25-07-2020, 09:09 PM
१०)
इंस्पेक्टर रॉय बहुत पास से निरीक्षण कर रहे थे. अपने चौदह वर्ष के सिक्युरिटीिया जीवन में ऐसा केस आज से पहले कभी नहीं देखा उन्होंने. इसलिए सिर्फ़ बाहरी मुआयने से ये पता कर पाना बेहद मुश्किल है की जो वो देख रहे हैं वो एक्चुअली है क्या?
सामने एक मृत देह है.
तो ये स्वाभाविक है की मृत्यु ही हुई है.
पर हुई कैसे?
क्या सीने पर थोड़े सूखे थोड़े गहरे ये तीन खरोंच इसकी मृत्यु के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
इसका बनियान इसके उल्टे दिशा में पैरों के पास पड़ा है.
साधारणतः ऐसा होता नहीं है कि किसी ने बनियान उतारा और उसे पैरों के पास फेंक दिया हो.
अच्छा चलो मान लेते हैं की इसी ने ऐसा किया... पर प्रश्न अभी भी ये रह जाता है कि.....
“सर, कमरे में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला.”
रॉय के आगे और कुछ सोचने से पहले हवलदार श्याम ने उसे अपनी रिपोर्ट दी.
रॉय जरा से पलट कर हवलदार को देखा और एक गम्भीर और दीर्घ ‘ह्म्म्मम्म’ करते हुए दोबारा सामने बिस्तर पर पड़े उस शव को देखने लगा. श्याम भी बगल में आ कर खड़ा हो गया.
“क्या लगता है श्याम.. किसने और कैसे मारा होगा इसे?”
“मेरे को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है सर. दरवाज़े और खिड़की से जबरन अंदर घुसने का कोई प्रमाण नहीं मिला. और ऐसा होना तो इसी बात की ओर संकेत करता है कि अगर कोई आया था तो ये लड़का उसे अवश्य जानता होगा और इसी ने उसे कमरे में आने दिया होगा. पर एक सवाल फ़िर भी रह जाता है.”
“कैसा सवाल?”
“यही की अगर कोई आया ही था तो फ़िर घरवालों को इस बात की कोई खबर क्यों नहीं है? किसी के आने से साफ इंकार कर दे रहे हैं. इनका कहना है की कल उतनी तेज़ बारिश और आँधी में कोई कैसे अपने घर से निकल कर किसी ओर के घर जा सकता है.”
“गुड. वैरी गुड श्याम. नाईस क्वेश्चन. तुमने अपना काम बहुत अच्छे से किया है. रहा सवाल इन घर के सदस्यों का तो अगर वाकई कल कोई आया था और ये बताने से इंकार कर रहे हैं तो निश्चित ही ये लोग झूठ बोल रहे हैं... और यदि ये लोग सच कह रहे हैं तो इसका मतलब ये हुआ की कोई आया तो अवश्य ही था पर शायद किसी दूसरे रास्ते से.”
कहते हुए रॉय कमरे की दो खिड़कियों में से एक की ओर घूम गया और धीरे क़दमों से, सावधानी से चलते हुए उस खिड़की के पास जा खड़ा हुआ और उसके पल्लों / पलड़ों को बहुत गौर से देखने लगा.
तभी श्याम को एक सिपाही आ कर कान में कुछ कहता है जिसे सुनकर श्याम बड़ी तत्परता से रॉय की ओर देखते हुए बोला,
“सर, मेडिकल टीम आ गई.”
रॉय ने अपना रिस्टवाच देखा, अफ़सोस में थोड़ा सिर हिलाया और धीरे से बोला,
“आज फ़िर आधा घंटा लेट.”
खिड़की से हट कर रॉय दोबारा उस शव के पास आ कर खड़ा हो गया और उसके आस पास के चीज़ों को सावधानी से देखने लगा.
पाँच मिनट के अंदर ही मेडिकल टीम कमरे में आ गई. उनके कमरे में दाखिल होते ही रॉय टीम के हेड की ओर मुस्कराते हुए आगे बढ़ा और अपना हाथ आगे करता हुआ बोला,
“आइए आइए, पार्थो दा. आप ही का इंतज़ार हो रहा था.”
“अरे अब मत पूछिए सर. आ तो कब का गया होता... पर सुबह सुबह आँख कमबख्त जल्दी खुलती भी तो नहीं.”
“क्यों दादा, रात में बहुत देर तक काम करते हैं क्या?”
“नहीं... काम होता ही कहाँ है आजकल ज्यादा करने को.”
“तो फ़िर? घर में सब ठीक तो है न?”
“अरे नहीं भाई.. सब कहाँ ठीक है?!”
पार्थो दा बहुत ड्रामेटिक स्टाइल में रोनी सूरत बनाते हुए बोले.
उनकी शक्ल देख कर रॉय तनिक चिंतित होता हुआ पूछा,
“क्या हुआ दादा, ऐसे क्यों बोले रहे हैं..? क्या हुआ घर में? लेट क्यों हुआ आपको??”
रॉय की ओर देखते हुए पार्थो दा एक आँख बंद करते हुए बोले,
“तुम्हारी बोउदी (भाभी) को हर रात चाहिए होता है. वो एक नहीं, तीन तीन बार! क्या करूँ.. विवाहित हूँ न... मना भी तो नहीं कर सकता. दायित्व का निर्वहन करना पड़ता है. इसी कारण देर से सोता हूँ और सुबह देर से आँख खुलती है.”
रॉय तुरंत समझा नहीं. पर जैसे ही समझा; दोनों हो हो कर के हँस पड़े.
आस पास खड़े मेडिकल टीम के दूसरे सदस्य और सिक्युरिटी के सिपाही कुछ समझे तो नहीं कि ये क्यों हँस रहे हैं पर उन्हें इस प्रकार हँसता देख कर वे लोग भी अपनी मुस्कराहट को रोक नहीं सके.
उस समय कमरे में ही उपस्थित घर के दो सदस्यों ने इस प्रकार के इंसेंसिटिव बर्ताव के लिए आपत्ति जताना चाहा पर हवलदार श्याम जल्दी से उनको साइड में ले जा कर बोला,
“देखिए, आप लोग कृप्या शांत रहें. मैं जानता हूँ की आप लोग को इनका ये व्यवहार काफ़ी आपत्तिजनक लग रहा है. विश्वास कीजिए... ये ऐसा आदतन नहीं कर रहे.. दरअसल अधिकतर ऐसे केस पिछले कई महीनों से विभिन्न गाँवों से आ रहे हैं और पिछले तीन महीने से आपके गाँव से आना जारी है... कभी नदी के तट पर तो कभी गाँव में. इस प्रकार हमेशा मृत देह देखना और देख कर स्वयं को संतुलित रख पाना सरल नहीं होता. इसलिए काम के शुरुआत में ही या बीच बीच में कुछेक शब्द ऐसे बोल लेते हैं जिनसे इनका मानसिक स्थिति ठीक रहे और ये सकुशल अपना निर्धारित कार्य कर सकें. आप लोग हमारी परेशानी को भी कृप्या समझने का प्रयास करें. हम सिक्युरिटी वाले आप ही की तरह जीता जागता मानव हैं और आपकी और समाज की सहायता के लिए ही सदैव तत्पर रहते हैं. इसलिए करबद्ध निवेदन है आपसे की कृप्या मामले को गम्भीरता से न लें, शांत रहें और सहयोग करें.”
इतना कह कर हवलदार ने परिवार जनों के सामने हाथ जोड़ा और अपनी स्थिति समझाने का भरसक प्रयास किया. उसका ये प्रयास तत्काल अपना रंग भी दिखाया और सब ने हवलदार की बात को मान लिया.
इधर रॉय और पार्थो दा ने भी जब देखा की उनकी इन हरकतों से दूसरों में रोष हो रहा है तो उन दोनों ने भी जल्दी से अपना अपना पोजीशन सम्भाला और काम करने लगे.
इंस्पेक्टर रॉय की ही तरह पार्थो दा को भी इस शव ने कुछ पलों के लिए विस्मित कर दिया.
रॉय से एक दो सवाल और करने के बाद पार्थो दा अपने कलीग को कुछ निर्देश देने लगे और खुद भी बारीकी से शव का मुआयना करने में जुट गए. तब तक रॉय भी हवलदार श्याम और दूसरे सिपाहियों के साथ जाँच संबंधी दूसरे दिशा निर्देशों को ले कर जानकारी देने लगे.
----
चार दिन बाद,
इंस्पेक्टर रॉय थाने में अपने कमरे में बैठा दूसरे कई फाइलों में खोया हुआ था कि तभी हवलदार श्याम आया,
“सर!”
श्याम को देखते ही रॉय ने तुरंत उसे आने का निर्देश दिया,
“हाँ श्याम, अंदर आओ.”
बड़ी तत्परता से श्याम अंदर आ कर सैल्यूट मार कर सावधान के मुद्रा में खड़ा हुआ. रॉय टेबल पर रखे चाय के ग्लास को उठा कर होंठों से लगाते हुए पूछा,
“कहो श्याम ... क्या रिपोर्ट लाए हो? और सुनो.. प्लीज कोई अच्छी बात सुनाना. ऐसे केस ने सुबह से ही सिर दर्द दे रखा है.”
हाथ में थामे हुए फाइल को रॉय की ओर बढ़ाते हुए श्याम ने कहा,
“कुछ खबर तो है पर अच्छी या बुरी ये नहीं जानता....”
“ओके.. आगे बोलो.” ग्लास को रख फाइल के पन्नो को पलटते हुए रॉय ने कहा.
“सर, पार्थो सर ने ये फाइल देते हुए मुझे आपसे पाँच बातें कहने को कहा था,
पहला, इस लड़के, मतलब की शुभोजीत बनर्जी उर्फ़ शुभो को सडन माइल्ड हार्ट अटैक हुआ था.
दूसरा, इस लड़के को एकाएक खून की कमी हुई थी.. अब ये कमी हार्ट अटैक से ठीक पहले हुई थी या बाद में इस पर पार्थो सर अभी और जाँच करेंगे.
तीसरा, इस बात की पूरी सम्भावना है कि मरने से ठीक पहले ये लड़का सेक्सुअल एक्टिविटी में लिप्त था.
चौथा, उस बिस्तर से एक लम्बा बाल पाया गया है जो लाइट ब्राउन रंग का है और सम्भवतः किसी महिला की है. और ये महिला अंदाजन तीस से चालीस के बीच की आयु की होगी.
और पाँचवा....”
बोलते हुए कुछेक सेकंड्स के लिए हवलदार श्याम रुक गया. लगा जैसे वो खुद पशोपेश में है.
“और पाँचवा क्या श्याम? आगे बोलो.”
उसे बोलते हुए चुप होता देख रॉय की भी उत्सुकता एकाएक बढ़ गई.
“सर, पार्थो सर ने पाँचवीं बात ये कहा है कि आज तक उस गाँव में जितने भी शव बरामद हुए हैं; उन सबके पास से ऐसे ही एक लम्बा बाल पाया गया है और पिछले दो सालों में ये इक्कीसवीं बार है.”
“ओह! ये तो बहुत बुरी बात है. दो साल में इक्कीस शव?! ये तो बहुत चिंतनीय विषय है.... ह्म्म्म.... (कुछ सेकंड्स चुप रहने के बाद).... पर इसी में एक काम की खबर भी है. एक कॉमन बात जो अब तक के सभी शवों के पास से पाया गया है.”
एक विजयी मुस्कान से रॉय श्याम की ओर देखते हुए बोला.
“आप उन लंबे बालों की बात तो नहीं कर रहे हैं सर?” श्याम ने प्रश्न के रूप में अपना मत प्रकट करने का प्रयास किया.
“हाँ.. श्याम. बिल्कुल. मैं इसी कॉमन चीज़ की बात कर रहा हूँ. यही एक ऐसा क्लू बन सकता है हमारे लिए जो अब तक के हुए सभी हत्याओं का......” ख़ुशी से चहकते रॉय का चेहरा एकदम से फक्क पड़ गया.
पैकेट से निकला सिगरेट दोबारा पैकेट में आधा घुस गया.
रॉय की अचानक से ऐसी प्रतिक्रिया को देख कर आश्चर्य करता हुआ श्याम उससे कारण पूछा.
चिंतित रॉय तुरंत कुछ न बोला.
फिर टेबल के नीचे रखे बोतल को उठा कर पानी पीने के बाद एक दीर्घ श्वास लेता हुआ बोला,
“बात वहीँ अटक गई श्याम.”
“कैसे सर?”
उत्सुकता ने श्याम को अधिक देर न करने दिया प्रश्न करने के लिए.
सिग्रेट जलाते हुए रॉय बोला,
“अब मुझे भी याद आ रहा है श्याम, जितने भी लंबे बाल मिलने वाले केस हुए हैं वो सब या तो गाँव में या गाँव से सटे हुए उस जंगल में हुए हैं... और सब के सब पुरुषों के शव थे... लड़कों के थे. उन केसेस को अगर ले लें तो शायद इक्कीस हुए होंगे लेकिन उस नदी का क्या? कुछेक अपवाद छोड़ दें तो वहाँ से तो हमेशा स्त्रियों के ही शव मिलते आए हैं आज तक. उस नदी के दक्षिण दिशा से सम्बन्धित अब तक हुए मृत्यु के कुल योग का क्या? क्या वहाँ के शवों से हमें लंबे बाल मिले हैं? बोलो श्याम.”
श्याम एकदम से चुप हो गया.
इंस्पेक्टर रॉय ने ये बहुत ही अच्छा और पते का प्रश्न किया था. लंबे बाल मिलने की आंशिक सफ़लता की ख़ुशी में हवलदार श्याम खुद इस पॉइंट को भूल गया था कि ये लंबे बालों वाला केस तो सिर्फ़ गाँव और उससे जुड़े जंगल से से हैं. आखिर नदी के दक्षिणी तट से मिलने वाले शवों के दोषी के बारे में भी तो पता लगाना है.
अधिकांश शव उस गाँव की ही किसी महिला या फ़िर कम आयु की अविवाहित लड़कियों की थी और उन सभी शवों पर इतनी बुरी तरह से दुष्कर्म करने के संकेत मिले थे कि कोई भी सभ्य सम्भ्रांत मनुष्य उन शवों को देख कर ही या तो तुरंत दृष्टि फेर ले या उल्टी करना शुरू कर दे.
कुछ देर तक इंस्पेक्टर रॉय और हवलदार श्याम यूँ ही सोचते रहे. जब कुछ समझ में नहीं आया तो रॉय ने ही बात शुरू की,
“गाँव वालों से पूछताछ हुई?”
“जी सर, हुई. गाँव के ही जिष्णु चाय वाला, हरिपद नौका वाला और बिल्टू दूधवाला, इन तीनों का कहना है कि जिस रात शुभो का देहांत हुआ उसी शाम को वो काफ़ी भटका और बहका हुआ सा लग रहा था. उसके बर्ताव से उसके अलावा उसके साथ किसी और के होने का आभास हो रहा था. बिल्टू दूध वाले का कहना है कि वो पहले हरिपद और जिष्णु काका के बीच होने वाले नदी में हुए एक दुर्घटना की बातें सुनता रहा और फिर अचानक से उससे, यानि बिल्टू से रुना भाभी के बारे में पूछने लगा.....”
“एक मिनट... ये रुना भाभी कौन है?”
“सर, रुना भाभी अर्थात् रुना मुखर्जी इसी गाँव में ही रहती हैं और एक शिक्षिका हैं. उनके पति श्री नबीन मुखर्जी पोस्ट ऑफिस में हेड क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं. शिक्षिका होने के कारण उनका बहुत मान - सम्मान है इस गाँव में. गाँव का हर छोटा – बड़ा उनके प्रति आदर व श्रद्धा का भाव रखता है. पहले कॉलेज से लौटने के बाद घर में ही छोटे बच्चों को मुफ्त का पढ़ाती भी थी पर अब घर के काम बढ़ जाने के कारण नहीं पढ़ाती हैं.”
“और ये बिल्टू.... ये तो वही....”
“जी सर, ये उसी तुपी काका का भांजा है. तुपी दूध वाले का. जिनका नौकर, जिसे वे अपना बेटा समान मानते थे; ‘मिथुन’ की मृत्यु हुई थी करीब महीने भर पहले.”
“हम्म....”
रॉय कुछ पल सोचता रहा और फ़िर अपने टेबल के सबसे ऊपर के दराज से एक मोटा सा कॉपी निकाल कर उसके पन्ने पलटने लगा. ये वही कॉपी है जिसमें उस रात शुभो ने कुछ बातें लिखी थीं. बॉडी को मेडिकल टीम के ले जाने के बाद रॉय ने बिस्तर को चेक किया था और गद्दे के नीचे से यह कॉपी बरामद हुई थी.
सात में से तीन पन्नों को पढ़ने के बाद रॉय ने एक लम्बा कश लगा कर सिगरेट ऐशट्रे में डाल कर बुझाया और बड़े गम्भीर और चिंतित मुद्रा में कहा,
“बड़ा पेंच है इस पूरे मामले में. श्याम, एक काम करो, कल ठीक दस बजे... नबीन, रुना, तुपी काका, उनकी बीवी सीमा, भांजा बिल्टू, हरिपद, जिष्णु और शुभो के दोनों दोस्त देबू और कालू को यहाँ हाजिर करो. कल दस बजे का मतलब बिल्कुल दस बजे ही... मुझे ये सब यहाँ चाहिए... इज़ दैट क्लियर?”
पूरी सतर्कता और जोश में श्याम बोला,
“यस सर!”
इंस्पेक्टर रॉय बहुत पास से निरीक्षण कर रहे थे. अपने चौदह वर्ष के सिक्युरिटीिया जीवन में ऐसा केस आज से पहले कभी नहीं देखा उन्होंने. इसलिए सिर्फ़ बाहरी मुआयने से ये पता कर पाना बेहद मुश्किल है की जो वो देख रहे हैं वो एक्चुअली है क्या?
सामने एक मृत देह है.
तो ये स्वाभाविक है की मृत्यु ही हुई है.
पर हुई कैसे?
क्या सीने पर थोड़े सूखे थोड़े गहरे ये तीन खरोंच इसकी मृत्यु के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
इसका बनियान इसके उल्टे दिशा में पैरों के पास पड़ा है.
साधारणतः ऐसा होता नहीं है कि किसी ने बनियान उतारा और उसे पैरों के पास फेंक दिया हो.
अच्छा चलो मान लेते हैं की इसी ने ऐसा किया... पर प्रश्न अभी भी ये रह जाता है कि.....
“सर, कमरे में कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला.”
रॉय के आगे और कुछ सोचने से पहले हवलदार श्याम ने उसे अपनी रिपोर्ट दी.
रॉय जरा से पलट कर हवलदार को देखा और एक गम्भीर और दीर्घ ‘ह्म्म्मम्म’ करते हुए दोबारा सामने बिस्तर पर पड़े उस शव को देखने लगा. श्याम भी बगल में आ कर खड़ा हो गया.
“क्या लगता है श्याम.. किसने और कैसे मारा होगा इसे?”
“मेरे को तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है सर. दरवाज़े और खिड़की से जबरन अंदर घुसने का कोई प्रमाण नहीं मिला. और ऐसा होना तो इसी बात की ओर संकेत करता है कि अगर कोई आया था तो ये लड़का उसे अवश्य जानता होगा और इसी ने उसे कमरे में आने दिया होगा. पर एक सवाल फ़िर भी रह जाता है.”
“कैसा सवाल?”
“यही की अगर कोई आया ही था तो फ़िर घरवालों को इस बात की कोई खबर क्यों नहीं है? किसी के आने से साफ इंकार कर दे रहे हैं. इनका कहना है की कल उतनी तेज़ बारिश और आँधी में कोई कैसे अपने घर से निकल कर किसी ओर के घर जा सकता है.”
“गुड. वैरी गुड श्याम. नाईस क्वेश्चन. तुमने अपना काम बहुत अच्छे से किया है. रहा सवाल इन घर के सदस्यों का तो अगर वाकई कल कोई आया था और ये बताने से इंकार कर रहे हैं तो निश्चित ही ये लोग झूठ बोल रहे हैं... और यदि ये लोग सच कह रहे हैं तो इसका मतलब ये हुआ की कोई आया तो अवश्य ही था पर शायद किसी दूसरे रास्ते से.”
कहते हुए रॉय कमरे की दो खिड़कियों में से एक की ओर घूम गया और धीरे क़दमों से, सावधानी से चलते हुए उस खिड़की के पास जा खड़ा हुआ और उसके पल्लों / पलड़ों को बहुत गौर से देखने लगा.
तभी श्याम को एक सिपाही आ कर कान में कुछ कहता है जिसे सुनकर श्याम बड़ी तत्परता से रॉय की ओर देखते हुए बोला,
“सर, मेडिकल टीम आ गई.”
रॉय ने अपना रिस्टवाच देखा, अफ़सोस में थोड़ा सिर हिलाया और धीरे से बोला,
“आज फ़िर आधा घंटा लेट.”
खिड़की से हट कर रॉय दोबारा उस शव के पास आ कर खड़ा हो गया और उसके आस पास के चीज़ों को सावधानी से देखने लगा.
पाँच मिनट के अंदर ही मेडिकल टीम कमरे में आ गई. उनके कमरे में दाखिल होते ही रॉय टीम के हेड की ओर मुस्कराते हुए आगे बढ़ा और अपना हाथ आगे करता हुआ बोला,
“आइए आइए, पार्थो दा. आप ही का इंतज़ार हो रहा था.”
“अरे अब मत पूछिए सर. आ तो कब का गया होता... पर सुबह सुबह आँख कमबख्त जल्दी खुलती भी तो नहीं.”
“क्यों दादा, रात में बहुत देर तक काम करते हैं क्या?”
“नहीं... काम होता ही कहाँ है आजकल ज्यादा करने को.”
“तो फ़िर? घर में सब ठीक तो है न?”
“अरे नहीं भाई.. सब कहाँ ठीक है?!”
पार्थो दा बहुत ड्रामेटिक स्टाइल में रोनी सूरत बनाते हुए बोले.
उनकी शक्ल देख कर रॉय तनिक चिंतित होता हुआ पूछा,
“क्या हुआ दादा, ऐसे क्यों बोले रहे हैं..? क्या हुआ घर में? लेट क्यों हुआ आपको??”
रॉय की ओर देखते हुए पार्थो दा एक आँख बंद करते हुए बोले,
“तुम्हारी बोउदी (भाभी) को हर रात चाहिए होता है. वो एक नहीं, तीन तीन बार! क्या करूँ.. विवाहित हूँ न... मना भी तो नहीं कर सकता. दायित्व का निर्वहन करना पड़ता है. इसी कारण देर से सोता हूँ और सुबह देर से आँख खुलती है.”
रॉय तुरंत समझा नहीं. पर जैसे ही समझा; दोनों हो हो कर के हँस पड़े.
आस पास खड़े मेडिकल टीम के दूसरे सदस्य और सिक्युरिटी के सिपाही कुछ समझे तो नहीं कि ये क्यों हँस रहे हैं पर उन्हें इस प्रकार हँसता देख कर वे लोग भी अपनी मुस्कराहट को रोक नहीं सके.
उस समय कमरे में ही उपस्थित घर के दो सदस्यों ने इस प्रकार के इंसेंसिटिव बर्ताव के लिए आपत्ति जताना चाहा पर हवलदार श्याम जल्दी से उनको साइड में ले जा कर बोला,
“देखिए, आप लोग कृप्या शांत रहें. मैं जानता हूँ की आप लोग को इनका ये व्यवहार काफ़ी आपत्तिजनक लग रहा है. विश्वास कीजिए... ये ऐसा आदतन नहीं कर रहे.. दरअसल अधिकतर ऐसे केस पिछले कई महीनों से विभिन्न गाँवों से आ रहे हैं और पिछले तीन महीने से आपके गाँव से आना जारी है... कभी नदी के तट पर तो कभी गाँव में. इस प्रकार हमेशा मृत देह देखना और देख कर स्वयं को संतुलित रख पाना सरल नहीं होता. इसलिए काम के शुरुआत में ही या बीच बीच में कुछेक शब्द ऐसे बोल लेते हैं जिनसे इनका मानसिक स्थिति ठीक रहे और ये सकुशल अपना निर्धारित कार्य कर सकें. आप लोग हमारी परेशानी को भी कृप्या समझने का प्रयास करें. हम सिक्युरिटी वाले आप ही की तरह जीता जागता मानव हैं और आपकी और समाज की सहायता के लिए ही सदैव तत्पर रहते हैं. इसलिए करबद्ध निवेदन है आपसे की कृप्या मामले को गम्भीरता से न लें, शांत रहें और सहयोग करें.”
इतना कह कर हवलदार ने परिवार जनों के सामने हाथ जोड़ा और अपनी स्थिति समझाने का भरसक प्रयास किया. उसका ये प्रयास तत्काल अपना रंग भी दिखाया और सब ने हवलदार की बात को मान लिया.
इधर रॉय और पार्थो दा ने भी जब देखा की उनकी इन हरकतों से दूसरों में रोष हो रहा है तो उन दोनों ने भी जल्दी से अपना अपना पोजीशन सम्भाला और काम करने लगे.
इंस्पेक्टर रॉय की ही तरह पार्थो दा को भी इस शव ने कुछ पलों के लिए विस्मित कर दिया.
रॉय से एक दो सवाल और करने के बाद पार्थो दा अपने कलीग को कुछ निर्देश देने लगे और खुद भी बारीकी से शव का मुआयना करने में जुट गए. तब तक रॉय भी हवलदार श्याम और दूसरे सिपाहियों के साथ जाँच संबंधी दूसरे दिशा निर्देशों को ले कर जानकारी देने लगे.
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चार दिन बाद,
इंस्पेक्टर रॉय थाने में अपने कमरे में बैठा दूसरे कई फाइलों में खोया हुआ था कि तभी हवलदार श्याम आया,
“सर!”
श्याम को देखते ही रॉय ने तुरंत उसे आने का निर्देश दिया,
“हाँ श्याम, अंदर आओ.”
बड़ी तत्परता से श्याम अंदर आ कर सैल्यूट मार कर सावधान के मुद्रा में खड़ा हुआ. रॉय टेबल पर रखे चाय के ग्लास को उठा कर होंठों से लगाते हुए पूछा,
“कहो श्याम ... क्या रिपोर्ट लाए हो? और सुनो.. प्लीज कोई अच्छी बात सुनाना. ऐसे केस ने सुबह से ही सिर दर्द दे रखा है.”
हाथ में थामे हुए फाइल को रॉय की ओर बढ़ाते हुए श्याम ने कहा,
“कुछ खबर तो है पर अच्छी या बुरी ये नहीं जानता....”
“ओके.. आगे बोलो.” ग्लास को रख फाइल के पन्नो को पलटते हुए रॉय ने कहा.
“सर, पार्थो सर ने ये फाइल देते हुए मुझे आपसे पाँच बातें कहने को कहा था,
पहला, इस लड़के, मतलब की शुभोजीत बनर्जी उर्फ़ शुभो को सडन माइल्ड हार्ट अटैक हुआ था.
दूसरा, इस लड़के को एकाएक खून की कमी हुई थी.. अब ये कमी हार्ट अटैक से ठीक पहले हुई थी या बाद में इस पर पार्थो सर अभी और जाँच करेंगे.
तीसरा, इस बात की पूरी सम्भावना है कि मरने से ठीक पहले ये लड़का सेक्सुअल एक्टिविटी में लिप्त था.
चौथा, उस बिस्तर से एक लम्बा बाल पाया गया है जो लाइट ब्राउन रंग का है और सम्भवतः किसी महिला की है. और ये महिला अंदाजन तीस से चालीस के बीच की आयु की होगी.
और पाँचवा....”
बोलते हुए कुछेक सेकंड्स के लिए हवलदार श्याम रुक गया. लगा जैसे वो खुद पशोपेश में है.
“और पाँचवा क्या श्याम? आगे बोलो.”
उसे बोलते हुए चुप होता देख रॉय की भी उत्सुकता एकाएक बढ़ गई.
“सर, पार्थो सर ने पाँचवीं बात ये कहा है कि आज तक उस गाँव में जितने भी शव बरामद हुए हैं; उन सबके पास से ऐसे ही एक लम्बा बाल पाया गया है और पिछले दो सालों में ये इक्कीसवीं बार है.”
“ओह! ये तो बहुत बुरी बात है. दो साल में इक्कीस शव?! ये तो बहुत चिंतनीय विषय है.... ह्म्म्म.... (कुछ सेकंड्स चुप रहने के बाद).... पर इसी में एक काम की खबर भी है. एक कॉमन बात जो अब तक के सभी शवों के पास से पाया गया है.”
एक विजयी मुस्कान से रॉय श्याम की ओर देखते हुए बोला.
“आप उन लंबे बालों की बात तो नहीं कर रहे हैं सर?” श्याम ने प्रश्न के रूप में अपना मत प्रकट करने का प्रयास किया.
“हाँ.. श्याम. बिल्कुल. मैं इसी कॉमन चीज़ की बात कर रहा हूँ. यही एक ऐसा क्लू बन सकता है हमारे लिए जो अब तक के हुए सभी हत्याओं का......” ख़ुशी से चहकते रॉय का चेहरा एकदम से फक्क पड़ गया.
पैकेट से निकला सिगरेट दोबारा पैकेट में आधा घुस गया.
रॉय की अचानक से ऐसी प्रतिक्रिया को देख कर आश्चर्य करता हुआ श्याम उससे कारण पूछा.
चिंतित रॉय तुरंत कुछ न बोला.
फिर टेबल के नीचे रखे बोतल को उठा कर पानी पीने के बाद एक दीर्घ श्वास लेता हुआ बोला,
“बात वहीँ अटक गई श्याम.”
“कैसे सर?”
उत्सुकता ने श्याम को अधिक देर न करने दिया प्रश्न करने के लिए.
सिग्रेट जलाते हुए रॉय बोला,
“अब मुझे भी याद आ रहा है श्याम, जितने भी लंबे बाल मिलने वाले केस हुए हैं वो सब या तो गाँव में या गाँव से सटे हुए उस जंगल में हुए हैं... और सब के सब पुरुषों के शव थे... लड़कों के थे. उन केसेस को अगर ले लें तो शायद इक्कीस हुए होंगे लेकिन उस नदी का क्या? कुछेक अपवाद छोड़ दें तो वहाँ से तो हमेशा स्त्रियों के ही शव मिलते आए हैं आज तक. उस नदी के दक्षिण दिशा से सम्बन्धित अब तक हुए मृत्यु के कुल योग का क्या? क्या वहाँ के शवों से हमें लंबे बाल मिले हैं? बोलो श्याम.”
श्याम एकदम से चुप हो गया.
इंस्पेक्टर रॉय ने ये बहुत ही अच्छा और पते का प्रश्न किया था. लंबे बाल मिलने की आंशिक सफ़लता की ख़ुशी में हवलदार श्याम खुद इस पॉइंट को भूल गया था कि ये लंबे बालों वाला केस तो सिर्फ़ गाँव और उससे जुड़े जंगल से से हैं. आखिर नदी के दक्षिणी तट से मिलने वाले शवों के दोषी के बारे में भी तो पता लगाना है.
अधिकांश शव उस गाँव की ही किसी महिला या फ़िर कम आयु की अविवाहित लड़कियों की थी और उन सभी शवों पर इतनी बुरी तरह से दुष्कर्म करने के संकेत मिले थे कि कोई भी सभ्य सम्भ्रांत मनुष्य उन शवों को देख कर ही या तो तुरंत दृष्टि फेर ले या उल्टी करना शुरू कर दे.
कुछ देर तक इंस्पेक्टर रॉय और हवलदार श्याम यूँ ही सोचते रहे. जब कुछ समझ में नहीं आया तो रॉय ने ही बात शुरू की,
“गाँव वालों से पूछताछ हुई?”
“जी सर, हुई. गाँव के ही जिष्णु चाय वाला, हरिपद नौका वाला और बिल्टू दूधवाला, इन तीनों का कहना है कि जिस रात शुभो का देहांत हुआ उसी शाम को वो काफ़ी भटका और बहका हुआ सा लग रहा था. उसके बर्ताव से उसके अलावा उसके साथ किसी और के होने का आभास हो रहा था. बिल्टू दूध वाले का कहना है कि वो पहले हरिपद और जिष्णु काका के बीच होने वाले नदी में हुए एक दुर्घटना की बातें सुनता रहा और फिर अचानक से उससे, यानि बिल्टू से रुना भाभी के बारे में पूछने लगा.....”
“एक मिनट... ये रुना भाभी कौन है?”
“सर, रुना भाभी अर्थात् रुना मुखर्जी इसी गाँव में ही रहती हैं और एक शिक्षिका हैं. उनके पति श्री नबीन मुखर्जी पोस्ट ऑफिस में हेड क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं. शिक्षिका होने के कारण उनका बहुत मान - सम्मान है इस गाँव में. गाँव का हर छोटा – बड़ा उनके प्रति आदर व श्रद्धा का भाव रखता है. पहले कॉलेज से लौटने के बाद घर में ही छोटे बच्चों को मुफ्त का पढ़ाती भी थी पर अब घर के काम बढ़ जाने के कारण नहीं पढ़ाती हैं.”
“और ये बिल्टू.... ये तो वही....”
“जी सर, ये उसी तुपी काका का भांजा है. तुपी दूध वाले का. जिनका नौकर, जिसे वे अपना बेटा समान मानते थे; ‘मिथुन’ की मृत्यु हुई थी करीब महीने भर पहले.”
“हम्म....”
रॉय कुछ पल सोचता रहा और फ़िर अपने टेबल के सबसे ऊपर के दराज से एक मोटा सा कॉपी निकाल कर उसके पन्ने पलटने लगा. ये वही कॉपी है जिसमें उस रात शुभो ने कुछ बातें लिखी थीं. बॉडी को मेडिकल टीम के ले जाने के बाद रॉय ने बिस्तर को चेक किया था और गद्दे के नीचे से यह कॉपी बरामद हुई थी.
सात में से तीन पन्नों को पढ़ने के बाद रॉय ने एक लम्बा कश लगा कर सिगरेट ऐशट्रे में डाल कर बुझाया और बड़े गम्भीर और चिंतित मुद्रा में कहा,
“बड़ा पेंच है इस पूरे मामले में. श्याम, एक काम करो, कल ठीक दस बजे... नबीन, रुना, तुपी काका, उनकी बीवी सीमा, भांजा बिल्टू, हरिपद, जिष्णु और शुभो के दोनों दोस्त देबू और कालू को यहाँ हाजिर करो. कल दस बजे का मतलब बिल्कुल दस बजे ही... मुझे ये सब यहाँ चाहिए... इज़ दैट क्लियर?”
पूरी सतर्कता और जोश में श्याम बोला,
“यस सर!”