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रोहन ने अचानक अपना हाथ बिंदिया की चूचियों से हटाते हुए, उसकी टाँगों को पकड़ लिया, और जोर से धक्के लगाते हुए आह्ह्ह... करते हुये बिंदिया की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा। बिंदिया भी उसका गरम वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही उसके साथ ऊहह... करते हुए झड़ने लगी।
उन दोनों के साथ मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। वो दोनों निढाल होकर एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे। मैं थोड़ी देर वहाँ खड़ी रही और फिर वापस अपने कमरे की तरफ जाने लगी।
मुझे जाते हुए करुणा के कमरे से कुछ अजीब किस्म की आवाज सुनाई देने लगी। मैं उन आवाजों को अच्छे तरीके से जानती थी, क्योंकी मैं एक लड़की थी। मगर करुणा के कमरे से यह आवाजें? मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था। मैं जल्दी से जाकर करुणा के कमरे की खिड़की के पास खड़ी हो गई, और खिड़की को खोलने की कोशिश करने लगी, मगर खिड़की अंदर से बंद थी। मैंने उसे थोड़ा सा धक्का दिया, मगर वो अंदर से बंद थी। मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगी थी। मैं किसी भी तरीके से अंदर देखना चाहती थी। मैं कमरे के दरवाजे के पास गई और कोई छेद ढूँढ़ने की कोशिश करने लगी।
मैंने जैसे ही दरवाजे को हाथ लगाया, वो थोड़ा सा खुल गया। करुणा ने दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया था। मैंने दरवाजा को हल्का धक्का देते हुए उसे आधा खोल दिया। अंदर का नजारा देखकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
करुणा बिल्कुल नंगी बेड पर लेती हुई थी, उसकी 32" इंच साइज की छोटी-छोटी गोरी-गोरी चूचियां और उन चूचियों के छोटे-छोटे गुलाबी निपलों ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रहे थे। करुणा अपनी हल्के भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत को अपने हाथ से बहुत जोर से रगड़ रही थी और उसके मुँह से आअह्ह्ह... की सिसकियां निकल रही थी। करुणा पूरी तरह अपने काम में बिजी सी थी, उसकी आँखें बंद थी। लगता था की वो अपनी मंजिल के बिल्कुल करीब थी।
मैं दरवाजे से अंदर दाखिल हो गई, और दरवाजे को आहिस्ते से बंद करते हुए करते हुए करुणा के बेड के पास सोफे पर बैठ गई। करुणा का गोरा जिम इतने करीब से देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा। करुणा की चूचियां छोटी सी थी, बिल्कुल नींबू जैसी, और उसकी चूत पे हल्के भूरे बाल उगना शुरू ही हुए थे। करुणा की टाँगें फैली हुई थी, जिस वजह से करुणा की छोटी चूत मेरी आँखों के सामने थी। करुणा की चूत का दाना बहुत छोटा था
और नीचे बस एक पतली सी गुलाबी लकीर बनी हुई थी। करुणा अपने नरम हाथों से अपनी गुलाबी चूत को रगड़ रही थी।
करुणा के हाथों की रगड़ से उसकी चूत की लकीर थोड़ा खुलकर बंद हो रही थी। करुणा की चूत हल्का खुलने से उसके अंदर का गुलाबी हिस्सा दिख रहा था। करुणा का बदन अचानक काँपने लगा और वो अपने हाथों से अपनी चूत को बहुत तेजी के साथ रगड़ते हुए “ऊहह.. आह...” करते हुए झड़ने लगी। करुणा का बदन झड़ते हुए झटके खाने लगा और उसकी चूत में से सफेद पानी निकलकर उसके हाथों को गीला करने लगा।
मैं करुणा की कुँवारी चूत का पानी देखकर अपने आपको रोक ना सकी और अपनी जीभ निकालकर करुणा की गुलाबी चूत पर रख दी। करुणा को अपनी चूत पर मेरी जीभ महसूस करते ही उसे जैसे करेंट लगा हो। और वो किसी सपने से वापस आई।
करुणा अपनी आँखें खोलते हुए जल्दी से उठ बैठी और अपना नाइटगाउन उठाकर पहनने लगी। करुणा ने मुझे हैरत से देखते हुए उखड़ती हुई साँसों से कहा- “धन्नो... तुम इतनी रात को यहां क्या कर रही हो?"
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “तुम मेरी फिकर छोड़ो, तुम क्या कर रही थी?”
करुणा ने अपना सिर नीचे झुका लिया और उसका चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया।
मैंने अपने हाथों से करुणा के चहरे को पकड़कर ऊपर उठाया और मुश्कुराते हुए करुणा से कहा- “तुम शर्माती क्यों हो, तुम्हारी उमर में तो हर लड़की ऐसे अपने आपको शांत करती है...” ।
मैंने करुणा का नाइटगाउन उतारकर बेड पर फेंक दिया। करुणा शर्म के मारे अपने एक हाथ से अपनी चूत और दूसरे से अपनी चूचियां छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी। मैंने अपने कपड़े उतारे और बिल्कुल नंगी होकर करुणा के सामने खड़ी हो गई और करुणा को बेड पर धक्का देकर गिरा दिया।
मैं भी बेड पर उसके साथ लेट गई, और उसे कहने लगी- “तुम मुझसे क्या छुपा रही हो, जो तुम्हारे पास है वो मेरे पास भी है...”
करुणा मेरी बात सुनकर मेरी गोल-गोल और बड़ी-बड़ी चूचियों को गौर से देखने लगी। मैंने करुणा को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर उसके हाथों को पकड़कर अपनी चूचियों पर रख दिया। करुणा का पूरा जिश्म कांप रहा था, और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। करुणा की साँसों के साथ उसकी छोटी-छोटी चूचियां भी ऊपर-नीचे हो रही थीं। मैंने अपने हाथ बढ़ाकर उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया। उसकी चूचियां इतनी नरम थी की मेरे हाथों में जैसे कोई फोम का टुकड़ा आ गया हो।
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मेरा हाथ करुणा की चूचियों पर पड़ते ही उसके मुँह से आह्ह्ह... निकल गया। मैं करुणा की चूचियों को हल्काहल्का दबाने लगी। करुणा की आँखें बंद हो गई और वो मजे से सिसकने लगी। मैंने करुणा को गरम होता देखकर उसे सीधा लेटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़कर उसकी चूचियां दबाने लगी। मैंने उसकी चूचियां दबाते हुए अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए।
मेरे होंठ अपने होंठों पर महसूस करते ही करुणा सिहर उठी। उसके होंठों को आज तक किसी ने नहीं छुआ था। वो पागलों की तरह मेरे होंठों को चूमने लगी। मैं उसके नीचे वाले होंठ को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी, उसके होंठों का पूरा रस पीने के बाद मैंने नीचे होते हुए उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया।
अपनी चूची को मेरे मुँह में महसूस करते ही उसके मुँह से “इस्स्स्स ...” की एक सिसकी निकल गई। मैंने करुणा की चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से उसे चूसने लगी।
करुणा ने ओह्ह करते हुए कहा- “दीदी जरा आहिस्ते करो दर्द हो रहा है...”
मैं उसकी चूची को अपने मुँह से निकालते हुए नीचे बढ़ने लगी, मैं जैसे ही उसकी चूत के पास पहुँची, करुणा ने अपनी टाँगें सिकोड़ ली। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसके पेट पर फिराते हुए नीचे ले जाने लगी, मेरी जीभ जैसे ही करुणा की चूत के ऊपर उगे हुए भूरे बालों पर पहुँची, उसने मजे से ओईई.. आह्ह्ह... करते हुए अपनी टाँगों को खोल दिया।
मैं उसकी गुलाबी चूत को देखकर दंग रह गई। मैं अपनी जीभ नीचे ले जाते हुए उसकी चूत के छोटे दाने पर फिराने लगी। करुणा मेरी जीभ अपनी चूत के दाने पर महसूस करते ही छटपटाने लगी। मैं अपनी जीभ को नीचे ले जाते हुए उसकी चूत की लकीर पर फिराने लगी। करुणा की चूत से सफेद-सफेद पानी की बूंदें निकल रही थी, जिन्हें मैं अपनी जीभ से चाट रही थी। करुणा की गुलाबी चूत से निकलता हुआ पानी मुझे बहुत टेस्टी लग रहा था। मैंने करुणा की चूत के होंठों को अपने हाथों से अलग किया, और अपनी जीभ से उसके चूत के होंठों में भरा हुआ पानी चाटने लगी।
करुणा अपने चूतड़ उछाल रही थी और उसके मुँह से बहुत कामुक सिसकियां निकल रही थी। मुझे करुणा की चूत की महक पागल बना रही थी। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत से निकालते हुए अपनी नाक को उसके चूत के होंठों पर रख दिया और अपने हाथों से उसकी चूत के होंठों को फैलाते हुए अपनी साँसें खींचकर उसकी चूत की गंध का आनंद लेने लगी।
मेरी इस हरकत से करुणा का जिश्म झटके खाने लगा। मैंने उसकी दोनों टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ते हुए उन्हें करुणा के पेट पर रख दिया। इस पोजीशन में करुणा की चूत खुलकर ऊपर उठ गई। मैंने अपनी जीभ । निकालकर उसकी चूत की पतली दरार पर फिराते हुए उसकी चूत के होंठों को खोल दिया और अपनी जीभ को कड़ा करते हुए उसकी चूत के गुलाबी छेद को चाटने लगी। करुणा मजे से किसी दूसरे जहाँ में पहुँच चुकी थी। अचानक उसके चूतड़ उछलने लगे, और वो आईई अहह... करते हुए झड़ने लगी।
उसकी चूत से निकलता हुआ पानी मेरे होंठों और मुँह को भिगोने लगा। मैं अपनी जीभ से उसका निकलता हुआ पानी चाटने लगी। कुछ देर झड़ने के बाद वो शांत हो गई और उसकी चूत से पानी निकलना बंद हो गया।
मैं कुछ देर तक करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी चाटती रही और फिर उसके साइड में जाकर लेट गई। कुछ देर बाद करुणा को होश आया और वो अपनी आँखें खोलकर मुझे देखने लगी। करुणा की आँखों में ढेर सारा नशा था, वो मुझे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी। मैंने अपने बाजू को सीधा करते हुए करुणा का सिर उसपर रख दिया और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बाहों में भर लिया। मेरी चूचियां करुणा की चूचियों से टकरा गई और मेरा पूरा शरीर उसकी चूचियों की रगड़ से सिहर उठा।
करुणा मुझे सीधा करते हुए मेरे ऊपर चढ़ गई और अपनी चूचियों को मेरी चूचियों से रगड़ते हुए सिसकने लगी। मैंने करुणा को बालों से पकड़ते हुए उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और उन्हें चूमते हुए अपनी जीभ को करुणा के मुँह में डाल दिया। करुणा मेरी जीभ को अपने होंठों से चूसते हुए अपनी चूचियों को मेरी चूचियों से जोर से रगड़ने लगी। मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया। मेरी टाँगें फैलने से करुणा मेरी दोनों टाँगों के बीच आ गई। उसकी चूत मेरी चूत के ऊपर आ गई।
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मैंने करुणा को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपनी चूत को उसकी चूत पर रगड़ने लगी। करुणा फिर से गरम होने लगी, उसने मेरी जीभ को चाटते हुए अपनी जीभ को मेरे मुँह में डाल दिया जिसे मैं बड़े प्यार से चाटने लगी। करुणा मेरे मुँह से अपनी जीभ निकालते हुए नीचे होने लगी। और मेरी एक चूची को अपने कोमल हाथ से सहलाते हुए मेरी दूसरी चूची को अपने मुँह में ले लिया। करुणा मेरी चूची को बहुत जोर से चूस रही थी, जैसे मेरी चूची में से दूध निकल रहा हो उसके मुँह में जा रहा हो।
मेरे पूरे शरीर में एक अजीब किस्म की सिहरन दौड़ रही थी। करुणा ने मेरी चूची को जी भरकर चूसने के बाद मेरी दूसरी चूची को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसते हुए मेरी पहले वाली चूची को अपने हाथ से सहलाने लगी। मेरा पूरा शरीर मजे से झटपटा रहा था, मेरी चूत में आग लग चुकी थी और उसमें से पानी की बूंदें निकलकर बेड पर गिर रही थी। मैंने करुणा के सिर को पकड़कर अपनी चूची से अलग किया। उसे नीचे करते हुए उसका मुँह अपनी चूत पर रख दिया। करुणा अपना मुँह मेरी चूत पर रखकर उसे चूमने लगी। मैंने अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला दिया।
मैंने सिसकते हुए करुणा से कहा- “आअह्ह्ह... अपनी उंगलियां मेरी चूत में डालो और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत को चूसो..”
करुणा ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डालते हुए अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को चाटने लगी।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे 'आह' की सिसकियां निकल रही थीं। मैंने करुणा को कहा- “उल्टी हो जाओ और अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दो..."
करुणा ने उठकर अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी और नीचे झुकते हुए मेरी चूत में अपनी उंगली डाल दी। मैं अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत के गुलाबी छेद पर फिराते हुए उसे गाण्ड तक चाटने लगी। करुणा मेरी जीभ को अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही छटपटाने लगी और अपनी उंगली को मेरी चूत में जोर से अंदर-बाहर करते हुए अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटने लगी। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी, मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं आअहहह... करते हुए झड़ने लगी। मैंने झड़ते हुए अपनी जीभ को करुणा की चूत के छेद पर जोर से दबा दिया, करुणा मेरी जीभ का दबाव बर्दाश्त ना कर सकी और वो भी मेरे मुँह में पानी भरने लगी।
करुणा ने झड़ते हुए अपनी उंगली मेरी चूत से निकालकर उसे चाटने लगी और फिर से मेरी चूत में उंगली डाल दी। करुणा अपनी जीभ से मेरी चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगी, कुछ देर हम एक दूसरे को चाटते रहे, और फिर हम निढाल होकर एक दूसरे की बाहों में लेट गये। कुछ देर वैसे ही पड़े रहने के बाद मैंने करुणा से कहा- “तुमने कभी किसी लड़के लड़की को चुदाई करते देखा है."
करुणा ने कहा- “नहीं...”
मैंने कहा- “चलो उठो, मैं तुझे आज लाइव चुदाई दिखाती हूँ...” मैंने करुणा को अपने साथ ले जाते हुए उसे बिंदिया के कमरे की खिड़की के पास खड़ा कर दिया।
करुणा अंदर का नजारा देखकर हैरत से अपने मुँह पर हाथ रखते हुए कहा- “धन्नो, यह दीदी और रोहन क्या कर रहे हैं?”
मैं करुणा के पीछे खड़ी थी, मैंने उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहा- “तुम चुप होकर मजा देखो...”
करुणा मेरी बात सुनकर चुप हो गई और अंदर का नजारा देखने लगी।
बिंदिया रोहन के लण्ड को अपने मुँह में लिए चूस रही थी। रोहन का लण्ड अभी तक खड़ा नहीं हुआ था। मैं । समझ गई की यह उन दोनों का तीसरा राउंड है, क्योंकी मैं करुणा के कमरे में भी एक घंटा थी। बिंदिया रोहन का सिकुड़ा हुआ आधा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी और रोहन बेड पर सीधा लेट हुआ सिसक रहा था। बिंदिया के थोड़ी देर चूसने से ही रोहन का लण्ड खड़ा होने लगा और बिंदिया के मुँह को पूरा भर दिया। बिंदिया का मुँह दुखने लगा था, इसीलिए उसने रोहन का लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाल दिया, और अपनी जीभ निकालकर रोहन के लण्ड पर फिराते हुए उसके टोपे के छेद में घुसाने लगी।
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बिंदिया की जीभ अपने लण्ड के छेद में महसूस करते ही रोहन का पूरा जिश्म काँपने लगा और उसका लण्ड ठुमका मारते हुए बिंदिया के होंठों से अलग हो गया। रोहन का लण्ड फनफनाता हुआ तंबू की तरह खड़ा था।
करुणा रोहन का खड़ा लण्ड देखकर तेज साँसें लेते हुए अपनी गाण्ड मेरी चूत से रगड़ने लगी। मैंने उसे थोड़ा झुकाते हुए, अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया और उसे सहलाने लगी। करुणा की चूत अब बहुत गरम हो चुकी थी। करुणा की चूत से थोड़ी-थोड़ी पानी की बूंदें बहकर मेरे हाथ को गीला कर रही थी।
उधर बिंदिया ने रोहन के लण्ड को पूरा खड़ा देखकर, अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर अपनी चूत को रोहन के लण्ड के ऊपर सेट किया और रोहन के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत पर घिसने लगी। बिंदिया के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी और उसकी चूत से पानी की बूंदें निकालकर रोहन के लण्ड को गीला कर रही थी। बिंदिया थोड़ी देर तक अपनी चूत पर रोहन का लण्ड रगड़ने के बाद, उसे अपनी चूत के छेद पर रखते हुए अपना दबाव उसपर डालने लगी। रोहन का लण्ड सरकता हुआ पूरा बिंदिया की चूत में घुस गया।
बिंदिया की चूत में पूरा लण्ड घुसते ही उसके मुँह से 'इअयाया' निकल गया। बिंदिया अपनी चूत रोहन के लण्ड पर पागलों की तरह ऊपर-नीचे उछालने लगी और अपना हाथ रोहन के बालों से भरे सीने पर फिराने लगी।
करुणा अपनी बहन को रोहन के लण्ड पर उछलता हुआ देखकर सिहर उठी और उसका जिम काँपने लगा। मैंने नीचे झुकते हुए करुणा को थोड़ा सा ज्यादा झुका लिया। करुणा की चूत पीछे से बिल्कुल बाहर को निकल आई, मैंने अपनी जीभ को निकालकर करुणा की रस बहाती चूत पर रख दिया। करुणा मेरी जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही मजे से अपनी चूत को मेरी जीभ पर उछालने लगी।
उधर रोहन बिंदिया की हिलती हुई भारी-भारी चूचियों को पकड़कर अपने हाथों से मसलने लगा। बिंदिया सिसकते हुए रोहन के लण्ड पर टोपे तक ऊपर उठती और धम्म के साथ नीचे बैठ जाती। रोहन ने बिंदिया की कमर में हाथ डालकर उसे नीचे झुका लिया, और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। रोहन बिंदिया की चूचियों को चूसते हुए तूफान की रफ़्तार के साथ अपना लण्ड बिंदिया की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।
करुणा रोहन का लण्ड बिंदिया की चूत में अंदर-बाहर होते हुए बड़े गौर से देख रही थी।
बिंदिया के मुँह से अचानक बहुत तेज आहें निकलने लगी, और वो आहें भरते हुए रोहन के लण्ड पर झड़ने लगी।
बिंदिया के आहें सुनकर करुणा की चूत भी मेरी जीभ पर पानी छोड़ने लगी। मैंने करुणा की चूत से निकलता हुआ एक-एक कतरा चाट लिया और सीधा होकर अंदर करुणा की चूचियों को पकड़कर अंदर देखने लगी।
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बिंदिया झड़ने के बाद रोहन के ऊपर ढेर हो गई। रोहन बिंदिया के गुलाबी होंठों को चूमने लगा, और अपने हाथों से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को बहुत जोर से मीसने लगा। रोहन के हाथों से अपनी चूचियों को मसलवाते हुए बिंदिया के मुँह से ‘ओईए... ऊह्ह...' निकल रहा था। बिंदिया फिर से गरम हो गई थी और वो अपने चूतड़ रोहन के लण्ड पर उछालने लगी। रोहन ने बिंदिया के नीचे वाले होंठ को काटते हुए उसकी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।
बिंदिया की चूत गीली होने के कारण रोहन का लण्ड बहुत जोर से उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। रोहन ने बिंदिया को अपने ऊपर से उठाते हुए उसे उल्टा लेटा दिया, और वो बिंदिया के गोरे और भारी चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते हुए, अपना लण्ड पीछे से बिंदिया की चूत में घुसा दिया। रोहन का लण्ड अपनी चूत में पीछे से घुसते ही बिंदिया के मुँह से हल्की चीख ‘ओई माँ निकल गई। रोहन बिंदिया के चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपने लण्ड को बहुत जोर से उसकी चूत में पेलने लगा और अपने हाथों से उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारने लगा। बिंदिया की चूत गीली होने के कारण रोहन के हर धक्के के साथ पूरे कमरे में पच पच की आवाज गूंज रही थी।
रोहन ने अपने हाथों से थप्पड़ मार मारकर बिंदिया के चूतड़ों को लाल कर दिया था। बिंदिया रोहन के हर थप्पड़ के साथ जोर से आहें भरते हुए अपने चूतड़ पीछे रोहन के अंडों पर धकेल रही थी। रोहन अचानक नीचे झुकते हुए अपनी जीभ निकालकर बिंदिया की नंगी पीठ पर फिराने लगा, और अपने हाथ से उसकी चूची को पकड़कर दबाने लगा।
बिंदिया का पूरा शरीर झटके खाने लगा और वो चीखते हुए रोहन से कहने लगी- “आअह्ह... रोहन मैं झड़ने वाली हूँ प्लीज... मेरी चूत को जोर से चोदो...”
रोहन बिंदिया की यह बात सुनते ही सपकपा गया, और वो बिंदिया के चूतड़ों को पकड़ते हुए अपने लण्ड से उसकी चूत में भयानक धक्के मारने लगा। रोहन के धक्के इतने भयानक थे की बिंदिया के मुँह से जोर की चीखें ‘ओई माँ मर गई' निकलने लगी, और वो ‘इस्स्स्स ... ओई अया' करते हुए फिर से झड़ने लगी। बिंदिया झड़ने के बाद निढाल होकर उल्टी ही बेड पर गिर पड़ी। बिंदिया के नीचे गिरने से रोहन का लण्ड पच्च की आवाज के साथ बिंदिया की चूत से निकल गया। रोहन बिंदिया के ऊपर सीधा लेट गया और अपनी जीभ निकालकर बिंदिया के कंधे को चाटने लगा।
रोहन का लण्ड बिंदिया की गाण्ड पर ठुमके मारने लगा। रोहन का लण्ड अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही बिंदिया सिहर उठी और जल्दी से रोहन को अपने ऊपर से परे धकेलते हुए सीधा होकर लेट गई। रोहन बिंदिया के सीधा लेटते ही उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए उन्हें अपने दातों से काटने लगा। बिंदिया के मुँह से ‘ऊह्ह... ओई..' की चीखें निकलने लगी और रोहन के दातों के निशान बिंदिया की चूचियों पर बनने लगे।
रोहन ने नीचे झुकते हुए बिंदिया की टाँगों को ऊपर उठा लिया और अपना फड़कता हुआ लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। रोहन का लण्ड अपनी चूत में पाते ही बिंदिया के मुँह से “आहहह..' निकल गई। और उसने अपनी दोनों टाँगों को रोहन की कमर में लपेट लिया। रोहन अचानक बिंदिया की चूत में बहुत जोर के धक्के मारते हुए हाँफने लगा। रोहन हाँफते हुए बिंदिया की चूत में झड़ने लगा।
बिंदिया रोहन का गरम वीर्य अपनी चूत में गिरते ही अपने नाखून रोहन के चूतड़ों में गाड़ दिए और आह्ह्ह... । करते हुए झड़ने लगी। रोहन कुछ देर तक बिंदिया की चूत में तेज धक्के मारते हुए अपना वीर्य भरता रहा। और फिर वो निढाल होकर बिंदिया के ऊपर गिर पड़ा।
मैंने करुणा की चूचियों को दबाते हुए कहा- “चलो करुणा, खेल खतम हो गया..."
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करुणा जैसे नींद से जाग गई और मेरे साथ चलते हुए अपने कमरे में चली गई। मैं करुणा को उसके कमरे में छोड़कर वापस अपने जाने लगी। मेरी चूत अभी तक शांत नहीं हुई थी और उसमें से पानी की बूंदें निकल रही थी। मैंने अपने कमरे में जाते हुए मोहित के कमरे का दरवाजा चेक किया।
मैं खुशी के मारे उछल पड़ी क्योंकी मोहित के कमरे का दरवाजा अंदर से लाक नहीं था। मेरे हाथ लगाते ही। दरवाजा अपने आप खुल गया। मैंने अंदर पहुँचकर देखा की मोहित गहरी नींद में सीधा लेटा हुआ था और वो सिर्फ एक कच्छा पहने हुए था। अंडरवेर में मोहित का लण्ड बिल्कुल खड़ा था, क्योंकी अंडरवेर के ऊपर बहुत बड़ा उभार बना हुआ था। मैं बेड के ऊपर चढ़कर मोहित के लण्ड को अंडरवेर के ऊपर से हाथ लगाकर सहलाने लगी।
मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन होने लगी, और मैंने टाइम ना गॅवाते हुए मोहित का अंडरवेर नीचे सरका दिया। मोहित का लण्ड अंडरवेर उतारते ही उछलता हुआ मेरे मुँह के करीब आ गया। मोहित का लण्ड नींद में और ज्यादा मोटा हो गया था। मैं मोहित का लण्ड इतने करीब से देखकर अपने आपको रोक नहीं पाई और अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड पर ऊपर से नीचे तक फिराने लगी। मोहित का लण्ड बहुत गरम था। मेरी जीभ का अहसास अपने लण्ड पर होते ही मोहित का लण्ड स्प्रिंग की तरह उछल कूद मचाने लगा।
मैंने अपने एक हाथ से मोहित के लण्ड को पकड़ा और अपना पूरा मुँह खोलकर उसे जितना हो सकता था अपने मुँह में भर लिया। मैं मोहित के लण्ड को कुछ देर तक अपने होंठों से चूसती रही और फिर मैं उसको अपने मुँह से निकालकर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर अपनी चूत पर रगड़ने लगी। मेरी चूत मोहित के लण्ड के रगड़ने से और ज्यादा गीली होकर पानी बहाने लगी। मेरे मुँह से आहे निकलने लगी, और मैं मोहित के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रखते हुए उसपर बैठ गई। मोहित का लण्ड मेरी चूत में अपनी जगह बनाता हुआ जड़ तक घुस गया, । मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘ऊह्ह...' निकल गया। मोहित के सोने की वजह से उसका लण्ड बहुत मोटा हो गया। और मेरी चूत को पूरा भर दिया था।
मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी। उसका लण्ड मेरी चूत में बहुत जोर की रगड़ खा रहा था, और 5-7 बार ही ऊपर-नीचे होते हुए मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैं झड़ते हुए ‘आहहह..' करते हुए अपने चूतड़ मोहित के लण्ड पर बहुत जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी और मेरी चूत को मोहित के लण्ड पर सिकोड़ने लगी।
मोहित भी उठ चुका था, वो हैरत से मेरी तरफ देखते हुए मेरी चूचियों को दबाने लगा। मैं झड़ने के बाद निढाल होकर मोहित के सीने पर लेट गई, मोहित ने मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए उल्टा लेटा दिया। मोहित ने पीछे से अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल दिया, और बहुत जोर के धक्के मारने लगा। मोहित ने मेरी चूत में धक्के मारते हुए अपने एक उंगली को मेरी गाण्ड में डाल दिया।
मैं मोहित की उंगली अपनी गाण्ड में घुसते ही ‘ओईए...' करके उछल पड़ी। मोहित मेरी गाण्ड में अपनी उंगली को बहुत जोर से अंदर-बाहर कर रहा था। मैं अपने दोनों छेदों में लण्ड और उंगली की मिली हुई रगड़ से सिहर उठी और अपने मुँह से ‘आअहहह... आहहह...' करते हुए अपने चूतड़ मोहित के लण्ड पर उछालने लगी। मोहित ने अचानक अपनी उंगली मेरी गाण्ड से निकली और मेरी चूत से अपने लण्ड को निकालकर मेरी गाण्ड में घुसा दिया।
मैं इस हमले के लिए तैयार नहीं थी। इसीलिए मेरे मुँह से एक चीख निकल गई- “ओई माँ मर गई, मेरी गाण्ड फट गई...”
मोहित मेरे चीखने की परवाह ना करते हुए मेरी गाण्ड में जोर-जोर से धक्के मारते हुए मेरी चूत को सहलाने लगा। कुछ ही देर में मेरी गाण्ड का दर्द गायब हो गया और मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ उछालने लगी। मोहित का पूरा जिश्म झटके खाने लगा और वो अपना वीर्य मेरी गाण्ड में भरने लगा। उसके गरम वीर्य को अपनी गाण्ड में महसूस करते ही मेरी चूत भी पानी छोड़ने लगी। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मैं ‘आअह्ह्ह...' करते हुए झड़ने लगी।
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मैंने झड़ते हुए अपनी गाण्ड को सिकोड़ लिया। मेरी गाण्ड सिकोड़ने से मोहित के मुँह से “आह्ह्ह...' निकल गया। और उसका लण्ड मेरी गाण्ड में ठुमके लगाते हुए अपना वीर्य भरने लगा। मोहित कुछ देर तक मेरी गाण्ड में झड़ने के बाद निढाल होकर बेड पर लेट गया, और मैं भी बेड पर ढेर हो गई। मैं कुछ देर बेड पर लेटने के बाद वहाँ से उठकर अपने कमरे में आ गई और बेड पर लेटते ही थकान की वजह से मुझे नींद आ गई।
सुबह सोनाली आँटी की आवाज सुनकर मैं उठी, वो कह रही थी- “धन्नो उठो कालेज नहीं जाना क्या?”
मैं जल्दी से उठकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई, बाथरूम में आकर मैंने अपने पूरे कपड़े उतारे और शावर ओन करके अपने जिश्म को रगड़-रगड़कर साफ करने लगी। मैं अपने जिश्म को साफ करने के बाद ड्रेसिंग टेबल के सामने आकर अपने जिश्म को निहारने लगी। मेरी चूचियों पर लाल निशान पड़ चुके थे, मेरी चूत और गाण्ड भी सूज चुकी थी। मैं जल्दी से कपड़े पहनकर बाहर आ गई और नाश्ता करने के बाद बिंदिया के साथ कालेज के लिए निकल पड़ी।
रास्ते में मैंने बिंदिया से रोहन के बारे में पूछा।
बिंदिया का चेहरा रोहन का नाम सुनकर शर्म के मारे लाल हो गया। बिंदिया ने शर्म के मारे सिर्फ इतना कहारोहन रात को आया था...”
मैंने उस छेड़ते हुए कहा- “बिंदिया, फिर तो रोहन ने तुम्हें सारी रात सोने नहीं दिया होगा...”
बिंदिया ने शर्माकर अपना कंधा नीचे झुका लिया और मुझसे कहा- “तुम बहुत बदमाश हो, चुप हो जाओ मुझे बहुत शर्म आ रही है...”
हम कालेज में पहुँचकर अपने-अपने अपने क्लासेस में चली गई। मेरे क्लास में घुसते ही कृष्णा मेरे साथ आकर बैठ गया और अपना हाथ मेरी गाण्ड पर रख दिया। मैंने कृष्णा का हाथ पकड़कर दूर झटक दिया। और अपने चहरे पर झूठी मुश्कान लाते हुए कहने लगी- “कृष्णा प्लीज... एग्जाम्स नजदीक हैं मुझे पढ़ाई पर ध्यान देने दो...”
कृष्णा समझ गया की मैं उसके चारे में आने वाली नहीं, इसीलिए वो चुपचाप सीधा होकर बैठ गया। आज मेरा मन कालेज में नहीं लग रहा था, इसलिए मैंने दो तीन क्लासेस अटेंड की और कालेज से निकलकर घर जाने लगी। मैं अपने घर पहुँचकर दरवाजा खटखटाने लगी। थोड़ी देर बाद आँटी ने दरवाजा खोला। मैं आँटी को देखकर हैरान रह गई, वो बिल्कुल किसी दुल्हन की तरह तैयार खड़ी थी।
आँटी ने मुझे देखकर हैरान होते हुए पूछा- “धन्नो तुम इतनी जल्दी कैसे आ गई?”
मैंने कहा- “मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसीलिए जल्दी आ गई...”
आँटी ने कहा- “तुम अंदर जाकर आराम करो। मैं पूनम के घर जा रही हूँ..” कहते हुए आँटी घर से निकल गई।
मेरा सिर आँटी के बारे में सोचकर चक्कर खा रहा था। क्योंकी पूनम आँटी एक क्लास टीचर थी और आँटी इस वक्त उसके घर क्या करने गई थी? मेरे दिमाग में अचानक एक आइडिया आया और मैंने आँटी के पीछे पूनम आँटी के घर जाने का फैसला किया।
मैं जानना चाहती थी की आँटी इस वक़्त वहाँ क्या करने गई हैं? और मैं घर को लाक करते हुए पूनम आँटी के घर जाने लगी। मैं पूनम आँटी के घर के पास पहुँचकर अंदर जाने के बारे में सोचने लगी। पूनम आँटी के घर के बाहर एक बड़ा गैलरी वाला गेट लगा हुआ था जो अंदर से बंद था। मैंने अपना हाथ अंदर डालकर गेट को खोल दिया और अंदर जाने लगी। अंदर पहुँचते ही मुझे अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देने लगीं।
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मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ने लगी। आवाज एक कमरे से आ रही थी। मैं जब उस कमरे के करीब पहुँची तो मुझे आँटी के सिसकने की आवाज सुनाई दी। आँटी के सिसकने की आवाज सुनकर मेरी साँसें फूलने लगी और मैं उस कमरे की खिड़की के पास जाकर अंदर देखने लगी। अंदर का नजारा देखकर मेरा मुँह खुला रह गया।
सोनाली आँटी अंदर खड़ी थी और पूनम आँटी का पति कमल सोनाली आँटी को अपनी बाहों में भरकर चूम रहा था। कमल 35 साल का हट्टा कट्टा जवान था, उसका कद कोई 5 फूट 8 इंच था और उसका रंग सांवला था। कमल आँटी के गुलाबी होंठों को अपने मुँह में भरकर बहुत जोर से चूसने लगा। आँटी ने अपने हाथों से कमल की शर्ट उतार दी और अपना मुँह उसके मुँह से अलग करते हुए अपनी जीभ निकालकर कमल के बालों से भरे सीने पर फिराने लगी।
सोनाली आँटी की जीभ अपने सीने पर महसूस करते ही कमल के मुँह से ‘आअह्ह्ह... निकल गई और वो अपने हाथ से आँटी की कमीज उतारने लगा। आँटी ने अपनी बाहों को ऊपर करके कमीज उतारने में कमल की मदद की। आँटी की कमीज उतरते ही कमल उसकी ब्लैक ब्रा में कैद गोरा जिश्म देखकर पगला गया और अपने हाथ आगे बढ़ाकर आँटी की चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा।
सोनाली आँटी कमल का हाथ अपनी चूचियों पर पाते ही उत्तेजना के मारे अपनी जीभ को उसके सीने पर फिराते हुए उसके काले निपल को अपने मुँह में भर लिया और जोर-जोर से उसे चूसने लगी। कमल अपनी निपल को आँटी के मुँह में महसूस करके सिहर उठा। वो आँटी को बालों से पकड़ते हुए ऊपर खड़ा किया और अपना मुँह आँटी की ब्रा के ऊपर बने क्लीवेज पर रख दिया। कमल आँटी की चूचियों का क्लीवेज चाटते हुए अपने हाथ पीछे ले जाते हुए आँटी की गोरी पीठ पर फिराते हुए उसके ब्रा के हुक खोल दिए।
कमल ने अपने हाथों से ब्रा को सोनाली आँटी के जिस्म से अलग कर दिया। कमल आँटी की 40" इंच की बड़ीबड़ी चूचियां देखकर बहुत गरम हो गया, और उसकी बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों से दबाते हुए अपना मुँह उनपर रख दिया। कमल आँटी की बड़ी-बड़ी चूचियों को दीवानों की तरह चूम और चाट रहा था। कमल आँटी की चूचियों को एक-एक करके अपने मुँह में ले रहा था और उन चूचियों के बड़े दाने को अपने मुँह में लेकर चाट रहा था।
सोनाली आँटी के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां- “ऊहह... आअह्ह्ह...” निकल रही थी।
कमल सोनाली आँटी की चूचियों को छोड़कर अपने मुँह से उसके गोरे पेट को चाटते हुए नीचे बढ़ने लगा, कमल का मुँह अपनी सलवार के नाड़े तक पहुँचते ही आँटी के मुँह से 'आह्ह्ह...' निकल गया। कमल आँटी के नाड़े को अपने दातों में फंसाकर खींचने लगा। सलवार का नाड़ा खुलते ही आँटी की सलवार नीचे उसके पैरों में गिर पड़ी और आँटी सिर्फ एक पैंटी में कमल के सामने खड़ी थी। अब कमल अपना मुँह आँटी की पैंटी के ऊपर रखकर उसकी चूत की महक को सँघने लगा।
कमल का मुँह अपनी चूत पर महसूस करते ही आँटी की आँखें बंद हो गई और वो कमल के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबाने लगी। कमल ने अपने दोनों हाथों से आँटी की पैंटी को पकड़ते हुए नीचे सरका दिया और आँटी के चूतड़ों में हाथ डालकर उसकी रस टपकाती गोरी चूत को अपने मुँह के करीब लाकर अपनी नाक से उसकी गंध को सँघने लगा। कमल की आँखें आँटी की चूत की गंध सँघते हुए बंद हो गई।
कमल अपनी नाक से सोनाली आँटी की चूत की गंध सँघते हुए, अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत से निकलते हुए पानी को चाट लिया। कमल की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही आँटी के मुँह से ‘आअह्ह्ह... निकल गई।
कमल ने अपनी जीभ को सोनाली आँटी की चूत के बड़े दाने पे फिराते हुए उसे अपने मुँह में ले लिया और उसे जोर से चूसते हुए एक उंगली को आँटी की चूत में डाल दिया। आँटी अपने चूतड़ों को कमल के मुँह पर रगड़ने लगी। आँटी का पूरा जिश्म झटके खा रहा था और कमल ने अपनी जीभ को आँटी की चूत के दाने को छोड़कर उसकी चूत के होंठों को अलग करते हुए उसके छेद में डाल दी।
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सोनाली आँटी के मुँह से एक बड़ी सिसकी ‘ओईई... अयाया...' निकल गई और वो अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी। कमल ने आँटी की चूत से निकलता हुआ सारा रस चाट लिया, और आँटी से अलग होते हुए अपनी पैंट को उतार दिया।
मैं (धन्नो) कमल के अंडरवेर का उभार देखकर हैरान हो गई और उत्तेजना में मेरा हाथ अपनी चूत पर चला गया।
सोनाली आँटी अपनी आँखें खोलते हुए कमल के अंडरवेर के उभार को देखने लगी और अपना हाथ बढ़ाकर अंडरवेर के ऊपर से ही उसके लण्ड को सहलाने लगी। आँटी का हाथ कमल के लण्ड को छूते ही वो फिर से गरम होने लगी और अपने दोनों हाथों से कमल का अंडरवेर उतार दिया।
कमल का अंडरवेर उतरते ही मेरे मुँह से ‘ओह्ह...' निकल गया।
सोनाली आँटी ने भी कमल का लण्ड देखकर अपने मुँह पर हाथ रख लिया। कमल का काला लण्ड कोई 9” इंच लंबा और 3 इंच मोटा था, और वो किसी काले साँप की तरह फन उठाए आँटी की आँखों के सामने झूम रहा । था। आँटी ने अपना हाथ बढ़ाकर कमल के लण्ड को पकड़ लिया।
सोनाली आँटी का नरम हाथ कमल अपने लण्ड पर महसूस करते ही उसके मुँह से “आहहह... निकल गया। आँटी कमल के लण्ड पे अपना हाथ ऊपर से नीचे तक लेजाकर उसकी लंबाई नापने लगी। आँटी कमल के लण्ड पर अपना हाथ फिराते हुए मजे और उत्तेजना में पूरा काँप रही थी। आँटी ने अचानक अपनी जीभ निकाली और। कमल के काले लण्ड पर ऊपर से नीचे फिराने लगी। कमल आँटी की जीभ को महसूस करके सिहर उठा और मजे से आँखें बंद किए हुए ‘आहहह...' करता हुआ अपना लण्ड चुसवाता रहा।
सोनाली आँटी ने अपनी जीभ कमल के लण्ड के मोटे सुपाड़े पर फिराते हुए उसके छेद पर रख दी और कमल के लण्ड से निकलते हुये वीर्य की बूंदों को चाटने लगी। कमल का उत्तेजना के मारे बुरा हाल था, उसने आँटी के सिर को पकड़ते हुए अपना लण्ड उसके गुलाबी होंठों पर रख दिया। आँटी ने अपने मुँह को खोल दिया। कमल ने आँटी के सिर को पकड़कर एक जोर का धक्का मारा और उसका आधा लण्ड आँटी के मुँह को फैलाता हुआ अंदर घुस गया। आँटी की आँखों से आँसू निकल आए, क्योंकी कमल का लण्ड उसके गले को छू रहा था। कमल आँटी की परवाह ना करते हुए उसके मुँह में हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
सोनाली आँटी भी अपने होंठों से कमल के लण्ड को चाटने लगी। आँटी कमल के लण्ड को अपने मुँह में चूसते हुए उसकी काली और बड़ी-बड़ी गोटियों को अपने हाथ से सहलाने लगी।
कमल मजे से अपनी आँखें बंद किये हुए ‘आहहह...' करते हुए सिसक रहा था। सोनाली आँटी ने अचानक कमल का लण्ड अपने मुँह से निकाल लिया। उसने कमल को अपने हाथों से खींचते हुए बेड पर गिरा दिया और खुद अपनी टाँगें फैलाकर उल्टा होकर उसके मुँह पर बैठ गई। आँटी ने अपनी चूत को कमल के मुँह पर रख दिया। और अपना मुँह खोलकर उसके लण्ड के टोपे को अपने मुँह में भर लिया। आँटी कमल के लण्ड के टोपे को चूसते हुए अपना हाथ उसकी गोटियों पर फिराने लगी और कमल की गोटियां सहलाते हुए अपना हाथ नीचे लेजाकर उसकी गाण्ड पर रख दिया।
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कमल सोनाली आँटी की चूत को चाटने में मस्त था। वो उसका हाथ अपनी गाण्ड पर महसूस करके सिहर उठा
और अपनी जीभ से आँटी के गुलाबी छेद को चाटते हुए अपनी जीभ उसकी गाण्ड तक ले जाने लगा। आँटी कमल की जीभ को अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही सिहर उठी। वो अपने हाथ को कमल की गाण्ड पर फिराते हुए अपनी उंगली से उसकी गाण्ड को कुरेदने लगी। कमल अपनी गाण्ड पर आँटी का हाथ महसूस करते ही कॉप उठा और अपनी जीभ को कड़ा करते हुए आँटी की चूत में घुसा दिया।
उईई... अहह...” सोनाली आँटी अपनी चूत में कमल की जीभ को महसूस करते ही सिसक पड़ी। वो कमल के लण्ड को अपने मुँह में जोर से चूसने लगी और कमल अपनी जीभ को आँटी की गरम चूत में अंदर-बाहर करते हुए अपनी उंगली से आँटी की गाण्ड को कुरेदने लगा।
सोनाली आँटी इस दोहरे हमले को बर्दाश्त ना कर सकी। आँटी कमल के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए उसके मुँह पर सीधा बैठ गई। कमल की पूरी जीभ आँटी के चूत में थी। सोनाली का जिश्म अकड़ते हुए झटके खाने लगा, और वो मजे से अपनी आँखें बंद करके आह्ह्ह..” ओहह... करते हुए कमल की जीभ पर झड़ने लगी। आँटी की चूत से निकलते हुए पानी से कमल का पूरा मुँह गीला हो गया।
कमल ने अपनी जीभ से सोनाली के पानी को जितना हो सकता था चाट लिया और आँटी को अपने ऊपर से हटाते हुए बेड पर लेटा दिया। आँटी ने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली, उसकी साँसें अभी तक तेज चल रही थी। आँटी ने कमल की तरफ देखा उसके मुँह पर अब भी आँटी का रस लगा हुआ था और वो सीधा बेड पर लेटा हुआ था। आँटी उठते हुए अपनी दोनों टाँगें फैलाकर कमल के पेट पर बैठ गई और नीचे झुकते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह पर लगा हुआ अपनी चूत का पानी चाटने लगी।
सोनाली आँटी ने कमल का पूरा चेहरा साफ करने के बाद अपनी जीभ को उसके होंठों पर रख दिया, कमल ने अपना मुँह खोलकर आँटी की जीभ को पकड़ लिया और उसे चूसने लगा। कमल का लण्ड पूरा तना हुआ आँटी की गाण्ड को पीछे से छू रहा था। कमल ने अपने हाथों से आँटी की बड़ी-बड़ी चूचियों को पकड़ लिया और आँटी को अपने ऊपर से नीचे गिराते हुए खुद उसके ऊपर चढ़ गया। कमल ने आँटी के ऊपर चढ़ते हुए उसकी चूचियों को दबोच लिया और उन्हें बहुत जोर से अपने हाथों में भरकर दबाने लगा।
कमल सोनाली आँटी की चूचियों को इतने जोर से मसल रहा था की ‘ओईईई... माँ... आँटी के मुँह से चीख निकल गई।
कमल ने आँटी की चीख की परवाह ना करते हुए उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे बहुत जोर दबाते हुए चूसने लगा। कमल कुछ देर तक आँटी की चूचियों का रस पीता रहा। उसका लण्ड आँटी के पेट पर बहुत जोर से रगड़ खा रहा था। कमल ने अपने लण्ड को आँटी की दोनों चूचियों के बीच रखा और उसकी दोनों चूचियों को अपने हाथों से पकड़ते हुए अपने लण्ड को उसके बीच आगे-पीछे करने लगा। कमल का लण्ड आँटी की बड़ी-बड़ी चूचियों से होता हुआ उसके होंठों को छू रहा था और आँटी अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड पर फिरा रही थी।
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कमल ने अपना लण्ड सोनाली आँटी की चूचियों में से निकालकर खुद उसके ऊपर से उठ गया और वो आँटी की टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़कर उसकी टाँगें उसके पेट पर रख दी। कमल ने एक तकिया आँटी के चूतड़ों के नीचे रख दिया। आँटी की चूत अब उठकर बाहर निकल आई थी। कमल अपने काले लण्ड को आँटी की गोरी चूत पे रगड़ने लगा। आँटी के मुँह से आहे निकलने लगी और वो अपने चूतड़ों को कमल के लण्ड पर उछालने लगी। आँटी की चूत में से पानी की बूंदें निकलकर कमल के लण्ड को गीला करने लगी। कमल ने अपने हाथों से आँटी की चूत के मोटे होंठों को आपस में से अलग किया और अपना लण्ड उसके गुलाबी छेद पर रखकर एक जोर का धक्का मारा।
ऊओह..” सोनाली आँटी के मुँह से एक हल्की चीख निकल गई।
कमल का मोटा लण्ड सोनाली आँटी की चूत को पूरा फैलाता हुआ आधा उसकी चूत में चला गया। कमल अपने लण्ड को आँटी की गरम और गीली चूत में से बाहर खींचते हुए एक और जोर का धक्का मार दिया।
ऊईई... माँ.. फट गई, निकालो तुम्हारा बहुत मोटा है.” सोनाली आँटी के मुँह से एक जोर की चीख निकल गई। कमल का लण्ड सोनाली आँटी की चूत को चीरता हुआ पूरा जड़ तक घुस गया।
सोनाली आँटी की चीख सुनकर मैं (धन्नो) बहुत गर्म हो गई और अपनी सलवार उतारकर अपनी कच्छी को नीचे सरकाते हुए अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल दी।
कमल आँटी की चीखों की कोई परवाह ना करते हुए अपना लण्ड बाहर खींचकर फिर से अंदर पेलने लगा। कमल के 4-5 धक्कों के बाद ही आँटी के मुँह से चीखों के बदले आहें निकलने लगी और वो अपने चूतड़ उछाल-उछाल कर कमल से चुदवाने लगी। कमल अपना पूरा लण्ड खींचकर जोर के धक्के के साथ आँटी की चूत में जड़ तक घुसा रहा था। कमल का लण्ड अपनी चूत में जड़ तक घुसते ही आँटी के मुँह से ‘अहह...' निकल रहा था।
सोनाली आँटी की अचानक साँसें फूलने लगी और उसका पूरा बदन अकड़ते हुए काँपने लगा। वो चिल्लाकर कमल को कहने लगी- “हाँ ऐसे ही अपने मोटे लण्ड से मेरी चूत को फाड़ो, ओहह... तुम्हारा लण्ड मुझे अपने पेट में महसूस हो रहा है आअह्ह्ह.. मैं झड़ने वाली हूँ, जोर से चोदो, मेरी चूत को फाड़ दो...”
सोनाली आँटी की चीखें सुनकर कमल उत्तेजित हो गया और वो अपना लण्ड आँटी की चूत से निकालकर फिर से अंदर घुसाने लगा।
“आहहह...” करते हुए आँटी झड़ने लगी और अपनी आँखें बंद कर ली।
सोनाली आँटी को झड़ता हुआ देखकर कमल उसकी चूत में जोरदार धक्के मारने लगा। आँटी ने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली। कमल ने नीचे झुकते हुए आँटी की चूचियों को अपने मुँह में ले लिया और नीचे से धक्के लगाने लगा। आँटी कुछ देर में ही फिर से गरम होने लगी, वो नीचे से अपने चूतड़ उछालने लगी। कमल ने आँटी की चूचियों को छोड़ते हुए उसकी टाँगों को जोर से पकड़ लिया और आँटी की चूत में बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। आँटी की चूत गीली होने के कारण पूरे कमरे में पच-पच की आवाज गूंजने लगी।
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कमल ने आँटी को छेड़ते हुए कहा- “तुम्हारी चूत में से यह पच-पच की आवाज क्यों निकल रही है?”
सोनाली आँटी ने कहा- “तुम्हारे काले मूसल ने मेरी चूत को फाड़ दिया है, इसीलिए यह आवाज निकल रही है...”
सोनाली आँटी की बात सुनकर कमल जोश में आ गया और पूरे जोर और तेजी के साथ आँटी की चूत को चोदते हुए हाँफने लगा- “आअह्ह्ह... तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, लगता ही नहीं की तुम दो बच्चों की माँ हो... आह्ह्ह... ओहह...” करते हुए वो आँटी की चूत को अपने वीर्य से भरने लगा।
सोनाली आँटी ने कमल का गर्म वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही अपनी चूत को सिकोड़ लिया और आअह्हह... करते हुए झड़ने लगी। आँटी ने झड़ते हुए अपनी आँखें बंद कर ली।
मेरी (धन्नो) चूत ने भी पानी छोड़ दिया और मेरा हाथ गीला हो गया।
कमल के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य निकलता रहा, क्योंकी सोनाली आँटी की चूत से वीर्य निकलकर बेड पर गिर रहा था। कमल के लण्ड का झड़ना बंद होते ही उसने अपना लण्ड आँटी की चूत से निकालकर साइड में ढेर हो गया, और आँटी की चूत का मुँह खुला का खुला रह गया। उसमें से कमल का भरा हुआ वीर्य निकलकर बेड पर गिरने लगा।
मैंने अपने कपड़ों को ठीक किया और घर वापस जाने लगी। घर पहुँचकर मैं अपने कमरे में जाकर लेट गई। मेरी आँखों के सामने कमल का लण्ड झूम रहा था। मैंने सोने की बहुत कोशिश की, मगर नींद मेरी आँखों से कोसों दूर चली गई थी। मेरे दिमाग में सिर्फ कमल का लण्ड पाने की चाह हो रही थी। मगर यह कैसे हो सकता था? यही सोचते-सोचते मेरा दिमाग फट रहा था और मेरा पूरा शरीर तप कर आग बन चुका था।
अचानक घर का दरवाजा खुला और आँटी अंदर दाखिल हुई। आँटी अंदर आते ही मेरे कमरे में आई और मुझसे कहा- “मैं बाजार जा रही हूँ थोड़ा सा काम है, सब्ज़ी वाला आने वाला होगा तुम उससे सब्ज़ी खरीद लेना...”
मैंने आँटी से कहा- “आप चली जाओ, मैं सब्ज़ी ले लूंगी...”
आँटी ने अपने कमरे में जाकर अलमारी से कुछ पैसे निकले और घर से निकल गई। आँटी के घर से जाने के कुछ ही देर बाद दरवाजा खटकने की आवाज आई। मैंने जाकर दरवाजा खोला तो सब्ज़ी वाला सामने खड़ा था, और उसके हाथ में सब्ज़ी का एक थैला था। मेरे दरवाजा खोलते ही वो मुझे गौर से देखने लगा।
मैंने उससे कहा- “आँटी बाहर गई हैं, सब्ज़ी मुझे दे दो...”
मेरी बात सुनकर वो जैसे सपने में से वापस आया और मुझे थैला देते हुए कहा- “मेमसाहब बहुत गर्मी है पानी का एक ग्लास मिलेगा..."
मैं उससे थैला लेते हुए फ्रिज़ से पानी की बोतल लेने चली गई। मैं जैसे ही पानी लेकर वापस लौटी, वो अंदर दाखिल हो चुका था और सोफे पर बैठा हुआ था। मैं उसके पास जाकर नीचे झुकते हुए ग्लास को उसके सामने वाली टेबल पर रख दिया और बोतल में से पानी उस ग्लास में डालने लगी। ग्लास में पानी भरकर मैंने उसकी तरफ बढ़ाया।
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मैं उसकी तरफ देखकर सिहर उठी क्योंकी वो मेरी चूचियों को बड़े गौर से देख रहा था। मैं सलवार और कमीज । में थी और मैंने दुपट्टा भी नहीं ओढ़ा हुआ था। मुझसे उसने पानी का ग्लास लेते हुए अपना पूरा हाथ मेरे हाथों पर रगड़ दिया। उसके हाथ के स्पर्श से मेरा पूरा शरीर सिहर उठा। मैं जल्दी से उसे पानी का ग्लास देते हुए दूसरे सोफे पर जाकर बैठ गई। मैं सोफे पर बैठकर उसकी तरफ देखने लगी। वो कोई 30 साल और 5% फूट का एक गाँव का आदमी था। वो सिर्फ एक धोती और कमीज में था और उसका रंग गोरा था। वो आदमी अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर बैठा हुआ था।
मेरी नजर उसकी टाँगों के बीच पड़ते ही मेरा शरीर काँपने लगा और मेरी आँखें वहीं पर जम गई। उस आदमी की दोनों टाँगें खुली होने की वजह से उसकी धोती में से उसका आधा सिकुड़ा हुआ काला लण्ड और उनके नीचे लटकती हुई उसकी दो बड़ी-बड़ी गोटियां मेरे आँखों के सामने थी, उसका सिकुड़ा हुआ लण्ड भी बहुत लंबा और मोटा था। वो आदमी पानी पीने के बाद मेरी तरफ देखने लगा और मुझे अपनी धोती की तरफ देखते हुए देखकर मुश्कुराने लगा।
मैं उसको मुश्कुराता हुआ देखकर शर्म से लाल हो गई और अपनी नजरों को वहाँ से हटा लिया।
सब्ज़ी वाले ने कहा- “मेमसाहब मेरा नाम सुरेश है और मुझे प्यार से सभी सोनू बुलाते हैं और मैं डेली सब्ज़ी लेकर आता हूँ, डेली बड़ी वाली मेमसाहब मुझसे सब्ज़ी लेती हैं, वो आज नजर नहीं आ रही...”
मैंने उससे कहा- “सोनू वो बाजार से सामान खरीदने गई हैं.”
सोनू मेरी तरफ बड़े गौर से देख रहा था।
मैंने उससे कहा- “इतनी गौर से क्या देख रहे हो, कभी लड़की नहीं देखी क्या?”
वो बड़ी बेशर्मी से बोला- “लड़कियां तो बहुत देखी हैं मगर माँ कसम आप जैसी गोरी और चिकनी आज तक नहीं देखी...”
मैं उसकी बात सुनकर सिहर उठी और उसकी हिम्मत की दाद देने लगी, और कहा- “तुम यह क्या बक रहे हो? दफा हो जाओ यहाँ से...”
सोनू मेरा गुसा देखकर सहम गया और भागता हुआ मेरे पैरों में गिर गया। सोनू मेरे पैरों को पकड़कर गिड़गिड़ा रहा था- “मेमसाहब मुझसे गलती हो गई, मेरी शिकायत बड़ी मेमसाहब से मत करना...”
मुझको उसपर रहम आ गया और मैं नीचे झुकते हुए उसे ऊपर उठाने लगी। मेरे नीचे झुकते ही मेरी कमीज के गले में से मेरी चूचियां सोनू की आँखों के सामने लटकने लगीं। सोनू मेरी चूचियों को घूरता हुआ ऊपर उठा और अपने दोनों हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया। मैं उसकी इस हरकत से सपकपा गई और मेरे जिश्म की हवस मेरे दिमाग पर हावी होने लगी।
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सोनू का हाथ अपने चूचियों पर पड़ते ही मेरे मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। सोनू मेरे मुँह से आह्ह्ह... सुनकर मेरी चूचियों को कमीज के ऊपर से ही बहुत जोर-जोर से दबाने लगा और अपना मुँह मेरे गुलाबी होंठों पर रख दिया। मैं कब से जिश्म की आग में तड़प रही थी, इसलिए मैं सोनू के होंठ अपने होंठों पर पड़ते ही मेरा पूरा शरीर काँप उठा और मैं पागलों की तरह उसके होंठों को चूमने लगी।
सोनू ने मेरे होंठों को पूरा अपने मुँह में भर लिया और उन्हें चूसने लगा। मेरे होंठ चूसते हुए सोनू का लण्ड उसकी धोती में तनकर मेरी चूत से टकराने लगा। मैंने अपना हाथ नीचे ले जाते हुए सोनू की धोती के ऊपर से ही उसके फनफनाते हुए लण्ड को पकड़ लिया। उसका लण्ड मेरे हाथों में आते ही मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे सिहर उठा, क्योंकी उसका लण्ड बहुत मोटा और लंबा था। मैंने उसके लण्ड को अपने हाथों से आगे-पीछे करते हुए अपनी जीभ को उसके मुँह में डाल दिया।
सोनू ने मेरी जीभ को पकड़ लिया और बहुत जोर से उसे चाटने लगा। सोनू मेरी जीभ को कुछ देर चाटने के बाद मुझे अपनी बाहों में उठाकर कमरे में ले जाने लगा।
मैंने सोनू से कहा- “दरवाजा बंद कर लो, कोई आ गया तो अनर्थ हो जायगा...”
सोनू ने मुझे नीचे सोफे पर लिटा दिया और खुद जाकर दरवाजे को लाक कर दिया। सोनू ने वापस आते ही मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और मुझसे पूछा- “मेमसाहब तुम्हारा कमरा कौन सा है?”
मैंने उसे इशारे से अपना कमरा दिखा दिया। वो मुझे बाहों में ही उठाए हुए मेरे कमरे में ले आया और मुझे बेड पर लेटाते हुए अपना कुर्ता और धोती को निकल दिया। सोनू बिल्कुल नंगा मेरे सामने था, उसकी बाडी बिल्कुल कसी हुई थी, उसका पूरा सीना बालों से भरा हुआ था और उसका पूरा शरीर गोरा होने के बावजूद उसका लण्ड बिल्कुल काला था। सोनू का लण्ड पूरा तनकर ऊपर-नीचे उछल-कूद कर रहा था। उसके लण्ड का साइज देखकर मेरी चूत में सनसनाहट होने लगी क्योंकी सोनू का लण्ड 82 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था।
सोनू नंगा होते ही बेड पर चढ़ गया और मुझे सीधा बिठाते हुए मेरी कमीज को उतारने लगा। सोनू मेरी कमीज उतारते ही मेरी गोरी और गोल चूचियों को सिर्फ एक गुलाबी ब्रा में कैद देखकर लार टपकाने लगा, और वो मेरे गोरे पेट को निहारते हुए बोला- “मेमसाहब, मैंने आज तक आप जैसी गोरी और चिकनी औरत को नहीं चोदा...”
सोनू की बात सुनकर मैं और ज्यादा गरम हो गई और उसके सीने से लिपट गई। सोनू मेरी चूचियों को अपने सीने पर महसूस करते ही सिहर उठा और अपना हाथ मेरी चिकनी पीठ पर फिराते हुए मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। सोनू ने मेरी ब्रा के हुक खोलने के बाद मुझे सीधा लेटा दिया और मेरी ब्रा को मेरे जिश्म से अलग कर दिया। सोनू मेरी ब्रा उतरते ही पागलों की तरह मेरी चूचियों पर टूट पड़ा, वो मेरी चूचियों को एक-एक करके अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और उन्हें अपने दाँतों से हल्का-हल्का काटने लगा।
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सोनू के मेरी चूचियों को काटने से मेरे मुँह से- “ओईई... ऊह्ह..” निकल रहा था।
सोनू मेरी चूचियों को जी भरकर चाटने के बाद नीचे होते हुए मेरे गोरे पेट पर अपनी जीभ फिराते हुए उसे चूमने लगा। सोनू और नीचे होते हुए मेरी सलवार तक पहुँच गया, और सलवार के ऊपर से ही एक चुंबन मेरी चूत पर दे दिया। सोनू का मुँह अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी। सोनू ने मेरी सलवार का नाड़ा खोलते हुए उसे नीचे उतार दिया, अब मैं सिर्फ एक ब्लैक कच्छी में सोनू के सामने थी।
सोनू ने अपनी जीभ निकाली और मेरी कच्छी के साइड वाली टाँगों की मोटी रानों को चाटने लगा। मेरे मुँह से। उत्तेजना के मारे बहुत जोर की आहे निकल रही थी। सोनू अपनी जीभ को नीचे लेजाकर मेरी गोरी टांगों को। चाटते हुए मेरे पैर तक पहुँच गया। उसने मेरे पैर के अंगूठे को अपने मुँह में ले लिया और उसे चाटने लगा। मेरे पूरे शरीर में गुदगुदी हो रही थी। सोनू ने मेरा अंगूठा अपने मुँह से निकाला और मेरे पैर की सारी उंगलियों के बीच एक-एक करके अपनी जीभ फिराने लगा।
मेरी हालत खराब हो रही थी, मेरी चूत में चींटियां रेंग रही थी। सोनू अब मेरे पैर को छोड़कर ऊपर होने लगा, और अपने दोनों हाथों से मेरी कच्छी को उतार दिया। मेरी कच्छी उतरते ही मेरी हल्के बालों वाली गुलाबी चूत को देखकर सोनू पागल हो गया।
मेरी चूत के होंठों में से सफेद-सफेद पानी की बूंदें निकल रही थीं। सोनू ने अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी चूत की महक को सँघा। मेरी चूत की महक से उसकी आँखें बंद हो गई और वो अपनी नाक को मेरी चूत के होंठों के पास रखकर अपनी साँसें लेने लगा। सोनू कुछ देर तक मेरी चूत की महक को सँघता रहा और फिर अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत से निकलता हुआ पानी पी लिया।
आअह्ह्ह...” सोनू की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे मुँह से निकल गया।
सोनू ने अपनी जीभ मेरी चूत से हटाते हुए मेरी तरफ देखते हुए बड़ी बेशर्मी से बोला- “मेमसाहब आपकी चूत का टेस्ट तो बिल्कुल नमकीन है...” ।
मैं उस वक़्त बिल्कुल होश में नहीं थी। मेरे पूरे शरीर में हवस की आग दौड़ रही थी। मैंने अपने चूतड़ों को उछालते हुए सोनू के मुँह के पास ले जाते हुए कहा- “हाँ सोनू मेरी चूत का टेस्ट नमकीन है, तुम उसे चूसो और उसका सारा पानी पी जाओ...”
सोनू मेरे मुँह से ऐसी गंदी बात सुनकर बहुत उत्तेजित हो गया और मेरी चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। सोनू ने मेरी चूत को चाटते हुए अपने दोनों हाथ से मेरी चूत के होंठों को आपस में से अलग करते हुए उसके गुलाबी छेद में अपनी जीभ घुसा दी।
ओह्ह...” सोनू की जीभ अपनी चूत में घुसते ही मजे से मेरे मुँह से निकल गया। सोनू ने मेरी चूत में अपनी जीभ को अंदर-बाहर करते हुए अपनी एक उंगली से मेरी गाण्ड को कुरेदने लगा।
सोनू की उंगली अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही मेरा पूरा शरीर अकड़ते हुए काँपने लगा और मेरे चूतड़ सोनू की जीभ पर उछलने लगे। सोनू मुझे कांपता हुआ देखकर अपनी जीभ को बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगा।
मेरा बदन झटके खाने लगा और मेरी आँखें बंद हो गई, और मैं- “आअह्ह्ह... ऊओह...” करते हुए सोनू के चहरे को भिगोने लगी।
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सोनू मेरी चूत से निकलते हुए पानी को चाटने लगा, मगर मेरी चूत से इतना पानी निकल रहा था की सोनू का पूरा चेहरा भीग गया। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली तो सोनू वैसे ही बैठा मेरी चूत को चाट रहा था और उसका मुँह मेरी चूत के पानी से गीला था।
मैंने उठते हुए सोनू को धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और खुद उसके पेट पर बैठते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह से अपनी चूत का लगा हुआ पानी साफ करने लगी। सोनू ने अपने हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाते हुए अपना मुँह खोलकर मेरी जीभ को पकड़ लिया और उसे चाटने लगा।
मैं फिर से गरम होने लगी। मैंने सोनू के मुँह से जीभ निकालकर नीचे होते हुए उसकी बालों वाली छाती पर फिराने लगी। सोनू का लण्ड झटके खाता हुआ मेरी गाण्ड पर टक्कर मारने लगा। मैं सोनू के लण्ड का स्पर्श पाते ही सिहर उठी और नीचे होते हुए अपनी चूत को सोनू के लण्ड पर रगड़ने लगी। सोनू का लण्ड अपनी चूत पे रगड़ते ही मेरे मुँह से निकल पड़ा- “अयाया...”
सोनू ने मेरी कमर में हाथ डालकर नीचे झुका लिया और नीचे से अपने लण्ड को मेरी चूत पर रगड़ते हुए मेरे गुलाबी होंठों का रस चूसने लगा। मैं सोनू के ऊपर ऐसे झुकी हुई थी की उसका लण्ड मेरी गाण्ड से लेकर मेरी चूत के दाने तक रगड़ खा रहा था। मैं अपनी चूचियों को सोनू के सीने पर रगड़ते हुए, अपने चूतड़ उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी। मैं जैसे ही अपने चूतड़ों को थोड़ा आगे सरकाती सोनू का लण्ड सीधा मेरी चूत के छेद को चूम लेता और मैं उसे अपनी चूत के छेद पर रगड़ते हुए फिर से नीचे हो जाती।
मेरा सारा शरीर हवस की आग में झुलस रहा था। मैं अपने होंठों को सोनू के मुँह से अलग करते हुए नीचे होने लगी। नीचे होते हुए सोनू का लण्ड मेरे पेट से रगड़ता हुआ मेरी चूचियों से टकरा गया। मैंने अपनी चूचियों को थोड़ी देर तक सोनू के लण्ड पर रगड़ा।
सोनू अपने लण्ड पर मेरी चूचियों को रगड़ता महसूस करके सिसक उठा- “आहहह...”
मैंने अपनी चूचियों को सोनू के लण्ड से अलग करते हुए उसके काले लण्ड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया। मेरा हाथ सोनू के लण्ड पर पड़ते ही मेरा पूरा शरीर सिहर उठा और मेरा हाथ अपने आप उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होने लगा। मेरा हाथ सोनू के लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें बहुत जोर से चलने लगी। मेरी चूचियां मेरी साँसों के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने अपनी धड़कती साँसों के साथ अपनी जीभ निकाली और अपनी जीभ को सोनू के गरम और काले लण्ड के टोपे पर रख दिया।
मेरी जीभ अपने लण्ड पर महसूस होते ही सोनू के मुँह से निकल पड़ा- “आअह्ह्ह...” सोनू के लण्ड से मुझे अजीब किस्म की गंध आ रही थी। मेरी जीभ उसके लण्ड पर पड़ते ही मुझे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन महसूस होने लगी।
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उसके लण्ड से आती हुई अजीब गंध से मेरी आँखें बंद होने लगी, और मेरी जीभ अपने आप उसके लण्ड पर ऊपर से नीचे होने लगी। मैं अपनी जीभ से सोनू के पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी और अपने हाथ से उसकी काली गोटियों को सहलाने लगी। सोनू का लण्ड मेरी जीभ का अहसास पाते ही बहुत जोर के झटके खाने लगा और उसके लण्ड के छेद से प्री-कम की बूंदें निकलने लगी।
मैं अपने हाथ से उसके लण्ड को पकड़ते हुए अपनी जीभ से उसके लण्ड के छेद से निकलती हुई प्री-कम की बूंदों को चाटने लगी। मैं सोनू के लण्ड के छेद में से प्री-कम की बूंदें चाटते हुए उसके लण्ड के छेद में अपनी जीभ को फिराने लगी।
सोनू- “आहह्ह.. आअह्ह्ह... मेमसाहब...”
मेरी जीभ को अपने लण्ड के छेद में महसूस करते ही सोनू कांप उठा और मुझे बालों से पकड़ते हुए अपने लण्ड पर दबाने लगा। मैं अपने मुँह को पूरा खोलकर सोनू के लण्ड का मोटा टोपा अपने गुलाबी होंठों में अटका लिया
और पूरा जोर देकर उसे अपने मुँह में भरने लगी। सोनू ने मेरे सिर को बहुत जोर से अपने लण्ड पर दबा दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरे होंठों को फैलाता हुआ मेरे मुँह में घुस गया और मैं अपने होंठों से उसके टोपे को चाटने लगी।
सोनू- “आअहहह... मेमसाहब आज तक मेरा लण्ड किसी ने अपने मुँह में नहीं लिया, आप बहुत अच्छी हैं..” सोनू अपने लण्ड को मेरे मुँह में घुसाते ही बड़बड़ाने लगा।
मुझे सोनू के लण्ड का स्वाद बहुत अच्छा लग रहा था। इसीलिए मैं उसके लण्ड को अपने होंठों से चूसते हुए उसपर अपनी जीभ भी फिराने लगी। सोनू मेरे दोहरे हमले से सिहर उठा और नीचे से अपने चूतड़ों को बहुत जोर का धक्का दे दिया। सोनू के हाथ मेरे सिर को पकड़े हुए होने की वजह से उसका लण्ड मेरे मुँह को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। सोनू मेरी परवाह ना करते हुए मेरे सिर को पकड़कर अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मेरे मुँह से पूँ-हूँ की चीखें निकलने लगी। सोनू कुछ देर तक मेरे मुँह में दबाता रहा और फिर मेरे सिर को अपने हाथों से आजाद कर दिया। मेरा सिर आजाद होते ही मैंने सोनू के लण्ड से अपना मुँह हटा लिया और जोर से खांसने लगी।
सोनू ने मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया, और मुझे गौर से देखते हुए बड़ी बेशर्मी से कहने लगा- “मेमसाहब माँ कसम मैंने आज तक जितनी भी लौंडिया चोदी है, उनमें से आप जैसी गोरी और खूबसूरत लौंडिया कोई भी नहीं थी..." और वो मेरे ऊपर चढ़ते हुए मेरी गोरी-गोरी चूचियों पर टूट पड़ा और उन्हें चूसता हुआ नीचे होने लगा।
सोनू नीचे होता हुआ मेरी टाँगों के बीच आ गया और मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए मेरे पेट पर रख दिया। सोनू ने एक तकिया उठाकर मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत इस पोजीशन में बाहर निकलकर सोनू के सामने आ गई थी। मेरा पूरा शरीर तप चुका था और मेरी चूत में से पानी की बूंदें निकल रही थी। सोनू ने मेरी रस बहाती चूत को देखकर ललचा गया।
सोनू अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा- “मेमसाहब आपकी चूत का रंग गुलाबी है, और वो मक्खन जैसी नरम है। मेरा लण्ड तो आज जन्नत की सैर करेगा." सोनू ने यह कहते हुए अपनी जीभ को मेरी चूत के गुलाबी छेद पर रख दिया और उसमें से निकलता हुआ पानी चाट लिया।
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सोनू की जीभ अपनी गरम चूत पर पड़ते ही मेरे मुँह से आहें निकल गई- “आअह्ह्ह...”
सोनू अब अपने काले लण्ड को पकड़कर मेरी गुलाबी चूत पर घिसने लगा। सोनू का लण्ड अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी, और मैं अपने चूतड़ों को सोनू के लण्ड पर उछालने । लगी। सोनू मुझे अपने चूतड़ों को उछालता हुआ देखकर बड़ी बेशर्मी के साथ अपने लण्ड को जोर से मेरे चूत के सुराख पर घिसते हुए कहा- “मेमसाहब अगर मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना है तो बोलो कि सोनू अपना लण्ड मेरी चूत में डालो..."
मैं इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी की सोनू का लण्ड अपनी चूत में लेने के लिए कुछ भी कर सकती थी। मैं सिसकते हुए बोली “उईई... सोनू डाल दो ना क्यों तड़पा रहे हो?”
सोनू मेरे मुँह से ऐसी बात सुनकर खुश होते हुए बोला- “क्या डालू मेमसाहब बताओ ना?”
मैं आहें भरते हुई बोली- “तुम बड़े बेशर्म हो अपना वो डाल दो...”
सोनू ने अपने लण्ड को और जोर से मेरी चूत के छेद से लेकर उसके दाने तक रगड़ते हुए कहा- “मेमसाहब मैं समझा नहीं, नाम बताओ ना वो क्या डालना है?”
मेरी बर्दाश्त जवाब देने लगी और मैंने सिसकते हुए कहा- “सोनू अपना वो मोटा लण्ड मेरी चूत में डालो, मुझसे अब सहन नहीं होता...”
सोनू मेरे मुँह से लण्ड का नाम सुनकर और ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने हाथों से मेरी चूत के दोनों होंठों को खोलते हुए अपना लण्ड चूत के छेद पर टिका दिया और मेरी टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का मार दिया। सोनू का लण्ड मेरी चूत को चीरते हुए उसमें आधा घुस गया।
“ओईए... आह्ह्ह...” उसका लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।
सोनू ने मेरी चीख की परवाह ना करते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत से बाहर खींचते हुए बहुत जोर के तीन-चार धक्के लगा दिये। उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता फाड़ता हुआ जड़ तक घुस गया।
मैं चिल्लाई- “ओईई माँ आह्ह्ह... मर गई... मेरे चूत फट गई..” सोनू का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसते ही मेरे मुँह से चीखें निकलने लगी और मेरा पूरा शरीर काँपने लगा।
सोनू मेरी टाँगों को जोर से पकड़ते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। सोनू के धक्कों से अब मेरी चूत का दर्द कम होते हुए मीठे मजे में बदलने लगा।
सोनू का लण्ड मेरी चूत को पूरी तरह भरे हुए था और उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में रगड़ खाता हुआ मेरे पेट तक ठोकरें मार रहा था। मेरे मुँह से अब चीखों के बदले सिसकियां और आहें निकल रही थी। सोनू अपने लण्ड को टोपे तक खींचते हुए फिर से मेरी चूत की जड़ तक घुसा देता। उसके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर कांप उठता।
सोनू मेरी चूत में जोर के धक्के लगाते हुए बड़बड़ाने लगा- “मेमसाहब आपकी चूत बहुत गरम और टाइट है, मैंने आज तक ऐसी टाइट चूत नहीं चोदी..."
सोनू की बातें सुनकर मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा, और मेरा पूरा शरीर झटके खाता हुआ सोनू के लण्ड पर झड़ने लगा और मेरी चूत उसके लण्ड पर सिकुड़ने लगी। मेरे मुँह से झड़ते हुए “आह्ह्ह...” की जोर की सिसकियां निकलने लगी।
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मेरे झड़ते हुए सोनू अपना लण्ड मेरी चूत में जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मेरे झड़ने की वजह से सोनू का लण्ड मेरी चूत में आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। सोनू ने अचानक मेरी चूत में से अपना लण्ड निकाल लिया। उसका लण्ड पच्च की आवाज के साथ मेरी चूत से निकल गया और उसने मुझे उल्टा होने को कहा।
मैं उल्टा होकर लेट गई।
अब सोनू ने अपना लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और मेरे चूतड़ों को पकड़ते हुए बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। सोनू के हर धक्के के साथ के मेरी चूत में से पच-पच की आवाज आने लगी, और सोनू ने मेरी गाण्ड पर थप्पड़ मारते हुए ‘आअहह्ह... करते हुए मेरी चूत में झड़ते हुए अपना वीर्य भरने लगा।
सोनू के लण्ड से गरम वीर्य की पिचकारियां अपनी चूत में महसूस करते ही मैं भी झड़ने लगी और अपनी चूत को सोनू के लण्ड पर सिकोड़ते हुए अपनी आँखें बंद करते हुए ‘आहहह... ओहह...' करने लगी। सोनू आपने लण्ड से न जाने कितनी देर तक मेरी चूत में वीर्य भरता रहा, और फिर निढाल होकर मेरे ऊपर ढेर हो गया। सोनू कुछ देर तक ऐसे ही मेरे ऊपर पड़ा रहा। उसका लण्ड अब भी मेरी चूत में पड़ा हुआ था।
सोनू ने अपनी आँखें खोलते हुए कहा- “मेमसाहब सच में आपकी चूत मक्खन जैसी चिकनी है...”
मैंने अपनी आँखें खोलते हुए अपने गुलाबी होंठ उसके होंठों पर रख दिए। मेरे होंठों का स्पर्श पाते ही उसका लण्ड फिर से मेरी चूत में तनने लगा। मैंने सोनू को अपने ऊपर से उठाते हुए बेड पर सीधा लेटा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत से निकल गया और मेरी चूत में से उसके लण्ड से निकला हुआ वीर्य जो उसके लण्ड की वजह से अंदर रुका हुआ था, निकलकर बेड पर गिरने लगा। सोनू सीधा बेड पर लेटा हुआ था और उसका लण्ड वीर्य से भरा हुआ था।
मैं उसके वीर्य से गीले लण्ड को देखकर फिर से गरम होने लगी। मैं आज जी भरकर सोनू के मोटे और लंबे लण्ड का मजा लेना चाहती थी। मैं अपना मुँह सोनू के लण्ड के पास लेजाकर उसकी गंध सँघने लगी। सोनू के लण्ड की गंध से मेरा पूरा शरीर सिहर उठा, और मेरी जीभ अपने आप मेरे मुँह से निकलकर सोनू के लण्ड पर लगा हुआ वीर्य चाटने लगी।
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सोनू के वीर्य का स्वाद फीका और अजीब था, मगर मुझे उस वक़्त उसका वीर्य प्रसाद से ज्यादा मीठा लग रहा था। मैंने अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड का वीर्य चाटकर साफ कर दिया। सोनू का लण्ड मेरी जीभ के स्पर्श से फिर से तनने लगा। मैं सोनू के लण्ड को चाटते हुए, नीचे जाते हुए उसके गोटियों पर अपनी जीभ फिराने लगी। सोनू मेरी जीभ को अपनी गोटियों पर महसूस करके सिहर उठा। मैं उसकी गोटियों पर जीभ फिराते हुए अपना मुँह खोलकर उन्हें अपने मुँह में भरकर चाटने लगी।
सोनू की गोटियां मेरे मुँह में आते ही उसके मुँह से सिसकियां निकलने लगी, और उसका लण्ड पूरा आकार करके झटके मारने लगा। मैं सोनू की गोटियों को जी भरकर चूसने के बाद ऊपर उठते हुए अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर उसके पेट पर बैठ गई और अपनी चूचियों को उसके सीने से रगड़ते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह में डाल दी। सोनू मेरी जीभ को चाटते हुए अपने दोनों हाथ मेरे बालों में डाल दिया और मेरी जीभ को जितना हो सकता था खींचकर अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। सोनू मेरी जीभ को जी भरकर चाटने के बाद । अपने हाथ मेरी चूचियों पर ले गया और उन्हें बहुत जोर से दबाने लगा। सोनू ने मेरी चूचियों को इतनी जोर से दबाया था के मेर मुँह से ‘ओह...' निकल गया।
सोनू मेरी जीभ को अपने मुंह से निकालते हुए मुझे ऊपर खींचते हुए मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेने लगा। मैंने सोनू के हाथों को अपने हाथों से पकड़ते हुए उसके सिर के ऊपर रख दिए और अपनी चूचियों को उसके मुँह के पास ले जाने लगी। सोनू मेरी चूचियों को अपने मुँह के पास आते ही अपना मुँह खोलकर उनपर झपटा, मगर मैंने अपनी चूचियों को वापस ऊपर कर लिया।
सोनू मेरी तरफ देखते हुए कहने लगा- “मेमसाहब इस गरीब को क्यों इतना तड़पा रही हो?”
मैंने उसकी बात सुनकर अपनी चूचियों को उसके मुँह के ऊपर रख दिया। सोनू ने खुश होते हुए मेरी बांयीं वाली चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा। मैंने कुछ देर अपनी बांयीं वाली चूची को उसके मुँह में चुसवाने के बाद, अपनी उस चूची को उसके मुँह से निकालकर अपने दायीं वाली चूची को उसके मुँह में डाल दिया। मैंने अपनी चूचियों को जी भरकर चुसवाने के बाद अपने चूतड़ों को थोड़ा उठा लिया और सोनू के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत के गुलाबी छेद पर रख दिया। सोनू ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर आते ही नीचे से एक धक्का मार दिया।
मगर मैंने अपनी चूत को थोड़ा ऊपर कर लिया। मैं सोनू को थोड़ा तड़पाना चाहती थी। सोनू मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखने लगा। मैंने अपनी चूत को थोड़ा सा दबाव दिया, और उसके लण्ड का टोपा मेरी गीली चूत में फिसलता हुआ अंदर दाखिल हो गया। सोनू और मेरे मुँह से एक साथ ‘आअह्ह... निकल गई। सोनू फिर से। नीचे से धक्का मारने की कोशिश करने लगा मगर मैंने अपने हाथों से उसके लण्ड को पकड़ लिया और अपनी चूत को उसके लण्ड के टोपे पर गोल-गोल फिराने लगी।
सोनू- “आहहह... मेमसाहब क्यों तड़पा रही हो, मेरे लण्ड को अपनी मक्खन जैसी चूत में अंदर लो ना...”
मैंने अपने हाथों को उसके लण्ड से अलग किया और एक ही झटके में उसके लण्ड पर पूरे वजन के साथ बैठ गई। सोनू का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मेरे मुँह से “ओह्ह...” निकल पड़ा। सोनू भी सिसकते हुए नीचे से मेरी चूत में धक्के मारने लगा। मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की सिहरन दौड़ रही थी।
सोनू ने मुझे कमर से पकड़ते हुए नीचे झुका लिया और मेरे गुलाबी होंठों का रस चूसते हुए नीचे से तूफान की रफ़्तार के साथ धक्के लगाने लगा। सोनू के धक्कों की रफ्तार इतनी तेज थी की मेरी चूत के होंठ उसके लण्ड के साथ अंदर-बाहर हो रहे थे, और मेरी पूरी चूत में उसका लण्ड इतनी तेज रगड़ खा रहा था की मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। सोनू ने मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। जिसे मैं बड़े प्यार से चूसने लगी।
अचानक मेरे पूरे शरीर में अकड़न होने लगी, और मैं सोनू के होंठों से अपना मुँह हटाते हुए उसके लण्ड पर बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। मेरा सारा शरीर पशीने में डूब गया और मेरी चूत सोनू के लण्ड पर सिकुड़ने लगी। सोनू मेरी चूत को अपने लण्ड पर सिकुड़ता हुआ देखकर समझ गया की मैं झड़ने वाली हूँ इसीलिए वो नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।
आअहह्ह...” करते हुए मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा और मैं अपनी आँखें बंद करके अपनी जिंदगी का सबसे हसीन झड़ने का मजा लेने लगी।
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