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Adultery रीमा की दबी वासना
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Wednesday evening
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Wednesday k sham ki raah me....
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बहुत बेताबी है  ;) ;)
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पसीने से तरबतर दोनों नंगे बदन एक दुसरे से चिपक गए और दोनों एक-दूसरे को बाहों में समां गयी | दोनों अपनी तेज धड़कने और सांसे काबू करने लगी | दोनों की रेशमी जुल्फे बिस्तर पर फैली हुई थी | दोनों एक दूसरे को बांहों में थामे अपनी अपनी सांसे हल्की करती रही | रोहिणी रीमा के बाल सहलाने लगी | औरतो का अगर शरीर न थके तो वो कभी रुके ही न | रोहिणी ने आंख खोलकर देखा तो रीमा की अभी भी आंखे बंद थी, शायद उसे संतुष्टि का अहसास की ज्यादा चाहत थी और अब वो उस भंवर को पार कर जाने के सुकून में वो ज्यादा ही शांति महसूस कर रही थी |

रोहिणी - अब तो कोई डर नहीं है मन में 
रीमा ने हलके से आंखे खोली और रोहिणी को देखा, हल्का सा मुसुकुराई और इनकार से सर हिला दिया | रोहिणी ने उसे अपने बाहुपाश में और कसके जकड लिया | रोहिणी रीमा की तरह अंतर्मुखी नहीं थी, उसे कुरेदती हुई पूछने लगी - बता न री चला गया न मन का डर या अभी कही कोने में बैठा हुआ है |
रीमा पूरी तरह से मस्तियाई हुई थी, उसके तेज दिमाग ने ये बात तुरंत पकड़ ली - उसे लगा कही रोहिणी की बात का दूसरा मतलब तो नहीं है | इसलिए उसने उल्टा ही सवाल पूछ लिया - दीदी कौन से डर की बात कर रही हो |
रोहिणी भी समझ गयी रीमा ने बात पकड़ ली लेकिन रोहिणी भी कोई सीढ़ी गाय तो थी नहीं - उसने भी वैसा ही जवाब दिया जैसा रीमा ने सवाल किया था - अरी कट्टो वही डर जो तेरे दिलो दिमाग में घर कर गया था |
रीमा को समझ नहीं आया अब इस पर क्या सवाल पूछे - कौन सा दीदी ? कैसा डर ?
रोहिणी भी कम नहीं थी उसने भी अपना पासा फेंका - ज्यादा लोमड़ी की चूत मत बन, तुझे भी पता है कौन से डर की बात कर रही हूँ |
रीमा रोहिणी के तेवर देख समझ गयी दीदी सीरियस है - हाँ वो तो कब का निकल गया, जब आप पास हो तो डर कैसा |
रोहिणी ने तपाक से बात पकड़ ली - तो दूसरा डर भी निकाल दू |   इतना कहकर उसने रीमा के चूतड़ अपने हाथो में भर लिए और उसे ओंठो को कसकर चूम लिया |  
रीमा हल्का सा शर्मा गयी  | 
रोहिणी तो रीमा के नंगे बदन पर बिलकुल फ़िदा हो गयी थी | रीमा को बहुतो बार नंगे देखा था, उसके साथ एक ही कमरे में कपड़े बदले थे लेकिन कभी उसके बदन की खुसबू इतने करीब से उसके जेहन में नहीं समाई थी | रीमा उनके इतनी करीब थी की उसके अप्सरा जैसे खूबसूरत संगमरमरी बदन रस स्वाद गंध मादकता में वो पूरी तरह से डूब चुकी थी | 
रोहिणी रीमा की शर्माहट से थोड़ी और उत्साही हो गयी - बोल न, दूसरा डर भी निकाल दू या नहीं | 
रीमा हैरानी से - अब कौन सा डर बचा है | रोहणी से उसके नरम मांसल चुताड़ो पर से अपने हाथ फिसलाते हुए उसके चुताड़ो की दरार में घुसाने लगी | उसके होठ सख्ती से तेजी से रीमा के ओंठो से चिपक गए | दोनों के बदन के पसीने की महक दोनों के नथुनों को महकाए हुए थी | रीमा ने कोई प्रतिरोध नहीं किया | रोहिणी ने उंगलियाँ आगे बढ़ा दी और रीमा के मांसल भारी भरकम चुताड़ो की दरार को चीरते हुए उसकी तलहटी में स्थित, रीमा के हलके भूरे गुलाबी कसे गांड की छल्ले की सख्त गिरफ्त की के चारों ओर घुमाने लगी | रीमा ने भी रोहिणी के चूतड़ थाम लिए और मसलने लगी | रोहिणी की उंगलिया रीमा के गुलाबी कसे गांड के ऊपर नाच रही थी, देखादूनी में रीमा भी रोहिणी के उसी इलाके में पंहुच गयी और रोहिणी के चूत और गांड के संधि छेत्र को सहलाने लगी | रोहिणी के अपनी कमर रीमा की कमर से चिपका दी | अपनी चूत त्रिकोण घाटी को रीमा की मखमली चूत घाटी से सटा दिया | दोनों के जांघे एक दुसरे पर क्रॉस बनाकर चिपक गयी | दोनों के बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे | रोहिणी ने अपने हाथ से रीमा का हाथ पकड़कर सीधे अपने चुताड़ो के बीच गांड पर फंसा दिया और उसकी उंगली पकड़कर अपनी गांड में घुसाने लगी | रीमा के लिए बस इशारा काफी था | रोहिणी का हाथ फिर से रीमा के गोरे बदन पर पंहुच गया | रीमा ने रोहिणी के कसे भूरे छल्ले की इस्पाती जकड़न पर दबाव डाला और पूरी तरह से एयर टाइट बंद उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली घुसाने लगी | रीमा को ज्यादा जोर नहीं लगाना पड़ा और दो तीन बार जोर लगाने से ही रीमा की एक उंगली रोहिणी के पिछवाड़े की कसावट को चीरती हुई अन्दर धसने लगी | 
रोहिणी ने भी रीमा के चुताड़ो की दरार के बीच अपनी उंगली का जोर बढ़ा दिया था | उसने अपने मुहँ की लार से अपनी बीच की उंगली भिगोई और रीमा के चुताड़ो की दरार की तलहटी में स्थित उसके पिछवाड़े की सुरंग का छेद जो अपने इस्पाती कसावट और मजबूती वाले छल्ले से पूरी तरह से एयर टाइट बंद था, उस सुरंग के दरवाजे को खोलने का प्रयास करने लगी | रीमा और रोहिणी फिर से वासना के जज्बातों में बहने लगे | रोहिणी की उँगली बार बार जोर लगाती और पीछे हट जाती | रोहिणी सुरंग के मुहाने का गीलापन बढ़ाती और फिर से उंगली के पोर का जोर रीमा की पिछली गुलाबी सुरंग के इस्पाती मुहाने पर बढ़ा देती | रीमा का खुला मुहँ बंद आंखे और तेज होती सांसे ही ये बयां करने के लिए काफी थे कि उसके बदन में वासना की आग लगातार जल रही है | 
रोहिणी ने काफी देर तक रीमा के पिछले मुहाने की इस्पात नरम के बाद उंगली पर कसकर जोर लगाया और उंगली रीमा की कसे हुए इस्पाती गांड के छल्ले को धता बताती हुई अन्दर घुस गयी और रीमा के मुहँ से एक मादक कराह निकल गयी - आआआआआऐईईईईईईईईईईइ ऊऊऊऊऊऊऊऊह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह |
रोहिणी ने मौका ताड़ लिया - मै इस दुसरे डर की बात कर रही थी | तू चलती फिरती वासना की देवी है, तेरे अन्दर की आग भला कभी बुझ सकती है | जिसका जिस्म इतना खूबसूरत हो भला वो औरत इतनी आसानी से कैसे ठंडी हो जाएगी | ये तेरा दूसरा डर, तेरी वासना की अनलिमिटेड प्यास, जिसे तू हमेशा दबाती है छिपाती है |
रीमा कुछ नहीं बोली लेकिन उसके हाथ पाँव धड़कने जैसे सब एक साथ रूक गए हो | ऐसा लग रहा था जैसे रोहिणी ने उसे खुलेआम चोरी करते रंगे हाथो पकड़ लिया हो | वो क्या बोले क्या काहे कैसे रियेक्ट करे कुछ  समझ नहीं आ रहा था | उसकी अनचाही वासना आज फिर से उसके सामने जीने मरने का सवाल बनकर खाड़ी हो गयी | अगर वो सच स्वीकारे तो अपनी ही नजरो में गिर जाये नकारे तो झूठी बन जाये | 
रोहिणी रीमा की मनोदशा  भांप गयी उसने एक और चोट करी - इतना क्या सोच रही है, जो कहा है सोलह आने सच है की नहीं | चुदाई के हजारो अनुभव लिए है मैंने, कुछ बाकि न रखा, इतनी गलत नहीं हो सकती हूँ मै |
रीमा हमेशा की तरह छुप रही |
रोहिणी - तेरी चुप्पी सब सच कहानी कह रही है, मुझे पता है तू नहीं बताएगी लेकिन फिर भी पूछती हूँ |
रोहिणी ने इमोशनल कार्ड खेला - देख दीदी बोलती है झूठ मत बोलना ................सच्ची सच्ची बता आज तक कितनी बार चुदाई करी है | मतलब ठीक से नहीं गिनती याद होगी लेकिन अंदाजा बता | 
रीमा को समझ नहीं आया रोहिणी का सवाल , बड़ी मासूमियत से बोली - मतलब ?
रीमा को दुविधा में देखकर बोली - मतलब की बच्ची, उम्र में मुझसे चार पांच साल छोटी होगी लेकिन मासूम इतनी बन रही है जैसे अभी अभी पैड लगाना सीखा है लंडखोर |
रीमा को कुछ समझ नहीं आया की क्या  जवाब दे | उसकी दुविधा का निवारण करते हुए - ठीक है साफ़ साफ़ सीधा सवाल पूछूंगी, सीधा सीधा जवाब चाहिए नहीं तो तेरी फुद्दी की आज खैर नहीं (उसका कान उमेठते हुए  रोहिणी बोली) |
रोहिणी - बोल न कितनी बार चुदी है अब तक कितने लंड खा चुकी है |
रीमा - ये कौन गिनता है दीदी |
रोहिणी - कुछ तो अंदाजा होगा, वही बता दे |
रीमा शिकायती अंदाज में - दीदी दीदीदीदीदीदी ये कोई याद रखने की बात है क्या ?
रोहिणी - तू है एक नंबर की लंड खोर ये तो मुझे पता था, इतनी आसानी से कैसे पेट के कोने में छिपे राज उगल देगी | अच्छा बता शादी के पहले चुदाई करी थी या नहीं |
रीमा ने इनकार में सर हिला दिया - नहीं |
रोहिणी भी कम नहीं थी - लंड चुसे थे |
रीमा - हाँ |
रोहिणी - कितने ?
रीमा - दो या तीन रहे होंगे |
रोहिणी - दो तीन के चुसे थे या दो तीन बार चुदे थे |
रीमा - दो तो बॉयफ्रेंड थे और एक बार मेरी गली के लड़के ने ही देख लिया था बॉयफ्रेंड के साथ इसलिए उसको भी |
रोहिणी - चुसना पड़ा ................पूरी बात बोला कर हरामन | (रोहिणी ने वाकया पूरा किया और उसके ओंठो को कस कर चूम लिया, पीछे रोहिणी की उंगली रीमा की पिछली सुरंग में आधी गहराई तक आने जाने लगी थी और रीमा इससे बिलकुल बेखबर थी | )
रोहिणी - और कितनी बार चूसा होगा लगभग |  
रीमा - दीदी ठीक से याद नहीं लेकिन एक का 8 से १० बार और दुसरे का भी इतनी ही बार | तीसरे वाला का सिर्फ तीन बार | 20 से ज्यादा बार नहीं हुआ होगा |
रोहिणी - इसका मतलब शादी के पहले कोई लंड नहीं खाया, बस गप्प गप्प करी मुहँ में | और शादी के बाद |
रीमा - क्या बताऊ शादी के बाद की कहानी, आपको तो पता है मै रिसर्च कर रही थी सारा टाइम पढाई और आपके भाई सिक्युरिटी में थे, कभी हफ्ते में एक बार कभी महीने में एक बार घर आते थे | शादी के  पांच सालो में 3 साल तो बाहर ही रहे | आखिर के दो साल ही साथ रहे | बस वही है जो यादो के साथ संजो कर रखा है | बाकि तो सब रेगिस्तान जैसी जिंदगी है |
रोहिणी - सेंटी न ही, सेती और सेक्स दोनों  अलग चीजे है | सेंटी सिर्फ पति के साथ होना चाहिए लेकिन सेक्स किसी के साथ भी हो सकता है | तो बता शादी के बाद कितनी बार | 
रीमा को लगा सब कुछ रोहिणी उसके बारे में ही पूछे जा रही है अपना भी तो कुछ बताये - पहले आप बतावो दीदी |
रोहिणी तो जैसे इसके लिए तैयार बैठी थी | उसके बीच वाली उंगली रीमा की गांड में घुसाए घुसाए उसके मांसल चुताड़ो पर जोर डालकर उसके चूत इलाके को अपने चूत इलाके से और सटा लिया | दोनों की गुलाबी मखमली चूत के नरम ओंठ और चूत दाना आपस में रगड़ खाने लगा | 
रोहिणी ने एक लम्बी साँस भरी - देख मेरी कहानी तो खुली किताब है | शादी के पहले भी कई सारे बॉयफ्रेंड थे | उसनके साथ क्लब जाती थी, सुट्टा मरती थी गांजा पीती थी दारू पीती थी | उसके बाद जो हाथ में आ जाता था उसकी को मुठीयाने लगती थी | फिर एक बार मै प्रेग्नेंट हो गयी | घर में किसी को नहीं बताया | चुपचाप सफाई कराई और खसम खा ली आज के बाद चूत में लंड लेना बंद | कसम तो खा ली लेकिन आदत से मजबूर थी, लंड और लड़को दोनों की आदत पड़ गयी थी, इसलिए चुसना शुरू किया और फिर एक दिन एक लड़के ने पिछवाड़े का सुभारम्भ कर ही दिया | तकलीफ हुई | दो चार बार अच्छा भी नहीं लगा लेकिन एक बार जब समझ में आ गया कैसे करना है तब से लेकर शादी तक किसी लंड को चूत से नहीं खाया | 
रीमा भी रोहिणी की बात को पकड के बैठी थी - दीदी साहित्य नहीं चलेगा , नंबर बताइए | 
रोहिणी ने उसके ओंठो पर अपने दांतों को गडा कर कार लिया - तू एक नंबर ही हरामी चूत है, बस मौके की तलाश में रहती है  कोई मौका नहीं छोडती सामने वाले को पटकने का, बिस्तर पर तू क्या कमाल ढाती है ये तो मै देख ही चुकी हूँ  |
रीमा मिन्नतें करते हुए - बतावो न दीदी |
रोहिणी - मुझे पता है तुझे चूत चुदाई की बाते करने में बड़ा मजा आता है तो सुन ..............शादी से पहले तीन साल मान के चल हर हफ्ते में कम से कम तीन चुदाई या चुसाई होती ही थी | कई बार तो पांच भी हो जाते थे | जब ग्रुप पार्टी होती थी तो कोई गिनती नहीं, जिसका लंड मुहँ में आया उसका मुहँ में, जिसका हाथ में आया उसका हाथ में उसका चूत में घुस गया उसका चूत में | वहां लंड और चुदाई गिनने का कोई मतलब नहीं था | रात भर दारू चलती थी और रात भर हम लडको के लंड मसलते थे, सुबह होने तक तब तक लडको को नहीं छोड़ते थे जब तक उनके लंड पूरी तरह से मुरझाकर सुख न जाये | कर ले गिनती साल के ३६५ दिन और हफ्ते में कम से कम पांच चुदाई औसत | 
रीमा चौंक गयी - बहुत स्टैमिना है आप में दीदी |
रोहिणी - अब कहाँ, अब तो बुढ़ापा शुरू हो गया है |
रीमा की उत्सुकता और बढ़ गयी - फिर शादी के बाद .........................|
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कने लगी थी जबकि रीमा के के हाथ रोहिणी के चुताड़ो पर कब के रुक गए थे | रीमा को कहानी मे ज्यादा दिलचस्पी थी जबकि रोहिणी कहानी भी सुना रही थी और उसके हाथ की उंगलियाँ रीमा के बदन पर बराबर अपना काम कर रहे थे | 
रोहिणी - शादी के तीन महीने पहले ही मै अनिल से मिली थी | अनिल से मिलने के सातवे  दिन मै अनिल के कमरे में गयी | मै डैड द्वारा कमरा दिया जाने से बहुत ज्यादा खफा थी और मैंने इनको सबक सिखाने की सोची थी | मै फुल नशे में थी और इनके कमरे में जाते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और इनसे लिपटने की कोशिश करने लगी | ये बिलकुल शांत रहे | मैंने इन्हें चोदने को भी कहा, अपनी जांघे फैलाकर अपनी नंगी चूत भी खोलकर दिखा दी लेकिन मजाल जो बन्दे की चेहरे पर शिकन आ जाये | हालाँकि उनकी पेंट में तम्बू बन गया था लेकिन उनका रेस्पोंस न देना मेरा गुस्सा बढाता जा रहा था और मेरे ऊपर शराब का नशा भी बहुत हावी हो चूका था | मैंने अनिल को झपट्टा मारकर अपने ऊपर खीचने की कोशिश की और फिसल गयी | फिर क्या हुआ पता नहीं लेकिन सुबह बस यही कहानी पता चली की मै उसके कमरे में फिसल गयी थी और बेहोश हो गयी थी | अगले दिन माथे पर पट्टी बांधे पुरे होशो हवास में मै अनिल के कमरे में गयी और कल रात जो भी ड्रामा किया था उसके लिए माफ़ी मांग ली | उस समय ये सचमुच शरीफ थे | मैं वापस नीचे चली आई और फिर पाट नहीं क्या सुझा अचानक से फिर उनके कमरे में घुस गयी और फिर वहां जो मैंने देखा तो मेरे होश उड़ गए या यू कहो बांछे खिल गयी | अनिल अपने पजामे में हाथ घुसेड़े हिला रहे है | मैंने उन्हें रंगे हाथो मुट्ठ मारते हुए पकड़ लिया |
मेरा पहला सवाल था - किसको सोच कर मुठ मार रहे हो |
अनिल खडभड़ा गए, उन्होंने झट से अपना हाथ बाहर निकाल लिया लेकिन उनके लंड का तनाव और साइज़ दोनों पजामे के ऊपर से साफ़ पता चल रहे थे | मेरे दिमाग में पहला विचार अनिल को सबक सिखाने का आया | कल मेरी वजह से अनिल ने मुझे पूरा का पूरा नंगा बदन सब कुछ देख लिया, छाती पेट नाभि चूतड़ जांघे चूत सब कुछ , आज मै इन्हें नंगा करके देखूँगी |  
रोहिणी - जल्दी बोलो किसको सोचकर लंड मसल रहे थे अपना | 
अनिल ने सर झुका लिया मै समझ गयी वो कोई और नहीं था बल्कि मै ही थी जिसने उनका लंड में अकडन पैदा कर दी थी |
रोहिणी - मुझे सोचकर लंड मुठिया रहे थे, कल नंगा देख लिया, जब चुदवाने आई थी, सारे कपड़े उतारकर नंगी पड़ी थी बिस्तर पर तब कुछ नहीं किया और अब आज उसी को सोच सोचकर लंड मसल रहे हो | चलो जल्दी से कपड़े उअतारो नहीं तो सब कुछ जाकर डैड को बता दूँगी और तुमारी छुट्टी |
रोहिणी रीमा की गांड में पूरी की पूरी उंगली घुसेड़ कर अन्दर बाहर कर रही थी, अब वो उसके चूत दाने को भी मसलने लगी थी | रीमा मदहोश होने लगी थी |  
अनिल तो बेचारे रूआसे हो आये थे | शरीफ थे कभी किसी लड़की के सामने नंगे होना तो दूर बनियान तक नहीं उतारी थी | अनिल की हालत ख़राब हो गयी | चेहरे पर बदहवासी छा गयी | शर्म से सर नीचे झुका लिया | लेकिन मुझे अनिल पर कोई दया नहीं आई मै बदले की आग में जल रही थी | मैंने दुबारा धमकाया, तो चुपचाप कपड़े उतारने लगे | कपड़े उतारते ही जो मैंने देखा वो मेरे अनुमानों से कही ज्यादा था | उनके पैजामा नीचे खिसकाते ही काला लम्बा हाहाकारी भुजंग लंड एक दम से हवा लहरा गया | ऐसा काला लम्बा मोटा तगड़ा लंड मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था उसका हाहाकारी अंदाज मेरी आँखों और दिल में दहसत भर रहा था | जितना अनिल सीधे थे उतना ही उनका लंड खूंखार लग रहा था | कुल पल को तो मेरी आंखे ही उनके लंड पर से न हटी, पूरी तरह से अकड़ा हुआ  तेज खून के दौरान से ऐसे काँप रहा था जैसे वर्षो से भूखा हो और सामने वाले को एक ही झटके में निगल जाना चाहता हो | मेरा ये पहला वास्ता था किसी काले आदमी और उसके हाहाकारी काले लंड से | इतने लंड खाने के बाद जब मैंने उसे इस अंदाज से अभिमान से भरे हुए चुनौती देते देखा तो मेरे अन्दर का ईगो भी जाग गया | पूरी तरह से सख्त लोहे की राड बना हुआ मानो मुझे चुनौती देकर कह रहा हो की बहुत अकड़ और घमंड है लंड खाने का, अन्दर लेने का जरा इसे लेकर देख एक बार, आंखे और चीखे दोनों एक साथ न बाहर आ गयी तो जिंदगी भर के लिए चूत के दर्शन करना भूल जाऊंगा |  मै भी घमंड से भर गयी मैंने मन ही मन उसकी चुनती स्वीकार कर ली | अनिल बेचारे शर्म के मारे सर झुकाए ऐसे खड़े थे जैसे उनकी जिंदगी भर की इज्जत मेरे पैरो में पड़ी हो | उनकी हिम्मत नहीं हो रही थी मुझसे आंख मिलाने की | उनके लंड को देखकर मुझे तो जैसे एक नशा सा हो गया, एक बुखार सा चढ़ गया | मैंने उनके सीने पर हाथ लगाकर उन्हें बिस्तर पर धकेल दिया और तेजी से अपनी स्कर्ट और पेंट उतार दी | ऊपर के कपड़े उतारने का टाइम नहीं था | तेजी से बिस्तर पर चढ़ गयी और अनिल के कमर पर दोनों तरफ जांघे फैलाकर बैठ गयी | अनिल को कुछ समझ नहीं आया, इससे पहले वो कुछ रियेक्ट करता मैंने उसका गरम आग की भट्टी की तरह तपता लंड अपने हाथ में ले लिया | ऐसा लग रहा था जैसे कोई काली मोटी सख्त गरम राड मेरी हथेली में आ गयी है जो मुझे झुलसा का रख देगी | मैंने उसे जल्दी से पोजीशन किया और अपने चूत मुहाने [पर लगाकर खुद को नीचे की तरफ ठेल दिया | इतना बड़ा मुसल लंड मैंने कभी नहीं लिया था अपनी मखमली चूत में | मुझे दो तीन बार जोर लगाना पड़ा तब जाकर मै उसे अपने अन्दर घुसा पायी इतना मोटा तगड़ा था | मै बस उसका थोडा हिस्सा ही घुसकर अपनी कमर हिलाने लगी | अनिल तो जैसे बेहोश होने लगे | पहली बार लंड को मिले इस मखमली चूत के आनंद में सरोबार हो गए | डर आश्चर्य और आनंद का मिश्रण उनके चेहरे पर साफ़ झलक रहा था | मैंने एक भद्दी सी गली देते हुए बोला चूत चोदनी नहीं आती क्या मुर्दे की तरह पड़े हो | और कोई होता तो इस काले हहह्कारी नागनाथ से अब तक मेरी चूत के चीथड़े उड़ा चूका होता | इतना सुनते ही अनिल अपने सदमे से बाहर निकले और अपनी कमर को पहला झटका दिया और उनका लंड एक इंच अन्दर घुस गया, फिर दूसरा तीसरा चौथा पांचवा झटके लगने शुरू हो गए और इंच डर इंच मेरी चूत को उनका मोटा तगड़ा काला मुसल भरने लगा | इससे पहले इससे ज्यादा आज तक कभी मैंने खुद को भरा हुआ नहीं महसूस किया था | फिर तो जैसे धक्को की रेल निकल पड़ी | दे दे दनादन दे दनादन ठोकरों पर ठोकरे मेरी गुलाबी चूत पर पड़ने लगी | काला मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत को चीरने लगा, कुचलने लगा | 
रीमा की सिसकारियां तेज हो गयी थी |
रोहिणी ने आगे की अपनी चोद्कथा जारी रखी - कुछ देर तक तो मै बर्दाश्त करती रही फिर निढाल हो गयी | अनिल को बांहों में भरकर पलट गयी और अनिल के नीचे आ गयी | अब तक मन से अहंकार और बदला सब कुछ निकल चूका था अब बस एक ही चाहत थी चुदने की बुरी तरह चुदने की | अनिल तब जवान थे, भरपूर हट्टे कट्टे, क्या चोदा था उन्होंने मुझे, रात रात भर लोगो के लंड मसल कर उनका रस निचोड़कर उन्सुहें सूखाने वाली आज खुद पानी के झरने की तरह बह रही थी, लगातार बह रही थी | मेरी सोच शक्ति सब ख़त्म हो गया था मै बस अनिल के रहमोकरम पर थी जो जिंदगी में पहली बार अपनी वासना की आग बुझाने को चूत पाए थे | अनिल ने जमकर चोदा, हचक कर चोदा, तेज तेज चोदा, खूब चोदा और फिर चूत में ही झड गए | 
रीमा का झरना बह निकला पता नहीं क्यों लेकिन रीमा खुद को संभाल नहीं पाई | रोहिणी भी हैरान रह गयी आखिरकार हुआ क्या | दोनों ही अपनी अपनी मदहोशी में थे इसलिए ज्यादा किसी ने गौर नहीं किया | रोहिणी ने अपनी चोद्कथा जारी रखी -मै पहली बार एक ही चुदाई से इतनी पस्त हो गयी थी कि दुसरे के बारे में सोचना भी गुनाह लगने लगा | मेरी चूत ने हाथ खड़े कर दिए और इसी के साथ शरीर और मन भी पस्त हो गया था | अनिल हांफते सांड की तरह बिस्तर पर लुढ़क गए और मै पस्त वैसे ही पड़ी रही | मेरी चूत से उनका गाढ़ा रस रिस रिस कर बाहर आता रहा और मै अपनी ही मदहोशी में खोयी रही | मुझे होश तब आया जब मेरा फ़ोन बजने लगा | मै बिना कुछ बोले उठी अपने कपड़े पहने, बिस्तर पर पसरे अनिल को और उन्हें सोते लंड को देखा | अनिल के चेहरे पर ग्लानी और शर्म छाई हुई थी | मै भी आगे के बारे में निश्चित नहीं थी | मै बिना कुछ काहे वहां से निकल गयी | दो दिन तक न हमने एक दुसरे को देखा और न ही कोई मुलाकात हुई | फिर अगले दिन अचानक से मै फिर अनिल के कमरे में जा धमकी | अनिल फिर से सहम गए और मैंने उन्हें चुदाई का सब सच डैड को बताने की धमकी देकर और डरा दिया | मैंने बोला मै डैड से बोल दूँगी तुम मेरे नाम से  मुट्ठ   मारते थे और जब मैंने मना किया तो मेरे साथ जबदस्ती करी | अनिल की पहले से ही फटी पड़ी थी अब और ज्यादा फट गयी | इसी तरह से मै रोज जाकर अनिल का लंड अपनी चूत में लेने लगी | मै तो हर तरह से चुदाई और नशे की चरसी थी लेकिन मैंने अब अनिल को अपनी चूत का चरसी बना दिया था | दो  महीने में बस तीन चार बार ऐसा हुआ जब हमने चुदाई नहीं करी हो वर्ना रोज हवस का नंगा नाच खेलते थे | अनिल की पढाई चौपट हो गयी थी और दो महीने बाद पता चला मै प्रेग्नेंट हूँ | अब तो राज खुल ही जाना था आखिरकार मैंने डैड से बोल दिया मै अनिल से शादी करना चाहती | डैड को बस इतना सरप्राइज हुआ की अचानक कैसे इतनी जल्दी मैंने फैसला कर लिया, बाकि उनकी नजर में शायद अनिल से शरीफ कोई लड़का नहीं था | हमारी शादी हो गयी लेकिन मैंने अपनी जिदगी के स्याह सच सब पहले ही बता दिए थे और आगे भी वो सब करने की आजादी मुझे चाहिए थी | अनिल इस स्थिति में नहीं थे की मुझे कोई जवाब दे सके | गरीब आदमी को पैसा मिल रहा था , घर मिल रहा था और सबसे बड़ी बात एक बीबी मिल रही थी अब उसके कुछ नखरे तो उठाने ही होंगे | समय के साथ अनिल भी खुलते चले गए | वो भी मेरे अलावा इधर उधर मुहँ मारने लगे, मुझे कुछ वक्त लगा ये सच हजम करने में लेकिन फिर मै नार्मल हो गयी | घर परिवार और बच्चो की जिम्मेदारी ने बहुच कुछ बदल दिया | अरमान अब भी है लेकिन या तो कोई जाबांज मर्द मिलता है या तेरी जैसी कट्टो तभी पुरानी रोहिणी अपने फॉर्म में आती है | 
रीमा - आपने नंबर तो बताया ही नहीं |
रोहिणी - तूने इनफिनिटी वाली थ्योरी नहीं पढ़ी | कुछ चीजे अनंत होती है उनकी गिनती नहीं होती |
रीमा और रोहिणी दोनों खिलखिला पड़ी | 
रीमा ने अनायास ही पूछ लिया - क्या सच में इतना हाहाकारी है जीजा का, आपको एक बार में ही पस्त कर दिया |
रोहिणी - तू बता तुझे देखना है |
रीमा - दीदी मै तो बस पूछ रही थी................आप भी | 
रोहिणी उसे छेड़ते हुए  - कोई यू ही नहीं किसी के बारे में ऐसे पूछता, अन्दर की दबी चाहत का तीसरा डर कही अनिल का काला नागनाथ तो नहीं है | रोहिणी ने अपनी दूसरी उंगली रीमा की गांड में घुसेड दी | रीमा चिहुंक उठी - दीदी दिदीईईईईई |
रोहिणी - यही यही इसी डर की बात मै कर रही थी, यही तेरा दूसरा तीसरा चौथा डर | ये जो कसी गांड छुते ही तेरा वासना का बुखार चढ़ने लगता है , काला लंड की चुदाई की चोद्कथा सुनते ही तेरा झरना बहना शुरू हो जाता है | आखिर ये सब क्या है | क्या है ये सब, क्या तेरे अंतर्मन की खवाइश नहीं है ये सब, तेरे अन्दर की दबी वासना नहीं है ये सब | ये तेरी दबी कुचली वासना की चिंगारियां नहीं है तो क्या है | जवानी तूने भोगी नहीं जीभरकर, इसलिए ये तेरे दिलो दिमाग में बसी हुई है | तू कितना भी दबाये लेकिन ये नहीं जाने वाली बल्कि और भड्केंगी | ये कुछ नया या अलग नहीं है बस तेरे जबान जिस्म की आग है इसे बुझा और जैसे हो सके जो तेरा मन करे उससे बुझा | अगर तेरा मन चुदवाने का है तो चुदवा ले, मर्द ढूंढ अपने लायक और चुदवा खुद को | अगर तेरा मन अपनी गांड की खुजली मिटाने का तो मिटा ले | दुनिया भर की औरते करती है तो तेरा जिस्म भी तो वही मांग रहा है |
रीमा परेशान हो गयी - दीदी बस, हर चीज की एक हद होती है, हर चाहने वाली चीज मिले ही ये तो मुनकिन नहीं |
रोहिणी - लेकिन जो तेरे हाथ में उसे तो तू हासिल कर सकती है |
रीमा - क्या है मेरे हाथ में |
रोहिणी - काले लंड से चुदना और गांड मरवाना |
रीमा - ये गलत है दीदी |
रोहिणी - कुछ गलत नहीं है | 
रीमा - नहीं दीदी, ऐसा कुछ नहीं है  मुझे ऐसा कुछ नहीं चाहिए न मेरी ऐसी चाहत है, ये सब गलत है और पीछे ......... वो तो और भी गन्दा है |
रोहिणी चुप हो गयी | रीमा धीरे से बोली - मुझे बाथरूम जाना है |
रोहिणी - पगली तू ऐसे क्यों पूछ रही है जैसे मै तेरी क्लास टीचर हूँ | बिंदास होकर जा चूतड़ मटकाते हुए, उरोज हिलाते हुए | इतना कहकर उन्होंने उसके नरम मांसल चुताड़ो पर एक थाप जमा दी | 
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बाथरूम कमरे से सटा हुआ था इसलिए रीमा को बाहर नहीं जाना पड़ा | वो नंगी ही उठी और बाथरूम में घुस गयी | रीमा बाथरूम जाकर फ्रेश होने लगी | पीछे से रोहिणी भी बाथरूम के गेट पर आकर खड़ी हो गयी | वो रीमा के गोरे गुलाबी जिस्म के सौंदर्य को निहारने लगी | रीमा खुद को साफ़ कर रही थी, हाथ में शावर लेकर खुद के गोरे बदन को धो रही थी जो पसीने से भीग कर नमकीन हो चूका था | रोहिणी से भी रहा नहीं गया | वो भी बाथरूम में घुस गयी, पहले फ्रेश हुई फिर वो भी शावर के नीचे आ गयी | और रीमा के साथ खुद भी नहाने लगी | दोनों बाथरूम में थी | दोनों नंगे बदन थी और बाथरूम में नहा रही थी | 


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रोहिणी को शावर के नीचे आते देख रीमा बाथ टब में जाकर बैठ गयी और रोहिणी रीमा की जगह आ गयी और खुद को धोने लगी | रीमा ने बाथटब के नल खोल दिए ताकि उसमे पानी भर सके और उसी में बैठ गयी, रोहिणी के मसलते बदन को पानी से भीगते बदन को देखने लगी | इधर नीद का एक स्लॉट पूरा कर चुके अनिल की आंखे अचानक खुल गयी | उनकी बीबी रीमा के कमरे में रीमा के बिस्तर पर थी, उन्हें पक्का पता था रोहिणी कुछ न कुछ खुराफात ही उसे सिखा रही होगी, यही देखने की लालसा में उठकर रीमा के बेडरूम तक आये लेकिन निराशा हाथ लगी | खिड़की दरवाजे सब पूरी तरह से बंद थे लेकिन कमरे के अन्दर की लाइट जल रही थी | अनिल समझ गए रोहिणी ने कुछ तो जरुर  किया है इसी लिए सारे दरवाजे खिड़की सील पैक किये है | वो बाहर बने गेस्ट बाथरूम में चले गए | वहां से निपट कर बिस्तर पर आ गए लेकिन आँखों में नीद नहीं थी | कमरे के अन्दर क्या हो रहा है ये जानने की उत्सुकता था |

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इधर रीमा अपनी गोरी चिकनी गुलाबी मखमली चूत को सहलाने लगी थी तभी अचानक खुद के बदन की मसलते धोते रोहिणी  के हाथ का शावर जो अभी तक उसके बदन को धो रहा था वो रीमा की तरफ हो गया | रीमा एक दम से चौंक गयी | पानी की ठंडी फुहारों से उसके बदन के रोये खड़े हो गए | रोहिणी शोअवर को उसके सीने पर गिराते गिराते नीचे की तरफ ले आई और उसकी जांघो के बीच स्थित उसके चिकने चूत घाटी के त्रिकोण सफाचट मैदान पर बरसाने लगी जिस पर बालो का कही नामोनिशान नहीं था | उसकी चूत का गुलाबी इलाका और उसकी चूत के मोटे मोटे गुलाबी रंगत की छटा बिखेरते बाहरी ओंठ,  अंदरूनी मखमली रेशमी गुलाबी पतली पंखुडियो से दोनों तरफ से घिरा उसकी गुलाबी चूत सुरंग का मखमली मुहाना और उसके शीर्ष पर विराजमान उसकी वासना का केंद्र बिंदु उसका चूत दाना ...... कुछ अलग ही छटा बिखेर रहा था और ऊपर से गिरते पानी के झरने और बदन की गीली गोरी  रंगत ने तो जैसे अप्सरा को ही जमीं पर उतार दिया हो | उसके पेडू पर गिरता [पानी उसकी चूत घाटी के त्रिकोण मैदान पर से बहता हुआ दोनों जांघो के किनारे से बहकर नीचे जा रहा था और उसके गरम गांड के छेद को अपनी ठंडक से सरोबार किये हुए था | रीमा की गरम चूत घाटी पर पड़ती पानी की शीतल फुहारे रीमा को स्कीवर्ग पंहुचाने के लिए काफी थी | उसने आनंद में आंखे बंद कर ली |  रीमा की आंखे बंद देख रोहिणी ने शावर हटा लिया, रीमा की आंखे खुल गयी |
रीमा - दीदी हटा क्यों लिया कितना अच्छा लग रहा था | करो न फिर से |
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रोहिणी अपनी चूत के सामने शावर लगाकर अपनी चूत को धोती हुई बोली- आय हाय मेरी कट्टो रानी को मजा आ रहा था, करूंगी फिर से करूंगी, तब तक करती रहूंगी जब तक तेरी प्यास बुझ नहीं जाती | मै कही नहीं जा रही बिना तेरी प्यास बुझाये |
रीमा - दीदी आप तो एक ही बात को पकड़ कर बैठ जाती हो, मै फाउंटेन शावर की बात कर रही हूँ | बड़ा अच्छा लग रहा था |
रोहिणी - मै भी वही बोल रही थी, तेरे दिमाग में बस वही भरा है तो तू वही समझेगी न | सीधी बात का सीधा मतलब भी होता है | महफ़िल के सारे मजे तेरी गुलाबी मखमली चूत ही क्यों लुटे, कुछ पर इस बेचारी का भी हक़ है (अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए) | 
रीमा - दीदी आप मुझे हमेशा अपनी बातो में फंसा लेती हो |
रोहिणी - कोई नहीं जब 15-20 लंड खा लेगी तो तू भी ऐसे ही चंट हो जाएगी बल्कि मै तो कहूँगी मेरी भी नानी बन जाएगी देख लेना |
रीमा बनावटी रूप  भिनकने लगी | रोहिणी ने कुछ पल को शावर उसकी तरफ कर लिया फिर अपनी तरफ घुमा लिया | रीमा बाथटब में खड़ी होकर अपने शरीर पर बॉडी क्लीनर लोशन मलने लगी | रोहिणी भी यही करने लगी | दोनों अलग अलग अपने शरीर को साफ़ कर रही थी | पानी से भीगे गीले बदन और बॉडी क्लीनर का झाग | रीमा टब से निकलकर बाहर आ गयी और उसने दीवार में लगे शावर को ऑन कर दिया | 
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उसके नीचे नहाने लगी | उसने बॉडी स्क्रबर उठाया और खुद को साफ़ करने लगी | गर्दन से लेकर पांव तक उसने अपने शरीर को मल डाला तभी उसका ध्यान रोहिणी की तरफ गया | उसने घूमकर पीछे से रोहिणी के बदन पर ढेर सारा बॉडी क्लीनर लोशन लगा दिया और उसके बदन को मलने लगी | रोहिणी खुद को थाम के खडी हो गया और रीमा के हाथ रोहिणी के बदन पर फिसलने लगे | उसने रोहिणी के बड़े बड़े उरोजो को मलना शुरू किया फिर पेट पीठ जांघे सब मथ डाला | रोहिणी का शरीर पर झाग ही झाग छा गया | फिर रीमा रोहिणी के पीछे गयी और उसके चूतड़ मलने लगी | उसकी चुताड़ो की दरार को स्क्रबर से खूब मल मल कर धोया | उसका एक हाथ रोहिणी की जांघो के बीच में घुस गया | उसकी जांघो के जोड़ की घाटी से लेकर उसकी चूत घाटी तक सब कुछ रीमा मलने लगी | कसकर रगड़कर खूब जोर जोर से मल रही थी | रोहिणी बस खुद को स्थिर किये कड़ी रही | उसे रीमा के नरम हाथो का गीला सुखद स्पर्श बहुत आच्छा लग रहा था | एक औरत ही एक औरत के बदन की नजाकत समझ सकती है | रीमा के हाथ भी उसी नजाकत से रोहिणी की चूत की सफाई कर रहे थे | ना बहुत कठोर न बहुत हलके, उसके हाथो का स्पर्श बहुत संतुलित था औत=र जादुई भी क्योंकि रोहिणी मदहोश होने लगी थी | रीमा रोहिणी की चूत रगड़ते रगड़ते उसके चुताड़ो की दरारों में घुस गयी और उसके पिछले छेद को साफ़ करने लगी | रोहिणी का छेद रीमा के इतना इस्पाती कसावट तो नहीं लिए था फिर भी उसमे गजब की कसावट थी | रीमा ने उसकी कसावट और प्रतिरोध को धराशायी करते हुए अपनी उंगली उसमे घुसेड दी | अब चिहुंकने की बारी रोहिणी की थी क्योंकि रीमा ने बिना देर किये दूसरी उंगली भी घुसा दी | उसके बाद अन्दर बाहर करने लगी | जब उसे सुरंग का मुहाना खुलता दिखने लगा तो उसने हैण्झड शावर के झरने का सर  छेद से सटा दिया और उसकी पिछली सुरंग को पानी से भरने लगी | उसके बाद शावर हटाकर उसके छेद के सख्त छल्ले के गुलाबी मुहाने पर अपना स्क्रबर और उंगली दोनों बारी बारी से रगड़ने लगी | रोहिणी इस जादुई कलात्मक स्पर्श से कामुकता की सीढियाँ चढ़ने लगी | 

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रोहिणी ने दीवार वाला शावर चला दिया | उसके बदन का झाग बहकर नीचे गिरने लगा | रीमा ने अपनी दो उंगलियाँ रोहिणी के पिछवाड़े की सुरंग में और स्क्रबर छोड़ अगले हाथ को रोहिणी के चूत दाने और चूत पर सटा दिया | आगे से चूत दाने पर दबाव डालती और पीछे से उसकी गुलाबी सुरंग के मुहाने के सख्त छल्ले को नरम करने में लगी थी | कुछ देर बाद उसकी उनगलियन रोहिणी की चूत में घुस गयी अब रीमा के एक हाथ की उंगलियाँ चूत चोद रही थी और दूसरा हाथ उसकी पिचली सुरंग के सख्त गेट को नरम कर्केमे लगा था | रोहिणी कुछ देर तक तो कामुकता की बयार में बहती रही लेकिन उसके लिए ये नाकाफी था | उसे तो और ज्यादा की लालसा  थी | 
रोहिणी - सुन कट्टो मजा नहीं आ रहा, कुछ जोरदार कर न................|
रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी | 
रीमा - कितना जोरदार चाहिए दीदी | 
रोहिणी - एक मोटे तगड़े लंड जितना, काश तेरे पास लंड होता तो जमकर मजा आता |
रीमा को शरारत सूझी - जीजा जी को जगाऊ | है न उनके पास मोटा तगड़ा |
रोहिणी - चुपकर लंद्खोर, अगर उस कलुये को बुला लिया तो पहले वो तेरी चीखे निकलेगा, समझी, मुझे चोदना तो छोड़ शायद मेरी तरफ देखे भी न | तेरे जिस्म के हुस्न में पगलाया रहता है | मैंने काबू करके रखा है एक बार छोड़ दिया तो सोच ले, कचूमर निकाल देगा तेरा और तेरी चूत का | चलना दूभर हो जायेगा तेरा |  
रीमा - दीदी बात बात पर आप जीजा जी के नाम से डराने क्यों लगाती हो मुझे | एक तरफ तो कहती हो तेरा डर दूर करने आई हूँ और दूसरी तरफ ........... |
रोहिणी - अच्छा सॉरी मेरी कट्टो रानी अब कुछ कर, तूने तो आज पिछवाड़े में भी खुजली मचा दी | 
रीमा को जग्गू के साथ हुई घटना याद आ गयी |
रीमा हिचकते हुए - दीदी अगर आप काहे तो मेरे पास स्ट्रैप और डिल्डो पड़े है ..............................|
रोहिणी एक दम खुसी से उछाल पड़ी - अरे मेरी गुलाबो चूत रानी, नेकी और पूछ पूछ | लेकर आ तूने तो जैसे प्यास से मरते  इंसान को पानी के लिए पूछ लिया हो | 
रीमा ने अपना गीला बदन पोछा और कुछ ही देर में एक बड़ा सा रबर का लंड, एक लोशन बोतल  और वाइब्रेटर ले आई | रबर के लंड को  जल्दी से रोहिणी ने रीमा की कमर में स्ट्रैप बांधकर फिट किया और फिर बाथटब के ऊपर झुक गयी और अपने चूत दाने पर वाइब्रेटर चिपका दिया | रोहिणी पीछे से खेली खाई हुई थी लेकिन पीछे का छेद पीछे का ही होता है, कितने भी लंड उसमे गए हो कोई फर्क नहीं पड़ता |  पहली बार खोलने में सबकी हालत ख़राब हो जाती है, कितनी भी खेली खाई गांड हो उस गांड के छेद के कसे हुए बाहरी छल्ले को खोलते समय ऐसा लगता है जैसे किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो | भीषण दर्द की मार जांघो पिंडलियों चुताड़ो में घर कर जाती है | रोहिणी शुरूआती दर्द के लिए तैयार हो रही थी | उसे फुल वाइब्रेशन में वाइब्रेटर को अपने चूत दाने से सटा लिया | रीमा ने एक पैर बात बाथ टब की कोर पर रखा और एक नीचे | उसने रोहिणी के पिछले छेद में दो उंगलियाँ घुसयिया उर चारो ओर घुमाकर उसे खोलने लगी फिर उसके खुले हुए मामूली से दरवाजे में लोशन की बोतल का मुहाना घुसेड़ दिया और उसकी पिछली गुलाबी सुरंग को लोशन से भर दिया | उसने ढेर सारा लोशन अपने रबर के लंड पर भी लगाया  और बिलकुल रोहिणी के पीछे आ गयी और उसकी गांड के कसे हुए गुलाबी छल्ले पर अपना मोटा तगड़ा रबर का लंड सटा दिया | रोहिणी अपनी गांड मरवाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी, रीमा ने भी देरी नहीं करी और मोरे रबर लंड को उसकी गांड में पेलना शुरू कर दिया | पहली बार में लंड फिसल गया | रोहिणी बोली - हाथ से कसकर पकड़कर ठेल नहीं टी ऐसे ही रपटता रहेगा | 
रीमा ने लंड को कसकर थामा और पूरा जोर लगाकर रोहिणी की गांड के सख्त छेद पर ठेल दिया | रोहिणी की गाड़ भीषण दर्द और जलन से जल उठी | रोहिणी - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ माआआआआआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र गयी आआआआआआआह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हह्ह्ह्ह |


उसकी  गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती मांसपेशियों बढ़ते दबाव के कारन फैलने लगी,  उनसे उठने वाला दर्द से उसके चूतड़ कमर जांघे पिंडलियाँ सब नहा गए | रीमा ने पूरा जोर लगाकर रबर के लंड को छेद से सटाए रखा | गांड के छेद के छल्ले में दरद था लेकिन वो फैलने लगा और रीमा का लंड रोहिणी की गांड में | रोहिणी के जबड़े भिंच गए | रोहिणी दर्द बर्दाश्त करने लगी लेकिन रीमा ने इसका इन्तजार नहीं किया और हल्का सा लंड खीचकर फिर से ठेल दिया | रोहिणी की गांड के मुहाने में बहुत जलन हो रही थी और दर्रीद भी भीषण था लेकिन रीमा नहीं रुकी उसने लंड को अन्मादर बाहर करना जारी रखा उसने चार पांच बार ऐसा किया फिर अपनी कमर हिलाने लगी और इसी के साथ उसका रबर का वो तगड़ा लंड रोहिणी के गांड के छल्ले के हर प्रतिरोध को धराशाही करता हुआ उसकी सुरंग का मर्दन करने लगा |  

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रोहिणी वाइब्रेटर को कसकर अपने चूत दाने से सटाए हुए थी और अब उसकी गांड में लंड आसनी से आने जाने लगा था | उसके चेहरे की दर्द भरी लकीरे अब गायब हो गयी थी और उसके सख्त भींचे जबड़े अब अपनी पुराणी जगह लौट आये थे | वो सुरुआती दर्द का अहसास अब कम होने लगा था और रोहिणी इस अद्भुद अनोखे वासना के खेल में डूबकर अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करने को तैयार थी | उसने रीमा से स्पीड बढ़ाने को कहा | रीमा ने अपनी कमर के झटके तेज कर दिए और रोहिणी के गांड के छेद ने अपना सारा प्रतिरोध छोड़ते हुए उसकी पिचली सुरंग का पूरा मुहाना खोल दिया था | चिकने लोशन से भरी उसकी गांड के छेद में अब रीमा का लंड सटासट  जाने लगा | रीमा को भी हर झटके के साथ उसके चूत दाने पर ठोकर लग रही थी और वो भी सिसकारियां ले रही थी | रोहिणी दोनों जांघो को चिपकाये घुटनों के बल खुद को टिकाये रीमा से अपनी वर्जित वासनाओं की पूर्ति करवा रही थी | वो और औरत से अपनी गांड मरवा रही थी | अपनी अप्राकृतिक वासनाए जिनकी वो गुलाम बन चुकी थी उनको पूरा करने को अपने ही छोटे भाई की विधवा से अपनी गांड मरवा रही थी | दोनों ही कराह रही थी एक गांड में होने वाले कामुक तीखे दर्द से दूसरी अपने चूत दाने के मसलने से उठने वाली मीठी कामुक तरंगो से | रोहिणी की गांड में रीमा लंड सटासट जा रहा था | दोनों इस अप्राकृतिक वासना में डूबकर खुद की दबी हुई वासना की कामना के सपने को हकीकत बना रही थी | 
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रीमा ने बाथरूम की दोहरी कराहों की ख़ामोशी तोड़ी - दीदी कैसा लग रहा है |

रोहिणी बस उस तीखे दर्द और अपनी गांड की दीवारों में रीमा के  लंड की लगती ठोकरों से उठने वाली तरंगो के भंवर में डूबी हुई थी | इस वक्त उसे रीमा की ये आवाज किसी कर्कश कोयल की तरह लगी | अभी वो बस गांड मरवाना चाहती थी बस उसका सारा ध्यान वही था, उसमे से निकलने वाले दर्द में था, उसमे से निकलने वाली जलन में था उसमे से निकलने वाली कामुक तरंगो में था जो उसकी चूत की दीवारों में भी पिछली सुरंग में लगने वाली भीषण ठोकरों से निकलने वाली कामुकता की दहसत की तरंगो का  कंपन भर रही थी |
रोहिणी दर्द की सिसकारियां भरते हुए - मै तो मखमली सेज पर लेती हूँ और मोर के पंखो से मुझे कोई सहला रहा है और मेरे बदन पर मक्खन की हल्की मालिश कर रहा है | ऐसा लगता है जैसे स्वर्ग में हूँ |
रीमा की खिलखिलाहट निकल गयी |
रोहिणी चिढ़ती हुई - हां हाँ हंस ले ,  ले ले मजे, अभी जब मै तेरी चीरूंगी तब देखूँगी | हाथ पाँव पटक पटक कर पूरा मोहल्ला न जगा दे तो कहना | कैसा लग रहा का क्या मतलब है, गांड मार रही है तू मेरी | कभी मरवाई है पहले इससे |
रीमा चुप, उसने कोई जवाब नहीं दिया |
रोहिणी दर्द की सिसकारियो के बीच - अरी हरामन मै तुझसे पूछ रही है करमजली, ऐसे गांड मरवाने के बीच में मुहँ खुलवा रही है कीड़े पड़ेगे तेरी चूत में | बोल न तुझी से पुछा है कभी मरवाई है इससे पहले गांड |
रीमा इतराकर बोली - नहीं, कभी नहीं, ये सब गंदे काम मै नहीं करती  |
रोहिणी - गन्दी की बच्ची जब एक मरवाएगी तब तो पता चलेगा इस दर्द में कितना मजा है | आज तक कभी गांड ने जब लंड के दर्शन किये ही नहीं तभी तो बड़ी खिलखिलाहट छूट रही है | 
रीमा गंभीर होते हुए - बहुत दर्द हो रहा दीदी, आराम से करू |
रोहिणी उसे डपटते हुए बोली - चुपकर कर करमजली, जो कर रही है वैसे ही करती रह | बहुत बोलती है तू | पक्का है चुदाई के बीच में भी तेरा मुहँ बंद नहीं रहता होगा, जब तक कोई चीखे न निकाल दे | 
रीमा सफाई देती हुई बोली - दीदी मै तो बस आपके..........................|
रीमा के धक्के बदस्तूर जारी थे |
रोहिणी - चुपचाप गांड मार मेरी बस | तुझे क्या लगता है मै यहाँ फूलो की सेज पर सो रही हूँ | गांड में 9 इंची मोटा लंड जा रहा है | तू बस इसी तरह पेलती रह | चुदना ही औरत की नियति है | और जब औरत चुदेगी तो दर्द तो होगा ही ये दर्द तो सबको सहना पड़ता है, जब गांड में जाता है तो और ज्यादा दर्द होता है | जब झटके लगेगे तो दर्द तो होगा ही मीठा तो या कड़वा | यही दर्द में ही तो मजा है री करमजली | रीमा ने झटको की स्पीड बढ़ा दी | रीमा और गहराई तक रोहिणी की गांड ,में लंड पेलने लगी | रोहिणी का दर्द और सिसकारियां भी तेज हो गयी | उसके चूत दाने में हो रहे वाइब्रेशन से उसकी चूत पहले ही गीली हो चुकी थी | अब रोहिणी पूरी तरह से वासना में डूब चुकी थी | उसकी आवाज में कंपकपाहट थी और उसके शरीर भी स्थिर नहीं था | रीमा ने अपनी हाथो से कसकर उसे थामा और दनादन उसकी गांड में रबर का लंड पेलने लगी | रोहिणी के मुहँ से दर्द भरी सिसकारियां फूटने लगी | रीमा समझ गयी अब बस दीदी जल्दी ही अकड़ने वाली है | उसके अपने एक हाथ को उनके चूत पर रख दिया और उनकी चूत में अपनी उंगलियाँ घुसेड दी | बेतहाशा तेजी के साथ उनकी चूत चोदने लगी | रोहिणी के दोनों छेदों में बाहर से हमला जारी था | उसकी चूत की दीवारों में भी कम्पन तेज हो गए थे | रीमा के लंड की ठोकरों से चूत की दीवारे पानी पानी हो रही थी 
 रोहिणी और रीमा दोनों तेजी से हांफ रही थी | रीमा इसलिए हांफ रही थी क्योंकि उसे ठोकर मार कर लंड रोहिणी की सख्त गाड़ में पेलना पड़ रहा था और रीमा का लंड इतनी तेजी से रोहिणी की गांड में आ जा रहा था की उसकी सांसे खुदबखुद तेज हो गयी थी | रीमा के लंड के करारे झटको से आखिर रोहिणी बिखर ही गयी | उसकी चूत की दीवारे झरना बनकर बहने लगी | उसका शरीर तेजी से कांपने लगा, उसकी गांड में एक अग्ग तरह की सनसनाहट दौड़ रही थी जो उसकी जांघ और कमर दोनों ही हिलाए पड़ी थी | उसके मुहँ से इस चरम सुख की तेज आवजे निकल रही थी | उसका पूरा शरीर अकड़ गया और फिर ढीला पड़ता चला गया | उसके हाथ पाँव सब की ताकत जैसे ख़तम हो गयी | रोहिणी निढाल हो गयी | रीमा ने उसे कसकर जकड लिया नहीं तो बाथटब में गिर जाती | रीमा का लंड अभी भी उसकी गाड़ में धंसा था | उसने गर्दन घुमाकर रीमा के ओंठो पर अपने ओंठ रख दिए | ये रीमा को एक थैंक्यू मेसेज था | 
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एक स्पेशल अपडेट कल शाम को  happy happy
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नो कमेंट्स banana banana banana yourock yourock yourock Heart Heart Heart 

अब मे सिर्फ आपकी कहानी पढ सकता हू, लेकिन अब उसपे कोई reaction नही दे सकता.... ये कहानी आम कहानीओ से बहोत आगे की सोच रखकर बना रहे हो आप भाई...

REPS ADDED.
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(14-08-2019, 09:07 PM)Silverstone93 Wrote: नो कमेंट्स banana banana banana yourock yourock yourock Heart Heart Heart 

अब मे सिर्फ आपकी कहानी पढ सकता हू, लेकिन अब उसपे कोई reaction नही दे सकता.... ये कहानी आम कहानीओ से बहोत आगे की सोच रखकर बना रहे हो आप भाई...

REPS ADDED.

Smile
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(14-08-2019, 09:22 PM)Raj aryan3311 Wrote: ग़ज़ब
आपके जैसा कोई नहीं
.....….................
कोई ,., charcter ऐड करो
और ज्यादा मज़ा आयेगा ।।

भाई सलाह के लिए धन्यवाद, लेकिन इस कहानी में कोई ,., किरदार नहीं है न होगा | सिंपल सी रीमा की कहानी है, इसे बेवजह काम्प्लेक्स बनाने का कोई फायदा नहीं | वैसे भी अब तो रीमा की कहानी अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है | तो बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट करने को है नहीं |
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(15-08-2019, 12:10 PM)vijayveg Wrote: भाई सलाह के लिए धन्यवाद, लेकिन इस कहानी में कोई ,., किरदार नहीं है न होगा | सिंपल सी रीमा की कहानी है, इसे बेवजह काम्प्लेक्स बनाने का कोई फायदा नहीं | वैसे भी अब तो रीमा की कहानी अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रही है | तो बहुत ज्यादा एक्सपेरिमेंट करने को है नहीं |

Completely Agree..  

Follow your heart and thoughts. It's your story.
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रोहिणी फिर घूमकर रीमा से चिपक गयी | दोनों एक दुसरे को चूमने लगे

 दोनों की सांसे ढलान पर थी | रीमा ने स्ट्रैप भी नहीं उतारा था और उसने शावर फिर से ऑन कर दिया | दोनों एक दुसरे से चिपककर भीगने लगी | उसके बाद दोनों कमरे में आ गयी
 खुद को तौलिये से पोछा | और बेड पर लुढ़क गयी | आधी रात बीत चुकी थी | रीमा ने अपना स्ट्रैप उतारा ही था की उसे रोहिणी ने पहन लिया | उसमे उसने एक दुसरे साइज़ का रबर का लंड फिट किया |
फिर रीमा को आकर बांहों में भर लिया | उसको चूमने लगी, उसके चूत दाने को रगड़ने लगी | उसकी चूत में उंगलियाँ घुसाकर उस्क्प चोदने लगी | रीमा का मुहँ खुल गया और वहां से बस मादक सिसकारियां फूटने लगी |
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रोहिणी आदेश देती हुई - चल तैयार हो जा, निकालती हूँ तेरा डर अब ठीक से |
रीमा मासूमियत से - दीदी मैंने क्या किया है |
रोहिणी - अपनी बारी आई तो देखो बड़ी मासूम बन रही है, अभी कुछ देर पहले कैसे हचक हचक के धक्के लगा रही थी, पूरी गांड चीर के रख दी मेरी  | 
रीमा - वो तो आपने कहा था करने के लिए |
रोहिणी - बड़ी आज्ञाकारी है न तो अब भी मेरी बात मान ले | चल घोड़ी बन जा |
रीमा न नुकुर करती रही लेकिन रोहिणी के आगे उसकी एक नहीं चली | रोहिणी उसकी चूत दाने को मसलते मसलते उसको उल्टा कर दिया | उसके बाद खुद पीछे से आ गयी | रीमा के चुताड़ो को हवा में ऊपर उठा दिया और अपने लंड को चिकने लोशन से सरोबार करने लगी | 
रीमा कुछ कहना चाहती थी लेकिन रोहिणी सुनने को तैयार ही नहीं थी | उसके चूत दाने को मसलते मसलते उसकी गांड पर उंगली फिराने लगी और फिर एक उंगली उसकी गाड़ में घुसाने लगी | रीमा ने गांड के छेद को सिकोड़कर और कस लिया | 
रीमा - दीदी मेरी बात तो सुनो, प्लीज दीदी वहां नहीं, वहां कभी नहीं गया है | प्लीज दीदी मान जावो |
रोहिणी चुपचाप अपने काम में लगी थी | जब उसने देखा रीमा ने गांड का छेद पर अपनी कसावट और बढ़ा दी है जिससे की उसकी उंगली का भी घुसना मुश्किल हो गया है तो उसने रीमा के चूत में अपना रबर का लंड घुसेड दिया और उसे चोदने लगी | रीमा को इसकी आशंका बिलकुल नहीं थी उसकी चूत भी इस हमले के लिए तैयार नहीं थी | रीमा के मुहँ से हल्की चीख निकल गयी - आआआआआआआआआआ आअऊऊऊऊऊउ ईईईईईईईईईइ च्च्च्चच्च्च्छच्च्च्क, आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हहओह माय गॉड, दीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदीदी प्लाज जजजजजजजजजज | आअहाआअहाआह्ह | 
रोहिणी के धक्के उसके लंड घुसाते ही चालू हो गए | रीमा कराहने लगी | उसकी चूत को खुलने में टाइम लगा और इसलिए उसकी चूत की दीवारे दर्द और जलन से तड़प उठी | उसने मुट्ठियाँ भींच ली और दर्द के सामन्य होने का इन्तजार करने लगी |
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रोहिणी - मुझसे बदमाशी करेगी तो ऐसे ही दर्द से तड़पती रहेगी | चल अब गांड का छेद ढीला कर वरना अभी ठोकर मार मार कर तेरी बच्चेदानी सुजा दूँगी |
रीमा समझ गयी दीदी से चालाकी करने का कोई फायदा नहीं जो उन्होंने ठान लिया है वो करके मानेगी | मैंने उनकी गांड मारी है अब आज मुझे नहीं लगता मेरी गांड कुंवारी बच पायेगी | फिर भी रीमा इत्ती आसानी से हार मानने वालो में नहीं थी |
रीमा - दीदी यही करती रहो न |
रोहिणी - चुप कर करमजली |
रीमा - दीदी आप मुझे क्यों दर्द से तड़पता देखना चाहते हो, इसका मतलब आप मुझे प्यार नहीं करते हो |
रोहिणी - पगली ये ड्रामा किसी और पर ट्राई करना, मुझ पर काम नहीं करेगा |
रीमा - आप मेरे पिछवाड़े के पीछे क्यों पड़ गयी हो, आप भी मर्दों की तरह मुझे रुलाना चाहते हो बस |
रोहिणी इस बार गंभीर हो गयी - नहीं पगली, मै तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, इसीलिए तेरी गांड को छुते ही तेरे मुहँ से निकलने वाली सिसकारियां मैंने देखि है | मै बस तेरी वो प्यास बुझाना चाहती हूँ | पहली बार है इसलिए दर्द तो होगा ही, लेकिन जब चूत चुदवाई थी तब भी तो पहली बार किया था | तब नहीं दरी तो अब क्यों डर रही है | मै एक औरत हूँ तेरा दर्द समझ सकती हूँ क्योकि मैंने भी उसे जिया है | बस तू हिम्मत न हार, बाकि सब मुझ पर छोड़ दे |
रीमा छुप रही, अब वो निरुत्तर थी |
रोहिणी - तुझे अपनी दीदी पर भरोसा नहीं, बोल न |
कुछ देर की ख़ामोशी के बाद - पूरा भरोसा है आप दीदी लेकिन मै ये नहीं कर सकती |
रीमा - तुझे करने के लिए बोल कौन रहा है, बस मेरी लाडली बनकर मेरी बात अच्छे से मानती जा, सब अपने आप हो जायेगा | 
रोहिणी ने रीमा की चूत में तेजी से धक्के लगाने शुरू कर दिए और अपनी उंगली रीमा की गांड में घुसाने लगी | रीमा के चुताड़ो के निचले हिस्से की दरार घाटी में एक अजीब सी सनसनाहट हुई और उंगली उसकी पिछली सुराग के इस्पाती दरवाजे को चीरने लगी |  धीरे धीरे रोहिणी की उंगली रीमा की वर्जित सुरंग के इलाके को खोलने लगी | रीमा के मुहँ से उन्न्न्नन्न आननं की आवजे निकल रही थी
 रीमा के बदन को वासना की तपती भट्टी बनाने के लिए उसकी चूत में दनादन रोहिणी अपना लंड पेल रही थी |
कुछ देर बाद रोहिणी ने रीमा की गांड में जब दूसरी उंगली घुसाई तो रीमा कराह उठी | उसके मुहँ से आआआआह्ह्ह्ह की एक लम्बी कराह निकली | रोहिणी को बहुत जोर लगाना पड़ा तब जाकर उसकी दोनों उंगली का पोर उसकी गांड की सुरंग के गुलाबी इस्पाती सख्त पहरेदार की जकड़न में फंस गयी | न उंगलियाँ आगे जा रही थी न पीछे | उंगलियों के पोर वही जाम हो गए थे | गांड के छल्ले की सख्त जकड़न ने उन्हें वही दबोच लिया था | रोहिणी बस हाथ हिलाने लगी, जिससे गांड का छल्ला थोडा बहुत आगे पीछे हिलाने लगा और उसके साथ रीमा के चुताड़ो की घाटी का मांस भी हिलाने लगा |  
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रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई | उसका मोटा लंड रीमा की चूत में धंसा था | उसके हाथ रीमा के चुताड़ो को थामे थे | रोहिणी ने रीमा के रसभरे गुलाबी ओठ अपने मुहँ में भर लिए और  उसके ओंठो को कसकर चूमने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी और नीचे से त्तेजी से कमर हिलाकर उसको चोदने लगी | वो पहले जल्द से जल्द रीमा के बदन को गरम करना चाहती थी लेकिन अपनी ही चिंता में दुबली हुई पड़ी थी इसलिए उसके बदन में वासना की गरमी नहीं चढ़ रही थी |  वो निश्चित नहीं थी की रोहिणी क्या करने वाली है, क्या सचमुच उसकी गांड मारने वाली है या बस सुभारम्भ करेगी और फीता काटकर उसकी गांड को बक्श देगी | अब उनसे पूछना भी व्यर्थ था | 
इसलिए रोहिणी रीमा को अपने ऊपर ले आई और उसको जोर जोर से कमर हिलाकर चोदने लगी | 
रोहिणी रीमा के कान में फुसफुसाई - अपने मन से डर निकाल दे बस चुदाई के मजे ले, सोच रही तेरी गांड का नथ उतारने का प्रोग्राम किसी और दिन का रखु | अब चिंता में दुबली होना बंद कर और अपनी चूत में लंड की ठोकरों का मजा ले |
रीमा की तो जैसे जान में जान आई | उसके गुलाबी ओंठ खुदबखुद ही रोहिणी के ओंठो से चिपक गए | रोहिणी उसके स्तनों को मसलने लगी | रीमा अपने ही चूत दाने को रगड़ने लगी | इतने में रोहिणी ने रीमा को पलट कर अपने नीचे कर दिया और उसे हचक हचक कर चोदने लगी | 
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रीमा ने भी अपनी जांघे फैला दी | रोहिणी की ट्रिक काम कर गयी थी | रीमा अब चुदाई से मदहोश होने लगी | य्सके हाथ रोहिणी की पीठ पर आकर जैम गए | उसके ओंठ अभी भी रोहिणी के अधरों का रस पान कर रहे थे | दोनों जिस्म फिर से गरम होकर वासना की भंवर में गोते लगाने लगे और रीमा की चूत में रोहिणी का लंड सटासट जा रहा था | रीमा के मुहँ से हर झटके के साथ लयबद्ध सिसकारियां फुट रही थी | रीमा उत्तेजना की सीढियां पार करते करते अब वासना की भंवर में गहराई तक गोते लगाने लगी थी | 
रोहिणी उसकी छाती पर अपनी छाती रगड़ रही थी, दोनों के उन्नत ठोस सुडौल उरोज एक दुसरे से रगड़ खा रहे थे | उनकी चुंचियां आपस में रगड़ खाकर तनकर सख्त हो गयी थी | रोहिणी ने अपना एक हाथ रीमा की पीठ के नीचे से निकाला और रीमा की जांघ से नीचे खिसकाते हुए उसकी गांड के छेद के पास ले गयी | रोहिणी ने रीमा की चूत में लगाने वाले धक्के हलके कर दिए | उसने दो उंगलियों के उपरी सिरे को आपस में चिपकाया और उसकी चूत से बह रहे रस से उनको गीला किया और फिर रीमा के हलके भूरे गुलाबी गांड के छेद पर उसे गोल गोल घुमाने लगी | बीचे में जोर से दोनों को घुसेड़ने की कोशिश की लेकिन एक ही पल बाद फिर से घुमाने लगी | रोहिणी के उंगलियों के पोर का सुखद स्पर्श रीमा की गांड के जब सवेदनशील इस्पाती जकड़न वाले गांड के छेद से हुआ तो अपने आप ही उससे उठने वाली तरंगो का अहसास रीमा के पुरे बदन को होने लगा | रोहिणी ने रीमा की गांड पर उंगलियाँ फिराना तेज कर दी |
 उनसे उठने वाली सनसनाहट रीमा के शरीर की बेचैनी बढ़ाने लगी | रोहिणी ने अचानक से उंगलियाँ घुमाना बंद कर दिया और दोनी उंगलियाँ उसकी गांड के सख्त पहरेदार की जकड़न को खोलने के लिए उसकी गांड के छेद में घुसा दी | पहरेदार ने सख्ती बढ़ाई लेकिन इस बार रोहिणी तेज निकली और उसकी उंगलियाँ एक एक पोर भर रीमा के गांड के सख्त छल्ले की इस्पाती जकड़न को चीरती हुई रीमा के गांड में घुस गयी | रीमा हलके दर्द से सीत्कार उठी - आआआआऐईईईईईईईऊऊऊऊऊऊऊऊ ह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह | रोहिणी ने उंगलियों पर और जोर डाला और पोर भर और उंगलियाँ रीमा की गांड में घुसा दी | उसके गांड के सख्त  छल्ले की मांसपेशियां खिचने लगी और तीखा सा दर्द पैदा करने लगी | रोहिणी का लंड रीमा की चूत में बराबर लयदार झटको  के साथ अंदर बाहर हो रहा था | रोहिणी की उंगलियाँ रीमा की गांड में फंस गयी थी, बाहर तो निकल सकती थी लेकिन अन्दर जाना अब मुश्किल लग रहा था | ऊपर से गांड के छल्ले की सख्ती बढ़ती जा रही थी | रीमा का शरीर भी स्वाभाविक रूप से गाड़ को चुताड़ो को सिकोड़कर और सख्त बनाए दे रहा था | रोहिणी ने रीमा के चूत दाने की मसलना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ की दो उंगलियाँ वही रीमा की गाड़ में फंसाए रखी | कुछ देर बाद जब उसने उंगलियों को हिलाना चालू किया तो रीमा के मुहँ से भी दर्द की कराह निकलने लगी | उसकी गाड़ के मुहाने में हल्की जलन और हल्का दर्द था, उससे उठने वाली सनसनाहट अब रीमा के दिलो दिम्माग तक सीधे जाने लगी थी | रीमा दर्द से कसमसा रही थी रोहिणी ने उंगलियों का दबाव और ज्यादा बढाया तो रीमा कराह उठी | रोहिणी को लगा अभी नहीं तो कभी नहीं, उसने रीमा की चूत में ठोकरे लगानी और तेज कर दी | उसने अपनी उंगलियों की बाहर निकाला और मुहँ की ढेर सारी लार उसपर टपका कर उन्हें आचे से गीला किया और फिर से रीमा की गांड में घुसेड दिया | इस बार रीमा के मुहँ से निकली सिसकारी ने रोहिणी की हिम्मत बढ़ा दी | रोहिणी ने रीमा की गांड के पहरेदार की सख्त जकड़न के बावजूद अपनी उंगलियों को अन्दर बाहर करना शुरू किया ताकि उसका छल्ला कुछ नरम हो सके और उसमे लंड घुसने की गुंजाईश बन सके |जिसकी गांड के बार खुल चुकी हो उसे इतनी दिक्कत नहीं होती लेकिन रीमा की पिछली सुरंग आजतक कोरी थी और उसका पहरेदार बहुत सख्त | रोहिणी भी जिद्दी थी उसने भी आज पहरेदार को हराने का फैसला कर लिया था | पहरेदार को रीमा की गांड का छेद खोलना ही होगा, उसे अपनी जकड़न नरम करनी ही पड़ेगी | रोहिणी की उंगलियाँ तेजी से रीमा की गांड में अन्दर बाहर होने लगी | ऐसा लग रहा था जैसे किसी मोटी इलास्टिक छल्ले का सख्त कसावट उसकी उंगलियों को कसे ले रहा था | उसकी उंगलियाँ बहुत ही कसे हुए सकरे छेद में अन्दर बाहर हो रही थी |

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 इधर रोहिणी की कमर तेजी से रीमा की चूत की चुदाई कर रही थी | रीमा चूत और गांड दोनो की कामुक सवेदनाओ में फंसकर किर्तव्य विमूढ़ सी हो गयी | उसने सब कुछ रोहिणी पर छोड़ दिया था | उसे लग रहा था वो जो भी करेगी वो सही ही करेगी | 

रोहिणी को लगने लगा था अब उंगलियाँ रीमा की गांड के छेद के लिए नाकाफी है | उंगलियों ने रीमा के गुलाबी गांड के सख्त इस्पाती कसावट वाले मुहाने की बस दरार भर खोली थी लेकिन इससे ज्यादा कुछ उंगलियाँ कर पाने में असमर्थ थी | रोहिणी रीमा के ऊपर से एक करवट आ गयी और उसने रीमा को पीछे से जकड लिया | उसकी एक जांघ ऊपर को उठाकर उसकी चूत और चूतड़ घाटी का इलाका पूरा खोल दिया | रीमा की चूतसे लंड निकलते ही रीमा का खुद बखुद उसके चूत दाने और चूत पर चला गया | रोहिणी ने रीमा के पीछे से आकर पोसिजन ली और फिर अपने रबर के लंड को गाढे चिकने लोशन से सरोबार किया | फिर उसने रीमा की उठी जांघ को कसकर थम लिया | उसका एक हाथ रीमा की गर्दन के नीचे था और उसे ऊपर खिसकने की हालत में उसे कसकर जकड़कर स्थिर रखने की स्थिति में था |
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रोहिणी ने अपना गीला लंड रीमा के गांड के छेद से सटाया | रीमा के मुहँ से एक लम्बी साँस निकल गयी | रोहिणी उसके कान में बोली - खुद को ढीला छोड़ दे और दिमाग में कोई टेंसन मत ला, पूरी तरह से रिलैक्स हो जा | हाथ पाँव सब ढीला छोड़ दे, बाकि मै संभाल लूंगी | 
रीमा की हालत ऐसी नहीं थी की वो अभी रोहिणी से सवाल जवाब कर सके, उसका गांड न मारने का वादा उसे याद दिला सके | रीमा ने खुद को ढीला छोड़ दिया | रोहिणी ने पूरी तरह से कसकर लंड को जकड़ लिया और पूरा जोर लगाकर रीमा की गांड में ठेल दिया | जीतनी तेजी से रोहिणी ने लंड ठेला था उतनी तेजी से वो रीमा की गांड के सख्त पहरेदार को ठोकर मारकर चूत की तरफ फिसल गया | रीमा की चूतड़ की घाटी में इस ठोकर के लगने से एक तीखा सा चीर कर रख देने वाला दर्द उठा | रीमा ने दोनों पाँव सिकोड़ लिए, उसके चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैर गयी |
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ |
रोहिणी समझ गयी, रीमा के छल्ले को और ज्यादा फैलाना होगा नहीं तो लंड ऐसे ही रपटता रहेगा | उसने लंड के सुपाडे की चिकनाई पोच दी और फिर से उसे रीमा की गांड से सटा दिया | इस बार रोहिणी ने झटका नहीं लगाया बल्कि अपनी कमर का पूरा जोर अपने लंड पर डाल दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने पूरा जोर लगाया , रोहिणी के लंड को रोकने के लिए लेकिन रोहिणी की ताकत के आगे फ़ैल हो गया | उसकी मांसपेशियां में इतना भीषण दर्द उठा जैसे लगा किसी ने चाकू से काटकर दो टुकडे कर दिए हो | रीमा की गांड का पहरेदार ने हथियार डाल दिए और रोहिणी के लंड का सुपाडा रीमा की बेहद कसी गांड के छल्ले को चीरता हुआ अन्दर घुस गया | 
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जैसे ही लंड रीमा की गांड में घुसा उसके पुरे शरीर में सिहरन और कंपकपी दौड़ गयी | गांड के छेद को चारो ओर से घेरे छल्ले के खुलते ही रीमा को भीषण दर्द का अहसास होना शुरू हो गया | ऐसा लगा किसी ने उसके पिछवाड़े में नस्तर घुसेड़ कर उसे चीर दिया हो | उसके गांड के छल्ले में सिर्फ ही नहीं जलन भी बहुत तेज होने लगी | रीमा अपनी पिछवाड़े में हुए इस आक्रमण से बहुत तेज चीख पड़ी | रोहिणी ने खुद को स्थिर कर लिया और इससे पहले रीमा हाथ पांव पटकना शुरू कर दे उसे कसकर जकड लिया | 
रीमा बहुत तेज दर्द से चीखने लगी – आआआआआऐईईईईईईईईईईऊऊऊऊऊऊ आआआआआ ईईईईईईईईईई ग्घ्ह्हह्ह्हह्ह आः ऊऊ आया ऊ  ईईईईईईईईईईईइ, माआआआअररररररररररररर गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई  दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ स्स्सीईइईईईईइ | 

दर्उद इतनी तेज था की उसके आँखों से  आंसुओ की धार अपने आप बह चली | 
रीमा - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ फ़ाआआआआआआआआआआआआआआआअट गाआआआआईईईईईईईईईईईईईईई 
मीईईरीईइ गाआआआआआआआआआन्न्न | आआआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह्हह माआआआअरररररररररररररमाँ दीदी | बहुत जलन हो रही है | ऐसा लग रहा हिया किसी ने चाकू भोक दिया हो | 
रीमा दर्द से अपने पैर पटकने लगी | रोहिणी ने कसकर उसे थामे रखा | रीमा - दीदीदीदीदीदीदीईईईईईईईईईइ प्लीज निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है प्लीज दीदी | रीमा रोने लगी | रोहिणी उसके पुचकारने लगी सहलाने लगी, उसके स्तनों को मसलने लगी | 
रोहिणी - बस बस हो गया मेरी परी, बस अब इससे ज्यादा कुछ नहीं होना, खुद ही देख पूरा सुपाडा तेरी गांड में धंसा हुआ है | 
रीमा को दर्द से ही होश नहीं था, उसकी आँखों से झर झर आंसू फुट रहे थे | वो दर्द के कारन रोये जा रही थी | बार बार रोहिणी से लंड को बाहर निकालने की गुहार कर रही थी | 
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रीमा - दीदी बहुत दर्द हो रहा है प्लीज बाहर निकाल लो, वरना मै मर जाऊँगी | ह्हाआआआआआ प्लीज  | 
रोहिणी उसे थामे वैसे ही लेती रही लेकिन रीमा का दर्द कम नहीं हुआ | रोहिणी ने रीमा का हाथ उसके चूत दाने पर रखा लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ | रोहिणी ने ही फिर रीमा के चूत दाने को मसलना शुरू कर दिया | काफी देर तक उसे पुचकारती रही, सहलाती रही और थामे रही | धीरे धीरे रीमा का दर्द कम होने लगा, उसका सिबुकना बंद हो गया और चूत दाने को मसले जाने से उसके ठन्डे पड़ गए शरीर में कुछ गर्मी लौटी | रोहिणी ने अपनी कमर हल्की सी हिलाई और दो बार उसकी गांड पर ठोकरे मारी और रीमा की गांड का तीखा दर्काद और भीषण जलन फिर से लौट आई | रोहिणी की कमर फिर थम गयी | रोहिणी उसे फिर से पुचकारती रही, सहलाती रही और बहुत धीमे उसकी गांड में लंड को अन्दर और बाहर खिसकाती रही | उसकी गांड में अभी बस सुपाडा ही घुसा था और रोहिणी पूरी कोशिश में थी कम से कम आधा लंड तो उसकी गांड में घुसा ही दू भले ही चोद न पाऊ | ताकि अगली बार लंड लेने के लिए गांड कुछ हद तक तो तैयार हो | रोहिणी आइस्ते आइस्ते अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर बढ़ा रही थी जिससे वो उसके सुरंग की गहराई नाप सके लेकिन उसकी सुरंग का जख्मी पहरेदार ही रीमा के नासूर बन गया था और हल्की सी हरकत होने से रोये खड़े कर देने वाला तीखा दर्द पैदा कर देता था | दर्द से रीमा के चूतड़ जांघे और पिंडलियाँ सब बराबर पस्त थे | रोहिणी पूरी कोशिश में थी की उसका दर्द कम हो जाये तो उसकी गांड को थोड़ा रवा किया जाये लेकिन रीमा का जख्मी पहरेदार भी बहुत मुस्तैद था | रोहिणी की जरा सी हरकत से रीमा की जान हलक तक खीच लाता था | रोहिणी ने लंड का सुपाडा रीमा की गांड के गुलाबी छेद से निकाला और उसमे ढेर सारा गाढ़ा चिकना लोशन भर दिया | ये चिकनाई के साथ साथ दर्द भी कम करता था | रीमा को जल्दी सी राहत की साँस मिलने लगी | 
रोहिणी ने फिर से लंड उसकी गांड में सटा दिया और अन्दर घुसेड़ने लगी | रीमा उसकी सख्त जकड़न में थी इसलिए हिलाने डुलने का सवाल ही नहीं था | आइस्ते से रोहिणी फिर से उतना ही लंड घुसेड़ दिया और जोर देकर और ज्यादा अन्दर को ठेलने लगी | लोशन से रीमा को बहुत राहत पंहुची थी लेकिन उसकी गांड के मुहाने पर दर्द और जलन बराबर बना हुआ था | हालाँकि अब उसका छेद इतना खुल गया था की वहां से उसकी गुलाबी सुरंग और उसकी सटी दीवारे नजर आने लगी थी | रोहिणी कमर हिलाने लगी | रीमा की गांड के छल्ले की में फंसा उसका लंड बस हलका सा आगे पीछे होने लगा | बीच बीच में रोहिणी तेज झटका मार देती तो रीमा चीख उठती | रोहिणी का सब्र अब टूटने लगा था | 
रोहिणी - सुन कट्टो लगता है तेरा छेद बहुत जिद्दी है, लगता है खुलेगा नही इतनी आसनी से | रहने दे इसके किस्मत में लंड नहीं है लगता है |
रीमा - दीदी अब इतना कुछ बर्दाश्त कर लिया है तो थोडा और कर लूंगी | कम से कम एक बार पूरा लंड तो घुसेड़ दो | 
रीमा की बातो से रोहिणी की हिम्मत बंधी - ठीक है तू कहती है तो एक बार तरी करती हूँ |
रोहिणी ने जोर देकर लंड को पूरा अन्दर तक ठेलने की कोशिश की और रीमा की गांड में फिर से वही चीरने वाला पुराना दर्द लौट आया | रीमा दर्द से दोहरी हो गयी | उसकी मुठियाँ भिंची हुई थी, जबड़ो को भींचकर वो दर्द को बर्दास्त तो कने की कोशिश कर रही थी लेकिन दर्द उसकी बर्दाश्त से बाहर था उर उसकी चीखे निकलने लगी | 
रोहिणी थम गयी - रहन दे छुटकी, फिर कभी देखेगें | मै तो आती ही रहूंगी |
रीमा - दीदी मै क्या करू बहुत दर्द हो रहा है ऐसा लग रहा है जैसे कोई चुताड़ो को चीर कर दो किये दे रहा हो |
रोहिणी - कोई नहीं पहली बार ऐसा की लगता है जैसे किसी ने चाकू लेकर बीच से चूताड़ काट दिए  है और उसमे चाकू रख दिया हो | तूने कोशिश तो पूरी करी |
रीमा - दीदी हमने कोशिश करी | एक बार हचक के पेल दो जो होगा देखा जायेगा | मै बर्दास्त कर लूंगी |
रोहिणी - पागल हो गयी है क्या, कही कुछ आगे पीछे हो गया तो |
र्रीमा - अब क्या होगा, जो होना था वो हो गया, एक बार आप जोर लगाकर देखो तो सही | 
रीमा पेट के बल बिस्तर पर उल्टा लेट गयी | रोहिणी उसके पीछे आ गयी | रोहिणी ने उसकी गांड पर अपना लंड सटा दिया | रीमा ने कसकर बिस्तर को भींच लिया और पुरे शरीर को कड़ा कर लिया | 
रोहिणी - शरीर को ढीला छोड़ पगली वरना और ज्यादा दर्द होगा | 
रीमा - दीदी आप बस लंड पेलो |
रोहिणी के अपनी कमर पर जोर डाल कर लंड को रीमा की गाड़ में घुसेड दिया | रीमा की गांड के छल्ले ने उसी पहले की तरह ही जकड लिया | 
रीमा - दीदी पूरा जोर लगाकर १० -20 बार ठेल दो, फिर आगे का आगे देखूँगी | 
रोहिणी ने भी पूरा जोर लगाकर झटका मारा और रबर का चिकनाई से सना लंड रीमा के गांड के दर्द से भरे  जलते मुहाने को चीरता हुआ अन्दर तक धंस गया | ऐसा लग रहा था जैसे पहले किसी ने नस्तर घुसेड़ दिया हो और अब उस पर तेज़ाब डाल दिया हो | उसकी गांड में भीषण जलन होने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वहां किसी ने आग लगा दी हो | रीमा दर्द और जलन से लगभग बेहोश होने की कगार पर पहुच गयी | 
रीमा - रुको मत दीदी |
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रोहिणी ने रीमा की कमर पर कसकर हाथ जमाये और दे दनादन दे दनादन उसकी गांड को चीरने लगी | जलन बढ़ती गयी और दर्द बर्दाश्त से बाहर होता चला गया लेकिन एक ही साथ में लगाये गए १5 -20 झटको से लंड पूरा का पूरा रीमा की गांड में समां गया | रीमा की दर्द से हालात ख़राब होने लगी | रोहिणी ने झट से लंड बाहर निकाल लिया और रीमा को अपनी बांहों में समेत लिया | 
रोहिणी - बस हो गया मेरी कट्टो चूत रानी | तू बहुत हिम्मत वाली है तूने एक ही रात में ये कर दिखाया | 
रीमा के चुताड़ो के बीच बेतहाशा जलन और दर्द हो रहा था | रोहिणी ने रमा की गांड में एक ठंडा वाला चिकनाई भरा जेल भर दिया | जिससे उसकी जलती गांड को कुछ राहत मिली | रोहिणी ने उसे कसकर बांहों में भर लिया और उसकी आँखों से बह रहे आंसू पोछने लगी अपनी गुलाबी अधरों से उन्हें पीने लगी | ऐसा लग रहा जैसे आंसू बनकर निकलने वाले रीमा के दर्द को रोहिणी पी रही हूँ | रीमा भी अपनी दीदी रोहिणी की बांहों में समाती चली गयी | आज रोहिणी ने उसके पिछले दरवाजे को खो दिया | पता नहीं कितनी कामनाये कितनी वासनाए जो आज तक बस मन के किसी कोने में दबी हुई थी, उनके अब पूरी होने का रास्ता साफ़ हो गया था | रोहिणी ने स्ट्रैप निकाला और फिर से रीमा को बांहों में भर लिया | 


अगली सुबह दोनों देर तक सोती रही | अनिल कई बार रीमा के बेडरूम तक आये और वापस लौट गए | दरवाजे पर नॉक करने की हिम्मत नहीं हुई | जैसे जैसे समय आगे बढ़ता जा रहा था अनिल के मन में कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थी |  फिर हारकर वो रोहित के घर चले गए ताकि कम से कम उनका मन इधर उधर भटक सके |  दोनों रात में बहुत लेट सोयी थी इसलिए सुबह १० बजे तक सोती रही | रोहिणी की नीद पहले खुली | उसने कपड़े पहने और फ्रेश होने चली गयी | जब वापस आई तो देखा रीमा की आंख भी खुल गयी है | 
रोहिणी - क्या हाल मेरी छुटकी का |
रीमा अलसाते हुए - आपने तो रात में जान ही निकाल दी, दर्द और जलन अभी तक हो रही है |
रोहिणी - कोई नहीं, मै तुझे अभी जादुई क्रीम देती हूँ सब ठीक हो जायेगा |
रोहिणी ने उसे उसी की ड्रोर से एक क्रीम निकाल कर दी, फिर रीमा गाउन डालकर फ्रेश होने चली गयी |
रोहिणी ने दरवाजा खोला और बाहर देखा चारो तरफ देखा अनिल कही दिखाई नहीं दिए |
उन्होंने अनिल को फ़ोन मिला दिया | अनिल तो जैसे फ़ोन की राह ही देख रहे थे झट से फ़ोन उठाया | 
रोहिणी - कहाँ चले गए, मै जरा सा उठने में लेट क्या हो गयी तुम तो फुर्र ही हो गए |
रीमा को देखने की लालसा में अनिल कुछ नहीं बोले - बस आ गया | इतना कहकर फ़ोन काट दिया | 
कुछ ही देर में अनिल रीमा के घर पहुँच गए | 
रोहिणी - यहाँ कोई नौकर तो है नहीं जो नाश्ता बनाएगा, तुम हो की मेरी ओट पाते ही फुर्र हो लिए |
अनिल - अरे तुम सोकर नहीं उठी थी इसलिए बच्चो के पास तक चला गया था | बस अभी बनाकर लाता हूँ |
तभी अनिल को अपने बाथरूम से रीमा निकलती दिखाई दी | 
अनिल के न चाहते हुए भी उनके मुहँ से निकल गया - कैसी हो रीमा | 
रीमा हल्का सा मुस्कुरायी - बढियां हूँ जीजा जी | 
अनिल - क्या बात है तुमारी हालत देखकर लगता है तुमारी हालत ठीक नहीं है |
अनिल के सवाल से रीमा सकपका गयी, रीमा - अरे ऐसी कोई बात नहीं है जीजा जी मै ठीक हूँ | 
अनिल को फिर भी संतोष नहीं था, वो कुछ बोलना चाह रहे थे इससे पहले ही रोहिणी ने उनकी बात काट दी - कुछ खिलाओगे पिलाओगे या इंटरव्यू ही लेटे रहोगे |
अनिल - अरे वो तो मै रीमा का हाल चाल ले रहा था | चेहरे से उसकी हालत ठीक नहीं लग रही |
रोहिणी को भूख लगी थी और अनिल यहाँ जासूस बने हुए थे | रोहिणी अनिल की हरकते जानती थी इसलिए फट फड़ी - जाकर चुपचाप ब्रेक फ़ास्ट बनावो अहम् दोनों के लिए | 
अनिल - अरे तुम बेवजह भड़क रही हो मै तो बस हालचाल ले रहा था | 
रोहिणी और भड़क गयी - क्या पूछना है क्या पूछना है मुझसे पूछो |
अनिल - गरम मत हो मै जा रहा हूँ, रीमा कोई स्पेशल डिमांड ब्रेकफास्ट में |
रीमा फिर से मुस्कुरायी - नहीं जीजा जी |
रोहिणी अनिल को घूरने लगी लेकिन अनिल को लगा सच में रीमा की तबियत ठीक नहीं है | 
रोहिणी - क्या अब यहाँ क्यों बुत बने खड़े हो |
अनिल - कल के बाद से रीमा की हालत मुझे ठीक नहीं लग रही है |
रोहिणी फट पड़ी - हाँ रीमा की हालत ठीक नहीं है क्योंकि राटा भर मैंने उसकी गांड मारी है अब खुश | अब जाकर नास्ता बनाकर लावो | 
रोहिणी के तेवर देख अनिल ने वहां से खिसकने में ही भलाई समझी | रीमा रोहिणी की बात सुनकर हैरान रह गयी | मन ही मन सोचने लगी दीदी ऐसा कैसे कह सकती है खुलेआम | 
रीमा का चेहरा देखकर रोहिणी को अपनी गलती का अहसास हुआ - अरे कुछ नहीं पगली तू चिंता मत कर, वो कुछ नहो सोचेगा तेरे बारे में | मै उसे घुट्टी पिला दूँगी | तू निश्चित रह | आ चल तुझे कुछ देती हूँ |
कमरे में जाकर उसे बट प्लग दिया, जिसको पहनने से गाड़ का छेद नरम हो जायेगा और खुल भी जायेगा | 
रोहिणी ने उसे बट प्लग पहन कर भी दिखाया | और रोज रात में सोने से पहले पहनने को कहा | 
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 दो दिन तक रोहिणी ने भी रोहित की तरह रीमा को तरह तरह के प्राकृतिक अप्राकृतिक पाशविक काल्पनिक सब तरह के सेक्स की खूब कहानियां सुनाई | रीमा ने भी उसकी कहानियां खूब दिलचस्पी लेकर सुनी | रीमा के लिए वासना के नए नए आयाम रोज खुलते जा रहे थे | दो  दिन तक रोहिणी रीमा के घर पर ही रुकी हालाँकि उसने अनिल को वापस बच्चो के पास रोहित के घर बेज दिया था | 
रीमा भी नार्मल हो गयी थी | सब कुछ रूटीन लाइफ की तरह नार्मल हो गया था और प्रियम भी अब रीमा के साथ सहज रहने लगा था | उसे अपनी हद साफ़ साफ़ पता चल गयी थी | उसके दिमाग पर चढ़ा नशा उतार गया था | उसे ख़ुशी दी रीमा चाची ने उसे माफ़ कर दिया | वो खुद को लकी मनाता था की रीमा चाची उसके बाप के पीछे उसका ख्याल रखने के लिए उसके पास है |  
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एक दिन रीमा शाम को अकेली घर में थी तभी एक फ़ोन उसे आया | वो पहचान नहीं पाई की फ़ोन किसका है लेकिन उधर से आने वाली आवाज ने सिर्फ इतना कहा - तुमने जो पाप किये है उसकी सजा इसी जनम में तुम भोगोगी | एक बार मेरे आदमियों के हाथ से फिसल गयी हो कब तक इस तरह से बचकर निकलती रहोगी | मै तुम्हे दबोच ही लूँगा और फिर मै तुमारे साथ वो करूंगा जिसकी तुम कल्पना तक नहीं कर सकती | 

रीमा - कौन बोल रहा है ?
उधर वाला आदमी फ़ोन पर ही हँसने लगा | 
रीमा - तुमारे जैसे दो चार रोज मुझे गीदड़ धमकी देते है | ऐसे डरने वाली होती तो आज तक अकेले जी नहीं पाती | असली का मर्द है तो सामने आकर बात कर, साले छक्के कही के, फ़ोन पर धमकी दे रहा है |
फ़ोन - ऐईईईईईईईईईई मेरी मर्दानगी को मत ललकारना वरना बहुत पछताएगी |
रीमा - क्यों तुमारी लुल्ली सिर्फ दो इंच की है या तुम 20 सेकंड में निपटने वालो में से हो |
फ़ोन - तू जानती नहीं मै कौन हूँ |
रीमा - तो जान पहचान करा दो, चल फ़ोन रख तेरे जैसे बहुत देखे दो टके के सड़क छाप |
फ़ोन - तू मुझे बहुत हलके में ले रही है | पिछली बार जनरल स्टोर वाले हब पर पार्किंग लोट में तू फिसल गयी थी लेकिन इस बार तू नहीं बचेगी |
रीमा समझ गयी ये वही आदमी है जिन्होंने उसको किडनैप करने की कोशिश की थी | 
रीमा थोड़ा गंभीर हो गयी - आखिर तुम कौन हो और तुम्हे क्या चाहिए |
फ़ोन - मुझे बस तुम चाहिए सिर्फ तुम |
रीमा - तुमारा दिमाग तो नहीं घूम गया, पता है मै कौन हूँ, यहाँ की सिक्युरिटी तुमारे बाप दादा तक के घर की नीव खोद डालेगी अगर मुझे कुछ हो गया तो |
फ़ोन से आने वाली आवाज - तुझे सजा जरुर मिलेगी और वो मै दूंगा |
इतना कहकर फ़ोन काट गया | रीमा ने अपने पति के दोस्त को वो नंबर दे दिया हालाँकि इसका जिक्र उसने अनिल और रोहिणी से बिलकुल नहीं किया | 
बात आई गयी हो गयी कुछ दिन बीत गए | कुछ दिन रीमा सतर्क रही | उसके फ़ोन में जीपीएस हमेशा ऑन रहता और सिक्युरिटी ने भी उसके फ़ोन को सर्विलांस पर डाल रखा था | रीमा ने ये बात अनिल को नहीं बताई
 फिर भी ये बात रोहित को पता चल गयी और रोहित ने रोहिणी से इस बारे में बात करी | रोहिणी ने अनिल को इस बारे में बताया | अनिल ने भरोसा दिलाया वो रीमा पर नजर रखेगें | अनिल रीमा के पास जाने से हिचकने लगे थे फिर भी अगर कोई काम होता था  तो रोहिणी के साथ ही जाते थे |
रीमा को वो सच बताकर डराना नहीं चाहते थे इसलिए रीमा की सुरक्षा के लिए जो भी किया चुपचाप किया | 

एक दिन की बात थी रीमा जब ऑफिस से वापस आ रही थी तो उसने देखा उसकी गाडी का टायर पंचर हो गया | पार्किंग में खड़ी गाड़ी का टायर कैसे पंचर हो सकता है लेकिन उसकी गाड़ी का टायर पंचर था | उसने ऑफिस से नौकर को बुलाकर टायर बदलने को कहा | लेकिन जब ऑफिस बॉय ने स्टेपनी टायर निकाला तो वो तो पहले से ही पंचर था |
 रीमा ने माथा पीट लिया | वो उस टायर को ठीक कराना भूल ही गयी थी | ऑफिस बॉय ने रीमा को गाड़ी बाद में ठीक कराकर भेजने की बात कह दी और उसके लिए टैक्सी देखने चला गया | किस्मत अच्छी थी बिल्डिंग के बाहर गेट पर एक टैक्सी थी | वो रीमा को उसमे बैठाकर फिर कार का टायर ठीक कराने चला गया | रीमा ने कार में बैठेते ही अपने घर का पता बता दिया | कुछ दूर चलने के बाद तेल भराने के बहाने ड्राईवर ने यू टर्न ले लिया | 
रीमा - किधर जा रहे हो आगे भी तो पेट्रोल पम्प है| 
ड्राईवर -  मैडम जी मैंने आगे वाली पेट्रोल पम्प की मेम्बरशिप ली, मुझे ठीकठाक कैशबैक दे देते है, मैडम जी आप परेशान न हो बस पांच मिनट की तो बात है | 
रीमा सर हिलाकर रह गयी | पेट्रोल पंप मुख्य सड़क से थोडा अन्दर था और उसके लिए एक सुनसान गली से गुजरना पड़ता था | रीमा फ़ोन में बिजी हो गयी थी |  जैसे ही ड्राईवर ने कार मैंन सड़क से नीचे उतारी, कुल १०० मीटर चलने के बाद ही तीन आदमी कार के चारो तरफ कूद पड़े | एक आदमी ने फटाक से ड्राईवर वाला दरवाजा खोला और उसको गन सटा दी | इससे पहले रीमा कुछ समझ पाती दो आदमी दोनों तरफ के दरवाजे खोलकर पिछली सीट पर आ गए | रीमा तो एकदम से घबरा गयी, उसके होश उड़ गए | उसमे से एक ने चाकू निकाल लिया और दुसरे ने गन | दोनों ने रीमा की तरफ चाकू और गन तान दिए | रीमा गन और चाकू देखकर बहुत घबरा गयी थी | वो दहसत से भर गयी | उसका दिल जोरो से धड़कने लगा और अचानक सब कुछ इतनी तेजी से हुआ की रीमा को प्रतिक्रिया देने का अवसर ही नहीं मिला | सबी आदमियों के चेहरे पर नकाब था इसलिए किसी को पहचानना मुश्किल था | फिर  भी उसने दिमाग ने तेजी दिखाते हुए  अपना फ़ोन अपनी जांघ के नीचे दबा लिया |  ड्राईवर को आगे वाले आदमी ने बाहर आने को कहा और जैसे ही वो बाहर आया, उसका फ़ोन पर्स सब छीन लिया और उसके सर पर पिस्टल का कुंडा मार कर उसे जमीन पर गिरा दिया | आगे वाले ने कार को फिर से तेजी से उसी तरफ ले गया जहाँ से वो पेट्रोल पंप की तरफ मुड़ी थी | कार के शीशे चढ़ा लिए और रीमा को नीचे की तरफ झुका दिया | कार तेजी से मैंन रोड से होती हुई कुछ ही मिनटों में शहर पार कर गयी | पिछली सीट पर बैठे आदमी रीमा के सर पर गन ताने रहा और दूसरा पकड़कर उसे नीचे की तरफ झुकाए रहे ताकि बाहर से कोई देख न ले | शहर पार करते ही उन दोनों की साँस में साँस आई | उन्होंने एक सुनसान इलाके में कार रोकी | रीमा को कार से बाहर निकाला |
रीमा- कौन हो तुम लोग और क्या चाहते हो मुझसे | तुम्हे पैसा चाहिए तो मै दे दूँगी | प्लीज मुझे कोई नुकसान मत पंहुचाना | 
उन्होंने रीमा की बात अनसुनी कर दी | 
वो आपस में ही उलझ कर रह गए | उनको आपस में उलझा हुआ देख रीमा ने भागने की कोशिश की, तो ड्राईवर सीट पर बैठे इन्सान ने बाहर निकलकर उस पर गन तान दी - मैडम होशियारी नहीं चलेगी सीधे जान से जाओगी |  रीमा तो जैसे वही बर्फ बन गयी, एक दम सर्द बर्फ के मुताबिक जम गयी, उलटे  पाँव लौट आई - प्लीज गोली मत चलाना, गोली मत चलाना |
वही बोला - अबे गधो ज्यादा टाइम नहीं है हमारे पास इसे बांधकर पीछे डालो डिग्गी में |
उनमे से एक बोला - बॉस ये रस्सी लाना भूल गया, बांधे किससे |
ड्राईवर सीट वाला - तुम साले दोनों के दोनों जिंदगी भर गधे ही रहोगे | एक काम नहीं होता तुमसे ढंग से |
थोड़ा सोचकर - गाड़ी में जाकर देखो पड़ी होगी  | 
रीमा - प्लीज प्लीज ऐसा मत करो, जो तुम कहोगे वो मै करूंगी | 
पिछली सीट वाले में से एक - बॉस ये हमारे साथ शांतिपूर्वक चलने के लिए तैयार है | 
ड्राईवर सीट वाला - अबे गधे इसको गोली मारने से पहले मै तुझे न उड़ा दू |
एक आदमी वहां से रस्सी ढूंढ कर लाया | उसने रीमा के हाथ पांव और मुहँ तीनो बांध दिए और दिग्गी में धकेल दिया | जल्दी से तीनो वहां से कार लेकर निकल गए |
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 रीमा अन्दर डिग्गी में हजार सवालो के साथ भयभीत हुई पड़ी थी | ये सब मेरे साथ क्या करने वाले हैं इनका निजी क्या मकसद है यह क्यों क्यों मुझे किडनैप करके कही ले जा रहे है रीमा का डर और दहसत से बुरा हाल हो गया | वो सदमे में चली गयी, उसकी हालत अर्द्ध बेहोशी की हो गयी थी | रीमा का मोबाईल कार की पिछली सीट पर पड़ा था | कार मैंन रोड से उतर कर अब जंगलो के बीच सुनसान सड़क पर  जा रही थी | कुछ देर बाद कार एक कच्चे रास्ते पर उतर गयी | तभी रीमा के मोबाईल पर पीछे सीट पर बैठे लडके की नजर गयी | उसने इतना महंगा फ़ोन देखते ही उछाल पड़ा | उसके हाथ में फ़ोन देखते ही आगे कार चला रहा आदमी चिल्लाया - अबे गधो फ़ोन स्विच off करो वरना सिक्युरिटी हमारी मौत का फरमान लेकर आती होगी |
उन्ही में से एक बोला - क्या माल मिला है किडनैप करने को, मैडम तो बिलकुल चकाचक है, बिलकुल रसमलाई की तरह मन करता है गप गप कर खा जाऊ | साड़ी में जब इतना कहर ढा रही है तो एक बार बिना कपड़ो के .....................|
आगे वाले से - भाई बस एक झलक लेनी मम्मो की बस एक झलक, कैसे दुधिया मम्मे होंगे | |
जो गाड़ी चला रहा था वो बोला - बकवास बंद कर साले वरना तेरी खोपड़ी में अभी छेद कर दूंगा | साले हमें इसको बिना किसी नुकसान के बॉस तक पंहुचाना है | मैडम की तरफ नजरे भी उठाई तो आंखे फोड़ दूंगा |
पिचली सीट पर बैठे - भाई आप तो नाराज हो जाते हो लेकिन आप ही दिल पर हाथ रखकर बतावो मैडम है तो चकाचक न |
जो गाड़ी चला रहा था वो बोला - फ़ोन स्विच off कर वर्ना मै तुझे स्विच off कर दूंगा | 
पिचली सीट पर बैठे लड़के ने जल्दी से फ़ोन स्विच off किया | गाड़ी जिस तरह से हिल रही थी उससे लग रहा था गाड़ी कच्चे रास्ते पर चल रही है | कुछ देर चलने के बाद गाड़ी रुक गयी | तीनो car से उतरे | एक ने आकर कार की डिग्गी खोली | रीमा की दहसत भरी और आसुओं से भरी आँखों को देखकर बोला - मैडम तो सच में डर गयी | 
रीमा ने मुहँ से कुछ कहने की कोशिश की लेकिन उसके मुहँ में तो कपड़ा बंधा हुआ था इसलिए आवाज बस घुट कर रह गयी | 
किडनैप करने वाला - कोई चालाकी मत कर वरना कुतिया की मौत मरी जाओगी | वो कुछ कहना चाहती थी इसलिए उसने हल्का सा उसके मुहँ से कपड़ा हटाया और रीमा गिडगिडाने लगी - प्लीज मुझे छोड़ दो, मैंने क्या बिगाड़ा है तुमारा, क्यों कर रहे हो ये सब | तुम्हे पैसा चाहिए मै तुम्हे ढेर सारा पैसा दूँगी | प्लीज ....................|
 इससे आगे वो कुछ बोलती किडनैपर ने फिर से उसके मुहँ में कपड़ा ठूंस दिया | रीमा फिर से कुछ कहना चाहती थी | किडनैपर ने फिर से उसके मुहँ से कपड़ा नीचे खिसकाया |
रीमा - प्लीज जिस तुम बोलेगे मै वैस ही करूंगी, मेरे हाथ पाँव खोल दो | मै बिलकुल नहीं चिल्लाउंगी | प्लीज |
किडनैपर ने कुछ सोचा और उसने हाथ पकड़कर उसे डिग्गी से निकाला और रीमा के हाथ पैर खोल दिए थे, रीमा ने अपने मुहँ पर लगा कपड़ा भी निकाल फेंका | चारो एक पगडण्डी पर चलने लगे | तभी एक और आदमी वहां आ गया जो भी मुहँ पर मास्क लगाये हुए था | दो आदमी रीमा का हाथ सख्थाती से थामे उसके साथ चल रहे थे | एक आदमी पीछे से उस पर गन ताने था | जबकि तीसरा आदमी रीमा को देखकर बहुत खुस था | रीमा समझ गयी थी यहाँ चालाकी दिखाने का कोई मतलब नहीं है | यहाँ कुछ भी गलत किया तो लावारिश लाश बनकर रह जाउंगी | 

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रीमा चुपचाप जंगल में उन किडनैपर के साथ चलती रही, कुछ देर बाद एक मकान दिखा | सभी उस में घुस गए | रीमा को नहीं पता था कि वो कहाँ पर है | उसे बस इतना अंदाजा था की गाड़ी कम से 40 मिनट चलने के बाद यहाँ आई है | इसलिए उसे लग रहा था की वो शहर से कोई 50-60 किमी दूर किसी जंगल के बीचो बीच में है | अन्दर जाकर एक लड़के ने रीमा को कुर्सी पर बैठ दिया और उसके हाथ पाँव दोनों कुर्सी से बांध दिए | दोनों लडके रीमा को बांधने के बाद उससे दूर चले गए | जो उन किडनैपर का लीडर था | उसने बाद में आये आदमी से मुखातिब होते हुए बोला - मैं अपना काम कर दिया, अब मुझे पेमेंट चाहिए |
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रीमा चुपचाप जंगल में उन किडनैपर के साथ चलती रही, कुछ देर बाद एक मकान दिखा | सभी उस में घुस गए | रीमा को नहीं पता था कि वो कहाँ पर है | उसे बस इतना अंदाजा था की गाड़ी कम से 40 मिनट चलने के बाद यहाँ आई है | इसलिए उसे लग रहा था की वो शहर से कोई 50-60 किमी दूर किसी जंगल के बीचो बीच में है | अन्दर जाकर एक लड़के ने रीमा को कुर्सी पर बैठ दिया और उसके हाथ पाँव दोनों कुर्सी से बांध दिए | दोनों लडके रीमा को बांधने के बाद उससे दूर चले गए | जो उन किडनैपर का लीडर था | उसने बाद में आये आदमी से मुखातिब होते हुए बोला - मैं अपना काम कर दिया, अब मुझे पेमेंट चाहिए |

चौथा आदमी बोला - पेमेंट भी मिलेगी, बिलकुल मिलेगी पूरी मिलेगी | पहले जरा गौर से देख तो लू सही माल लाये हो या नहीं | 
वो मास्क पहने पहने रीमा के करीब आया , रीमा को घूरकर निहारा और फिर उसी आदमी के पास चला गया | 
चौथा आदमी - माल तो परफेक्ट है बिलकुल | कही कोई खरोंच के निशान तक नहीं | तेरे आदमियों ने इस पर गलत निगाह तो नहीं डाली | 
किडनैपर का लीडर - जैसा आपने बोला था बिलकुल वैसा ही किया है, लड़को ने एक नजर ठीक से देखा तक नहीं मैडम को |
तभी पीछे से एक आदमी आया, उसने बाद नीचे पेंट और उपर बनियान पहन रखी थी | मास्क उसने भी पहन रखा था | किडनैपर का लीडर और चौथा आदमी जो बाद में जंगल में मिला था वो दोनों बाहर चले गए | 
तभी वो मास्क पहने बनियान वाला आदमी रीमा के पास आया - कैसी हो रीमा मैडम | 
रीमा डर सदमे और दहसत से पीली हुई जा रही थी | मारे डर के उसका शरीर कांप राह था | आँखों डरावनी आहट से भयभीत थी | लेकिन जैसे ही वो आवाज रीमा के कान में पड़ी रीमा के कान खड़े हो गए | 
रीमा - ये आवाज मै पहचानती हूँ, मैंने कही सुना है इसे |
लड़का - मैडम जरुर सुना होगा, लेकिन अभी मैंने पुछा कैसी हो ?
रीमा का दिमाग तेजी से चलने लगा - जग्गू तू बहन के लौड़े हरामी के लंड तू है क्या ?
रीमा का सारा डर चिंता जैसे फुर्र हो गयी | उसके पीले पड़े चेहरे पर आशा की रोशनी लौटने लगी | जिस जग्गू का उसने मान मर्दन किया था उसको सामने देखते ही उसकी टूटी हिम्मत वापस आ गयी | उसके अन्दर भरी दहसत एक झटके में निकल गयी | अब तक जो उसके दिमाग में अनिश्चितता के जो बादल मंडरा रहे थे वो सब के सब छट गए | रीमा की हिम्मत लौट आई |
मास्क पहने लड़का सकपका गया लेकिन खुद को संभालते हुए बोला - बड़ी तगड़ी यदाद्स्त है रीमा मैडम आपकी | आपने तो एक बार की बोली से ही पहचान लिया | 
जग्गू ने अपना मास्क उतार दिया है | 
रीमा उसकी ओर देखकर जमीं पट थूक दी - लानत है तेरी ऐसी जिंदगी पर जग्गू, तू पहले भी घटिया था और आगे भी घटिया ही रहेगा | अकेले अकेले तो हिम्मत नहीं है एक औरत से लड़ने की जो इन भाड़े के टट्टू को लाया है | 
जग्गू - ज्यादा मत उछलो रीमा मैडम, आज तुमारे जिस्म के एक एक रोम का रस पीकर ही मुझे शांति मिलेगी | आज अकेला नहीं हूँ, मसल दी जावोगी किसी चींटी की तरह | 
रीमा - हाँ हाँ बड़ा आया रीमा को मसलने वाला, आज भी तीन हो और उस दिन भो तो तुम तीन थे क्या उखाड़ लिया था, सबकी अकेले गांड मारी थी की नहीं | बता जरा इन भाड़े के टट्टुओं को | 
वो दोनों पीछे खड़े रीमा की बात सुनकर हैरान रह गए, एक औरत किसी की गांड कैसे मार सकती है | उनके मुहँ से हंसी छुटते छुटते रह गयी, फिर उनमे से एक दुसरे के कान में फुसफुसाया - ऐसी कहावत है | 
रीमा आक्रामक अंदाज में - बताता क्यों नहीं कैसे गांड मार मार के तेरा पिछवाड़ा सुजा दिया था | कैसे मेरे पैरो में गिरकर माफ़ी मांग रहा था | बता न पता तो चले तेरी मर्दानगी के किस्से इन्हें भी | बड़ी बड़ी डींगे मत हांक मुझे तेरी औकात  पता है | जग्गू के काटो तो खून नहीं | अब वो दोनों सच मे कनाफूसी करने लगे | एक हिम्मत करके बोला - मैडम आप कैसे किसी की मार सकते हो ......|
जग्गू दहाड़ा - चुप करो माँ के लौड़ो वर्ना यही जिन्दा गड़वा दूंगा |
रीमा के अट्टहास भरा - अरे गधो आजकल सब इंतजाम आता है | रबर के लंड आते है कमर में बांधो और पेल दो | तुम साले गधो को शायद पता नहीं हर चूत का अपना एक लंड होता है  | आजकल जो है कंपनियां है वो बहुत बड़े बड़े मोटे मोटे रबड़ के लैंड बनाती हैं मैंने उसे अपनी चूत पर फिट किया था उसे पूरा के पूरा इसकी गांड में घुसेड दिया था मेरे पास तो उसकी रिकॉर्डिंग भी है तुम देखना चाहोगे इसे गांड मरवाने में बहुत मजा आता है इसकी तो मैंने जमकर गांड मारी थी और मजे की बात तो ये है की इसे भी बहुत मजा आ रहा था | बताता क्यों नहीं इन भाड़े के टट्टुओं को | लगता है एक बार में जी नहीं भरा इसलिए दुबारा आ गया एक चूत से अपनी गांड मरवाने | 

लड़को को समझ नहीं आ रहा था की रीमा की बात पर हँसे या रोये | उन्हें जग्गू की कहानी सुनकर अन्दर ही अन्दर हंसी तो बहुत आ रही थी लेकिन अगर खुलकर हँसते तो शायद उनकी मौत निश्चित थी | जग्गू को देखकर उनकी हंसी रुक नहीं रही थी, फिर भी एक लड़के ने हिम्मत करके पूछ ही लिया - सर सचमुच में रीमा मैडम ने आपकी गांड मारी थी | 


जग्गू का खून खोल गया, वो हाथ भीचता और दांत पीसता हुआ रीमा के पास पहुंचा और उसके बाल जोर से भींच कर उसे धमकाने लगा - तुझे क्या लगता है एक बार तू मुझे पर भरी पड़ गयी तो अपने आप को तीसमार खां समझने लगी | मै अपने शहर के छंटे बदमाश का लौंडा हूँ | आज तेरी ऐसी चीखे निकालूँगा की तू जिंदगी भर को याद रखेगी | तेर हाथ बंधे है पांव बंधे है फिर भी तेरी गांड इतनी उछाल रही है आज तेरी गांड से ही शुरआत करूंगा | देखता हूँ आज तुझे कौन बचाता है यहाँ | तू चीखेगी चिल्लाएगी हाथ पटकेगी पाँव पटकेगी  लेकिन आज यहाँ कोई सुनने वाला नहीं होगा | आज न तो तेरे जाल में आने वाला हो न ही तेरी किसी चाल में आने वाला हूँ |  आज तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ के रख दूंगा | 
इसी के साथ उसने तीन चार चमाट रीमा के चेहरे पर जमा दी | रीमा दर्द से बिलबिला गयी | उसकी आँखों से आंसू निकल आये | 
रीमा को भी पता था आज मुश्किल हालात है और उसके साथ कुछ भी हो सकता है लेकिन अगर अभी से हिम्मत हार गयी तो कैसे चलेगा | उसे पता था आज जग्गू कुछ भी कर सकता है उसकी जान तक ले सकता है लेकिन रीमा ने अन्दर ही अन्दर खुद को हिम्मत बंधाई | उसने दर्द को बर्दाश्त किया | 


उधर दोनों लड़के खुसुर फुसुर करने में लगे थे | उनको इस तरह से देख जग्गू का पारा और चढ़ गया - भोसड़ी वालो एक दुसरे के कान में फुसुर फुसुर करके मूत रहे है जो पूछना है मुझे पूछो, हाँ इसने मारी थी मेरी गांड    ............और कुछ | 
दोनों की हंसी बड़ी मुश्किल से रुक रही थी | दोनों मुहँ पर हाथ लागए किसी तरह से बड़ी मुश्किल से खुद को रोके हुए थे |    

उनको देखकर जग्गू समझ गया वो क्यों खिखिया रहे है - भोसड़ी वालो हँसना बंद करो और इसकी रस्सियाँ चाकू से काट दो | फिर इसके कपडे भी चाकू से चीर दो | आज मै उसकी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बना दूगां | इसकी गांड भी मार मार कर सुजा दूंगा | इसके मुहँ को भी चोदूगा इसकी छाती को भी चोदूगा | आज इसके पुरे जिस्म की ऐसी दुर्गति करूंगा की ये जब भी आईने में खुद को द्खेगी इसे जग्गू याद आयेगा | जब तक जिन्दा रहेगी जग्गू की दरिंदगी भूल नहीं पायेगी | मैं जानवर से भी गया गुजरा हूँ | आज देख तेरे इस गोरे बदन को कैसे नोच नोक के शमशान बना देता हूँ | तू चीखेगी चिल्लाएगी मुझे रहम की भीख मांगेगी लेकिन तुझे सिर्फ मिलेगी दरिंदगी | तू अब से मेरी गुलाम है मेरा झूठा खाएगी, मेरा मूत पीयेगी और मेरी गांड चाटेगी |
रीमा जग्गू की बाते सुनकर अन्दर तक सिहर गयी | उसे अंदाजा हो गया था जग्गू अपने अपमान का जी भर के बदला लेगा और उसके शरीर से हद दर्जे की नीचता के साथ दरिंदगी करेगा | उसकी हिम्मत टूटने लगी थी | आखिर वो करे तो क्या करे | उसे इस वक्त रोहित याद आया और उसकी बात हर मुसीबत में अपना दिमाग जरुरत से ज्यादा चौकन्ना रखो |  रीमा को कुछ सूझ नहीं रहा था आखिर क्या करे, कौन सा गेम खेले | उसका पहला दांव कारगर तो था लेकिन अब बेकार हो चूका था |
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एल लड़का चाकू लेकर आया और रीमा की रस्सियाँ काटने लगा | उसने जल्द ही रीमा के हाथ और पांव की रस्सियाँ काट दी | रीमा के हाथ पाँव तो आजाद हो गए लेकिन वो कुछ कर नहीं सकती थी क्योंकि उसे सर पर दूसरा सख्स गन लगाये खड़ा था | रस्सियाँ काटते हुए रीमा के खूबसूरत जिस्म की मादक खूसबू उस लड़के के दिमाग में घुस गयी |
वो जग्गू की तरफ मुखातिब होकर बोला - बॉस आप अपने बाद हमें भी दोगे थोड़ा जूठन खाने को | 
जग्गू अट्टहास करता हुआ - मिलेगा तुम दोनों को भी  मिलेगा | पहले मुझे इसकी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बनाने दो, फिर इसकी गांड को अपने लंड से चीरकर उससे खून निकाल दूंगा फिर तुम दोनों एक साथ अपने दोनों लंड इसकी फटी गांड में घुसा का खूब मारना इसकी गांड | इसके गद्देदार चुताड़ो पर दो लंडो की ठोकर से इसे भी बड़ा मजा आएगा | आज इसको पता चलेगा गांड का दर्द क्या चीज होती है | 
वो दोनों उत्साह से भर गए | एक लड़के ने रीमा की साड़ी का पल्लू गिरा दिया | उसके बड़े बड़े उरोज उसके डीप कट ब्लाउज से बाहर झाँकने को बेताब हो रहे थे | 
जग्गू - देखो तो साली के दूध कैसे फूल फूल कर कुप्पा हो गए है | बड़ा मजा आएगा इन रुई की तरह नरम उरोजों को मसलने में | 
रीमा शर्म और गुस्से से भर गयी | उसने मुहँ घुमा लिया | एक लड़के ने उसके स्तन को पकड़ना चाहा तो रीमा ने उसके ने उसे एक मुक्का जड़ दिया | वो जमीन पर फ़ैल गया | दुसरे आदमी सतर्क हो गया, रीमा ने दरवाजे की तरफ भागने की कोशिश की लेकिन जग्गू ने गन उठकर हवा में फायर कर दिया | रीमा जहाँ थी वही जड़ हो गयी | रीमा के अन्दर डर और दश्सत दोनों घर कर गए | वो डर से कांपने लगी | उसे लग रहा था कही ये सच में न मार दे | और जग्गू के मुहँ से अपने लिए जो दरिंदगी की ख्वाइश सुनी उससे रीमा का धैर्य जवाब दे गया था | रीमा अब क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था | वो पूरी तरह से बदहवास हो चुकी थी | 
जग्गू दहाड़ा - माँ के लौड़ो इसे कुर्सी पर बैठाकर इसके हाथ बांध दो बहुत चलते है इसके हाथ | जमीन पर गिरे हुए लड़के को देखकर - जल्दी उठ माँ के लौड़े वरना अभी तेरी गांड भी मार लेगी और तुझे पता नहीं चलेगा | 
वो लड़का जल्दी से उठा और गली देता हुआ रीमा की तरफ बढ़ा - सुन रंडी कुतिया तेरी तो मै वो हालत ..............|
इससे पहले वो कुछ बोलता जग्गू ने उसके मुहँ में गन की नाल घुसेड़ दी - अपनी औकात में रह मादरचोद, ये मेरा शिकार है और तूने अगर जरा सा भी जबान ठेडी करी रीमा मैडम पर तो हलक से जबान खीच लूँगा | भोसड़ी के नौकर है नौकर वाली औकात में रह |
बोल बॉस कौन है यहाँ |
लड़का - जी आप |
जग्गू - चल जो बोला है वो जल्दी से कर |
दोनों रीमा को पकड़ कर ले गए और कुर्उसी पर बिठाकर उसके हाथ कुर्सी से बांध दिए | 
जग्गू - चलो उसे नंगी करो | 
लड़का - लेकिन बॉस इसके हाथ तो बांधे है कपड़े उतारेंगे कैसे | 
जग्गू - भोड़सी के नंगी करने को बोला है, कपडे उतार कर सहेज कर रखने को नहीं | चाकू से काट दो |
 फिर कुछ रूककर - काट काट कर छोटे छोटे टुकड़े कर दो | ताकि अगर ये यहाँ से भागना भी चाहे तो इसके जिस्म पर कपड़े का नामो निशान न हो | इसकी साड़ी काट डालो ब्लाउज काट डालो इसका पेटीकोट काट डालो | इसकी पैंटी और ब्रा के इतने टुकड़े करो की कतरन बन जाए | 
रीमा अब उन तीनो के सामने असहाय थी | उसके हाथ कसकर कुर्सी से बंधे थे | एक लड़का रीमा के पास आया और उसने रीमा की रस्सी खोल दी और उसके दोनों हाथ ऊपर उठकर एक में बांध दिए |
जग्गू - ये क्या कर रहा है भोसड़ी वाले |
लड़का - बॉस इन हाथो को ऊपर करके उस छल्ले में बांध देता हूँ | फिर इसको खड़े खड़े ही नंगा करता हो | आपको भी इसको चोदने में आसानी होंगी | इसके कुर्सी से चिपके रहने पर पर इसे कैसे चोद पावोगे | 
जग्गू - इतनी देर में पहली बार तूने समझदारी की बात करी है | दोनों हाथ बांधकर लटका दो ऊपर फिर चीर कर चिथड़े बना दो इसके कपड़े | उन दोनों लड़को ने रीमा के हाथ को ऊपर बांध दिया फिर उसकी साड़ी उतार कर अलग फेंक दी |   एक लड़के ने उसकी ब्लाउज में लगी हुई साड़ी की पिन खोल दें जिससे कि उसकी साड़ी नीचे को गिर गई और ऊपर रीमा का डीप कट ब्लाउज और उसके आधे बाहर को लटक रहे हाहाकारी स्तन बाहर को नुमाया होने को बेताब होने लगे | 
एक लड़का रीमा के छाती के उभारो को देख खुद को रोक नहीं पाया - आपकी छाती तो कमाल की है मैडम क्या बड़े बड़े गुदाज सुडौल मम्मे पाए हैं किस्मत से एक बार बस इन्हें दबाने का मौका मिल जाए समझ लो जन्नत की सैर हो गई | बड़ा मजा आएगा ऐसे रस भरे मम्मो को चूसने में |  
दूसरा लड़का - रीमा मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी खूबसूरत हो | मेरा बस चले तो मै दिन भर बस आपके बड़े बड़े मम्मो का दूध ही पीता रहू |
जग्गू पीछे से चिल्लाया - सालों मादरचोदो तुमारा फिल्मी डायलॉग खतम हो गया हो तो आगे का काम कर लो | जल्दी जल्दी काम ख़त्म करो वर्ना भोसड़ी वालों यह बहुत हरामन औरत है इतनी हरामी चूत है  कि इसने कुछ ना कुछ साला पेच फंसा रखा होगा, तभी बिलकुल गाय की तरह सीधी खड़ी है |  भोसड़ी वाला इसका पति सिक्युरिटी में बड़ा अफसर था | कूटो की तरह सूंघती हुई सिक्युरिटी यहाँ आ जाएगी | एक बार  सिक्युरिटी वाले रीमा मैडम  को  ढूंढते हुए यहां आ गए ना तो हम सब की गांड फाड़ देगें | वो बांस करेगे की साल भर तक बिसतर पर ही होगोगे मुतोगे |  जल्दी करो भोसड़ी वालों |
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एक लड़के ने रीमा की कमर में लगी हुई सारी  पिन खोल कर फटाफट उसको उसके साड़ी को निकाल कर अलग किया  और पेटीकोट में फंसी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया |  रीमा सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी | वो दोनों रीमा की कमर के आसपास घुटनों के बल बैठ गए | उसके बाद में एक आदमी ने रीमा के नारे को खोलना शुरू कर दिया हालांकि रीमा के पेटीकोट का नाड़ा बहुत कसकर बंधा हुआ था, उसे समझ नहीं आया कैसे खोला जाये |   तभी दूसरे ने अपनी जेब से चाकू निकाला और नीचे से रीमा के पेटीकोट को पकड़कर चीरता हुआ ऊपर को चल दिया | अब रीमा का पेटीकोट पूरी तरह से फट कर खुल गया था | हालाँकि उसका नाडा अभी भी उसकी कमर में बना हुआ था और उस पेटिकोट के चीरे के अंदर से रीमा की लाल पैंटी झांक रही थी उस लड़के ने जिसने रीमा का पेटीकोट चीरा था अपने दोनों हाथों से रीमा के पेटीकोट को फैलाते हुए अंदर के लाल लाल पैंटी को देखकर  बावला हो गया | 
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लड़का - उपरवाले क्या गजब कयामत दी है तूने क्या कपड़े पहनती हो मैडम ,आपकी इस लाल चड्डी  को देखकर  मेरा लंड खड़ा हो गया है | इतनी खूबसूरत चड्डी आजतक मैंने नहीं देखि | 

पीछे से जग्गू - अबे चुतियानंदन इसे पैंटी कहते है | चड्ढी नहीं है ये | 
लड़का - नहीं बॉस सचमुच में भगवान ने क्या बनाया है मैडम को, क्या गजब का बदन है  इतने बड़े बड़े उरोज इतनी पतली मस्त कमर इतने भारी-भारी मांसल चूतड़ और और यह जन्नत आपने कहा कपड़ो में छुपा रखी थी | ये तो दिखाने की चीज है मैडम |  इस पेटीकोट का नाडा खोलिए न मैडम,  मै आपकी बेमिशाल खूबसूरती का कायल हो गया हूँ, मै आपके जिस्म के ऊपर के एक भी रेशे की अब चीर फाड़ नहीं करना चाहता | मै  नहीं चाहता हूं कि इसे काट कर फाड़ दूं |  मैंने नीचे से आपका पेटीकोट तो पूरी तरह से चीर कर अलग कर दिया है मैंने लेकिन मैं चाहता हूं पेटीकोट का नाडा आप ही खोलें |

दूसरा लड़का - अबे चूतिये यह नाडा कैसे खोलेगी इसके हाथ तो ऊपर को बांधे हुए है | 
पहला लड़का - अरे हां यह तो मैं भूल ही गया था चले काम करते हैं फिर मैं मैडम के पेटीकोट के नाड़े को भी काट देता हूं |  जहां से मैंने इनका पेटिकोट नीचे से ऊपर तक चीरा है वहीं से इस के नाडे को भी काट देता हूं |
उसने रीमा की कमर पर चाकू फंसाया और अंदर से नाडे की तरफ सीधा करे के ऊपर रगड़ने लगा | 
सीमा दहसत से भरी हुई थी  उसे पता था कि अब तो उसका बलात्कार होना तय है लेकिन उसने एक बार कोशिश करने में कोई हर्ज नहीं समझा |

रीमा -  मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो | 
एक लड़का बोला - मैडम आपको देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया है, बॉस का तो भरोसा नहीं लेकिन आप जरा हम लोगो का ख्याल रखना | बॉस हमें पैसे दे रहा है इसलिए आपके साथ ये करना पड़ रहा है वरना मै तो आपको फूलो की सेज पर सजा कर रखता | 

उस लड़के की बाते सुनकर रीमा की आँखों में पहली बार चमक आई | उसके रोशनी की कही एक महीन किरण दिखाई दी | उसे अफ़सोस था ये बात उसने पहले क्यों नहीं सोची |

रीमा अपने अन्दर आत्मविश्वास भरकर - ये जग्गू तुम्हे जितने पैसे दे रहा है उससे तीन गुना ज्यादा पैसे मै तुम्हे दूँगी | तीन छोड़ो पांच गुना दूँगी | मेरा साथ दो न  प्लीज |
दूसरा लड़का बोला - मैडम अभी हमें पैसो की जरुरत नहीं आपकी चूत की जरुरत है | बोलो चूत चोदने को दोगी तो सौदा मंजूर है | मैडम बात पैसे की नहीं है इस कमसिन जवान हसीन गोर मांसल कमसिन जिस्म का  लुफ्त भी तो उठाने को मिल रहा है वह कहां मिलेगा | एक बार चोदने की परमिशन दे दो फिर ...............................|


जिस तरह से उसने खुलकर उसको चोदने की बात कह दी थी रीमा उसकी बात सुनकर झेंप गयी | वो दोनों अब अपनी पेंट के ऊपर से अपने अपने लंड मसलने लगे | दोनों की निगाहे रीमा के गोरे नंगे बदन को घूर घूर कर खाने को आतुर थी | 

रीमा को सोच में डूबा देख - सोच लो मैडम अच्छे से सोच लो | हमें आपका पैसा भी चाहिए और चूत भी, तभी आपको हम इसके चंगुल से आजाद करायेगें | बस आप एक बार हाँ कह दो  हम अभी जग्गू की गांड मारना शुरू कर देगें | 
जग्गू उनकी बाते सुनकर उन्हें धिक्कारने लगा - तुम साले मादरचोदो नाली के गंदे कीड़ो का कोई जमीर नहीं, मुझे पता था तुम साले दोनों पैदायशी हरामी हो | कभी भी मुझे धोखा दे सकते हो, साला जहाँ चार पैसे मिले नहीं दुम दबाकर वही पंहुच गए और लार टपकाने लगे | मुझे धोखा देने की सोचना भी मत, मेरे पास गन है दोनों की खोपड़ी उड़ाने में एक सेकंड नहीं लगाऊंगा | अभी तक तुम दोनों  सालों ने  पेटिकोट तक नहीं खोला है रीमा मैडम का | पता नहीं कौन सी झालर बना रहे हो पेटीकोट, इसे क्या पानी मय्यत में लगाकर नाचोगे भोसड़ी वालो | 

एल लड़का - बॉस हमें भी थोडा मजा ले लेने दो, बाकि इस गलीज घटिया जिंदगी में रखा क्या है | 

इसी बीच में पीछे से एक लड़के ने चाकू निकाल कर गांड के बिल्कुल दरार के सामने नीचे पेटीकोट पकड़कर नीचे से ऊपर तक चीर के अलग कर दिया था  | अब पेटीकोट पूरी तरह से दो खंडों में अलग-अलग बंट गया था और सिर्फ कमर में नाड़े से टिका हुआ था |  रीमा की गोरी गोरी जांघे बेपर्दा हो गयी | दोनों रीमा का गोरा जिस्म बेर्पर्दा हुस्न देखकर पगला गए | क्या गजब का गोरा जिस्म था | कमर के नीचे अब बस पैंटी ही थी जो रीमा को ढके हुए थे | 
एक लड़का - अब मजा आ रहा है रीमा मैडम आपके भारी-भारी गोरे गोरे मांसल चूतड़ देख कर | जिस पर यह पतली सी लाल चड्डी | 
जग्मैगू ने उसे फिर टोका - चड्डडी नहीं है भोसड़ी वालो , पैंटी कहते है उसे, पैंटी | 
लड़का - हा हा बॉस ठीक है पैंटी ......................मैडम जी  एक सवाल पूछु आप ये पैंटी पहनती है क्यों हो जब इसमें कुछ ढकता तो है नहीं | आपके सारे बड़े बड़े चूतड़ तो बाहर दिख रहे है |  कसम से मन कर रहा है आपके चुताड़ो को हाथो में लेकर मसल डालू |  कसम से मन कर रहा है आपके इन्हीं गद्देदार चूतड़ों पर अपने लंड को रगड़ने लागु | क्या गद्देदार मोटे मोटे चूतड़ हैं | 

जग्गू रीमा को चोदने को उतावला हो रहा था, वो अपने लंड को लगातार मसले जा रहा था ताकि वो मुरझाये नहीं | उन लड़को की बाते सुन सुनकर वो अब खिसयाने लगा था - अरे भोसड़ी वालों जल्दी से जल्दी से नंगी करो भोसड़ी के तुम तो साले मजे लेने में लगे हुए हो | 
लड़का - अरे बॉस देखो मैंने इसके पेटीकोट को चीर के अलग कर दिया है ना अब आगे से उसकी लाल लाल पैंटी दिख रही है पीछे से उसके चूतड़ मांसल नरम नरम चूतड़ दिख रहे है अब तो बस मैडम के पेटीकोट का नाडा काटना रह गया है | आप इतना हाइपर क्यों हो रहे हो |
जग्गू - भोसड़ी के तुमारे मजे के चक्कर में हम सबकी गांड लग जाएगी | अगर कोई मैडम को सूंघता हुआ यहाँ तक आ गया तो हम सबके लौंडे लग जाने है | मै कहता हूँ जल्दी से इसको नंगी करो, जल्दी से इसको चोदकर इसके अन्दर जो गुरुर भरा है उसे मिटटी मे मिलाते है   | 
एक लड़का - बॉस इतना उतावलापन ठीक नहीं है, थोडा हमें भी खेलने खाने का मौका दे दो | जंगल के बीचो बीच कौन आ जायेगा | अब तो रात भी हो गयी है | बॉस आप बेवजह परेशान हो रहे हो | 
जग्गू - भोसड़ी वालो मै तुमको पैसे दे रहा हूँ इसलिए जो मै कह रहा हूँ वो करो | नौटंकी बंद करो जल्दी से इसको नंगा कर दो | 
लड़का जग्गू की बात अनसुना करता हुआ - वैसे मैडम जी एक बात कंहू आपका जिस्म है कमाल का....... आप जितनी खूबसूरत है उतना ही जिस्म भी आपका खूबसूरत है क्या फिगर है क्या घुमाव है क्या कटाव है  आपके संगमरमरी जिस्म में | आपकी इन  चूचियां को  देखकर मन तो करता है बस आप से लिपट जाऊं अभी  चूसना शुरू कर दू और चूसता रहा हूं बस चूसता ही हूं लेकिन यह जग्गू बॉस है ना कि मेरी गांड फाड़ देगा इसलिए मुझे वही करना होगा जो यह बोलेगा अब मैं आपका पेटीकोट का नाड़ा काटने जा रहा हूं इसके बाद में आप सिर्फ पेंटी में ही रह जाओगी और आपका पूरा का पूरा बदन नंगा हो जाएगा वैसे भी मैं तो जन्नत की सैर कर ही चुका हूं आपके इस नंगे बदन के दर्शन करके |  अगर आप कुछ चाहती हो तो अभी कह दो इसके बाद तो कुछ कहने का मौका मिलेगा ही नहीं | बाद में तो बस वही होगा जिसके लिए आपको जग्गू बॉस यहाँ लाये है | 

इसके बाद में उसने रीमा के पेटीकोट में जो कि वैसे भी पूरी तरह से फट चुका था उसके नाले पर चाकू को फंसा दिया और जरा सा जोर लगाया और  पेटीकोट का नाड़ा कट गया था नाड़ा कटते ही रीमा का पेटीकोट धड़ाम से जमीन पर जा गिरा और रीमा सिर्फ पेंटी में रह गई सीमा के पूरे जिस्म पर कमर के नीचे बस  एक पतली पैंटी रह गयी थी  जिसमें से उसके चूतड़ पूरी तरह से नुमाया हो रहे थे

एक लड़का रीमा के पीछे गया, उसने रीमा के बदन से चिपके ब्लाउज में चाकू घुसेड़ के  हल्का सा कट लगा दिया | कपड़े में कट लगते ही ब्लाउज का कपड़ा अपने आप फटने लगा | 
एक लड़का - क्या बड़े बड़े हाहाकारी मम्मे है मैडम के देखो बेचारे ब्लाउज का भी दम घुट रहा था | मैंने जरा सा चाकू क्या लगाया खुद बखुद बाकि फटने लगा |   पीछे से ब्लाउज पूरा चीर के फट गया था, बस कंधे और निचले हिस्ससे की सिलाई उसे अटकाए हुए थी | लड़के ने उसे  चाकू से  चीर दिया | पीछे से रीमा की पीठ पूरी नंगी हो गयी अब उसकी पीठ पर बस ब्तोरा की एक डोरी बची थी |  सामने से दुसरे लड़के ने भी ब्लाउज के दो टुकडे कर दिए | रीमा अब सिर्फ ब्रा पैंटी में रह गयी | तभी जग्गू ने एक कैंची उन लड़को की तरफ फेंकी | और उसके ब्रा पैंटी कुतरने को कहा | दोनों लड़के तो रीमा के गोर दमकते बदन को चकाचौंध में खो गए थे | फिर जग्गू ने जब कोर से कहा तो दोनों की नजर कैंची ओअर गयी | एक लड़का रीमा की ब्रा को कैची से काटने लगा | उन्होंने रीमा की ब्रा को काटकर उसके चीथड़े बना दिए और चारो तरफ छितरा दिए | 
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रीमा पूरी तरह से असहाय खड़ी थी लेकिन उसने इन जानवरों के सामने गिडगिडाना ठीक नहीं लगा | उसे पता था अगर उनकी चली तो वो वही करेगें जो उन्हें करना है | इसलिए रीमा सदमे में जरुर थी लेकिन चुप रही | उसे पता था उनके सामने गिडगिडाने का मतलब है वे उसे कमजोर समझेगे और उसका मजाक भी उडायेगें | उसे लग रहा था आज ये सब उसका बलात्कार करके ही मानेगे | उसे कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था | उसकी आँखों के सामने अब निराशा के कारन अँधेरा सा छाने लगा था | 

रीमा अब सिर्फ पैंटी में बची थी बाकि उसका पूरा बदन नंगा हो चूका था | रीमा की पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत  की खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता था रीमा का गोरा गुलाबी बदन पूरी तरह से उस रोशनी में दमक रहा था रीमा पर हाथ ऊपर छत की तरफ बने हुए थे और रिमा पूरी तरह से लगभग नंगी खड़ी हुई थी |  रीमा का गोरा दुधिया बदन और उसके उन्नत उरोज देखकर दोनों लड़के तो जैसे पागल हो गए | अब तक दोनों लड़के बस रीमा के पुष्ट उरोजो की बनावट का अंदाजा भर लगा रहे थे  | अब उनकी आँखों के सामने रीमा के स्तन पूरी तरह से नंगे हो गए थे |  उन्होंने पहले कभी  इतनी गोरी और नंगी लड़की कभी नहीं देखि थी | रीमा के सुडौल पुष्ट स्तन और उसके शीर्ष पर स्थित स्तनाग्र देखकर तो जैसे दोनों सीधे स्वर्ग की अनुभूति कर रहे हो | वो जो काम कर रहे थे वो भूल गए | वो बस रीमा के अप्रतिम निवस्त्र नंग सौन्दर्य को निहारने लगे | क्या कमसिन खूबसूरत बदन था | रस टपकाते ओंठ, सुराही जैसी गर्दन हिरानी सी आंखे , उठी हुए उभरी छाती, सपाट पेट सुघड़ नाभि और मोटी मोटी मांसल गोरी जांघे जांघे   | एस अलग रहा था जैसे किसी औरत का जिस्म न होकर किसी अपसरा का  हो | 
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अब बारी थी उसकी पैंटी की | दुसरे लडके ने दूसरी कैंची से उसकी पैंटी की पतली डोर काट दी | रीमा की गोरी जांघो के बीच उसकी कसी हुई चूत के फलको में फंसी पैंटी वही लटक गयी | दोनों लड़के रीमा के पूरी तरह से नंगे बदन को देखकर पागल हुआ जा रहा था | 
उसकी चूत घाटी की मखमली चिकनाहट और भरे पुरे भारी मांसल गोरे चूतड़ , उनके जिस्मो में चुदाई की आग भड़काने के लिए बहुत ज्यादा थे | अब उनको खुद को संभालना मुस्किल हो रहा था | 
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एक लड़का पेंट के ऊपर से ही अपनी तन रहे लंड को मसलता हुआ बोला - बाई गॉड की कसम क्या चूत लेकर आये हो बॉस, इसको तो चोदने में बड़ा मजा आएगा | हाय क्या कच्ची कली जैसे चिकनी कसी हुई चूत है, क्या बड़े बड़े मम्मे है इनको चूस कर मैंने मर भी जाऊं तो कोई गम नहीं होगा | बॉस इसकी चूत में जब अपना लंड जायेगा तो मै कही ख़ुशी से मर ही न जाऊ | उधर जग्गू को भी रीमा को नंगा देखकर वासना का नशा चढ़ने लगा था | अभी तक वो पेंट के ऊपर से ही लंड को मसल रहा था, अब उसने कपड़े उतारने शुरू कर दिए | जल्द ही उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए | उसका लंड अपनी अकड़न की चढ़ान पर था | कपड़े उतारते ही जग्गू अपने लंड को मसलने लगा | रीमा ने अपनी आंखे बंद कर ली | उसे अहसास हो गया था उसका रेप होना तय है, ये जानवर मिन्नतें करने और गिडगिडाने से मानने वाले तो है नहीं | अब तो उसे बस उपरवाले का सहारा बचा था | वो ऊपर वाले से प्रार्थना करने लगी, शायद कही कुछ हो जाये और आज उसकी इज्जत लुटने से बच जाए | 

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उधर उन दोनों किराए के टट्टू लडको की उत्तेजना भी बढ़ने लगी थी | दोनों अपने लंड को पेंट के ऊपर से ही मसल रहे थे | 
जग्गू अपनी विजय के अहंकार में - अब साली को ऐसा चोदुंगा की जिंदगी भर याद रखेगी | कुतिया बनाकर चोदुंगा, घोड़ी बनाकर चोदुंगा | और चोद चोद कर इसकी चार इंच की चूत  चौह्हत्तर की कर दूंगा | 
जग्गू का जोश देख दोनों में से एक लड़का बोला - बॉस कुछ हमारे लिए भी छोड़ देना |
जग्गू - अरे ये बहुत हरामन चूत है, सब कुछ हजम कर जाएगी तुम बस देखते जावो | 
रीमा बस सर झुकाए उनकी घटिया बाते सुन रही थी | रीमा बेबस थी उसे भी पता था जग्गू बड़बोला है और एक नंबर का घटिया चुतिया इंसान भी इसलिए उसे ज्यादा अफ़सोस हो रहा था | शायद उस दिन उसने जग्गू का गुरुर ही ख़तम कर दिया था, आज उसकी बारी थी | 
एक लड़का फिर से बोला - मैडम आपको देखकर मेरा भी लंड खड़ा हो गया है, बॉस का तो भरोसा नहीं लेकिन आप जरा हम लोगो का ख्याल रखना | 

अब तो उन तीनों   में से किसी का भी अपने पर जोर नहीं रह गया था वह तीनों ही  अपने लंड को बुरी तरह रगड़ने लगे थे जग्गू तेजी से अपने लंड को मुठिया रहा था उसका लंड लगभग लगभग पूरी तरह से सीधा हो चुका था अब तो बस रीमा की चूत को  चोदने की फिराक में था लेकिन इस तरह से खड़े खड़े छरीमा को कैसे चोद पायेगा | उसे तो बस लिटाकर लड़की को चोदना आता था |  
जग्गू - भोसड़ी वालो इसको ऐसे खड़े खड़े कैसे चोदुंगा | इसको कही लिटाओ तो सही तब तो चोदते बनेगा | रीमा बस सर नीचा किये चुपचाप खड़ी थी | उसके हाथ ऊपर बंधे हुए थे | 

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रीमा अब ये मान चुकी थी की उसका चुदना आय तय है, आज उसकी चूत नहीं बचने वाली ये सब तीनो मिलकर उसे जमकर चोदने वाले है | अभी तक सिर्फ जग्गू नंगा हुआ था लेकिन अब उन दोनों लड़को ने भी अपने कपडे केले के छिलके की तरह उतार फेंके | वो दोनों भी पूरी तरह से नंगे हो गए थे | उनके लंड जग्गू के लंड से बड़े थे | रीमा पूरी तरह से हताश हो चुकी थी अब उसके दिमाग में कुछ भी नहीं चल रहा था | शायद जग्गू से चुदाई के अपमान का घूँट पीने के लिए उसने खुद को मानसिक रूप से तैयार कर लिया था | वो अन्दर ही अन्दर बहुत परेशान थी | उन दोनों को नंगा देख उसके दिमाग में एक ख्याल आया | उसने एक आखिरी कोशिश करने में कोई बुराई नहीं समझी | चुदना तो था की क्यों न कोशिश करके चुदु | 
रीमा उन दोनों लड़को की तरफ देखते हुए - हाय हाय तुम दोनों के लंड कितने मोटे और बड़े है, मैंने तो आज तक अपनी जिंदगी में ऐसे लंड नहीं देखे | 
रीमा के मुहँ से ये सुनकर दोनों लडके चौंक गए | वो रीमा से तारीफ सुनकर फूले नहीं समाये - सच में मैडम जी आपको हमारे लंड बड़े लगते है | 
रीमा - हाँ तुम दोनों के लंड बहुत बड़े है, तुमारे मुकाबले जग्गू का लंड तो आधा भी नहीं है | 
जग्गू ये सुनकर अन्दर तक हिल गया - रीमा की तरफ बढ़ता हुआ - साली हरामजादी कुतिया, अभी बताता हूँ मेरा लंड कितना बड़ा है | चोद चोद के तेरी चूत को भोसड़ा बनाता हूँ तब पता चलेगा की मेरा लंड कितना बड़ा है | 
एक लड़का बोला - बॉस इसमें बुरा मानने की क्या बात है मैडम जी ने सच ही तो कहा है, आपका लंड छोटा है तो है | इसमें दिल पर लेने वाली कौन सी बात है | मैडम जी झूठ तो बोलेंगी नहीं, आपका लंड छोटा है सबको दिख रहा है | 
रीमा ने मौका देखकर - मुझे तो बड़े लंडो से ही चुदना पसंद है , मोटे मोटे बड़े लंड से  | ऐसे लंड का  क्या फायदा जो आधी चूत की भी ठीक से न चोद पाए | बड़ा लंड अन्दर तक  जब जाता है चूत को गहराई तक चीरता हुआ तो मजा आ जाता है | इसलिए मै चाहती हूँ की बड़े लंड से चुदाई शुरू हो | 
मेरा हाथ दुखने लगे है प्लीज रस्सी ढीली कर दो थोड़ी सी | अपने लंड को मुठिया रहा एक लड़का तेजी से उठा उर रीमा की रस्सी ढीली कर दी | रीमा के हाथ अभी भी बंधे थे लेकिन अब वो उसके पीठ पर आराम कर रहे थे | 
जग्गू - साले तुम दोनों पागल हो गए हो, उसके चूत के जाल में फंस गए हो, वो तुमको इस्तेमाल कर रही है | मै तुमारा बॉस हूँ मैंने तुम्हे पैसे दिए है | 
लड़का - बॉस इस समय पैसे की क्या बिसात है पैसा तो फिर कम लेंगे लेकिन ऐसी चूत रोज रोज थोड़े न मिलेगी |
जग्गू -सुनो मै बॉस हूँ पहले मै चोदुंगा इस हरामन कुतिया को ये हमारे बीच लडाई लगा रही है | 
लड़का - बॉस क्यों उखड़ रहे हो, जिसकी चूत  चोदने जा रहे हो उसकी भी तो ख्वाइश का कुछ ख्याल कर लो | वो आपको चोदने से तो मना नहीं कर रही है | आप मेरे बाद  चोद लेना | कभी कभी औरत की बात मान लेनी चाहिए | 
जग्गू ने गन उठा ली और उस लड़के पर तान दी - भोसड़ी के नाली के गंदे कीड़े, तुझे लगता है मैंने तेरे लंड की फैलाई गन्दगी में जाकर अपना मुहँ मारूंगा , इतने बुरे दिन आ गए मेरे | साले अपनी औकात भूल गया है,  मै चोदुंगा इस हरामी रंडी रांड को पहले | यही आग लग आरही है हम दोनों के बीच | साले मैंने पैसे दिए है तुझे | मै बोलूँगा तो भौकेगा मै बोलूँगा तो कटेगा तू मेरा पालतू कुत्ता है समझे |


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 लड़का - अपने पैसे आप अपने पास रखो बॉस नहीं चाहिए आपके पैसे, लेकिन रीम अमैदम को पहले वही चोदेगा जिससे रीमा मैडम चुदना चाहेगी |
जग्गू - तुम भोसड़ी वालो हो ही दो टेक के लायक, और तुमारी अकल घास चरने गयी है | उसे रांड के कह दिया और तुमने मान लिया | साले वो तुमारी गांड फाड़ कर रख देगी अभी मिनटों में और तुम्हे पता भी नहीं चलेगा |
लड़का - जैसे आपकी फाड़ दी थी |
जग्गू - तू अपनी औकात भूल रहा है मादरचोद |
लड़का - अपनी औकात में ही हूँ इसलिए अभी तक बोल पा रहे हूँ आप |
जग्गू लड़के के तेवर देख थोडा नरम हुआ - तू समझ नहीं रहा है, ये सिर्फ अपना उल्लू सीधा  कर रही है, हमें लड़ाकर अपना मकसद हाशिल करना चाहती है |
लड़का अपने लंड को मसलता हुआ - मुझे तो ऐसा नहीं लगता |
जग्गू - तू देख लेना अगर मेरी बात नहीं मानेगा तो इसकी चूत चोदने का तेरा सपना सपना ही रह जायेगा |
लड़का - आप रीमा मैडम की चूत नहीं चोद पाए वो आपकी कमजोरी थी उसके लिए रीमा मैडम को दोष क्यों दे रहे हो | अपनी कजोरी का डर हमें मत दिखाओ |
रीमा उनकी बाते गौर से सुन रही थी - अच्छा एक बात बतावो तुम दोनों |
दोनों एक साथ बोल पड़े - जी मैडम पूछिए, क्या पूछना है  |
रीमा - तुम लोगो के लंड मुझे देखकर खड़े हुए है |
 दोनों एक साथ - हाँ मैडम आपको ही देखकर खड़े हुए है आप बहुत खूबसूरत हो | आपका नंगा खूबसूरत  बदन देखकर तो हम पागल हो गये है |
रीमा अदा से - अच्छा मै खूबसूरत हूँ |
दोनों एक साथ - हाँ मैडम आप बहुत खूबसूरत हो |
रीमा - अगर मै इतनी खूबसूरत हूँ तो तुम मुझे चोदना भी चाहोगे |
एक लड़का - हाँ मैडम आपके चूत को देखकर तो हम पागल हो गए है इसलिए तो हम अपने लंडो को खड़ा कर रहे है |
रीमा - अगर मुझे चोदना है तो जरा ठीक से अपने लंडो को खड़ा करो, एक काम करो तेज तेज मुठियाओ, अभी तुमारे लंड में इतनी अकडन नहीं है की मेरी चूत की अन्दर तक चीर सके |
रीमा - एक काम करो तुम लोग मेरे हाथ खोल दो, मै तुमारे लंडो को चूस चूस कर टनाटन कर देती हूँ फिर आराम से जन्नत की सैर कराती हूँ | ऐसे खड़े खड़े न तुम ठीक से मुझे छोड़ पावोगे न मै ठीक से चुद पाउंगी | मेरे हाथ खोल दो फिर मै जमीं पर लेट जाती हूँ और तुम आराम से मेरी चूत में अपना मुसल कुटना | आराम से  तुमारा बाद लंड अपनी चूत में लूंगी और तुम्हे भी बहुत मजा आएगा |



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 जग्गू ने उन्हें रोका - भोसड़ी वालो ऐसा कुछ मत करना, हाथ खुलते ही ये तुमारी  गांड फाड़ कर रख देगी |

 लड़का - आपको लगता है आपकी मैडम ने गांड मार ली है इसलिए हमारी भी मार लेगी | मुझे पता है आपकी गांड फट रही है और आप चाहते है की हमारी भी ऐसे ही फटती रहे | कुछ नहीं होने वाला, तुम अपनी गांड बचा कर बैठो | मैडम ने कहाँ है उन्हें मेरा लंड बहुत पसंद है, एक बार मैडम की चूत चोदने को मिल जाये फिर मैडम मेरी गांड भी मार लेगी तो कोई गम नहीं होगा |
जग्गू - तू न पागल हो गया मैडम की चूत के पीछे |
रीमा - तुम्हे मेरी चूत पसंद है |
लड़का - हाँ मैडम मुझे बहुत पसंद है |
रीमा - इसे चूसोगे |
लड़का - हाँ |
रीमा - इसे चोदोगे |
लड़का - हाँ |
रीमा - आवो मै तुम्हे अपनी चूत चोदने का न्योता देती हूँ |
रीमा के अंदर दहशत भरी हुई थी लेकिन इस समय और कोई चारा नहीं था इसीलिए उसने उन लड़कों को बुला लिया था | उसे पता था लड़को के पास आते ही जग्गू भड़क जायेगा उर उनके बीच लडाई हो जाएगी |
दोनों लड़के रीमा के संगमरमरी बदन के पास जाने के लिए उठे |
इतने में पीछे से जग्गू ने गन तान दी - इस चुड़ैल के हाथो मरने के लिए तैयार हो जावो भोसड़ी वालो |
एक लड़का बोला - बॉस अब ये तो सही नहीं है | जब मुझे बुला रही है चोदने के लिए तो मै ही तो जाऊंगा | पता नहीं क्यों आपको दर्द हो रहा है | चलिए ठीक है आप ही चोद लेना पहले लेकिन एक बार रीमा मैडम की मखमली स्ट्राबेरी जैसे चूत का स्वाद तो चख लेने दीजिये | चूस तो सकता ही हूँ न |
जग्गू - भोसड़ी के वो तुझे नहीं तेरी मौत को बुला रही है, मेरा इससे पाला पड़  चूका है मुझे पता है कितनी हरामन चूत है अभी तुमारी गांड मार लेगी |
लड़का - आपकी गांड बहुत फटती है और ये मेरी समस्या नहीं है | ऐसी गुलाबी चूत को चूसने के बाद अगर मैडम मेरी गांड भी मार लेगी तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता | आदमी औरत के अन्दर डालता है औरत आदमी के अन्दर डाल देगी, आखिर चोदना ही तो होता है |  कोई भी करे, किसी के भी करे, मजा दोनों को आता है | आप अपनी दकियानुकुसी अपने पास रखो | आपकी मैडम से फट रही होगी मेरी नहीं फट रही, मै उनकी चूत चूसने जा रहा हूँ |
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इससे पहले वह लड़का के बढ़ता जग्गू ने खड़े होकर गान तान दी - भोसड़ी वालो कोई आगे बढ़ा तो यही लाशे बिछा दूंगा | यही तो वो चाहती है | आज पहले मै रीमा को चोदुंगा चाहे उसके लिए तुमारी लाश पर से ही क्यों न गुजरना पड़े |  जग्गू के तेवर देखकर अब सच में दोनों  लड़कों की फट के हाथ में आ गई | उन्हें लगा कही सच में ही न गोली मार दे | वो पीछे हट गए | रीमा की लग की उसकी सारी मेहनत बेकार हो गयी | अब तो सचमुच में रीमा की आँखों में आंसू आ गए | जग्गू के तेवर देख रीमा समझ गयी अब जग्गू से बचना मुश्किल ही नहीं नामुनकिन है | उसे पता था अगर जग्गू ने उसे चोद दिया तो तो जिंदगी भर अपनी आँखों में आंखे डाल कर सीना चौड़ा करके नहीं जी पायेगी | अब उसे समझ नहीं आ रहा था आखिर वो क्या करे, उसके अन्दर का दर्द, बेबसी पीड़ा आंसू बनकर बहने लगा था और उन्हें वो रोक पाने में पूरी तरह असमर्थ थी | 

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उसके चेहरे के आंसू देखकर जग्गू ने अट्टहास किया - क्यों निकल गयी सारी हेकड़ी रीमा मैडम | उस दिन मुझे जरा सी गलती क्या हुई थी आपने तो मेरी गांड का भर्ता बना दिया था | आज आप कितने भी घड़ियाली आंसू बहावो, कितन भी मेरे पांव पड़ो, मिन्नतें करो लेकिन आज तो मै तुमारे साथ वही करूंगा जो सोचकर आया हूँ | चुपचाप चुदवा लो नहीं तो तड़प तड़प कर चुदोगी | 
रीमा का पीला निराश चेहरा देख जग्गू अपना लंड हिलाता हुआ - स्वागत नहीं करोगी मेरे लंड का | 
रीमा को लगा अब सबकुछ जग्गू के हाथ में है, एक बार माफ़ी मांगना जिंदगी भर की जिल्लत ढोने से तो अच्छा हो है | 
रीमा - जग्गू ठीक है मुझसे गलती हो गई मुझे इतना ज्यादा तुम पर अत्याचार नहीं करना चाहिए था लेकिन गलती हर इंसान से होती है गलती माफी तो की जा सकती है प्लीज मुझे माफ कर दो  |
जग्गू हैरान सा होकर अट्टहास भरने लगा - साला कितनी मादरचोद चूत  है तू साली कुतिया, जब कुछ नहीं सूझ रहा तो मुझे माफ़ी पर ज्ञान चोद रही है | मेरी डिक्शनरी से माफ़ी शब्द उसी दिन गायब हो गया था जब तू बेरहमी से मेरी गांड के चीथड़े उड़ा रही थी | तुझे लगता है तूने जो मेरे साथ किया उसके बाद मै तुझे माफ़ कर दूंगा | तू भोसड़ी वाली अब कितन भी रो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता | 
रीमा अब रुआंसी हो आई, रुंधे गले से रुआंसी होकर  - प्लीज मुझे माफ कर दो और जग्गू प्लीज मुझे माफ कर दो मुझसे गलती हो गई आगे से ऐसा कुछ नहीं करूंगी और तुम्हारा लंड भी चूस दूंगी | 
जग्गू को रीमा की पीड़ा से बहुत सुख मिल रहा था | उसका अट्टहास सुनकर रीमा समझ गयी अब बहुत देर हो चुकी है | 
जग्गू रीमा के नंगे बदन के पास आ गया | उसके खूबसूरत बदन की गर्मी  और गंध को सूंघ कर मदहोश होने लगा | 
जग्गू - साला ऐसी मादक गंध निकलती है इस हरामन कुतिया के बदन से  की पास आते ही मदहोशी सी छाने लगती है | आदमी इस गंध में डूबकर पागल सा हो जाये | ऐसी कौन सी गंध छोड़ती है चूत से की मुर्दे का लंड भी सीधा हो जाये | 
इतना कहकर उसने रीमा के गोर मांसल चूतड़ पर एक जोरदार चमाट मारी | रीमा के मुहँ से चीख निकल गयी | जग्गू का पूरा का पूरा हाथ रीमा के चूतड़ पर छप गया | 
रीमा जग्गू से गिडगिडाने लगी - पप्लीज जग्गू मै तेरा लंड चूस दूँगी | अगर तू चाहेगा तो हर हफ्ते चूस दिया करूंगी |
जग्गू - अब आई न चूत लंड के नीचे, साला चूत कितनी भी हरामी हो लंड से आगे थोड़े न जा पायेगी | अब समझ में आया न लंड की ताकत और औकात कितनी होती है | अब तेरी भलाई इसी में है चुपचाप चुदवा ले वर्ना चीखे निकाल कर चोदना भी मुझे आता है | 
रीमा - देख जग्गू मै मानती हूँ मुझे गलती हुई है मुझे माफ़ कर दे | अगर तू मुझे चोदना ही चाहता है तो ठीक है चोद ले, लेकिन ऐसे खड़े खड़े कैसे तू मेरी चूत चोद पायेगा | मेरे हाथ खोल दे मै आराम से जमीं पर लेट जाऊँगी | फिर मुझे हचक हचक कर छोड़ लेना | तुझे भी बहुत मजा आएगा | इससे ज्यादा मै तेर लिए कुछ नहीं कर सकती |
अब तक उछाले मार रहा जग्गू का अहंकार रीमा के झुकाते ही कुछ नरम पड़ा | 
लड़का भी बोल उठा - पता नहो बॉस आपकी मैडम से इतना फटती क्यों है मैडम सही तो कह रही है | साला हम तीन लोग है और ये अकेली , ऊपर से हमारे पास गन भी है ये क्या उखाड़ लेगी हमारा | लिटाओ इसकी जमीं पर उलटा पेट के बल फिर जब इसके गद्देदार चुताड़ो पर ठोकर मारोगे तो सीधे जन्नत की सैर करोगे | 
जग्गू को लगा लड़का सही कह रहा है | साला ऐसे खड़े खड़े चोदने में मजा न आएगा | लेकिन जग्गू के अन्दर का डर अभी भी इसके लिए राजी नहीं था |
जग्गू - ठीक है इसे जमीं पर लिटा देना, लेकिन इसकी चूत का सुभारम्भ कर लेने दो एक बार, एक बार इसकी चूत में लंड घुसा दू, इसको चोदने की शुरुआत तो मै ऐसे खड़े खड़े ही करूंगा  | फिर तुम लोग इसके हाथ खोलकर इसे जमीं पर लिटा देना | 
लड़का बोलो - आप एक नंबर के फट्टू हो, आपकी फटती बहुत है इसी वजह से अब तक आप मैडम की चूत में लंड नहीं घुसा पाए हो | इतना फट्टू पण न होता आपके अन्दर तो अब तक रीमा मैडम की चूत में दो राउंड की चुदाई कर चुके होते और तीसरे चक्कर के लिए अपना लंड चुसवा रहे होते | 
जग्गू को लड़के की बातो से जोश आ गया | जग्गू रीमा के सामने आ गया, उसके दोनों स्तनों को हाथो में भर लिया और बारी बारी से उसके स्तनाग्र को अपने मुहँ में भरकर चूसने लगा |
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 रीमा ने अपनी आंखे बंद कर ली | वो अपने अन्दर इस अपमान की पीड़ा को बर्दाश्त करने की हिम्मत जुटाने लगी | जिस सख्स की वो शक्ल नहीं देखन चाहती थी वो उसके स्तनों का पान कर रहा हिया उर कुछ देर में उसकी मखमली चूत में अपना लंड घुसेड़ने वाला है | ये सोचकर ही रीमा को अन्दर तक घिन आ गयी | रीमा को ये सब बहुत ही बुरा लग रहा था लेकिन अब वो कर भी क्या सकती थी | उसने स्तनों को मुहँ से चुसना जारी रखा और अपने दोनों हाथ रीमा के चुताड़ो पर जमा दिए | उसने अपने तने हुए खड़े लंड को रीमा की जांघो के बीच घुसेड़ दिया और उसके चुताड़ो को अपनी तरफ ठेल कर उसके बदन को अपने बदन से चिपकाने लगा | बार बार रीम एके चुताड़ो की पकड़ कर उसकी कमर को अपनी तरफ ठेलता, जिससे रीमा की जांघो में बीच फंसा उसका लंड रीमा के चूत के ओंठो की मालिश करता हुआ आगे पीछे हो रहा था | रीमा के लिए ये सब बर्दाश्त से बाहर था लेकिन रीमा कुछ भी नहीं कर सकती थी | 
जग्गू - मजा आ रहा है रीमा मैडम, मेरा लंड आपके चूत के ओंठो की मसाज कर रहा है | कभी सोचा था आपने मै आपको इस तरह से चोदुंगा | मैने तो आपके नाम से न जाने कितनी बार मुठ मारी है | 
रीमा - मै थक गयी हूँ ऐसे खड़े खड़े, मेरे पांव दुखने लगे है | ऐसे खड़े खड़े मुझे चोदकर तुझे क्या मिलेगा | आराम से लिटाकर चोद, औरत को लिटाकर चोदने का मजा ही कुछ और है | रीमा की आँखे आसुओं से गीली थी, फिर भी उसका मन हार मानने को तैयार नहीं था  |
जग्गु को भी लगा अब तो ये पूरी तरह से राजी है चुदने के लिए, फिर क्यों न इसे लिटाकर चोदा जाये | लड़के भी कह रहे थे लड़की को आराम से लिटाकर चोदने का मजा ही कुछ और है | रीमा मैडम को लिताऊंगा, फिर उनकी जांघे फैला दूंगा और फिर उनकी मखमली चूत में पूरा का पूरा लंड घुसेड दूंगा | ऐसे खड़े खड़े बस लंड का सुपाडा ही जायेगा रीमा की चूत में | 
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जग्गू - मै रीमा मैडम को लिटाकर उनकी चूत को चोदने की सोच रहा हूँ | क्या कहते हो तुम लोग |
लड़का - बॉस मैंने तो पहले ही कहा था, लड़की और चूत जब लंड के नीचे होती है तभी मजा आता है बॉस | बॉस लड़की को लिटाकर चोदने का मजा ही कुछ और है | रीमा मैडम पूरी तरह से हमारे कब्जे में है, वो खुद पूरी तरह से चुदने को तैयार है | फिर भी अगर  जरा सा भी चु चपड़ करी तो मसल डालेंगे साली को | क्या कमाल की औरत है जब  से नंगी हुई है लंड मुरझाने का नाम ही नहीं ले रहा बॉस | जल्दी से रीमा मैडम को चोद डालो, ताकि हमारे लंडो को भी पनाहगाह में जाने का मुका मिले | इतनी देर से अकड़े अकड़े लंड फटने को आये और इनमे दर्द भी होने लगा है | 
जग्एगू अपने लंड को मसलता हुआ रीमा से अलग हो गया | एक लड़के ने रीमा को थाम लिया और दूसरा उसके हाथ खोलने लगा | रस्सी के खुलते ही रीमा के हाथ आजाद थे | रीमा ने राहत की एक लम्बी साँस ली | रीमा जमीन पर लेटने की बजाय कुर्सी पर  बैठ गयी | 
ये देखते ही जग्गू का पारा गरम हो गया |
रीमा आइस्ते से बोली - काहे की जल्दी है जग्गू, आराम से जांघे खोल दूँगी जीभर के चोदना, जब तक मन न भर जाए तब तक चोदना | पहले थोडा खेल खा तो लो | मुझे भी अच्छा लगेगा |
लड़का रीमा का समर्थन करता हुआ बोला - सही बात है रीमा मैडम का जिस्म इतना खूबसूरत है इससे खेलने में क्या बुराई है | रीमा मैडम हमें जन्नत की सैर करवाने वाली है हमारा भी तो फर्ज है उन्हें चूम के चूस के चाट के अच्छा फील कराये | 
जग्गू - फील अच्छा बात में कर लेगी  अभी लंड डालकर चोदने दे पहले | 
लड़का - जग्थोगू बॉस थोड़ा रीमा मैडम के जिस्म का रस भी तो पियो, देखो कितनी रसीली है फिर रीमा मैडम कहाँ भागी जा रही है जो इतने उतावले हो रहे हो उन्हें चोदने के लिए | आखिर में रीमा मैडम की चूत की चुदाई ही तो करनी है बस चुदाई | गांड का पसीना निकल जाता है लड़की को चोदने के लिए मनाने में | यहाँ तो रीमा मैडम खुद ही अपनी मखमली गुलाबी चूत चुदवाने के लिए पूरी तरह से राजी है | तो थोडा चूसने चाटने में क्या चला जायेगा | 
रीमा उस लड़के के बालो पर हाथ फेरती हुई - तुम कितने प्यारे हो | तुम्हे मै दो बार अपनी चूत चोदने को दूँगी | मेरी चूत खूबसूरत तो है न | 
लड़का - बहुत खूबसूरत है मैडम, हम शब्दों से बयां नहीं कर सकते | 
जग्गू - चूत तो चूत होती है, उसमे खूबसूरत बदसूरत क्या ? हर लड़की के पास ऐसी ही चूत होती है | इसमे ऐसी कौन सी अनोखी बात है | 
लड़का - देखो बॉस मुझसे ज्यादा लौडियां नहीं चोदी होंगी आपने इसलिए मुझसे ज्यादा चूत भी नहीं देखि होंगी | इतनी साफ़ सुथरी चिकनी मखमली गुलाबी चूत बड़े किस्मत वालो की मिलती है | आप जाकर उन गन्दी  झांटो से भरी काली चूतों में मुहँ मारो, मै तो रीमा मैडम की चूत की ही पूजा करूंगा | रीमा मैडम की चूत सबसे अलग है | 
आप ही बतावो बॉस कहाँ मिलेगा ऐसा संगमरमरी बदन, कहाँ मिलेगे ऐसे तने हुए सुडौल उरोज, सपाट पेट, सुराही की मुहँ जैसी पतली गर्दन , ये बलखाती पतली कमर | मैडम क्या मै आपको चूम सकता हूँ | 
रीमा अपनी तारीफे सुनकर मंत्र मुग्ध हो गयी - हाँ हाँ मेरे ओंठो को छोड़कर कही भी चूम सकते हो | दोनों लड़के रीमा के आसपास आ गए | 
 दोनों ही रीमा के कोमल नाजुक से गोरे बदन को चूमने लगे | दोनों में से एक ने रीमा की कमर को चूमना शुरू कर दिया और दूसरे ने रीमा की चुचियों को चुसना  शुरू कर दिया | जग्गू वही बुत बना खड़ा रहा जग्गू को समझ में नहीं आ रहा था यह हो क्या रहा है वह तो रीमा को चोदने जा रहा था फिर यह सब नौटंकी कहां से शुरू हो गई हालांकि इससे पहले वह कुछ कहता .............
एक लड़के ने जग्गू को बोला - अबे भोसड़ी के सामने गुलाबी कमसिन गुलाबी चिकनी चूत खुली पड़ी है और तू भोसड़ी के जो है अपने लंड को मसल रहा है कम से कम साला अपने मुंह लगाकर इसको चाट कर तो देख इसका स्वाद कितना स्वादिष्ट होता है | 
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जग्गू ना चाहते हुए भी रीमा की जांघों के बीच में झुक गया और अपने होठों को रीमा की गर्म गुलाबी चिकनी चूत पर रख दिया रीमा के मुंह से आह निकल गई वह चाहती तो नहीं थी लेकिन जिस्म  की आग है ही ऐसी की अगर दुश्मन भी भड़कायेगा तो भी भड़केगी | रीमा जग्गू से जितनी नफरत करती थी उतनी शायद किसी से न करती हो  लेकिन अपनी मखमली गुलाबी चूत के चिकने ओंठो पर जग्गू के होठों का स्पर्श पाते ही उसके मुंह से एक मादक सिसकारी निकल गई | 
 एक लड़का जोश में बोला - साली को मजा आ रहा है ऐसे ही चूस जग्गू, कसकर चूस, रीमा मैडम गर्म हो रही है | 
दोनों लड़के रीमा के एक-एक स्तनों को अपने मुंह में भर करके चूसने लगे | रीमा अपने आसपास की खबर से अनजान तीन जवान लडको के साथ में नंगी पड़ी हुई थी उसे नहीं पता था अगले पल क्या होने वाला है लेकिन अब उसके जिस्म पर वासना हावी होने लगी थी | और वह ना चाहते हुए भीउसमे डुबने  को मजबूर थी | दोनों लड़के रीमा के स्तनों को बहुत कस कर चूस रहे थे और उसके पूरे गोरे बदन को मसल रहे थे जबकि जग्गू रीमा  की चूत पर अपने सख्त ओंठ जमाये हुए था | रीमा की वजह से उसकी तो लाटरी की निकल पड़ी थी | उसने आज से पहले कभी किसी लड़की की चूत नहीं चुसी थी | 
रीमा की जांघो से सर निकाल कर - बड़ा मजा आ रहा सालो रीमा मैडम की चूत चुसने में | क्या रसभरी चूत है |
 एक लड़का बोला - मैंने कहा था न बॉस, एक बार रीमा मैडम की चूत में मुहँ लगाकर तो देखो | सारे स्वाद भूल जाओगे |
 रीमा  वासना में डूबती चली जा रही थी अब उसके अंदर का प्रतिरोध खत्म होने लगा था वह जो कुछ भी अब तक सोच रही थी सब कुछ फ़ैल हो चुका था | अब तो उसे भी लग रहा था इन तीनो से चुदने में क्या बुराई है | अगर ये सलीके से शराफत से उसे चोदते है तो क्या हर्ज है | चूत बनी ही है चुदने के  लिए | मेरी चूत इनके लंड घुसते ही ये भी जन्नत की सैर करेगे और मै भी |  रीमा को लग रहा था कि अब इन तीनों के हाथों में चुदने के अलावा उसके पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है और वह तीनों उसे चोद कर ही मानेंगे | रीमा भी शायद उनका लंड अपनी चूत में लेने का पूरा मन बना चुकी थी | 
बस अब उसके मन के किसी कोने में जो जग्गू से चुदने की ग्लानी थी बस वही बाकि थी | जग्गू रीमा को बदले के लिए चोद रहा था बस रीमा को यही एक पश्चाताप था | रीमा का दिमाग काम करना बंद कर चुका था | तीन तीन लड़के उसकी वसना की आग भड़काने में लगे हुए थे रीमा का बदन वासना की गर्मी से तपने लगा था रीमा के अंदर भी चुदाई का बुखार चढ़ने लगा था लेकिन उसके अंदर जग्गू को लेकर जो नफरत भरी थी वह बड़ी मुश्किल से रीमा काबू में किए हुए थी |  दोनों लड़के रीमा के स्तनों को बुरी तरह मसल रहे थे और उनके लंड रीमा के दोनों तरफ उसकी जांघों से रगड़ खा रहे थे जबकि जग्गू जो है रीमा की जांघो के बीच में सर डालकर उसकी  गुलाबी चूत में खोया हुआ था | अब रीमा का उसके दिलो दिमाग पर सेनियंत्रण ख़त्म  होने लगा था |  अब रीमा ने हार मान ली उसे अब लग रहा था कि अब इनको अपना सुख देने में ही फायदा है क्योंकि अब उम्मीद की किरण खत्म हो चुकी थी रीमा ने आंखें बंद कर ली और जग्गू की चूत चूसने के मस्ती को अपने दिलो-दिमाग में से महसूस करने लगी वह तो अब मन से पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी |  
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वह मान चुकी थी कि अब उसका इन तीनो से चुदवाना  ही उसकी नियत है | इसको लेकर उसके अंदर न कोई शौक था ना ही कोई डर था ना ही कोई भावना थी आखिर लंड ही तो हैं लंड चूत में ही तो जायेगें | क्या घट जायेगा मेरी चूत का अगर कुछ देर ये मुझे चोद लेगें |  अब तक मैंने तो पूरी कोशिश करी इनसे बचने की कोई रास्ता नहीं है तो क्या कर सकती हूं कोई नहीं आने वाला उसे बचाने के लिए यही सोचकर उसने अपनी आंखें बंद कर ली | जग्गू को उसकी चूत चूसते हुए भी काफी देर हो गई थी रीमा का जिस्म काफी गर्म हो गया था इसी बीच रीमा ने अपनी आंखें खोली और जग्गू की तरफ झुकते हुए उसके फड़कते  लंड को पकड़ लिया | जग्गू रीमा की चूत में बुरी तरह से खो चूका था उसे रीमा द्वारा इस तरह से डिस्टर्ब करना पसंद नहीं आया लेकिन रीमा के हाथ में अपना लंड देख जग्गू सीधा हो गया | रीमा कुर्सी पर बैठे बैठे ही आगे को थोडा झुकी और जग्गू के लंड को अपने मुहँ के रसीले ओंठो से जकड लिया | दोनों लड़के और जग्गू हैरान रह गए | एक लड़का उत्साह से बोला - अरे बॉस अब तो लग रहा है रीमा मैडम  बुरी तरह से गर्म हो गई है | 

जग्गू थोड़ा दुविधा में था, इ वो पहले ही रीमा की चूत चूसकर मस्तियाया हुआ था ऊपर से इस तरह से रीमा का उसके लंड को लेकर चूसने से उसका गुस्सा पता नहीं कहाँ फुर्र हो गया |
जग्गू - आह मैडम क्या चूसती हो लंड को, आप कमाल हो सच में कमाल हो | आह आह आह आह आह |

बाकी दोनों लड़के भी अपने लंड हिलाते हुए रीमा के पास आ गए | रीमा के मुहँ के पास अब तीन तने हुए लंड थे | एल उसके मुहँ में था और बाकि दोनों को रीमा ने अपने एक एक हाथ में लेकर मुठियाना शुरू कर दिया |  उन लड़कों को यकीन ही नहीं हो रहा था कि इतनी हसीन खूबसूरत औरत उनके लड़कों को मसल रही है | रीमा ने जग्गू के लंड को छोड़ दुसरे के लंड को चुसना शुरू कर दिया और उसके लंड को हाथ में भरकर मसलने लगी | यह सच था रीमा ने आखिर में उन तीनों लड़कों के लंडो को मुहँ में लेकर चूसना शुरू कर दिया था वह बारी-बारी से तीनों के लंड को अपने मुंह में ले रही थी और वो तीनों तो जैसे जन्नत ही पहुंच गए थे जग्गू को भी यकीन नहीं हो रहा था कि यह क्या हो रहा है उसका रीमा की चूत को चोदने का सपना पल पल दूर होता जा रहा था लेकिन अभी वो जन्औनत की सैर कर रहा था इसलिए उसके दिमाग में रीमा की चूत चोदने का कोई ख्रयाल भी नहीं आ रहा था |  रीमा  भी पूरी तरह से हार मानकर उन लड़कों से खेलने लगी थी उसे भी उनके लंडो से खेलने  में अब मजा आने लगा था वह बारी-बारी से तीनों लड़कों को हाथ में लेकर के मुंह में लेती और अच्छे से चुस्ती थी तीनों के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी थी तीनों की हालत देखने वाली थी | 
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इतनी खूबसूरत हसीन  मस्त औरत से लंड चुसवाने का जवानी की आग बढ़ाने का मजा ही कुछ और था | तीनो ये सब देखकर उत्तेजना के चरम पर पंहुच गए |  जग्गू के मुकाबले बाकी दोनों लड़कों के लंड बड़े थे लेकिन रीमा बारी बारी से  तीनों के लंड अपने मुंह में ले रही थी और इसी बीच में तीनों के लंड में अकड़न बहुत कड़क हो गई थी | तीनो में से एक लड़का बोला मैडम अब तो बस अपनी चूत खोली दो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है अब तो आप को चोदने का मन मुझे भी करने लगा है जग्गू का तो मुझे पता नहीं लेकिन मैं आप को चोदना चाहता हूं प्लीज और मैं आपसे रिक्वेस्ट करता हूं मैं आपके साथ कोई जबर्दस्ती नहीं करूंगा आप प्लीज इस लंड पर कुछ तरस खाओ |
रीमा - इतनी भी जल्दी क्या है , जवान हो दो तीन राउंड तो आराम से निपटा दोगे | अभी तो मेरा मन मलाई खाने का है | 
लड़का - लेकिन मैडम |
रीमा उसकी बात काटती हुई बोली - चिंता क्यों करते हो, दुसरे तीसरे राउंड के लिए मै ही खड़ा करूंगी | आज अपनी जवानी जीभर के भोगोगे | ऐसा चुदाई का मजा दूँगी की जिंदगी भर नहीं भूल पावोगे | अभी मुहँ में ही निपट लो अगला राउंड चूत का होगा | 
रीमा की बात सुनकर उस लडके का जोश और बढ़ गया - रीमा मैडम तो हमें आज ही पूरा स्वर्ग दिखाएंगी |  
 जोश जोश में उसकी उत्तेजना और बढ़ गयी | रीमा ने भी उसके लंड को कसकर चुसना शुरू कर दिया | अब उसके मुह से अनगिनत कराहे निकलने लगी | जग्गू रीमा को ऐसे लंड चूसते हुए पहले भी देख चूका था इसलिए वो हैरान नहीं था लेकिन रीमा की इस अदा पर सम्मोहित जरुर हो गया था | रीमा दोनो कसकर उस लडके का लंड चूसने लगी और अपने हाथ से मसलने लगी | वो लड़का पहले ही उत्तेजना से सरोबार था | रीमा के हाथ की सख्त जकड़न और उसके रसीले ओंठो की कसावट का मर्दन ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाया | उसकी पिचकारी छुटने लगी | रीमा ने मुहँ खोल दिया और उसके सफ़ेद गाढे रस की एक एक बूँद गटक गयी | इसके बाद उसने जग्गू का लंड थाम लिया | जग्गू अभी झड़ना नहीं चाहता था |
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रीमा - चूत अगले राउंड में चोदना |
जग्गू - नहीं मेरा दूसरी बार खड़ा न हुआ तो |
रीमा - मै किसलिए हूँ | 
जग्गू पीछे हट गया - इसका चूस के इसकी पिचकारी छुटाओ, मै तो तुमारी चूत में ही पिचकारी छोडूंगा | मुझे बाथरूम लगी है मै निपट कर आता हूँ | जग्गू झड चुके लड़के के साथ मुतने चला गया | 
रीमा ने दूसरे लड़के का लंड थाम लिया और कसकर चूसने लगी | वो लड़का भी अपनी उत्तेजना के चरम पर था | रीमा के रसीले ओंठो की सख्त मालिश ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया | और उसकी पिचकारी भी छुटना शुरू हो गयी, रीमा उसका भी सफ़ेद रस गटक कर पी गयी | वो हांफता हुआ रीमा की कुर्सी के पास बैठ गया और रीमा की जांघ पर सर रख दिया | रीमा अब कमरे में अकेली थी और वो लड़का जो झड़ने के बाद अपनी सांसे काबू करने में लगा था | रीमा कुर्सी से उठी और तेजी से उसने जमीन पर रखी गन उठा ली | इससे पहले वो लड़का कोई हरकत कर पाता रीमा ने वो गन उसकी कनपटी पर तान दी | 
इससे पहले रीमा कुछ कहती, करती बाहर से अंधाधुंध गोली चलने की आवाज सुनाई पड़ी | चार पांच बार धांय धांय  रीमा के कानो में पड़ा | रीमा ने जल्दी से उस लड़के को ठीक अपने आगे किया और उसके पीछे गन लगा दी और दरवाजे की ओर को हो गयी | वो कुछ कदम ही आगे बढ़ी थी की एक आदमी चीते की तरह छलांग लगाते हुए  तेजी से आया और रीमा की तरफ चार पांच गोलियां दाग दी | रीमा उस लड़के के पीछे थी इसलिए सारी गोलियां उसके सीने में पैबस्त हो गयी | एक पल को तो रीमा उसकी पीठ के पीछे छिप गयी | फिर पता नहीं कहाँ से अचानक उसमे इतनी हिम्मत आ गयी की उसने गन से लड़के की आड़ से सामने वाले पर  फायर कर दिया | वो इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं था | उसे दो गोली लगी | एक गर्दन में एक सीने में | वो वही लुढ़क गया | रीमा की धड़कने तेज थी, आंखे फटी पड़ी थी कमरे में जो हुआ उसे देखकर | रीमा को खुद नहीं पता चला की उसने क्या किया कैसे किया | अभी न डरने का वक्त था न सोचने का | 
रीमा डरते डरते दरवाजे के पास तक गयी | उसने गोली से घायल लड़के को ढाल बना रखा था | उसने बाहर झांककर देखा उसे कोई नहीं दिखाई दिया | तब तक लड़का मरने की कगार पर पहुँच गया था | रीमा ने लड़के को छोड़ दिया जो अपनी आखिरी सांसे गिन रहा था | रीमा जमीन पर रेगती हुई दरवाजे से बाहर निकली | वहां उसे कोई नहीं नजर आया | थोड़ी दूर पर जाकर देखा, तो जग्गू और लड़का जमीन पर पड़े है  | जग्गू तो शायद मर भी गया था क्योंकि उसके गोली सीधे माथे पर लगी थी | जबकि लड़का अभी कराह रहा था | लेकिन उसे भी कई गोलियां लगी थी | रीमा को तो यकीं ही नहीं हो रहा था क्या से क्या हो गया एक पल में पलक झपकते ही | जिन जवान लड़को के खड़े लंडो से अभी कुछ देर पहले वो वासना का खेल खेल रही थी वो अभी बिलकुल निस्तेज मुरझाये पड़े थे और उनके जिस्मो की जान बस निकलने वाली ही थी | 
रीमा के होश फाख्ता हो गए | अब वो क्या करे | कहाँ आकर फंस गयी |  कुछ देर तक शुन्य बनकर खड़ी रही, कुछ समझ अनहि आया क्या हुआ कैसे हुआ | सामने दो जवान जिस्मो की नंगी लाशे पड़ी थी और सामने एक पूरी नंगी औरत अपने हाथ में गन लिए बिलकुल निस्तेज शुन्य बनकर खड़ी थी |  रीमा उन दोनों के सूखे लंडो को एक बार देखा और फिर तेजी से अन्दर आई | उसने अपने सारे कपड़े बटोरे | गनीमत थी की जग्गू की बात न मानकर उसकी साड़ी को  लड़को ने नहीं फाड़ा था  | उसे झट से किसी तरह अपने चारो ओर साड़ी लपेटी और बाकि सारे कपड़े इकठे किये और अपने पेटीकोट में लपेट लिए | हाथ में गन थी | तीन लड़को की नंगी लाशे और एक हमलावर जी लाश और रीमा के साड़ी से छन छन कर दीखता उसका खूबसूरत बदन | 
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उसके पास तो फ़ोन भी नहीं था | आखिर कहाँ जाये किसे फ़ोन करे | काफी देर तक वही शुन्य बनी बैठी रही | बाहर घनघोर रात हो गयी थी | रीमा ने पुरे मकान का मुआयना किया | उसने बाहर के बल्ब बंद कर दिए | लड़को और जग्गू के कपड़ो में जरुरी सामान ढूढ़ने लगी | फ़ोन तो नहीं मिला लेकिन उसे एक टौर्च जरुर मिल गयी | 
शाम से लेकर अब तक जो भी हुआ रीमा की सोच समझ से परे था | रीमा रात में कही जा नहीं सकती थी लेकिन यहाँ रुकना भी उसे ठीक नहीं लगा | यहाँ चार लाशे पड़ी थी, और बाहर जंगल में जंगली जानवरों का खतरा था | अपनी फूटी किस्मत पर  रीमा रोने लगी | कहाँ आकर फंस गयी | पता नहीं किसी को पता भी चला होगा की मै यहाँ इस मुसीबत में फंस गयी हूँ या नहीं | 

उधर जब ऑफिस बॉय रीमा की गाड़ी का पंचर बनाकर उसकी गाडी देने उसके घर गया तो कई बार बेल बजाने के बाद कोई बाहर नहीं आया | उसने फ़ोन मिलाया लेकिन वो तो स्विच ऑफ जा रहा था | उसने लैंडलाइन पर फ़ोन किया घंटी तो जा रही थी लेकिन कोई उठा नहीं रहा था | उसने हारकर अपने बॉस को ऑफिस में फ़ोन मिलाया, उसके बॉस ने रीमा के इमरजेंसी कांटेक्ट नंबर पर फ़ोन किया तो फ़ोन रोहित ने उठाया | उन्होंने रोहित को पूरी बात बताई | रोहित ने अनिल को फ़ोन मिलाया | अनिल दौड़े दौड़े रीमा के घर आये लेकिन रीमा तो यहाँ नहीं थी | उन्होंने रोहित को अपडेट दिया और  रीमा की जीपीएस लोकेशन देखने लगे | उसका फ़ोन स्विच off था जीपीएस शहर के बाहरी किनारे पर एक पेट्रोल पंप के पास की बता रहा था | उसके बाद लास्ट लोकेशन शहर के उत्तर जंगल की तरफ जाने वाली सड़क का मिला | शहर के टॉप सिक्युरिटी अफसर को इत्तला कर दी गयी | वो दल बल के साथ भागे भागे आये | रीमा की लास्ट लोकेशन के आधार पर आधी रात से सिक्युरिटी रीमा को ढूढ़ने निकली | अनिल ने बताया उन्होंने एक ट्रांसमीटर रीमा के हर सैंडल में छिपा दिया है जो 24 घंटे में एक बार सिग्नल देता है | आखिर सिग्नल उसने शाम 6 बजे दिया था | अब अगला सिग्नल उनको अगली शाम को मिलेगा | 

रीमा उस खंडहर मकान में बैठी सुबुकती रही | पता नहीं कब उसकी आंख लग गयी | सुबह जैसे पौ फटने को हुई रीमा की आंख खुल गयी | सर भारी हो रहा था, बदन टूट रहा था | लेकिन रीमा वहां से निकल भागी | उसे नहीं पता था कहाँ जाना है लेकिन जंगल की एक पगडण्डी पर वो बढ़ चली | बदन पर कपड़ो के नाम पर बस एक साड़ी थी और पैरो में सैंडल | रीमा बदहवास सी चली जा रही थी, उसे नहीं पता था की वो कहाँ जा रही है लेकिन उस मनहूस खंडहर से जीतनी दूर हो सके वो जाना चाहती थी | एक घंटा चलने के बाद उसे एक छोटा सा गाव दिखाई दिया | बाद में जब आगे बढ़ी तो वो गाँव कब एक छोटा सा क़स्बा ज्यादा लग रहा था | इससे पहले वो पगडण्डी पार कर वो गाव की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर आती | पीछे से किसी ने उसको चीते की फुर्ती से दबोच लिया | 
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अगला अपडेट जल्दी नहीं आयेगा, तब तक के लिए ढेर सारे अपडेट है पढ़िए और एन्जॉय करिए |
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