09-03-2019, 02:07 PM
होली की मेरी और कहानियां -
१ होली , जीजा और साली -
https://xossipy.com/thread-5300.html
होली हो और साली न हो, बहुत ना इंसाफी है।
होली हो, साली हो और उसकी चोली न खुले, बहुत ना इंसाफी है।
चोली में हाथ घुसे, और साली की गाली न हो, बहुत ना इंसाफी है।
जीजा और साली की होली, नंदोई और सलहज की होली,
ननद और भाभी की होली।
ससुराल में मची पहली होली का धमाल, एक साली की जुबानी, कैसे खेली जीजा ने होली?
कैसे खोली जीजा ने चोली? और फिर क्या-क्या खुला?
२ , लला फिर अइयो खेलन होरी
https://xossipy.com/thread-5476.html
लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥
______________________________
ये कहानी ' नेह गाथा ' है , गाँव गंवई की एक किशोरी के मन की ,
रोमांटिक ज्यादा इरोटिक थोड़ी कम ,
फागु के भीर अभीरन तें गहि, गोविंदै लै गई भीतर गोरी ।
भाय करी मन की पदमाकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी ॥
छीन पितंबर कंमर तें, सु बिदा दई मोड़ि कपोलन रोरी ।
नैन नचाई, कह्यौ मुसक्याइ, लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥
१ होली , जीजा और साली -
https://xossipy.com/thread-5300.html
होली हो और साली न हो, बहुत ना इंसाफी है।
होली हो, साली हो और उसकी चोली न खुले, बहुत ना इंसाफी है।
चोली में हाथ घुसे, और साली की गाली न हो, बहुत ना इंसाफी है।
जीजा और साली की होली, नंदोई और सलहज की होली,
ननद और भाभी की होली।
ससुराल में मची पहली होली का धमाल, एक साली की जुबानी, कैसे खेली जीजा ने होली?
कैसे खोली जीजा ने चोली? और फिर क्या-क्या खुला?
२ , लला फिर अइयो खेलन होरी
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लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥
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ये कहानी ' नेह गाथा ' है , गाँव गंवई की एक किशोरी के मन की ,
रोमांटिक ज्यादा इरोटिक थोड़ी कम ,
फागु के भीर अभीरन तें गहि, गोविंदै लै गई भीतर गोरी ।
भाय करी मन की पदमाकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी ॥
छीन पितंबर कंमर तें, सु बिदा दई मोड़ि कपोलन रोरी ।
नैन नचाई, कह्यौ मुसक्याइ, लला ! फिर खेलन आइयो होरी ॥