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Adultery याराना...
#61
याराना (तिबारा)
 
जहां तक मैं आपको अपने जीवन में घटित घटनाओं को याराना के माध्यम से बता चुका था ये उसके आगे की आपबीती है।

8
महीनों के इस स्वर्ग स्वरूपी जीवन को जीने के बाद हमारे बिछड़ने की बारी गई थी। रोज की अदला-बदली की चुदाई की आदत से ऐसे दूर हो जाना जैसे एक सदमा था। मगर पैसों के लिए इस त्याग को अपनाना आवश्यक था।


शुरूआत में हमें एक-दूसरे की काफी कमी महसूस हुई पर धीरे-धीरे हमने अपने-अपने माल (बीवी) के साथ चुदाई में खुश रहना सीख लिया। यहाँ तृप्ति और मैं, वहां सीमा और श्लोक अपने में ही रम गए। श्लोक का काम मैंने सीख लिया था लेकिन एक मालिक और मैनेजमेंट का काम संभालना बहुत ही दिमागी थकान वाला काम था। मुझे श्लोक वाला काम संभालने वाले एक व्यक्ति की जरूरत थी। अतः पिताजी की सलाह पर मैंने विक्रम को अपने पास बुलाया जो कि अपनी बिज़नेस मैनजमेंट की पढ़ाई पूरी कर चुका था।
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#62
मेरे लिए बीती रात एक पहेली थी जिसे मैं सुलझाना चाहता था और इसीलिए मैंने अपने घर की छत पर विक्रम (अपने छोटे भाई) को बात करने के लिए बुलाया। मैं उसका इंतज़ार कर रहा था और इंतजार करते-करते बीते हुए समय की घटनाओं को याद करने लगा।


विक्रम यानि कि मेरा छोटा भाई। उसकी आयु 24 साल की थी। वह 3 साल पहले ही बैंग्लोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर लौट था और वहाँ हमारे उत्पाद के उत्पादन के काम को देख रहा था। विक्रम की शादी उपासना (20) से हुई थी। उपासना मेरे पिताजी के मित्र की पुत्री थी। मेरे पिता और उपासना के पिता पक्के मित्र थे। एक कार दुर्घटना में उपासना के पिता चल बसे और उसके दुख में 2 महीने बाद ही उपासना की माँ का भी देहांत हो गया था। अतः उपासना की माँ की अंतिम इच्छा थी कि 14 साल की उपासना को उसके परिवार वालों के भरोसे छोड़कर हमारे पिता की छत्रछाया में ही रखा जाए। उपासना हमारे साथ ही बड़ी हुई। कुछ सालों में विक्रम पढ़ाई करने बंगलूरू चला गया। 

उसके बाद मेरा विवाह तृप्ति से हुआ। मेरे तृप्ति से विवाह के 3 साल बाद हम घरवालों को पता चला कि विक्रम और उपासना एक दूसरे से प्रेम करते हैं और विवाह करना चाहते हैं। अतः पिताजी ने उनकी इच्छा पूरी की और उपासना की माँ की इच्छा के अनुसार उपासना को हमारे घर में रखने की जिम्मेदारी भी पूरी हो गयी क्योंकि उपासना शायद ही इस घर से ज्यादा कहीं और दूसरे घर में खुश रह पाती। उपासना-विक्रम अब शादीशुदा थे और अब हमारे यानि तृप्ति-राजवीर के पास जयपुर रहे थे।


उपासना और विक्रम दोनों बेहद सुंदर थे और साथ मिलकर परफेक्ट कपल का उदाहरण प्रस्तुत करते थे। उपासना का शरीर तृप्ति की तरह ही भरा-पूरा था जो कि टीवी ऐक्ट्रेस रश्मि देसाई से मेल खाता है। 35 के स्तन, 26 की कमर और 35 के कूल्हे. चेहरा भी रश्मी देसाई की तरह ही गोल, सुंदर, नशीली आंखों वाला था। विक्रम भी आजकल के दाढ़ी भरे चेहरे वाले मर्दों के जैसे ही मॉडल की तरह का लुक रखता था।

दोनों जयपुर आए और साथ रहने लगे। अब यहाँ दो भाई (मैं और विक्रम) अपनी बीवियों के साथ रहते थे जिनमें कोई वासना या गलत सोच का स्थान नहीं था। हम एक साधारण परिवार की तरह अपने जीवन का यापन करने लगे थे। हँसी-मजाक एक परिवार की तरह होता और सब हँसी-खुशी रह रहे थे। विक्रम ने व्यापार में श्लोक की भूमिका ले ली थी और उसका भली-भाँति निर्वाह कर रहा था। उधर श्लोक भी गुजरात में व्यापार को लेकर सफल था। विक्रम को यहां आए करीब 3 महीने गुजर गए थे। 

सब कुछ ठीक चल रहा था। 

तभी एक शाम श्लोक और सीमा का फ़ोन आया। वो हम दोनों को कुछ दिन के लिए अहमदाबाद बुलाना चाहते थे। मगर व्यापार को छोड़कर जाना मुश्किल था। उनका मकसद शायद वही सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम हो या अदला-बदली वाली चुदाई रहा होगा। ये भी सच था कि हमें उस अदला-बदली की काफी याद आती थी। सीमा को चोदने के लिए कभी भी लंड फड़फड़ा उठता था। शायद यही हाल श्लोक का तृप्ति के लिए हो रहा होगा। सीमा और श्लोक के द्वारा काफी मिन्नतें करने के बाद मैंने तृप्ति को उनके पास भेजने की अनुमति दे दी। यहां मेरे पास विक्रम और उपासना थे। एक बहन का भाई के पास रहने चले जाना साधारण बात थी और इसमें किसी को कोई शक नहीं था। लेकिन वास्तविकता क्या थी इससे मैं अच्छे तरीके से परिचित था। 


अगले दिन तृप्ति अहमदाबाद के लिए निकल गयी।
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#63
विक्रम महंगी शराब का शौकीन था। उसकी इस आदत का पता मुझे उनके यहाँ शिफ्ट होने के बाद ही चला। एक बड़े भाई का लिहाज करके विक्रम मेरे सामने नहीं पीता था लेकिन जब मुझे इसका पता चला तो मैंने उसे इसकी अनुमति दे दी। विक्रम एक सभ्य शराबी था। जिसके पीने पीने का कोई अंदाजा लगा सकता था। उसको कभी-कभी पीने में मैंने भी कंपनी दी। मगर मैं शराब का ज्यादा शौकीन नहीं था।


बीती रात कुछ ऐसा हुआ था कि जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जो अदला-बदली का खेल मैं दूसरों के साथ खेल रहा था क्या वही खेल नियति मेरे साथ खेलना चाहती थी? या जो बीती रात हुआ था वो एक सोची समझी साजिश थी?

वह तृप्ति के बिना मेरी पहली रात थी। इसलिए विक्रम ने शराब पार्टी का माहौल बना लिया। उपासना हमें जरूरी स्नैक्स परोस कर खाने का इंतजाम कर अपने कमरे में सोने चली गयी थी। विक्रम और मैंने हँसी-मजाक में शराब पार्टी पूरी की और कब नींद गई इसका पता भी चला।



--

सुबह नींद हल्की सी खुली तो अपने साथ बिस्तर पर नंगी सोई तृप्ति को मैंने अपनी तरफ खींचा और उससे चिपक कर सो गया। नींद में ही दिमाग की घँटी बजी और याद आया कि तृप्ति तो अहमदाबाद चली गयी है! फिर यहां मेरे साथ बिस्तर पर नंगी कैसे सो सकती है? मैं झटके से उठ गया और देखा तो चक्कर खा गया। उपासना मेरे कम्बल में पूरी तरह से नंगी गहरी नींद में सोई हुई है। ध्यान दिया तो पता चला कि कमरा भी मेरा नहीं बल्कि उपासना और विक्रम का है। बेशक उपासना का नंगा शरीर नजारे लूटने जैसा होगा पर मैं उस समय मजे लेने की हालत में बिल्कुल नहीं था।

मैं अपने कम्बल में झांक कर, अपने कपड़े संभाल कर सीधा बाहर आया तो देखा कि विक्रम उसी सोफ़े पर गहरी नींद में सोया पड़ा है जहाँ हमने शराब पी थी। खाना वैसे का वैसे ही रखा है, मतलब हमने शराब के बाद खाना भी नहीं खाया था। मैं सीधे अपने कमरे में गया और तेज धड़कते हुए दिल के साथ शॉवर लेने लगा और तैयार होकर सीधे ऑफिस चला गया। दिमाग समझ नहीं पा रहा था कि कैसे, क्या हुआ, ये सब? मैंने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि शायद शराब पीने के बाद जब विक्रम सो गया होगा तो मेरे अंदर का पाप जाग गया होगा और मैं विक्रम के कमरे में जाकर उपासना के पास सो गया होंगा। अंधरे के कारण उपासना ने भी मेरे साथ मुझे विक्रम समझकर सम्बंध बना लिए होंगे क्योंकि जब मैं उठा तो रोशनी तो खिड़की से आए उजाले की थी। लाइट्स तो सारी बन्द थीं।

या फिर क्या पता मैंने उसे सीमा-श्लोक का कमरा समझा हो, क्योंकि इतने दिनों से हम साथ थे और कभी भी किसी भी कमरे में जाकर चुदाई करके सो जाते थे। शायद मैंने उपासना को सीमा समझ कर ही शराब के नशे में चोद दिया हो और उपासना ने विक्रम समझकर मेरे साथ ये सब किया हो! तभी तो रात को कोई बवाल नहीं हुआ। या शायद तृप्ति समझ कर ही उपासना को चोद दिया हो। मेरा मन तरह-तरह के कयास लगाकर खुद ही अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था। मगर यह सोचते-सोचते दिमाग के 12 बज गए थे। रात को हुई घटना समझ से परे थी। कैसे नजर मिलाऊँगा विक्की (विक्रम) और उपासना से, समझ नहीं रहा था।

मैंने अपनी सारी मीटिंग्स कैंसिल की और अपने केबिन में दुबक कर बैठा रहा। रोज समय पर आने वाला विक्रम आज ऑफिस नहीं आया था जिससे मैं समझ गया था कि विक्रम को भी इस बात का अब पता चल गया होगा। उस वक्त 'काटो तो खून नहीं' जैसी हालत थी।
 
सुबह से शाम हो गई लेकिन विक्रम आज ऑफिस नहीं आया था। अब तो उल्टा मेरे घर जाने का समय हो गया था लेकिन घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। कैसे दोनों से नजरे मिलाऊंगा? तृप्ति को इस घटना के बारे में क्या बताऊंगा?

मुझे तो कल रात क्या हुआ था यह पता भी नहीं था। अतः ऑफिस से मैं सीधा होटल गया और वहां पर खाना खाया और देर रात 10:00 बजे घर की तरफ मेरे कदम बढ़े। घर जाते-जाते मैंने यह सोच लिया था कि कल रात जो भी हुआ है उसके लिए विक्रम को बुलाकर उससे बात करूंगा और अपने किए की माफी मांग लूंगा। अदला-बदली कर चुदाई का खेल मेरे, सीमा, श्लोक, तृप्ति के बीच ही सहज था लेकिन यह विक्रम था, जिसको कि हमारे इस तरह के अदला-बदली वाले जीवन के बारे में कुछ भी नहीं पता था। जब मैं अपने फ्लैट पर पहुंचा तो गेट उपासना ने खोला। उसने मुझसे नजर नहीं मिलाई, मैंने उससे। मैं सीधा अपने फ्लैट के ऊपर वाले कमरे में चला गया और विक्रम को ऊपर आने के लिए फोन किया।


तो दोस्तो, यह सब हुआ मेरे साथ बीती रात। रात की किताब में जो पन्ने अनपढ़े और अनसुलझे रह गए थे उन्हें खोलकर पढ़ने की कोशिश कर ही रहा था कि विक्रम की आवाज आई -- भैया
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#64
मेरी तंद्रा टूटी ... सोच के सागर से मैं बाहर निकला और बिना नजरें मिलाये मैं विक्रम से बोला- भाई जो कल रात हुआ मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता। शायद यह यकीन करना ना करना मुश्किल हो, लेकिन सच यही है कि जो हुआ मुझे उसका आभास केवल सुबह ही हुआ। मैं वैसे भी शराब का इतना आदी नहीं था कि खुद को संभाल सकूं और शायद शराब का ही कमाल था कि मेरे कदम बहक गए होंगे।

 
इस पर विक्रम बोला- अगर आपको अपनी की हुई गलती के बारे में पता ही नहीं है तो आप किस बारे में माफी मांग रहे हैं भैया! किसी भी सजा पाने वाले व्यक्ति को उसकी गलती का एहसास ना हो तो वह सजा किस काम की? उसी तरह, जिस तरीके से आप माफी मांग रहे हैं और आपको आपकी गलती का ही पता नहीं तो यह माफी किस काम की? विक्रम आगे बोला- मैं बताता हूं बीती रात क्या हुआ।

जब हम दोनों नशे में धुत्त हो गए तो आप बहकी-बहकी बातें करने लगे। नशे में मैं भी था पर मैं इसका आदी हूं इसलिए मुझे थोड़ा होश है, बीती रात शराब पीने के बाद आप ने मुझसे कहा- बहुत चढ़ा ली शराब। 

अब मुझे खुद सीमा पर चढ़ाई करनी है। मैंने आपसे नशे में पूछा- कौन सीमा

तो आपने कहा- साले तेरी बीवी सीमा। 

मैंने आपको कहा- भैया, मैं श्लोक नहीं हूं, आपका विक्रम हूं। मेरी शादी सीमा से नहीं हुई है. मेरी बीवी उपासना है।


आपने मुझे गाली दी और मेरे कमरे की तरफ बढ़े। आप सीमा के बारे में अनाप-शनाप बोले जा रहे थे कि बहुत दिन हुए चुदाई किए। आज सीमा तेरी फाड़ डालूंगा। आप और मैं दोनों नशे में धुत थे। मैंने आपको हाथ पकड़ कर रोकना चाहा लेकिन रोक नहीं पाया।

वैसे भी जब हम कल शराब पी रहे थे तो मेरी शराब की मात्रा आप से दोगुना थी।

अतः मैं वहीं सोफे पर गिर गया।
 
##
 
सुबह जब नींद खुली तो 11:00 बजे थे। रात की आपकी और मेरी की हुई बातें मैं सब भूल गया था। अपने आप को संभाल कर जब कमरे में गया तो देखा कि उपासना कमरे में बैठे हुए रो रही है। वह अपने इतने आंसू बहा चुकी थी कि पूरा तकिया आंसुओं से गीला था। उसकी हालत और आंखें बता रही थीं कि वह गरीब 2 या 3 घंटे से लगातार रो रही है। मैंने इसके बारे में उपासना से पूछा तो उसने रोते हुए बताया कि कल रात उसने किसी के साथ भयंकर चुदाई की थी। उसके लिए वह विक्रम ही था यानि कि मैं उसका पति।
 
सुबह जब उसकी नींद खुली तो उसके पास कोई नहीं सोया था, वह पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थी। लेकिन जब उठ कर बरामदे की तरफ आई तो मुझे सोफे पर सोया देखकर उसने रात का अंदाज़ा लगा लिया कि आप समय से पहले ऑफिस चले गए थे। शराब पीकर रात में सोफे पर ही सो जाना मेरी आदत थी। तभी उपासना समझ गई थी कि रात में उसने आपके साथ चुदाई की है। बस यही सब सोचकर वह परेशान हो गई थी। सच बताऊं भैया तो गुस्सा मुझे भी बहुत आया।

आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? मगर फिर मेरा दिमाग ठनका। मुझे रात को की हुई आपकी बातें धुंधली-धुंधली याद आने लगी और धीरे-धीरे सब बातें पूरे दिन में सोचता रहा कि आपके दिमाग में उस वक्त सीमा थी। जो कि आपके साले की बीवी है। आप उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हैं? आपने भले ही चुदाई उपासना के साथ की हो लेकिन आपके ख्यालों में सीमा ही थी। इतना मुझे समझ में गया था मगर सीमा के बारे में ऐसा सोचना मेरी समझ से परे था। अब आप मुझे बताइए कि आप सीमा के बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं? क्या आप भाभी से खुश नहीं है? या सीमा भी आपसे बहुत प्यार करती है? कैसे सीमा और श्लोक को भी इसके बारे में पता है?

मुझे पता है कि मेरे आने से पहले आप लोग यहां लगभग साल भर साथ रहे। तो शायद आप दोनों के बीच में प्यार हो गया हो या ऐसा कोई संबंध पनपा हो। मैं दिन भर सोचता रहा कि शायद श्लोक और सीमा को इसके बारे में सच पता चला हो, तभी वह लोग आपसे जुदा हो गए। आप लोग अब अलग रह रहे हैं। शायद आपने इसीलिए श्लोक को अहमदाबाद वाला मालिकाना हक प्रदान कर अलग किया है। बताइए भैया मुझे इसका जवाब चाहिए और फिर मैं अपना फैसला आपको बताऊंगा कि उपासना और मैंने आप को माफ करना है या सजा देनी है
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#65
हमारा सारा चुदाई का खेल विक्रम के सामने सवाल बन कर खड़ा था। मेरे पास विक्रम की इस बात का कोई जवाब नहीं था। मैं डर गया था कि अब मुझे विक्रम को अदला-बदली करके चुदाई के खेल का पूरा सच बताना पड़ेगा। उसे बताना होगा कि मैंने ये सब किसी को धोखा देकर नहीं किया। ये सब की इच्छा से था। सबकी खुशी और मजे के लिए था। लेकिन मुझे डर था कि विक्रम मेरे और तृप्ति के बारे में क्या सोचेगा? अगर विक्रम ने इसे सामान्य सामाजिक जीवन के नज़रिये से देखा तो उसका भाई और भाभी दोनों ही उसकी नजरों से गिर जाएंगे। किंतु मैं अब उसे क्या जवाब दूं। ये मुझे समझ नहीं रहा था। विक्रम मुझ पर गिरी हुई सोच होने के इल्जाम लगा रहा था और सीमा को इस नज़रिए से देखने का कारण पूछ रहा था कि ऐसा क्या था कि मैं सीमा की बुरी तरह चुदाई करना चाहता था। अतः मैंने मन ही मन फैसला लिया कि अब मुझे अदला बदली की चुदाई का सच विक्रम को बताना होगा। 

मैंने हिम्मत करके कहा- देखो विक्रम अगर तुम सुनना ही चाहते हो तो सुनो। तुम्हें सब बताता हूं। मैं सीमा के बारे में ऐसा सोचता हूं, मानता हूँ। लेकिन मैंने तृप्ति और श्लोक यानि कि मेरे साले से कोई धोखा नहीं किया। लेकिन अगर मैं तुम्हारे सामने पूरा सच बताऊंगा तो मैं तुम्हारी नजरों से गिर जाऊंगा। शायद तुम्हारी भाभी तृप्ति भी तुम्हारी नजरों से गिर जाए। शायद तुम्हें यकीन भी हो लेकिन जो मैं बोलने जा रहा हूं वही सच है।


विक्रम- ऐसा क्या है भैया जो मेरे नज़रिए में इतना बदलाव ला देगा?

मैंने कहा- तुम्हें तो पता ही है जयपुर में जब से हमारा बिज़नेस शुरु हुआ तब से श्लोक और मैं अपनी बीवियों के साथ यहीं रहे हैं। कुछ दिनों तक सब कुछ सामान्य रहा किन्तु कुछ दिनों के बाद हम चारों बहुत घुल-मिल गए और पक्के दोस्त बन गए। हम दोस्तों के बीच दोस्ती के साथ आकर्षण भी गया। मैं सीमा के करीब गया और तृप्ति श्लोक के काफी करीब गयी।


विक्रम- करीब? भाभी और श्लोक तो भाई-बहन हैं। वो तो करीब हो सकते हैं लेकिन आप सीमा से कैसे करीब हो गए। 

मैं- श्लोक और तृप्ति का करीब आने का मतलब भाई-बहन वाला करीब नहीं था। भाई-बहन के रिश्ते को भूल कर करीब आने जैसा था। मेरा और सीमा का रिश्ता साली-आधी घरवाली जैसा था। हम एक दूसरे के शरीर को पसंद करने लगे थे। शरीर को पसंद करने का मतलब एक दूसरे के शरीर के प्रति इतने सम्मोहित हो गए थे कि एक दूसरे के शरीर को पाना चाहते थे। मैं सीमा के साथ तथा श्लोक तृप्ति के साथ संभोग करना चाहता था।


विक्रम- यह क्या बकवास है भैया! मुझे आपकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा है।

मैं- विक्रम! मेरे भाई, एक बात मुझे बताओ। जब से तुम्हारी शादी उपासना के साथ हुई है, क्या उस क्षण के बाद से तुमने किसी अन्य पराई स्त्री के साथ संभोग करने के बारे में नहीं सोचा? क्या तुमने कभी ख्यालों में भी किसी अन्य स्त्री को नग्न नहीं देखा और उसकी चुदाई नहीं की?

विक्रम- भैया! यह तो आदमी के चरित्र में है। आज के इस कलियुग में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं जो कि किसी भी पराई स्त्री के बारे में नहीं सोचता हो। आपका और सीमा का मैं एक पल के लिए मान भी सकता हूं लेकिन श्लोक और तृप्ति भाभी जो कि भाई-बहन हैं उनके इस नए रिश्ते के बारे में मुझे विश्वास नहीं हो रहा है जो कि आप मुझे बता रहे हैं। 

मैं- विक्रम क्या हम एक-एक बियर पीते हुए यह बात करें

मेरी बात सुनकर थोड़ी देर विक्रम नीचे चला गया और अपने हाथों में दो बीयर और थोड़ा मुंह साफ लेकर आया। हमने थोड़ी थोड़ी बियर लेकर वापस अपनी बात शुरू की।


मैं- देखो विक्रम, मुझे बड़ा भाई नहीं, अपना दोस्त समझो और मेरी बात सुनो। सामाजिक जीवन के चश्मे को उतार कर नीचे रखो और इस दुनिया को देखो। इस दुनिया में सब सम्भोग करते हैं। रिश्तेदारी को छोड़ो तो हर औरत और मर्द का रिश्ता एक ही डोर से बंधा हुआ नजर आएगा और वह डोर वासना की डोर है, सब रिश्ते इसी ग़रज से बंधे हैं। बाकी सब झूठ है. मानते हो कि नहीं?

विक्रम- जी मानता हूं।


मैं- बस ... हम भी उसी डोर में बंध गए और बाकी रिश्तेदारी वाली डोर को हमने तोड़ कर पीछे छोड़ दिया क्योंकि हमारा रहन-सहन काफी मॉडर्न था। तृप्ति-सीमा का छोटे कपड़े पहनना। हमारा और उनका एक-दूसरे के सामने चुम्बन करते हुए गुड मॉर्निंग गुड नाईट विश करना।

सीमा और तृप्ति हालांकि अच्छी ननद-भाभी थी लेकिन महिलाओं में सेक्सी और दूसरे से सुंदर दिखने की प्रतिस्पर्धा तो होती ही है। कुछ और भी कारण थे जिसकी वजह से हम इतने करीब आए लेकिन सब तुम्हें नहीं बता पाऊंगा। हम चारों के एक दूसरे के साथियों के साथ जिस्मानी संबंध थे। जिसे हम चारों ने भरपूर मजे के साथ बिताया।
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#66
अब यह बताओ कि उपासना कल की वारदात से कितनी नाराज है?

विक्रम- नाराजगी का तो पता नहीं लेकिन उसे समझ में नहीं आया कि कल क्या हुआ? शायद वह सदमे में हो। लेकिन उसने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी। अभी तो मुझसे ही इस सवाल का जवाब पूछने के लिए कहा कि आखिर भैया ने ऐसा क्यों किया?

मैं- देखो प्यारे भाई विक्रम! माना कल मुझसे गलती हो गई है, इस बात को एक बार साइड में रखो और स्वयं रात भर रुक कर सोचो कि जो हम करते रहे क्या वो जीवन की सबसे आनंददायक चीज नहीं है? स्वयं को मेरी जगह रख कर सोचना कि तुम अपनी पत्नी तृप्ति के साथ तथा सलहज सीमा के साथ भी चुदाई का आनंद ले रहे हो और सीमा और उसका पति श्लोक भी मजे से अपने चुदाई वाले जीवन का आनंद उठा रहे हैं। उसके बाद सोचना कि हम जो कर रहे थे वह क्या गलत था? कल फिर शाम को हम दोनों यहां बैठकर उस घटना के सही गलत के बारे में बात करेंगे जो कि गलती से मुझसे बीती रात उपासना के साथ हुई। आज रात के लिए कैसे ना कैसे करके उपासना को समझा लो। मैं उसकी नजर में ना खटकूं इसलिए मैं अभी बाहर होटल में जाकर रात बिता लेता हूं। कल ऑफिस मत आना और दिन भर सोच कर शाम को मिलते हैं।


विक्रम- ठीक है भैया, बहुत रात हो गई है। हम सुबह बात करते हैं।

मैं विक्रम को छत पर छोड़ कर होटल चला आया और वहीं पर रूम लेकर रात में रुका।

मैंने विक्रम को स्वयं की जगह पर रखकर यह सोचने के लिए कहा था कि हमारे चारों के द्वारा अपनी मर्जी से किए गए अदला-बदली के कार्यक्रम में क्या गलत है? और मुझे पूर्ण विश्वास था कि कल शाम को विक्रम का जवाब क्या होगा। क्या हमारे द्वारा की गई अदला-बदली को वह गलत बताएगा? मुझे लगता था- बिल्कुल नहीं। इसके पीछे कारण था क्योंकि यह सब सोचने के लिए उसे यह भी सोचना पड़ेगा कि वह तृप्ति की अपनी बीवी की तरह चुदाई कर रहा है। उसके बाद सीमा की चुदाई कर रहा है और वह भी दोनों की मर्जी से, अपने पूर्ण रूप के मजे के साथ।

अब बताइए मित्रो! जिसे चोदने के लिए तमन्ना भाटिया जैसे शरीर की रूप की मालकिन तथा सीमा के रूप में कृति सेनन जैसी हीरोइन वाले शरीर की मालकिन की संपूर्ण चुदाई करने का मौका मिल रहा हो उसे यह बुरा कैसा लग सकता है। अतः मैं विक्रम की तरफ से चिंतित नहीं था। मैं तो उपासना की तरफ से चिंतित था कि शायद वह समझेगी या नहीं, किंतु यह समझकर मैं निश्चिंत हो गया था कि जब पति समझ जाएगा तो वह अपनी बीवी को समझा ही लेगा।

एक बार की हुई गलती को शायद ही इतना तुक देकर वे अपनी नाराजगी को बरकरार रखे।

##

अगले शाम हम निश्चिंत हो करके होटल में ही मिले। आते ही मैंने विक्रम के हाव-भाव देखे और मुझे लगा कि वह मुझसे नाराज नहीं है। हमने बात शुरू की।

विक्रम- वाह भैया! वाह मान गए आपको। जीवन के असली मजे तो आपने ही लिए हैं। साली ना मिली तो साले की बीवी को ही घरवाली बना लिया। हम घर वाले तो सोच रहे थे कि भैया वहां पर अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन यहां की तो कहानी ही अलग है। यहां तो रोज अय्याशी और साथ ही बदल-बदल कर चुदाई चल रही थी। साथी बदल कर चुदाई करना इतना अजीब नहीं लगा, यह तो आम बात है। लेकिन बस भाई-बहन की चुदाई का किस्सा मुझे थोड़ा दिमाग में खटका लेकिन जब जवान भाई बहन ही एक दूसरे से चुदाई चाहते हों तो क्या गलत है। खुशनसीब हो आप कि आपको सीमा जैसी सेक्सी महिला की भरपूर चुदाई करने का मौका मिला। सच बताता हूं कि जब सीमा की शादी में मैं गया था तब मेरे दिल में भी उसे देख कर खलबली मची थी कि आपका साला श्लोक लंबी पतली कमर वाली अप्सरा की चुदाई का मजा किस प्रकार लेगा।

मैं- चलो, विक्रम तुम तो समझे। लेकिन उपासना की इस पर क्या प्रतिक्रिया है? क्या उसे भी तुमने इसी प्रकार सब कुछ सच बता दिया? वह कहीं नाराज तो नहीं? और ऐसा तो नहीं सोच रही है कि वह कहां फंस गई है।

विक्रम- सच बताऊं भैया, जब मैंने उपासना को बताया कि यह गलती आपसे सीमा श्लोक से अदला-बदली करके चुदाई करने के कारण हुई है तो वह काफी आश्चर्य चकित हुई। एक बार तो वह मानने को भी तैयार नहीं थी कि ऐसा हो सकता है। फिर मैंने बातों-बातों में उसे कल्पना कर के सोचने को कहा और खुद को सीमा की जगह रख कर सोचने को कहा तो एक बार यह बात उसे उत्तेजित कर गयी। अंत में उसने मुस्कुरा कर कहा कि राज भैया से ग़लती हो गयी है इसके लिए अब उनसे नाता तो तोड़ नहीं सकते। वे काफी अच्छे हैं इसलिए उनको माफ कर देना चाहिए। इस कश्मकश में हम भले ही रात भर नहीं सो पाए हों लेकिन परिणाम ये ही निकला कि उपासना आपसे नाराज है और मैं। चलिए अब घर चलते हैं।

अतः हम दोनों ने होटल से चेक आउट किया और घर चले गए।

उपासना ने दोनों के लिये खाना रखा और हमने साथ में खाना खाया। इस दौरान उपासना की नजर झुकी रही। मैंने उपासना से बीती रात के लिए माफी मांगी। उसने मुस्कुरा कर 'इट्स .के.' कहा। फिर हम अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए।

##
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#67
अगला पूरा दिन ऑफिस में साधारण रहा।

 
शाम को विक्रम ने मुझे बात करने के लिए छत पर बुलाया। उपासना नीचे अकेली ही रसोई का काम देख रही थी।

विक्रम- राज भैया! जब से आपकी अदला-बदली की चुदाई की बात सुनी है, मेरी हालत खराब हो गयी है। कल की रात और आज का पूरा दिन ... एक क्षण भी ऐसा नहीं कि ये बात मेरे दिमाग से निकली हो। उत्तेजना से लन्ड का हाल बुरा हो गया है। ऐसी उत्तेजना मैंने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं की।

मैं- हां विक्रम, मैं समझ सकता हूं। बीवियों की अदलाबदली, वाइफ स्वैपिंग चीज़ ही ऐसी है जो कि एक बार दिमाग मे चढ़ जाए तो फिर उतरती नहीं है।

विक्रम- बुरा मानिएगा भैया। तृप्ति भाभी के लिए भी मन में बड़े वासना वाले ख्याल रहे हैं। वो वास्तव में बड़ी ही उत्तेजित करने वाली महिला है। बिल्कुल जैसे तमन्ना भाटिया या हिंदी सीरियल की नागिन संजना खान।

मैं- हा ... हा ... हा ... ऐसा तो तृप्ति के लिए हर कोई कहता है कि तृप्ति हूबहू इन दोनों के जैसी लगती है।

विक्रम- राज भैया! क्या हम दोनों भी आपकी इस अदला-बदली वाली मंडली में शामिल हो सकते हैं? अगर ये नहीं हो सकता तो लग रहा है कि जीवन अधूरा रह जाएगा मेरा।

मैं- यार इसके लिए मैंने कल बीती रात एक बार विचार किया था। लेकिन इसमें काफी समस्यायें हैं। मुझे माफ़ करना विक्रम तुम्हारे साथ ऐसा नहीं कर पाएंगे।

विक्रम- क्यों? क्या उपासना में कोई कमी है? वह भी बला की खूबसूरत है और क्या भाभी को मैं अच्छा नहीं लगूंगा?

मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है विक्रम! उपासना तो बहुत खूबसूरत है। जबकि तुम भी तो बिल्कुल मॉडल वरुण सोबती जैसे लगते हो। मैंने कभी उपासना को वासना की नजरों से नहीं देखा। मेरे ख्याल से शायद ही तृप्ति ने भी तुम्हारे बारे में ऐसा सोचा हो। मगर सबसे पहले ये बताओ कि क्या तुमने इस बारे में उपासना से बात की है? उसने एक बार गलती समझ कर मुझे माफ़ किया है। कल को वही सोचेगी कि मैंने ही तुम्हें बिगाड़ दिया है और ये सब मेरी ही करामात है।


विक्रम- आप उपासना की चिंता मत कीजिये भैया। उसकी जिम्मेदारी मेरी। 

मैं- नहीं विक्रम, तुम ये विचार अपने दिमाग से निकाल दो। भाई हो मेरे तुम छोटे। ये गलत होगा तुम्हारे जीवन के लिए। तुम्हें नहीं झोंक सकता इस गन्दी नाली में थोड़े दिन के मजे के लिए। तृप्ति तो मेरी खुद की है। हम अपने जीवन के साथ अपनी मर्जी से खेले हैं। तुम परिपक्व होकर सोचो।


इतना बोलकर मैं विक्रम को अकेले छोड़कर नीचे कमरे में आकर सो गया।

##
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#68
अगले दिन ऑफिस में विक्रम मेरे केबिन में आया और आकर मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठकर बोला- क्या भैया ... सारा बिगड़ने का ठेका क्या आपने ही लिया है? इस मजे के लिए थोड़ा अपने छोटे भाई को बिगड़ने दो ना!

मैं- देखो विक्रम! बीवी की अदला-बदली एक मझधार में फंसने जैसा है। अपनी बीवी कितनी ही अच्छी हो लेकिन फिर अपनी बीवी की चुदाई करने से मन नहीं भरता।


विक्रम- अरे तो भैया कोई और थोड़ी है यहां कि मुझे बीच मझधार में छोड़कर चला जाएगा। आप हो ना निकालने वाले। इस मझधार का मजा दिलाने वाले। वैसे भी मझधार जब इतनी खूबसूरत हो तो कौन निकलना चाहेगा ऐसे समन्दर से? क्या भैया! तृप्ति भाभी को उनके खुद के भाई से चुदवा सकते हो, लेकिन अपने भाई से चुदवाने में आना-कानी कर रहे हो। उनका सेक्सी चेहरा याद करके ही मेरा लन्ड चिकनाई छोड़ने लगता है। चिंता करो भैया, उपासना की चुदाई करोगे तो पता चलेगा कि ये कोई घाटे का सौदा नहीं है। उपासना अपनी गांड उठा-उठा कर आपका लंड लेगी। बहुत प्यासी है वो सेक्स की।

मैं- एक बार तृप्ति से और उपासना से मुझे बात करनी होगी, फिर देखते हैं।

विक्रम- उनसे बात करने और उनकी हां कहलवाने में शायद कठिनाई हो क्योंकि आपको वो बात नहीं पता है जो मुझे पता है। लेकिन जब आप वो बात जानोगे तो आप भी सौ प्रतिशत पक्के मान जाएंगे कि ये अदला-बदली उपासना और तृप्ति भाभी दोनों के लिए जरूरी है।

मैं- अच्छा, मेरे प्यारे छोटे भाई! ऐसा क्या पता है तुमको?

विक्रम- मेरी कहानी जो मेरे जीवन में घटित हुई। आपको आधा सच पता है, अब आप पूरा जान लो।


मैं- ठीक है चलो। अगर तुम्हारी कहानी सुनने के बाद मुझे लगा कि उपासना और तृप्ति के लिए ये अदला-बदली वाली चुदाई जरूरी है तो कुछ भी हो जाए हम अदला-बदली करके तृप्ति और उपासना को जरूर चोद देंगे।

विक्रम- भैया जैसा कि आपको पता है कि बारहवीं कक्षा पूरी करने के बाद मैं आगे की पढ़ाई करने के लिए बेंगलूरू गया था। प्रथम वर्ष तो जैसे तैसे पूरा हो गया। कॉलेज के द्वितीय वर्ष में मेरी मित्रता कॉलेज की सबसे प्रसिद्ध सुन्दरियों में से एक, उस लड़की से हुई जिसका नाम तृप्ति था। वह फाइनल वर्ष की छात्रा थी। गोरी चिट्टी और आकर्षक देह वाली थी। पूरे कॉलेज के लड़के उसका नाम ले कर मुट्ठ मारते थे। उस कच्ची उम्र में उसके 34 के स्तन, 26 की पतली कमर और 34 की गांड पूरे कॉलेज पर कयामत बरसाया करती थी। चूंकि मैं दिखने में ठीक था और पिताजी के पैसों का थोड़ा फायदा मिल रहा था जिसकी वजह से कॉलेज की लड़कियों में मेरा भी बोल-बाला हो गया था। किसी तरह में तृप्ति से बात करने में कामयाब रहा और तृप्ति ने भी मुझे अच्छा रिस्पॉन्स दिया। उसका परिणाम ये हुआ कि 3-4 महीनों की मेहनत में तृप्ति ने मेरा 'आई लव यू' का इज़हार स्वीकार कर लिया।

तृप्ति काफी मॉडर्न और समझदार युवती थी। उसके मेरे साथ होने से कॉलेज में मेरी एक अलग ही पहचान बन गई थी। कुछ सीनियर लड़कों ने इस मामले में मुझे पीटना चाहा लेकिन आपने ही बैंगलोर आकर उन सबको सबक सिखाया था। 

मैं- अच्छा लेकिन तुमने तो कहा था कि वो लड़के तुम्हारी रैंगिंग के लिए तुम्हें परेशान करते हैं। इसलिए मैंने बैंगलोर आकर उनकी पिटाई करवाई थी।


विक्रम- नहीं भैया, असली कारण तो यही था। पर आपको तब कैसे बताता कि लड़की का चक्कर है!
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#69
अब आगे की कहानी सुनो…


हमारे, मतलब तृप्ति और मेरे रिश्ते को लगभग आधा साल हुआ था। हमने इस दौरान पार्क में, कॉलेज में मौका देखकर खूब चुम्मा चाटी की। फिर एक बार की बात है जब मेरा जन्मदिन आया। मैंने कॉलेज से बाहर आकर होटल में एक शानदार कमरा बुक किया और वहीं जन्मदिन मनाने के बहाने तृप्ति को बुलाया। आज मैं जन्मदिन के तोहफे के बहाने कॉलेज की सबसे सुंदर परी को चोद-चोद कर लाल करना चाहता था। अतः मेरे प्यार की खातिर तृप्ति आयी। उसने नीली जीन्स और सफेद टी-शर्ट पहनी थी। भूरे और सुनहरे रंग किए हुए बाल थे उसके जो कि अच्छे खासे संयम वाले आदमी का भी लंड खड़ा कर दें। टाईट जीन्स में उसकी गांड का आकार और सफेद टी-शर्ट में उसके उभरे हुए सन्तरे लंड में झनझनाहट पैदा करने लगे थे।

उसने मुझे किस करके जन्मदिन की शुभकामना दी। उसके बाद हमने केक काटा। उसने मुझे केक खिलाया पर मैंने मना किया और पहले उसे खाने को कहा। मैं अपने हाथ में लेकर उसे केक खिलाने लगा। लेकिन चालाकी से मैंने उस केक को उसके पूरे चेहरे पर रंग दिया और कहा कि अब मुझे तुम्हारे गालों से केक खाना है। तृप्ति नीचे चेहरा करके मुस्कुराने लगी और इसी मुस्कुराहट को उसकी हां समझ कर उसके गालों से अपनी जीभ लगाकर मैं केक को खाने लगा। फिर इसी तरह से मैंने उसके पूरे चेहरे को साफ किया। फिर उसने भी अपने हाथों में केक लेकर मेरे गालों पर लगाया और मेरे चेहरे को अपने प्यारे से होंठों से साफ करने लगी। हमने एक दूसरे के होंठों को अपने अपने होंठों में दबाकर उन्हें चूसना चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने अपनी जीभ को तृप्ति की गर्दन पर घुमाना शुरू किया। तृप्ति मेरी इस हरकत से सिहर उठी। उसने भी मेरे चेहरे पर चुम्बन की बरसात कर दी। मैंने अपने हाथ को उसके स्तनों पर ले जाकर टी-शर्ट के ऊपर से दबाना शुरू किया। इस पर तृप्ति का गोरा चेहरा पूरा लाल हो गया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। तृप्ति ने अपना चेहरा शर्म से झुका लिया। लेकिन अब जो नजारा मेरी आँखों के सामने था उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता क्योंकि यह नजारा कुछ शीघ्रपतन वाले मर्दों के पानी की पिचकारी, बिना लंड पर हाथ लगाए ही छुड़वाने के लिए काफी था। काले रंग की ब्रा में सफेद और गुलाबी रंग की मिश्रित चमड़ी वाली हसीना जिसकी कमर पर उसकी अति उत्तेजक नाभि थी। ब्रा के इलास्टिक ने उसके सफेद गोरे जिस्म पर जो गुलाबी रेखा बनाई थी उसने मेरे शरीर की नस-नस के खून के एक-एक कतरे को एक नई सरसराहट से सिरमौर कर दिया था। मैंने आव देखा ताव, ब्रा सहित तृप्ति के स्तनों को मुंह में दबा लिया। तृप्ति भी अपने स्तन मेरे मुंह में जोर से दबाने लगी।

थोड़े समय बाद उससे रहा नहीं गया। उसने स्वयं ही अपनी ब्रा से अपने दोनों कबूतरों को आजाद कर दिया। तृप्ति के स्तनों के ऊपर के चूचुक गुलाबी रंग के थे। मैं उसके एक चूचुक को अपने हाथ में तथा दूसरे चूचुक को अपने मुंह में लेकर अपनी भड़ास उसके स्तनों पर निकालने लगा। तृप्ति उत्तेजना में पागल होकर अपने पूरे शरीर को मेरे मुंह के अंदर दबाने की कोशिश करने लगी थी। मैंने तृप्ति के स्तनों के साथ उसके पेट और कमर को भी काफी चूमा और चाटा। जब मुझे लगा कि अब काफी समय तक फोरप्ले हो गया है और तृप्ति भी काफी उत्तेजित हो गई है, मैंने अपना हाथ उसके जींस के बटन पर लगाया तथा उसे खोलने का प्रयत्न करने लगा, लेकिन तृप्ति ने मेरे हाथ को उसके जींस के बटन से हटा दिया। मैं फिर अपना हाथ तृप्ति के जींस के बटन पर ले कर गया किंतु तृप्ति ने मेरा हाथ फिर हटा दिया। 

मैंने तृप्ति से कहा- माय डार्लिंग तृप्ति, आई वांट टू फक यू। प्लीज़ कोऑपरेट मी। (प्रिय मैं तुम्हारी चुदाई करना चाहता हूँ, कृपया मेरा साथ दो) इस पर तृप्ति ने जवाब दिया- डार्लिंग, वी ऑलरेडी क्रॉस्ड आवर लिमिट (प्रिय हम पहले ही हमारी सीमा पर कर चुके हैं) अब इससे ज्यादा मैं साथ नहीं दे पाऊंगी। 

विक्रम- प्लीज तृप्ति, मैं इतना करके अधूरा नहीं रह सकता। मुझे तुम्हारी चुदाई करनी है।


तृप्ति- ओह मेरे विक्रम। मेरी कुछ सीमाएं हैं जो मैंने तय की हैं। मैं शादी से पहले ये नहीं कर सकती। मैं तुमसे प्यार करती हूं और शादी करने के लिए तैयार हूं। उसके बाद मैं पूरी तुम्हारी हो जाऊंगी जान। उस वक्त मेरे सिर पर हवस का शेर सवार था। कोई तृप्ति के साथ इतना बढ़कर पीछे नहीं हट सकता था क्योंकि तृप्ति चीज ही ऐसी थी। 

अतः पता नहीं क्यों मुझे तृप्ति पर गुस्सा गया और मैंने उसे गुस्से में भला-बुरा कह दिया।


मैंने तृप्ति से कहा- अगर मेरे जन्मदिन के दिन तुम एक अच्छी गर्लफ्रेंड बन कर मेरे मन की इच्छा पूरी नहीं कर सकती तो तुम क्या एक अच्छी बीवी बन पाओगी? इस पर मुझे शक है। धन्यवाद जो तुमने मुझे इतना सब करने का मौका दिया। जाने कितनों के साथ ऐसी टेस्ट ड्राइव करके मुझे शादी का ज्ञान दे रही हो। मैंने यह बात गुस्से-गुस्से में गलत कह दी थी जिसका मुझे उसी क्षण अहसास हो गया था किंतु अपने घमंड वाले रवैये के कारण मैं उसे मना नहीं सका और उससे माफी नहीं मांग सका। तृप्ति की आंखों में आंसू थे और वह रोते-रोते अपने कपड़े पहनने लगी और मुझसे सॉरी बोल कर चली गई।

जब मेरे सिर से हवस का भूत उतरा तब मुझे अहसास हुआ की तृप्ति वास्तव में कितनी अच्छी लड़की है। ऐसी लड़की पत्नी के रूप में किसी भाग्य वाले को ही मिलेगी जो कि इतनी आगे बढ़ कर भी अपने यौवन को भंग होने से बचा ले। उसके बाद मैंने तृप्ति से माफी मांगने की काफी कोशिशें कीं किंतु तृप्ति ने मुझे कभी भाव नहीं दिया। वह मुझसे बुरी तरह से नाराज हो गई थी। अब मुझे तृप्ति से सच्चा प्यार होने लगा था। लेकिन उसने कभी मेरी एक बात नहीं मानी। मैंने उसे चिढ़ाने के लिए कॉलेज के काफी लड़कियां पटाईं। लेकिन तृप्ति का दिल कभी नहीं पिघला। मैंने गुस्से में कई लड़कियों से संबंध बनाए लेकिन उसकी कमी को पूरी नहीं कर पाया और एक दिन ऐसा आया जब फाइनल वर्ष पूरा होने पर तृप्ति चली गयी।
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#70
फिर क्या था, मैंने उस से अपना मन हटाया और पढ़ाई में लगाया। फिर राजवीर भैया! मेरे फाइनल वर्ष में आपकी शादी तय हुई और छुट्टी लेकर मैं अपने घर आपकी शादी में आया। 

जब स्टेज पर आपकी दुल्हन देखी तो मेरे होश उड़ गए। मुझे अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि आपके साथ बैठी आपकी दुल्हन और कोई नहीं बल्कि मेरी प्रेमिका रह चुकी तृप्ति ही है।


मैं आश्चर्यचकित होते हुए- क्या? क्या कह रहे हो विक्रम?

विक्रम- हां भैया हां। किस्मत का ये अजीब खेल था। जब शादी में आने से पहले मेरी माँ से बात हुई थी तो उन्होंने बताया था कि आपकी सगाई किसी तृप्ति से हुई है। तब मेरे दिमाग में ये बात नहीं आई थी। फिर मैंने लड़की वालों से पूछताछ की तो पता चला कि भाभी का नाम कॉलेज और कॉलेज में तृप्ति है। किंतु घर में उनको सब तृप्ति ही बुलाते हैं।


राजवीर- जब तुमने ये कहानी शुरू की थी तब मैंने भी यही सोचा भी कि ये कोई और तृप्ति होगी। अच्छा फिर क्या हुआ?

विक्रम- तृप्ति यानी तृप्ति ने भी मुझे शादी में ही देखा। वह भी मेरी तरह ही आश्चर्यचकित थी कि मैं इस घर में कैसे? उन्हें भी नहीं पता था कि मैं आपका भाई हूं। एक पल तो वह काफी डर गई थी।


फिर एक दिन हमारी अकेले में बात हुई। उन्होंने मुझे बताया कि अगर उन्हें पता होता कि मैं इस घर में रहता हूं तो मैं तुम्हारे भैया से शादी कभी नहीं करती। इस पर मैंने उन्हें विश्वास दिलाया कि मेरी वजह से उनके वैवाहिक जीवन पर कभी कोई आपत्ति नहीं आएगी। भाभी ने मुझे बताया कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी लेकिन तुमने मेरा विश्वास तोड़ दिया, इस वजह से मैं तुमसे दूर हो गई। लेकिन अब मैं केवल राज से प्यार करती हूं और मेरे मन में तुम्हारे प्रति कोई गलत विचार नहीं है। इस पर मैंने भाभी को बोला कि आप जैसी ईमानदार लड़की को भाभी के रूप में पाकर मुझे खुशी हुई। जितना हमारे बीच होटल के कमरे में हुआ था कोई उसके बाद भी संभल जाए ये बड़ी बात है। आज के बाद हम भाभी-देवर की तरह ही रहेंगे और बाकी हमारे बीच पुराना जो भी था उसे भूल जाएंगे। हमने अपने वादे को ईमानदारी से निभाया भैया! हमारे बीच में फिर कोई गलत बात नहीं हुई।
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#71
मेरे यानि राजवीर के शब्दों में-  तो मेरे प्यारे याराना के पाठको, अभी विक्रम की कहानी पूरी नहीं हुई है। उसमें काफी कुछ ऐसा बाकी है जो आपको उत्तेजना के चरम पर ले जाएगा। दोस्तो, याराना का पहला भाग तो आपने पढ़ा ही होगा जिसमें कि तृप्ति ने स्वीकार किया था कि उसका पहले कोई बॉयफ्रेंड था जिसके साथ उसने चुदाई तो नहीं की थी किन्तु चूमना-चाटना और स्तनपान करवाने जैसे फॉरप्ले को अंजाम दिया था। जब विक्रम ने मुझे उसके कॉलेज की तृप्ति यानि मेरी बीवी तृप्ति और उसके संबंध की कहानी सुनी तो मुझे विश्वास हो गया था कि विक्रम सच बोल रहा है। जब तृप्ति ने खुद मुझे उस वक्त यह बात बताई थी तो मुझे उसके बॉयफ्रेंड के बारे में कुछ नहीं पता था। मगर आज पता चल गया कि वो बॉयफ्रेंड मेरा भाई ही था।

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विक्रम- तो क्या मेरी अभी तक की कहानी ने आपको हैरान किया भाई

राजवीर- हां विक्रम, मैं सचमुच हैरान हूं। एक स्त्री अपने मन में कितना कुछ दबाए हुए रह सकती है। मुझे तो लगता था मैं तृप्ति को अच्छी तरह जानता हूं।


विक्रम- आगे आपके लिए और भी सरप्राइज़ है मगर मैं चाहता हूं आगे की कहानी आपको मैं अकेला नहीं अपितु उपासना और मैं साथ में सुनाएं क्योंकि वह कहानी उपासना और मेरे जीवन की सम्मिलित कथा है।

हम दोनों भाइयों ने अपने लैपटॉप बैग समेटे और घर की तरफ चल दिए।
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#72
खाना खाने के बाद हम तीनों यानि कि मैं, विक्रम और उपासना फ्लैट की बैठक में बैठ गए।


विक्रम- मेरी प्यारी उपासना, अब जैसा कि तुम्हें पता ही है कि यहाँ भैया-भाभी का जीवन कैसे भोग विलास से भरा हुआ है। इन्होंने अपनी बीवियां बदल-बदल कर महीनों तक चुदाई की है, हो सकता है हम भी कल को इस मण्डली में शामिल हो कर जीवन का मजा लें जैसा कि तुम भी चाहती हो. तो आज ही उसकी शुरूआत करते हैं। बिना किसी लाज-शर्म के वो कहानी भैया को सुनाओ जिससे कि राज भैया अनजान हैं। मेरी प्यारी उपासना इस कहानी में कृपया लिंग शब्द के स्थान पर 'वो' या योनि के स्थान पर 'भाभी की वो' कहकर कहानी का मजा किरकिरा नहीं करना। लंड चूत जैसे शब्दों का इस्तेमाल वैसे ही करना जैसे उनकी जरूरत हो।

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मेरी इस बात पर उपासना थोड़ी मुस्कराई और कहानी बताने लगी:  राज भैया, जैसा कि आपको पता है कि माँ की मौत के बाद मैं आपके ही घर पर रही। वैसे तो घर में सब अच्छे हैं और सबने मेरा बहुत ख्याल रखा। लेकिन मुझे सबसे प्यारे आप लगते थे। आप ने मुझे बहुत प्यार दिया। इनमें बहुत छोटी-छोटी बातें शामिल थी। जैसे कि मेरे लिए टॉफी लाना। पैसे दे देना। मेरे पसंदीदा कपड़े लाना। आप मेरे टीवी सीरियल के लिए अपने क्रिकेट मैच तक को छोड़ देते थे। हमारे बीच की उम्र में 7 साल का अंतर था। फिर मेरे कॉलेज में जाने की बारी आई। उम्र के इस पड़ाव पर मैं यौन सम्बन्धों के बारे में समझने और जानने लगी थी। बायोलॉजी विषय होने के कारण सहेलियों में कभी कभी अश्लील मजाक भी हो जाया करती थी। राज भैया से मुझे काफी लगाव था लेकिन मैंने कभी राजवीर भैया के बारे में ग़लत नहीं सोचा था।

फिर राज भैया की शादी तृप्ति भाभी से हुई। सब बहुत अच्छे से चल रहा था। फिर राज भैया की शादी के साल भर बाद विक्रम बैंगलोर से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर आए। चूंकि मैं विक्रम भैया के कमरे में रहती थी इसलिए मुझे विक्रम के आने के बाद दूसरा कमरा मिला जो कि राज भैया के कमरे से सटा हुआ था। देर रात में जब मैं पढ़ाई करके लाइट बन्द करके सोई तो थोड़ी देर बाद तक मुझे नींद नहीं आई थी। तभी अचानक से मुझे किसी की सिसकारियां और आह-आह की आवाज़ आई। ध्यान दिया तो मालूम हुआ कि ये तृप्ति भाभी की आवाज़ है जो कि आपके कमरे के रोशनदान से रही थी। यह रोशनदान मेरे कमरे के ऊपर की बुखारी में खुलता था। इतना तो मैं समझ गयी थी कि ये सेक्स में मजे के कारण आयी हुई सिसकारियां हैं। भाभी की आवाज़ काफी देर तक आती रही जो कि मेरे हृदय की धड़कनों को बढ़ाये जा रही थी। जब आवाज़ आना बन्द हुई तो जैसे-तैसे मुझे नींद आयी।

लेकिन पहली बार ऐसी आवाज़ सुनने के बाद ये बात मेरे दिमाग से नहीं निकल रही थी। मैं क्या करती, मेरी भी तो चढ़ती जवानी थी। मैं उस वक्त 18 साल की थी। दिन भर मेरे दिमाग में वो आवाज चलती रही सो मैंने फैसला किया कि आज मैं आप दोनों को चुदाई करते हुए देखूंगी। मैंने दिन में ही कमरे के रोशनदान वाली बुखारी से सामान इधर उधर इस तरह व्यवस्थित किया कि रात में बिना शोर करे मैं रोशनदान से आपके कमरे में आपकी चुदाई देख सकूं। जैसे तैसे रात के 12 बजे और तृप्ति भाभी की सिसकारियां सुनाई देने लगीं और मैं टेबल पर स्टूल लगाकर अपने कमरे की लाइट बन्द कर आपको देखने लगी। मेरे कमरे की लाइट बन्द होने के कारण आप दोनों मुझे नहीं देख सकते थे किंतु मैं आपके क्रियाकलाप कम रोशनी वाली लाइट में आसानी से देख सकती थी। मेरी आंखों के सामने आप का पलंग था। जैसे ही मेरी नजर आपके कमरे के पलंग पर पड़ी मेरा कलेजा जोर-जोर से धड़कने लगा। सांसें तेज हो गईं।

मैंने देखा कि तृप्ति भाभी और आप पूर्ण रूप से नग्न होकर एक दूसरे के साथ 69 की पोजीशन में एक दूसरे के गुप्तांगों को बड़ी शिद्दत से चूस चाट रहे हैं। आप दोनों ही अपने आप में इस तरह खोए थे कि आपको दुनिया की कोई खबर नहीं थी। यह पहला क्षण था जब मैंने किसी भी जोड़े को सेक्स करते हुए देखा था। उसके बाद जब तृप्ति भाभी ने आप की तरफ अपनी टांगें चौड़ी कीं और आप सीधे हुए तब मैंने आपका लंड देखा। वाह! क्या नजारा था आपके लंड का। वह दृश्य ऐसा लग रहा था जैसे मेरे गले में अटक गया हो। तृप्ति भाभी ने आपके लंड को अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी और उसके थोड़ी देर बाद आपने तृप्ति भाभी की चूत में अपना लंड पेल कर उनकी चूत में जोरदार धक्के देना शुरू कर दिए। तृप्ति भाभी के बड़े स्तन आपके लंड के झटकों से ऊपर नीचे हो रहे थे। करीब 15-20 मिनट की जोरदार घमासान चुदाई के बाद आप दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक कर सो गए।
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#73
आप दोनों तो सो गए लेकिन आपके इस दृश्य ने मेरी चूत में एक अजीब सी आग लगा दी थी। मैंने खड़े-खड़े कब अपनी उंगलियां अपनी चूत में डाल दीं थी मुझे पता ही नहीं चला और इस तरह मैंने अपनी चूत की आग को अपनी उंगलियों से शांत किया। यह मेरा पहला हस्तमैथुन था। उस दिन के बाद मुझे आपको देखने का नजरिया बदल गया। आप में मुझे बस केवल वासना नजर आती थी राज भैया।


तृप्ति भाभी खुशनसीब थी कि उसे आप जैसा पति मिला। मैं हर रोज आप दोनों के चुदाई घमासान को देखती और अपने आप को उंगलियों से शांत करती। फिर एक दिन पिताजी द्वारा घर का जरूरी सामान उस बुखारी में रख दिया गया और मेरा आप लोगों को देखने का जरिया बंद हो गया। लेकिन तब तक मेरे सीने में एक आग जल गई थी जिसने दिन रात मुझे वासना में डुबा दिया था।

आप लोगों को तो देख नहीं सकती थी तो फिर मैंने अपनी एक सहेली से अपनी वासना मिटाने का एक जरिया सीखा। मैंने फेसबुक पर नकली नाम से एक खाता बनाया और उस खाते से मैंने अपने कई पुरुष मित्र बनाए और उनसे गंदी-गंदी चैट करने लगी। मेरे कहने पर लड़के अपने नग्न चित्र और वीडियो मुझे मैसेज में भेज देते थे। जिससे कि मैं अपनी पूर्ण उत्तेजना में होकर खुद को उंगली से शांत कर लिया करती थी।

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विक्रम- फिर एक दिन मुझे इंटरनेट पर कुछ देखना था। मेरे फोन में रिचार्ज नहीं होने पर मैंने उपासना से उसका फोन लिया। उपासना अपने फोन से हिस्ट्री मिटाना भूल गई थी और उसने अपनी फेसबुक आईडी भी लॉगआउट नहीं की थी क्योंकि वैसे भी उसका फोन कोई नहीं छेड़ता था। जब मेरी नजर उसके नकली नाम वाली आईडी पर पड़ी तो मैंने उसके इनबॉक्स को चेक किया और जो देखा वह देखकर दंग रह गया। हमारी उपासना एक नकली नाम से प्रोफाइल बनाकर लड़कों से इस प्रकार की चैट करती है।

एक पल तो मुझे उस पर गुस्सा आया और मन किया कि उससे जाकर लडूं। फिर शांति से सोचा कि क्यों इसके बिगड़ने का फायदा मैं ही उठा लूं। कॉलेज में तो काफी लड़कियां पटाई थीं लेकिन यहां गांव में आकर मेरा सेक्स जीवन सूखा था। मेरे मन में उपासना के प्रति वासना घर कर गई और उसे देखने का नजरिया बदल गया। मैंने भी फेसबुक पर एक नकली नाम से एक प्रोफाइल बनाई तथा उपासना को रिक्वेस्ट भेज कर खुद ही उसे स्वीकार कर लिया था। मैं उसकी मित्र सूचि में सम्मिलित हो गया और जैसा कि उपासना की मित्र लिस्ट में काफी सारे लोग थे तो मुझे विश्वास था कि उसे यह भी याद नहीं रहेगा कि ये मेरा मित्र कब बना। मैंने उपासना को उसका फोन लौटा दिया।

अगले दिन उपासना जब ऑनलाइन आई तो मैंने उसे मैसेज किया। फिर उसका मुझे जवाब आया। हमने थोड़ी देर इधर-उधर की बातें कीं और उसके बाद हम सेक्स चैट में लिप्त हो गए। मैंने अपनी सेक्सी चैट से उसे पूर्ण रूप से उत्तेजित कर दिया था और उसे यह नहीं पता था कि मैं उसके बगल वाले कमरे से ही उसके साथ गुफ्तगू कर रहा हूं। हम एक दूसरे को बिना देखे एक दूसरे से सेक्सी चैट करते थे और हमारी दोस्ती दिन--दिन गहरी होती जा रही थी। एक दिन जब मैंने उससे पूछा कि क्या तुमने कभी किसी को चुदाई करते हुए देखा है तब उसने चैट में ही बताया कि मैंने अपने घर में भैया-भाभी को चुदाई करते हुए देखा है।

मैंने उससे पूछा कि अपने भाई-भाभी के बारे में तुम ऐसा कैसे सोच सकती हो? तब उपासना ने मुझसे चैट में कहा कि वो मेरे सगे भाई नहीं हैं। उपासना ने कहा कि जब से मैंने उन दोनों (राजवीर और तृप्ति) को चुदाई करते देखा है मैं भाई की फैन हो गयी हूं। मन करता है कि कैसे कैसे एक बार मुझे वो चोद दें और वैसा ही हाल कर दें जैसा कि वो भाभी का करते हैं। वैसे तो मेरी असली पहचान से अनजान उपासना यह चैट मुझसे ही कर रही थी और उसके लिए मैं एक अजनबी था। लेकिन यह बात हो मुझे मालूम हो गयी थी कि उपासना में ऐसा बदलाव क्यों आया है। वह राजवीर भैया, यानि कि आपसे चुदाई करवाना चाहती थी। एक बार देर रात उपासना और मैं फेसबुक पर चैटिंग कर रहे थे। हम इतनी उत्तेजित बातें कर चुके थे कि उस समय हमारी उत्तेजना चरम पर थी। उपासना ने मुझसे मेरे लिंग का फोटो मांगा जो कि मैंने उसे भेज दिया। उस फोटो से वह बहुत सम्मोहित हुई। उसके बाद मैंने उससे उसके स्तनों का फोटो मांगा। उपासना ने भी मेरी बात मान कर बिना चेहरे के मुझे अपने स्तनों का फोटो भेजा। उसके अति उत्तम आकार वाले गोरे स्तनों को देखकर मेरा हाल बुरा हो गया। 

उत्तेजना की आग दोनों तरफ लगी थी। तब उपासना ने मुझसे कहा कि अब मुझे चैट बन्द करनी होगी क्योंकि उसे हस्तमैथुन करना है। तब मैंने उससे कहा कि अगर अपनी उंगलियों की जगह तुम्हें अभी कोई असली लिंग मिल जाए तो? इस पर उपासना ने कहा कि ऐसी मेरी किस्मत कहां। अगर मिल जाए तो क्या बात हो, मैं उस लिंग को खुद में निचोड़ लूंगी। मगर ऐसा नहीं हो सकता यार, हस्तमैथुन ही करना होगा।
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#74
इस पर मैंने कहा- अच्छा चलो, जब दरवाज़ा बजे तो चुपचाप उसे खोल देना। जो भी हो उसे अंदर आने देना ताकि कोई और जग जाए। जो बात करनी है अंदर ही करना। उपासना का चैट में जवाब आया कि क्यों मज़ाक़ करते हो यार?


इतने में मैं अपने कमरे से निकल कर उपासना के कमरे की तरफ गया। रात के करीब डेढ़ बजे थे। इसीलिए सब सो चुके थे। जैसे ही मैंने गेट बजाया, उपासना ने दरवाजा खोला। मैंने बिना कोई बात किए उसे कमरे के अंदर धकेल कर कमरे का दरवाजा लगा लिया और उपासना से कहा- लो उपासना, गया असली लंड लेकर ... कर लो अपने मन की।

उपासना- ओह माय गॉड ... ये कैसे सम्भव है। मैं विक्रम तुमसे ये सब बातें कर रही थी? और तुम्हें कैसे पता चला कि वो मैं ही हूं।

विक्रम- उपासना, अब मौका मिला है तो क्या ये बातें करने में समय निकाल दोगी। राजवीर भैया का तो तुम्हें शायद ही मिले। आज मेरा ही लन्ड ले लो।

अब उपासना के लिए शर्म और नखरे करने की कोई गुंजाइश तो रह नहीं गयी थी। हमने करीब 1 महीने तक सेक्स संबंधी क्या क्या बातें की थी यह हम ही जानते हैं। हम दोनों ने तो एक-दूसरे से अपनी सेक्स संबंधी कल्पना भी जाहिर की थी कि कैसे मैं अपने साथी के स्तन और चूत को चूसूंगा और चुदाई करूंगा। उपासना ने भी ऐसी कई बातें की थीं कि वह कैसे अपने साथी के लन्ड को चाट-चाट कर मजे देगी।

अतः हमने आव देखा ताव एक दूसरे को कसकर चूमने चाटने लगे। जब चुम्बनों कि बरसात खत्म हुई तो हमने एक दूसरे के सारे वस्त्र उतारने में जरा भी समय बर्बाद नहीं किया। उस वक्त मैंने अपने सामने उपासना को खड़ा किया और उसे अच्छे से ऊपर से नीचे तक निहारा। उस समय उपासना के 32 के स्तन और 26 की कमर और गांड का आकार भी 32 का ही था। गोरे रंग के जिस्म पर ये छरहरी काया। क्या खुशबू थी उपासना के जिस्म की।

उपासना- मैंने भी जब विक्रम का लंड देखा तो इसकी कायल हो गई। फ़ोटो में इसका वो आकार नजर नहीं आया था जो वास्तव में था। ये फोटो से ज्यादा आकर्षक था। करीब साढ़े 7 इंच का लन्ड खड़ा-खड़ा मेरी चूत के लिए चिकना पानी छोड़ रहा था। मुझे तो विक्रम के साथ वो सब करना था जो कि मैंने इतने दिनों तक आपको तृप्ति भाभी के साथ करते देखा था। मुझमें सेक्स की भूख भरी पड़ी थी। मेरा बदन यह सोच-सोच कर सिहर उठा था कि आज उंगलियों की जगह असली का लिंग मेरी चूत में धक्के देगा। मैंने विक्रम से मेरी सबसे पसंदीदा चुदाई के आसन में आने को कहा। विक्रम जानता था कि मैं 69 की बात कर रही हूं। अतः मेरे बिस्तर पर हम दोनों 69 के आसन में आकर एक दूसरे के गुप्तांगों को चूसने लगे।

विक्रम- उपासना की चूत के पानी ने मेरे पूरे चेहरे को गीला कर दिया था और तभी उपासना मेरे मुंह में अपनी लाल चूत को दबाती रही। उसने मेरा लन्ड अपने मुंह में पूरा अंदर ले लिया और बड़ी बेदर्दी से चूस चूस के ऊपर नीचे करती रही।

मैंने उपासना के स्तनों को चूसने की इच्छा जताई तो उपासना ने सीधे होकर अपना एक स्तन मेरे मुंह में दे दिया और अपने हाथ से मेरे सिर को उसके स्तनों में दबाने लगी। मैंने उसके दूसरे स्तन को हाथ में लेकर अपने हाथों से मसलना शुरू किया। करीब 20 मिनट के इस फोरप्ले के बाद उपासना ने अपनी गीली चूत मेरे सामने करके अपनी टांगें चौड़ी कर दीं। मैंने उसके ऊपर आते हुए अपना लन्ड उसकी चूत में डाल दिया जो कि एक बार में गुप्प से अंदर चला गया क्योंकि उत्तेजना में चिकनाई ही इतनी थी। मैंने अपनी पूरी जान लगाकर उपासना की चूत में धक्के दिए जिसे उपासना बड़ी ही शिद्दत से ग्रहण कर रही थी। कोई नहीं कह सकता था कि यह उपासना की पहली चुदाई है।

लेकिन राजवीर और तृप्ति भाभी की चुदाई देख देख कर उपासना इतनी परिपक्व हो गयी थी। उपासना स्वयं अपने आपको मेरे लन्ड में रगड़ दिलवा रही थी। उसकी इस कला ने मुझे उसका दीवाना बना दिया था। करीब 20 मिनट की घमासान चूत चुदाई के बाद हम दोनों साथ में स्खलित हुए और एक दूसरे से कसकर लिपट गए।

10 मिनट बाद उपासना ने फिर से मेरा लिंग चूसना शुरू किया और खड़ा करके फिर से उस पर बैठ गयी और अपनी चूत में मेरा लन्ड ले कर अपनी गांड को ऊपर नीचे करके लेने लगी। उसके उचकते हुए स्तनों को मैंने अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया। जब वह गांड हिलाते हिलाते थक गई तो मैंने उसे पेट के बल लेटाकर उसके ऊपर आकर उसकी गदराई गांड के नीचे चूत में लन्ड ठेल कर पीछे से उसकी चूत चुदाई शुरु की और फिर से दोनों झड़ गए।



अब हम दोनों का हाल बुरा था। करीब 3 बजने वाले थे इसलिए कपड़े पहन कर मैं अपने कमरे में गया। 



इस तरह की चुदाई का मजा मैंने अपने जीवन में कभी नहीं लिया था। कॉलेज के समय में चुदाइयाँ तो बहुत की थीं मगर उपासना ने जिस तरह से अपनी चूत चुदवाई मैं उसका कायल हो गया था।

उपासना- और मेरी तो यह पहली चुदाई थी। मैं तो उस खुमारी से दिन-रात बाहर निकल ही नहीं पा रही थी।



विक्रम- फिर ये हमारे लिए लगभग रोज की बात हो गई। सबके सोने के बाद हमारा ये चुदाई घमासान रोज होता।



उपासना- हम दोनों एक दूसरे से इतने खुश थे कि हमने एक दूसरे से शादी का मन भी बना लिया।



विक्रम- और इस से पहले कि पिताजी उपासना के लिए लड़का देखना शुरू करते उससे पहले ही मैंने मां के द्वारा उनके कान में यह बात डाल दी कि मैं उपासना से शादी करना चाहता हूं क्योंकि उपासना पिताजी के दोस्त की बेटी थी और आज के इस युग में अच्छा लड़का ढूंढना मुश्किल था जो कि किसी लड़की को दुख ना दे, अतः पिताजी को यह प्रस्ताव अच्छा लगा और हम दोनों की शादी पिताजी ने करवा दी।
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#75
राजवीर- वाह ... अब पता लगा कि तुम दोनों की प्रेम कहानी के पीछे इतनी बड़ी कहानी है। मुझे तो लगा तुम दोनों में आंखों ही आंखों में प्यार हुआ होगा और तुमने एक दूसरे से शादी के लिए हामी भर दी। यह सचमुच मेरे लिए हैरानी की बात है। मुझे तो पता ही नहीं था कि मेरे आस-पास इतना सब कुछ घटित हो रहा है और मैं इन सब खबरों से बेखबर हूं।

विक्रम- यह तो कुछ नहीं भैया, लेकिन अब जो खबर मैं आपको सुनाने जा रहा हूं वह तो आपके होश उड़ा देगी।

राजवीर- क्या कहा?? अभी भी कुछ ऐसा बाकी है जो मेरे होश उड़ाने वाला है? मेरे लिए तो यह सब ही बहुत है।

उपासना- अभी तो देखते जाइए राज भैया, हमने आपके लिए कितने सारे राज का पिटारा बंद कर रखा था। एक-एक करके खोले जा रहे हैं।

राजवीर- तो खोलिए पिटारा ... मैं भी तैयार हूं सारे राज का सामना करने के लिए। आखिर मेरा नाम राजवीर है। बड़े-बड़े राज पर वीरता प्राप्त करने वाला हूं मैं।

उपासना- तो सुनिए, बीती रात जो हुआ मतलब विक्रम और आपके शराब पीने के बाद गलती से मेरे कमरे में जाना और मेरे साथ यौन संबंध बनाना। ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। यह सब मेरा और विक्रम का किया हुआ नाटक था ताकि हम इस स्थिति में पहुंचे कि साथी अदला-बदली की बातें आसानी से कर सकें।

मैं उपासना की यह बात सुनकर स्तब्ध रह गया। जिस घटना के लिए मैं 2 दिन से ग्लानि महसूस कर रहा था वह कुछ घटित हुआ ही नहीं था। 
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#76
मैंने विक्रम से पूछा- ऐसा नाटक करने की आवश्यकता क्यों आन पड़ी?

विक्रम- भैया, मुझे माफ करना। हमारी शादी के कुछ समय बाद जब तृप्ति भाभी और आप जयपुर गए तब हमारे बिजनेस की भागदौड़ मुझे संभालनी पड़ी। बिजनेस के सिलसिले में मुझे हमारे पुराने दुश्मन और आपके पुराने दोस्त रणवीर से मुलाकात करनी होती थी क्योंकि आप दोनों अब दोस्त थे तो मैंने भी उनसे अच्छा व्यवहार किया और उन्होंने भी मुझसे अच्छा व्यवहार किया। इस तरह हमारी थोड़े दिनों में अच्छी दोस्ती हो गई हम कहीं बाहर घरवालों से छुप कर शराब पार्टी करते थे। रणवीर आपको बहुत याद करता था। एक बार हम शराब के नशे में थे। रणवीर के मुंह से निकला कि राजवीर के साथ तृप्ति भी बहुत अच्छी है। लेकिन जहां तक मेरे ज्ञान का सवाल था मुझे यही पता था कि रणवीर और तृप्ति भाभी की कभी मुलाकात नहीं हुई है। इस पर मैंने रणवीर से पूछा कि आप तृप्ति भाभी से कब मिले? पहले तो रणवीर ने मुझे कुछ ना बता कर बात को टालने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर जब मैंने उन्हें दोस्ती का वास्ता दिया तो जो पता चला उसे सुनकर मेरे होश उड़ गए। रणवीर ने मुझे आप दोनों के पहले वाले याराना की कहानी सुनाई मतलब कि किस तरह आप ने घर से दूर जाकर अपनी बीवियों की अदला-बदली करके मजे लिए। रणवीर ने मुझे कसम दी कि मुझे यह बात पता है लेकिन यह बात मेरे अलावा किसी तीसरे व्यक्ति को पता नहीं चले। रणवीर की और आप की पहली अदला-बदली की चुदाई वाली घटना को सुनकर मेरी रातों की नींद उड़ गई थी। 

मैं सोच में पड़ गया था कि क्या राजवीर भैया ऐसा कर सकते हैं? इस बात पर मुझे कभी विश्वास नहीं हो रहा था और इस कार्यक्रम में तृप्ति भाभी भी शामिल हुई। सच बताऊं तो तृप्ति भाभी है ही इतनी सेक्सी कि उनके बारे में यह बात सुनकर मेरे मन में उनके प्रति एक बार फिर से वासना ने घर कर लिया। मैं दिन-रात तृप्ति भाभी के बारे में सोचने लगा कि मैं प्रेमी होकर भी तृप्ति भाभी की चुदाई नहीं कर सका किंतु आपने बड़ी होशियारी से रणवीर की पत्नी को चोदने के लिए रणवीर को तृप्ति भाभी को सौंप दिया। सच बताऊं तो आपकी पहली अदला-बदली वाली घटना इतनी रोमांचक थी कि उसके बारे में जितना सोचो कम था। 

जब भी रणवीर और हम मिलते तो हम उस घटना के बारे में जरूर बात करते। एक दिन पता चला कि आपकी फोन पर रणवीर से बात हुई है। रणवीर ने मुझे बताया कि राजवीर बड़ा खुशनसीब है जो उसे शादी के बाद इतनी अच्छी अच्छी सुंदरियों की चुदाई करने का भरपूर मौका मिल रहा है। उसने मुझे बताया है कि पहले वाले अदला-बदली के याराना के बाद अब राजवीर जयपुर में अपने साले श्लोक और सीमा की अदला-बदली वाली चुदाई का आनंद ले रहे हैं। समझ नहीं रहा था कि मेरे जीवन में इतने सरप्राइज़ एक के बाद एक कैसे सामने रहे हैं। मेरी प्रेमिका तृप्ति जो कि एक पतिव्रता नारी थी वह अपने साथी बदल-बदल कर चुदाई करवा रही थी और बड़ी हैरानी की बात तो यह थी कि अबकी बार वह अपने भाई से ही अपनी चूत की खुजली मिटवा रही थी। आप भी राज भैया! मान गए आपको ... आपने एक भाई को बहनचोद बनवा दिया और यहां जिंदगी के मजे ले रहे थे।


तब मैंने भी ठान लिया कि अब कुछ भी हो जाए यह अदला-बदली का सुख मुझे भी अपने जीवन में ग्रहण करना है। वैसे भी उपासना तो आपके लंड की दीवानी थी ही। तृप्ति भाभी को भी अगर पुराना प्यार मिल जाए तो बात ही क्या हो क्योंकि अब तो वह पतिव्रता नारी बिगड़ गई है तो क्यों प्रेमी-प्रेमिका का अधूरा मिलन पूरा हो जाए। अतः मैंने पिताजी से बात की और कहा कि यहां बिजनेस के उत्पादन के कार्य में मेरी पढ़ाई काम नहीं रही है अतः मुझे भी राज भैया की तरह मार्केटिंग करने के लिए जयपुर जाना है। पिताजी ने चंद पैसे लगवा कर बिजनेस को अहमदाबाद में शुरू करवाया और मैंने बड़ी चालाकी से श्लोक और सीमा को वहां भिजवाया। ताकि यहां उनकी अदला-बदली चुदाई मंडली की जगह हम दोनों ले सकें। जैसे जैसे मुझे आपके राज रणवीर से पता चलते गए यह सब उपासना को बताता गया क्योंकि हम पति-पत्नी कम और दोस्त ज्यादा थे। मुझे जब से आपके, श्लोक और सीमा की अदला-बदली की चुदाई की बात पता चली तभी मैंने उपासना को यह सब बता दिया था।

पता है? जब हम रात की चुदाई करते हैं तो मैं उपासना को तृप्ति और तृप्ति मुझे राजवीर कहकर बुलाती थी और हम अपने ख्यालों में आपके साथ ही बदल कर चुदाई करते थे। इस चुदाई कार्यक्रम में हमें जो मजा आता था उसे हम बयान नहीं कर सकते। हमने कई बार ख्वाबों में आपके साथ साथी बदल कर चुदाई की है। फिर जब हम जयपुर आए तो हमें लगा कि हमारा सपना साकार होने वाला है किंतु हमने जैसा सोचा था वैसा बिलकुल नहीं हुआ। यहां आने के महीनों तक आपने ऐसी कोई बात नहीं की जिससे कि अदला-बदली संभव हो। हमें हमारे अरमानों पर पानी फिरता नजर आने लगा। आप कभी भी उपासना को गंदी नजरों से नहीं देखते थे और तृप्ति भाभी भी उस प्रेमी प्रेमिका वाले किस्से को भूलकर पतिव्रता होने का पूरा नाटक कर रही थी। अतः हमने इस नाटक को अंजाम देने का फैसला किया ताकि कैसे ना कैसे करके सच्चाई बाहर आए और हम इस कार्यक्रम में शामिल हो सकें। किस्मत ने हमारा साथ दिया और तृप्ति भाभी अपने भाई श्लोक के वहां चली गई और फिर जो हुआ वह तो हम सबको पता है। 

भैया आप हमसे नाराज तो नहीं हैं ना? हमने आपके साथ इतना बड़ा खेल खेला।
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#77
राजवीर- मेरे प्यारे छोटे भाई विक्रम! तुम दोनों से नाराज होकर तुम्हारे इतने बड़े अरमानों पर पानी कैसे फेर सकता हूं? दूसरों की बीवियों की चुदाई करने के लिए मैंने दूसरों के साथ कितने खेल खेले हैं, अगर मुझे और मेरी तृप्ति को पाने के लिए कोई मेरे साथ खेल खेलता है तो मैं इसे कैसे इंकार कर सकता हूं। मेरे प्यारे अदला बदली के नए साथियों, तुम्हारा इस मंडली में स्वागत है। दो याराना के बाद अब तीसरे याराना की बारी गई है।


उपासना- भैया ... आप कितने प्यारे हैं।

हम तीनों अपनी जगह से उठे और एक दूसरे को गले लगाया।

विक्रम- तो बताइए भैया! कैसे शुरू करना है। मैं तो उत्तेजना में पागल हुआ जा रहा हूं। क्या आज हम दोनों उपासना की थ्रीसम चुदाई करके इस कार्यक्रम का शुभारंभ करें?

राजवीर- वैसे यह अच्छा विचार है विक्रम, किंतु मुझे लगता है कि उपासना को पहले ही भोग लेने से अदला-बदली करके चुदाई करने का मजा नहीं आएगा। याराना का मजा तो तब ही है जब मैं इधर तुम्हारी बीवी की चुदाई करूं और तुम मेरी बीवी की। एक साथ, साथ-साथ!

विक्रम- तो भैया अब ज्यादा इंतजार नहीं होगा। जल्दी से जल्दी तृप्ति भाभी को यहां बुलाइए।


राजवीर- लेकिन तृप्ति को अभी हमारे इस प्लान के बारे में कुछ नहीं पता है। जब वह जानेगी तो हैरान हो जाएगी और पता नहीं क्या प्रतिक्रिया देगी। मुझे इसके बारे में कोई अंदाजा नहीं है। मेरे दिमाग में एक विचार आया है कि हमें किस प्रकार इस अदला-बदली की शुरुआत करनी है।

उपासना- वाह! आज तो मेरे सपने पूरे हो गए। मैं राजवीर भैया के उन विचारों का हिस्सा बनने जा रही हूं जो काफी मजेदार होते थे। तो बताइए कैसे बकरा बनाना है तृप्ति भाभी को?

राजवीर- अभी काफी रात हो गई है, तृप्ति भी सो गई होगी और हमें भी सो जाना चाहिए। सुबह जब मैं तृप्ति से फोन पर बात करूंगा तब इस बात का अनुमान लगाना कि हम क्या करने जा रहे हैं। सच बताता हूं यह काफी मजेदार होगा।


विक्रम- भैया! आपके करामाती दिमाग की नई कारस्तानी देखने के लिए मैं बहुत व्याकुल हूं। इतना कहकर विक्रम खुशी-खुशी, जोर-जोर से यह गीत गाने लगा- यारा तेरी यारी को मैंने तो जहां माना, याद करेगी दुनिया तेरा मेरा याराना ... ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे, छोड़ेंगे दम मगर यह साथ ना छोड़ेंगे।
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#78
अगली सुबह हम नाश्ते की मेज पर तीनों मिले। तीनों के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कुराहट थी। इधर उपासना और विक्रम दोनों जानना चाहते थे कि अदला-बदली संपन्न करने के लिए मेरे दिमाग में क्या चल रहा है?

 
मैंने दोनों के सामने ही तृप्ति को फोन लगाया, तृप्ति ने फोन उठाया। इधर मैंने अपना फोन स्पीकर पर लगा दिया, और बात करने लगा। 

उधर तृप्ति को पता नहीं था कि हम दोनों की बातें विक्रम और उपासना भी सुन रहे हैं।

मैं- हैलो जान, कैसी हो

तृप्ति- मैं ठीक हूं, आप कैसे हो राज, यहां भेजने के बाद आप तो मुझे भूल ही गए।


मैं- ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं तुम्हें भूल जाऊं तृप्ति। अपने भाई श्लोक के पास तो तुम गई हो और वहां पर शायद थ्रीसम चुदाई का आनंद भी ले रही हो। मैं तो यहां अकेला हूं।

तृप्ति- जोर से हंसते हुए- हाहाहा ... तुम्हें इतनी जलन हो रही है तो तुम भी जाओ राज। थ्रीसम क्या हम फोरसम कर लेंगे!

मैं- हां, विचार तो यही है, लेकिन सीमा और श्लोक के साथ नहीं। कल तुम्हारा जन्मदिन है, और मैंने तुम्हारे लिए यहां एक सरप्राइज़ रखा है। तुम्हें सब कुछ छोड़-छाड़ कर आज ही जयपुर आना है।


तृप्ति- अरे यार, आज एकदम से क्या हो गया? यहां श्लोक और सीमा ने भी मेरे लिए पार्टी रखी है। वे भी मेरे जन्मदिन की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे एकदम से कैसे जाऊं?

मैं- ऐसे एकदम से इसलिए जाओ क्योंकि मैं तुम्हारा पति हूं। तुम्हारे जन्मदिन को मनाने का पहला अधिकार मेरा है। पहले मेरा मन इस तरह का कार्यक्रम करने का नहीं था, लेकिन अब मेरे दिमाग में एक विचार आया है जिससे कि मैं तुम्हारा यह जन्मदिन सबसे ज्यादा यादगार बना दूंगा, इसलिए तुम्हें आज आना ही होगा।


तृप्ति- ऐसा क्या यादगार देने वाले हो प्रिय राज? जरा हमें भी तो बताइए।

मैं- तो सुनो, मैं तुम्हें वही देने जा रहा हूं जो हम दोनों को अपने जीवन में सबसे ज्यादा लजीज है।

तृप्ति- और वो क्या?

मैं- पति बदल कर चुदाई।


तृप्ति आश्चर्यचकित होते हुए- गॉड और वह किसके साथ? सीमा और श्लोक तो यहां हैं, तो फिर तुम मुझे वहां क्यों बुला रहे हो

मैं- सीमा और श्लोक के साथ तो तुम थ्रीसम चुदाई कर ही रही हो, उसमें क्या सरप्राइज़ है। मेरे पास यहाँ तुम्हारे लिए यहां एक नया जोड़ा है।


तृप्ति- क्या? कौन सा नया जोड़ा?
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#79
मैं- सुनो मेरी बात। रात में मैंने एक नए जोड़े का इंतजाम किया है जिसके साथ मिलकर हम अदला-बदली की चुदाई करके तुम्हारा जन्मदिन मनाएंगे।

तृप्ति- अच्छा तो कहीं तुमने रणवीर और प्रिया को तो नहीं बुला लिया?

मैं- नहीं यार, मैंने कहा जोड़ा नया है। जिसके साथ हमने पहले कभी चुदाई नहीं की है।


तृप्ति- यार किसको बुला लिया आपने राज? वह भी अपने घर पर! कल को यह बात दूसरे लोगों को पता चली तो कहीं दिक्कत तो नहीं हो जाएगी? आप मुझे बताइए पहले कि वह कौन है? पता नहीं कोई अनजान जोड़ा हमारी इज्जत के लिए खतरा बन जाए।

मैं- क्या यार जानू, तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं? सारी चिंताएं अपने दिमाग से निकाल दो और केवल मजे पर ध्यान दो कि आज रात जब तुम्हारा जन्मदिन शुरू हो तब हम किसी नए जोड़े के साथ बीवियां और पति बदलकर चुदाई कर रहे होंगे। क्या तुम्हारे लिए उत्तेजना की बात नहीं है

तृप्ति- जी, उत्तेजना की बात तो है, चलो ठीक है। सारी चिंता मैं आपके जिम्मे छोड़कर केवल अदला-बदली की चुदाई के आनंद के बारे में सोचती हूं। आशा है आपका सरप्राइज उतना ही बेहतर होगा जितना कि मैं सोच रही हूं और थैंक्यू राज, इस तोहफे के बारे में तो मैंने नहीं सोचा था अब देखते हैं कि आपका तोहफा कितना मजेदार है।


मैं- तो ठीक है तृप्ति। श्लोक और सीमा को इस चुदाई के बारे में अभी पता नहीं चले। उनसे बस यह कह देना कि राजवीर ने मेरे लिए कोई सरप्राइज़ रखा है इसलिए वह मुझे आज रात जयपुर में चाहते हैं। श्लोक से बोलो कि वह दोपहर की फ्लाइट पकड़ा दे, इस तरह तुम शाम को यहां पहुंच जाओगी।

तृप्ति- ठीक है जानू, शाम को मिलते हैं। बाय ... आई लव यू।

मैं- आई लव यू टू तृप्ति। 

-


जैसे ही फोन काटा विक्रम और उपासना दोनों जोर से चिल्लाकर मेरे करीब आए और मुझे गले लगा लिया और 'शाम को क्या करना है' इसके बारे में पूछने लगे।

मैंने उपासना से कहा- तुम घर को अच्छी तरह से सजा दो। खुशबू का माहौल बना दो। शाम 7:00 बजे तक तृप्ति यहां जाएगी, अतः तुम्हें यहां से निकलना होगा। विक्रम तुम्हें तृप्ति के आने से पहले यहां से होटल ले जाएगा, वहां तुम दोनों तैयार होकर करीब रात 11:30 बजे घर पर जाना। अभी विक्रम और मैं दोनों ऑफिस जा रहे हैं। रात को 11:30 बजे आकर तुम्हें क्या करना है वह मैं विक्रम को समझा दूंगा और विक्रम तुम्हें शाम को होटल में सब समझा देगा।



नाश्ता करने के बाद मैं और विक्रम दोनों ऑफिस के लिए निकल गए और फ्लैट को सुंदर और संवारने की जिम्मेदारी उपासना पर छोड़ गए।
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#80
(मैं आपका राजवीर, आप सब मुझसे तो परिचित हैं ही। आकर्षक छवि और ठीक-ठाक सूरत वाला व्यक्ति हूं जो लड़कियो को पसंद है. उनके लिए करीब 7 इन्च का सामान्य लिंग है जो मोटाई में सामान्यतः और व्यक्तियों के लिंग से मोटा है।



तृप्ति 'याराना' की पुरानी खिलाड़ी और पात्र है। इसलिये आप उससे परिचित होंगे। संजना खान के जैसे चहरे और तमन्ना भाटिया के जैसी शरीर की मालकिन है तृप्ति। लंबाई में और कमर पेट से बिल्कुल जैसे तमन्ना भाटिया ही है। उसके आकर्षक पेट के नीचे शानदार आकार लिए हुए फैली हुई गांड आंखों से लेकर लंड तक सुरसुरी पैदा कर देती है। बिल्कुल गोरा रंग और गुलाबी स्तन। मेरी रानी की ग़ुलाबी चूत है और उसकी चूत की दरार भी गुलाबी है। सांचे में ढली हुई काम की देवी है तृप्ति। 34-26-34 कुछ यूं ही उसके शरीर का माप है।


विक्रम यूं तो दिखने में वरुण सोबती के जैसा लगता है। उसने भी अपने शरीर को काफी संभाला हुआ है। पतली कमर और वी शेप के सीने के कारण वह किसी मॉडल से कम नहीं लगता जैसा कि उपासना ने बताया था, उसके लिंग की लंबाई साढ़े सात इंच थी जो कि मेरे लिंग से थोड़ी ज्यादा है। इसका मतलब यह था कि तृप्ति को आज नया स्वाद मिलने वाला है।


दोस्तो, अगर उपासना के शरीर और सुंदरता के बारे में जानना है तो आप टेलीविजन अभिनेत्री रश्मि देसाई की कल्पना कर सकते हैं। उपासना केवल शरीर से ही नहीं बल्कि अपने चेहरे से भी रश्मि की तरह लगती है। गोल भरा हुआ चेहरा, भारी स्तन, भारी गांड और पतली कमर। आज से कुछ साल पहले जब उपासना और विक्रम की शादी हुई थी तब उपासना ऐसे शरीर की मालकिन नहीं थी। लेकिन चढ़ती जवानी और विक्रम के स्तन और गांड इस्तेमाल से उपासना का वर्तमान शरीर 35-27-36 हो गया था। ऐसी अप्सरा मेरे लंड की दीवानी थी इस बात को सोच-सोच कर मुझे घमंड होने लगा था।

-


इसमें कोई शक नहीं कि आज विक्रम तृप्ति की चुदाई करके उसकी हालत खराब कर देगा क्योंकि वह तृप्ति के लिए भरा पड़ा है। एक तो तृप्ति गुजरे हुए समय में उसकी प्रेमिका थी तथा दूसरा कारण यह था कि उसके अलावा वह रणवीर और श्लोक से चुदी थी। यह बातें उसे उत्तेजित करने के लिए काफी थीं। वह अपनी भड़ास तृप्ति पर निकालना चाहता था। यह बात मैं अच्छी तरह समझ सकता था।

फिर मैं भी कहां कमी रखने वाला था। तृप्ति के जन्मदिन के मौके पर मुझे भी उपासना जैसे शरीर की मालकिन की चुदाई करने का भरपूर मौका मिल रहा था। मैंने भी मन ही मन ठान लिया था कि आज उपासना को जब उसका पसंदीदा लंड मिलेगा तब उसे चोद-चोद कर उसका बुरा हाल कर दूंगा।)
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