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Adultery धन्नो द हाट गर्ल
#61
रोहन ने अपना अंडरवेर उतार दिया। रोहन का लण्ड देखकर मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई और रोहन को नीचे लेटाते हुए, उसके खंबे की तरह खड़े लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी। मैंने उसके लण्ड को सहलाते हुए अपने होंठ उसके लण्ड पर रख दिए और उसके सुपाड़े को चूमने लगी। उसके लण्ड से कुछ वीर्य की बूंदें निकलने लगी। मैं अपनी जीभ निकालकर उसे चाटने लगी। मेरी जीभ का अहसास रोहन के लण्ड पर पाते ही उसके मुँह से अह्ह.. निकल गई।

मैंने अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को चाटा और अपना मुँह खोलकर उसे अपने मुँह में ले लिया और अपने होंठों से चूसने लगी। उसके लण्ड का सुपाड़ा ही मैं अपने मुँह में ले पा रही थी। मैं अब बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और मेरी चूत बहुत ज्यादा पानी बहा रही थी। मैंने रोहन के लण्ड को अपनी जीभ से चाटकर गीला कर दिया और अपनी टाँगें फैलाकर उसके ऊपर आ गई। मैंने रोहन के लण्ड को अपनी चूत पर सेट किया और अपने वजन के साथ नीचे बैठने लगी।

रोहन का लण्ड सरकता हुआ मेरी चूत के जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से मजे से ओह्ह.. निकल गई। रोहन का लण्ड मेरी चूत की गहराइयों तक भरा हुआ था। मैं अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसके लण्ड को अंदर-बाहर करने लगी। रोहन भी नीचे से धक्के लगाने लगा। रोहन का लण्ड अंदर बहुत जोर के ठुमके लगाने लगा। मैं उसकी रगड़ से मजे के मारे अह्ह... कर रही थी और अपनी चूत को सिकोड़कर उसका जवाब दे रही थी।

कुछ देर ऐसे धक्के लगाने के बाद मेरी साँसें फूलने लगी और मैं जोर से धक्के लगाते हुए अपनी चूत को रोहन के लण्ड पर जोर से सिकोड़ने लगी। 10-15 धक्कों के बाद अह्ह... करते हुए मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। झड़ते वक़्त मेरी चूत ने रोहन के लण्ड को जोर से भींच लिया। रोहन कितनी देर से अपने आप पर काबू रखा हुआ था, वो भी ओह... करते हुए मेरी चूत में वीर्य भरने लगा। मैं कुछ देर झड़ने के बाद रोहन के ऊपर निढाल होकर लेट गई।

रोहन भी अपनी आँखें बंद किए हुए पड़ा रहा। कुछ देर बाद रोहन ने अपनी आँखें खोली और वो मेरे गुलाबी होंठों को चूमने लगा। रोहन ने मुझे चूमते हुए पूछा- “धन्नो... मैं तो समझ रहा था की तुम कुँवारी हो, मगर तुम तो। पहले से किसी से चुदवा चुकी हो। कौन है वो खुशनशीब जिसने तुम्हारी कुँवारी चूत का उदघाटन किया है?”

मैंने शर्म से अपना सिर रोहन के कंधे में छुपाते हुए हल्की आवाज में ‘कृष्णा' कहा।

साला, हरामी..." रोहन के मुँह से गाली निकल गई।

रोहन ने मुझे बालों से पकड़कर मेरे होंठ अपने होंठों पर रख लिए और उन्हें बेतहाशा चूसने लगा। रोहन मेरे गुलाबी होंठों का दीवाना हो गया था। वो मेरे नीचे वाले होंठ को पूरा अपने मुँह में भरकर चाटने लगा। रोहन का लण्ड मेरी चूत में फिर से तनकर खड़ा होने लगा। मैं भी फिर से गरम होने लगी और अपनी चूत को रोहन के लण्ड पर सिकोड़ने और खोलने लगी। रोहन का लण्ड भी पूरा तनकर मेरी चूत में ठुमके मारते हुए उछल कूद मचाने लगा।

मेरे सारे जिम में फिर से चींटियां रेंगने लगी और मेरे चूतड़ रोहन के लण्ड पर अपने आप उछलने लगे। रोहन मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दाँतों से हल्का काटते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा।

रोहन के काटने से मैं उछल पड़ती और मेरे चूतड़ रोहन के लण्ड के टोपे तक आ जाते और मैं धप्प के साथ नीचे बैठ जाती, उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुस जाता, और उसकी गोटियां मेरी गाण्ड से टकरा जातीं। मेरी चूत गीली होने के कारण जैसे ही मेरे चूतड़ नीचे होते धप्प-धप्प की आवाज गूंज उठती। रोहन ने मेरी कमर को मजबूती से अपनी बाहों में जकड़ लिया और नीचे से जोर के धक्के लगाने लगा।

रोहन के धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज थी, मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। मैंने अपनी जीभ रोहन के मुँह में डाल दी, जिससे रोहन बड़े जोर से चूसने लगा। रोहन मेरी जीभ चाटते हुए अपने हाथों से मेरी गाण्ड पर थप्पड़ मारने लगा और साथ में मेरी चूत में धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगा।

रोहन के थप्पड़ों से मुझे अजीब किस्म का मजा मिल रहा था। मेरा जिश्म अकड़ने लगा, मुझे रोहन के थप्पड़ अपनी गाण्ड पर पड़ते हुए ज्यादा उत्तेजित कर रहे थे। अचानक मेरा शरीर पूरा काँपने लगा। मैंने अपनी जीभ रोहन के मुँह से निकालकर उसके होंठों को काटते हुए ऊपर उठी और बहुत जोर से रोहन के लण्ड पर अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी। मेरी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। मेरी साँसों के साथ मेरी चूचियां भी बहुत जोर-जोर से हिल रही थीं। रोहन ने मेरी हिलती हुई चूचियों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उन्हें बहुत जोर से दबाने लगा।

मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी। अचानक मेरे सबर का बाँध टूट गया और मैं ‘आअहहह.. ओहह...' करते हुए झड़ने लगी।

रोहन ने मुझे झड़ता हुआ देखकर मेरी कमर को अपनी मजबूत बाहों में जकड़ लिया और तूफान की रफ़्तार के साथ नीचे से धक्के लगाने लगा। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी चूत को सिकोड़कर झड़ने का मजा लेने लगी। कुछ देर झड़ने के बाद मैं निढाल होकर रोहन के ऊपर लेट गई।
 horseride  Cheeta    
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#62
रोहन ने मेरी एक चूची का दाना अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसने लगा। कुछ देर तक चूची को चाटने के बाद रोहन ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मुझे उल्टा घुटनों के बल लेटा दिया। रोहन मेरे पीछे आ गया और अपने हाथों से मेरी गाण्ड को मसलने लगा। कुछ देर तक मसलने के बाद रोहन मेरे चूतड़ को अपने मुँह में भरकर चाटने लगा।

मेरे पूरे शरीर में फिर से उत्तेजना होने लगी। अचानक रोहन ने मेरी गाण्ड को अपने दातों से काट दिया, तो मेरे मुँह से ओईई निकल गया। रोहन ने मेरी गाण्ड को छोड़ते हुए अपना खड़ा लण्ड पीछे से मेरी चूत में डाल दिया और मेरे चूतड़ों को पकड़कर जोर के धक्के मारने लगा। मैं फिर से गरम होने लगी और अपने चूतड़ों को रोहन के लण्ड पर दबाने लगी। रोहन ने मुझे चोदते हुए अचानक मेरे चूतड़ों पर फिर से थप्पड़ मारने लगा।

मुझे फिर से अजीब मजे का अहसास होने लगा, मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। अचानक रोहन ने अपने थप्पड़ों और धक्कों की रफ़्तार तेज कर दी, मेरे मुँह से भी जोर की ओह्ह... की आवाजें निकलने लगी। रोहन का लण्ड मेरी चूत में फूलने लगा। मैं समझ गई की वो झड़ने वाला है। मैंने अपनी चूत को सिकोड़कर उसके लण्ड पर दबा दिया। रोहन के मुँह से एक जोर की आह्ह्ह की सिसकी निकली और वो मेरी चूत में जोर के धक्के मारते हुए अपने वीर्य से मेरी चूत को भरने लगा। रोहन के गर्म वीर्य के अहसास से मेरे मुँह से भी ओह... की आवाज के साथ मेरी चूत ने भी अपना पानी छोड़ दिया। रोहन कुछ देर तक मेरी चूत को भरता रहा और फिर मेरी चूत से अपना लण्ड निकालकर नीचे निढाल होकर सो गया।

मैं जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहनने लगी, और कहा- “रोहन उठो बहुत देर हो गई है, हमें कालेज जाना है...”

रोहन ने उठकर अपने कपड़े पहने और हम दोनों बाइक पर बैठकर कालेज जाने लगे। रास्ते में रोहन ने मुझसे कहा- “आज जो कुछ हुआ है तुम्हारी मर्जी से हुआ है। इस बारे में बिंदिया को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिये..."

मैंने रोहन को तसल्ली देते हुए कहा- “मैं हमारे बारे में किसी को कुछ नहीं बताऊँगी, मगर तुम जब चाहो मुझे चोद सकते हो। मुझे तुम्हारा तगड़ा लण्ड बहुत अच्छा लगा है...”

रोहन मेरी बातें सुनकर हैरान रह गया। उसने कहा- “धन्नो, तुम तो अभी से इतनी गरम और चुदासी बन गई हो, आगे चलकर न जाने क्या करोगी?”

हम कालेज पहुँच गये, हमें बहुत लेट हो गई थी। मैं जल्दी से अपने क्लास में दाखिल हुई और कृष्णा के साइड में जाकर बैठ गई।

कृष्णा ने मुझे देखकर पूछा- “धन्नो इतनी देर किधर गायब हो गई थी?”

मैंने उससे कहा- “मुझे अपनी कजिन के कॉलेज में काम था, मैं रोहन के साथ वहाँ गई थी..”

क्लास खतम होते ही हमारी छुट्टी हो गई। मैं उठकर बाहर आ गई और रोहन और बिंदिया का इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद रोहन और बिंदिया आ गये। हम तीनों बाइक पर बैठकर घर जाने लगे।

रास्ते में बिंदिया ने कहा- “धन्नो तुम और रोहन ने करुणा की हेल्प करके बहुत अच्छा किया...”

मैंने हैरान होते हुए पूछा- “तुम्हें कैसे पता बिंदिया?”

रोहन ने बीच में बोलते हुए कहा- “बिंदिया को मैंने बताया था...”

हम घर पहुँच गये। रोहन हमें छोड़कर चला गया। हम जैसे ही अंदर दाखिल हुए अंदर एक लड़का बैठा था और
आँटी और करुणा उससे बातें कर रही थी। हमें देखकर आँटी ने मुश्कुराते हुए हमारा परिचय उस लड़के से कराया- “यह मेरी भांजी धन्नो और यह मेरी बेटी बिंदिया है..” ।

फिर आँटी ने कहा- “बिंदिया और धन्नो यह मेरी चचेरी मौसी का बेटा है और इसका नाम मोहित है, यह यहाँ पर पढ़ने आया है और यह हमारे साथ रहेगा..."
 horseride  Cheeta    
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#63
मैंने और बिंदिया ने उसे हाय कहा और हम दोनों अपने कमरे में फ्रेश होने चली गई। फ्रेश होने के बाद मैं खाना खाने के लिए बाहर निकली। आँटी खाना लगा रही थी, और बिंदिया वहाँ पहले से मौजूद थी। बिंदिया मोहित से बातें कर रही थी। मैं भी जाकर उन सबके साथ बैठ गई। मैं मोहित को गौर से देखने लगी। उसकी उंचाई कोई 59" इंच, उसका चेहरा गोरा और उसका जिश्म भी बिल्कुल कसा हुआ था।

मोहित ने मुझे घूरता हुआ देखकर कहा- “धन्नो क्या देख रही हो, मुझे तुमने पहचाना नहीं, जब तुम छोटी थी तो हम साथ में खेलते थे। मैं तुम्हें छिपकली बुलाता था और तुम मुझसे नाराज होकर मुझे पत्थर मारती थी...”

मैंने उससे कहा- “तुम उसी मास्टर के बेटे हो, जो हमें गाँव में पढ़ाता था..”

मोहित ने कहा- “हाँ। लगता है की तुम्हें याद आ गया। मेरा बाप अब इस दुनियां में नहीं रहा...” फिर मोहित ने मुझे गौर से देखते हुए कहा- “मैं तो समझता था की तुम अब भी छोटी ही होगी, मगर तुम तो बिल्कुल जवान हो चुकी हो..” ।

मैं उसकी बात सुनकर शर्मा गई, मन ही मन सोचने लगी- “बच्चू तुमने अभी तक मेरी जवानी देखी कहां है?”

सोनाली आँटी ने खाना लगा दिया और हम सब मिलकर खाना खाने लगे। खाना खाने के बाद आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो तुम्हारे वाले कमरे के साथ जो दूसरा कमरा है उसमें मोहित रहेगा। मैंने वो कमरा खोल दिया है। तुम मोहित के साथ जाकर उसके कमरे की सफाई और सेटिंग में मदद करो...”

मैंने मोहित से कहा- “तुम कमरे में चलो, मैं कपड़े चेंज करके आती हूँ..”

मैंने सोच लिया की मोहित को अपनी जवानी का थोड़ा सा जलवा दिखाऊँगी। मैंने अलमारी में से अपने पुराने कपड़े निकाले, जिसका गला बहुत बड़ा था और वो थोड़े ढीले थे। मैंने अपनी चूचियों को थोड़ा ब्रा के ऊपर सेट कर दिया और वो कपड़े पहनकर मोहित के कमरे में चली गई। मैं अपने हाथ में झाडू लेकर गई थी। जैसे ही मैं झाड़ रखने के लिए नीचे झुकी, मोहित को ब्रा में कैद मेरी आधी चूचियों का दीदार हो गया। मैं झाडू रखकर सीधी हुई, मोहित अब तक मेरे गले की तरफ ही देख रहा था।

मैंने मोहित से कहा- “क्या करना है?"

मोहित जैसे नींद से बाहर आ गया और हड़बड़ाते हुए अपने कमरे का सामान इधर-उधर सेट करने लगा। मैंने मोहित के साथ मिलकर सारे कमरे की सेटिंग ठीक की। जब भी मुझे मौका मिलता तो मैं अपनी चूचियों का दीदार उसे करा देती। मोहित बेचारा बार-बार अपनी पैंट के ऊपर हाथ डालकर अपने लण्ड को सही करता।

मैंने मोहित से कहा- “तुम कुर्सी पे जाकर बैठ जाओ, तो मैं झाडू मारकर तुम्हारा कमरा साफ कर दें...”

मोहित जाकर चुपचाप कुर्सी पर बैठ गया, मैं झुककर झाडू देने लगी। जब मैं कुर्सी के पास झाडू देने लगी तो मैंने जानबूझ कर अपना मुँह मोहित की तरफ कर दिया। मोहित इतनी नजदीक से मेरी चूचियों को देखकर बौखला गया और उसके माथे से पशीना बहने लगा।

मैंने मोहित से मजाक करते हुए कहा- “पंखा तो चल रहा है, फिर तुम्हें पशीना क्यों आ रहा है?”

मोहित बौखलाहट में कुछ बोल नहीं पाया। मैं अब वहाँ पर उल्टी होकर झाडू लगा रही थी, इस पोजीशन में मोहित मेरे चूतड़ बिल्कुल पास से देख सकता था।

मोहित इतने पास से मेरे भरे हुए चूतड़ देखकर अपनी थूक गटकने लगा। मैं पूरे कमरे में झाडू देकर वहाँ से चली गई। मैं अपने कमरे में आकर फिर से फ्रेश होने चली गई। मैं फ्रेश होकर जैसे ही बाहर निकली बिंदिया वहाँ पर बैठी मेरा इंतजार कर रही थी।

मुझे देखकर बिंदिया ने मुझे गौर से देखते हुए कहा- “वाह धन्नो... आपने तो मोहित का सारा कमरा चकाचक कर दिया। क्या बात है मोहित पर बड़ी महरबान हो रही हो?”
मैंने बिंदिया से मुश्कुराते हुए कहा- “तुम क्यों जल रही हो, मोहित हैंडसम है और फिर मेरे बचपन का दोस्त है...”

बिंदिया ने हैरत से मुँह खोलते हुए कहा- “वाह री धन्नो... मैं भला कौन होती हैं जलने वाली, मगर बात यहाँ तक पहुँच गई और मुझे पता ही नहीं चला..."

मैंने बिंदिया से कहा- “ऐसी कोई बात नहीं है, मैं मजाक कर रही थी..”

कुछ देर तक हम दोनों बातें करते रहे और फिर बिंदिया अपने कमरे में चली गई। मैं दरवाजा बंद करके सोने की कोशिश करने लगी, मेरे जेहन में मोहित घूम रहा था। कुछ ही देर बाद मैं नींद की आगोश में चली गई। मैंने सपने में देखा की सभी घरवाले किसी शादी में गये हैं। मैं वोही वाली पुरानी कमीज पहनकर मोहित के सामने बैठी हूँ। अचानक मोहित उठकर बाथरूम चला जाता है, जब वो वापस आता है तो वो सिर्फ एक बड़ा अंडरवेर पहना होता है।
 horseride  Cheeta    
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#64
मोहित के अंडरवेर का उभार देखकर मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगती हैं। मोहित मेरे सामने आकर खड़ा हो जाता है और मेरे हाथ खींचकर अपने अंडरवेर के उभार पर रख देता है। मेरे हाथ उसके उभार पर पड़ते ही मेरे सारे शरीर में झुरझुरी फैल जाती है। मोहित मेरे सिर को पकड़कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख देता है और उन्हें बेतहाशा चूसने लगता है।

मेरा हाथ अपने आप मोहित के अंडरवेर पर ऊपर-नीचे होने लगता है। मोहित ने अपनी जीभ निकालकर मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ को चाटने लगी। मेरे सारे शरीर में सिहरन दौड़ रही थी। मोहित ने अचानक अपने होंठ मेरे होंठों से हटाते हुए, मुझे घुटनों के बल जमीन पर बिठा दिया। मेरा हाथ अब भी मोहित के अंडरवेर के ऊपर था। मोहित ने मेरा हाथ अपने अंडरवेर से हटाया और अपना अंडरवेर उतार दिया। मोहित का अंडरवेर उतरते ही मेरा सिर चकराने लगा, उसका 10” इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड मेरी आँखों के सामने झूम रहा
था।

मोहित का लण्ड देखकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मोहित ने मेरा हाथ पकड़कर अपने नंगे लण्ड पर रख दिया। मेरा हाथ मोहित के लण्ड पर पड़ते ही मेरा पूरा शरीर कांपने लगा। मोहित का लण्ड बहुत गर्म था, मैं तेज-तेज साँसें लेते हुए उसके लण्ड को सहलाने लगी। मोहित मेरे सिर को पकड़कर अपने लण्ड के पास ले आया। मोहित के लण्ड की गंध मुझे पागल बना रही थी। मेरा मुँह अपने आप खुल गया और मैं जीभ । निकालकर मोहित के लण्ड पर फेरने लगी। मोहित ने मेरे सिर को पकड़कर अपने लण्ड का टोपा मेरे मुँह में रखा और अंदर दबाव डालने लगा। मैंने जितना हो सकता था उतना अपने मुँह को खोल लिया। मोहित के लण्ड का टोपा मेरे मुँह में फँस गया।

मोहित ने अचानक मेरे सिर को जोर से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का मार दिया। मोहित का लण्ड मेरे गले तक अंदर घुस गया और मेरे सामने अंधेरा छाने लगा। मेरे आँखों से आँसू बहने लगे, तभी मैं अचानक नींद से जाग गई। मैंने जल्दी से उठकर पानी पिया और सपने के बारे में सोचकर हँसने लगी। मैं सोच रही थी की। मोहित का लण्ड ना जाने कितना बड़ा होगा? मेरे पूरे शरीर में हवस भर गई थी। और मोहित के बारे में सोचतेसोचते मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।

शाम को मैं उठकर फ्रेश होने चली गई। मेरा पूरा शरीर मोहित के बारे में सोचते-सोचते तप गया था। मैंने शावर ओन किया और अपने गरम जिश्म पे ठंडा पानी डालकर उसे ठंडा करने की कोशिश करने लगी। मगर मेरा जिम ठंड पानी पाते ही और ज्यादा गरम होने लगा। मैंने अपनी चूत को सहलाते हुए अपनी दो उंगलियां चूत में डाल दी और उन्हें आगे-पीछे करने लगी। मेरा सारा शरीर अकड़ने लगा और मैं ‘आअह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी। मैं झड़ने के बाद कुछ अच्छा महसूस करने लगी।

मैं नहाकर बाथरूम से बाहर निकली और अपने आपको तैयार करके मोहित के कमरे में जाने लगी। मैं जैसे ही मोहित के कमरे में दाखिल हुई, मुझे वो नजर नहीं आया। मैं इधर-उधर देखने लगी, तभी मुझे बाथरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी। मैं समझ गई की मोहित नहा रहा है।

मैं वहीं बैठकर उसका इंतजार करने लगी। कुछ देर बाद मोहित बाथरूम से बाहर निकला, मैं उसे देखकर बेहोश होते-होते बची। मोहित सिर्फ एक तौलिया बाँधे हुए बाथरूम से निकला था। उसका जिश्म गोरा और गठीला बिल्कुल किसी बाडी बिल्डर की तरह था। मोहित मुझे देखकर बौखला गया और अपने हाथ से अपने आपको ढकने की नाकाम कोशिश करने लगा।
 horseride  Cheeta    
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#65
मैंने मोहित से कहा- “इतना शर्माते क्यों हो? तुमने तौलिया तो बाँध रखा है...” मैं उस मोके का पूरा मजा लेना चाहती थी। मैं उठकर मोहित के पास गई और अपने हाथ उसके बालों वाले मजबूज सीने पे फिराने लगी।
मोहित मेरे नरम हाथ का स्पर्श अपने नंगे सीने पर पाते ही काँपने लगा और काँपते हुए कहने लगा- “ध-न्नो मुझे गुदगुदी हो रही है..." मोहित अपना हाथ मजबूती से तौलिया पे रखे हुए था।
मैंने उसके सीने से हाथ हटाते हुए कहा- “इतना डरते क्यों हो, मैं तुझे खा थोड़े जाऊँगी...” मैं जानबूझ कर उसके सामने झुकते हुए अपने सैंडल को ठीक करने लगी। इस पोजीशन में मोहित को मेरी आधी चूचियों का दीदार हो गया। मैंने उठते हुए नोट किया की मोहित मेरी चूचियों को घूरकर देख रहा था और उसके तौलिये में उसका लण्ड खड़ा होकर बड़ा उभार बना चुका था।
मैंने मोहित से नजरें मिलाते हुए कहा- “क्या देख रहे हो?”
मोहित फिर से बौखला गया और कोई जवाब नहीं दिया। मैं बेड पर जाकर बैठ गई और मोहित भागकर बाथरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद मोहित बाथरूम से कपड़े पहनकर निकला और जाकर सोफे पर बैठ गया। मैं बेड से उठकर उसके साथ जाकर बैठ गई। मैंने आज स्कर्ट और टाप पहनकर रखा था, स्कर्ट मेरी आधी टाँगों को ही ढक रही थी। मैंने मोहित से बातें करते हुए अपनी एक टांग को दूसरी टांग पर रख दिया। मेरी स्कर्ट और ऊपर खींच गई और मेरी गोरी टाँगें और ज्यादा ऊपर तक नंगी हो गई। मोहित चोर निगाहों से मेरी चिकनी टाँगों को देख रहा था।
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैंने मोहित से कहा- “मैं तुम्हारा बाथरूम इश्तेमाल कर सकती हैं क्या?”
मोहित मुश्कुराते हुए बोला- “इसमें पूछने वाली क्या बात है?”
मैं बाथरूम में चली गई, वहाँ पर मोहित का एक अंडरवेर पड़ा था जो बहुत बड़ा दिख रहा था। मैंने अंडरवेर को हाथ लगाया। मुझे अपने हाथ पर कुछ चिपचिपा महसूस हुआ। मैंने अंडरवेर को उठा लिया और उसे गौर से
देखने लगी। अंडरवेर पर गोल धब्बे का निशान था, जैसे चाय गिरने से कपड़े पे होता है। मैंने अंडरवेर को अपनी नाक पर रखा, मुझे उसकी गंध से सारे बदन में सिहरन दौड़ने लगी। वो गंध मोहित के वीर्य की थी। मैं इसको अच्छे तरीके से पहचानती थी।
मैं अपनी जीभ निकालकर उस दाग पर फिराने लगी, मुझे अपनी जीभ पर अजीब किस्म का जायका महसूस हो रहा था। मैं कुछ देर तक उसे चाटती रही और फिर बाथरूम से निकलकर दरवाजे तक आ गई। मैं वहाँ पर गिरने का नाटक करते हुए नीचे बैठ गई और रोने लगी।
मेरे रोने की आवाज सुनकर मोहित भागता हुआ मेरे पास पहुँचा। मोहित मुझे रोता हुआ देखकर घबड़ा गया और पूछने लगा- “क्या हुआ धन्नो, तुम रो क्यों रही हो?”
मैंने नाटक करते हुए कहा- “मेरे पैर में मोच आ गई है, मैं उठ नहीं पा रही हूँ...”
मोहित ने कहा- “मैं आँटी को बुलाकर लाता हूँ...”
मैंने दिल ही दिल में सोचा- “यह तो बिल्कुल बुद्धू है...” मैंने मोहित से कहा- “आँटी को क्यों परेशान करते हो, तुम उठाकर बेड पर रख दो, कुछ देर में दर्द कम हो जायगा...”
मोहित ने अपना एक हाथ मेरी कमर में डाला और दूसरा मेरे चूतड़ों के नीचे और मुझे अपनी गोद में उठा लिया। मैं अपने जिश्म पर सख़्त मर्दाना स्पर्श पाकर सिहर गई और अपनी चूचियों को मोहित के सख़्त सीने में दबा दिया।
मेरी नरम चूचियों का अहसास अपने जिश्म पर पाकर मोहित के मुँह से 'आह' निकल गई। मोहित मुझे उठाकर बेड पर लेटाने लगा। मैंने जानबूझ कर उसे पकड़ते हुए अपने ऊपर गिरा दिया। मोहित सीधा मेरे ऊपर बेड पर गिरा और मेरी चूचियां उसके सीने में दब गई, और उसके होंठ मेरे होंठों से आकर टकरा गए। मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आह्ह्ह' निकल गई और मैंने अपने होंठ मोहित के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी।
मोहित भी बहुत गरम हो चुका था वो भी मेरे गुलाबी होंठों का रस पीने लगा। मोहित कुछ देर तक मेरे होंठों का रस पीने के बाद अचानक होश में आया और मेरे ऊपर से हटकर दूर खड़ा हो गया। मेरे सारे अरमानों पर किसी ने पानी डाल दिया। मोहित मुझे सारी कहने लगा और शर्म से अपना कंधा झुका लिया।
 horseride  Cheeta    
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#66
मैंने अपना आइडिया नाकाम होते हुए देखकर मोहित से कहा- “मुझे टांग में बहुत दर्द है, तुम्हारे पास कोई दर्द का मरहम है?"
मोहित ने जल्दी से अलमारी में से एक ट्यूब निकाली और मेरी तरफ बढ़ा दी।
मैंने फिर से नाटक करते हुए कहा- “मेरा हाथ वहाँ तक नहीं पहुँचेगा आप ही लगा दीजिये...”
मोहित ने कहा- “कहाँ पर लगानी है?”

मैं उल्टा होकर लेट गई और मोहित को अपने चूतड़ों के नीचे इशारा करते हुए वहाँ पर लगाने को कहा।
मोहित मेरे भारी चूतड़ देखकर पहले से ही उत्तेजित हो चुका था। उसने अपनी थूक गटकते हुए कहा- “वहां पर तो आपकी स्कर्ट है..."
मैंने कहा- प्लीज... उसे ऊपर करके लगाओ, मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
मोहित मेरी बात सुनकर बेड पर आकर बैठ गया और मुझसे पूछने लगा- “कहाँ पर क्रीम लगानी है?”
मैंने अपनी गाण्ड से थोड़ा नीचे इशारा करते हुए कहा- “यहाँ पर लगाओ बहुत दर्द हो रहा है."
मोहित ने मेरी स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया और अपनी उंगलियों पे क्रीम को लगाकर मेरे घुटनों के थोड़ा ऊपर लगाने लगा।
मोहित का ठोस हाथ अपने जिश्म पर पाते ही मेरे सारे जिश्म में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और मोहित से बोली- “थोड़ा और ऊपर लगाओ बहुत दर्द हो रहा है...”
मोहित अपना हाथ और ऊपर बढ़ाते हुए मेरी मालिश करने लगा। मोहित का हाथ मालिश करते हुए कभी-कभी मेरी गाण्ड से टकरा रहा था। मोहित का पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था और उसका हाथ मालिश करते हुए काँप रहा था। मैं मजे से अपनी आँखें बंद किए ही मालिश का मजा लेने लगी।
मेरे दिमाग में अचानक एक आइडिया आया। मैंने मोहित से कहा- “ठहरो मैं सीधी होती हैं, मुझे आगे से भी दर्द हो रहा है...”
मोहित ने अपना हाथ हटा लिया और मैं सीधी होकर लेट गई। मोहित ने स्कर्ट को फिर से ऊपर किया और क्रीम से मालिश करने लगा।
मैं फिर से मदहोश होने लगी और मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा सा फैलाते हुए मोहित से कहा- “थोड़ा और ऊपर मालिश करो...”
मोहित ने अपना हाथ और ऊपर कर लिया, उसका हाथ अब मेरी कच्छी के ऊपर से चूत पर टच हो रहा था। मेरे मुँह से तेजी से सिसकियां निकलने लगी- “आह्ह्ह.. ऐसे ही मालिश करो बहुत दर्द हो रहा है...” ।
मोहित भी बहुत गरम हो चुका था। वो अब मालिश करते हुए मेरी पूरी चूत को कच्छी के ऊपर से अपने हाथ से रगड़ रहा था। मेरा सारा बदन अकड़ने लगा और मैंने अपनी टाँगों को पूरी तरह से खोल दिया। मोहित अब मेरी कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत को अपने हाथ से रगड़ रहा था। कुछ देर बाद ही मेरा बदन काँपने लगा और मेरी चूत ने झटके खाते हुए पानी छोड़ दिया। मेरे मुँह से ऊन्ह निकल गया। मेरी चूत के पानी से मेरी कच्छी पूरी गीली हो गई थी और मोहित का हाथ भी मेरे पानी से गीला हो गया था।
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#67
मोहित अपने गीले हाथ को अपनी नाक तक ले गया और उसे पूँघने लगा। मोहित को मेरी चूत की महक पागल बना रही थी। वो अपनी आँखें बंद करते हुए अपनी साँसों को पीछे खींचने लगा। मोहित को यह सब करते हुए देखकर मैं हैरान हो गई और जल्दी से जाकर दरवाजा लाक कर दिया। मैंने वापस आकर देखा तो मोहित अपनी जीभ निकालकर हाथ को चाट रहा था।
मैं यह सब देखकर गरम होने लगी। मैंने अपनी स्कर्ट उतारी और मोहित को बेड पर धक्का देकर गिरा दिया। मैं उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी गीली कच्छी को उसके मुँह के पास रख दिया।
मोहित अचानक हुए इस हमले से बौखला गया और उठने की कोशिश करने लगा।
मैंने उससे कहा- “घबराओ मत, तुम पूरा मजा लो...”
मोहित मेरी बात सुनकर शांत हो गया और मेरी गीली कच्छी को देखने लगा। मोहित को मेरी कच्छी की महक पागल बना रही थी। वो मेरी कच्छी पे अपनी नाक रखकर जोर से अपनी साँसे ऊपर करने लगा। मोहित कुछ देर तक मेरी कच्छी को सँघने के बाद अपनी जीभ निकालकर मेरी कच्छी पर फिराने लगा। मोहित की जीभ मेरी कच्छी गीली होने के कारण मेरी चूत पर महसूस होने लगी, मेरे मुँह से 'आअह्ह्ह' निकल गई। मोहित अब मेरी चूत को कच्छी के ऊपर से ही पूरा अपने मुँह में डाले हुए चाट रहा था। मैंने अपनी चूत चटवाते हुए अपने टाप को उतार दिया।
रोहन मेरा टाप उतरते ही ब्रा में कैद मेरी गोरी आधी नंगी चूचियों को देखकर पगला गया और मुझे धक्का देकर नीचे गिराते हुए मेरे ऊपर आ गया। रोहन ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को अपने हाथों में लेकर जोर से दबाने लगा। मोहित के सख़्त हाथ मेरी नरम चूचियों पर पड़ते ही मेरे मुँह से ‘ओहह' निकल गया। मोहित अपने हाथों से मेरी चूचियों को जोर से दबाते हुए मेरे गोरे पेट पे अपना मुँह रखकर उसे चूमने लगा।
मोहित इतनी जोर से मेरी चूचियां दबा रहा था की- “ओईए... जरा आराम से दबाओ..” मेरे मुँह से निकल गया।
मोहित मेरे पेट को चूमते हुए मेरी चूचियों तक आ गया और ब्रा के ऊपर से ही मेरी आधी बाहर निकली चूचियों को चूमने लगा। मैंने अपना हाथ बढ़ाकर मोहित की शर्ट को उतार दिया। उसका बालों से भरा गठीला बदन देखकर मेरे सारे जिम में उत्तेजना के मारे गुदगुदी होने लगी। मैंने मोहित को सिर से पकड़ते हुए ऊपर करते हुए उसके होंठ अपने तपते गुलाबी होंठों पर रख दिए।
मोहित मेरे नरम होंठों का स्पर्श पाते ही सिहर उठा और मेरे होंठों को बेतहाशा चूमने लगा। मैंने मोहित का नीचे वाला होंठ अपने मुँह में ले लिया और उसे हल्का-हल्का काटने लगी।
मोहित मेरी इस हरकत से पूरा काँपने लगा और मेरे होंठों को चूमते हुए मेरे कंधे पे आ गया और उसे चूमने । लगा। मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी, मगर मैं मोहित को तड़पाना चाहती थी। मोहित ने जैसे ही अपना हाथ मेरी चूचियों पर रखना चाहा, मैंने उसका हाथ पकड़कर उसे बेड पर लेटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़कर बैठ गई। मैंने अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और नीचे होते हुए मोहित के मुँह में अपनी जीभ डाल दी।
 horseride  Cheeta    
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#68
मोहित ने मेरी जीभ को चाटते हुए अपने हाथ से मेरी ब्रा को खींचकर बेड पर उछाल दिया। मेरी नंगी चूचियां जैसे ही मोहित के सीने से टकराईं हम दोनों के जिस्मों में उत्तेजना की लहर दौड़ गई। मोहित ने मेरे होंठों को छोड़कर मेरी छातियों को अपने हाथों में भरते हुए अपने मुँह की तरफ ले जाने लगा। मैंने मोहित के हाथ अपने हाथों में डालते हुए उसके हाथ बेड पर फैला दिए।
मैं जैसे ही अपनी चूचियों को मोहित के मुँह के पास ले गई, वो किसी भूखे शेर की तरह अपना मुँह खोलकर मेरी चूचियों पर लपका, तो मैंने अपनी चूचियों को ऊपर उठा लिया। मोहित मेरी तरफ भूखी नजरों से देखने लगा। मुझे मोहित पर तरस आ गया और मैंने उसके हाथों को आजाद कर दिया। मोहित अपने हाथ आजाद होते ही मेरी कमर को पकड़कर अपने ऊपर झुका लिया और मेरी चूचियों को एक-एक करके चूसने और चाटने लगा।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘आअह्ह... ऊह्ह... निकलने लगा। मैं रोहन के मुँह से अपनी चूचियां निकालकर नीच होते हुए अपनी चूचियों को उसके पेट पर रगड़ने लगी। मैंने मोहित के पैंट की बेल्ट खोलकर उसे नीचे सरका दिया। मोहित की चड्ढी का उभार देखकर मेरी साँसे ऊपर-नीचे होने लगी। मैं अपनी चूचियों को नीचे ले जाते हुए मोहित की चड्ढी के उभर पर रगड़ने लगी।
मोहित के मुँह से सिसकी निकल गई।
अचानक दरवाजा खटकने की आवाज आई।
मोहित बौखलाकर मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए अपने कपड़े पहनने लगा। मोहित जल्दी से कपड़े पहनकर दरवाजे की तरफ बढ़ा। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैं अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गई। मोहित ने जैसे ही दरवाजा खोला सामने करुणा खड़ी थी।
करुणा ने अंदर दाखिल होते हुए मोहित से पूछा- “दरवाजा क्यों बंद किया था...”
मैं तब तक अपने कपड़े पहनकर बाहर आ चुकी थी। मैंने बात को संभालते हुए कहा- “मैंने गलती से दरवाजा लाक किया था..."
करुणा ने मुझे देखते ही हैरान होते हुए पूछा- “धन्नो तुम उधर क्या कर रही थी?”
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “मैं मोहित से बातें कर रही थी, तभी मेरी आँख में कुछ घुस गया तो मैं बाथरूम में अपना मुँह धोने गई थी...”
करुणा मेरी बात सुनकर चुप हो गई और हमारे साथ बैठकर बातें करने लगी। मैं कुछ देर उनसे बातें करने के बाद वहाँ से उठकर बाहर आई।

आँटी ने मुझे देखते ही अपने कमरे में बुलाया। मैं आँटी के कमरे में चली गई। आँटी ने मुझसे कहा- “धन्नो मोहित के आने की वजह से हम आज रात कोई रिस्क नहीं लेंगे, वैसे भी मैं बहुत थकी हुई हैं। इसलिये मैं आराम करना चाहती हूँ.”
मैंने आँटी की बात गौर से सुनने के बाद उससे कहा- “आँटी, मैं पढ़ाई करने के बाद सो जाऊँगी...”
आँटी ने मेरे गाल की चुटकी काटते हुए कहा- “धन्नो, तुम बहुत समझदार हो गई हो...”
मैं आँटी के कमरे से निकलकर बिंदिया के कमरे में चली गई। बिंदिया फोन पर किसी से बात कर रही थी। बिंदिया कह रही थी- “नहीं, शादी से पहले कुछ नहीं कर सकती...”
मैं समझ गई की वो रोहन से बात कर रही है।
बिंदिया ने कुछ देर बाद फिर से कहा- “आज रात नहीं प्लीज... ऐसा मत करो, मेरी बात तो सुनो..." और फोन कट गया। बिंदिया ने मायूस होते हए फोन को रख दिया।
बिंदिया के फोन रखते ही मैं अंदर दाखिल हुई और जाकर बेड पर बैठ गई। कुछ देर के बाद बिंदिया ने मुझसे कहा- “धन्नो अच्छा हुआ की तुम आ गई मैं तुमसे बात करना चाहती हूँ..”
मैंने कहा- “बोल बिंदिया क्या बात है?”
 horseride  Cheeta    
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#69
बिंदिया ने जाकर दरवाजा बंद किया और मेरे साथ बैठते हुए कहा- “धन्नो तुम ही मेरी सबसे ज्यादा करीब हो इसीलिए मैं तुमसे सलाह ले रही हूँ। रोहन कुछ दिनों से मुझे अपने साथ सेक्स करने को कह रहा है, मगर मैं उसे टाल देती हूँ। मगर आज रोहन रात को यहाँ पर आने को बोल रहा है, मैं बहुत कन्फ्यू ज हूँ तुम्हीं बताओ मैं क्या करूं?”
मैंने बिंदिया की पूरी बात सुनने के बाद उससे कहा- “बिंदिया, तुम्हें रोहन पर कितना भरोसा है?”
बिंदिया ने जल्दी से कहा- “अपनी जान से ज्यादा...”
मैंने मुश्कुराते हुए कहा- “फिर डरती क्यों हो? रोहन तुम्हें कभी भी धोखा नहीं देगा, अगर वो कुछ तुमसे माँग रहा है तो, तुम क्यों डर रही हो? तुम भी जवान हो, वो भी हसीन है। फिर जो होता है होने दो..”
बिंदिया मेरे मुँह से ऐसी बातें सुनकर शर्म के मारे लाल हो गई और मुझे बैंक्स कहते हुए कहा- “धन्नो तुमने मेरी सारी मुश्किल को एक मिनट में हल कर दिया...”
बिंदिया ने फोन उठाया और रोहन को फोन लगाते हुए कहा- “रात को 12:00 बजे मुझे मिस काल देना, मैं दरवाजा खोल देंगी...”


कुछ देर तक हम आपस में बातें करते रहे और फिर मैं उठकर अपने कमरे में जाने लगी। बिंदिया ने मुझसे कहा- “धन्नो मैं करुणा के साथ किताबें लेने जा रही हूँ। तुम्हें कुछ चाहिए तो बता दो...”
मैंने कहा- “मुझे कुछ नहीं चाहिए। तुम कब जा रही हो और तुम्हें कितनी देर लगेगी?”
बिंदिया ने कहा- “दो ढाई घंटे लग जाएंगे, तुम क्यों पूछ रही हो?”
मैंने कहा- “ऐसे ही पूछ रही थी, तुम जाओ मैं यहीं पर हूँ..”
बिंदिया थोड़ी देर बाद करुणा के साथ घर से चली गई और मैं अपने कमरे में आ गई। सोनाली आँटी अचानक मेरे कमरे में दाखिल होते हुए बोली- “धन्नो मैं पूनम के घर जा रही हूँ, दो घंटों में आ जाऊँगी। घर का खयाल रखना..."
मैंने आँटी से कहा- “आप जाओ मैं यहीं पर हूँ..” पूनम हमारे पड़ोस में रहने वाली आँटी का नाम है, जो सोनाली आँटी की अच्छी सहेली है।
आँटी के जाने के बाद मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और जल्दी से मोहित के कमरे में घुस गई। कमरे में मोहित नहीं था, मगर पानी की आवाज आ रही थी। मैं समझ गई की मोहित नहा रहा है। मैं बाथरूम की तरफ जाने लगी, बाथरूम के पास पहुँचकर मैं खुशी के मारे उछल पड़ी, क्योंकी बाथरूम का आधा दरवाजा खुला हुआ था।
मैंने अपनी टाप और स्कर्ट उतार दी और ब्रा और पैंटी में ही बाथरूम का दरवाजा खोलकर अंदर दाखिल हो गई। मोहित सिर्फ अंडरवेर में शावर के नीचे अपनी धुन में नहा रहा था। उसने मुझे नहीं देखा। मैं उसके पीछे जाकर उससे लिपट गई। मोहित मेरी नरम चूचियों का अहसास अपनी पीठ पर महसूस करते ही चौंक गया और सीधा होकर मेरी तरफ देखते हुए कहने लगा- “धन्नो तुम यहाँ से जाओ, कोई आ जाएगा...”
मैं आगे बढ़ते हुए उससे लिपट गई, उसका गीला जिम मैं अपनी चूचियों पर महसूस करते ही सिहर उठी। मैंने उसके कंधे को चूमते हुए कहा- “यहाँ पर कोई नहीं आएगा, तुम चिंता मत करो। सभी बाहर गये हैं यहाँ पर सिर्फ हम दोनों हैं."
 horseride  Cheeta    
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#70
मोहित थर-थर काँप रहा था। मेरी बात सुनकर वो कुछ नार्मल हुआ। मैं उसके कंधे को चूमते हुए उसके होंठों तक आ गई। मेरे गुलाबी होंठों को मोहित अपने होंठों पर महसूस करते ही मुझसे जोर से लिपट गया और मुझे बेतहाशा चूमने लगा। मैं भी मोहित की पीठ को सहलाते हुए उसके होंठ चूसने लगी, शावर के नीचे होने की। वजह से मैं पूरा भीग चुकी थी। मोहित मेरे होंठों को चूसता हुआ नीचे बढ़ने लगा और मेरी गीली ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को चूसने लगा।
मैंने अपना हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा को खोल दिया। मोहित ने मेरी ब्रा को मेरे जिश्म से अलग करते हुए मेरी गोरी-गोरी चूचियों को खा जाने वाली नजरों से देखने लगा। शावर से पानी निकलकर मेरी चूचियों से होता हुआ नीचे गिर रहा था। मोहित ने अपनी मुँह खोलकर मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसपे गिरते हुए पानी को चूसने लगा।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे आह्ह्ह... निकल गई।
मोहित कुछ देर तक मेरी चूचियों को चूसने के बाद नीचे होता हुआ मेरे को चूमते हुए मेरी चूत की तरफ जाने लगा। मेरे सारे शरीर में सिहरन दौड़ने लगी, मोहित ने और नीचे होते हुए अपना मुँह मेरी कच्छी पर रखकर उसका पानी चूसने लगा। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। मोहित ने अपने हाथ से मेरी कच्छी को पकड़कर नीचे कर दिया और मेरी गुलाबी चूत को बड़े गौर से देखने लगा।
मैंने अपनी कच्छी को टाँगों से निकल दिया और मोहित के सिर में हाथ डालकर अपनी चूत पर दबा दिया। मोहित ने मेरी चूत की महक सँघते हुए मेरी चूत के दाने को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा। मोहित का मुँह मेरी चूत पर पाते ही मेरी साँसें बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित मेरी चूत के दाने को छोड़कर नीचे जाने लगा। मोहित मेरी चूत की पतली दीवार पर अपना मुँह रखकर चूमने और अपने दोनों हाथों से मेरी चूत के होंठ खोलकर नाक से अपनी साँसें पीछे खींचते हुए मेरी चूत की गंध का आनंद लेने
लगा।
मोहित जैसे ही अपनी साँसें पीछे खींचता, उसकी गर्म साँसों के खीचाओ से मेरे मुँह से मजे के मारे ओहह... निकल जाती। मोहित अब अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के बीच में फिराने लगा, उसकी गरम जीभ के अहसास से मैं काँपने लगी। मोहित ने अपनी जीभ गोल-गोल घुमाते हुए मेरी चूत में डाल दी। मैं यह सब बर्दाश्त नहीं कर सकी और मजे से अपनी आँखें बंद करते हुए आह्ह्ह... करते हुए झड़ने लगी। मोहित मेरी चूत से निकलता हुआ एक-एक कतरा चूसने लगा।
 horseride  Cheeta    
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#71
कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली और मोहित को बालों से पकड़कर ऊपर उठाते हुए उसके मेरे पानी से भीगे होंठों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। कुछ देर तक मैं उसके होंठ चूसती रही और फिर नीचे होते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके सारे जिश्म को चाटते हुए नीचे होने लगी। मैं अब मोहित के अंडरवेर तक आ गई थी। मैं अपनी जीभ मोहित के अंडरवेर के ऊपर से ही उसके खड़े लण्ड पे फिराने लगी।
मोहित मेरी जीभ का स्पर्श अपने लण्ड पर पाते ही आह्हह... करते हुए अपनी आँखें बंद कर लिया। मोहित का लण्ड अब बहुत जोर से अंडरवेर में उछालने लगा। मैंने अपने हाथों से मोहित का अंडरवेर नीचे सरका दिया। मोहित का लण्ड अंडरवेर उतरते ही स्प्रिंग की तरह उछलता हुआ बाहर आ गया। उसका लण्ड देखकर मेरे मुँह में पानी आने लगा। मोहित का लण्ड बहुत मोटा और लंबा था, वो मंदिर के घंटे की तरह मेरे सामने लहरा रहा था।
मैंने अपना हाथ बढ़कर उसे पकड़ लिया और अपने हाथ से उसे आगे-पीछे करने लगी, मेरा हाथ पड़ते ही मोहित उछल पड़ा और जोर से सिसकने लगा। मैं अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाड़े पर फिराने लगी और अपना पूरा मुँह खोलकर उसका सुपाड़ा अंदर करने लगी। मोहित ने मजे से सिसकारते हुए मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने चूतड़ों को हिलाकर अपने लण्ड के टोपे को अंदर-बाहर करने लगा।


मैं अपने होंठों से उसे चूसने लगी। तभी मोहित जोर से हाँफते हुए मेरे सिर को पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने लगा। इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती, मोहित का वीर्य मेरे मुँह को भरने लगा। मैंने आज तक किसी का वीर्य पिया नहीं था। मैं अपने मुँह से मोहित का लण्ड निकालने की कोशिश करने लगी, मगर वो मेरे सिर को जोर से पकड़े हुए था।
मैं मजबूर होकर उसके वीर्य को गटकने लगी, उसके वीर्य का स्वाद अजीब था। कुछ देर बाद मोहित ने अपनी पकड़ ढीली की। मैं अपने मुँह से उसका लण्ड निकलकर खांसने लगी, क्योंकी उसके वीर्य की कुछ बूंदें मेरे गले में जाकर लगी थी। मैंने कुछ देर खांसने के बाद मोहित की तरफ देखा। उसका लण्ड सिकुड़कर ढीला हो चुका था। मैं अपने घुटनों के बल बैठकर उसके लण्ड को फिर से चाटने लगी, मेरे पास टाइम कम था, इसीलिए मैं उसे जल्दी तैयार करने चाहती थी। कुछ ही देर में मोहित का लण्ड फिर से तनने लगा।
मोहित ने शावर बंद करते हुए मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम से निकालकर मुझे बेड पर पटक दिया। मेरा पूरा शरीर हवस की आग में तप रहा था। मोहित मेरी तरफ गौर से देखते हुए मेरे ऊपर चढ़ गया
और मेरे नरम होंठों को चूमने लगा। मोहित ने मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगी।
मोहित ने अपने हाथों से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें मसलने लगा। मैं भी अपना हाथ नीचे लेजाकर उसके तने हुए लण्ड को अपनी मुट्ठी में ले लिया और उसे आगे-पीछे करने लगी। मेरा हाथ मोहित अपने लण्ड पर महसूस होते ही झटपटाने लगा और मेरे होंठों को छोड़कर अपनी जीभ से मेरे कंधे को चाटने लगा।
मोहित मेरे कंधे पे अपनी जीभ फिराते हुए अचानक उसे मेरे कान में डाल दिया। मोहित की जीभ को अपने कान में महसूस करते ही मैं उछल पड़ी, मुझे अजीब किस्म का मजा आ रहा था और मेरा पूरा शरीर सिहर उठा। मोहित अब और नीचे जाते हुए मेरी चूचियों के ऊपर अपनी जीभ फिराते हुए अपनी उंगलियों से मेरी चूचियों के तने हुए दाने को मसलने लगा। मेरे मुँह से मजे के मारे सिसकियां निकलने लगी, मैं मोहित के सिर को पकड़ते हुए उसका मुँह अपनी चूचियों के दाने पर रख दिया। मोहित मेरी चूचियों को एक-एक करके चूसने और काटने लगा।
मेरे मुँह से मजे के मारे हल्की चीखें निकल रही थी और मेरी चूत ना जाने कितना पानी बहा चुकी थी। मैंने मोहित को बालों से पकड़ते हुए बेड पर गिरा दिया, तो वो मुझे सवालिया नजरों से देखने लगा। मैं उसके खंबे जैसे खड़े लण्ड को अपने हाथों से पकड़कर सहलाने लगी। मोहित का लण्ड बहुत ज्यादा गरम था। मैं अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी टोपे पर फिराने लगी।
मोहित के लण्ड पर मेरी जीभ पड़ते ही उसके मुँह से मजे के मारे आह्ह... निकल गई। मैंने अपनी जीभ से । मोहित के लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाटते हुए गीला कर दिया। मैं खुद उसके ऊपर आ गई और उसके लण्ड के टोपे को अपनी चूत पर सेट करते हुए नीचे उसके लण्ड पर बैठने लगी। मोहित के लण्ड का टोपा बहुत मोटा था, मगर मेरी चूत के भी ज्यादा गीली होने के कारण से उसका टोपा मेरी चूत में घुस गया। मोहित के लण्ड । का सुपाड़ा मेरे चूत में घुसते ही मेरे मुँह से 'ओईई' निकल गया। मैं अपना पूरा वजन लण्ड पर डालते हुए धप्प के साथ उसपर बैठ गई।
 horseride  Cheeta    
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#72
मोहित का लण्ड मेरी चूत में अपनी जगह बनाता हुआ जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से उठे दर्द के कारण ‘ऊन्ह निकल गया। मेरे साथ मोहित के मुँह से भी ‘आअहहह' निकल गई। मोहित ने मेरी कमर में अपना हाथ डालते हुए मुझे नीचे झुका लिया और मेरे होंठों को चूमते हुए नीचे से अपने चूतड़ हिलाने लगा। मोहित का लण्ड मेरी चूत में उछल कूद मचाने लगा और मैं अपनी चूत में मीठे मजे के अहसास के साथ अपनी चूत को सिकोड़कर उसका जवाब देने लगी।
मेरे चूत सिकोड़ने से मोहित का लण्ड और ज्यादा फूलने लगा। मोहित मेरे होंठों को चूसते हुए हल्का-हल्का ऐंठ रहा था। मैं अब अपने चूतड़ उठाकर मोहित के लण्ड पर हल्के धक्के लगाने लगी। मोहित का लण्ड मेरी चूत की दीवारों से बहुत जोर की रगड़ खा रहा था। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। मैं मोहित के मुँह से अपने होंठ उठाते हुए सीधी हो गई और मोहित के लण्ड के टोपे तक अपनी चूत उठाकर जोर से नीचे बैठ जाती। ऐसा करने से मेरे सारे शरीर में उत्तेजना के मारे सिहरन होने लगी। 5-6 बार ही मैंने ऐसा किया था की मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और उत्तेजना के मारे मेरी आँखें बंद हो गई।
मैं मोहित के लण्ड पे जोर से ऊपर-नीचे होने लगी और कुछ ही देर में हाँफते हुए मोहित के लण्ड पर जोर के धक्के लगाते हुए आह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी। मैंने झड़ते हुए अपनी चूत को फिर से मोहित के लण्ड पर सिकोड़ दिया। मोहित के लण्ड ने मेरी चूत में जोर का ठुमका लगाकर उसे जवाब दिया। मैं निढाल होकर उसके ऊपर लेट गई। मोहित मेरे होंठों को चूसने लगा और मेरी जीभ से अपनी जीभ को रगड़ने लगा।
मैं फिर से गरम होने लगी और अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर उछालने लगी। मोहित ने मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए बेड पर सीधा सुला दिया। मोहित ने मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया, इस पोजीशन में मेरी चूत उठकर मोहित के सामने आ गई। मोहित ने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। उसका लण्ड मेरी गीली चूत में सरकता हुया गायब हो गया। मोहित का लण्ड अंदर घुसते ही मेरे मुँह से आह्ह्ह निकल गई। मोहित अपने लण्ड से मेरी चूत में धक्के मारने लगा।
मैं भी तब तक गरम हो चुकी थी। मैं भी नीचे से अपने चूतड़ उछालने लगी। मोहित का लण्ड मेरी चूत को गहराइयों तक रगड़ता हुआ मेरे पेट तक महसूस हो रहा था। मोहित अब अपना पूरा लण्ड निकालकर जोर से अंदर डाल देता। मोहित के धक्के इतने भयानक थे की उसके हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर काँप उठता।
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे गालियां निकलने लगी- “मोहित तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और शानदार है, तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में गहराइयों तक महसूस हो रहा है। मैं तुम्हें पहले दिन से लाइन दे रही थी, मगर तुम बिल्कुल बुद्धू थे, मेरा इशारा नहीं समझ रहे थे। तुम्हारा गठीला बदन देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी थी, जो आज जाकर तुम्हारे लण्ड ने मिटाई। मैं तुम्हारे लण्ड की गुलाम हो गई हूँ, ऐसा जवान और सख़्त लण्ड मैंने आज तक नहीं चखा...”
मोहित मेरे मुँह से गालियां सुनकर और उत्तेजित होते हुए जोर के धक्के मारने लगा।
मैंने अपनी टाँगों को मोहित की कमर में डाल दिया और कहने लगी- “हाँ ऐसे ही धक्के लगाते रहो ओहह... तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है...”

मोहित भी बहुत गरम हो चुका था। वो मेरी बातों का जवाब देते हुए बोला- “ले रंडी मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत में, मैं तुम्हें पहले दिन ही अपने कमरे में सफाई करते हुए पहचान गया था की तुम मेरे लण्ड से जरूर चुदवाओगी..."
मोहित अब बहुत जोर के धक्के देते हुए काँपने लगा और ऊह्ह... करते हुए मेरी चूत को अपने वीर्य से भरने । लगा। मोहित का गरम वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही मैं भी 'आअहह' करते हुए झड़ने लगी। मोहित का लण्ड न जाने कितनी देर तक मेरी चूत को भरता रहा और फिर मेरे ऊपर निढाल होकर लेट गया।
 horseride  Cheeta    
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#73
कुछ देर बाद मैंने मोहित को अपने ऊपर से हटाया और उसको चुंबन देते हुए बाथरूम में चली गई। बाथरूम में मैंने शावर ओन किया और नहाने लगी। मोहित भी बाथरूम में आ गया और मेरे साथ शावर के नीचे खड़ा हो गया। मोहित मेरे पीछे खड़ा था, उसने अपने हाथ बढ़ाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाते हुए मेरे कंधे को चूमने लगा।
मैंने मोहित से अपने आपको छुड़ाते हुए कहा- “छोड़ो अभी आँटी आने वाली होंगी.”
मोहित मेरी बात को अनसुना करते हुए मेरे कंधे को चूमते हुए मेरी पीठ को चूमने लगा। मेरे मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। मोहित मेरी पीठ को चूमते हुए नीचे मेरे चूतड़ों तक पहुँच गया। मोहित ने मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से मसलते हुए मुझे दीवार के सहारे थोड़ा झुका दिया। मोहित मेरे चूतड़ों को अपने मुँह में लेकर जोर से चूस और काट रहा था, मेरे मुँह से आह्ह्ह... ओहह... निकल रहा था।
मोहित ने अपनी जीभ निकाली और मेरे चूतड़ों को चाटते हुए मेरी गाण्ड के छेद में फिराने लगा। मैं उसकी जीभ को अपनी गाण्ड में महसूस करते ही उछल पड़ी। मेरे पूरे शरीर में करेंट दौड़ने लगा। मोहित मेरी गाण्ड को अच्छी तरह से चाट रहा था। मुझे अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म का अनोखा मजा आ रहा था, जिसके कारण मेरी आँखें मजे से बंद होने लगी। मोहित अब मेरी गाण्ड के साथ मेरी चूत को भी चाट रहा था।
अचानक मोहित सीधा हुआ और अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रगड़ने लगा। मैं कुछ समझ नहीं पा रही थी, क्योंकी मुझपर हवस का नशा चढ़ा हुआ था। मोहित ने अपने लण्ड पर थूक लगाई और मुझे ज्यादा झुकाते हुये अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर सेट करते हुए धक्का लगाया। मोहित का लण्ड मेरी गाण्ड में जाने के बजाए नीचे स्लिप हो
गया।
मैंने मोहित से कहा- “आँटी किसी वक़्त भी आ सकती हैं, और तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है प्लीज... मेरी गाण्ड को कुछ मत करो..."
मोहित ने मेरी बात मान ली और अपना लण्ड मेरी चूत पर रखकर एक धक्का दिया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में गुम हो गया। मेरे मुँह से मजे से आअह्ह्ह... निकल गया। मोहित मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगा रहा था। मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं ‘इस्स्स... करते हुए झड़ने लगी। मोहित मुझे झड़ता हुआ । देखकर बहुत जोर के धक्के लगाने लगा, जिस वजह से मजे के मारे मेरी आँखें बंद हो गई। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली। मोहित वैसे ही मेरी चूत में धक्के लगा रहा था। मेरी चूत में अब जलन होने लगी थी।

मैंने मोहित से कहा- “मुझे चूत में जलन हो रही है, अपना लण्ड निकालो। मैं तुम्हें ऐसे ही झड़ा देती हूँ...”
मोहित मेरी बात मानते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत से निकाल दिया, मैं सीधा होकर घुटनों के बल बैठ गई और अपनी चूत के रस से गीले लण्ड को अपनी जीभ से चाटने लगी। मोहित के लण्ड पर मेरी जीभ पड़ते ही उसके मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। मुझे उसके लण्ड से अजीब किस्म की गंध आ रही थी। मैंने अपना पूरा मुँह खोलकर मोहित का लण्ड अपने मुँह में भर लिया और अपने होंठों से उसे चूसने लगी। मोहित का लण्ड चूसते हुए मैं अपने हाथों से उसकी गोटियां सहला रही थी, मगर मोहित झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मेरा मुँह अब दुखने लगा था।
मैं मोहित के लण्ड को अपने मुँह से निकालकर उसे अपने दोनों हाथों से बड़ी जोर से आगे-पीछे करने लगी। मोहित के मुँह से अब जोर की सिसकियां निकलने लगी, और थोड़ी ही देर में उसके लण्ड से पिचकारियां निकलने लगी। मैंने अपना मुँह खोल दिया। मोहित के लण्ड से निकलने वाली पिचकारियों से मेरे पूरा मुँह गीला हो गया और कुछ वीर्य मेरे मुँह के अंदर भी भर गया। मैं अपने मुँह में पड़ा हुआ वीर्य गटकने लगी और अपना मुँह खोलकर मोहित के लण्ड को साफ कर दिया। उसके बाद मोहित और मैंने मिलकर नाहया और अपने कपड़े पहनकर बातें करने लगे।
मोहित ने बातें करते हुए मुझसे पूछा- “धन्नो तुम तो अभी कुँवारी हो या फिर तुम किसी से चुदवा चुकी हो?”
मैंने हँसते हुए कहा- “तुम आम खाओ पेड़ क्यों गिनते हो? वैसे तुम कितनी लड़कियों को चोद चुके हो?”
मेरी बात सुनकर मोहित बौखला गया।
मैंने उससे कहा- “डरते क्यों हो? मैं किसी को नहीं बताऊँगी...”
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#74
मोहित ने कहा- “मैंने गाँव में एक लड़की को चोदा था, जिसस का नाम रूपा था...” मोहित ने थोड़ी देर रुक कर कहा- “मैं एक लड़की से प्यार भी करता हूँ, वो भी मुझसे प्यार करती है, मगर हम दोनों के बीच अभी तक कोई सेक्स नहीं हुआ है."
मैंने मोहित से पूछा- “उसका नाम क्या है?”
मोहित ने कुछ देर खामोश रहकर कहा- “रिया नाम है उसका...”
तभी दरवाजा खुलने की आवाज आई और आँटी अंदर दाखिल हो गई, आँटी सीधा अपने कमरे में चली गई।
मैंने मोहित से कहा- “मैं जा रही हूँ, थोड़ा सा काम है...” और सीधे आँटी के कमरे में आ गई। आँटी के कमरे में घुसते ही मैं हैरत में पड़ गई। आँटी अपने कपड़े साड़ी निकालकर, पैंटी और ब्लाउज़ में खड़ी थी।
आँटी ने मुझे देखकर कहा- “धन्नो तुमको कोई काम है?”

मैंने अपना कंधा ना में हिलाया।
आँटी ने कहा- “तुम बैठो मैं नहाकर आती हूँ.."
मुझे दाल में कुछ काला लग रहा था, क्योंकी आँटी के कंधे पर लाल निशान थे और वो अपनी टाँगों को फैलाकर चल रही थी। मैं चुदवा-चुदवाकर जान चुकी थी की जब कोई तगड़ा लण्ड चूत में जाता है तो चलने में थोड़ी तकलीफ होती है। मैंने आँटी का राज पता करने की ठानी और बैठकर आँटी का इंतजार करने लगी। आँटी कुछ देर बाद बाथरूम से बाहर निकली। वो अब भी ब्लाउज़ और पैंटी में थी। आँटी ने अलमारी से कपड़े निकाले और पहनने लगी।
तभी मैंने आँटी से पूछा- “आँटी आपके कंधे पर यह लाल निशान कहां से आया?”
आँटी मेरी बात सुनकर थोड़ा हड़बड़ा गई, मगर फिर बात को संभालते हुए कहा- “धन्नो रास्ते में किसी जहरीले मच्छर ने काट दिया था...”
तभी दरवाजे की आवाज आई और बिंदिया और करुणा आ गई। मैं वहाँ से उठकर बिंदिया के कमरे में आ गई।
बिंदिया ने कहा- “मैं बहुत थक गई हूँ, नहाने जा रही हूँ..”
करुणा ने कहा- “चलो मेरे कमरे में चलते हैं..."
हम दोनों करुणा कमरे में आकर कुछ देर तक बातें करते रहे, ऐसे ही कब रात हो गई पता ही नहीं चला। आँटी ने खाना लगाया और हम सबने मिलकर खाना खाया और अपने-अपने कमरे में सोने चले गये।
मैं अपने कमरे में आकर बैठी ही थी की आँटी मेरे कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद करते हुए कहा- “धन्नो आकाश किसी काम के सिलसले में देहली गया हुआ है, तुम सो जाओ वो आज भी नहीं आएगा...” आँटी इतना कहकर वहाँ से चली गई।
मेरा शक आँटी पर बढ़ता ही जा रहा था। वो एक दिन भी चुदाई के बगैर नहीं रह सकती थी। मैं बेड पर लेटते हुए 12:00 बजे का इंतजार करने लगी, क्योंकी रोहन आने वाला था। मैं रोहन और बिंदिया का पहला सेक्स देखने का सोचकर गर्म होने लगी। थोड़ी ही देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खटकने की आवाज आई। मैंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला, तो मेरा मुँह फटा का फटा रह गया। सामने मोहित सिर्फ एक अंडरवेर में खड़ा था।
दरवाजा खुलते ही मोहित अंदर आ गया और दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। मोहित दरवाजा बंद करते ही मुझसे लिपट गया और मुझे बेतहाशा चूमने लगा। मैं पहले से गर्म थी। मैं भी उसका साथ देने लगी। कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को चूमते रहे और फिर मोहित मुझे बेड तक ले आया और मुझे बेड पर गिरा दिया।
 horseride  Cheeta    
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#75
मैं नाइटगाउन पहने हुए थी। मैंने अपना नाइटगाउन उतारकर बेड पर फेंक दिया। मोहित मुझे एक ब्लैक ब्रा और छोटी सी कच्छी में देखकर अपनी जीभ निकालकर अपने होंठों पर फिराने लगा। मेरा गोरा बदन ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रहा था। मोहित मेरे पास बेड के करीब आया, और मेरे गुलाबी होंठों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह में डाल दी, जिसे मोहित बड़े प्यार से चाटने लगा।
मोहित कुछ देर तक मेरे होंठों को चाटने के बाद अपने हाथों से मेरी ब्रा के हुक खोल दिए, ब्रा के हुक खुलते ही मेरी दोनों गोरी-गोरी चूचियां मोहित की आँखों के सामने थीं। मोहित मुझे बेड पर लेटाते हुए मेरे ऊपर आ गया और मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए उनके गुलाबी निपल चाटने लगा। मेरे मुँह से मजे के मारे सिसकियां निकलने लगी। मोहित मेरी चूचियों को चूसने के साथ काट भी रहा था, उसके काटने से मेरे मुँह से ओह... आह्ह.. निकल रहा था।
मोहित अब मेरी चूचियों को छोड़कर नीचे जाने लगा, वो मेरी कच्छी को उतारता हुआ मेरे पैर तक आ गया और मेरी कच्छी को पैरों से उतार दिया।
मोहित ने मेरी कच्छी उतारने के बाद मेरे एक पैर को थोड़ा ऊपर उठाते हुए उसकी उंगलियों से अपनी जीभ फिराने लगा। मैं उसकी जीभ को अपनी उंगलियों पर महसूस करते ही उछल पड़ी। मोहित मेरे पैर की उंगलियों को जुदा करते हुए उनके बीच अपनी जीभ फिराने लगा। मेरे पूरे शरीर में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी और मेरा पूरा शरीर अजीब मजे में डूब गया।
मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी- “मोहित आहहह... क्या कर रहे हो?”
मोहित मेरी सभी उंगलियों के बीच जीभ फिराने के बाद मेरे पैर को चूमता हुआ मेरी गोरी टाँगों से अपनी जीभ फिराने लगा। मोहित नीच से मेरी टाँगों पे अपनी जीभ फिराते हुए ऊपर आने लगा। मेरे पूरे शरीर में वासना की लहर दौड़ने लगी। मोहित ऊपर होते हुए मेरी दोनों टांगों को मेरे पेट तक मोड़ दिया और एक तकिया मेरी कमर के नीचे रख दिया। इस पोजीशन में मेरी चूत और गाण्ड दोनों मोहित के सामने थी। मोहित अपनी जीभ से मेरे चूतड़ों को चाटते हुए मेरी चूत और गाण्ड पर भी अपनी जीभ फिराने लगा।
मैं मजे से हवा में उड़ने लगी, ऐसा मजा आज तक मुझे कभी नहीं आया था। मोहित अपनी जीभ को मेरी चूत के दाने तक चाटते हुए नीचे होता हुआ मेरे गाण्ड के छेद में घुसा देता। मोहित की जीभ मैं अपनी गाण्ड में महसूस करते ही उछल पड़ती और मेरे मुँह से जोर की आहहह... निकल जाती। मोहित ने कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद अपने अंडरवेर को उतारा और अपना फनफनाता हुआ लण्ड मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
मेरी चूत मोहित का मोटा लण्ड महसूस करते ही पानी की बूंदें निकालने लगी जो मोहित के लण्ड को गीला करने लगी। मोहित अपने लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर मेरी चूत पर ऊपर से नीचे फिराते हुए मेरी गाण्ड तक रगड़ने लगा। मेरी साँसें उसके लण्ड को अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही ऊपर-नीचे होने लगी।
मैंने मोहित से कहा- “और कितना तड़पाओगे, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दो...”
मोहित ने मेरे मुँह से यह सब सुनकर अपने लण्ड को मेरी चूत पर रखकर एक जोर का धक्का मारा और उसका मोटा लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से मीठे मजे के ‘आअह्ह्ह' निकल गई। मोहित मेरी चूत में अपना लण्ड बड़े जोर से अंदर-बाहर करते हुए अपनी एक उंगली से मेरी गाण्ड को सहलाने लगा।

उसका हाथ अपनी गाण्ड पर महसूस होते ही मेरे पूरे शरीर में एक करेंट जैसा अहसास हो रहा था। मोहित पूरी ताकत से मेरी चूत को चोद रहा था।
मोहित का लण्ड मेरी चूत में बहुत जोर की रगड़ खा रहा था, जिसके कारण मेरे मुँह से इह्ह... ओहह... निकल रहा था। मोहित ने मुझे ऐसे ही चोदते हुए अपनी उंगली को अपने मुँह में डालकर गीला किया और अपनी गीली उंगली को मेरी गाण्ड पर फेरते हुए उसे अंदर डाल दिया।
मोहित की उंगली गाण्ड में घुसते ही मैं उछाल पड़ी। मैंने आज तक अपनी गाण्ड में कुछ भी नहीं डाला था। मोहित मेरी गाण्ड में अपनी उंगली को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करते हुए अपने लण्ड से मुझे चोदने लगा। मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा और मेरी चूत मोहित के लण्ड को अपनी गिरफ्त में लेते हुए उसपर खुलने और बंद होने लगी। मोहित मेरी चूत के सिकुड़ने से समझ गया की मैं झड़ने वाली हैं। इसीलिए वो अपना लण्ड पूरा बाहर तक निकालकर अंदर घुसाने लगा।
 horseride  Cheeta    
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#76

मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ओह्ह... आह्ह्ह... निकल रहा था और अचानक मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मेरी चूत से पानी की नदियां बहने लगी। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। मोहित ने मुझ जोर से चोदते हुए अपनी पूरी उंगली मेरी गाण्ड में घुसा दी और तेजी से अंदर-बाहर करने लगा।
मेरे मुँह से ‘ओईई... आअह्ह्ह...' निकला और मैं फिर से अपने झड़ने का मजा लेने लगी। कुछ देर झड़ने के बाद मुझे होश आया, तो मोहित अभी तक वैसे ही धक्के लगा रहा था। मोहित ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला, तो उसका लण्ड च की आवाज के साथ मेरी चूत से निकल गया।
मोहित ने मुझसे कहा- “धन्नो उल्टा हो जाओ मैं तुम्हें पीछे से चोदता हूँ..”
मैं उल्टा कुतिया की तरह हो गई। मोहित उल्टा होते ही मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से मसलने लगा और अपनी जीभ निकालकर मेरी गीली चूत पे फिराने लगा। मोहित की इस हरकत से मैं फिर से गरम होने लगी। मोहित अपनी जीभ से मेरी चूत का पानी चाटते हुए अपनी एक उंगली से मेरी गाण्ड को कुरेदने लगा। मोहित की उंगली अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही मेरे मुँह से 'इस्स्स्स ’ निकल गया। मोहित अपनी उंगली मेरी गाण्ड में डालकर जोर से अंदर-बाहर करने लगा और अपनी जीभ मेरी चूत पे फिराते हुए गाण्ड के सुराख तक ले जाने लगा।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रही थी। मैं जानती थी के आज मोहित मेरी गाण्ड को फाड़कर ही दम लेगा। मेरे पूरे शरीर में उत्तेजना और डर की लहर दौड़ रही थी। मोहित ने अचानक मेरी गाण्ड से अपनी उंगली निकालकर उसमें जीभ फिराने लगा। मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आअह्ह्ह' निकल गई। मेरी गाण्ड बहुत ज्यादा टाइट होने की वजह से मोहित की जीभ मेरी गाण्ड में अंदर नहीं जा रही थी। मोहित ने अपनी दो उंगलियों को मेरी चूत में डाल दिया और आगे-पीछे करते हुए बाहर निकाला। उसकी उंगलियां मेरे चूत के पानी से भीग चुकी थीं। मोहित ने मेरी गाण्ड को अपनी जीभ से गीला किया और अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड में डालने लगा।
उसकी उंगलियां अभी एक इंच ही मेरी गाण्ड में घुसी थी की मेरे मुँह से दर्द के मारे- “ओह्ह... मर गई...” की चीख निकल गई।


मोहित मेरी चीख सुनकर अपनी उंगलियों को और अंदर ना करते हुए आगे-पीछे करने लगा। थोड़ी देर के बाद मोहित ने अपनी उंगलियों को जोर से अंदर-बाहर करते हुए उन्हें पूरा मेरी गाण्ड में घुसेड़ दिया।
मेरी गाण्ड में बहुत जोर का दर्द हुआ और मेरे मुँह से- “ओईइ... मैं मर गई..” निकल गया।
मोहित ने अपनी उंगलियां मेरी गाण्ड में डाले हुए ही पूछा- “कोई वैसेलीन है तुम्हारे पास?”
मैंने अपनी उंगली से ड्रेसिंग टेबल की तरफ इशारा किया। मोहित ने अपनी उंगलियां मेरी गाण्ड से निकाली और बेड से उठकर ड्रेसिंग टेबल से वैसेलीन लेकर आ गया। मोहित अपनी उंगली से वैसेलीन निकालकर मेरी गाण्ड में डालने लगा। वैसेलीन की चिकनाहट से मोहित की एक उंगली बड़े आराम से अंदर-बाहर होने लगी। मोहित ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गाण्ड में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसकी दो उंगलियां बड़े आराम से मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर हो रही थी।
मोहित ने अब अपनी दोनों उंगलियां मेरी गाण्ड से निकाली और उन्हें वैसेलीन से बहुत ज्यादा चिकना करते हुए मेरी गाण्ड में डाल दिया और उन्हें मेरी गाण्ड में दाएं बाएं करते हुए मेरी पूरी गाण्ड को चिकना कर दिया। मोहित ने अब वैसेलीन से अपने पूरे लण्ड को चिकना कर दिया और थोड़ी वैसेलीन निकालकर अपने लण्ड के सुपाड़े और मेरी गाण्ड के ऊपर लगा दी।
मोहित ने मुझसे कहा- “थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना...” और अपने लण्ड का टोपा मेरी गाण्ड के छोटे से छेद पर रख दिया।
मेरा सारा शरीर अंजाने मजे और डर से काँपने लगा। मोहित ने मेरे चूतड़ों को अपने मजबूत हाथों से कसकर पकड़ लिया और एक जोर का धक्का मारा, और मोहित के लण्ड का मोटा सुपाड़ा मेरी नाजुक गाण्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली- “ओईई... माँ मर गई, आहहह... बहुत दर्द हो रहा है, मोहित प्लीज... निकालो...” उस वक़्त मुझे ऐसा महसूस हो रहा था की जैसे मेरी गाण्ड में किसी ने मिर्ची डाल दी हो।
 horseride  Cheeta    
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#77
मोहित बिना हिले डुले अपनी उंगली से मेरी चूत को सहलाने लगा। मोहित का हाथ अपनी चूत पर महसूस होते ही मैं अपनी गाण्ड का दर्द भूल गई और मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। मोहित मुझे कुछ शांत देखते हुए मेरी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए मेरी गाण्ड में अपने लण्ड के टोपे को ही थोड़ा सा आगे-पीछे करने लगा। मेरी गाण्ड में फिर से दर्द होने लगा, मगर उतना नहीं जितना पहले हुआ था। मोहित ने अचानक अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को जोर से पकड़ते हुए एक जोरदार धक्का मार दिया, उसका लण्ड मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ आधे से ज्यादा मेरी गाण्ड में घुस गया।
मेरी आँखों के सामने अंधेरा होने लगा और मेरे मुँह से एक भयानक चीख निकल गई- “ऊओईई माँ मेरी गाण्ड ऊह्ह...” मैं पूरा झटपटा रही थी।

मोहित ने मुझे बहुत जोर से पकड़कर रखा था। मेरी आँखों से आँसू बहने लगे। मेरी गाण्ड में बहुत जोर की जलन और दर्द हो रही थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे किसी ने मेरी गाण्ड में कोई गरम लोहे का टुकड़ा डाल दिया हो। मोहित मेरे ऊपर थोड़ा झुक कर मेरी चूचियों को सहलाने लगा, तो मुझे कुछ बेहतर महसूस होने लगा। मोहित ने कुछ देर तक मेरी चूचियों को सहलाने के बाद सीधा होते हुए मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी। मैं बहुत जोर से उछल पड़ी। मोहित की उंगली मेरी चूत में पाते ही मुझे उसका लण्ड और उंगली मेरी गाण्ड और चूत में एक साथ महसूस होने लगे।
मोहित अपनी उंगली को बहुत जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मैं अपना दर्द भूलकर फिर से गरम होने लगी और मेरे मुँह से अब हल्की सिसकियां “आहहह.. आह्ह्ह...' निकलने लगी। मोहित मुझे गरम होता हुआ देखकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में थोड़ा-थोड़ा अंदर-बाहर करते हुए अपनी उंगली भी मेरी चूत में अंदर-बाहर करने लगा। मेरी गाण्ड में अब दर्द के साथ मीठे मजे का अहसास भी होने लगा। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे आअह्ह्ह... निकलने लगी। मोहित अब मेरी गाण्ड में अपने लण्ड से जोर के धक्के लगाने लगा और अपनी उंगली को मेरी चूत से निकालकर मेरे चूतड़ों को जोर से थाम लिया। मोहित अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड से निकालकर फिर जोर से अंदर घुसा देता।
उसके हर धक्के के साथ मैं पूरा कॉप जाती और मेरे मुँह से ‘ओईए ऊह्ह...' निकल जाता। मोहित के हर धक्के के साथ उसका लण्ड मेरी गाण्ड में और सरक कर अंदर हो रहा था। उसका लण्ड इतना मोटा था की वो मेरी गाण्ड में होते हुए भी हर धक्के के साथ मेरी चूत में रगड़ खा रहा था। मेरा पूरा शरीर अजीब मजे में डूब चुका था और अचानक मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा और मैं ऊह्ह... आह्ह्ह...' करते हुए झड़ने लगी।
मेरी चूत से पानी निकलकर बेड पर गिरने लगा। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मेरी गाण्ड मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगी। मोहित मेरी गाण्ड सिकोड़ने को बर्दाश्त नहीं कर सका और बहुत जोर के धक्के मारते हुए अपना लण्ड मेरी गाण्ड में जड़ तक घुसाकर झड़ने लगा। उसका वीर्य मेरी गाण्ड में गिरते हुए मुझे बहुत मजा दे रहा था। कुछ देर तक झड़ने के बाद मोहित ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से निकाला। उसका लण्ड पच्च की आवाज के साथ बाहर निकला।
मेरी गाण्ड से वीर्य और खून साथ में निकलकर बेड पर गिरने लगा। मोहित निढाल होकर बेड पर लेट गया और मैं भी निढाल होकर वहीं गिर पड़ी। थोड़ी देर ऐसे ही बेड पर लेटे रहने के बाद, मैं उठकर बैठ गई और अपनी गाण्ड को देखने लगी। मेरी गाण्ड के छेद से अभी भी मोहित का वीर्य निकल रहा था, और मेरी गाण्ड का छेद बिल्कुल खुला हुआ था।
मोहित मुझे अपनी गाण्ड की तरफ निहारते हुए देखकर कहने लगा- “क्या देख रही हो... तुम्हारी गाण्ड अब कुँवारी नहीं रही...”
मैं उठकर बाथरूम जाने लगी, मगर मेरी गाण्ड में बहुत दर्द हो रहा था, मैं उठ नहीं पाई। मोहित ने उठकर मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बाथरूम के टब में डाल दिया। मोहित ने टब का नल खोल दिया और टब पानी। से भरने लगा। टब का पानी मेरी गाण्ड पर पड़ते ही मेरी गाण्ड में जलन कम होने लगी, और मुझे कुछ सुकून महसूस होने लगा।
 horseride  Cheeta    
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#78
मोहित मेरे पीछे टब में आकर बैठ गया और मेरी पीठ पर साबुन मलने लगा। मेरी पीठ पर अच्छे तरीके से साबुन मलने के बाद, मोहित उठकर मेरे सामने बैठ गया। मोहित ने मुझे टब में सीधा लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरी चूचियों के ऊपर साबुन मलने लगा। मोहित का हाथ अपनी चूचियों पर महसूस होते ही मेरी । आँखें मजे से बंद होने लगी। मोहित मेरी चूचियों पर अच्छे तरीके से साबुन मलते हुए, अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। मोहित अब मेरे पेट पर साबुन मल रहा था। वो अपना हाथ और नीचे ले जाते हुए मेरी चूत तक पहुँच गया।

मोहित ने मेरी दोनों टाँगों को पूरी तरह से फैला दिया और साबुन को मेरी चूत पर मलने लगा। वो साबुन को मेरी चूत के दाने से लगाते हुए मेरी गाण्ड तक मलने लगा। मोहित का हाथ अपनी गाण्ड पर पाते ही मेरे मुँह से ऊहह.. निकल गया। मोहित ने साबुन को साइड में रखते हुए अपने हाथ में पानी लेकर मेरी चूत पे लगा हुआ साबुन साफ करने लगा। मोहित मेरी चूत का साबुन अच्छी तरह से साफ करने के बाद, अपनी उंगली मेरी गाण्ड में डालकर उसे अंदर से साफ करने लगा। मोहित के हाथों के जादू से मैं फिर से गरम होने लगी। मैंने सीधा होते हुए, मोहित को सीधा लेटा दिया और साबुन को अपने हाथ में लेकर उसके टाँगों पर मलने लगी। मैं मोहित की टाँगों को साबुन लगाते हुए ऊपर बढ़ने लगी। मेरा हाथ जैसे ही मोहित के लण्ड तक पहुँचा, उसके मुँह से आह्ह्ह... निकल गई।
मैंने अपने हाथ से मोहित के लण्ड को पकड़ लिया और दूसरे हाथ से उसपर साबुन मलने लगी। मोहित का लण्ड मेरे हाथ के स्पर्श से तनने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अच्छे तरीके से साबुन लगाने के बाद, उसके लण्ड के आसपास की झांटों पे साबुन रगड़ने लगी। मोहित की झांटों में साबुन लगने से झाग बनने लगा और उसका लण्ड पूरा तनकर मुझे सलामी देने लगा। मैं अपने हाथ से मोहित के पेट को साबुन लगाते हुए ऊपर बढ़ने लगी।

मैं अपनी दोनों टाँगें फैलाकर मोहित के ऊपर बैठ गई और अपने हाथों से उसके बालों वाले सीने पे साबुन मलने लगी। मोहित बहुत उत्तेजित हो चुका था, उसका लण्ड मेरी गाण्ड पे ठोकरें मार रहा था। मोहित ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर में डालकर मुझे थोड़ा ऊपर उठा दिया। उसका लण्ड अब सीधा मेरी चूत पर टिक गया। मोहित ने मुझे उसी पोजीशन में अपने लण्ड पर बिठा लिया, और मेरी कमर को नीचे की तरफ दबा दिया। मोहित का साबुन की चिकनाई से भरा हुआ लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।

मेरे मुँह से मजे के मारे ‘आअहह' निकल गई। मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ उछालने लगी। मोहित के लण्ड पर साबुन लगे होने के कारण जैसे ही मेरे चूतड़ उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होते, पच-पच की आवाज गूंज उठती। कुछ ही धक्कों के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं उसके लण्ड पर जोर से कूदते हुए हाँफते हुए झड़ने लगी।

मोहित ने मेरे झड़ने के बाद मुझे अपने ऊपर से उठाकर सीधा लेटा दिया और मेरी टाँगों को फैलाते हुए मेरी गाण्ड पर साबुन मलने लगा। मेरी गाण्ड को पूरी तरह चिकना करने के बाद मोहित ने अपने लण्ड पर भी साबुन का झाग बनाया और मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया। मोहित ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। उसका लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।

मेरे मुँह से “ओईई... ऊह्ह...' निकल गया, मैं हैरान रह गई क्योंकी मेरी गाण्ड में उसका लण्ड एक ही झटके में घुस गया था। और मुझे कुछ खास दर्द भी नहीं हुआ था।

मोहित अपने लण्ड को बहुत जोर-जोर से मेरी गाण्ड में अंदर-बाहर करते हुए मुझे चोद रहा था। मेरे मुँह से । उत्तेजना के मारे आहह्ह.. निकल रहा था। मोहित नीचे झुकते हुए मेरी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और मेरी गाण्ड को बहुत जोर से चोदने लगा। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी और अपने हाथों से मोहित के चूतड़ों को पकड़कर उसका लण्ड अपनी गाण्ड में लेने लगी। कुछ ही देर बाद मोहित का सारा बदन काँपने लगा और वो मेरी गाण्ड में बहुत जोर के धक्के लगाते हुए झड़ने लगा।

मोहित के लण्ड से गरम वीर्य की पिचकारियां मेरी गाण्ड को भरने लगी और उसके साथ मेरी चूत ने भी पानी का फुवारा छोड़ दिया। हम दोनों कुछ देर ऐसे ही निढाल पड़े रहे और फिर नहाकर फ्रेश हो गये और कमरे में आकर अपने-अपने कपड़े पहन लिए। मोहित अपने कमरे में चला गया और मैं रोहन के आने का इंतजार करने लगी। मोहित ने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दिया था। मेरी गाण्ड में अब भी हल्का-हल्का दर्द हो रहा था। मगर वो दर्द, जो मजा मुझे आया था उसके सामने कुछ भी नहीं था।

मैं बेड पर लेटे हुए बिंदिया और रोहन के बारे में सोच रही थी। बिंदिया बिल्कुल अनछुई थी। आज तक उसे किसी ने हाथ नहीं लगाया था। मैं यह सोच ही रही थी की दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं भागकर अपने दरवाजे तक आ गई और की-होल में से बाहर देखने लगी।

बिंदिया और रोहन चुपचाप कमरे की तरफ जा रहे थे। उनके कमरे में जाते ही मैं अपने कमरे से बाहर आ गई
और उनके कमरे में देखने का सुराख हूँढ़ने लगी। मुझे थोड़ी देर में ही एक खिड़की थोड़ी खुली हुई मिल गई, जहाँ से मैं रोहन और बिंदिया की पहली चुदाई देख सकती थी। मैं वहाँ पर खड़ी रहकर अंदर देखने लगी।
 horseride  Cheeta    
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#79
रोहन अंदर दाखिल होते ही बिंदिया से लिपट गया और उसे चूमने लगा। बिंदिया भी उसका साथ देते हुए उसके चुंबनों का जवाब देने लगी। बिंदिया को देखकर मैं हैरान रह गई, क्योंकी वो आज नई साड़ी पहनकर बिल्कुल दुलहन की तरह सजी हुई थी। रोहन बिंदिया की साड़ी को पकड़कर उतारने लगा। बिंदिया की साड़ी उतरते ही उसका गोरा जिश्म रोहन के होश उड़ाने लगा। बिंदिया के जिश्म पर सिर्फ एक पैंटी और ब्रा बची थी, बिंदिया की भारी-भारी चूचियां उसकी ब्रा को फाड़कर बाहर आने के लिए मचल रही थीं, और उसका गोरा जिम रोशनी में चमक रहा था।

रोहन बड़े गौर से अपनी होने वाली पत्नी को ऊपर से नीचे तक निहारने लगा। रोहन को ऐसे निहारते हुए देखकर बिंदिया ने शर्म के मारे अपना कंधा नीचे कर दिया और अपने हाथों से अपनी भारी-भारी चूचियों को ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी।

रोहन आगे बढ़कर बिंदिया को बाहों में भरते हुए उसके गुलाबी होंठों को चूमने लगा और अपने हाथों से उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। रोहन ब्रा के हुक खोलने के बाद बिंदिया के होंठों को चूमते हुए नीचे होते हुए उसके कंधे को चूमने लगा। रोहन ने सीधा होते हुए ब्रा को पकड़कर बिंदिया के जिम से अलग कर दिया। ब्रा के अलग । होते ही बिंदिया की 38” इंच साइज की गोरी चूचियां रोहन की आँखों के सामने नाचने लगी। रोहन बिंदिया की चूचियों को देखकर अपनी जीभ होंठों पर फेरने लगा।


बिंदिया ने शर्म के मारे फिर से अपने हाथ अपनी चूचियों पर रख लिए। रोहन ने आगे बढ़कर बिंदिया के हाथों को पकड़कर चूचियों से अलग किया और अपना मुँह खोलकर उसकी एक चूची के कड़े दाने को अपने मुँह में ले लिया और बहुत जोर से चूसने लगा। बिंदिया के मुँह से 'आह' निकल गई। उसने रोहन के सिर को पकड़ लिया और अपनी चूचियों पर दबाने लगी।
मैं यह सब देखकर बहुत गर्म हो चुकी थी और अपने हाथ से अपनी चूत को मसल रही थी।

रोहन ने बिंदिया की चूची को अपने मुँह से निकालते हुए उस बेड पर सीधा लेटा दिया और अपनी शर्ट और पैंट को उतारकर उसके ऊपर चढ़ गया। रोहन अपने दोनों हाथों से बिंदिया की चूचियों को मसल रहा था और उनके निपलों को अपने मुँह में भरकर चाट रहा था। बिंदिया की हालत खराब होने लगी थी, वो बहुत जोर से ओहह... करके सिसक रही थी। रोहन बिंदिया की चूचियों को छोड़ते हुए नीचे बढ़ने लगा और उसके गोरे पेट को चाटते हुए बिंदिया की पैंटी तक पहुँच गया।

रोहन बिंदिया की पैंटी के ऊपर ही अपना मुँह रखकर उसे चूमने लगा। रोहन का मुँह अपनी चूत के पास महसूस करते ही बिंदिया छटपटाने लगी। रोहन ने अपने दोनों हाथों से पैंटी को पकड़ते हुए नीचे सरका दिया। बिंदिया भी बहुत गर्म हो चुकी थी उसने अपने चूतड़ उठाकर पैंटी को उतारने में रोहन की मदद की। बिंदिया की पैंटी उतरते ही रोहन उसकी टाँगों को चौड़ा करते हुए उसकी गोरी चूत को गौर से देखने लगा। बिंदिया ने अपनी चूत के बालों को आज ही साफ किया था।

रोहन नीचे होते हुए बिंदिया की गोरी चूत के ऊपर अपना मुँह रखकर चूमने लगा और अपनी जीभ निकालकर उसके चूत के दाने पर फिराने लगा। बिंदिया अपनी चूत के दाने पर रोहन की जीभ महसूस करते ही सिहर उठी। रोहन बिंदिया की चूत के दाने को चूसते हुए नीचे बढ़ने लगा, और अपनी जीभ उसकी चूत के होंठों पर फिराते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी चूत के होंठों को खोलकर अपनी जीभ उसके लाल छेद में फिराने लगा।

बिंदिया रोहन की जीभ को अपनी चूत के छेद में महसूस करते ही उछल पड़ी, और मजे से आह्ह करते हुए अपने चूतड़ों को रोहन की जीभ पर उछालने लगी। रोहन अपनी जीभ को कड़ा करते हुए उसे बिंदिया की चूत में अंदर तक फेरने लगा। बिंदिया की सहनशक्ति ने जवाब दे दिया और वो अपनी आँखें बंद करते हुए मजे से ओईईई... अहह... करते हुए रोहन के मुँह को अपने पानी से भिगोने लगी। रोहन बिंदिया के पानी को अपनी जीभ से चाटने लगा।

थोड़ी देर बाद बिंदिया को होश आया और वो अपनी नशीली आँखों से रोहन को देखने लगी। अब रोहन ने अपनी चड्ढी को भी उतार दिया। बिंदिया रोहन का 8 इंच लम्बा और 22" इंच मोटा लण्ड देखकर डर और उत्तेजना के मारे काँपने लगी।

रोहन ने बिंदिया का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। बिंदिया अपना हाथ रोहन के लण्ड पर रखते ही सिहर उठी। उसके सारे जिम में चींटियां रेंगने लगी और उत्तेजना में उसका हाथ रोहन के लण्ड पर आगे-पीछे होने लगा। बिंदिया को जैसे नशा चढ़ गया था। वो रोहन को सीधा लेटाते हुए उसके लण्ड को अपने दोनों हाथों से आगे-पीछे करते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी छेद को चाटने लगी।
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बिंदिया की जीभ रोहन अपने लण्ड पर महसूस करते ही सिहर उठा और उसके मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। बिंदिया को रोहन के लण्ड से अजीब सी गंध आ रही थी, जिसे महसूस करते ही उसपर ज्यादा नशा चढ़ने लगा था। बिंदिया ने अचानक अपना मुँह खोला और रोहन का टोपा अपने मुँह में भर लिया और उसके लण्ड को । अपने होंठों से चूसते हुए अपने हाथों से उसे नीचे से पकड़कर बहुत जोर से आगे-पीछे करने लगी। रोहन के मुँह से मजे से ओह्ह... निकल गया। बिंदिया बहुत जोर से अपने हाथों से उसे आगे-पीछे कर रही थी।

तभी रोहन ने बिंदिया से कहा- “मेरा निकालने वाला है.”

बिंदिया रोहन की बात को अनसुना करते हुए उसने अपने हाथों से रोहन के लण्ड को आगे-पीछे करते हुए उसे अपने मुँह में ही डाले रही। रोहन के लण्ड से अचानक वीर्य की बारिश होने लगी और रोहन ‘अह' करते हुए बिंदिया के मुँह में पिचकारियां छोड़ने लगा। बिंदिया ने जितना हो सकता था रोहन के वीर्य को गटक लिया और बाकी वीर्य बिंदिया के होंठों से बहकर नीचे गिरने लगा।

रोहन के पूरा झड़ने के बाद बिंदिया ने उसके लण्ड को अपने मुँह से निकाला और उसके टोपे पर अपनी जीभ फिराने लगी। बिंदिया को रोहन के लण्ड का स्वाद बहुत बढ़िया लग रहा था। रोहन ने फिर से अपनी आँखें बंद कर ली और अपना हाथ बढ़ाकर बिंदिया की 38" इंच साइज की चूचियों को पकड़ लिया। बिंदिया रोहन के लण्ड को चाटते हुए अपनी जीभ नीचे ले जाते हुए उसकी गोटियों पर फिराने लगी। रोहन मजे से सिसक रहा था। रोहन ने अचानक बिंदिया को बेड पर सीधा लेटा दिया, और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। रोहन ने बिंदिया की चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ते हुए अपना लण्ड उनके बीच डाल दिया, और बिंदिया की चूचियों को अपने लण्ड पर दबाते हुए धक्के लगाने लगा।

अपनी चूचियों पर रोहन का लण्ड महसूस करते ही बिंदिया के मुँह से आह्ह्ह... निकल गई। रोहन का लण्ड बिंदिया की चूचियों से होता हुआ उसके गुलाबी होंठों तक पहुँच रहा था। रोहन का लण्ड जैसे ही बिंदिया के होंठों तक पहुँचता, बिंदिया अपना मुँह खोलकर जीभ से उसे चाट लेती। रोहन का लण्ड अब तक पूरी तरह तन चुका था, वो बिंदिया के गुलाबी होंठों को अपने दाँतों से काटते हुए नीचे होने लगा।

रोहन ने नीचे होता हुआ बिंदिया की टाँगों को घुटनों तक मोड़ दिया, और उन्हें बिंदिया की चूचियों से थोड़ा नीचे रख दिया। रोहन ने एक तकिया उठाकर बिंदिया के चूतड़ों के नीचे रख दिया। इस पोजीशन में बिंदिया की गोरी चूत का गुलाबी छेद बिल्कुल खुलकर रोहन के सामने आ गया। बिंदिया की चूत के गुलाबी छेद से सफेद-सफेद पानी की बूंदें निकल रही थी। रोहन ने अपनी जीभ निकालकर बिंदिया के पानी को चाट लिया। रोहन की जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही बिंदिया के मुँह से मजे के मारे आह्ह... निकल गई। रोहन अपनी जीभ से बिंदिया की चूत के दाने से खेलने लगा।

बिंदिया के मुँह से कामुक सिसकियां निकलने लगी। बिंदिया का पूरा जिश्म तप कर अंगारे छोड़ रहा था। रोहन ने अपनी एक उंगली बिंदिया की चूत में डाल दी। बिंदिया के मुँह से ओईई निकल गया। रोहन की उंगली बिंदिया की चूत में घुसते ही उसे अहसास हो गया की बिंदिया की इतनी बड़ी दिखने वाली चूत कितनी टाइट और गरम । है। रोहन अपनी उंगली बहुत जोर से बिंदिया की चूत में अंदर-बाहर करने लगा। बिंदिया के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी। रोहन ने बिंदिया को गरम देखकर अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और उसे बिंदिया की चूत पर रखकर रगड़ने लगा।

बिंदिया उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ रोहन के लण्ड पर रगड़ने लगी। रोहन बिंदिया की आँखों में देखने लगा जैसे उससे आगे बढ़ने की इजाजत माँग रहा हो। बिंदिया ने आँखों से ही रोहन को आगे बढ़ने की इजाजत दे दी।

रोहन ने बिंदिया से कहा- “पहली बार में दर्द होगा बर्दाश्त कर लेना...”

बिंदिया ने एक तकिया उठाकर अपने मुँह पर रख लिया। रोहन ने अपना पूरा दबाव डालते हुए अपने लण्ड को बिंदिया की चूत में डालने की कोशिश करने लगा। रोहन के लण्ड को टोपा मोटा होने के कारण बिंदिया की चूत से फिसल रहा था। रोहन ने अपने हाथों से बिंदिया की चूत के होंठों को अलग करते हुए अपना लण्ड वहां पर सेट किया और एक बहुत जोर का धक्का मार दिया। रोहन का लण्ड बिंदिया की झिल्ली को तोड़ता हुआ आधा उसकी चूत में घुस गया। बिंदिया के मुँह से एक चीख निकालकर तकिये में दब गई और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। रोहन का आधा लण्ड बिंदिया की चूत में घुस चुका था।

रोहन ने नीचे झुकते हुए बिंदिया की चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए कहा- “बिंदिया बस हो गया, अब दर्द की जगह तुम्हें मजा आएगा...”

बिंदिया की चूत का दर्द अब कम हो गया था, और वो अपने चूतड़ों को हिलाने लगी। रोहन बिंदिया के चूतड़ों को अपने लण्ड पर हिलता हुआ महसूस करके सीधा हो गया, और अपने लण्ड से बिंदिया की चूत में हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। बिंदिया रोहन के लण्ड को अपनी चूत में रगड़ता हुआ महसूस करके मजे से सिसकने लगी, उसने ख्वाब में भी नहीं सोचा था की इस काम में इतना मजा मिलता है।

रोहन अब जोर-जोर से धक्के लगाते हुए बिंदिया को चोद रहा था। बिंदिया का पूरा शरीर अकड़ने लगा और वो अपने चूतड़ों को रोहन के लण्ड पर जोर से उछालते आह्ह्ह... आहहह... करते हुए झड़ने लगी और अपनी आँखें बंद कर ली। बिंदिया के झड़ने से रोहन के लण्ड पर उसकी चूत का कसाव कम हो गया और उसका लण्ड आराम से अंदर-बाहर होने लगा। रोहन ने मौका देखते हुए अपने लण्ड को पूरा बाहर निकालकर पूरे जोर से अंदर घुसाने लगा। चूत के गीले होने के कारण रोहन का लण्ड बिंदिया की चूत में पूरा जड़ तक घुस गया। रोहन अपने लण्ड को बहुत जोर से बिंदिया की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

बिंदिया के मुँह से आह्ह्ह... की सिसकारियां निकलने लगी।

मैं (धन्नो) भी अपनी दो उंगलियां अपनी चूत में डालकर अंदर-बाहर कर रही थी।

रोहन पूरे जोर के साथ बिंदिया को चोद रहा था। रोहन के हर धक्के के साथ बिंदिया का पूरा शरीर हिल रहा था। बिंदिया का शरीर हिलने से उसकी चूचियां भी उछल रही थी। रोहन ने अपने हाथों से बिंदिया की भारी-भारी चूचियों को पकड़ते हुए नीचे से धक्के लगाने लगा। रोहन का लण्ड जैसे ही बिंदिया की चूत से बाहर निकलता, बिंदिया अपने चूतड़ उछालकर उसे अपनी चूत में भर लेती। बिंदिया की चूत गीली होने के कारण पूरे कमरे में पच-पच की आवाज गूँज रही थी।
 horseride  Cheeta    
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