराम करता हूँ.
विलास बोला- ठीक है, मैं पिताजी से बातें करके बाद में आता हूँ.
मैं ऊपर गया और विलास के बेड पर ही लेट गया.
खाना खाने की वजह से आंखों में नींद भर रही थी. मेरी आंखें कब बंद हुईं, कुछ पता ही नहीं चला.
मेरी आंखें तब खुलीं, जब मेरे लंड पर मुझे कुछ दबाव सा महसूस हो रहा था.
मैंने अपनी आंखें हल्की सी खोलकर देखा तो विलास मेरे पास मेरी तरफ मुँह करके सोया था.
मैं पीठ के बल सो रहा था, विलास का एक हाथ मेरे लंड पर था.
विलास ने मेरी लुँगी खोलकर बदन से अलग की हुई थी और उसने मेरी ब्रीफ के ऊपर से ही मेरे लंड पर अपने हाथ से दबाव बनाया हुआ था.
मैं सोने का नाटक करते हुए सब देख रहा था.
मैंने सफेद ब्रीफ पहनी थी तो विलास को लंड का पूरा दीदार हो रहा था.
अब विलास अब मेरे लंड को सहलाने लगा था.
मैं भी पूरा मजा ले रहा था.
मुझे सुबह की सरिता की चुदाई का दृश्य याद आने लगा था.
विलास इस तरह हल्के हल्के से मेरे लंड को सहला रहा था कि मेरे लंड में तनाव आने लगा था.
लंड में गुदगुदी हो रही थी.
अब मैंने भी नींद का दिखावा करते हुए अपनी दोनों टांगें दोनों तरफ फैला दीं.
विलास ऊपर से नीचे तक अपनी उंगलियां चलाने लगा था और बीच में ही लंड को दबा देता था.
इसी वजह से मेरा लंड ब्रीफ में फड़फड़ाने लगा था.
मेरी ब्रीफ का उभार बढ़ने लगा था.
जब विलास से रहा नहीं गया तो उसने नीचे सरक कर मेरे लंड के उभार पर अपने होंठ रख कर किस कर दिया.
वो मेरे सुपारे से लेकर नीचे अंडकोश तक हर जगह लगातार किस करने लगा.
अब तो उसने ब्रीफ के ऊपर से ही मेरे लंड दांतों से हल्के से काट लिया तो मैं कसमसाने लगा और मेरा लंड फुदकने लगा.
मेरे लंड का हाल देखकर विलास मेरी ब्रीफ नीचे खींचने लगा तो मैंने अपनी कमर ऊपर उठा कर उसकी मदद की.
ब्रीफ नीचे खिंचते ही मेरा तना हुआ लंड उछल कर बाहर आ गया और फड़फड़ाने लगा.
विलास ने एक ही झटके में मेरी ब्रीफ निकाल कर तकिए के नीचे रख दी और अपने दोनों हाथों में मेरे लंड को पकड़कर ऊपर नीचे सहलाने लगा.
कुछ पल बाद उसने अपने मुँह से मेरे लंड के सुपारे पर ढेर सारा थूक टपका दिया और सुपारा मुँह में लेकर चूसने लगा.
अब मुझे भी रहा नहीं गया तो मैं अपने हाथों से उसका सर सहलाने लगा और लंड पर उसके सर का दबाव डालने लगा.
विलास भी जोश में आकर लंड अन्दर बाहर करके चूसने लगा.
मेरा पूरा लंड विलास ने अपने थूक से लबालब कर दिया था.
बीच में ही जब उसके मुँह से पचापच की आवाज निकलती थी तो मेरा जोश और बढ़ने लगता था.
मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकलने लगी थीं.
मैंने विलास से कहा- आ हा हा इस्सस हह विलास कितना मस्त चूस रहे हो … आंह बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है … ऐसे ही चूसते रहो.
विलास लंड चूसते हुए बोला- यार, तेरा लंड इतना मोटा और मूसल जैसा है कि छोड़ने का दिल ही नहीं करता. जब तक तू यहां है, तब तक मुझे चूसकर मजे लेने दे … फिर ना जाने फिर तुम कब आओगे.
विलास अब अपने दोनों हाथों से मेरा लंड मसल रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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Messages In This Thread
सरिता भाभी - by neerathemall - 09-03-2022, 02:20 PM
RE: सरिता भाभी - by neerathemall - 09-03-2022, 02:22 PM
RE: सरिता भाभी - by sri7869 - 13-03-2024, 08:18 PM



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